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किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई यंत्रों पर मिलेगा 75 प्रतिशत का अनुदान, ऐसे करें आवेदन

किसानों को सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही पानी की बचत और फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा सूक्ष्म सिंचाई पद्धत्तियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को ड्रिप सिस्टम, स्प्रिंकलर सेट आदि पर भारी अनुदान भी दिया जाता है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में सिंचाई दक्षता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से राजस्थान सूक्ष्म सिंचाई मिशन पर “पर ड्राप मोर क्रॉप” योजनांतर्गत सूक्ष्म सिंचाई कार्यक्रम शुरू किया है। बता दें कि ड्रिप संयंत्र स्थापना से 70 से 80 प्रतिशत तथा स्प्रिंकलर संयंत्र की स्थापना से 50 से 55 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है।

इस सम्बंध में उद्यान विभाग बीकानेर के सह निदेशक मुकेश गहलोत ने जानकारी देते हुए बताया कि ड्रिप क्लोज में 229.60 लाख, ड्रिप वाइड में 23.20 लाख, मिनी फव्वारा में 484.81 लाख व फव्वारा सिंचाई तकनीक हेतु 1384.05 लाख रुपए कार्य-योजना अनुसार स्वीकृत हुई हैं। उद्यान विभाग द्वारा किसानों को 2121.66 लाख रुपए अनुदान का लाभ स्वीकृत कार्य-योजना अनुसार दिया जाना है। स्वीकृत कार्य-योजना के अनुसार किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए गए हैं।

किसानों को मिलेगा 75 प्रतिशत का अनुदान

सहायक निदेशक ने जानकारी देते हुए बताया कि सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र ड्रिप, मिनी स्प्रिंकलर तथा स्प्रिंकलर संयंत्र स्थापना पर लघु सीमांत कृषक, एससी, एसटी, महिला कृषकों को इकाई लागत का 75 प्रतिशत व अन्य सामान्य कृषकों को इकाई लागत का 70 प्रतिशत तक अनुदान देय होगा। सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र स्थापना पर न्यूनतम 0.2 हेक्टेयर व अधिकतम 5 हेक्टेयर तक प्रति लाभार्थी अनुदान दिए जाने का प्रावधान है।

किसान इस तरह करें आवेदन

योजना का लाभ लेने के लिए इच्छुक किसान जन आधार के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन राज किसान साथी पोर्टल पर कर सकते हैं। आवेदन के साथ भूमि की नवीनतम जमाबंदी, राजस्व रिकॉर्ड की प्रतिलिपि, बिजली बिल या जल करार प्रपत्र, मृदा एवं जल परीक्षण रिपोर्ट तथा पंजीकृत डीलर से प्राप्त संयंत्र का प्रोफॉर्मा इन्वॉयस इत्यादि के साथ पत्रावली ऑनलाइन जमा करवा सकते हैं। जिससे इसी वित्तीय वर्ष में योजना का लाभ ले सकें। विस्तृत जानकारी हेतु किसान राज किसान सुविधा ऐप डाउनलोड करें या सम्बन्धित कृषि पर्यवेक्षक-सहायक कृषि अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं।

धान की डीएसआर विधि से बुआई करने पर मिलते हैं कई लाभ, कृषि मंत्री ने किसानों से किया आग्रह

फसलों का उत्पादन बढ़ाने के साथ ही खेती की लागत कम करने और पानी की बचत के लिए सरकार द्वारा खेती की नई तकनीकों को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने प्रदेश के किसानों से धान की सीधी बुआई (Direct Seeding of Rice & DSR) को अपनाने का आह्वान किया है। उन्होंने कहा कि यह तकनीक कम लागत, कम पानी की खपत और पर्यावरण संरक्षण की दृष्टि से अत्यंत लाभकारी है। धान की सीधी बुआई से ना केवल किसानों का श्रम व समय बचता है, बल्कि यह विधि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना करने में भी सहायक सिद्ध होती है।

कृषि मंत्री ने कहा कि पारंपरिक धान की रोपाई की तुलना में डीएसआर तकनीक से किसानों को 7 से 10 दिन पहले फसल प्राप्त हो जाती है, जिससे अगली फसल की समय से तैयारी करना संभव हो पाता है। उन्होंने बताया कि धान की सीधी बुआई से मिथेन जैसी हानिकारक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कमी आती है, जो पर्यावरण के लिए लाभकारी है।

इन तरीकों से की जाती है डीएसआर विधि से बुआई

डीएसआर विधि से बुआई के बारे में जानकारी देते हुए कृषि मंत्री ने कहा कि धान की सीधी बुआई की दो विधियां हैं। एक तो सूखे खेत में बुआई और दूसरी तर-वतर नमी में बुआई। सिंचित क्षेत्रों में तर-वतर विधि अधिक कारगर है, जिसमें बुआई से पहले पलेवा कर खेत को अच्छी तरह से तैयार किया जाता है। इस विधि में बुआई के बाद पहली सिंचाईं 15 से 21 दिन बाद करनी होती है, जिससे पानी की काफी बचत होती है और खरपतवार भी नियंत्रित रहते हैं।

कृषि मंत्री ने कहा कि वर्षा आधारित क्षेत्रों में भी सूखे खेत में मशीन से सीधे बुआई की जा सकती है, परंतु इन क्षेत्रों में फसल के महत्वपूर्ण अवस्थाओं, जैसे पुष्पक्रम प्रारंभ और दाना भरने के समय पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। चिकनी मिट्टी में सतही दरारें सिंचाई की आवश्यकता का संकेत होती है। धान की सीधी बुआई के लिए खेत का भू-समतलीकरण बेहद आवश्यक है। लेजर लैंड लेवलर का प्रयोग करके समतल करना चाहिए ताकि पानी की बचत और अच्छी पैदावार सुनिश्चित की जा सके।

