18000 किसानों ने लिया मुफ्त में किराये पर ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्र योजना का लाभ

मुफ्त में किराये पर ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्र योजना

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते देश में हुए अचानक लॉकडाउन के चलते किसानों को कृषि यंत्र न मिल पाने के कारण किसानों को खेती-किसानी के कार्यों में काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा था ऐसे में राजस्थान सरकार ने टैफे मोटर्स के साथ मिलकर किसानों को नि:शुल्क ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र कि सुविधा देने की योजना की शुरुआत की थी | निःशुल्क ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्र किराए पर उपलब्ध करवाने की योजना से अब तक 18 हजार जरूरतमंद किसानों को लाभ मिल चुका है। इन काश्तकारों को 60 हजार घण्टे से अधिक की मुफ्त सेवा दी जा चुकी है। यह सेवा आगामी 30 जून तक जारी रहेगी।

इन जिले के किसानों ने लिया निःशुल्क ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्र किराए की योजना का लाभ

राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने बताया कि जरूरतमंद पात्र किसानों की ओर से मांग आने पर टैफे कम्पनी की ओर से सेवा दी जा रही है। अप्रेल मध्य से अब तक 19 हजार पात्र काश्तकारों के ऑर्डर स्वीकार किए गए हैं। इनमें से 18 हजार किसानों को 60 हजार घंटों से अधिक की सेवा मुहैया कराई जा चुकी है। ऑर्डर मिल चुके अन्य किसानों को निरन्तर सेवा उपलब्ध करवाई जा रही है। 

इस योजना का सीकर जिले के किसानों ने सबसे ज्यादा लाभ लिया है, जहां पर तीन हजार किसानों ने 12 हजार से अधिक घण्टों की सेवा ली है। इसी प्रकार अलवर में 2555 किसानों को 7876, जयपुर में 1775 किसानों को 5806, भरतपुर में 1252 किसानों को 3291, झुंझुनूं में 990 किसानों को 3926, अजमेर में 938 किसानों को 3162 घण्टे की सेवा दी जा चुकी है। इसी तरह बारां के 926 काश्तकारों को 2504, जोधपुर के 925 किसानों को 3578, झालावाड़ के 860 किसानों को 3513, नागौर के 855 किसानों को 3526, टोंक के 805 किसानों के 2882, करौली के 711 किसानों के 2030 घण्टे की सेवा मुहैया कराई गई है।

क्या है मुफ्त में किराये पर ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्र योजना

15 अप्रैल से शुरू किया गया नि:शुल्क  ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र योजना 30 जून तक संचालित किया जायेगा | योजना उन राजस्थान के उन सभी किसनों के लिए हैं जो राज्य का निवासी हैं तथा जिनके पास 2 हेक्टेयर से अकम भूमि है | योजना के अनुसार  ट्रैक्टर के अलावा थ्रेसर तथा फसल कटाई के लिए अन्य कृषि यंत्र उपलब्ध कराया जायेगा |

किसान ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्र किराये पर योजना का लाभ ऐसे लें ?

 राजस्थान में यह योजना सभी जिलों में चलाई जा रही है, लेकिन योजना का लाभ केवल लघु तथा लघु सीमांत किसान ही प्राप्त कर सकते हैं | योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए 9282222885 नंबर पर एसएमएस भेजकर जेफार्म सर्विसेज से सम्पर्क कर सकते हैं | किसान पहले से जेफार्म सर्विसेज में पंजीकृत हैं और किराए पर ट्रैक्टर एवं अन्य उपकरण के लिए आर्डर करना चाहते हैं तो “ए” लिखकर संदेश भेजें , अगर पंजीकृत नहीं है तो “बी” संदेश भेजें |

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290 लाख गाय एवं भैंस वंशीय पशुओं को लगाया जाएगा टीका

गाय एवं भैंस वंशीय पशुओं का टीकाकरण

ग्रीष्म ऋतू समाप्त होने को है इसके बाद देश में बारिश का मौसम शुरू हो जायेगा | बारिश के मौसम में बहुत सी संक्रमित बीमारी फैलने का डर रहता है खासकर पहुओं में | गौ–भैंस वंशीय पशुओं में फूट एंड माउथ और ब्रुसेला डिसीज बीमारी होने कि संभावना रहती है | इसकी रोकथाम के लिए केंद्र सरकार के तरफ से टीकाकरण योजना की शुरुआत की गई है जिससे बीमारी शुरू होने से पहले ही रोका जा सकता है | यह टीकाकरण देश के अलग–अलग राज्यों में चलाया जा रहा है | इसके तहत देश के सभी गाय तथा भैंस वंशीय पशुओं को टीका लगाया जायेगा| मध्य प्रदेश सरकार बरसात शुरू होने से पहले टीकाकरण को शुरू करने जा रही है |

मध्य प्रदेश में 290 लाख गाय तथा भैंस वंशीय पशुओं का टीकाकरण किया जायेगा | इस योजना के लिए भारत सरकार द्वारा 13 हजार 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है | यह टीकाकरण एक वर्षीय है तथा इसे दो चरणों में पूरा किया जायेगा | टीकाकरण कि तैयारी पहले से चल रही थी तथा इसके लिए राज्य सरकार ने केंद्र सरकार को 301 करोड़ 76 लाख की योजना प्रस्तुत कि गई है | इसमें प्रथम चरण के लिए 174.51 करोड़ एवं दिव्तीय चरण के लिए 127.26 करोड़ का प्रावधान रखा गया है |

योजना के तहत एक वर्ष में दो बार किया जायेगा टीकाकरण

एक वर्षीय इस योजना के अंतर्गत 6 माह के अंतराल में दो बार पशुओं का टीकाकरण किया जाएगा | गत वर्ष प्रथम चरण के लिए 48 करोड़ 42 लाख का पुनर्वेधीकरण भारत सरकार द्वारा किया गया है | प्रथम चरण में मात्र गौवंश, भैंस वंशीय, बकरी भेद एवं सूकर का शत प्रतिशत टीकाकरण किया जाएगा | इस योजना में सभी यूआईडी टैगिंग कि जा रही है |

70 लाख पशुओं कि हुई टेगिंग

मध्य प्रदेश में पूर्व से ही एक अन्य पशु संजीवनी योजना के तहत प्राप्त 90 लाख तेग में से 70 लाख टेग्स पशुओं को लगाये जा चुके हैं | भारत सरकार द्वारा प्रदेश की कुल 290 लाख गौ, भैंस – वंशीय पशुओं के 90 प्रतिशत पशुओं के लिए 262 लाख एफ. एम.डी. टीका – द्रव्य उपलब्ध करा दिया है | 

