नए कृषि पंप कनेक्शन के लिए किसानों को अब करना होगा ऑनलाइन आवेदन

कृषि पंप कनेक्शन हेतु ऑनलाइन आवेदन

खेती में सिंचाई का बहुत महत्वपूर्ण योगदान है यदि किसानो के पास सिंचाई की सुविधा न हो तो किसान एक फसल भी अच्छे से नहीं ले सकते हैं | खरीफ फसलों की तैयारी का समय हो गया है | पिछले वर्ष मानसून देरी से आने के कारण फसलों को काफी नुकसान हुआ था | अभी तक किसानों को बिजली कनेक्शन या कृषि पम्प कनेक्शन के लिए बिजली विभाग में ऑफ लाइन आवेदन करना पड़ता है | जिससे किसानों को समय पर किसान कृषि पम्प नहीं मिल पाता है और काफी मुसीबत का सामना करना पड़ता है | मध्यप्रदेश विद्युत वितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के 16 जिलों में निम्न दाब, उच्च दाब एवं कृषि पंप कनेक्शन के लिए केवल ऑनलाइन आवेदन करना होगा |

जून माह से किसान कर सकेगें ऑनलाइन आवेदन

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के कार्यक्षेत्र  भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर एवं चंबल संभाग के 16 जिलों में एक जून से निम्न दाब, उच्च दाब एवं कृषि पंप कनेक्शन के लिए केवल ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | कंपनी ने कहा है कि एक जून से इन कनेक्शनों के लिए ऑफलाइन आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे। वितरण केंद्र/ ज़ोन कार्यालय में यदि ग्रामीण क्षेत्र से कोई व्यक्ति नवीन बिजली  कनेक्शन के लिए ऑफलाइन आवेदन लेकर आता है तो संबंधित वितरण केंद्र/ज़ोन प्रभारी सम्बंधित  व्यक्ति को ऑनलाइन आवेदन के संबंध में सभी जानकारी उपलब्ध कराएंगे।

कृषि पंप कनेक्शन हेतु ऑनलाइन आवेदन

किसान नए बिजली कनेक्शन के लिए ऑफ लाइन की जगह ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | किसानों को UPAY App डाउनलोड करना होगा यहाँ से भी किसान नए कनेक्शन के लिए आवेदन कर सकते हैं |इसके अलावा कंपनी के पोर्टल portal.mpcz.in के माध्यम से भी किया जा सकता है | इसके अलावा यदि कोई नए बिजली कनेक्शन के लिए ऑफलाइन आवेदन लेकर आता है तो संबंधित वितरण केंद्र/ज़ोन प्रभारी सम्बंधित व्यक्ति को ऑनलाइन आवेदन के संबंध में सभी जानकारी उपलब्ध कराएंगे।

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किसानों की आय बढ़ाने के लिए दिए जाएंगे टिश्यू कल्चर पद्धति से तैयार सागौन पौधे

टिश्यू कल्चर पद्धति से तैयार सागौन पौधे

सागौन का पेड़ जंगली लकड़ी होने के वाबजूद भी लम्बे समय से किसानों के लिए आय का अच्छा स्रोत बना हुआ है | सागौन की खेती कम भूमि तथा कम खर्च में होने के कारण किसानों के बीच और दुसरे लकड़ी वाले पेड़ कि तुलना में अधिक लोकप्रिय है | इसकी बाजार स्थानीय स्तर पर मिल जाने के कारण किसान को बेचने में किसी भी प्रकार कि परेशानी नहीं होती है | अभी वर्तमान समय में सागौन कि लकड़ी का मूल्य 50 से 60 हजार रूपये प्रति घनमीटर है |

मांग बढने के कारण बाजार में सागौन का अच्छे क्वालिटी के पौधा नहीं मिल पा रहा है | यह देखा गया है कि सागौन का पड़े बड़े होने पर कई प्रकार की बीमारी से ग्रसित होकर सुख जाते हैं इसके अलावा पेड़ कि ऊँचाई पहले कि भांति कम है | इसे ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने सागौन कि उच्च क्वालिटी के पौधे तैयार किया है | यह सभी पौधे रोग मुक्त तथा 28 मीटर तक लम्बे होते हैं | सागौन के इस पौधे को टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में तैयार किया गया है | एस पद्धति से तैयार पौधे रोग मुक्त होने के साथ ही कम समय में ज्यादा विकसित हो जाता है | किसान समाधान इस पद्धति कि पूरी जानकारी लेकर आया है |

क्या है टिश्यू कल्चर पद्धति ?

टिश्यू कल्चर पद्धति में विभिन्न चरणों में सागौन पौधा तैयार होता है | चयनित धन वृक्षों कि शाखायें लेकर उपचार के बाद पालिटनल में रखकर अंकुरित करते हैं | अंकुरण के बाद तीन–चार से.मी. कि शूट होने पर उसको एक्सप्लांट के लिए अलग कर लेते हैं | इसके बाद एक्सप्लांट कि सतह को एथनाल आदि से अच्छी तरह साफ़ कर इसे कीटाणु रहित किया जाता है | तत्पश्चात स्तरलाइज्म एक्सप्लांट को सावधानीपूर्वक टेस्ट ट्यूब में ट्रांसफर किया जाता है | टेस्ट ट्यूब में पौधा 25 डिग्री सेल्सियस + 2 डिग्री सेल्सियस पर 16 से 18 घंटे की लाइट पर 45 दिनों तक रखा जाता है | लगातार दो हप्ते कि निगरानी ओर तकनीकी रखरखाव के बाद एक्सप्लांट से नई एपिक्ल शूट उभर आती है |

अब इनकी 6 से 8 बार सब क्लचरिंग कि जाती है | लगभग 30 से 40 दिनों के बाद 4 से 5 नोड वाली शूट्स प्राप्त होती है | जिन्हें फिर से काटकर नये शूटिंग मिडिया में इनोक्यूलेट किया जाता है | इसके बाद शूट को डबल शेड के निचे पालीप्रोपागेटर में 30 से 35 डिग्री तापमान ओर 100 प्रतिशत आद्रता पर लगाया जाता है | लैब में तैयार पौधे वर्तमान में 15 से.मी. ऊँचे हो चुके हैं |