किसान कब करें धान की बुआई

कृषि मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि धान की सीधी बुआई का उपयुक्त समय 20 मई से 30 जून तक है। जिसमें मानसून आगमन से पहले की अवधि सबसे बेहतर है। उन्होंने किसानों को प्रमाणित व उपचारित बीजों का प्रयोग करने की सलाह दी। बुआई के समय उर्वरक प्रबंधन, खरपतवार नियंत्रण और पौध पोषण के लिए वैज्ञानिक अनुशंसाओं का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

उन्होंने कहा कि धान की सीधी बुआई में खरपतवार एक बड़ी चुनौती है, जिसे समय से उचित खरपतवारनाशकों के प्रयोग से नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पेंडीमेथालिन, बिसपायरीबैक सोडियम और पाइराजोसल्फ्यूरॉन जैसे अनुशंसित खरपतवारनाशकों का प्रयोग निश्चित समय पर करना चाहिए ताकि फसल पर खरपतवार का प्रभाव कम हो।

कृषि मंत्री ने प्रदेश के किसानों से अपील की कि वे किफायती, जल बचाने वाली और पर्यावरण-अनुकूल तकनीक को अपनाकर खेती को अधिक लाभकारी और टिकाऊ बनाएं। उन्होंने कह कि कृषि विभाग किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, आवश्यक प्रशिक्षण एवं सहायक संसाधन उपलब्ध कराने के लिए पूरी तरह तैयार है।

अब सप्ताह में 3 दिन खेतों में किसानों से मिलने जाएंगे कृषि वैज्ञानिक: केंद्रीय कृषि मंत्री

29 मई से 12 जून 2025 तक देश भर में 15 दिवसीय विकसित कृषि संकल्प अभियान चलाया गया। इस अभियान के दौरान वैज्ञानिकों, अधिकारियों व कृषि विशेषज्ञों की 2170 टीमों ने देशभर में 1.42 लाख से अधिक गाँव में पहुंचकर 1.34 करोड़ से ज्यादा किसानों से सीधा संवाद किया। इस विषय में जानकारी देते हुए केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि देशभर में विकसित कृषि संकल्प अभियान बहुत सफल हुआ है लेकिन ये अभियान थमेगा नहीं, हम लगातार किसानों के बीच खेतों में जाकर खेती को उन्नत और किसानों को समृद्ध बनाने का प्रयत्न करते रहेंगे।

कृषि मंत्री ने मीडिया से चर्चा में कहा कि कुछ चीजें हम तत्काल करेंगे, इनमें ज्ञान, अनुसंधान व क्षमताओं का जो गैप है उस गैप को पाटने की कोशिश की जाएगी। उन्होंने कहा कि कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, इसलिए केवीके को एक टीम के रूप में नोडल एजेंसी हर जिले के लिए बनाई जाएगी, जो किसानों के हित में कॉर्डिनेट करेगी।

किसानों के खेतों में जाएँगे कृषि वैज्ञानिक

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अब KVK के वैज्ञानिक अनिवार्य रूप से सप्ताह में तीन दिन खेतों में किसानों के बीच जाएंगे, साथ ही कृषि मंत्री के रूप में वह भी स्वयं सप्ताह में दो दिन खेतों में किसानों के बीच जाएँगे। कृषि मंत्री ने कहा कि अफसरों को निर्देश दिए गए हैं की दफ्तर में बैठकर सारी चीजें नहीं समझ सकते, इसलिए खेतों में जाएँ। राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय करने के लिए, विकसित खेती और समृद्ध किसान के लिए काम करने वाली जितनी भी संस्थाएं हैं, उनका एक दिशा में चलना अनिवार्य हैं, और इसलिए इसके समन्वय की भी चर्चा कर निश्चित तौर पर व्यवस्था करेंगे।

अब राज्यवार कृषि के लिए आईसीएआर की तरफ से एक नोडल अफसर तय किया जाएगा जो उस राज्य में सारे वैज्ञानिक प्रयोगों को समस्याओं को, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखकर सलाह और सुझाव देगा, राज्य सरकार से संवाद और संपर्क करेगा और मंत्री के रूप में भी अपने अधिकारियों के साथ अलग-अलग राज्य सरकारों के साथ चर्चा करेंगे ताकि उनकी जरूरतों को पूरा कर सकें।

अभियान में सामने आई यह बातें

कृषि मंत्री ने कहा कि अभियान में दो चीज़ें बहुत प्रमुखता से उभर कर आई हैं, जिन पर काम करने की जरूरत है। एक तो अमानक बीज, दूसरा अमानक पेस्टीसाइड। इनके संबंध में शिकायतें आई हैं इसलिए सीड एक्ट को और कड़ा बनाने के लिए प्रभावी कदम उठाए जाएंगे। सिस्टम इतना मजबूत बनाएंगे कि गुणवत्ता युक्त बीज किसानों तक पहुंचें। इस अभियान का उद्देश्य था कि कैसे विज्ञान और किसान को जोड़ें, काम बहुत अच्छा हो रहा है, लेकिन कहीं कमी है तो उत्पादन बढ़ाएं, लागत घटाएं व किसान को और समृद्ध बनाने का प्रयास हम कर सकें, इसके लिए अभियान बहुत सफल हुआ है। इसके लिए उन्होंने कृषि विभाग, विशेषकर आईसीएआर को बधाई दी