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टिड्डी कीट नियंत्रण अभियान: ब्रिटेन से खरीदे जाएंगे स्प्रेयर, ड्रोन से किया जायेगा कीटनाशक का छिडकाव

टिड्डी कीट पर नियंत्रण हेतु अभियान

पश्चिमी और उत्तर-पश्चिमी भारत भर में विशाल टिड्डी दल पहुँच चुके हैं | राजस्थान, पंजाब, गुजरात, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश राज्यों में टिड्डी दल पहुँच चूका है | जहाँ टिड्डी दल यहाँ फासलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं वहीँ पेड़ के पेड़ इन टिड्डी दलों को चट किया जा रहा है ऐसे में राज्य सरकारों एवं केंद्र सरकार के द्वारा मिलकर टिड्डी कीट पर नियंत्रण करने की कोशिश की जा रही है | राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को हो रहे नुकसान का मुआवजा भी दिए जाने की घोषणा भी की है |

इन जिलों में किया जा रहा हे टिड्डी दलों पर नियंत्रण

अब तक मध्यप्रदेश के मंदसौर, नीमच, उज्जैन, रतलाम, देवास, आगर मालवा, छतरपुर, सतना व ग्वालियर, राजस्थान के जैसलमेर, श्रीगंगानगर, जोधपुर, बाड़मेर, नागौर, अजमेर, पाली, बीकानेर, भीलवाड़ा, सिरोही, जालोर, उदयपुर, प्रतापगढ़, चित्तौडगढ़, दौसा, चुरू, सीकर, झालावाड़, जयपुर, करौली एवं हनुमानगढ़, गुजरात के बनासकांठा और कच्छ, उत्तरप्रदेश में झांसी और पंजाब के फाजिल्का जिले में 334 स्थानों पर 50,468 हेक्टेयर क्षेत्र में हॉपर और गुलाबी झुंडों को नियंत्रित किया गया है। वर्तमान में राजस्थान के दौसा, श्रीगंगानगर, जोधपुर, बीकानेर, म.प्र. के मुरैना और उ.प्र. के झांसी में अपरिपक्व गुलाबी टिड्डियों के झुंड सक्रिय हैं।

ब्रिटेन से ख़रीदे जाएंगे स्प्रेयर एवं ड्रोन से होगा कीटनाशक छिड़काव

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा की जा रही कार्रवाई की विभागीय मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने समीक्षा की। उन्होंने कहा राज्यों के साथ मिलकर सभी आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। राज्यों को एडवायजरी जारी की जा चुकी है। ब्रिटेन से अतिरिक्त स्प्रेयर 15 दिनों में आने शुरू हो जाएंगे। इनका आर्डर पहले ही दिया जा चुका है। 45 और स्प्रेयर भी अगले एक-डेढ़ महीने में खरीद लिए जाएंगे। ऊंचे पेड़ों व दुर्गम क्षेत्रों में प्रभावी नियंत्रण हेतु कीटनाशकों के छिड़काव के लिए ड्रोन का उपयोग किया जाएगा, वहीं छिड़काव के लिए हेलिकॉप्टरों की सेवाएं लेने की भी तैयारी है।

टिड्डी नियंत्रण कार्यालयों में 21 माइक्रोनैर और 26 उलवमास्ट (47 स्प्रे उपकरण) हैं, जिनका उपयोग टिड्डी नियंत्रण के लिए किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 60 स्प्रेयर के लिए आपूर्ति आदेश दिया गया है, जिनकी आपूर्ति यूके स्थित कंपनी द्वारा की जाएगी। जून में दो बार में 35 और जुलाई में 25 की आपूर्ति हो जाएगी। ऊंचे पेड़ों व दुर्गम क्षेत्रों में प्रभावी नियंत्रण हेतु ड्रोन से कीटनाशकों के छिड़काव हेतु ई-टेंडर आमंत्रित किए गये हैं, जल्द ही नागरिक उड्डयन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित ड्रोन का उपयोग किया जाएगा। इसी प्रकार 55 वाहनों की खरीद के आदेश दे दिए गए है। स्प्रे के लिए हेलीकॉप्टरों की सेवाएं लेने की भी तैयारी है।

राज्यों को दी जा रही है वित्तीय सहायता

राजस्थान सरकार के अनुरोध पर 800 ट्रैक्टर स्प्रे उपकरणों की खरीद के लिए कृषि यांत्रिकीकरण सहायता पर उप-मिशन के तहत 2.86 करोड़ रूपए की मंजूरी केंद्र सरकार द्वारा प्रदान की गई है। राजस्थान राज्य सरकार द्वारा आरकेवीवाई (60:40) के तहत वाहनों, ट्रैक्टरों और कीटनाशकों की खरीद के लिए 14 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता के प्रस्ताव को मंजूरी दी जा चुकी है।

गुजरात राज्य सरकार द्वारा आरकेवीवाई (60:40) के तहत वाहनों की खरीद, स्प्रे उपकरणों, प्रशिक्षण और टिड्डी नियंत्रण के संबंध में विस्तार के लिए 1.80 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता का प्रस्ताव केंद्र सरकार द्वारा मंजूर किया जा चुका है। सर्वेक्षण और नियंत्रण कार्यों में कर्मचारी जुटे हुए हैं। पौध संरक्षण निदेशालय के अलावा, विभिन्न स्थानों से संगरोध और भंडारण विभाग ने 80 अतिरिक्त तकनीकी कर्मचारियों की तैनाती की है। नियंत्रण कक्ष सभी एलसीओ और एलडब्ल्यूओ में स्थापित किया गया है और 11 नियंत्रण कक्ष कार्यात्मक हैं।

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समर्थन मूल्य पर चना, सरसों एवं मसूर खरीदी की आखिरी डेट आगे बढ़ाई जायेगी

चना सरसों एवं मसूर बेचने की अंतिम तिथि

रबी फसलों की खरीदी पूरी होने वाली है लेकिन अभी भी बहुत से किसान चना, मसूर तथा सरसों को नहीं बेच पायें हैं | जैसे–जैसे मई माह खत्म हो रहा है वैसे–वैसे किसानों के बीच चिंता बढ़ते जा रही है | सभी किसानों को रबी फसल बेचने के लिए मैसेज नहीं आया है | उनकों ऐसा लग रहा है कि सरकार उनकी फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर नहीं खरीदेगी |

