आत्मनिर्भर भारत: मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के लिए 500 करोड़ रुपये का पैकेज

मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रुपये का पैकेज

कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए जारी लॉक डाउन से अर्थव्यवस्था कोहो रहे नुकसान की क्षति को कम करने के उद्देश्य से माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 12 मई 2020 को भारत की जीडीपी के 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान का आह्वान किया था | इस व्यापक पैकेज में देश के सभी वर्गों को हुए नुकसान को देखते हुए घोशनाएँ की गई साथ ही कई नीतिगत बदलाब भी किये जाने का फैसला सर्कार ने लिया है | मोदी सरकार द्वारा किसानों की आय बढ़ाने के लिए पहले से ही मधुमक्खी पालन पर जोर दिया जा रहा है | सरकार किसानों को खेती के साथ मधुमक्खी पालन को प्रोत्सहन देने के लिए अनुदान योजना भी चला रही है |

मधुमक्खी पालन के लिए 500 करोड़ रूपये का पैकज

ग्रामीण क्षेत्रों में मधुमक्खी पालन आजीविका को समर्थन देने वाली एक गतिविधि हैं | देश की एक बड़ी आबादी मधुमक्खी पालन से जुडी हुई है | मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के उद्देश्य से 500 करोड़ रूपये जारी किये हैं | मधुमक्खी पालन से ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ रोजगार का साधन प्राप्त होता है वहीँ परागण के माध्यम से फसलों से होने वालो आय और गुणवत्ता में भी वृधि होती है साथ ही मधुमक्खी पालन से शहद और मोम जैसे उत्पाद भी प्राप्त होते हैं |

वित्त मंत्री श्री निर्मला सीतारमण ने इस राशी से मधुमक्खी पालन क्षेत्र में निम्न योजनाओं के क्रियान्वन की बात कही :-
  • एकीकृत मधुमक्खी पालन विकास केंद्रों, संग्रह, विपणन और भंडारण केंद्रों, पोस्ट हार्वेस्ट और मूल्य वर्धन सुविधाओं आदि से संबंधित बुनियादी ढांचे का विकास;
  • मानकों का कार्यान्वयन और ट्रेसबिलिटी सिस्टम का विकास करना
  • महिलाओं पर बल देने सहित क्षमता निर्माण;
  • क्‍वालिटी नूक्लीअस स्‍टॉक और मधुमक्खी पालकों का विकास।
  • 2 लाख मधुमक्खी पालकों की आय में वृद्धि होगी और उपभोक्ताओं को गुणवत्तापूर्ण शहद की प्राप्ति होगी।

भारत में मधुमक्खी पालन

अंतराष्‍ट्रीय खाद्य एंव कृषि संगठन- FAO के 2017-18 के आंकडों के अनुसार शहद उत्‍पादन के मामले में भारत (64.9 हजार टन शहद उत्‍पादन के साथ)  दुनिया में आठवें स्‍थान पर रहा जबकि चीन (551 हजार टन शहद उत्‍पादन ) के साथ पहले स्‍थान पर रहा। बीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार मधुमक्‍खी पालन को केवल शहद और मोम उत्‍पादन तक सीमित रखे जाने की बजाए इसे परागणों,मधुमक्‍खी द्वारा छत्‍ते में इकठ्ठा किए जाने वाले पौध रसायन,रॉयल जेली और मधुमक्‍खी के डंक में युक्‍त विष को उत्‍पाद के रूप में बेचने के लिए भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है जिससे भारतीय किसान काफी लाभान्वित हो सकते हैं |

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राज्य में 57 हजार से अधिक किसानों को दिया जाएगा फसल नुकसानी का मुआवजा

फसल नुकसानी का मुआवजा

पिछले दिनों कई जगहों पर असमय हुई आंधी बारिश एवं ओलावृष्टि से रबी फसलों को काफी नुकसान हुआ था | इस नुकसान की भरपाई के लिए राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को मुआवजा देने की घोषणा की गई थी | जिसकी राशि अभी तक सभी किसानों को नहीं दी गई है | जिन किसानों को फसल बीमा था उसका क्लेम राज्य सरकारों के द्वारा बीमा कंपनियों को भुगतान किये जाने के बाद किया जाने लगा है, परन्तु ऐसे किसान जिनका फसल बीमा नहीं था उन्हें अभी तक अनुदान राशि नहीं दी गई है |

राजस्थान राज्य सरकार ने रबी सीजन के दौरान ओलावृष्टि से हुए फसल खराबे से प्रभावित किसानों को कृषि आदान-अनुदान भुगतान के लिए 55.38 करोड़ रूपये तथा अंधड़ एवं तूफान से हुई जन हानि वाले प्रभावित आश्रितों को 52 लाख रूपये की सहायता राशि आवंटित की है। साथ ही बाढ़, सूखा एवं टिड्डी प्रभावितों की सहायता के लिए अतिरिक्त राशि आवंटन के लिए केंद्र सरकार को ज्ञापन भिजवाया गया है।