रबी सीजन में भी चलेगा अभियान

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि अभियान थमेगा नहीं, रबी की फसल के लिए विकसित कृषि संकल्प अभियान फिर से चलेगा। अभियान चलेंगे ही, इसके अतिरिक्त हम लगातार किसानों के बीच खेतों में जाकर कोशिश करेंगे कि खेती को कैसे उन्नत करें और किसानों को कैसे समृद्ध करें। उन्होंने बताया कि हमने कुछ फसलों को तय किया है, जैसे एक फॉलोअप प्लान सोयाबीन के लिए है। सोयाबीन संबंधी समस्या के समाधान के लिए 26 जून को इंदौर में किसान, वैज्ञानिक व सम्बद्ध पक्षों के साथ मिलकर विचार करेंगे। उसके बाद हम काम करने वाले हैं कपास पर कपास मिशन के लिए, फिर गन्ने पर, फिर दलहन मिशन, फिर तिलहन मिशन, इस तरह अभियान रुकेगा नहीं, अलग-अलग फसलों के लिए भी जारी रहेगा।

24 जून को पूसा संस्थान में सारे वैज्ञानिक व कृषि अधिकारी, राज्यों के कृषि मंत्री आदि सभी हाईब्रिड मोड में जुड़ेंगे। अभियान के नोडल अफसर रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे। समेकित रूप से नोडल अफसर राज्यवार कृषि की स्थिति का प्रस्तुतिकरण करेंगे, जिसके आधार पर राज्यों के साथ मिलकर केंद्र को क्या-क्या और करना चाहिए, वो भी करेंगे, शोध के विषयों, बाकी मुद्दों पर भी काम करेंगे।

इसलिए शुरू किया गया अभियान

कृषि मंत्री ने कहा कि काम तो बहुत हो रहा है, लेकिन अलग-अलग संस्थाएं, अलग-अलग कामों में लगी हुई है। आईसीएआर व केवीके में वैज्ञानिक लगे हुए हैं, अलग-अलग रिसर्च करते हैं। किसान खेतों में काम करते हैं तो एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी अलग काम करती है, और केंद्र व राज्य सरकार के विभाग अपने-अपने काम कर रहे हैं। सभी विकसित खेती और समृद्ध किसान के लिए काम कर रहे हैं, लेकिन अलग-अलग काम कर रहें हैं तो इन सभी को एक साथ जोड़ दिया जाए और तभी वन नेशन-वन एग्रीकल्टर-वन टीम का विचार आया। एक ऐसी टीम बनाई जाएं कि सभी मिलकर एक दिशा में काम करें, जिनमें किसान भी शामिल हों और इस समग्र विचार को लेकर हमने विकसित कृषि संकल्प अभियान की रूपरेखा बनाई, इसे चलाया।

विकसित कृषि संकल्प अभियान में यह रहा खास

केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा कि हमने कोशिश की कि ये अभियान सर्वव्यापी हो, इसलिए ट्राइबल डिस्ट्रिक्ट्स पर भी विशेष ध्यान दिया। ऐसे 177 जिलों के 1024 विकासखंडों में साढ़े 8 हजार से ज्यादा कार्यक्रम आयोजित हुए और लगभग 18 लाख किसानों तक हम पहुंचे। 112 आकांक्षी जिलों में 802 ब्लॉक्स में टीमें लगभग 6800 गांवों में पहुंची और 15 लाख किसानों से वैज्ञानिकों का संवाद हुआ। एक और फोकस हमने वाईब्रेंट विलेज पर भी किया था, वो जिले भी लगभग 100 हैं, तो उनमें भी हमने कोशिश की है कि हर जिले का कोई न कोई एक सीमावर्ती गांव लिया जाएं, सुदूर के गांवों में भी हमारे वैज्ञानिक पहुंचे।

अभियान में सबसे बड़ी सफलता रही हमारी किसान चौपाल, जहां किसानों से सार्थक चर्चा हुई। इनमें वैज्ञानिकों ने अनुसंधान के बारे में चर्चा की, उस क्षेत्र की एग्रोक्लाइमेट कंडिशन देखते हुए कौन-से बीज, कौन-सी किस्म उपयुक्त रहेगी, इसके बारे में चर्चा की। मिट्टी के पोषक तत्वों व कीट प्रकोप के बारे में भी चर्चा की। इनमें दो चीजें उभरकर सामने आई। पहली कि, कई बार हम रिसर्च के मुद्दे दिल्ली में बैठकर तय करते हैं, लेकिन जमीन पर जिस तरह की समस्याएं हैं, उसके लिए भी रिसर्च की जरूरत है। किसानों ने कई चीज़ें ऐसी बताई है कि इन पर रिसर्च किया जाना चाहिए, तो आईसीएआर को दिशा मिली कि रिसर्च केवल दिल्ली से ही तय नहीं होना है।

किसान हैं बड़े वैज्ञानिक

कृषि मंत्री ने कहा कि अभियान के तहत यह सामने आया कि किसान बड़ा वैज्ञानिक हैं, कई किसानों ने इतने इनोवेशन किए हैं कि वैज्ञानिक भी हैरान थे कि किसानों ने स्थानीय परिस्थितियों के हिसाब से सोचकर अच्छे उत्पादन के लिए नए प्रयोग किए हैं। इसके साथ ही कुछ मुद्दे भी उभरकर सामने आए हैं, किसानों ने बताया कि ये दिक्कतें हैं, इन पर काम होना चाहिए। अब जो रिसर्च करेंगे उनमें उन मुद्दों को ध्यान में रखेंगे। इन चीज़ों को देखकर अगर योजनाओं के स्वरूप में कोई परिवर्तन करना है, तो वो किए जाएंगे। वहीं, इस पर भी ध्यान दिया जाएगा कि किसानों ने जो इनोवेशन किया, उसे कैसे वैज्ञानिक दृष्टि से और बेहतर किया जा सकता है