पौधे कहाँ तैयार किए जा रहे हैं

मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री पी.सी. दुबे ने बताया कि इंदौर कि टिश्यू कल्चर प्रयोगशाला में सागौन, बाँस ओर संकटापन्न प्रजाति को पौध तैयार का कार्य राज्य अनुसन्धान विस्तार जबलपुर ओर इंस्टिट्यूट आँफ फारेस्ट जेनेटिक्स एंड ट्री ब्रीडिंग कोयम्बटूर के तकनीकी सहयोग से सफलतापुर्वक किया जा रहा है |

यह सागौन 28 मीटर तक ऊँचे होंगे

वर्ष 2019 से प्रारंभ इस कार्य के लिए देवास वन मंडल के पुंजापुर परिक्षेत्र के चयनित 2320 उत्कृष्ट सागौन वृक्षों में से पञ्च धन वृक्षों का चयन किया गया | इनमें रातातलयी के चार और जोशी बाबा वन समिति का एक सागौन वृक्ष शामिल है | इन वृक्षों कि ऊँचाई लगभग 28 मीटर ओर चौडाई 72 से.मी. हैं | धन वृक्ष से आशय है बिमारी रहित सर्वोच्च गुणवत्ता वाले वृक्ष |

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पशुओं का बीमा करवाने पर सरकार दे रही है अनुदान

पशुधन बीमा योजना

कृषि में आय बढ़ाने के लिए कृषि के साथ ही साथ पशुपालन करना जरुरी है | कम भूमि तथा कम लगत में लगातार आय का स्रोत पशुधन से बना रहता है | गाय तथा भैंस मुख्य रूप से दूध उत्पादन के लिए रखा जाता है तो बकरी, भेड तथा सुअर मूल्य रूप से मांस के लिए पाला जाता है | भेड़, बकरी तथा सुअर पशुपालकों के लिए नगदी धन के रूप में समझे जाते हैं परन्तु कभी–कभी बीमारी फैलने तथा प्राकृतिक आपदा के कारण पशुओं कि मौत हो जाती है | जिससे पशुपालकों को काफी आर्थिक नुकसानी का सामना करना पड़ता है | इसको ध्यान में रखते हुए देश में सभी पशुओं को बीमा करने के लिए पशुधन बीमा योजना चलाई जा रही है |

अलग–अलग राज्यों में पशुपालकों को पशुओं कि बीमा करने पर अनुदान भी दिया जा रहा है | यह अनुदान अलग – अलग जाती तथा पशु के आधार पर अलग – अलग रहता है | इसी क्रम में मध्य प्रदेश सरकार राज्य के पशुपालकों को पशु बीमा पर बीमा प्रीमियम में अनुदान दे रही है | जिससे पशुपालकों को कम खर्चे में अपने पशुओं का सुरक्षा कवच मिल जाता है | किसान समाधान पशु बीमा कि पूरी जानकारी लेकर आया है |

सभी श्रेणी के पशुओँ का करवा सकते हैं बीमा

मध्यप्रदेश राज्य पशुधन एवं कुक्कुट विकास निगम के प्रबंध संचालक डॉ. एच.बी.एस. भदौरिया ने बताया कि पशुधन बीमा योजना प्रदेश के सभी जिलों में लागू है | इसमें दुधारू पशुओं के साथ ही सभी श्रेणी के पशुधन का भी बीमा कराया जा सकता है | योजना में एक हितग्राही के अधिकतम 5 पशुओं का बीमा किया जाता है | भेड़, बकड़ी, सुअर, आदि 10 पशुओं कि संख्या को एक पशु इकाई माना गया है | इससे आशय है कि भेड़, बकरी एवं शुकर के पालक एक बार में अपने 50 पालतू पशुओं का बीमा करवा सकते हैं |

पशुधन बीमा योजना के प्रीमियम पर अनुदान

सरकार राज्य के पशुपालकों को पशु के बीमा करने पर बीमा प्रीमियम के रूप में अनुदान दे रही है | मध्य प्रदेश सरकार बीमा प्रीमियम पर अनुदान एपीएल श्रेणी के लिए 50 प्रतिशत तथा बीपीएल, अनुसूचित जाती, अनुसूचित जनजाति श्रेणी के पशुपालकों के लिए 70 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है बाकि शेष राशि हितग्राही देय करेगी | बीमा प्रीमियम कि अधिकतम दर एक वर्ष के लिए 3 प्रतिशत तथा तीन वर्ष के लिए 7.50 प्रतिशत देय होगी | मध्य प्रदेश में वर्तमान दरें 2.45 प्रतिशत तथा 5.95 प्रतिशत लागू है | पशुपालक अपने पशुओं का बीमा एक वर्ष तथा तीन वर्ष तक के लिए करा सकेंगें |

बीमा राशी के लिए 24 घंटे में सुचना देना अनिवार्य हैं

बीमित पशुपालकों को बीमित पशु कि मृत्यु कि सुचना 24 घंटे के भीतर बीमा कंपनी को देना होगा | पशुपालन विभाग के चिकित्सक शव  का परीक्षण करेंगे एवं उसकी रिपोर्ट में मृत्यु के कारणों का उल्लेख करेंगे | बीमा कंपनी को अधिकारी दावे संबंधी प्रपत्र एक माह के अंदर प्रस्तुत करेंगे | कंपनी 15 दिवस के अंदर दावे का निराकरण करेगी |

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किसान न्याय योजना के तहत किसानों के बैंक खातों में दी गई 1500 करोड़ रुपये की पहली किश्त

राजीव गांधी किसान न्याय योजना की पहली किश्त

कोविड-19 महामारी के चलते देश में सभी को नुकसानी का काम करना पड़ रहा है ऐसे में थोड़ी सी आर्थिक मदद भी काफी है | किसानों की आय दुगनी करने एवं उनकी आय में सुधार के लिए सरकारों के द्वारा कई योजनाओं की शुरुआत की गई हैं | इन योजनाओं में कई ऐसी योजना भी है जिनमें किसानों के बैंक खातों में राशि दी जा रही है | केंद्र सरकार की योजना किसान सम्मान निधि योजना की तर्ज पर कई राज्यों की सरकारों के द्वारा भी किसानों के बैंक खतों में सीधे पैसे देने के लिए योजना चलाई जा रही है | इन राज्यों में अब छत्तीसगढ़ राज्य का नाम भी जुड़ गया है | छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी योजना – राजीव गांधी किसान न्याय योजना का शुभारंभ किया गया |