जहाँ राजस्थान में फिर से चना तथा सरसों के लिए पंजीयन शुरू कर दिया गया है, वहीं मध्य प्रदेश में देर से खरीदी शुरू होने के कारण खरीदी का डेट बढ़ाने के संकेत कृषि मंत्री ने दिए है | राजस्थान में पंजीयन फिर से शुरू होने के कारण यह निश्चित है कि रबी फसल कि खरीदी अभी जारी रहेगी  | जिन किसानों ने अभी तक रबी फसल कि बिक्री नहीं किया है उनको चिंता है कि उनका उत्पादन कब खरीदा जायेगा |

30 मई से आगे बढाई जाएगी चना, सरसों एवं मसूर खरीदी की डेट

इसी चिंता को मध्यप्रदेश सरकार ने दूर कर दिया है, किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने प्रदेश में चना, मसूर सरसों के उपार्जन की अंतिम तिथि 30 मई को बढ़ाएं जाने के लिए प्रमुख सचिव को निर्देश दिये हैं | इसका मुख्य कारण यह है कि रबी फसल कि खरीदी कोरोना वायरस के कारण देर से शुरू होना है | देर से शुरू होने तथा खरीदी केंद्र पर सोशल दुरी बनाये रखने के कारण पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष कम किसानों ने रबी फसल को बेच पाए हैं |

कृषि मंत्री के तरफ से अभी तक नये डेट निश्चित नहीं किया गया है लेकिन उन्होंने कहा है कि जल्द ही किसानों के हित में निर्णय लिया जाकर अंतिम तिथि को बढ़ाया जायेगा | यहाँ पर यह जानना जरुरी है कि डेट बढ़ाने के बाबजूद भी वहीं किसान मसूर, चना तथा सरसों को बेच सकते हैं जो पहले से पंजीयन कराया है |

रबी फसल कि खरीदी के लिए बारदानों कि मांग

किसान कल्याण एवं कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने बारदानों कि आपूर्ति के लिए केन्द्रीय उपभोगता मामले खाध एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री श्री रामविलास पासवान को पत्र लिखा है | उन्होंने में रबी विपन्न वर्ष 2020–21 में गेहूं, चना, मसूर एवं सरसों के उपार्जन के लक्ष्य को दृष्टिगत रखते हुए पर्याप्त मात्रा में बारदानों कि उपलब्धता कराये जाने के लिए अनुरोध किया है | केन्द्रीय मंत्री से 10 हजार गठन जुट बारदाना कि अतिरिक्त आवश्यकता से अवगत करा दिया गया है |

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समर्थन मूल्य पर चना एवं सरसों बेचने के लिए किसान फिर से करवा सकेगें पंजीकरण

चना एवं सरसों बेचने के लिए पंजीकरण

कोरोना वायरस के चलते इस वर्ष रबी फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीदी एवं पंजीयन में रुकावट आई थी जिसके चलते बहुत से किसान समर्थन मूल्य पर रबी फसल बेचने के लिए पंजीकरण नहीं करवा सके हैं | इस वर्ष अच्छे मानसून के चलते रबी फसलों का उत्पदान अधिक हुआ है ऐसे में किसानों को उनकी उपज का सही दाम मिल सके इसके लिए सरकारें अधिक से अधिक उपज खरीदने का प्रयास कर रहीं हैं | राजस्थान राज्य में लॉक डाउन के चलते फसलों का पंजीकरण रोक दिया गया था जो दोबारा 1 मई से शुरू किया गया परन्तु किसानों के पंजीयन का लक्ष्य पूर्ण होने पर कई जगह पंजीकरण प्रक्रिया बंद कर दी गई थी जो अब दोबारा शुरू की जा रही है | जिससे किसान इन केन्द्रों पर चना एवं सरसों समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीकरण करवा सकते हैं | 

किसान सरसों एवं चना हेतु 28 मई से पुनः पंजीयन करवा सकेंगे

सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आँजना ने बताया कि सरसों के 71 एवं चना के 152 खरीद केन्द्रों पर पंजीयन क्षमता पूरी होने पर किसानों के हित में इन 223 केन्द्रों पर 10 प्रतिशत पंजीयन सीमा को बढ़ाया गया है। इन केन्द्रों पर किसान 28 मई से पुनः पंजीयन करवा सकेंगे। इस निर्णय से चना के लिए 15 हजार 293 तथा सरसों के 7 हजार 655 किसान खरीद प्रक्रिया से और जुड़ेंगे। जिन खरीद केन्द्रों की पंजीयन क्षमता पूरी हो गई थी। ऎसे 208 खरीद केन्द्रों पर भी 10 प्रतिशत पंजीयन सीमा को बढ़ाया गया था। इस प्रकार अब तक स्वीकृत 781 खरीद केन्द्रों में से 431 खरीद केन्द्रों पर पंजीयन सीमा को बढ़ाया गया है। राज्य में 26 मई तक 1 लाख 58 हजार किसानों से 1856.49 करोड़ रूपये मूल्य की 2 लाख 7 हजार 193 मीट्रिक टन सरसों एवं 1 लाख 92 हजार 750 मीट्रिक टन चने की खरीद कर ली गई है।

5.74 लाख किसानों ने अब तक कराया पंजीयन

सरसों एवं चना के लिए 5 लाख 74 हजार 342 किसानों ने अब तक पंजीयन करा लिया है। जिसमें 3 लाख 15 हजार 636 किसानों ने सरसों तथा 2 लाख 58 हजार 706 ने चना बेचने के लिए पंजीयन किया है। 2 लाख 28 हजार 160 किसानों को उपज बेचान की दिनांक आवंटित कर दी गई है तथा 1 लाख 58 हजार 135 किसानों से उपज क्रय कर ली गई है।

सरसों एवं चना के 1.11 लाख किसानों को 1312 करोड़ रूपये का भुगतान

1 लाख 11 हजार 840 किसानों को 1 हजार 312 करोड़ रूपये का भुगतान उनके खातों में कर दिया गया है। जिसमें से 57 हजार 293 किसानों को 655.67 करोड़ रूपये तथा 54 हजार 547 किसानों को 656.33 करोड़ रूपये का भुगतान हुआ है। राजफैड द्वारा सरसों, चना एवं गेहूं की कुल 5 लाख 5 हजार 91 मीट्रिक टन खरीद की गई है। जिसकी राशि 2 हजार 58 करोड़ रूपये है। इस खरीद से अब तक 1 लाख 75 हजार 915 किसान लाभान्वित हो चुके है। जिसमें से 1 लाख 20 हजार 771 किसानों को 1409 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है।