केंद्रीय मंत्री चौहान ने बताया कि कुछ नीतिगत मामले भी किसानों ने बताए, क्लाइमेट चेंज में कैसे समेकित कार्य-योजना बनाएं, जैविक उत्पादन की बात करते हैं, लेकिन सर्टिफिकेशन में दिक्कतें आती हैं, उसकी प्रक्रिया सरल होनी चाहिए। चारे के बारे में नई नीति बननी चाहिए, जिससे पशुपालन ठीक ढंग से कर सकें। एफपीओ को व्यवहारिक बनाने के लिए भी सुझाव दिए गए हैं। ऐसे अनेक उपयोगी सुझाव किसानों की तरफ से आए है। योजनाएं और नीतियां बनाते समय हम कोशिश करेंगे कि उन सुझावों को ध्यान में रखा जाएं। अंत में उन्होंने वैज्ञानिकों, अधिकारियों, राज्य सरकारों को इस अभियान को सफल बनाने के लिए बधाई दी। साथ ही सूचना प्रवाह में मीडिया की भूमिका की भी सराहना की।

इथेनॉल बनाने के लिए होगी मक्का की खरीद, किसानों को MSP के साथ ही मिलेगा बोनस

मक्का की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर है। मक्का से इथेनॉल बनाने के लिए किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP पर मक्का की खरीद की जाएगी साथ ही किसानों को MSP के अतिरिक्त बोनस राशि भी दी जाएगी। इसके लिए छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले की माँ दंतेश्वरी मक्का प्रसंस्करण एवं विपणन सहकारी समिति मर्यादित, कोण्डागांव द्वारा ईथेनॉल निर्माण के लिए मक्का खरीदी प्रक्रिया हेतु दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।

ऑयल मार्केटिंग कंपनियों से प्राप्त आबंटन के आधार पर समिति को 25,000 क्विंटल मक्का की आवश्यकता है, जिसकी खरीदी संस्था के अंशधारी किसान सदस्यों से की जाएगी। इसके लिए किसानों को टोकन वितरित करने का काम 19 जून 2025 से शुरू किया जाएगा।

किसानों को मक्का के MSP पर मिलेगा बोनस

समिति द्वारा मक्का की खरीदी भारत सरकार द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2024-25 हेतु घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य 2225 रुपये प्रति क्विंटल पर की जाएगी। इसके अतिरिक्त किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में अतिरिक्त बोनस राशि भी दी जाएगी। किसानों को यह बोनस राशि का भुगतान विकासखण्ड के अनुसार किया जाएगा। इसमें कोण्डागांव एवं माकड़ी के लिए 40 रुपए क्विंटल, फरसगांव हेतु 50 रुपये क्विंटल तथा केशकाल एवं बड़ेराजपुर के किसानों को 60 रुपये क्विंटल अतिरिक्त दिया जाएगा।

यह सुनिश्चित करने हेतु कि सभी अंशधारी किसानों को समान अवसर मिले, प्रति एकड़ अधिकतम 10 क्विंटल मक्का ही खरीदी जाएगी। मक्का की खरीदी सप्ताह में सोमवार से शुक्रवार तक ग्राम कोकोड़ी स्थित ईथेनॉल प्लांट में की जाएगी।

19 जून से दिए जाएंगे टोकन

किसानों से मक्का खरीदी के लिए टोकन 19 जून 2025 से जारी किए जाएंगे। टोकन वितरण का काम सोमवार से शुक्रवार तक सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक किया जाएगा। जिले के पाँचों विकासखण्डों में चिन्हित 2-2 आदिम जाति सेवा सहकारी समितियों (लैम्प्स) से टोकन वितरित किए जाएंगे। टोकन वितरण केंद्र कोण्डागांव, दहीकोंगा, माकड़ी, अमरावती, फरसगांव, बड़ेडोगर, केशकाल, धनोरा, बड़ेराजपुर, सलनास्थित लैंप्स को बनाया गया है।

टोकन लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज

MSP पर मक्का बेचने के साथ ही बोनस प्राप्त करने के लिए किसानों को ऊपर दी गई सहकारी समितियों से टोकन लेना होगा। टोकन लेने के किसानों को ऋण पुस्तिका, शेयर सर्टिफिकेट या शेयर क्रय की रसीद, आधार कार्ड, बैंक पासबुक आदि दस्तावेजों की छायाप्रति अपने साथ ले जाना होगा। टोकन में किसान को मक्का विक्रय की तिथि एवं मात्रा की स्पष्ट जानकारी दी जाएगी। मक्का की खरीदी केवल निर्धारित गुणवत्ता मानकों के अनुसार ही की जाएगी। खरीदी के लिए मक्का को “औसत अच्छी किस्म” की श्रेणी में आना आवश्यक है, जिसके अंतर्गत निम्न मापदंड निर्धारित किए गए हैं।

समिति द्वारा मक्का खरीद के लिए मापदंड तय कर दिए गए हैं। जिसके अनुसार मक्का की उपज में न्यूनतम स्टार्च की मात्रा 58 प्रतिशत, अधिकतम नमी 14 प्रतिशत, काला मक्का 1.3 प्रतिशत तक कोई कमी नहीं की जाएगी। मक्का का विक्रय 50 किलोग्राम के बारदानों में किया जाएगा। किसानों को मक्का विक्रय की राशि का भुगतान उनके बैंक खातों में डिजिटल माध्यम से 7 कार्य दिवसों के भीतर किया जाएगा। किसान जिले की आधिकारिक वेबसाइट से किसान अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

इन कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर लेने के लिए अभी आवेदन करें

खरीफ फसलों की बुआई का समय नजदीक आ रहा है, ऐसे में ज्यादा से ज़्यादा किसान फसलों की खेती में आधुनिक कृषि यंत्रों का उपयोग कर उत्पादन बढ़ा सकें इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस कड़ी में कृषि अभियांत्रिकी संचालनालय, मध्य प्रदेश द्वारा खेत की तैयारी, फसलों की बुआई और रोपाई सहित अन्य उपयोगी कृषि यंत्रों पर अनुदान देने के लिए किसानों से आवेदन मांगे गए हैं।