57 हजार से अधिक किसानों को मुआवजा देने के लिए 55.38 करोड़ रूपये का बजट

आपदा प्रबन्धन एवं सहायता विभाग के शासन सचिव श्री सिद्धार्थ महाजन ने बताया कि फरवरी महीने के अन्तिम सप्ताह एवं मार्च के पहले सप्ताह में हुई ओलावृष्टि से भरतपुर जिले की भरतपुर, कुम्हेर, नदबई. डीग, नगर एवं रूपवास तहसीलों में  रबी की फसलों में काफी नुकसान हुआ था। राज्य सरकार के निर्देशानुसार त्वरित सहायता पहुंचाने के लिए भरतपुर जिले की इन छह तहसीलों के 33 प्रतिशत या इससे अधिक का फसल खराबा होने वाले 57 हजार 211 काश्तकारों को कृषि आदान- अनुदान भुगतान के लिए 55.38 करोड़ रूपये का बजट आवंटन किया गया है।

राज्य सरकार ने भरतपुर विधान सभा क्षेत्र में ओलावृष्टि के कारण हुये नुकसान के मुआवजे के रूप में 28 करोड़ रुपये की राशि जिला कलक्टर को मुहैया करा दी है लेकिन कुछ पटवारियों द्वारा नुकसान को समय पर ऑनलाइन नहीं किया गया है जिसकी वजह से इन किसानों को समय पर मुआवजा नहीं मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि ऎसी स्थिति में सभी पटवारियों को निर्देश जारी करें कि वे कोरोना संक्रमण की रोकथाम के कार्य के साथ-साथ ऑनलाइन का कार्य भी करें। तहसीलदार को प्रतिदिन ऑनलाइन कार्य की प्रगति की सूचना भिजवानें के निर्देश भी दिये।

अतिरिक्त राशि आवंटन के लिए केंद्र सरकार को ज्ञापन

बाढ़ एवं अत्यधिक वर्षा से प्रभावितों को सहायता प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार से अतिरिक्त सहायता राशि उपलब्ध कराने के लिए 2645.86 करोड़ रुपए का ज्ञापन प्रेषित किया गया जिसके विरूद्ध  622.97 करोड़ रुपए विभाग को प्राप्त हो गए हैं । खरीफ फसल 2019 में सूखे से प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार से अतिरिक्त सहायता राशि चाहने के लिए 707 करोड़ रुपए का ज्ञापन भिजवाया गया जिसके विरुद्ध 161.63 करोड़ रुपए प्राप्त हुए हैं। वहीँ रबी फसल 2019 में टिड्डी से प्रभावितों को राहत प्रदान करने के लिए केंद्र सरकार से अतिरिक्त सहायता राशि आवंटन के लिए 303.40 करोड़ रुपए का ज्ञापन भिजवाया गया है।

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आत्मनिर्भर भारत: कृषि उत्पाद सीधे किसानों से खरीदने के लिए 1 लाख करोड़ रूपये की फार्म गेट योजना

कृषि द्वार (Farm Gate) योजना हेतु 1 लाख करोड़ रुपये का राहत पैकेज

कविड-19 महामारी को रोकने हेतु चल रहे लॉक डाउन से हुए पूरे देश को हुए नुकसान से बचाने हेतु माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 12 मई 2020 को भारत की जीडीपी के 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की । इस पैकेज में सभी वर्ग के लोगों को उबारने के लिए अलग-अलग योजनाओं की घोषणा की वित्त मंत्री श्री निर्मला सीतारमण के द्वारा की जा रही है | इस राहत में पेकेज में किसानों के लिए भी कई योजनायें शुरू की गई है जिससे किसानों को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जायेगा | आत्मनिर्भर भारत के तहत किसानों के लिए फार्म-गेट अवसंरचना के लिए 1 लाख करोड़ रुपये का कृषि अवसंरचना कोष बनाने की घोषणा की गई है |

कृषि द्वार (फार्म-गेट) आधारभूत ढांचे पर केन्द्रित 1 लाख करोड़ रुपये देने की घोषणा

फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदुओं (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप आदि) पर मौजूद कृषि आधारभूत ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। किफायती और वित्तीय रूप से व्यवहार्य कृषि बाद प्रबंधन आधारभूत ढांचे से फार्म-गेट और एकत्रीकरण बिंदु के विकास के लिए प्रोत्साहन मिलेगा। इस कोष की तत्काल स्थापना की जाएगी।

फार्म गेट से किसानों को लाभ

किसानों को कृषि उत्पाद का सही मूल्य दिलवाने के लिए किसानों से सीधे खरीदी करने कि योजना पर बल दिया जा रहा है | इसके अंतर्गत खरीदने के लिए आस–पास के क्षेत्रों में पर्याप्त कोल्ड चेन बनाये जायेंगे | इसके साथ ही बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए 1 लाख करोड़ रूपये कि वित्तीय सुविधा प्रदान कि जायेगी | इसके अंतर्गत प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट–अप आदि को शामिल किया गया है | इसके अलावा सहित भंडारण बनाने के लिए 50 प्रतिशत कि सब्सिडी दिया जायेगा | साथ ही सरप्लस (अतिरिक्त उत्पाद) से कमी वाले बाजारों तक ढुलाई पर 50 प्रतिशत सब्सिडी दिया जायेगा |