उल्लेखनीय है कि समर्थन मूल्य पर सरसों खरीद हेतु भारत सरकार द्वारा 10 लाख 46 हजार 500 मीट्रिक टन एवं चना खरीद हेतु 6 लाख 5 हजार 7 50 मीट्रिक टन लक्ष्य स्वीकृत किया गया था | कोटा संभाग में 16 अप्रेल से तथा अन्य संभागों में 1 मई से खरीद आरम्भ कर दी गई थी | देशव्यापी कोरोना कोविड 19 संक्रमण के कारण 22 मार्च से खरीद एवं पंजीकरण कार्य स्थगित कर दिया गया था। राज्य में 1 मई से पुनः पंजीयन प्रारंभ किये गए थे |

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किसान कृषि यंत्रों पर सब्सिडी लेने के लिए अभी आवेदन करें

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

ट्रैक्टर एवं अन्य सभी प्रकार के कृषि यंत्र सब्सिडी

वित्त वर्ष 2020–21 में संभवतः पहली बार किसी राज्य ने कृषि यंत्र पर अनुदान देने का फैसला लिया है | पहले कोविड–19 उससे उपजे हालत के कारण देश भर में लॉक डाउन के कारण सभी योजना स्थगित की हुई है | लॉक डाउन के 4 चरण में कृषि क्षेत्र की लगभग सभी गतिविधियों को छूट दी गई है साथ ही खरीफ मौसम कि शुरुआत भी हो चुकी है | इसको देखते हुए हरियाणा राज्य सरकार ने प्रदेश के किसानों के लिए सब्सिडी पर कृषि यंत्र दे रही है | यह सभी कृषि यंत्र ट्रेक्टर चालित होने के कारण उन सभी किसानो को लाभ होगा जिनके पास ट्रेक्टर है | किसान समाधान किसानों के लिए कृषि यंत्र कि पूरी जानकरी लेकर आया है |

क्या है कृषि यंत्र अनुदान पर लेने की प्रक्रिया

हरियाणा राज्य के सभी जिले के किसानों के द्वारा लॉक डाउन के पहले से आवेदन किये गए थे | जिन किसानों ने पिछले 4 वर्षों के दौरान कृषि यंत्र पर अनुदान का लाभ अभी तक नहीं लिया है तथा जिनके पास पंजीकृत ट्रैक्टर है (केवल ट्रैक्टर चलित कृषि यंत्रो हेतु) वे बिना परमिट लिए विभाग की साईट पर खरीदे गए यंत्र का बिल, ईवे-बिल, कृषि यंत्र की फोटो व स्वघोषणापत्र (पोर्टल पर उपलब्ध प्रारूप में डीलर और किसान के हस्ताक्षर सहित) आगामी 15 जून 2020 तक विभागीय साइट पर अपलोड करना होगा। आवेदन करने से पहले आप के पास पंजीकृत ट्रेक्टर होना जरुरी है | ट्रेक्टर नहीं होने के स्थिति में किसान आवेदन नहीं कर सकते हैं |

कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के लिए आवश्यक दस्तावेज

जिन किसानों ने पिछले 4 वर्षों के दौरान कृषि यंत्र पर अनुदान का लाभ अभी तक नहीं लिया है तथा जिनके पास पंजीकृत ट्रैक्टर है (केवल ट्रैक्टर चलित कृषि यंत्रो हेतु) वे बिना परमिट लिए विभाग की साईट https://www.agriharyanacrm.com/ पर खरीदे गए यंत्र का बिल, ईवे-बिल, कृषि यंत्र की फोटो व स्वघोषणा पत्र कृषि विभाग की साईट पर अपलोड करना होगा |

  • अनुसूचित जाती या अनुसूचित जनजाति प्रमाण पत्र
  • आधार कार्ड कि कॉपी
  • पैन कार्ड
  • आँनलाइन आवेदन करने कि रसीद
  • स्वघोषणा पत्र
  • बैंक पासबुक की कॉपी
  • तथा ट्रेक्टर के पंजीकरण कि कॉपी

दस्तावेज तैयार करके अपने पास रखने होंगे, जबकि खरीदी गई मशीन का विभाग द्वारा भोतिक सत्यापन किया जाएगा | तब वे दस्तावेज जमा करवाए जायेंगे | अगर दस्तावेज में किसी प्रकार की कोई कमी अथवा गलत जानकारी पाई गई तो सम्बन्धित किसान अनुदान का पात्र नहीं होगा |

कृषि यंत्रों पर सब्सिडी लेने के लिए यहाँ करें आवेदन

जिन किसानों ने विभाग के पोर्टल पर कृषि यंत्रों पर अनुदान लेने के लिए 20 फरवरी से 29 फरवरी 2020 तक ऑनलाइन आवेदन किया था, उनके आवेदनों (लेजर लैंड लेवलर के आवेदन को छोड़कर) को हरियाणा सरकार द्वारा स्वीकार कर लिया गया है | लेजर लैंड लेवलर के लिए पहले से आवेदन किए हुए किसान को दुबारा आवेदन करना होगा | अधिक जानकारी के लिए अपने जिला के उप कृषि निदेशक / सहायक कृषि अभियंता के कार्यायल में संपर्क कर सकते हैं | किसान पहले किये हुए आवेदन में सुधार भी कर सकते हैं इसके आलावा पोर्टल से स्व घोषणा पत्र को डाउनलोड कर उसकी कॉपी जमा करनी होगी | अधिक जानकारी के लिए किसान 0172 – 2571553, 0172 – 2571544, 099158-62026, 1800-180-1551 नम्बर पर समपर्क कर सकते हैं या [email protected], [email protected], पर ई-मेल भी कर सकते हैं |

कृषि यंत्रों पर अनुदान लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन करें

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किसान अब एक दिन में 40 क्विंटल से भी ज्यादा बेच सकेगें सरसों,चना एवं मसूर की उपज

