धान के अधिक उत्पादन के लिए इस तरह करें बीज शोधन

धान हेतु बीज शोधन

मानसूनी बारिश सही समय पर आने की सम्भावना को देखते हुए किसानों खरीफ फसलों की बुआई की तैयारी शुरू कर दी है  | खरीफ फसलों में सबसे महत्वपूर्ण हैं धान की खेती | देश के अधिकांश किसानों ने धान की नर्सरी डालने का काम शुरू भी कर दिया गया है | अगेती धान की नर्सरी डाली जा चुकी है तो वहीँ मध्य अवधि तथा पिछेती धान कि खेती के लिए नर्सरी देने का काम जोरों पर चल रहा है | धान कि खेती से पहले इस बात को जानना जरुरी है कि धान कि फसल में लगने वाले रोगों को कैसे रोका जा सकता है | कुछ रोग तथा कीटों को धान कि बुवाई के समय ही यदि बीजों का शोधन किया जाए तो आगे लगने वाले कीट रोगों से बचाया जाता है | जिससे धान की फसल की लागत कम की जा सकती है तथा अधिक उत्पादन से आय में भी वृद्धि की जा सकती है | किसान समाधान धान की नर्सरी तैयार करने से पहले विभिन्न रोग से बचाव के लिए विभिन्न प्रकार के रसायनिक विधि द्वारा रोकथाम करने की जानकारी लेकर आया है |

धान बीज शोधन के लिए महत्वपूर्ण बातें

  • खेत में बुआई अथवा रोपाई पूर्व पुष्ट बीज का चयन आवश्यक है ।
  • इस कार्य के लिये सबसे पहले बीज को नमक के घोल में डालें । दस लीटर पानी में 1.7 किलो सामान्य नमक डालकर घोल बनाएं और इस घोल में बीज डालकर हिलाएं, भारी एवं स्वस्थ बीज नीचे बैठ जाएंगे और हल्के बीज ऊपर तैरने लगेंगे । हल्के बीज निकालकर अलग कर दें तथा नीचे बैठे भारी बीजों को निकालकर साफ पानी में दो-तीन बार धोएं व छाया में सुखाए ।
  • कवकनाशी दवाओं से बीज का उपचार करने से बीजों के माध्यम से फैलने वाले कवकजनित रोग फैलने की आशंका नहीं रहती है । इसके लिए बीजों को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें । बीज उपचार के लिये बीज उपचार यंत्र (सीड ट्रीटिंग ड्रम) में बीज आधा भर लेते हैं तथा बीज की मात्रा के अनुसार आवश्यक कवकनाशी डालकर घुमा कर 5 मिनट बाद बीज की बुआई की जा सकती है ।
  • प्रमाणित किस्म के बीज का उपयोग करने पर नमक के घोल में डुबोने की आवश्यकता नहीं होती है ।

झुलसा एवं सडन रोग से बचाव के लिए बीज शोधन

धान की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग लगते हैं इसमें से सडन तथा झुलसा रोग महत्वपूर्ण है | इस रोग से कभी–कभी 50 प्रतिशत तक फसल का नुकसान हो जाता है | इस रोग से बचाव के लिए धान की नर्सरी तैयार करने से पहले ही बीजोपचार करें | इससे बीजों का अंकुरण अच्छा होता है एवं फसलें फफूंदी जनित रोगों से मुक्त रहती है |

भूमि शोधन के लिए 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ट्राईकोडर्मा को लगभग 75 किलोग्राम गोबर कि सड़ी खाद में मिलाकर हल्के पानी का छींटा देकर 7–8 दिन के लिए छायादार स्थान पर रखें एवं बुवाई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला दें | बीजशोधन के लिए 04 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा प्रति किलोग्राम बीज की दर से शुष्क बीजोपचार कर बुवाई करना चाहिए | इसी प्रकार ब्युवेरिया जैव कीटनाशी विभिन्न फसलों में लगने वाले फ्लाई वेधक, पत्ती लपेटक, पत्ता भक्षक, चूसने वाले कीटों और भूमि में दीमक व सफेद गिडार आदि की रोकथाम के लिए लाभकारी है | इसका उपयोग ट्राईकोडर्मा के समान होता है |

बैक्टरियल ब्लाईटरोग से प्रभावित क्षेत्र के लिए बीज शोधन

बैक्टरिया ब्लाईट रोग से प्रभावित क्षेत्र में 25 किलोग्राम बीज के लिए 04 किलोग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन या 40 ग्राम प्लाटोमाइसिन पानी में मिलाकर रात भर बीज को भिगोकर, दुसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी में डालना चाहिए | इसके अतिरिक्त 25 किलोग्राम बीज को रात भर पानी में भिगोकर बाद में दुसरे दिन अतिरिक्त पानी निकालकर 75 ग्राम थीरम या 50 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 8 – 10 ली. पानी में घोलकर बीज में मिला दें फिर छाया में अंकुरित कर नर्सरी में डालें | नर्सरी लगने के 10 दिन के भीतर ट्राईकोडर्मा का एक छिडकाव कर दें | यदि नर्सरी में कीटों का प्रभाव दिखाई दे तो 1.25 ली. क्यनालफास 25 ईसी या 1.5 ली. क्लोरपायरिफास 20 ईसी प्रति हेक्टेयर में छिडकाव करें |

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अनुदान पर औषधीय फसलों की खेती करने के लिए आवेदन करें