इन्फ्रास्ट्रक्चर लोजिस्टिक्स और क्षमता निर्माण को मजबूत करने के लिए उपाय

  • कृषि उत्पाद सीधे किसान से खरीदने के लिए आसपस के क्षेत्र में पर्याप्त कोल्ड चेन और फसल के बाद उसके प्रबंधन के लिए बुनियादी ढाँचे की कमी से वस्तु के मूल्य में कमी आती है |
  • लघु अवधि के फसल ऋणों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है जबकि दीर्घकालिक कृषि बुनियादी ढाँचे में अक्सर पर्याप्त निवेश नहीं होता है |
  • कृषि उत्पाद सीधे किसान से खरीदने के लिए आसपास के क्षेत्र और संग्रह बिन्दुओं पर (प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों, किसान उत्पादक संगठनों, कृषि उद्यमियों, स्टार्ट-अप आदि) पर मौजूद कृषि आधारभूत ढांचा परियोजनाओं को वित्तपोषण के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की वित्तपोषण सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी ।
  • उत्पाद सीधे किसान से खरीदने के लिए आसपास के क्षेत्र और संग्रह बिंदु, किफायती और आर्थिक रूप से व्यवहार्य के बाद उसके प्रबंधन के लिए बुनियादी ढांचे के विकास को प्रोत्सहन दिया जायेगा |
  • यह फंड तुरंत ही निर्मित किया जायेगा |

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आत्मनिर्भर भारत: डेयरी क्षेत्र के लिए कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज में छूट हेतु दिए जाएंगे 100 करोड़ रुपये

डेयरी क्षेत्र के लिए कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज में छूट

कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान बड़ी मात्रा में दूध की खरीद और बिक्री में कमी होने के कारण, दूध / डेयरी सहकारी समितियों ने बड़े पैमाने पर अधिक समय तक उपयोग के लायक उत्पादों जैसे दूध पाउडर, सफेद मक्खन, घी, और यूएचटी दूध आदि के उत्पादन को अपनाया। इन उत्पादों को अपनाने के कारण धन के प्रवाह में कमी आयी और किसानों को भुगतान करने में कठिनाई हुई। आइसक्रीम, फ्लेवर दूध, घी, पनीर आदि जैसे उच्च मूल्य वाले उत्पादों की मांग में कमी के कारण दूध की छोटी मात्रा को ही मूल्य वर्धित उत्पादों जैसे पनीर और दही में परिवर्तित किया जा रहा है। इससे बिक्री कारोबार और भुगतान प्राप्ति प्रभावित हो रही है। जिसके कारण सहकारी समितियों की मौजूदा स्तर पर दूध की खरीद करने की क्षमता कम हो जाएगी | जिससे खरीद मूल्य को कम करने के लिए मजबूर हो जाएंगे, जिसका सीधा असर किसानों पर पड़ेगा।

डेयरी क्षेत्र पर कोविड-19 के आर्थिक प्रभावों की भरपाई करने के लिए मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने एक नई योजना “डेयरी क्षेत्र के लिए कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज में छूट” की शुरुआत की है। योजना के तहत 2020-21 के दौरान डेयरी सहकारी समितियों और किसान उत्पादक संगठनों (एसडीसी और एफपीओ) को सहायता प्रदान की जायेगी।

डेयरी क्षेत्र के लिए कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज में छूट योजना की शुरुआत

सहकारी और किसान स्वामित्व वाली दुग्ध उत्पादक कंपनियों की कार्यशील पूंजी की जरूरतों को पूरा करने के लिए, 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 के बीच अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों / आरआरबी / सहकारी बैंकों / वित्तीय संस्थानों से लिए गए कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज में छूट दी जायेगी। सहकारी समितियों / एफपीओ को संरक्षित वस्तुओं और अन्य दुग्ध उत्पादों में दूध के रूपांतरण के लिए यह सुविधा दी जायेगी। इस योजना में 2 प्रतिशत प्रति वर्ष की दर से ब्याज में छूट देने का प्रावधान किया गया है। यदि शीघ्र और समय पर पुनर्भुगतान / ब्याज की अदायगी की जाती है तो ऐसे मामले में ब्याज में 2 प्रतिशत प्रति वर्ष के अतिरिक्त छूट का भी प्रावधान है।