सरसों, चना एवं मसूर की उपज बिक्री सीमा समाप्त

वर्ष 2019–20 के रबी सीजन की सरकारी खरीदी अंतिम दौर में चल रहा है | यह खरीदी देश के सभी राज्यों के द्वारा केंद्र सरकार के तरफ से घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की जा रहा है | न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसल बेचने के लिए किसान को पहले पंजीयन करना जरुरी रहता है | इस पंजीयन के आधार पर ही किसानों से उनकी फसल कि खरीदी की जाती है | इसके बाबजूद भी एक किसान एक दिन में मात्र 25 क्विंटल ही बेच सकते हैं | यह सीमा अलग–अलग राज्य में अलग–अलग है | मध्य प्रदेश में एक दिन में 25 क्विंटल ही मसूर, चना तथा सरसों कि खरीदी की जा सकती थी | कोविड–19 के कारण देश में लगे लॉक डाउन को देखते हुए यह सीमा 25 से बढ़ाकर 40 क्विंटल कर दी गई थी |

अब किसान 40 क्विंटल से अधिक उपज भी बेच सकेगें

इसके बाबजूद भी बड़े किसानों को 40 क्विंटल से ज्यादा बेचने के लिए खरीदी केंद्र पर दो बार आना पड़ता था | जिससे कोविड–19 का शिकार होने कि उम्मीद ज्यादा हो जाती है | इसको देखते हुए मध्य प्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि मंत्री श्री कमल पटेल के अनुरोध एवं उपार्जन कि अधिकतम सीमा हटाने के लिए केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर से गुहार लगाई थी |

भारत सरकार ने कृषि मंत्री के अनुरोध को स्वीकार करते हुए मध्यप्रदेश में चना, मसूर तथा सरसों के प्रतिदिन , प्रति व्यक्ति 40 किवंटल कि उपार्जन सीमा को समाप्त कर दिया है | अब किसान चना , मसूर तथा सरसों कि जितनी उपज है उसे लेकर मंडी में आ सकता है ओर विक्रय कर सकता है | भारत सरकार के कृषि मंत्रालय के डायरेक्टर श्री सतीश भूषण ने उक्त संबंध में आज आदेश जारी कर दिया है | इसका मतलब यह हुआ कि आज से ही यह आदेश लागू कर दिया गया है |

अब तक मसूर, चना, तथा सरसों की कुल खरीद

मध्य प्रदेश में चना, सरसों तथा मसूर खरीदी चल रही है | प्रदेश में 24 मई तक 95 हजार किसानों से 1 लाख 40 हजार मीट्रिक टन (14 लाख किवंटल) चना, 34 हजार 300 किसानों से 73 हजार मीट्रिक टन (लाख 30 हजार किवंटल) सरसों एवं 1 हजार 47 कृषकों से 600 मीट्रिक टन (6000 किवंटल) मसूर का उपार्ज किया जा चूका है |

प्रदेश के 691 केन्द्रों पर यह खरीदी कि गी है | गत वर्ष किसानों से चने कि खरीदी अधिकतम 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर के आधार पर की गी थी , जिसे इस वर्ष वास्तविक उपज के मान बढ़ाकर 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर कर दिया गया था अब यह सीमा भी समाप्त कर दी गई है |

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लहसुन एवं प्याज की खुदाई एवं सुरक्षित भण्डारण इस तरह करें

प्याज एवं लहसुन की खुदाई एवं भण्डारण

हमारे देश में प्याज एवं लहसुन हमारे दैनिक आहार का हिस्सा है ओर इसका उपयोग सब्जी एवं मसाले के रूप में किया जाता है | प्याज की खेती रबी एवं खरीफ दोनों मौसम में कि जाती है यधपि अधिकांश खेती रबी के रूप में होती है | खरीफ प्याज कि खुदाई अक्टूबर–नवम्बर में किया जाता है अर्थात जून से सितम्बर तक प्याज निकालने का समय नहीं होता है | इसलिए इस दौरान प्याज कि उपलब्धता बनाये रखने तथा रबी प्याज कि खुदाई जब अप्रैल–मई माह में कि जाती है उस दौरान मूल्यों में गिरावट रोकने के लिए प्याज का भंडारण आवश्यक हो जाता है |

लहसुन की खेती केवल रबी मौसम में होती है ओर लहसुन कि खुदाई का काम मार्च – अप्रैल में किया जाता है | अत: अगली फसल आने के पूर्व लगभग 9 से 10 माह तक इसे भंडारण किया जाता है | प्याज तथा लहसुन कि कम श्वसन स्तर तथा इसकी शुष्क बाहरी कवच कि वजह से अन्य सब्जियों के मुकाबले इसे लम्बी अवधि तक भण्डारित किया जा सकता है |

प्याज एवं लहसुन के भंडारण हेतु खुदाई के बाद कुछ प्रमुख कारकों एवं बिन्दुओं पर अगर विशेष ध्यान दिया जाये तो निश्चित रूप से न केवल इनकी भंडारण क्षमता में बढ़ोतरी कि जा सकती है बल्कि भंडारण के दौरान होने वाले नुकसान को भी कम किया जा सकता है | किसान प्याज तथा लहसुन कि भंडारण के लिए इन बिन्दुओं को ध्यान रखे |

फसल के खुदाई का समय :-

लहसुन एवं प्याज कि पत्तियां परिपक्वता आने पर पिली पड़ने लगती है ओर पत्तियों में नमी कि मात्रा में हार्स होने लगता है | इसके अतिरिक्त कंद के समीप पौधे कमजोर हो जाता है फलस्वरूप पौधे गिरने लगते हैं | यद्धपि खरीफ प्याज कि खुदाई के समय पौधों कि वानस्पतिक वृद्धि जारी रहती है ओर वातावरण के तापमान में कमी कि वजह से प्याज के पौधे गिरते नहीं हैं | इसलिए इस मौसम के प्याज भंडारण में ज्यादा सुरक्षित नहीं रहते हैं |

प्याज एवं लहसुन कंदों को निकालने या खुदाई कि विधि :-

वैसे क्षेत्र जहाँ मिटटी हल्की है प्याज व लहसुन हाथों से उखाड़कर निकाले जाते हैं , लेकिन भारी मिट्टियाँ में कुदाल का प्रयोग किया जाता है | एसा देखा गया है कि लहसुन के पौधे प्याज के मुकाबले कमजोर व भंगुर होते हैं इसलिए लहसुन कि खुदाई कुदाल से कि जानी चाहिए |