सब्सिडी पर औषधीय फसलों की खेती

किसानों की आय को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अब औषधीय फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है  | आयुष पद्धति को बढ़ावा देने के लिए औषधीय पौधों का बढ़ावा देना जरुरी है | अभी हाल में भारत सरकार के द्वारा हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत के तहत नई योजना की घोषणा की है | वहीँ पहले से चली आ रही योजनाओं के बजट को बढाया गया है |  मध्यप्रदेश राज्य सरकार के उद्यानिकी विभाग के द्वारा किसानों से औषधीय एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना एवं नश्वर उत्पादों की भण्डारण क्षमता में वृद्धि की विशेष योजना के तहत किसानों से आमंत्रित किये गए हैं |

औषधीय एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना क्या है

मध्य प्रदेश में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए औषधीय एवं सुगन्धित फसल क्षेत्र विस्तार योजना के अंतर्गत किसानों को अनुदान देती है | योजना के तहत कृषक को स्वेच्छा से क्षेत्र के अनुकूल औषधीय एवं सुगंधित फसल के क्षेत्र विस्तार हेतु फसलवार 20 से 50 प्रतिशत तक का अनुदान देय है | प्रत्येक कृषक को योजनान्तर्गत 0.25 हेक्टेयर से 2 हेक्टेयर तक लाभ देने का प्रस्ताव है |

किसान इन औषधीय फसलों के तहत कर सकते हैं आवेदन

योजना
घटक
जिला
वर्ग
  

औषधीय एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना

अश्वगंधा, तुलसी, स्टीविया

श्योपुर   

सभी वर्ग 

  

सतावर 

  

समान्य

  
  

कालमेघ, तुलसी, स्टीविया

शिवपुरी

सभी वर्ग

  
  

गुग्गल

मुरैना 

समान्य

  

स्टीविया

अनूपपुर 

सभी वर्ग

  

किसान आवेदन कब कर सकते हैं ?

औषधीय एवं सुगन्धित फसल क्षेत्र विस्तार योजना के लिए राज्य के किसानों के लिए 15/06/2020 से दोपहर 11:00 बजे से आवेदन शुरू किया जायेगा | आवेदन लक्ष्य पूरा होने तक जारी रहेगा तथा लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक तक आवेदन को लिया जायेगा |

योजना का नियम और शर्तें :-

  • यह सभी वर्गों के लिए हैं | कृषि को आधार नंबर सहित ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य है |
  • कृषक के पास कम से कम 2 हेक्टेयर भूमि होगी |
  • योजना का क्रियान्वयन कृषक निजी भूमि में किया जायेगा |
  • हितग्राही के पास सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध होना चाहिए |
  • वनाधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त आदिवासियों को भी अनुदान की पात्रता होगी |

औषधीय पौधों पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ से करें ?

योजना के तहत उधानिकी एवं खाध प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत: किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी एवं मध्य प्रदेश पर देखे सकते हैं  अथवा जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें| मध्य प्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए आनलाईन पंजीयन उधानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं |

सब्सिडी पर कृषि यंत्र खरीदने के लिए किसान आज से कर सकेगें आवेदन

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

ट्रैक्टर एवं अन्य सभी प्रकार के कृषि यंत्र सब्सिडी

कोरोना वायरस के चलते लागू हुए लॉक डाउन के कारण नया वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने के बाबजूद भी अभी तक कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के लिए नहीं खोला गया था | अब जैसे-जैसे लॉक डाउन में छूट दी जा रही है वैसे ही धीरे-धीरे किसानों के लिए चल रही योजनओं का लाभ किसानों को देने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत राज्य सरकारों के द्वारा आवेदन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है | हाल ही में मध्यप्रदेश के उद्यानिकी विभाग के द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत आवेदन मांगे गए थे इसके बाद अब कृषि यंत्र अभियांत्रिकी संचनालय के द्वारा भी विभिन्न कृषि यंत्रों को अनुदान पर देने के लिए पोर्टल खोल दिया गया है |

किसान इन कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए कर सकेगें आवेदन

  • रोटावेटर,
  • सीड ड्रिल ,
  • पावर वीडर,
  • लेजर लेण्ड लेवलर,
  • पावर टिलर -8 बी.एच.पी से अधिक,
  • क्लीनर-कम-ग्रेडर/मिनी दाल मिल,
  • पॉवर स्प्रेयर / बूम स्प्रेयर (ट्रेक्टर चलित),
  • सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल/जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल,
  • रेज्ड बेड प्लान्टर/रिज फर्रो प्लान्टर/ मॉल्टीक्रॉप प्लान्टर/रेज्ड बेड प्लांटर विथ इन्कलाइंड प्लेट एंड शेपर

कृषि यंत्र अनुदान के लिए किसान कब कर सकेगें आवेदन

वह किसान जो ऊपर दिए गए कृषि यंत्रों पर सब्सिडी चाहते हैं वह इच्छुक किसान  दिनांक 13 जून 2020 दोपहर 12 बजे से 22 जून 2020 तक पोर्टल पर ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं | जैसा की पिछले वर्ष से कृषि यंत्र अनुदान के नियमों में परिवर्तन किया गया है इसके तहत अब किसान दी गई तारीखों के बीच में कभी भी आवेदन कर सकते हैं | पहले आओ पहले पाओ के नियम में परिवर्तन किया गया है जिससे अब जो भी किसान आवेदन करेंगे उन सभी किसानों में से लक्ष्यों के अनुसार लोटरी द्वारा चयन किया जायेगा |

आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक सत्यापन की जगह ओ.टी.पी (OTP) से होगा पंजीकरण

इस वर्ष Covid -19 महामारी जनित परिस्थितियों के कारण पोर्टल पर अनुदान हेतु प्रक्रिया में परिवर्तन किया जा रहा है जिसके अंतर्गत आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक प्रक्रिया के स्थान पर कृषकों के मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किये जायेगें । कृषक कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकेंगे।  आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी  (OTP) प्राप्त होगा।  इस OTP के  माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे।  पोर्टल अंतर्गत आगे सम्पादित होने वाली सभी प्रक्रियाओं में भी बायोमेट्रिक के स्थान पर OTP व्यवस्था लागू होगी।

आवेदन के लिए शर्तें

  • ट्रेक्टर से चलने वाले सभी प्रकार के कृषि यंत्र किसी भी श्रेणी के कृषक क्रय कर सकते है किन्तु ट्रेक्टर की आर.सी स्वयं के माता – पिता ,भाई -बहन अथवा पत्नी के नाम पर होना आवश्यक है |
  • डीलर का चयन सावधानी पूर्वक करे। चयनित डीलर का परिवर्तन केवल एक बार ही किया जा सकेगा।

कृषि यंत्र सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें ?

मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं | इस वर्ष उँगलियों के निशान देने के नियम में परिवर्तन किया गया है अतः किसान पोर्टल पर कहीं से भी आवेदन कर सकतें हैं | किसान https://dbt.mpdage.org/ पर जाकर आवेदन करें |

कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने हेतु आवेदन के लिए क्लिक करें

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देश में अब हींग और केसर की पैदावार को दिया जाएगा बढ़ावा

हिंग और केसर उत्पदान

केसर और हींग दुनिया के सबसे मूल्यवान मसालों में गिने जाते हैं। भारतीय व्यंजनों में सदियों से हींग और केसर का व्यापक रूप से उपयोग किया होता रहा है। इसके बावजूद देश में इन दोनों ही कीमती मसालों का उत्पादन सीमित है। भारत में,केसर की वार्षिक माँग करीब 100 टन है, लेकिन हमारे देश में इसका औसत उत्पादन लगभग 6-7 टन ही होता है। इस कारण हर साल बड़ी मात्रा में केसर का आयात करना पड़ता है। इसी तरह,भारत में हींग उत्पादन भी नहीं है और हर साल 600 करोड़ रुपये मूल्य की लगभग 1200 मीट्रिक टन कच्ची हींग अफगानिस्तान, ईरान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से आयात करनी पड़ती है।

कृषि विभाग के अधिकारियों एवं किसानों को किया जाएगा प्रशिक्षित

केसर और हींग का उत्पादन बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (सीएसआईआर-आईएचबीटी) ने परस्पर रूप सेरणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश के कृषि विभागके साथ हाथ मिलाया है इस पहल के तहत भावी किसानों और कृषि विभाग के अधिकारियों को क्षमता निर्माण, नवाचारों के हस्तांतरण, कौशल विकास और अन्य विस्तार गतिविधियों का लाभ मिल सकता है।

सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ संजय कुमार ने कहा है कि इन फसलों की पैदावार बढ़ती है तो इनके आयात पर निर्भरता कम हो सकती है। सीएसआईआर-आईएचबीटी किसानों को इसके बारे में तकनीकी जानकारी मुहैया कराने के साथ-साथ राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों एवं किसानों को प्रशिक्षित भी करेगा। राज्य में केसर और हींग के क्रमशः घनकंद और बीज उत्पादन केंद्र भी खोले जाएंगे। डॉ. कुमार ने कहा है कि परियोजना के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए तकनीकी सहायता के अलावा केसर उत्पादन क्षेत्रों की निगरानी और किसानों के लिए अन्य क्षेत्रों के दौरे भी आयोजित किए जाएंगे। अगले पांच वर्षों में राज्य में कुल 750 एकड़ भूमि इन फसलों के अंतर्गत आने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है

भारत में केसर एवं हिंग की खेती

जम्मू और कश्मीर में करीब 2,825 हेक्टरेयर क्षेत्र में केसर की खेती होती है। सीएसआईआर-आईएचबीटी ने केसर उत्पादन की तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के गैर-परंपरागत केसर उत्पादक क्षेत्रों में किया जा रहा है। संस्थान में रोग-मुक्त घनकंद के उत्पादन के लिए टिश्यू कल्चर प्रोटोकॉल भी विकसित किए गए हैं।

हींग एक बारहमासी पौधा है और यह रोपण के पांच साल बाद जड़ों से ओलियो-गम राल का उत्पादन करता है। इसे ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र की अनुपयोगी ढलान वाली भूमि में उगाया जा सकता है। इस पहल के शुरू होने बाद इन दोनों फसलों की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए अत्याधुनिक टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना की जाएगी।

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फार्म पौण्ड, ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग आदि पर अनुदान के लिए आवेदन करें

