हर साल नकली और मिलावटी खाद-बीज और दवा से किसानों को काफी नुकसान होता है। ऐसे में किसानों को इस नुकसान से बचाया जा सके इसके लिए कृषि विभाग की और से अभियान चलाया जा रहा है। जिसमें विभिन्न प्रतिष्ठानों पर उपलब्ध खाद बीज और उर्वरक की जाँच की जा रही है साथ ही अमानक खाद-बीज और दवा मिलने पर प्रतिष्ठान का लाइसेंस भी निरस्त किए जा रहे हैं।
इस कड़ी में राजस्थान के नागौर जिले के संयुक्त निदेशक (कृषि विस्तार) हरीश मेहरा के निर्देशानुसार नक़ली बीज की सूचना पर रविवार को कृषि विभाग के अधिकारी गोटान पहुँचे। उन्होंने कृषि आदान विक्रेता की दुकानों पर बीज की जाँच कर क्षेत्र में नकली बीज की जानकारी लेते हुए किसानों को जागरूक करने का काम किया। इस अवसर पर सहायक कृषि निदेशक कृषि शंकरराम ने बताया कि जिले में कपास बुआई का समय शुरू हो गया है। ऐसे में किसान अधिकृत विक्रेता से ही बीज, दवा एवं उर्वरक खरीदें।
खाद-बीज और दवा लेते समय इन बातों का रखें ध्यान
सहायक कृषि निदेशक ने बताया कि बीटी कपास का बीज खरीदते समय किसान दुकानदार से पक्का बिल अवश्य प्राप्त करें। साथ ही किसी भी प्रकार का बीज, दवाई एवं उर्वरक ऑनलाइन मंगाने से बचें। ऑनलाइन ख़रीद एवं घूम-घूम कर बेचने वाले लोगों के द्वारा नक़ली बीज, दवाई एवं उर्वरक देने की संभावना ज्यादा रहती है। कोई भी बीज दवा या उर्वरक खरीदने से पहले किसान कृषि विभाग के कृषि विशेषज्ञ से सलाह लेकर ही अधिकृत विक्रेता से आदान प्राप्त करें। बिल प्राप्त करते समय बिल पर आदान का पूरा नाम, निर्माण तिथि, तिथि व उसका लॉट नंबर अवश्य लिखा हुआ हो। किसान बिल पर हस्ताक्षर अवश्य करें।
इसके अलावा कहीं भी घर-घर जाकर नक़ली बीज, दवाई एवं उर्वरक बेचने वाले व्यक्ति पर नजर आये तो कृषि विभाग को सूचित करें ताकि नकली आदानों पर अंकुश लगाया जा सके। दुकानदारों को भी निर्देश दिये हैं कि खरीदे गये आदान के बिल वाउचर, स्टॉक रजिस्टर, बिल बुक व आदान परिसर पर मूल्य की सूची अवश्य अपडेट करें। किसानों को गुणवत्ता पूर्ण आदान उपलब्ध करायें।