कपास की बुआई का समय शुरू हो गया है, ऐसे में किसान कम लागत में इसकी अच्छी पैदावार ले सकें इसके लिए कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा लगातार किसान हित में सलाह जारी की जा रही है, साथ ही अलग-अलग पंचायतों में किसानों को प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है। इस बार कृषि विभाग द्वारा किसानों को कपास की बुआई का काम 20 मई तक पूरा करने की सलाह दी जा रही है ताकि फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप ना हो।
इस कड़ी में राजस्थान के कृषि विभाग द्वारा किसानों को कपास की अनुशंसित उन्नत किस्में लगाने की सलाह दी गई है। साथ ही बीजों की बुआई, बीज की मात्रा आदि के बारे में भी किसानों को जानकारी दी जा रही है। इसमें अमेरिकन कपास या नरमा की खेती करने वाले किसानों को इसकी बुआई का काम शुरू करने की भी सलाह दी गई है।
अमेरिकन कपास/ नरमा की उन्नत किस्में
कृषि विभाग की ओर से इस वर्ष किसानों को नरमा की उन्नत किस्में जैसे आरएस 2814, आरएस 2818, आरएस 2827, बीकानेरी नरमा, आरएसटी 9, आरएस 875, आरएस 81, आरएस 2013 लगाने की सलाह दी गई है। किसान इन किस्मों की खेती के लिए 4 किलो प्रति बीघा की दर से बीज की बुआई करें। वहीं बुआई के दौरान पंक्ति से पंक्ति की दूरी 67.50 सेंटीमीटर तथा पौधे से पौधे की दूरी लगभग 30 सेंटीमीटर रखें। वैसे तो नरमा की बुआई के लिए उपयुक्त समय 15 अप्रैल से 15 मई तक है परंतु बुआई मई माह के अंत तक भी की जा सकती है।
नरमा में सिंचाई और खाद कब डालें?
किसान नरमा की क़िस्म आरएसटी में पहली सिंचाई बुआई के 50 दिन बाद भी कर सकते हैं। इसके अलावा अन्य किस्मों में पहली सिंचाई 30 से 35 दिनों बाद करनी चाहिए। अगर किसान नाइट्रोजन की पहली मात्रा बुआई के समय नहीं दे सके तो यह प्रथम सिंचाई के समय भाखड़ा क्षेत्र में 12.5 किलो नाइट्रोजन प्रति बीघा एवं गंगानगर क्षेत्र में 10 किलो नाइट्रोजन प्रति बीघा दी जानी चाहिए।
पहली सिंचाई के समय बुआई के 30 से 40 दिन के मध्य आवश्यकता से अधिक पौधे उखाड़ते हुए पौधे से पौधे की दूरी 30 सेंटीमीटर रखें एवं क़िस्म आरएस 875 में पौधे से पौधे की दूरी 20 सेंटीमीटर बनाये रखें।
नरमा में खरपतवार नियंत्रण कैसे करें?
किसान पहली सिंचाई के बाद बतर आने पर कसिये से निराई गुड़ाई का काम करें। इसके बाद आवश्यकतानुसार एक या दो बार त्रिफाली चलायें। रसायनों द्वारा खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडामेथालिन ( 30 ई.सी.) के 833 मिली या ट्राईफ्लूरालीन 48 ई.सी. 780 मिली को 150 लीटर पानी में घोलकर प्रति बीघा की दर से फ़्लेट फेन नोजल से उपचार करने से नरमें की फसल प्रारंभिक अवस्था में खरपतवार विहीन रहती है। इनका प्रयोग बिजाई से पहले मिट्टी पर छिड़काव अच्छे से मिलाकर करें।