विभाग द्वारा अभी इन कृषि यंत्रों के लिए जिलेवार लक्ष्य जारी नहीं किए गए हैं, किसानों के द्वारा किए गए आवेदनों के आधार पर ही लक्ष्यों का निर्धारण किया जाएगा। ऐसे में जो भी किसान इन कृषि यंत्रों को सब्सिडी पर लेना चाहते हैं वे किसान ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

इन कृषि यंत्रों के लिए किसानों को मिलेगा अनुदान

कृषि अभियांत्रिकी विभाग, मध्य प्रदेश द्वारा खेत की तैयारी से लेकर बुआई रोपाई आदि कामों में उपयोग किए जाने वाले कुल 13 कृषि यंत्रों के लिए आवेदन मांगे गए हैं। किसानों को दिए गए कृषि यंत्रों पर अनुदान के लिए डिमांड ड्राफ्ट बनवाकर उसकी स्कैन कॉपी आवेदन के समय अपलोड करनी होगी। जो इस प्रकार है:-

  1. मल्टी क्रॉप प्लांटर कृषि यंत्र– 3,000/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)
  2. स्ट्रॉ रीपर कृषि यंत्र – 10,000/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  3. स्वचालित टूल बारराइड ऑन टाइप कृषि यंत्र – 5,000/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  4. हैप्पी सीडर कृषि यंत्र – 4,500/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  5. सुपर सीडर कृषि यंत्र – 4,500/-  रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  6. ग्राउंड नट डिकारटीकेटर (मूंगफली छिलक) शक्तिचलित कृषि यंत्र– 3,000/- का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  7. बेलर कृषि यंत्र – 15,000/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  8. हे रेक / स्ट्रॉ रेक कृषि यंत्र– 5,000/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  9. स्लेशर कृषि यंत्र – 2,000/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  10. रिवर्सिबल प्लाऊ/ मेकेनिकल/ हाइड्रोलिक कृषि यंत्र – 3,500/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  11. जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल – 3,000/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  12. पैडी (राइस) ट्रांसप्लांटर (राइडिंग टाइप) – 15,000/- रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।
  13. पैडी (राइस) ट्रांसप्लांटर (वॉक बिहाइंड) – 10,000/-  रुपए का डिमांड ड्राफ्ट (डीडी)।

कृषि यंत्रों पर कितना अनुदान (Subsidy) मिलेगा?

एमपी में किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र उपलब्ध कराने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। जिसमें महिला तथा पुरुष वर्ग, जाति वर्ग एवं जोत श्रेणी के अनुसार किसानों को अलग-अलग सब्सिडी दिये जाने का प्रावधान है। इसमें किसानों को 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है। किसान भाई जो भी कृषि यंत्र अनुदान पर लेना चाहते हैं वे किसान ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर उपलब्ध सब्सिडी कैलकुलेटर पर कृषि यंत्र की लागत के अनुसार उनको मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी देख सकते हैं।

किसानों को आवेदन के लिए जमा करना होगा डिमांड ड्राफ्ट (डी.डी.)

राज्य में किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए धरोहर राशि के रूप में डिमांड ड्राफ्ट देना होता है ताकि वही किसान आवेदन करें जो वास्तव में कृषि यंत्र खरीदना चाहते हैं। इच्छुक किसान निर्धारित धरोहर राशि का डिमांड ड्राफ्ट बनवाकर यंत्र के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। किसानों को यह डिमांड ड्राफ्ट (D.D.) अपने जिले के सहायक कृषि यंत्री के नाम से बनाकर स्कैन करके पोर्टल पर अपलोड करना होगा साथ ही किसानों को यह डिमांड ड्राफ्ट स्वयं के खाते से बनवाना होगा। पंजीयन में डिमांड ड्राफ्ट (डीडी) से निश्चित राशि से कम का होने पर आवेदन अमान्य किया जाएगा।

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

ऊपर दिए गए कृषि यंत्रों को अनुदान पर लेने के लिए किसानों के पास कुछ दस्तावेज होना आवश्यक है। जिसकी आवश्यकता किसानों को आवेदन करते समय एवं प्रक्रिया में चयन होने के बाद सत्यापन के समय रहेगी। जो इस प्रकार है:-

  • आधार कार्ड,
  • मोबाइल नंबर (जिस पर OTP एवं सभी आवश्यक सूचना SMS द्वारा भेजी जाएगी),
  • बैंक पासबुक के पहले पेज की छायाप्रति,
  • डिमांड ड्राफ्ट (डीडी),
  • खसरा/खतौनी या बी-1 की नकल,
  • जाति प्रमाण पत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के किसानों के लिए),
  • ट्रैक्टर का रजिस्ट्रेशन कार्ड ( ट्रैक्टर चालित कृषि यंत्रों के लिए)

अनुदान पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन कहाँ करें?