डेयरी क्षेत्र के लिए कार्यशील पूंजी ऋण पर ब्याज में छूट योजना से लाभ

  • दूध उत्पादकों को स्थिर बाजार की सुविधा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।
  • उत्पादन स्वामित्व वाले संस्थान समय पर दूध उत्पादकों को बिल का भुगतान करने में सक्षम होंगे।
  • उचित मूल्य पर उपभोक्ताओं को गुणवत्ता वाले दूध और दूध उत्पादों की आपूर्ति करने में उत्पादक स्वामित्व वाले संस्थानों को मदद मिलेगी। यह संरक्षित डेयरी वस्तुओं और अन्य दूध उत्पादों के घरेलू बाजार के मूल्य को स्थिर करने में भी मदद करेगा।
  • दुग्ध उत्पादकों के लिए डेयरी संचालन को लाभकारी बनाने के साथ-साथ फ्लश सीजन के दौरान भी किसानों की आय में निरंतर वृद्धि। इससे आयातित वस्तुओं पर निर्भरता में कमी आयेगी, जिससे दूध और दूध उत्पादों की घरेलू कीमतों को स्थिर करने में मदद मिलेगी।

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किसान अब 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की दर से समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे चना, सरसों एवं मसूर

समर्थन मूल्य पर चना,सरसों एवं मसूर की खरीद

देश के सभी राज्यों में अभी रबी फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी जोरों पर हैं | गेहूं, चना, सरसों एवं मसूर का समर्थन मूल्य पर उपार्जन करने के लिए कई केंद्र बनायें गए हैं जहाँ किसान मेसेज प्राप्त होने पर उपज बेच रहे हैं | राज्य सरकारों द्वारा किसानों से प्रति हेक्टेयर फसलों की खरीद के लिए लिमिट तय की जाती है यह जिलेवार अलग-अलग भी हो सकती है जिसके अनुसार ही किसान अपनी उपज बेच सकते हैं | जहाँ कुछ राज्य सरकार जैसे राजस्थान में चना एवं सरसों उपार्जन के लिए 10 प्रतिशत अधिक किसानों से पंजीकरण करवाने का फैसला लिया है यहाँ के किसान 40 क्विंटल तक उपज बेच सकते हैं, वहीँ मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने एक किसान से खरीद की मात्रा बढ़ाने का फैसला लिया है |

अधिक उत्पादन के चलते लिया गया फैसला

प्रदेश सरकार ने किसानों को लाभान्वित करने के लिये चना, मसूर एवं सरसों का उपार्जन प्रति हेक्टेयर 20 क्विंटल करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से किसानों को प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त लाभ प्राप्त होगा। कृषि मंत्री श्री पटेल ने बताया कि इस वर्ष रबी की फसलों का बम्पर उत्पादन हुआ है। प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में वृद्धि को देखते हुए किसानों को लाभान्वित करने के लिये सरकार ने 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उपार्जन में वृद्धि की है। इससे प्रदेश में पंजीकृत 5 लाख 30 हजार किसानों को फायदा मिलेगा। चना के विक्रय से लगभग 325 करोड़ रुपये और सरसों के विक्रय से लगभग 146 करोड़ रुपये का अतिरिक्त लाभ किसानों को होगा।

पिछले वर्ष चना एवं सरसों खरीद की दर

पिछले वर्ष में चने का उपार्जन नरसिंहपुर, हरदा, होशंगाबाद, छिंदवाड़ा, रायसेन, विदिशा को छोड़कर शेष जिलों में 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के मान से किया गया था। इससे किसानों को 15 क्विंटल से अधिक उपज को समर्थन मूल्य से एक हजार कम रुपये में बाजार में बेचते हुए नुकसान उठाना पड़ा। उन्होंने कहा कि किसान पुत्र और किसान हितैषी मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए एक ओर जहाँ चना का उपार्जन 5 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ाया है, वहीं दूसरी ओर सरसों का उपार्जन 7 क्विंटल प्रति हेक्टेयर बढ़ाने का निर्णय लिया। गत वर्ष सरसों का औसत उपार्जन पूरे प्रदेश में 13 क्विंटल प्रति हेक्टेयर था।

  • चने का समर्थन मूल्य 4875 रुपये
  • सरसों का समर्थन मूल्य 4425 रुपये हैं |

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सरकार की नई योजना: किसान 3 प्रतिशत ब्याज पर ले सकेगें 3 लाख रुपये तक का लोन

खेती किसानी के लिए कम ब्याज पर लोन की योजना

देश को कोरोना संकट से उबारने के लिए जहाँ केंद्र सरकार ने सभी वर्गों के लिए खजाना खोला है वही इसमें किसानों के लिए भी कई अलग-अलग योजनाओं की घोषणा की गई है | जहाँ केंद्र सरकार ने किसानों को ऋण सुविधा उपलब्ध करवाने के लिए 30,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त वित्तीय सहायता देने का फैसल लिया है वहीँ राज्य सरकारें भी किसानों को ऋण उपलब्ध करवाने के लिए आगे आई हैं |सरकार द्वारा पहले ही किसानों को शून्य प्रतिशत ब्याज पर ऋण या किसान क्रेडिट कार्ड पर कम ब्याज दरों पर ऋण देने के लिए योजनायें चलाई जा रही है |  कोविड-19 महामारी के इस दौर में राजस्थान के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत किसानों को राहत देने के लिए लगातार महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं | उन्होंने किसानों को फसल का बेहतर मूल्य दिलाने, खरीद के लिए सुगम एवं विकेन्द्रीकृत व्यवस्था करने और उपज को रहन रखकर कम ब्याज दर पर ऋण उपलब्ध कराने जैसे कई महत्वपूर्ण प्रस्तावों को शुक्रवार को मंजूरी दी है।