प्याज एवं लहसुन खुदाई उपरांत क्यूरिंग (धुप में सुखाना) :-

खुदाई के बाद प्याज एवं लहसुन को खेत पर ही पत्तियों सहित सुखाया जाना चाहिए | पत्तियां सहित कंदों को इस प्रकार रखी जानी चाहिए जिससे अगली कतार के कंद पीछे वाली कतार कि पत्तियों से धक जाएं | इस अवस्था में पत्ती सहित कंदों को 3 – 4 दिनों तक सूखने हेतु रखने चाहिए | क्यूरिंग ठीक तरीके से करने पर कंदों कि सुसुप्तावस्था कि अवधि में बढ़ोतरी होती हैं ओर भंडारण के दौरान प्रस्फुटन कि समस्या में कमी आती है | यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि लहसुन को एक – दो दिन तक ही सुखाना चाहिए क्योंकि तेज धुप में अधिक दिनों तक सुखाने से लहसुन में कई विकृतियाँ हो सकती है |

पत्तियां सूखने के बाद प्याज कि पत्तियों को इस प्रकार काटा जाता है ताकि 2.5 से 3 से.मी. लम्बी डंडी बची रहे | इन कंदों को छाया में लगभग दो सप्ताह सुखाना चाहिए | एसा करने से कंदों कि गर्दन के कटे हिस्से सुखाकर बंद हो जाते हैं ओर रोग कारकों द्वारा संक्रमण कि सम्भावना कम हो जाती है | छाया में सुखाने से प्याज के बाह्य परत (शल्क) कि नमी व्श्पिकृत होकर निकल जारी है ओर प्याज का रंग भी निखर आता है |

लहसुन को छाया में सुखाने के बाद यदि आवश्यकता हो तो उसकी पत्तियां काटी जा सकती अहि अन्यथा पर्याप्त भण्डारण व्यवस्था उपलब्ध हो तो लहसुन को पत्तियों सहित भण्डारण करना चाहिए | पत्तियां काटनी हो तो कम से कम 2 से 2.5 से.मी. कम्बी डंडी रखनी चाहिए |

कंदों का आकार व श्रेणीकरण

कंदों को आकार के अनुसार तिन श्रेणीकरण – छोटे, मध्यम व बड़े कंदों में अलग कर भण्डारित करना अच्छा होता है | एक समान माध्यम आकार के कन्दों के बीच समुचित खाली जगह होने कि वजह से वायु का संरचना अच्छा होता है ओर भण्डारण के दौरान नुक्सान अपेक्षाकृत कम होता है | छोटे आकार के कंदों में सडन से नुकसान ज्यादा होता है जबकि बड़े आकार के कंदों में सडन तथा प्रस्फुटन / अंकुरण कि समस्या ज्यादा होती है |

प्याज एवं लहसुन भंडारण कि वातावारणीय परिस्थिति :-

हमारे प्रदेश व जिले में प्याज तथा लहसुन का भण्डारण सामान्य वातवरणीय स्थिति में ही छोटे व सीमान्त कृषक बन्धुओं द्वारा किया जाता है | भण्डारण प्राय: अप्रैल–मई से अक्तूबर–नवम्बर महीने तक किया जाता है | इसी लम्बी अवधि कि मई–जून महीने में उच्च तापमान तथा अपेक्षाकृत निम्न आद्रता रहती है जिस कारण कंदों के वजन में तीव्रता से कमी आती है |

जुलाई से सितम्बर महीने में तापमान भण्डारण हेतु अनुकूल रहता है लेकिन सापेक्षिक आद्रता अधिक रहती है जिस कारण सडन तथा रोग कि सम्भावना बढ़ जाती है | अक्तूबर – नवम्बर महीने में तापमान में कमी कि वजह से प्रस्फुटन / अंकुरण कि समस्या का सामना करना पड़ता है | इस प्रकार सामान्य वातावरणीय परिस्थिति में भण्डारण के दौरान नुक्सान अधिक होते हैं | अतएव भंडारण गृह कि संरचना इस प्रकार कि जानी चाहिए जिससे वायु – संरचण समुचित रहे, तापमान तत्र्हा आद्रता यथा संभव अनुकूल रखी जा सके | इस प्रकार के भण्डारण गृहों में नुक्सान को एक सीमा तक ही कम किया जा सकता है |

कोल्डस्टोरेज या शीतगृह जहाँ तापमान व आद्रता नियंत्रित कि जा सकती है प्याज ओर लहसुन का भण्डारण कर हानि से बचा जा सकता है | शीतगृहों में प्याज व लहसुन को 2 डिग्री सेंटीग्रेट तापमान तथा 70 प्रतिशत सापेक्षिक आद्रता पर 8 से 9 माह तक सुरक्षित रखा जा सकता है |

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टिड्डी कीट का हमला होने पर किसान इस नम्बर पर करें फोन

टिड्डी कीट सहायता केंद्र नम्बर

देश में टिड्डी का प्रकोप दिन प्रति दिन और भी बढ़ता जा रहा है | भारत में राजस्थान से शुरू हुआ टिड्डी कीट देश के कई राज्यों की और फसलों को नुकसान पहुंचाते हुए आगे बढ़ते जा रहा है | राजस्थान से सटे मध्य प्रदेश के नीमच, मंदसौर, रतलाम, उज्जैन में टिड्डी को पहले बार देखा  गया है जो बढ़ते हुए इंदौर, संभाग के साथ ही चंबल संभाग तक फैल गया है | सरकार ने इसको रोकने के लिए प्रदेश स्तर पर नियंत्रण कक्ष बनाया है साथ ही जिले में भी नियंत्रण कक्ष बनाने का आदेश दिया है |

मध्य प्रदेश राज्य सरकार केंद्र सरकार के एजेंसी के साथ मिलकर टिड्डी पर नियंत्रण करने कि कोशिश कर रही है | जिससे राज्य में टिड्डी को फैलने से रोका जाए ओर टिड्डी को समाप्त कर दिया जाए | किसान समाधान मध्यप्रदेश में टिड्डी के रोकथाम के लिए टोल फ्री नंबर के साथ ही अभी तक राज्य में टिड्डी कि विस्तार कि जानकारी लेकर आया है |

टिड्डी कीट की सुचना इस नम्बर पर दें

मध्य प्रदेश के कृषि विभाग के प्रमुख सचिव श्री केशरी ने समीक्षा में बताया कि विभाग के द्वारा ट्रैक्टर चलित स्प्रे–पंप ओर फायर ब्रिगेड के माध्यम से कीटनाशक दवाओं का छिडकाव जिलों में आवश्यकतानुसार कराया जा रहा है | टिड्डी दल के नियंत्रण के लिए जिलों में जिला स्तरीय निगरानी दल गठित करने के निर्देश जारी कर दिये गये हैं | राज्य स्तर पर भी नियंत्रण कक्ष स्थापित किया गया है, जिसका दूरभाष क्रमांक 0755-255-8823 है | किसान और कृषि अधिकारी तत्काल नंबर पर सुचना देकर आवश्यक मार्गदर्शन प्राप्त कर सकते हैं |