मध्यप्रदेश में किसानों को सभी प्रकार के कृषि यंत्रों को अनुदान पर लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होता है। ऐसे में जो किसान यह कृषि यंत्र अनुदान पर लेना चाहते हैं वे किसान किसान e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं। आवेदन के लिए अभी अंतिम तिथि का निर्धारण नहीं किया गया है। जो किसान पहले से पोर्टल पर पंजीकृत है वे आधार OTP के माध्यम से लॉगिन कर आवेदन प्रस्तुत कर सकते है।

वहीं वे किसान जिन्होंने अभी तक पोर्टल पर अपना पंजीकरण नहीं किया है उन किसानों को एमपी ऑनलाइन या सीएससी सेंटर पर जाकर बायोमैट्रिक आधार अथेन्टिकेशन के माध्यम से अपना पंजीकरण कराना होगा। इसके बाद किसान कृषि यंत्र के लिए आवेदन कर सकते हैं। योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ब्लॉक या जिले के कृषि कार्यालय में संपर्क करें।

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें

किसान अब कम लागत कम खर्च में कर सकेंगे ज्यादा कमाई, पाम की खेती से किसानों का सपना होगा पूरा

देश को तेल उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने के लिए सरकार द्वारा तिलहन फसलों के साथ ही पाम की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। पाम ऑयल यानी पाम तेल की खेती किसानों के लिए वरदान बनती जा रही है। किसान पाम आयल की खेती से कम मेहनत और कम खर्च में ज्यादा कमाई कर सकते हैं। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले के ग्राम रेड्डी में 9 जून से ऑयल पाम के पौधरोपण का काम शुरू किया गया है। जिसमें प्रियूनिक एशिया प्राइवेट लिमिटेड, हैदराबाद के डायरेक्टर डॉ. प्रसाद राव पासम, उद्यान विभाग के सहायक संचालक राम चंद्र राव और स्थानीय किसान मौजूद रहे।

इस अवसर पर ग्राम रेड्डी के किसान तनैया मरकाम और किसान संजय हेमला के खेत में कुल 286 ऑयल पाम पौधे लगाए गए। पौधारोपण का यह कार्य भारत सरकार की नेशनल मिशन ऑन एडीबल ऑयल-ऑयल पाम योजना के तहत छत्तीसगढ़ सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।

सालाना होगी 3 से 4 लाख रुपए की कमाई

नेशनल मिशन ऑन एडीबल ऑयल-ऑयल पाम योजना के तहत किसानों को सिर्फ पौधे ही नहीं, बल्कि उनके रखरखाव, बीच में दूसरी फसल लेने, बोरवेल और बिजली पंप जैसी सुविधाओं के लिए भी सरकारी अनुदान दिया जाता है। खास बात यह है कि ऑयल पाम से प्रति हेक्टेयर 3 से 4 लाख रुपए तक की सालाना आय प्राप्त की जा सकती है।

उल्लेखनीय है कि बीजापुर जिले के अलग-अलग गांवों में जाकर इस योजना की जानकारी दी जा रही है। अधिक जानकारी के लिए जिले के इच्छुक किसान अपने नजदीकी उद्यान रोपणी कार्यालय जैसे बैदरगुड़ा, पामलवाया (बीजापुर), गौराबेड़ा (भैरमगढ़), उसूर और पेगड़ापल्ली (भोपालपट्टनम) में संपर्क कर सकते हैं।

3 हजार से अधिक किसानों को दी गई 44 करोड़ रुपए की ब्याज राहत

किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में राजस्थान सरकार द्वारा राज्य में भूमि विकास बैंकों के अवधिपार ऋणियों के लिए मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत एकमुश्त समझौता योजना 2025-26 लागू की गई है। योजना का लाभ किसानों के साथ ही लघु उद्यमियों को भी मिल रहा है। इस सम्बंध में सहकारिता राज्य मंत्री गौतम कुमार दक ने बताया कि अब तक 3,410 ऋणी सदस्यों द्वारा 33 करोड़ रुपये मूलधन जमा करवाया जा चुका है तथा राज्य सरकार द्वारा 44 करोड़ रुपये की राहत प्रदान की जा चुकी है।

सहकारिता राज्य मंत्री ने बताया कि योजना के अंतर्गत पात्र ऋणी सदस्य द्वारा अवधिपार ऋण का केवल मूलधन चुकाने पर राज्य सरकार द्वारा अवधिपार ब्याज में शत प्रतिशत राहत दिए जाने का प्रावधान है।

30 हजार सदस्यों को मिलेगा लाभ

राज्य मंत्री ने कहा कि प्रदेश के 36 प्राथमिक सहकारी भूमि विकास बैंकों के कुल 30,010 ऋणी सदस्य योजना के तहत राहत के लिए पात्र हैं। इन ऋणी सदस्यों द्वारा 326 करोड़ रुपये का मूलधन जमा करवाये जाने पर 534 करोड़ रुपये की राहत देय होगी। सहकारिता मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त प्रचार-प्रसार से योजना की जानकारी जन-जन तक पहुंच चुकी है, जिससे पात्र ऋणी सदस्य योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए प्रेरित हो रहे हैं।

इस किसान को मिली 37 लाख रुपए की ब्याज राहत

सहकारिता मंत्री ने बताया कि मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत एकमुश्त समझौता योजना 2025-26 के अंतर्गत सोमवार को प्रदेश के सबसे बड़े अवधिपार खाते का निस्तारण हुआ है। प्राथमिक भूमि विकास बैंक, अलवर की लक्ष्मणगढ़ शाखा के ऋणी सदस्य कठूमर तहसील के टिटपुरी ग्राम निवासी बलजीत व अन्य पुत्र छज्जू मेव को यह राहत प्रदान की गई है। ऋणी द्वारा 18.61 लाख रुपये का मूलधन जमा कराये जाने पर योजना के अंतर्गत 37.23 लाख रुपये के ब्याज की राहत प्रदान की गई। इस प्रकार, 55.84 लाख रुपये के अवधिपार खाते का निस्तारण किया गया।

उल्लेखनीय है कि पूर्व में नीलामी के दौरान बोलीदाता के अभाव में बैंक द्वारा राजस्थान सहकारी सोसायटी अधिनियम, 2001 की धारा 103 के तहत ऋणी की भूमि बैंक के पक्ष में करवाई गई थी। अब योजना के अंतर्गत खाते का निस्तारण होने से भूमि पुन: बलजीत मेव के स्वामित्व में आ जाएगी, जिससे वे अपने परिवार का गुजारा आसानी से चला पाएंगे।