सहकार किसान कल्याण योजना में प्रतिवर्ष 50 करोड़ रूपये का अनुदान

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कृषक कल्याण कोष से सहकार किसान कल्याण योजना में प्रतिवर्ष 50 करोड़ रूपये का अनुदान देने का अहम फैसला किया है। इससे किसानों को अब अपनी उपज को रहन रखकर मात्र 3 प्रतिशत ब्याज दर पर ऋण मिल सकेगा, जबकि 7 प्रतिशत ब्याज राज्य सरकार द्वारा कृषक कल्याण कोष से वहन किया जाएगा। पहले राज्य सरकार द्वारा केवल 2 प्रतिशत ब्याज वहन किया जाता था।

आमतौर पर बाजार में फसल आने के समय जिंसों के भाव कम होते हैं, लेकिन आवश्यकताओं की पूर्ति और संस्थागत ऋणों को चुकाने के लिए किसान कम दामों पर ही फसल बेचने को मजबूर हो जाते हैं। फसल नहीं बेचें तो जरूरी कार्यों के लिए उन्हें साहूकारों या बिचौलियों के पास अपनी उपज रहन रखकर ऊंची ब्याज दरों पर ऋण लेना पड़ता है। इन परिस्थितियों से बचाकर किसान को तात्कालिक वित्तीय आवश्यकताओं की पूर्ति करने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री ने सहकार किसान कल्याण योजना में प्रतिवर्ष 50 करोड़ रूपये का अनुदान दिया जायेगा |

किसान ले सकेगें 3 प्रतिशत ब्याज पर 3 लाख रुपये तक का लोन

योजना के तहत किसानों को उनके द्वारा रहन रखी गई उपज के बाजार मूल्य या समर्थन मूल्य, जो भी कम हो के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा तथा मूल्यांकित राशि की 70 प्रतिशत राशि रहन ऋण के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी। लघु एवं सीमान्त किसानों के लिए 1.50 लाख तथा बड़े किसानों को 3 लाख रूपये तक का ऋण मात्र 3 प्रतिशत ब्याज दर पर मिल सकेगा। यह योजना किसानों के लिए बेहद उपयोगी होगी। वे अपनी कृषि उपज उचित भाव मिलने पर बेच सकेंगे। उन्हें यह सुविधा उनके ग्राम के समीप ही सुलभ हो सकेगी।

किसान को 90 दिवस की अवधि के लिए यह ऋण मिलेगा। विशेष परिस्थितियों में यह सीमा 6 माह तक हो सकेगी। निर्धारित समय में ऋण का चुकारा करने पर किसान को ब्याज अनुदान मिलेगा। किसानों की उपज को सुरक्षित करने के लिए इस योजना को ‘अ’ एवं ‘ब’ श्रेणी की उन ग्राम सेवा सहकारी समितियों में क्रियान्वित किया जाएगा जिनका नियमित ऑडिट हो रहा हो, लाभ में चल रही हो, एनपीए का स्तर 10 प्रतिशत से कम हो, सरप्लस रिसोर्सेज उपलब्ध हो तथा पूर्णकालिक व्यवस्थापक या सहायक व्यवस्थापक कार्यरत हो। इस योजना के तहत जीएसएस या लैम्पस के सभी ऋणी एवं अऋणी किसान सदस्य उपज रहन कर ऋण लेने के पात्र होंगे।

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आर्थिक पैकेज में किसानों को आसानी से ऋण उपलब्ध करवाने हेतु 30,000 करोड़ रुपये का प्रावधान

किसान ऋण के लिए 30 हजार करोड़ रुपये

कोरोना संक्रमण रोकने के लिए देश भर में चल रहे लॉक डाउन में देश के सभी वर्गों के व्यक्तियों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है | इस आर्थिक चुनौती का सामना करने के लिए माननीय प्रधानमंत्री मोदी जी ने 12 मई 2020 को भारत की जीडीपी के 10% के बराबर 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक और व्यापक पैकेज की घोषणा की। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत अभियान का आह्वान किया। उन्होंने आत्मनिर्भर भारत के पांच स्तंभों यथा अर्थव्यवस्था, अवसंरचना, प्रणाली, युवा आबादी या शक्ति और मांग को भी रेखांकित किया। इसके बाद 13 मई को वित्त मंत्री श्रीमती सीतारमण ने प्रवासियों, किसानों, छोटे कारोबारियों और रेहड़ी-पटरी वालों सहित गरीबों की सहायता के लिए अल्‍पकालि‍क और दीर्घकालिक उपायों की घोषणा की | इस घोषणा में किसानों के लिए आसानी से ऋण उपलब्ध करवाने की बात भी कही गई |