शुभारंभ कार्यक्रम को संबोधित करते हुए लोकसभा सांसद श्री राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना संकट की स्थिति को देखते हुए मैंने प्रधानमंत्री जी से आग्रह किया था कि गरीबों को इस वक्त कर्ज की नहीं बल्कि नगद राशि की जरूरत है। इसका बढ़िया रास्ता छत्तीसगढ़ सरकार ने निकाला है। छत्तीसगढ़ देश का पहला राज्य है, जिसने किसानों को मदद पहुंचाने के लिए उनके खाते में सीधे राशि दी है। इस योजना के तहत किसानों को दी जाने वाली 5,750 करोड़ रूपए की राशि में से प्रथम किश्त के रूप में 1,500 करोड़ रूपए की राशि अंतरित कर दी गई है |

धान उत्पादक किसानों को 10 हजार एवं गन्ना उत्पादक किसानों को दिए गए 13 हजार रुपये

योजना की प्रथम किश्त की राशि 1500 करोड़ रूपये हम सीधे किसानों के खाते में अंतरित कर दी गई हैं। योजना के तहत राज्य के 19 लाख किसानों को इस वर्ष 5750 करोड़ रूपये दिए जाएंगे। इसके अंतर्गत धान की खेती के लिये किसानों को प्रति एकड़ 10 हजार रूपये तथा गन्ना की खेती के लिये प्रति एकड़ 13000 रूपये आदान सहायता दी जाएगी। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आगे कहा कि हमनें अब तक धान खरीदी, कर्जमाफी, फसल बीमा, सिंचाई कर की माफी और प्रोत्साहन राशि को मिलाकर किसानों को 40 हजार 700 करोड़ रूपये उनके खातों में सीधे अंतरित किए है।

इस योजना में राज्य सरकार ने खरीफ 2020 से इसमें धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कोटकी तथा रबी में गन्ना फसल को शामिल किया है। सरकार ने यह भी कहा है कि अनुदान लेने वाला किसान यदि गत वर्ष धान की फसल लेता है और इस साल धान के स्थान पर योजना में शामिल अन्य फसल लेता हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जायेगी।

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कृषि विभाग द्वारा फ्री में की जाएगी जर्दालू आम एवं शाही लीची की होम डिलीवरी

जर्दालू आम एवं शाही लीची की ऑनलाइन बिक्री

देश में पिछले 2 माह से लॉकडाउन लागु है जिसकी वजह से कृषि क्षेत्र पर बुरा असर पड़ा है | जहाँ शहरों में सब्जी,फल, दूध तथा अन्य कृषि उत्पाद महंगा हो रहा है तो वहीँ दूसरी तरफ गांव में यह सभी कृषि उत्पाद को खरीदने वाला को खरीदार नहीं मिल रहे है न ही किसानों को उचित दाम मिल रहे हैं | गर्मी के मौसम में आम तथा लीची दो महत्वपूर्ण फल है तथा इस वर्ष यह दोनों फलों को क्रय करने के लिए व्यापारी किसानों तक नहीं पहुंच पा रही है | बिहार की लीची विश्व प्रसिद्ध है तथा उत्पादन में 80 प्रतिशत का योगदान रखता है | पिछले वर्ष चमकी बुखार के कारण लीची की खरीदी पर रोक के कारण किसानों को काफी नुकसान हुआ था तो इस वर्ष लॉकडाउन के कारण भी यही स्थिति बनी हुई है |

इसको देखते हुए राज्य सरकार ने लीची तथा जर्दालू आम को बेचने के लिए ऑनलाइन बाजार कि शुरुआत की है | यह योजना बिहार के कुछ जिलों तक पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू की जा रही है | जिसे सफल होने पर राज्य के अन्य जिले के साथ–साथ देश के अन्य राज्यों तक विस्तार किया जायेगा | जहाँ इस योजना से लीची तथा आम के किसानों को एक बाजार मिलेगा वहीं उपभोगताओं को अच्छी गुणवक्ता तथा सही मूल्य पर आम तथा लीची को प्राप्त कर सकते हैं |किसान समाधान आम तथा लीची के आँनलाईन विक्रय तथा खरीदी कि पूर्ण जानकारी लेकर आया है |

आम तथा लीची के लिए यहं से आर्डर करें 

आम तथा लीची के लिए कोई भी उपभोगता आर्डर दे सकते हैं | इसके लिए राज्य सरकार ने तारीख निश्चित कर दी है | मुजफ्फरपुर का शाही लीची के लिए 25 मई से 15 जून तक तथा भागलपुर का जर्दालू आम के लिए 1 से 20 जून तक उधान निदेशालय के वेबसाईट से आर्डर कर सकते हैं | उपभोक्ता बिहार उधान निदेशालय के वेबसाईट http://horticulture.bihar.gov.in पर दिये गये लिंक पर आनलाइन आर्डर कर सकते हैं |

उपभोगता को 2 से 5 किलों के पैकेट में रसायन मुक्त दिया जायेगा 

उपभोगताओं को शाही लीची का शुद्ध वजन 2 किलोग्राम एवं जर्दालू आम का शुद्ध वजन 5 किलोग्राम के आकर्षक पैक में आपूर्ति की जाएगी | यह फल किसी रसायन के उपयोग के बीना अर्थात प्राकृतिक रूप से पका हुआ उपभोक्ताओं को उपलब्ध कराया जायेगा, जो बाजार कि तुलना में ज्यादा गुणवत्तापूर्ण एवं स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होगा | डाक के माध्यम से उपभोक्ताओं तक पहुंचाया जायेगा | डाक खर्च का वहन संबंधित कृषक उत्पादक संगठन द्वारा किया जायेगा | फ्री होम डिलीवरी के लिए लीची न्यूनतम 2 किलोग्राम एवं आम न्यूनतम 5 किलोग्राम का आर्डर करना अनिवार्य होगा |