2,225 रुपए में शुरू हुई मक्का की खरीद, किसान ऐसे करें पंजीयन

किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा विभिन्न फसलों की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP पर की जाती है। इस कड़ी में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार राज्य में पहली बार किसानों से सीधे रबी सीजन की मक्का खरीद करने जा रही है। मक्का की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद 15 जून से प्रारंभ की जा चुकी है, जो 31 जुलाई 2025 तक चलेगी। खरीद केंद्रों पर मक्का खरीद का काम सुबह 9 बजे से शाम 6 बजे तक किया जाएगा।

किसानों से मक्का की खरीद केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP 2225 रुपए प्रति क्विंटल पर की जाएगी। पिछले दिनों ओरैया में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मक्का किसानों से बात की थी और उन्हें आश्वस्त किया था कि सरकार किसानों को उचित मूल्य दिलाने के लिए समर्थन मूल्य पर मक्का खरीदेगी।

इन जिलों में की जाएगी मक्का की MSP खरीद

योगी सरकार अधिक मक्का उत्पादन वाले जनपदों से मक्का की खरीद करेगी। इसमें बुलंदशहर, बदायूं, अलीगढ़, एटा, कासगंज, फिरोजाबाद, हाथरस, मैनपुरी, हरदोई, उन्नाव, कानपुर नगर, ओरैया, कन्नौज, इटावा, फर्रुखाबाद, बहराइच, बलिया, गोंडा, संभल, रामपुर, अयोध्या एवं मिर्जापुर जनपद शामिल हैं। समर्थन मूल्य पर मक्का बेचने के लिए किसानों को ऑनलाइन पंजीयन कराना होगा जिसके बाद ही सरकार पंजीकृत किसानों से मक्का की खरीद करेगी।

MSP पर मक्का बेचने के लिए किसान पंजीयन

न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मक्का बेचने के लिए किसान को fsc.up.gov.in पर अथवा UP Kisan Mitra मोबाइल एप पर पंजीयन कराना होगा। सरकार ने मक्का की बिक्री हेतु OTP आधारित पंजीकरण की व्यवस्था की गई है। किसान भाई पंजीकरण हेतु वर्तमान मोबाइल नंबर ही अंकित करायें और SMS द्वारा भेजे गए OTP भरकर पंजीकरण की प्रक्रिया को पूर्ण करें। इसके अलावा किसान का बैंक खाता आधार सीडेड (अर्थात् बैंक खाता आधार से जुड़ा हो) एवं बैंक द्वारा NPCI पोर्टल पर मैप्ड एवं सक्रिय होना चाहिए। मक्का खरीद का भुगतान किसानों को सीधे PMFS के माध्यम से आधार लिंक्ड बैंक खाते में किया जाएगा। किसानों की सुविधा के लिए नॉमिनी की व्यवस्था भी की गई है।

किसान मक्का उपार्जन से संबंधित किसी भी सहायता के लिए टोल फ्री नंबर 1800-180-150 पर या संबंधित जनपद के जिला खाद्य विपणन अधिकारी, तहसील के क्षेत्रीय विपणन अधिकारी या ब्लॉक के विपणन निरीक्षक से संपर्क कर सकते हैं।

मध्यप्रदेश और गुजरात में हुई मानसून की एंट्री, अब इन राज्यों में शुरू होगा बारिश का दौर

बीते कई दिनों से महाराष्ट्र में अटका हुआ मानसून आखिरकार आगे बढ़ गया है, आज यानि 16 जून के दिन मानसून ने मध्य प्रदेश और गुजरात राज्यों में एंट्री कर ली है। इससे पहले मानसून 29 मई से महाराष्ट्र में अटका हुआ था। भारतीय मौसम विभाग IMD के अनुसार आज यानि 16 जून के दिन मानसून मध्य अरब सागर के शेष हिस्सों; उत्तर अरब सागर और गुजरात के कुछ हिस्सों; कोंकण, मध्य महाराष्ट्र और तेलंगाना के शेष हिस्सों; मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों, विदर्भ, छत्तीसगढ़ और उड़ीसा के कुछ हिस्सों में आगे बढ़ गया है।

मानसून की उत्तरी सीमा अभी वेरावल, भावनगर, बड़ोदरा, खरगोन, अमरावती, दुर्ग, बरगढ़, चांदबली, सैंडहेड द्वीप और बालुरघाट से होकर गुजर रही है। मौसम विभाग के मुताबिक अगले 24 घंटों में मानसून के गुजरात, मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, उड़ीसा, हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम के कुछ और हिस्सों में आगे बढ़ने की संभावना है। वहीं अगले दो दिनों के दौरान मानसून के पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश में पहुँचने की संभावना है।

दक्षिण भारत में कैसी होगी बारिश

  • मौसम विभाग के मुताबिक तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, केरल, माहे, लक्षद्वीप, कर्नाटक में 16 से 18 जून के दौरान अनेक स्थानों पर तेज हवा-आंधी के साथ गरज-चमक और हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
  • वहीं तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, केरल, माहे में 16 से 18 जून तक अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा की संभावना है। पुडुचेरी और कराईकल में 16 जून को बहुत भारी वर्षा; केरल और माहे, तमिलनाडु, पुडुचेरी, कराईकल, उत्तरी आंतरिक कर्नाटक में 16 जून के दिन; तटीय कर्नाटक में 17 जून के दिन कुछ स्थानों पर भारी वर्षा की संभावना है।
  • इसके अलावा 16 जून के दिन तटीय और दक्षिण कर्नाटक में बहुत भारी बारिश होने की संभावना है।