फार्म पौण्ड, ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग आवेदन

कोविड – 19 के कारण देश भर में 24 मार्च से चल रहा लॉक डाउन लगभग समाप्त हो गया है , जिसके कारण कृषि से जुड़े ज्यादा तर योजना के लिए आवेदन रुके हुए थे | लॉक डाउन  के पांचवें चरण में कुछ छूट दिए जाने के बाद अब धीरे-धीरे योजनाओं के लिए आवेदन शुरू किये जा रहे हैं  | इसी क्रम में मध्य प्रदेश सरकार के उधानिकी विभाग ने कई योजनाओं के लिए एक साथ आवेदन मांगे हैं | इस के तहत बागवानी करने वाले किसानों एवं जो किसान आधुनिक तरह से खेती करना चाहते हैं उनके लिए विभिन्न उद्यानिकी योजनाओं के तहत आवेदन मांगे गए हैं | इन अलग-अलग योजनाओं के तहत अलग-अलग जिलों के किसान लक्ष्य के अनुसार आवेदन कर सकते हैं | किसान समाधान इन सभी योजनाओं कि पूरी जानकारी लेकर आया है |किसान इन योजनाओं के तहत आवेदन कर सकते हैं |

क्लस्टर आधारित संरक्षित खेती के लिए

क्लस्टर आधारित संरक्षित खेती के लिए मध्य प्रदेश के चयनित जिलों के किसान 4 उप योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं | सभी योजनाओं के लिए जिला तथा किसानों का वर्ग संरक्षित किया गया है | यह सभी योजना इस प्रकार है :-

शेड नेट हॉउस – ट्यूबलर स्ट्रक्चर

इस योजना के लिए मध्य प्रदेश के भोपाल, सीहोर, खण्डवा, शाजापुर, बैतूल, छिंदवाडा तथा देवास जिले के किसान आवेदन अभी आवेदन कर सकते हैं |  

इन वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- भोपाल, सीहोर, खंडवा, शाजापुर तथा बैतूल जिले के सामान्य वर्ग के किसान आवेदन करेंगे | छिंदवाडा जिले के अनुसूचित जाती तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं | इसके साथ ही देवास जिले के सभी वर्ग के किसान आवेदन करेंगे |

ग्रीन हॉउस (ट्यूबलर स्ट्रक्चर) 2080 से 4000 वर्ग मीटर तक :-

इस योजना के अंतर्गत छिंदवाडा जिले के सभी वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं |

उच्च कोटि की सब्जियों की खेती – पाँली हॉउस / शेडनेट हॉउस :- इस योजना के लिए मध्य प्रदेश के छिंदवाडा तथा अलीराजपुर जिले के किसान ही आवेदन के लिए अधिकृत है |

इन वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- छिंदवाडा जिले के सामान्य वर्ग के किसान तथा अलीराजपुर जिले के अनुसूचित जनजाति के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

प्लास्टिक मल्चिंग :-

इस योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के छिंदवाडा, शहडोल, सीधी, खंडवा, खरगौन, बालाघाट, आगर – मालवा, दमोह, छतरपुर, होशंगाबाद , सिवनी , शिवपुरी, भोपाल जिले के किसान आवेदन कर सकते हैं |

इन वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- योजना के अनुसार छिंदवाडा, शहडोल, सीधी, खंडवा, खरगौन, बालाघाट, आगर – मालवा, दमोह, छतरपुर, होशंगाबाद , सिवनी जिले के सभी वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं तथा शिवपुरी और भोपाल के लिए अनुसूचित जाती के किसान ही आवेदन करेंगे |

आवेदन कब से शुरू है ?

ऊपर दिये गये योजनाओं के लिए 09/06/2020 से दिन को 11 बजे से आवेदन शुरू हो गया है | इसके लिए इच्छुक वर्गित चयनित किसान लक्ष्य पूरा होने तक आवेदन कर सकते हैं |

प्रमोशन ऑफ़ प्लग टाइप सीडलिंग प्रोडक्शन एट फार्मर्स फिल्ड

इस योजना के लिए मध्य प्रदेश के 9 जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं | यह योजना 9 जिलों के अलग – अलग वर्ग के किसानों के द्वारा आवेदन किया जा सकता है |

इन वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- धार, रतलाम, छिंदवाडा जिलों के  सभी वर्गों के किसान आवेदन कर सकते हैं |

  • झाबुआ, बडवानी जिले के सामान्य अनुसूचित जनजाति के किसानों के द्वारा आवेदन कर सकते हैं |
  • मंदसौर जिले के सामान्य किसानों के द्वारा आवेदन कर सकते हैं |
  • शाजापुर, देवास, दमोह जिले के सामान्य तथा अनुसूचित जाती के किसानों के द्वारा आवेदन किया जा सकता है |

वेदन कब करना है ?

ऊपर के इस योजना के लिए आवेदन आज 10/06/2020 के दोपहर 11:00 बजे से शुरू हो गया है तथा यह लक्ष्य पूरा होने तक आवेदन किया जा सकता है |

प्लास्टिक क्रेट्स पर कृषकों को सहायता

इस योजना के तहत किसान को प्लास्टिक क्रेट्स दिया जायेगा | इस योजना के लिए सिंगरौली तथा सिवनी जिले के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

इस वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- ऊपर के योजना के लिए सिंगरौली तथा सिवनी जिले के सामान्य तथा अनुसूचित जनजाति के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन कब करना है :- ऊपर की योजना के लिए आज 10/06/2020 को दोपहर 11:00 बजे से आवेदन शुरू हो गया है | यह आवेदन लक्ष्य तक जारी रहेगा |

पुष्प क्षेत्र विस्तार :-

इस योजना के अन्तरगत खुले फुल – छोटे एवं मझोले किसान के बीच पुष्प को बढ़ावा दिया जा रहा है | इस योजना के लिए दतिया  जिला के इच्छुक  किसान आवेदन  कर सकते हैं |

इस वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- ऊपर दिये गये योजना के लिए दतिया जिला के सभी वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन कब करना है ?