इन शहरों के उपभोक्ता ही आवेदन करें

बिहार के कृषि मंत्री ने कहा कि उधान निदेशालय द्वारा जी.आई. तेग प्राप्त मुजफ्फरपुर का शाही लीची एवं भागलपुर का जर्दालू आम आम ऑनलाइन बिक्री भारतीय डाक विभाग के मध्य से मुजफ्फरपुर, भागलपुर एवं पटना के शहरी क्षेत्र के उपभोगताओं के घर तक पहुँचाने के व्यवस्था कि गई हैं | मुजफ्फरपुर का शाही लीची का ऑनलाइन क्रय मुजफ्फरपुर एवं पटना के शहरी क्षेत्र के उपभोगताओं के द्वारा ही किया की जा सकेगी | इसी प्रकार भागलपुर के जर्दालू आम का ऑनलाइन क्रय भागलपुर तथा पटना के शहरी क्षेत्र के उपभोगताओं के द्वारा ही किया जा सकेगा |

आम तथा शाही लीची का भुगतान कैश ऑन डिलीवरी

कृषि मंत्री ने बताया कि घर पर इन फलों के पहुंचने के उपरांत ही उपभोगता द्वारा राशी का भुगतान पी.ओ,एस. मशीन अथवा कैश के रूप में अर्थात कैश आँन डिलीवरी किया जायेगा | मुजफ्फरपुर, भागलपुर एवं पटना के चिन्हित पिन कोड वाले क्षेत्र के उपभोक्ता इन फलों का आँणलाईन क्रय कर सकेंगे |

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किसानों को दिए जाएंगे 5000 नए ट्यूबवेल कनेक्शन

5000 नए ट्यूबवेल कनेक्शन

खरीफ फसल की बुवाई शुरू हो गई है इसको लेकर किसानों तथा सरकार के तरफ से सिंचाई कि समुचित व्यवस्था किया जा रही है | खरीफ मौसम कि फसल ख़ासकर के धान की खेती के लिए पानी कि अतिआवश्यकता होती है | जिसको लेकर प्राकृतिक सिंचाई के साथ ही बोरबेल से सिंचाई या नलकूप सिंचाई या नहरों कि जरूरत होती है |

हरियाणा देश के धान उत्पादन राज्यों में अग्रिम स्थान रखता है | इसको लेकर हरियाणा के बिजली मंत्री श्री रणजीत सिंह ने प्रदेश में 5,000 नये ट्यूबेल कनेक्शन लगाने कि घोषणा की है | यह सभी ट्यूबेल इस वित्त वर्ष में लगाये जायेंगे | राज्य में बड़े पैमाने पर ट्यूबेल लगवाने से खरीफ फसल कि बुवाई का रकबा बढने के साथ ही उत्पादन भी बढ़ेगा | दरसल राज्य में नये ट्यूबवेल लगाने के लिए किसानों के द्वारा पिछले वर्ष से ही आवेदन किया हुआ था | जिसको लेकर किसानों के द्वारा नये कनेक्शन लगाये जाने कि मांग किए जा रहे था | फरवरी माह तक 8,200 किसान पहले ही नये ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए फीस जमा कर दिया था |  किसान समाधान हरियाणा में ट्यूबेल लगाने कि पूरी जानकारी लेकर आया है |

कब तक ट्यूबवेल कनेक्शन लगा दिया जायेगा ?

हरियाणा के बिजली मंत्री तथा जेल मंत्री श्री रणजीत सिंह ने कहा कि गर्मी के मौसम में बिजली कि समुचित व्यवस्था की जाएगी, साथ ही प्रदेश में 5,000 नये ट्यूबवेल लगाये जायेंगे | उन्होंने कहा की 9,039 किसानों ने अपने एस्टीमेट के पैसे जमा करवा रखे हैं | इनमें से फाइव स्टार मोर्ट्स के साथ लगभग 1,063 ट्यूबेल कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं | शेष लगभग 4,000 एसे ट्यूबवेल कनेक्शन आगामी 15 जून तक जारी कर दिए जाएंगे | इसके बाद फाइव स्टार कि मोर्ट्स उपलब्ध होने पर नये ट्यूबवेल कनेक्शन लगाये जायेंगे |

क्या है किसानों को ट्यूबवेल देने का मामला

दरअसल हरियाणा सरकार ने नये ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए किसानों से आवेदन मांगे थे | जिसको लेकर हजारों किसानों ने पिछले वर्ष ही नये कनेक्शन के लिए आवेदन के साथ ही फीस जमा कर दी थी | बिजली निगम के अनुसार हरियाणा में 82 हजार किसानों ने नये ट्यूबवेल कनेक्शन के लिए आवेदन दिया है | इनमे से 8,200 किसान पहले ही फीस जमा करवा चुके हैं | हरियाणा के बीजली मंत्री रणजीत सिंह के आदेश पर बिजली निगमों ने फरवरी में करीब 3,600 किसानों को नये कनेक्शन जारी करने का वायदा किया था तथा अप्रैल 2020 में 6,200 बिजली कनेक्शन देने का लक्ष्य तय किया गया था | किसानों के इन्हीं आवेदनों के बाद तथा मांगों के बाद हरियाणा सरकार ने मुख्यमंत्री के अध्यक्षता में 5,000 नये ट्यूबवेल कनेक्शन लगाने का निर्णय लिया है |

बिजली कि किसी भी शिकायत के लिए इस नंबर पर फोन करें

कोरोना वायरस के कारण कुछ स्थानों पर रीडिंग नहीं ली जा रही है | जिसके कारण औसत आधार पर बिल भेजा जा रहा है | किसी किसान या अन्य समुदाय को बिजली के बील तथा अन्य शिकायत के लिए 1912 पर फोन कर सकते हैं | इसके बाद आप कि समस्या का सुधार किया जायेगा

