हर साल बेमौसम बारिश, हवा आँधी एवं कीट-रोगों के चलते आम, अमरूद और लीची की फसल को काफी नुकसान होता है। ऐसे में मंजर और पके आम को पेड़ से गिरने से रोकने के लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। बिहार सरकार आम के साथ ही लीची एवं अमरूद की देखभाल करने के लिए योजना शुरू करने जा रही है। इन फलों को मधुआ और दहिया कीट से काफी अधिक खतरा होता है, इन कीटों से फलों को बचाने के लिए सरकार कीटनाशी दवाओं का छिड़काव कराएगी।
कीट लगने के बाद पेड़ से मंजर और पके आम गिरने लगते हैं। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होता है इसे रोकने के लिए मंजर और इसके बाद वाली अवस्था वाले आम के पेड़ों पर कीटनाशी दवा का छिड़काव होगा। आम, लीची और अमरूद को कीटों से बचाने के लिए सरकार 8 करोड़ 54 लाख रुपये खर्च करेगी।
आम पर कीटनाशक छिड़कने के लिए कितना अनुदान मिलेगा
सामान्यतः आम के पेड़ों पर दो बार कीटनाशक दवाओं के छिड़काव की आवश्यकता होती है। पहली बार कीटनाशी छिड़काव पर किसानों को औसतन 76 रुपये का खर्च आता है इसमें सरकार किसानों को 57 रुपये का अनुदान देगी। वहीं दूसरी बार आम के वृक्षों पर दवा के छिड़काव पर 96 रुपये का खर्च आता है जिस पर सरकार किसान को 72 रुपये प्रति पेड़ अनुदान देगी। किसानों को यह अनुदान अधिकतम 112 पेड़ों पर छिड़काव के लिए ही दिया जाएगा।
अमरूद और लीची पर दवा छिड़काव के लिए कितना अनुदान मिलेगा?
योजना के तहत सरकार अमरूद और लीची की फसलों पर भी दो बार दवाओं के छिड़काव के लिए अनुदान देगी। इसमें किसानों को लीची के पेड़ों पर पहले छिड़काव में 316 रुपये का खर्च आता है जिस पर सरकार किसान को 162 रुपये का अनुदान देगी। वहीं लीची पर दूसरे छिड़काव के लिए 152 रुपये की लागत पर 114 रुपये की सब्सिडी दी जायेगी। किसानों अधिकतम लीची के 84 वृक्षों पर ही दवा के छिड़काव पर अनुदान दिया जाएगा।
वहीं बात करें अमरूद की तो सरकार इसके वृक्षों पर पहली बार कीटनाशक के छिड़काव पर 33 रुपये का अनुदान देगी एवं दूसरी बार कीटनाशकों का छिड़काव करने पर सरकार 45 रुपये प्रति पेड़ की दर से अनुदान देगी। सरकार किसानों को अमरूद के अधिकतम 56 पेड़ों के लिये ही अनुदान उपलब्ध कराएगी।