पुष्प क्षेत्र विस्तार योजना के लिए आवेदन आज 10/06/2020 से दिन 11:00 बजे से आवेदन शुरू हो गया है | यह आवेदन लक्ष्य पूरा होने तक रहेगा |

उच्च तकनीक से पान की खेती

इस योजना के अंतर्गत पान की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा | इस योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के पन्ना, कटनी, दमोह तथा सागर जिले इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

इस वर्ग के किसान आवेदन करें :- पान की खेती के लिए नीमच जिले के सामान्य वर्ग के किसान तथा पन्ना, कटनी, दमोह तथा सागर जिले के सामान्य तथा अनुसूचित जाती के किसान आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन कब करना है  ?

पान की खेती के लिए 09/06/2020 से 11:00 बजे से इच्छुक किसानों के लिए आवेदन शुरू है  | आवेदन  लक्ष्य पूरा होने तक जारी रहेगा |

प्लास्टिक लाईनिंग ऑफ़ फार्म पौण्ड

इस योजना के अंतर्गत किसनों को प्लास्टिक लाईनिंग के लिए प्लास्टिक उपलब्ध कराया जायेगा | योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के भोपाल. आगर – मालवा , शाजापुर, राजगढ़, सीहोर, देवास, रतलाम, नीमच, मंदसौर जिले के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

इस वर्ग के किसान आवेदन करें :- ऊपर की योजना के लिए भोपाल, आगर – मालवा तथा शाजापुर जिले के सामान्य वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं | इसके अलवा राजगढ़, सीहोर, देवास, रतलाम, नीमच तथा मंदसौर जिले के सबी वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन कब करना है ?

प्लास्टिक लाईनिंग आँफफार्म पौण्ड के लिए आज 10/06/2020 से सुबह 11:00 बजे से इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं | आवेदन लक्ष्य पूरा होने तक रहेगा |

सब्सिडी के लिए यहाँ करें आवेदन

किसान आवेदन उधानिकी एवं खाध प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत: किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी एवं मध्य प्रदेश पर देखे सकते हैं  अथवा जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें| मध्य प्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए आनलाईन पंजीयन उधानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं | किसान कीओसको पर जाकर अथवा mponline पर जाकर पंजीयन करें जहाँ ekyc (उँगलियों के निशान) सत्यापन कर सकें |

फार्म पौण्ड, ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग आवेदन

पॉली हाउस खेती की पूरी जानकारी (भाग -2)| पॉलीहाउस सब्सिडी | पॉलीहाउस लोन | PolyHouse Farming & Cost

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प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के आवेदन में गलती है या आवेदन लंबित है तो यह काम करें

पीएम किसान सम्मान निधि योजना में त्रुटिपूर्ण डाटा/ लंबित डाटा सुधार

देश में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना को लागू हुए एक वर्ष से भी अधिक बीत जाने के बाबजूद भी अभी तक सभी किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है इसका मुख्य कारण है की या तो किसानों के आवेदन में गलतियाँ हैं या उनका आवेदन अभी तक जिले से अप्रूव नहीं हुआ है | जिले से अप्रूव नहीं होने का मुख्य कारण किसानों के द्वारा सही दस्तावेजों को जमा न करना या आधार कार्ड का सत्यापन न होना है | कोरोना वायरस के कारण देश भर में लागू हुए लॉक डाउन के चलते भी किसान अपने दस्तावेजों में सुधार या सत्यापन नहीं करवा पाए थे, ऐसे किसानों को सम्मान निधि योजना का लाभ दिलवाने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा पुनः प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है | इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य के कई जिलों में शिविरों का आयोजन किया जा रहा है |

छुटे हुए कृषकों के लिए किया गया शिविर का आयोजन

किसान सम्मान निधि के छुटे हुए लाभार्थियो किसानों के लिए पंचायत स्टार पर शिविर का भी आयोजन सोशल डिस्टेंस के साथ किया जा रहा है और आगामी दिनों में छुटे हुये किसानों को योजना से जोड़ने का लक्ष्य जल्द पूरा किया जायेगा | शिविर में किसानों को ऋण पुस्तिका, आधार कार्ड, खसरा बी-1 की कॉपी बैंक पास बुक, और मोबाइल नंबर जमा करना है | इसके साथ ही हल्का पटवारी द्वारा ऑनलाइन करने की प्रक्रिया जारी है | अतः किसान आवेदन अपने क्षेत्र के पटवारी के पास भी जमा कर सकते हैं | 