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टिड्डी दल का बढ़ता प्रकोप, सरकार ने जारी किये दिशा निर्देश, ड्रोन से किया जाएगा कीटनाशकों का छिडकाव

टिड्डी दल से बचाव के लिए उपाय

देश में टिड्डी कीट का प्रकोप राजस्थान, हरियाणा, पंजाब के बाद अपना क्षेत्र बढ़ाते जा रहा है  | दिन प्रतिदिन यह यह दायरा बढ़कर अन्य राज्यों में पहुँच रहा है | अभी खरीफ फसल कि बुवाई शुरू भी नहीं हुई है लेकिन टिड्डी का आतंक इससे लगाया जा सकता है कि कई राज्यों में बाबुल  एवं अन्य पेड़ों को चंद मिनटों में खत्म कर दे रही है | पिछले कुछ दिनों राजस्थान से से लगते हुए मध्य प्रदेश के नीमच, मंदसौर रतलाम तथा उज्जैन जिलों में तेजी फैल रहा है |

राजस्थान, मध्यप्रदेश एवं केंद्र  सरकार ने टिड्डी से बचाव तथा इसकी रोकथाम के लिए समुचित व्यवस्था कर रही है | मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने टिड्डी दल से होने वाले नुकसान को देखते हुए उक्त जिलों के किसानों को सलाह दी गयी है कि वे अपने स्तर पर समूह बनाकर खेतों में रात के समय निगरानी करे | शाम 7 से 9 बजे के बीच टिड्डी दल रात्री विश्राम के लिए कहीं भी बैठ सकता है, जिसकी पहचान एवं जानकारी के लिए स्थानीय स्तर पर दल का गठन कर सतत निगरानी रख कर किया जा सकता है |

टिड्डी कीट के प्रकोप से बचाने के लिए सरकार ने जारी किये दिशा निर्देश

पारंपरिक उपाय

जिन स्थानों ओअर भी टिड्डी दल का प्रकोप देखा जाये तत्काल स्थानीय प्रशासन ओर कृषि विभाग से संपर्क कर जानकारी दें | किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह के पारंपरिक उपाय जैसे शोर मचाकर, अधिक ध्वनी वाले यंत्रों को बजकर या पौधों कि दलों से अपने खेत से टिड्डी दलों को भगा सकते हैं |

टिड्डी कीट को रोकने के रासायनिक उपाय

किसी क्षेत्र में शाम को टिड्डी दल का प्रकोप हेतु रासायनिक कीटनाशक दवायें अनुशंसित की गई हैं | किसान इन कीटनाशकों का उपयोग सुबह 3 बजे से 6 बजे तक तुरंत अनुशंसित कीटनाशी दवाएं का प्रकोप करें |

  • क्लोरपायरिफास 20 ई.सी. 1200 मिली
  • डेल्टामेथरिन8 ई.सी. 600 मिली
  • लेम्डासाईहेलोथ्रिन 5 ई.सी. 400 मिली

डाईफ्लूबिनज्युरान 25 डब्ल्यू.टी. 240 ग्राम प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर ट्रैक्टर चलित स्प्रे – पंप (पाँवर स्प्रेयर) द्वारा छिडकाव करें | टिड्डी दल के आक्रमण के समय यदि कीटनाशक दवा उपलब्ध ण हो तो ट्रैक्टर चलित पावर–स्प्रे के द्वारा तेज बौछार से भी दल को भगाया जा सकता है |

राजस्थान में किसानों को कीटनाशक पर शत प्रतिशत अनुदान

इस वर्ष पहली बार 11 अप्रेल को राज्य में टिड्डी दलों का प्रवेश हुआ था और अब तक जैसलमेर, बाड़मेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, नागौर, अजमेर, पाली, बीकानेर, सिरोही एवं भीलवाड़ा जिलों में लगभग 37 हजार हैक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी का प्रभाव रहा है। यहां प्रभावी ढंग से नियंत्रण कर भविष्य के लिए राज्य सरकार की ओर से योजनाबद्ध ढंग से प्रभावी प्रयास किए जा रहे हैं। टिड्डियों के नियंत्रण एवं सर्वेक्षण के लिए 70 बोलेरो, 45 बोलेरो केम्पर यूटिलिटी वाहन, 600 ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर मय ट्रेक्टर एवं 3 हजार 200 ट्रेक्टर मय पानी के टैंकरों के उपयोग की स्वीकृति जारी की जा चुकी है। वाहनों का किराये पर संचालन के लिए 5 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। किसानों को शत प्रतिशत अनुदान पर पौध संरक्षण रसायन उपलब्ध कराने के लिए 10 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।

ड्रोन से भी होगा कीटनाशक छिड़काव

पिछले वर्ष  राजस्थान के 12 जिले टिड्डी से प्रभावित हुए थे, वहां के लिए काफी पहले ही कंटीनजेंसी प्लान तैयार कर लिया है। इस साल नए जिले जुड़ने की आशंका के कारण शेष जिले भी जिला कलक्टर से कंटीनजेंसी प्लान स्वीकृत कराकर मुख्यालय भिजवाएं। उन्होंने सोयाबीन बीज का उचित प्रबंध करने के निर्देश दिए। टिड्डी नियंत्रण के लिए जहां गाड़ियां पहुंचने में मुश्किल होती है वहां ड्रोन से कीटनाशक छिड़काव किया जाएगा। इसके लिए टेंडर प्रक्रिया शीघ्र पूरी कर ली जाएगी। 

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राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को चार किश्तों में दिए जाएंगे 5700 करोड़ रूपए

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किश्त

देश में किसानों की आय फसल उतपादन एवं उसके विक्रय पर मिलने वाले भाव पर ही निर्भर करती है | किसानों को फसलों के उचित दाम न मिलने के कारण उनकी आय में वृधि नहीं हो पर रही रही है, आय में कमी के चलते किसान आत्महत्या तक करने को मजबूर है, वहीँ खेती से पलायन लगतार बढ़ा है | ऐसे में कुछ राज्य सरकारें किसानों को फसलों को उचित दाम मिल सके इसके लिए उन्हें बोनस प्रदान करती है | छत्तीसगढ़ सरकार प्रदेश में फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करने और किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाने के लिए राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू करने का जा रही है। इस योजना के तहत प्रदेश के 19 लाख किसानों को 5700 करोड़ रूपए की राशि चार किश्तों में सीधे उनके खातों में हस्तांतरित की जाएगी।