श्रीमती सीतारमण ने कहा कि माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी सदैव ही प्रवासी श्रमिकों और किसानों सहित गरीबों की कठिनाइयों को लेकर चिंतित रहते हैं। किसान और श्रमिक इस राष्ट्र की रीढ़ हैं। वे कड़ी मेहनत कर हम सभी की सेवा करते हैं। प्रवासी श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के अलावा शहरी क्षेत्रों में किफायती और सुविधाजनक किराये वाले आवास की आवश्यकता होती है। प्रवासी और असंगठित कामगारों सहित गरीबों के लिए रोजगार अवसर सृजित करने की भी जरूरत है। किसानों को समय पर और पर्याप्त ऋण सहायता की आवश्यकता है। सरकार द्वारा किसानों, छोटे कारोबारियों और रेहड़ी-पटरी वालों सहित गरीबों की सहायता के लिए अल्‍पकालि‍क और दीर्घकालिक ऋण की व्यवस्था की गई है |

किसानों के लिए 30,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आपातकालीन कार्यशील पूंजी

आर्थिक पैकेज के तहत ग्रामीण सहकारी बैंकों और आरआरबी की फसल ऋण आवश्यकता को पूरा करने के लिए नाबार्ड 30,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्‍त पुनर्वित्तीय सहायता प्रदान की जाएगी । यह पुनर्वित्त फ्रंट-लोडेड (असमान रूप से आवंटित) और मांग के अनुसार प्राप्य होगा। यह 90,000 करोड़ रुपये से अतिरिक्‍त राशि है, जो सामान्यत: इस क्षेत्र को नाबार्ड द्वारा प्रदान की जाएगी। इससे लगभग 3 करोड़ किसानों को फायदा होगा, जिनमें ज्यादातर छोटे और सीमांत हैं और इससे उनकी रबी की फसल कटाई के बाद और खरीफ की मौजूदा जरूरते पूरी होंगी।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना के तहत 2.5 करोड़ किसानों को 2 लाख करोड़ रुपये का ऋण

यह पीएम-किसान के लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से रियायती ऋण प्रदान करने के लिए एक विशेष अभियान है। मछुआरे और पशुपालक किसान भी इस अभियान में शामिल किए जाएंगे। इससे कृषि क्षेत्र में 2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त नकदी आएगी।  इसके तहत 2.5 करोड़ किसानों को कवर किया जाएगा।

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जानिए इस वर्ष कब तक केरल पहुंचेगा मानसून, मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान

मानसून पूर्वानुमान

देश में किसानों के लिए मानसून अत्यंत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि खरीफ की पूरी फ्क़सल ही मानसून पर निर्भर करती है | देश में किसान मानसून के अनुसार ही खरीफ फसलों की तैयारी एवं बुआई मानसून के अनुसार ही पूरी करते हैं ऐसे में सही समय पर मानसून का आना किसानों के लिए एक अच्छी खबर है | भारतीत मौसम विज्ञान विभाग ने मानसून के लिए पूर्वानुमान जारी किया है जिसके अनुसार इस वर्ष केरल राज्य के ऊपर मॉनसून का आरंभ 5 जून को होने का अनुमान है जिसमें 4 दिन कम/अधिक हो सकते हैं ।

देश में मानसून आने का सही समय

वैसे सामन्यतः देश में केरल के रस्ते प्रवेश करने वाला मानसून 1 जून तक आ जाता है परन्तु इस वर्ष इस वर्ष केरल के ऊपर मॉनसून का आरंभ होने में 1 जून की आरंभ होने की सामान्य तिथि की तुलना में थोड़ी देर हो सकती है। इस वर्ष केरल के ऊपर मॉनसून का आरंभ 5 जून को होने का अनुमान है जिसमें 4 दिन कम/अधिक हो सकते हैं। भारत की मुख्य भूमि के ऊपर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का आगे बढ़ना केरल के ऊपर मॉनसूनके आरंभ से चिन्हित होता है और यह एक गर्म और शुष्क मौसम से वर्षा के मौसम में रूपांतरण को निरुपित करने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत है। जैसे जैसे मॉनसून उत्तर दिशा में आगे की ओर बढ़ता है, इन क्षेत्रों को चिलचिलाती गर्मी के तापमान से राहत मिलने लगती है। 1 जून को केरल के ऊपर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का आरंभ होता है जिसमें मानक विचलन लगभग 7 दिनों का होता है।

इस वर्ष सामान्य रहेगा मानसून

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा जो वर्ष 2020 के लिए मानसून का पहला पूर्वानुमान पहले जारी किया गया है उसके अनुसार देश में जून से सितम्बर के बीच मानसून सामान्य रहने की उम्मीद है | इस समय देश में 96 से 104 प्रतिशत तक वर्षा रहने की संभावना है | जारी किये गये अनुमानों के अनुसार मात्रात्मक रूप से 5 प्रतिशत ज्यादा या कम रहने की संभावना है | अगर दीर्घकालीन अवधि की बात किया जाये तो देश भर में 100 प्रतिशत वर्षा रहने की उम्मीद है |