किसान सम्मान निधि योजना अंतर्गत किसानों के त्रुटिपूर्ण/ लंबित डाटा सुधार

किसान अपने द्वारा किये गए आवेदन की ताजा स्थिति ऑनलाइन पोर्टल https://pmkisan.gov.in/ पर देख सकते हैं या टोल फ्री नम्बर 155261 / 1800115526 (Toll Free), 0120-6025109 पर कॉल कर जानकारी ले सकते हैं | यदि पंजीकृत किसानों के रिकार्ड त्रुटिपूर्ण/लंबित होने के कारण सहायता राशि का लाभ नही मिल पा रही है। ऐसे किसान आधार कार्ड, बैंक पास बुक की छायाप्रति मोबाईल नं. सहित अपने विकासखण्ड/तहसील के सहायक नोडल अधिकारी (कृषि विभाग)/तहसीलदार (राजस्व विभाग) या जिले में नोडल अधिकारी उप संचालक कृषि, जिला कार्यालय में भी जमा कर सकते हैं |

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-KISAN)  योजना के तहत अपवर्जित श्रेणी के किसानों को छोड़कर शेष समस्त भू-स्वामी कृषक परिवार को राशि रू. 2000/- की दर से तीन किस्तों में 6000/- रूपये का भुगतान किये जाने का प्रावधान है।

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16 लाख से अधिक किसानों को दिया गया ब्याज मुक्त फसली ऋण

किसानों को फसली ऋण वितरण योजना

खरीफ मौसम की बुवाई का समय शुरू हो गया है इसके साथ ही किसानों ने बीज के साथ उर्वरक खरीदने की प्रक्रिया शुरू कर दी है | खरीफ मौसम के लिए जुताई के साथ उर्वरक ओर बीज पर ज्यादा खर्च किसानों का होता है | इसके लिए किसान बैंक तथा साहूकारों से कर्ज लेते हैं | बैंक से कर्ज किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से या राज्य सरकार की योजना के माध्यम से लेते हैं  | किसान क्रेडिट कार्ड पर 9 प्रतिशत के ब्याज पर रहता है, जिसपर केंद्र सरकार इसमें 2 प्रतिशत की सब्सिडी देती है तथा एक वर्ष में लौटने पर ब्याज में 3 प्रतिशत कि अतिरिक्त सब्सिडी देती है | किसानों को कर्ज से बचाने के लिए कई राज्य खरीफ तथा रबी सीजन में फसली ऋण देती है जो ब्याज मुक्त रहता है | यह फसली ऋण फसल के आधार पर दिया जाता है जो किसान क्रेडिट कार्ड की तरह रहता है लेकिन ब्याज मुक्त रहता है |

राजस्थान सरकार राज्य में वर्ष 2020–21 सीजन में 10 हजार करोड़ रूपये तक का फसली ऋण दे रही है | सहकारिता मंत्री श्री उदय लाल आंजना ने बताया कि राज्य के 16 लाख 36 हजार 396 ग्राम सेवा सहकारी समिति के सदस्य किसानों को 5,287 करोड़ रूपये का सहकारी खरीफ फसली ऋण का वितरण किया जा चूका है यह ब्याज मुक्त अल्पकालीन फसली ऋण वर्ष 2020–21 में 25 लाख किसानों को वितरण करने का लक्ष्य है |

10 हजार करोड़ रूपये की फसली ऋण ऋण देने का लक्ष्य

श्री आंजना ने बताया कि 16 अप्रैल से प्रारंभ हुए खरीफ सीजन के फसली ऋण में 31 अगस्त तक 10 हजार करोड़ रूपये किसानों को वितरित किए जाने का लक्ष्य है | जबकि रबी सीजन में 1 सितम्बर से 31 मार्च 2021 तक 6 हजार करोड़ रूपये का फसली ऋण वितरित किया जाएगा | वर्ष 2020–21 में 3 लाख के लक्ष्य के विरुद्ध 2 लाख 34 हजार 189 नये किसानों को भी फसली ऋण से जोड़ा जा चूका है , जिसमें से खरीफ सीजन में अब तक 86 हजार 558 किसानों को ऋण का वितरण हो चूका है |

इन जिले के किसानों को अब तक दिया गया कुल ऋण  

सहकारी विभाग के प्रमुख सचिव नरेश गंगवार ने बताया कि 8 जून तक फसली ऋण देने का विवरण दिया है |

  • जयपुर जिले में 1 लाख 51 हजार 431 किसानों को 475 करोड़ रूपये
  • बाड़मेर जिले में 1 लाख 28 हजार 548किसानों को 415करोड़ रूपये
  • भीलवाडा जिले में 88 हजार 294 किसानों को 275 करोड़ रूपये
  • जोधपुर जिले में 69 हजार 632किसानों को 268 करोड़ रूपये
  • श्री गंगानगर जिले में 72 हजार 999 किसानों को 255 करोड़ रूपये
  • चितौड जिले में 78 हजार 40 किसानों को 251 करोड़ रूपये का फसली ऋण वितरित किया जा चूका है |

न जिलों सबसे ज्यादा फसली ऋण दिया जा चूका है

अपेक्स बैंक श्री परशुराम मीणा ने बताया कि जयपुर , टोंक एवं बाड़मेर जिलों में निर्धारित लक्ष्य के विरुद्ध 75 प्रतिशत से अधिक फसली ऋण का वितरण हो चूका है | इसी प्रकार सवाई माधोपुर, बीकानेर एवं बूंदी जिलों में 60 प्रतिशत से अधिक तथा भीलवाडा, अजमेर, झुंझुन व जोधपुर जिलों में 57 प्रतिशत से अधिक फसली ऋण का वितरण हुआ है | उन्होंने बताया कि भरतपुर , जैसलमेर, जालोर एवं बारां जिलों में ऋण वितरण कि धीमी गति पर संबंधित प्रबंध निदेशकों को शीघ्रता लाने के निर्देश दिए गए है |