21 मई को 19 लाख किसानों को दी जाएगी पहली किश्त

पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी के शहादत दिवस 21 मई के दिन छत्तीसगढ़ सरकार किसानों के लिए न्याय योजना शुरू कर रही है। किसानों को दी जाने वाली 5700 करोड़ रूपए की राशि में से प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि के कृषकों के खातों में ऑनलाईन अंतरण की जाएगी। छत्तीसगढ़ देश में पहला ऐसा राज्य है जो किसानों को सीधे तौर पर बैंक खातों में राशि ट्रांसफर कर 5700 करोड़ रूपए की राहत प्रदान कर रहा है। इस योजना के तहत प्रदेश के 19 लाख किसानों को 5700 करोड़ रूपए की राशि चार किश्तों में सीधे उनके खातों में अंतरित की जाएगी। इस योजना का उद्देश्य फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करना और किसानों को उनकी उपज का सही दाम दिलाना है।

योजना का लाभ किन किसानों को मिलेगा

धान की खेती करने वाले किसानों को मिलेगा लाभ

केंद्र सरकार के तरफ से द्वारा समर्थन मूल्य पहले ही घोषित किये जा चूका था जो क्रमशः 1835 ए ग्रेड धान के लिए एवं 1815 सामान्य धान के लिए था | छत्तीसगढ़ राज्य धान उत्पादन में अग्रिम राज्य है , यहाँ की बड़ी आबादी धान की खेती करती है | इसके कारण राज्य सरकार ने धान की खरीदी 2500 रूपये प्रति क्विंटल से की गई थी | किसानों को बोनस देने के लिए 685 रुपये ए ग्रेड धान के लिए एवं 665 रुपये सामान्य धान के लिए देने की घोषणा की गई थी | यह बोनस राशि किसानों को इस योजना के माध्यम से सीधे किसानों के बैंक खातों में दी जाएगी | धान फसल के लिए 18 लाख 34 हजार 834 किसानो को प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि प्रदान की जाएगी। 

छत्तीसगढ़ सरकार इस योजना के जरिए किसानों को खेती किसानी के लिए प्रोत्साहित करने के लिए खरीफ 2019 से धान तथा मक्का लगाने वाले किसानों को सहकारी समिति के माध्यम से उपार्जित मात्रा के आधार पर अधिकतम 10 हजार रूपए प्रति एकड़ की दर से अनुपातिक रूप से आदान सहायता राशि दी जाएगी। इस योजना में धान फसल के लिए 18 लाख 34 हजार 834 किसानो को प्रथम किश्त के रूप में 1500 करोड़ रूपए की राशि प्रदान की जाएगी। योजना से प्रदेश के 9 लाख 53 हजार 706 सीमांत कृषक, 5 लाख 60 हजार 284 लघु कृषक और 3 लाख 20 हजार 844 बड़े किसान लाभान्वित होंगें।

गन्ना किसानों को भी दिया जायेगा बोनस

गन्ना फसल के लिए पेराई वर्ष 2019-20 में सहकारी कारखाना द्वारा क्रय किए गए गन्ना की मात्रा के आधार पर एफआरपी राशि 261 रूपए प्रति क्विंटल और प्रोत्साहन एवं आदान सहायता राशि 93.75 रूपए प्रति क्विंटल अर्थात अधिकतम 355 रूपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा। इसके तहत प्रदेश के 34 हजार 637 किसानों को 73 करोड़ 55 लाख रूपए चार किश्तों में मिलेगा। जिसमें प्रथम किश्त 18.43 करोड़ रूपए की राशि 21 मई को अंतरित की जाएगी।

सरकार द्वारा इसके साथ ही वर्ष 2018-19 में सहकारी शक्कर कारखानों के माध्यम से खरीदे गए गन्ना की मात्रा के आधार पर 50 रूपए प्रति क्विंटल की दर से प्रोत्साहन राशि (बकाया बोनस) भी प्रदान करने जा रही है। इसके तहत प्रदेश के 24 हजार 414 किसानों को 10 करोड़ 27 लाख रूपए राशि दी जाएगी। राज्य सरकार ने इस योजना के तहत खरीफ 2019 में सहकारी समिति, लैम्पस के माध्यम से उपार्जित मक्का फसल के किसानों को भी लाभ देने का निर्णय लिया है। मक्का फसल के आकड़े लिए जा रहे हैं, जिसके आधार पर आगामी किश्त में उनको भुगतान किया जाएगा।

इस योजना में राज्य सरकार ने खरीफ 2020 से इसमें धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कोटकी तथा रबी में गन्ना फसल को शामिल किया है। सरकार ने यह भी कहा है कि अनुदान लेने वाला किसान यदि गत वर्ष धान की फसल लेता है और इस साल धान के स्थान पर योजना में शामिल अन्य फसल लेता हैं तो ऐसी स्थिति में उन्हें प्रति एकड़ अतिरिक्त सहायता दी जायेगी।

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सुपर चक्रवाती तूफान अम्फान के चलते आंधी एवं भारी बारिश को लेकर मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट

अम्फान को लेकर मौसम विभाग की चेतावनी

सुपर चक्रवाती तूफान ‘अम्‍फान’ तेजी से देश की और बढ़ रहा है | भारतीय मौसम विभाग के द्वारा दी गई ताजा जानकारी के अनुसार ‘अम्‍फान’ पश्चिम-मध्य बंगाल की खाड़ी से पिछले 6 घंटे के दौरान 15 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से उत्तर-उत्तर पूर्व की ओर बढ़ रहा है | इसके 20 मई, 2020 की दोपहर/शाम के दौरान अधिकतम 155-165 से लेकर 185 किलोमीटर प्रति घंटे की लगातार वायु वेग के साथ उत्तर-पश्चिम बंगाल की खाड़ी के उत्तर- उत्तर पूर्व दिशा की और पश्चिम बंगाल- बांग्लादेश के तटीय इलाकों में सुंदरवन के पास दीघा (पश्चिम बंगाल) एवं हटिया प्रायद्वीप (बांग्लादेश) के पास पहुंचने की संभावना है।