पिछले वर्षों में मौसम विभाग द्वारा मानसून आने का पूर्वानुमान

वैसे तो हर वर्ष मौसम विभाग के द्वारा मानसून आने का पूर्वानुमान जारी किया जाता है जो लगभग सटीक रहता है | पिछले 15 वर्षों (2005-2019) के दौरान केरल के ऊपर मॉनसून के आरंभ होने की तिथि का आईएमडी का प्रचालनगतपू र्वानुमान 2015 को छोड़कर सही साबित होता रहा है। पिछले पांच वर्षों (2015-2019) के लिए पूर्वानुमान सत्यापन नीचे की सारिणी में दिया गया है:

वर्ष
वास्तविक आरंभ तिथि
पूर्वानुमान आरंभ तिथि

2015

5 जून

30 मई

2016

8 जून 

7 जून

2017

30 मई 

30 मई

2018

9 मई 

29 मई

2019

8 जून 

6 जून

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किसान खुद इस तरह चेक करें यूरिया एवं डी.ए.पी खाद में कोई मिलावट तो नहीं है

यूरिया एवं डी.ए.पी खाद की शुद्धता जांच

किसानों को सभी फसलों में अच्छी उत्पादकता के खाद उर्वरक का प्रयोग करना ही पड़ता है | इन खादों में किसान सबसे अधिक यूरिया एवं डी.ए.पी का प्रयोग करते हैं | समय-समय पर किसानों को उर्वरक की कमी होने पर कई बार दुकानदारों के द्वारा मिलावटी खाद दे दिया जाता है जिससे फसलों के साथ साथ किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है साथ पैदावार में भी काफी कमी आती है | किसानों के द्वारा अक्सर यह शिकायत की जाती है की उन्होंने ने जो खाद खरीदी है उसमें मिलावट है | राज्य सरकारों के द्वारा भी हर वर्ष कई खाद, बीज, एवं उर्वरक प्रतिष्ठानों पर छापा मारी की जाती है जहाँ से काफी मात्रा में मिलावटी उर्वरक प्राप्त होता हैं |

रसायनिक उर्वरक यूरिया में साधारण नमक, प्यरेट ऑफ पोटाश, एसएसपी, रॉक फास्फेट, चिकनी मिट्टी आदि की मिलावट का अंदेशा रहता है। इसी तरह डीएपी में क्ले मिट्टी जिप्सम की गोलियां, एसएसपी, एमओपी उर्वरकों में बालू एवं साधारण नमक, उर्वरक एनपीके में एसएसपी, रॉक फॉस्फेट, एनपीके मिश्रण, जिंक सल्फेट में मैगनिश्यिम सल्फेट तथा कॉपर सल्फेट एवं फेरस सल्फेट उर्वरक में बालू व साधारण नमक की मिलावट की जाती है |

किसान इस विधि से कर सकते हैं मिलावटी यूरिया एवं डी.ए.पी. की जांच

मिलावटी यूरिया एवं डी.ए.पी. की जांच किसान कृषकगण सीएफसीएल द्वारा विकसित विधि से स्वयं कर सकते है। भारत सरकार के सेन्ट्रल फॅर्टिलाईजर क्वालिटी कन्ट्रोल एण्ड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट फरीदाबाद द्वारा रसायनिक उर्वरकों में मिलावट की जांच के लिए बहुत ही आसान तरीका बताया गया है। जिसके जरिए कृषक रसायिनक उर्वरकों की गुणवत्ता की जांच त्वरित रूप से कर सकते हैं।

मिलावटी यूरिया की जांच

शुद्ध यूरिया चमकदार, लगभग समान आकार के दाने वाला, पानी में पूर्णतः घुलनशील होता है। शुद्ध यूरिया को पानी घोलकर छूने पर ठंडेपन का एहसास होता है। गर्म तवे पर रखने पर शुद्ध यूरिया पूरी तरह पिघल जाता है और ऑच तेज करने पर कोई अवशेष नहीं बचता। इसकी शुद्धता के परीक्षण का सबसे आसान तरीका यह है कि थोड़ा सा पानी हथेली पर ले, दो मिनट बाद जब हथेली और पानी का तापमान एक समान हो जाए तो उसमें 10-15 दाने यूरिया के डाले। शुद्ध यूरिया पानी में पूरी तरह घुलकर हथेली को ठण्डक प्रदान करेगा। यदि ठण्डक महसूस न हो तो यूरिया मिलावटी है।

यूरिया के परीक्षण का दूसरा तरीका यह है कि एक चम्मच यूरिया घोल में आधा मिलीलीटर बेरियम क्लोराईड मिलाने पर शुद्ध यूरिया का घोल स्वच्छ होगा। यदि सफेद अवक्षेप मिलता है तो यूरिया मिलावटी है।