ब्याज मुक्त फसली ऋण योजना

राजस्थान सरकार द्वारा के किसानों को दिये जाने वाला फसली ऋण ब्याज मुक्त है | इसमें किसी भी प्रकार  का ब्याज नहीं लिया जाता है  परन्तु समय पर नहीं चुकाने पर किसानों से 14 प्रतिशत तक का ब्याज लिया जायेगा | किसानों को साख सीमा के अनुसार ही ऋण का वितरण किया जाता है | किसान यहाँ लोन ई मित्र के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन के जरिया या सहकारी समिति के माध्यम से ले सकते हैं | 

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इन जिलों के 71 हजार से अधिक किसानों को दिया जायेगा बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि का मुआवजा

बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि का मुआवजा

पिछले वर्ष अधिक बारिश से जहाँ बाढ़ से किसानों की खरीफ फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था वहीँ उसके बाद रबी मौसम में लगातार असमय आंधी, बारिश एवं ओलावृष्टि के चलते किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा था | रबी फसलों को हुए इस नुकसान में बीमित किसान एवं अबिमित किसान जिनका फसल बीमा नहीं है सभी का हुआ था | अभी तक किसानों को असमय हुई बारिश एवं ओलावृष्टि का मुआवजा नहीं दिया गया है | अब राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को फसल नुकसानी का मुआवजा दिया जाने लगा है | राजस्थान सरकार ने ओलावृष्टि से हुए नुकसान कि भरपाई कर दी है | इसके लिए राज्य सरकार ने डीबीटी के माध्यम से किसानों के बैंक खातों में राशि ट्रांसफर कर रही है | ओलावृष्टि से सबसे ज्यादा नुकसान राजस्थान के बीकानेर तथा भरतपुर जिला के कुछ तहसीलों के किसानों को हुआ है |

अभी इन जिलों के किसानों को दिया गया मुआवजा

राजस्थान राज्य में फरवरी महीने के अन्तिम सप्ताह एवं मार्च के पहले सप्ताह में हुई ओलावृष्टि एवं बारिश से सबसे ज्यादा प्रभावित भरतपुर जिले की 06 तहसीलों के लिए मुआवजा राशि जारी कर दी गई है | यह तहसील इस प्रकार है :- भरतपुर, कुम्हेर, नदबई, डिग, नगर और रूपवास | इसके अलवा बीकानेर जिले के एक तहसील खाजूवाला के कृषकों को भी ओलावृष्टि का लाभ दिया गया है  |

71,661 किसानों को दिया जायेगा मुआवजा

ओलावृष्टि से प्रभावित भरतपुर तथा बीकानेर जिले के कुल 7 तहसीलों के किसानों को मुवाब्जा दिया गया है | भरतपुर के 71,661 कृषकों तथा बीकानेर के 150 किसान को सहायता राशि दी जा रही है | भरतपुर जिले के लिए 67.49 करोड़ रूपये एवं बीकानेर जिले के 150 किसानों के लिए 36.39 लाख रुपये जारी किये गए हैं | बीकानेर तथा भरतपुर जिले के 7 तहसीलों के किसानों को मुवाब्जा राशि डीबीटी माध्यम से प्रभावित पात्र कृषकों के बैंक खातों में हस्तानान्तरण कर दी गई है |

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3 लाख रुपये तक का कृषि लोन जमा करने की आखरि डेट को आगे बढाया गया

कृषि ऋण जमा करने की लास्ट डेट

कोविड–19 के कारण देश भर में लॉक डाउन चल रहा है जिससे देश में सभी प्रकार की आर्थिक गतिविधियों  पर बुरा असर पड़ा है | इसी अवधि में रबी फसल कि खरीदी किया जाना था परन्तु लॉक डाउन के कारण रबी फसल कि खरीदी देर से शुरू हो पाई है | लॉकडाउन की वजह से लोगों की आवाजाही पर कई तरह की पाबंदिया लगाई गई थीं जिसकी वजह से किसान क्रेडिट कार्ड पर या अन्य योजना के तहत लिए गए अल्‍पकालिक फसली ऋण चुकाने के लिए कई किसान बैंक तक नहीं जा पा रहे हैं। इसके अतिरिक्त समय पर उत्पादों की बिक्री नहीं हो पाने, ​बिक्री के भुगतान की रसीद नहीं मिल पाने तथा सामाजिक दूरी के नियमों का कड़ाई से पालन किए जाने की वजह से किसानों के लिए बैंक में जमा की जाने वाली ऋण की रकम जुटाने में दिक्कत आ रही है।

क्या है कृषि ऋण भुगतान की लास्ट डेट

प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने कृषि और उससे संबंधित गतिविधियों के लिए बैंक से तीन लाख रूपये तक की अल्पकालीन ऋणों को चुकाए जाने की समय सीमा बढ़ाने को मंजूरी दे दी है | यह रियायत 1 मार्च 2020 से 31 अगस्त 2020 के बीच चुकाए जाने वाले ऋणों के लिए दी गई है | यह ऋण अब 31 अगस्त 2020 तक चुकाए जा सकते हैं | कर्ज चुकाने की समय अवधि बढ़ाएं जाने के बावजूद इन ऋणों पर बैंकों को मिलने वाली 2 प्रतिशत कि ब्याज छुट तथा किसानों को समय रहते ऋण चुकाने पर मिलने वाली तीन प्रतिशत की छुट सुविधा यथावत जारी रहेगी |

कृषि ऋण का क्या है नियम ?