पश्चिम भारत में कैसी होगी बारिश

  • मौसम विभाग के मुताबिक गुजरात, कोंकण, गोवा, महाराष्ट्र, मराठवाड़ा में 16 से 20 जून तक अधिकांश स्थानों पर हवा आंधी के साथ गरज-चमक और हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।
  • वहीं कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र, गुजरात क्षेत्र में 16 से 22 जून तक अलग-अलग स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा की संभावना है; सौराष्ट्र और कच्छ में 16 से 19 जून तक; कोंकण और गोवा, मध्य महाराष्ट्र, गुजरात क्षेत्र में 16 जून को और सौराष्ट्र और कच्छ में 16 से 17 जून के दौरान अत्यधिक भारी बारिश की संभावना है।

पूर्वी और मध्य भारत में कैसी होगी बारिश

  • मौसम विभाग के मुताबिक मध्य प्रदेश, विदर्भ, छत्तीसगढ़, गंगा तटीय पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखंड, उड़ीसा में 16 से 20 जून तक अधिकांश स्थानों पर हवा-आँधी के साथ गरज-चमक और बारिश की संभावना है। मध्य प्रदेश, झारखंड, बिहार में 16 और 17 जून के दिन; छत्तीसगढ़ में 16 जून को अलग-अलग स्थानों पर तेज हवा आंधी चलने की संभावना है।
  • पश्चिम बंगाल और सिक्किम, बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ में 16 से 20 जून तक; विदर्भ में 16 से 17 जून को; मध्य प्रदेश में 19 और 20 जून को; छत्तीसगढ़, गंगा तटीय पश्चिम बंगाल में 17 और 18 जून को; बिहार, उप हिमालयी पश्चिम बंगाल और सिक्किम, झारखंड में 18 और 19 जून को; उड़ीसा में 16 से 18 जून तक बहुत भारी बारिश की संभावना है।

उत्तर पश्चिम भारत में कैसी होगी बारिश

  • मौसम विभाग के मुताबिक उत्तर पश्चिम भारत में 16 से 22 जून तक अधिकांश स्थानों पर हवा-आंधी और गरज-चमक के साथ छिटपुट बारिश की संभावना है।
  • उत्तराखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश में 16 से 22 जून तक; जम्मू कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश में 21 और 22 जून को; पंजाब, हरियाणा, पूर्वी राजस्थान में 16, 21 और 22 जून को; पश्चिमी उत्तर प्रदेश में 16 और 19 से 22 जून तक; पश्चिमी राजस्थान में 16 जून को अलग-अलग स्थानों पर भारी वर्षा की संभावना है। वहीं पूर्वी उत्तर प्रदेश में 19 से 21 जून तक बहुत भारी बारिश की संभावना है।

इस वर्ष की जाएगी 470 मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना, किसानों को किया जाएगा जिंक और बोरॉन का वितरण

फसलों की अधिक पैदावार के लिए स्वस्थ मिट्टी का होना आवश्यक है, ऐसे में किसानों को उनके खेत की मिट्टी की सेहत की जानकारी मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा सॉइल हेल्थ कार्ड बनाए जाते हैं। अधिक से अधिक किसान उनके खेत की मृदा का परीक्षण करा सकें इसके लिए सरकार द्वारा मिट्टी जाँच प्रयोगशालाओं की स्थापना की जा रही है। इस कड़ी में बिहार सरकार इस वर्ष राज्य के 470 प्रखंडों में एक-एक ग्राम स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं की स्थापना करने जा रही है।

इस संबंध में बिहार के उप-मुख्यमंत्री सह कृषि मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने जानकारी देते हुए बताया कि मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के अंतर्गत इस वित्तीय वर्ष में राज्य के 470 प्रखंडों में एक-एक ग्राम स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशाला स्थापित की जाएगी। इन प्रयोगशालाओं के माध्यम से स्थानीय किसानों को उनके खेत की मिट्टी का परीक्षण सुलभ और समयबद्ध रूप से उपलब्ध होगा। जिससे उन्हें फसल चक्र, उर्वरक उपयोग और भूमि सुधार के संबंध में वैज्ञानिक सलाह प्राप्त हो सकेगी। इस पहल से फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि होगी एवं खेती की लागत में कमी आएगी, जिससे किसानों की आय में बढ़ोतरी होगी।

सभी प्रखंडों में की जाएगी मिट्टी जांच प्रयोगशाला की स्थापना

कृषि मंत्री ने बताया कि इन प्रयोगशालाओं की स्थापना से न केवल कृषि तकनीक को गांव तक पहुंचाया जा सकेगा बल्कि शिक्षित बेरोजगार युवाओं को भी स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध कराए जाएँगे। वर्तमान में राज्य के विभिन्न प्रखंडों में कुल 72 ग्राम स्तरीय मिट्टी जांच प्रयोगशालाएं कार्यरत हैं, जिन्हें विस्तार देकर अब प्रत्येक प्रखंड में एक प्रयोगशाला की स्थापना की जा रही है।

जिंक और बोरॉन का किया जाएगा वितरण

उप-मुख्यमंत्री ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत राज्य के 34 जिलों की विभिन्न पंचायतों में क्षारीय मिट्टी और 4 जिलों में अम्लीय मिट्टी के सुधार का लक्ष्य भी निर्धारित किया गया है। अत्याधिक क्षारीय अथवा अम्लीय मिट्टी फसलों की उपज को प्रभावित करती है, जिससे किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है। उन्होंने कहा कि पिछले वर्षों में विश्लेषित किए गए मिट्टी नमूनों के आधार पर राज्य के कुल 1900 हेक्टेयर भूमि में सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति की जाएगी, इसके अंतर्गत प्रत्येक जिले में 500 हेक्टेयर भूमि पर जिंक और बोरॉन जैसे आवश्यक पोषक तत्वों का वितरण किया जाएगा, जिससे भूमि की उर्वरता में सुधार होगा और बेहतर उपज सुनिश्चित की जा सकेगी।