मिलावटी डी.ए.पी. की जांच

शुद्ध डी.ए.पी. के दानों का आकार एकदम गोल नहीं होता, डी.ए.पी. के दानों को गर्म करने या जलाने पर दाने खुलकर साबुनदाने की भांति लगभग दोगुने आकार के हो जाए तो वह शुद्ध होगा। डी.ए.पी. के दानों को लेकर फर्श पर रखें फिर जूते से ताकत से रगड़े शुद्ध डी.ए.पी. के दाने आसानी से नहीं फूटेंगे। यदि दाने आसानी से टूट जाए तो डी.ए.पी. में मिलावट है। डी.ए.पी. में नाइट्रोजन की जांच के लिए एक ग्राम पीसे हुए डी.ए.पी. चूर्ण में चूना मिलाकर सूंघने पर अमोनिया की गंध आए तो उसमें नाइट्रोजन विद्यमान है। यदि अमोनिया की गंध महसूस न हो तो डी.ए.पी. मिलावटी है।

मिलावटी सिंगल सुपर फास्फेट एवं जिंक सल्फेट की जांच

सिंगल सुपर फास्फेट के शुद्धता की जांच के लिए उसके एक दाने को हथेली पर रगड़ने से टूट जाए तो वह शुद्ध है। शुद्ध जिंक सल्फेट पानी में घुलनशील होता है, लेकिन इसका घोल यूरिया, पोटाश के घोल की तरह ठण्डा नहीं होता तो वह शुद्ध है। डी.ए.पी. के घोल में जिंक सल्फेट के घोल को मिलाने पर थक्केदार घना अवक्षेप बन जाता है।

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समर्थन मूल्य पर की जा रही है वनोपज की खरीद

वनोपज खरीद

वनोपज पर आधारित किसान तथा आदिवासी समाज के लिए वन एक वरदान है | वन में पाये जाने वाले पेड़ पौधों से विभिन्न प्रकार के वन आधारित औषधिय फल तथा फुल संग्रह किये जाते हैं | वर्ष में एक बार पेड़ तथा पौधों में लगने वाले फुल तथा फल का आदिवासी को वर्ष भर इंतजार रहता है | इसके संग्रह के लिए राज्य सरकार एक माह तथा उससे ज्यादा दिन के लिए वन में जाने के लिए लाईसेंस देते है और राज्य सरकार द्वारा कुछ वनोपज समर्थन मूल्य पर खरीदी जाती है, जिससे उनका वर्ष भर के लिए जीवका साधन बनता है |

समर्थन मूल्य पर की जा रही है वनोपज की खरीद

इस वर्ष वन क्षेत्र के फल फुल संग्रह करने के लिए 15 अप्रैल से मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों के वन आधारित आजीवका चलाने वाले लोगों को छुट दी थी | इसके साथ ही राज्य सरकार ने सभी वन संग्रह का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय किया था जो पिछले वर्ष से ज्यादा है | लगभग एक माह के बाद राज्य में महुआ की खरीदी सबसे ज्यादा हुआ है |

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया की गत 15 अप्रैल को वनोपज मूल्यों में कि गई वृद्धि को लेकर संग्राहक उत्साहित हैं | अप्रैल के अंतिम सप्ताह से महुआ फुल संग्रहण शुरू हुआ है | राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा अब तक प्रदेश में 1380 क्विंटल फुल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय किया जा चूका है |

वनोपज में सबसे ज्यादा महुआ का संग्रह किया जाता है | मध्यप्रदेश में लगभग 75 हजार परिवार महुआ संग्रहण का कार्य करते हैं | इसके अलावा भी वन से चिरोजी, कुसुम लार, पलाश लाख, हर्रा, बहेड़ा, बेल्पोड़ा, चकोड़ा, शहद, करंज, साल, निबोली, नागरमौथा का भी उपार्जण किया जाता है | अलग जिलों में अलग प्रकार का औषधिय पौधों से फल तथा फुल का संग्रह किया जाता है |

जानिए क्या है  इस वर्ष वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य

राज्य सरकार ने इन सभी वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है | जिससे इसकी उपार्जन करने वाले को ज्यादा फायदा हुआ है | मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने महुआ की मूल्य में 30 से रूपये बढ़कर 35 रूपये किया है | इसके साथ ही चिरोंजी का उपार्जन 109 से बढ़कर 130 , कुसुम लार 203 से 230 रूपये , पलाश लाख 130 से 150 रूपये , हर्रा 15 से 20 रूपये, बहेड़ा 17 से बढ़ाकर 25 रूपये, बेलपोड़ा 27 से बढ़कर 30 रूपये, चकोड़ा १४ से 20 रूपये, शहद 19५ से 225 रूपये, करंज 35 से 40 रूपये, साल बीज 20 से 25 रूपये , निंबोली 23 से 30 रूपये ओर नागर मौथा 27 से 35 रूपये उपार्जन मूल्य पर क्रय किया जा रहा है |

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