भारी बारिश की चेतावनी

ओडिशा

आज सुबह से ही ओडिशा के तटीय इलाकों में बारिश शुरु हो चुकी है। बारिश की तीव्रता के धीरे-धीरे लगातार बढ़ने की संभावना है और यह 19 मई की रात और 20 मई के दोपहर तक अधिकतम हो सकती है।

19 मई, 2020 को ओडिशा के जगतसिंह पुर, केंद्रपाड़ा और भद्रक जिलों में भारी से बहुत भारी और जाजपुर, बालासोर, कटक, मयूरभंज, खोरधा एवं पूरी जिले में भारी बारिश सहित तटीय ओडिशा की अधिकांश जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है, जबकि 20 मई 2020 को उत्तरी तटीय ओडिशा (जगतसिंह पुर, भद्रक एवं क्योंझरगढ़ जिले) में भारी से बहुत भारी बारिश हो सकती है।

पश्चिम बंगाल

पश्चिम बंगाल में गंगा से लगे तटीय जिलों (पूर्व मेदिनीपुर, दक्षिण एवं उत्तरी 24 परगना) में आज 19 मई, 2020 की दोपहर से कई जगहों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। बारिश की तीव्रता धीरे-धीरे बढ़ सकती है और 20 मई को यह अधिकतम हो सकती है। पश्चिम बंगाल के अधिकांश हिस्सों में 20 मई को भारी से बहुत भारी बारिश और पश्चिम बंगाल के गंगा क्षेत्रों (पूर्व एवं पश्चिमी मेदिनीपुर, दक्षिण एवं उत्तर 24 परगना, हावड़ा, हुगली, कोलकाता और इससे सटे जिलों) में अत्यधिक भारी बारिश हो सकती है। 21 मई, 2020 को आंतरिक जिलों में जगह-जगह भारी बारिश होने की संभावना है।

उप-हिमालयी पश्चिमी बंगाल एवं सिक्किम:

20 मई, 2020 को मालदा एवं दिनाजपुर जिलों की कुछ जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश के साथ अधिकांश जगहों और 21 मई, 2020 को उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल एवं सिक्किम के अधिकांश जिलों में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।

असम एवं मेघालय

21 मई को असम के पश्चिमी जिलों एवं मेघालय में कुछ जगहों पर भारी से बहुत भारी बारिश के साथ हल्की एवं मध्यम बारिश हो सकती है।

तेज हवा आंधी की चेतावनी

  • दक्षिण ओडिशा के तटीय इलाकों में अभी हवा का झोंका 45-55 से लेकर 65 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल रहा है। इसके और तेज होने और आज दोपहर तक इसके उत्तर की ओर बढ़ते हुए उत्तरी ओडिशा के तटीय क्षेत्रों की ओर 55-65 से लेकर 75 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ने और आज रात तक इसके पश्चिम बंगाल के तटीय इलाकों तक भी पहुंचने का अनुमान है।
  • हवा की गति धीरे-धीरे बढ़ेगी और 20 मई की सुबह उत्तरी ओडिशा (जगतसिंह पुर, केंद्रपाड़ा, भद्रक, बालासोर एवं मयूरभंज जिलों) के तटीय इलाकों में और पश्चिम बंगाल (पूर्व एवं पश्चिम मेदिनीपुर, दक्षिण एवं उत्तर 24 परगना, हावड़ा, हुगली, कोलकाता जिलों) के तटीय इलाकों में 75 से 85 किलोमीटर प्रति घंटे की आंधी के साथ 95 किलोमीटर प्रति घंटे के तेज झोंके की रफ्तार पकड़ लेगी। इसके बाद हवा की गति धीरे-धीरे और तेज होगी और उत्तरी ओडिशा के ऊपर वर्णित जिलों में 100-110 से लेकर 125 किलोमीटर प्रति घंटे की गति से चलेगी।
  • तूफानी हवा भूस्खलन के दौरान (20 मई की दोपहर से रात तक) पश्चिम बंगाल के पूर्व मेदिनीपुर और उत्तर एवं दक्षिण 24 परगना जिलों में 155-165 से लेकर 185 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेगी और कोलकाता, हुगली, हावड़ा एवं पश्चिम मेदिनीपुर जिले में यह 110-120 से लेकर 130 किलोमीटर प्रति घंटे के वेग से चलेगी।
  • 20 मई, 2020 के दौरान ओडिशा के पुरी, खोरधा, कटक, जाजपुर जिलों में तूफानी हवा के 55-65 से लेकर 75 किलोमीटर प्रति घंटा के झोंके से चलने की संभावना है।

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राज्य के सभी जिलों में अनुदान पर की जाएगी खरीफ फसलों के बीजों की होम डिलेवरी

खरीफ फसलों के बीजों की अनुदान पर होम डिलेवरी

खरीफ मौसम 2020 के लिए इस माह से किसान अपना काम शुरू कर देंगे | पिछले वर्ष की तरह ही इस वर्ष भी भारतीय मौसम विभाग ने देश में अच्छी बारिश होने की उम्मीद जताई है | जिसके देखते हुए देश में खरीफ मौसम का पैदावार अच्छी होने की उम्मीद है | खरीफ मौसम कि खेती के लिए सबसे ज्यादा जरूरत उन्नत किस्मों के प्रमाणित बीज तथा उर्वरक कि होती है | देश में लॉक डाउन रहने के कारण किसानों कि आवाजाही तथा माल कि ढुलाई पर असर पड़ा है ऐसे में किसानों के लिए बीज तथा उर्वरक कि उपलब्धता राज्य तथा केंद्र सरकार द्वारा की गई तैयारी पर पढ़ती है |