जिन स्थानों पर भी टिड्डी दल का प्रकोप देखा जाये तत्काल स्थानीय प्रशासन ओर कृषि विभाग से संपर्क कर जानकारी दें | किसान भाई टोली बनाकर विभिन्न तरह के पारंपरिक उपाय जैसे शोर मचाकर, अधिक ध्वनी वाले यंत्रों को बजकर या पौधों कि दलों से अपने खेत से टिड्डी दलों को भगा सकते हैं |

इन जिलों में पहुंचा टिड्डी दल

टिड्डी का प्रकोप राजस्थान से लगते हुए सीमावर्ती जिलों से होते हुए मध्य प्रदेश के कई जिलों में फैल गया है | राज्य सरकार ने टिड्डी नियंत्रण के लिए राज्य स्तर पर प्रयास कर रही है | मध्यप्रदेश में सबसे पहले उज्जैन संभाग के नीमच जिले में टिड्डी को देख गया था |

नीमच

विगत दिवस 21 मई को उज्जैन संभाग के नीमच जिले के ग्राम ग्वाल तालाब के पास एक टिड्डी दल एवं दूसरा टिड्डी दल नीमच जिले के जावद विकासखंड के ग्राम गादेल सरवानिया महाराज के बीच रात्री में ठहरा, जिसके नियंत्रण हेतु 17 ट्रेक्टर–चलित स्प्रे पम्प ओर 3 फायर ब्रिगेड के माध्यम से कीटनाशक दवाओं का छिडकाव किया गया | साथी ही केन्द्रीय टिड्डी नियंत्रण दल द्वारा भी पृथक से कीटनाशकों का छिडकाव किया गया , जिसके प्रभावी परिणाम प्राप्त हुए |

उज्जैन

उज्जैन जिले के घटिया विकासखंड बच्चा खेडा, जैथरापूरा, बान्द्का में एक टिड्डी दल रात्री में रुका, जबकि दुसरा दल तराना विकासखंड के तिल्केखर बगोदा, बाह्टाखेडी में रुका | इनके नियन्त्रण हेतु स्थानीय प्रशासन के सहयोग से प्रथम टिड्डी दल में 12 ट्रैक्टर–चलित स्प्रे पम्प तथा 4 फायर ब्रिगेड द्वारा कीटनाशक का छिडकाव किया गया | द्वितीय दल के नियंत्रण हेतु 15 ट्रैक्टर–चलित स्प्रे पम्प तथा 4 फायर ब्रिगेड का उपयोग कीटनाशक छिडकाव के लिए किया गया |

रतलाम

रतलाम जिले के आलोट विकासखंड के ग्राम बापचा एवं कराडिया ग्राम में भी एक टिड्डी दल ने रात्री विश्राम किया | इसके रोकथाम के लिए प्रात: 4 बजे से 16 ट्रेक्टर – चलित स्प्रे पम्पो तथा 2 फायर ब्रिगेड के माध्यम से प्रभावी रूप से कीटनाशकों का छिडकाव केन्द्रीय दल के समन्वय से किया गया | परिणामस्वरूप 65 से 70 प्रतिशत नियंत्रण में सफलता प्राप्त हुई |

इंदौर

इंदौर संभाग के खरगौन जिले के बडवाह विकासखंड के ग्राम थरवर एवं लांबी में एक छोटी टिड्डी दल रात्री को रुका , जिसके नियंत्रण के लिए एक ट्रैक्टर – चलित स्प्रे पम्प तथा 3 फायर ब्रिगेड द्वारा कीटनाशकों का छिडकाव किया गया | इसमें भी 50 से 60 प्रतिशत सफलता हुई |

श्योपुर

मुरैना संभाग के श्योपुर जिले के विजयपुर विकासखंड के ग्राम डोंगरपुर में टिड्डी दल का रात्री में नियंत्रण हेतु 8 ट्रेक्टर – चलित स्प्रे पम्प तथा एक फायर ब्रिगेड द्वारा कीटनाशकों का छिडकाव स्थानीय प्रशासन के समन्वय से किया गया |

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बैंगन की फसल में यह कीट या रोग है तो ऐसे करें नियंत्रण

बैंगन में कीट एवं रोग

सब्जियों की खेती में बैंगन एक महत्वपूर्ण फसल है | इसकी खेती बड़े पैमाने पर देश के लगभग सभी राज्यों में की जाती है | इसकी अच्छी खेती करने के लिए किसानों को मुख्यतः  बीज, मिट्टी का चयन के अलावा कीट तथा रोग से बचाव पर ध्यान देना होता है | बैंगन के पौधों के तने तथा फल में तना छेदक कीट का प्रकोप रहता है | यह कीट के व्यस्क का प्रकोप रोपाई के कुछ सप्ताह उपरांत ही हो जाता है एवं व्यस्क कीट पौधों पर अंडे दे देता है, जिससे बाद में उससे लारवा निकलकर पौधे के तनों को बेधकर नुकसान पहुंचाते है , उसके पश्चात् फलों को बेधकर सड़ा देते जिससे काफी आर्थिक क्षति उठानी पड़ी है | किसान समाधान बैंगन  में कीट उसका प्रबंधन तथा रोग और उसका प्रबंधन की जानकारी लेकर आया है |

बैंगन की फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन

  • खेत को साफ सुथरा रखें
  • जिस खेत में बैंगन की फसल पिछले वर्ष ली हो उसमें बैंगन कदापि न लगाएं |
  • बैंगन की दो कतारों के बाद एक कतार धनिया या सौंफ की लगाएं |
  • रोपाई के 2 सप्ताह बाद फेरोमोन ट्रैप 4 से 5 प्रति एकड़ लगाएं यदि आवश्यक लगे तो 10 से 12 फेरोमोन ट्रैप प्रति एकड़ 10–10 मीटर की दुरी पर लगाएं तथा ल्योर को 15 दिन उपरांत बदलते रहे और रोगग्रस्त कल्लो को काटकर खेत से हटते रहे या गड्ढे में दबा दें |
  • ट्राईकोकार्ड 1 प्रति एकड़ 21 दिन उपरांत 4–5 मीटर की दुरी पर फसल के अंत तक लगाते रहे |
  • तीन किलो सडी गोबर की खाद में 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विराडी मिलाकर पौधों के संवर्धन के लिए लगभग सात दिनों के लिए छोड़ दें। सात दिनों के बाद मिट्टी में 3 वर्ग मीटर के बेड में मिला दें।
  • F1-321 जैसे लोकप्रिय संकरों की बेड में बुवाई जुलाई के पहले हफ्ते में होनी चाहिए। बुवाई से पहले, बीज को ट्राइकोडर्मा विराडी 4 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचार किया जाना चाहिए। निराई समय-समय पर की जानी चाहिए और संक्रमित पौधों को नर्सरी से बाहर कर देना चाहिए।