सरकार बैंकों के माध्यम से किसानों को अल्पकालीन कृषि ऋण उपलब्ध कराती है | इन ऋणों पर बैंकों को 2 प्रतिशत की ब्याज छूट दी जाती है | समय रहते ऋण चुकाने पर किसानों को 3 प्रतिशत की अतिरिक्त छुट मिलती है | इस प्रकार से किसानों को तिन लाख तक का कर्ज समय रहते चुकाने पर सलाना चार प्रतिशत कि ब्याज दर पर ऋण कि सुविधा मिलती है |

नए कृषि लोन पर स्थिति साफ़ नहीं है

किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड kcc के माध्यम से 3 लाख का लोन 9 प्रतिशत के ब्याज पर दिया जाता है जिस पर 2 प्रतिशत कि ब्याज छुट दी जाती है तथा समय रहते चुकाने पर 3 प्रतिशत कि अतिरिक्त छुट मिलती है | यहाँ पर यह ध्यान रखना होगा कि किसानों को लोन तब ही दिया जाता है जब पुराना लोन चूका दिया जाता है | अगर किसानों के द्वारा पुराना लोन नहीं चुकाया जाता है तो उस किसान को नया लोन नहीं दिया जाता है | केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष कि कृषि लोन चुकाने का समय सीमा बढ़ाकर 31 अगस्त कर दिया है, लेकिन इस वर्ष के खरीफ मौसम के लिए किसानों को नया लोन दिया जायेगा या नहीं इसके बारे में नहीं बताया गया है | जिस किसान पर पहले से लोन बकाया है तथा उसे नया लोन प्राप्त नहीं होता है तो इस स्थिति में खरीफ मौसम पर बुरा असर पड़ेगा |

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ग्रीष्मकालीन (जायद) मूंग एवं उड़द समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीयन करें

जायद मूंग एवं उड़द बिक्री हेतु पंजीकरण

प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार के द्वारा देश के 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य तय किया जाता है जो पुरे देश के लिए एक समान रहता है | यह सभी फसल खरीफ ओर रबी मौसम कि फसल रहती है | जिसमें दलहन, तिलहन , धान गेहूं के साथ ही कपास ओर नारियल का मूल्य तय किया जाता है | यह सभी फसल रबी या खरीफ मौसम में उत्पादन होती है परन्तु  कुछ दलहनी फसल जैसे उड़द, मूंग है जो खरीफ के साथ–साथ ग्रीष्मकाल (जायद) में भी उत्पादन किया जाता है | इस मौसम में उत्पादित फसल के लिए केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार के द्वारा सरकारी खरीदी नहीं किया जाता है | जिससे किसान बाजार मूल्य पर बेचते हैं , जिससे किसान को न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम मूल्य प्राप्त होता है |

मध्य प्रदेश ने राज्य के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ग्रीष्मकालीन मूंग तथा उड़द की खरीदी करने का फैसला लिया है | राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है तथा ग्रीष्मकालीन मूंग तथा उड़द खरीदने के लिए आग्रह किया गया है |राज्य सरकार ने राज्य के किसानों से ग्रीष्मकालीन मूंग   उड़द खरीदी के लिए पंजीयन कराने को कहा गया है |

ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द के लिए किसान कब करवा सकेगें पंजीकरण

मध्यप्रदेश में राज्य के किसानों के लिए ग्रीष्मकालीन उड़द तथा मूंग के लिए पंजीयन शुरू हो चूका है | किसान समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए सोसाइटी के माध्यम से अथवा ई-उपार्जन पोर्टल से पंजीयन करवा सकते हैं | पंजीयन ऑनलाइन 15 जून तक करवा सकेगें | किसान एम.पी.किसान एप, ई-उपार्जन मोबाईल एप और ई–उपार्जन केन्द्रों पर कर सकते हैं   | राज्य सरकार प्रदेश के सभी जिलों से ग्रीष्मकालीन उड़द तथा मूंग खरीदी करने जा रही है | इसके लिए किसान को पंजीयन करना जरुरी है | मध्यप्रदेश में मूंग के कूल उत्पादन का 25 प्रतिशत यानी 1.44 लाख मीट्रिक टन और उड़द में 10 हजार मीट्रिक टन उपार्जन का लक्ष्य है |

पंजीयन के लिए आवश्यक निर्देश:

किसान अपना पंजीयन आधार नंबर एवं समग्र आई डी के आधार पर कर सकते है| पंजीयन के लिए आधार अथवा समग्र आई डी का होना अनिवार्य है | यदि किसान के पास आधार नम्बर और समग्र आई डी दोनों उपलब्ध नहीं है, तो कृपया नजदीकी ग्राम पंचायत से संपर्क करें| किसान अपनी परिवार समग्र आई डी से सदस्य समग्र आई डी खोज सकते है| बैंक खाता क्रमांक पासबुक मे से देख कर सही प्रविष्ट करें| यदि आधार नंबर लोड नहीं हो रहा हो तो समग्र आई-डी से अपना पंजीयन करें| पंजीयन के पश्चात् पावती प्रिंट करें तथा खरीदी के समय पावती ले जाना अनिवार्य है| किसान पंजीयन के लिए मोबाइल नंबर होना अनिवार्य है|

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