बिहार सरकार ने राज्य में होने वाले विभिन्न प्रकार की खेती के लिए बीज तथा उर्वरक कि उपलब्धता का दावा कर रही है | अच्छी वर्षा होने कि उम्मीद से खरीफ फसल का रकबा बढने कि उम्मीद है | इस वर्ष के खरीफ मौसम से राज्य सरकार राज्य के किसानों को सभी फसलों के बीज होम डिलवरी करवा रही है | इसके लिए बीज के आवेदन में किसान को होम डिलवरी का आप्शन को भरना होगा | किसानों को बीज घर पर पहुँचाने के लिए प्रति किलो 5 रुपये का शुल्क लगेगा | किसान समाधान बिहार में किसानों के लिए उपलब्ध बीज तथा उर्वरक कि जानकारी लेकर आया है |

इस वर्ष राज्य में खरीफ फसलों की बुआई का लक्ष्य

भारतीय मौसम विभाग के अनुसार देश में सामान्य से अधिक वर्षा रहने कि उम्मीद है इसको देखते हुए बिहार में खरीफ फसल कि बुआई बढने कि भी उम्मीद जताई जा रही है | राज्य में 33 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान, 4.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का, 1.10 लाख हेक्टेयर में दलहनी फसल एवं 50 हजार क्षेत्र में मोटे अनाजों कि खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है | इस प्रकार बिहार में 39.10 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में कुल खाधान्नों कि खेती करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है |

इसके अतरिक्त राज्य में 50 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में तेलाहनी  फसलों, 1.37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में जुट की खेती तथा 5 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में मेस्ता कि खेती कि जायेगी | इस तरह बिहार में खरीफ, वर्ष 2020 में तेलाहनी फसलों को मिलाकर कुल 41.02 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों कि खेती कि जायेगी |

बीजों पर दिया जाने वाला अनुदान

वर्ष 2020–21 के लिए खरीफ बीज का आवेदन चल रहे हैं  | कोई भी इच्छुक किसान अपनी इच्छा के अनुसार बीज ले हेतु ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | सभी प्रकार के बीजों पर किसानों को 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जा रही है | 

खरीफ 2020

फसल का नाम
योजना
अनुमानित मूल्य (रू0 /कि0 ग्राम
10 वर्ष से कम के प्रभेद (अनुमान्य अनुदान )
10 वर्ष से अधिक के प्रभेद (अनुमान्य अनुदान)

धान

RKVY N.F.S.M 2020

36

मूल्य का 50%

15.00 रु0 प्रति कि.ग्राम

संकर धान

RKVY N.F.S.M 2020

280.00 – 325.00

100.00 रु0 प्रति कि.ग्राम

100.00 रु0 प्रति कि.ग्राम

अरहर

RKVY N.F.S.M 2020

110.00

मूल्य का 50%

25.00 रु0 प्रति कि.ग्राम

संकर मक्का

RKVY N.F.S.M 2020

122.00

मूल्य का 50%

उरद

RKVY N.F.S.M 2020

113.00

मूल्य का 50%

महुआ

RKVY N.F.S.M 2020

60.00

मूल्य का 50%

जूट

RKVY N.F.S.M 2020

70.00

मूल्य का 50%

मूँगफली

RKVY N.F.S.M 2020

90.00

40.00 रु0 प्रति कि.ग्राम

सोयाबीन

RKVY N.F.S.M 2020

70.00

40.00 रु0 प्रति कि.ग्राम

तिल

RKVY N.F.S.M 2020

120.00

80.00 रु0 प्रति कि.ग्राम

बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध

अच्छे उत्पादन को देखते हुए राज्य में खेती का रकबा बढ़ रहा है जिससे बीज कि मांग उत्त्पन्न होना स्वाभविक है | खरीफ कि खेती के लिए राज्य सरकार ने बिहार के किसानों के लिए मांग से ज्यादा रखे हुए हैं | बिहार के कृषि मंत्री के अनुसार सभी फसलों की मांग तथा उपलब्धता इस प्रकार है |

  • धान :- राज्य में खरीफ मौसम में धान कि खेती के लिए 4,89,600 क्विंटल बीज कि जरूरत है, जिसके विरुद्ध 4,95,925 क्विंटल बीज उपलब्ध है |
  • अरहर :- खरीफ मौसम के लिए अरहर कि 1,404 क्विंटल बीज कि जरूरत है , जिसके विरुद्ध राज्य सरकार के पास 6,096 क्विंटल अरहर के बीज उपलब्ध है |
  • उड़द :- खरीफ मौसम के लिए उड़द कि 3,960 क्विंटल बीज कि जरूरत होगी , जिसके विरुद्ध राज्य सरकार के पास 12,521 क्विंटल बीज उपलब्ध है |
  • सोयाबीन :- खरीफ मौसम के लिए राज्य के किसानों को सोयाबीन कि 3960 क्विंटल बीज की जरूरत होगी , जिसके विरुद्ध 8,269 क्विंटल बीज बिहार सरकार के पास उपलब्ध है |
  • मूंगफली :- राज्य के किसानों को खरीफ मौसम के लिए 396 क्विंटल मूंगफली बीज की जरूरत पड़ेगी , जिसके विरुद्ध राज्य सरकार के पास 2,233 क्विंटल मूंगफली बीज उपलब्ध है |
  • जूट :- राज्य के किसानों को 3,072 क्विंटल जुट के बीज की जरूरत होगी , जिसके विरुद्ध में बिहार सरकार के पास राज्य के किसानों के लिए 1,873 क्विंटल जूट के बीज उपलब्ध है |

अनुदानित दरों पर बीज की होम डिलीवरी हेतु आवेदन करें

इस वर्ष से किसानों को खरीफ फसल का बीज होम डीलीवरी किया जाएगा , जिससे किसान घर बैठे बीज को मंगा सकता है | इसके लिए 5 रूपये प्रति किलो शुल्क अदा करना होगा | जो किसान होम डिलवरी नहीं चाहता है वह दूकान से खरीद सकता है उन्हें भी सब्सिडी बराबर दिया जाएगा | इसके लिए किसानों  को https://dbtagriculture.bihar.gov.in/ पर पंजिकारण करना होगा |

खरीफ फसलों के बीजों की अनुदान पर होम डिलेवरी हेतु आवेदन करें

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