बैंगन में तना और फल छेदक कीट

आरंभिक चरणों में, लार्वा तने में छेद कर देते हैं जिससे विकास का बिन्दु मर जाता है। मुर्झाये, झुके हुए तने का दिखाई देना इसका प्रमुख लक्षण है। बाद में लार्वा फल में छेद कर देते हैं जिससे वह खपत के लिए अयोग्य हो जाता है।

नियंत्रण के लिए क्या करें

  • एजाडिरेकटिन 1% ईसी (10000 पीपीएम) की 400 से 600 मिली लिटर मात्रा को 400 लिटर पानी में प्रति एकड़ छिडकाव करें |
  • कीटरोगजंक सूत्रकृमि (स्टाइनरनीम) 1 करोड़ अभेध किशोर प्रति एकड़ प्रयोग करें |
  • इमामेकटिन बेंजोएट 80 ग्राम 200 ली पानी में मिलकर या क्लोरांट्रानीलीप्रोल 80 मिली 200 मी पानी में मिलाकर प्रति एकड़ प्रयोग करें |

जैसिड्स कीट 

ये हरे रंग के कीट पत्तियोंकी निचली सतह से लगकर रस चूसते हैं। जिसके फलस्वरूप पत्तियां पीली पद जाती हैं और पौधे कमजोर हो जाते हैं। इनके नियंत्रण हेतु रोपाई से पूर्व पौधों की जड़ों को काँनफीडर दवा के 1.25 मि.ली./ली. की दर से बने घोल में 2 घंटे तक डूबोयें ।

एपीलेकना बीटल कीट

ये कीट पौधों की प्रारंभिक अवस्था में बहतु हानि पहुंचाते हैं। ये पत्तियों को खार छलनी सदृश बना देते हैं। अधिक प्रकोप की दशा  में पूरी फसल बर्बाद हो जाती है। इनकी रोकतम के लिए कार्बराइल (2.0 ग्रा./ली.) अथवा पडान (1.0 ग्रा. ली.) का 10 दिन के अंतर पर प्रयोग करें।

डैम्पिंग ऑफ़ या आर्द्र गलन रोग

यह पौधशाला का प्रमुख फुफुदं जनित रोग है इसका प्रकोप दो अवस्थाओं में देखा गया है। प्रथम अवस्था में, पौधे जमीन की सतह से बाहर निकलने के पहले ही मर जाते हैं एवं द्वितीय अवस्था में, अंकुरण के बाद पौधे जमीन की सतह के पास गल कर मर जाए हैं। इसकी रोकथाम के लिए बाविस्टिन (2 ग्रा./कि.ग्रा. बीज) नामक फफुन्दनाशी दवा से बीजों का उपचार करें। साथ ही अंकुरण के बाद ब्लूकॉपर-50 ( 3 ग्रा./ली.) या रिडोमिल एम् जेड अथवा इंडोफिल एम्-45(2 ग्रा./ली.) से क्यारी की मिट्टी को भिगो दें।

फ़ोमोब्सिस झुलसा रोग

बैंगन का फफूंद उत्पन्न होने वाला बीजजनित रोग है | रोग की प्रारम्भिक अवस्था में पौधशाला में पट्टियों पर मरे – काले धब्बे दिखाई देने लगते हैं तथा बाद में पत्तियाँ पीली होकर गिर जाती है | रोग ग्रस्त फलों में गोल धब्बे बनते हैं जो सदन पैदा करते हैं | बैंगन की फसल के लिए यह घातक बीमारी है | पौधा से पौधा तथा पंक्ति से पंक्ति की दुरी कम होने की स्थिति में इस बिमारी का प्रकोप ज्यादा होता है |

रोकथाम :-

मैंकोजेब 75 डब्लू पी की 02 ग्राम प्रति लिटर पानी या कोबेंडाजिम 25 प्रतिशत + मैंकोजेब 50 प्रतिशत डबल एस को 600 – 700 ग्राम प्रति हे. 500 लिटर पानी में मिला कर छिडकाव करना चाहिए |

जीवाणु –जनित मुरझा रोग

यह सोलेनेसी परिवार की सब्जियों की प्रमुख बीमारी है। इसके प्रकोप से पौधे मर जाते हैं। इसके बचाव हेतु प्रतिरोधी किस्में जैसे-स्वर्ण प्रतिभा, स्वर्ण श्यामली लगाएं। लगातार बैंगन, टमाटर, मिर्च एक स्थान पर न लगा कर अन्य सब्जियों का फसल चक्र में समावेश करें। खेत में 10 क्वि./हे. की दर से करंज  की खली का प्रयोग रोपाई से 15 दिन पूर्व करने से रोग के प्रभाव में कमी आती है। रोपाई के पूर्व पौधों की जड़ों को स्ट्रेप्टोसाइक्लिन (500 मि.ग्रा./ली.) के घोल में आधे घंटे तक डुबोएं।

जैविक नियंत्रण

फल छेदक, तना छेदक एवं अन्य कीड़ों के नियन्त्रण के लिए बैसीलस थुरिनजेनसिस (डीपील -8, डेलफिन) एन.पी.भी.-4 मिली. प्रति लीटर पानी में मिलाकर नीम पर आधारित कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए । बाभेरिया बासियाना, या फफूंद आधारित कीटनाशक है का प्रयोग 4 मिग्रा. प्रति लीटर पानी में घोलकर करना चाहिए। लाल मकड़ी से बचाव के लिए सल्फर का प्रयोग करना चाहिए।

इन तमाम रोगों एवं कीटों से बचाव हेतु समेकित रोग एवं कीट प्रबन्धन पद्धति अपनाना चाहिए ताकि कम लागत में अच्छी और रसायन-रहित बैंगन का उत्पादन किया जा सके। कोई भी रासायनिक कीटनाशक का छिड़काव करने से पहले आर्थिक क्षति स्तर का आकलन कर लेना चाहिए और इसका प्रयोग तभी करना चाहिए जब इसकी आवश्यकता आ पड़े।

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