एक बार फिर फसलों पर टिड्डी कीट का हमला, नियंत्रण के लिए 45 गाड़ियाँ एवं 600 ट्रेक्टर करेगें काम

टिड्डी कीट का बढ़ता प्रकोप

सर्दी के मौसम में टिड्डी कीट ने रबी के फसलों को काफी नुकसान पहुँचाया था , जिससे गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, तथा पंजाब में किसानों कि फसलों को काफी नुकसान हुआ था | पहले ऐसा मानना था की गर्मी बढने पर टिड्डी का प्रकोप खत्म हो जाएगा लेकिन गर्मी के मौसम में भी टिड्डी का प्रकोप बढ़ते जा रहा है | टिड्डी का उद्गम स्थल ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान होने के कारण पश्चिमी राज्यों में टिड्डी कीट का प्रकोप सर्वाधिक होता है खासकर पाकिस्तान से लगे जिलों में |

राजस्थान सरकार टिड्डी नियंत्रण के लिए टिड्डी चेतावनी संगठन के साथ मिलकर काम कर रही है | इस कीट को नियंत्रण के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रही है | साथ में 138 सर्वे टीम तैयार की गई है | सभी टीमों को पर्याप्त मात्र में पेस्टिसाइडस , वाहन तथा अन्य संसाधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं | राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारियां ने कृषि विभाग के अधिकारीयों को निर्देश दिया है कि टिड्डी चेतावनी संगठन तथा किसानों के साथ मिलकर काम करें |

टिड्डी नियंत्रण के लिए 45 गाड़ियाँ तथा 600 ट्रेक्टर किराये पर

वर्ष 2019 के रबी फसल में टिड्डी से व्यापक नुकसानी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने टिड्डी चेतावनी संगठन को संसाधन उपलब्ध करवा रही है | राज्य सरकार ने टिड्डी चेतावनी संगठन को 40 गाड़ियाँ उपलब्ध कराई है | इसके साथ 600 ट्रेक्टर अतरिक्त किराये पर लेने कि स्वीकृति जारी कि गई है |

टिड्डी नियंत्रण के लिए पर्याप्त मात्रा में पेस्टिसाइडस उपलब्ध है , जहाँ भी पेस्टिसाइडस कि जरूरत हो वहां तुरंत बताने को कहा गया है | वाहन, पेस्टिसाइडस एवं अन्य संसाधनों के अभाव में कहीं भी टिड्डी अनियंत्रित नहीं होने का निर्देश दिया गया है |

प्रभावित क्षेत्र में 138 सर्वे टीम कर रही काम

राजस्थान के कृषि आयुक्त डॉ. ओमप्रकाश ने बताया कि राज्य के गंगवार, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर एवं अजमेर जिले टिड्डी से प्रभावित है | विभागीय टीमें पूर्ण सजगता के साथ सर्वे कर प्रभावी टिड्डी नियंत्रण कर रही है | प्रभावित क्षेत्र में 138 सर्वे टीम लगी हुआ है | टिड्डी चेतावनी संगठन कि ओर से 45 गाड़ियों के माध्यम से कीटनाशक स्प्रे का कार्य किया जा रहा है |

केंद्र सरकार से हवाई स्प्रे के लिए ड्रोन उपलब्ध करवाने का आग्रह

कृषि आयुक्त ने बताया की मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता ने केन्द्रीय कृषि सचिव को पत्र लिखकर सर्वे एवं कीटनाशक छिडकाव के लिए अतिरिक्त वहन, हवाई स्प्रे के लिए ड्रोन तथा अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध करने का आग्रह किया है | मुख्य सचिव की ओर से सभी प्रभावित जिलों के कलक्टर को भी प्रभावी टिड्डी नियंत्रण के लिए पत्र लिखा जा रहा है |

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किसान अब 962 मंडियों में ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से बेच सकेगें अपनी उपज

ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उपज बिक्री

देश में किसानों की सबसे बड़ी समस्या है की उन्हें फसलों के सही दाम नहीं मिल पाते हैं यहाँ तक की केंद्र सरकार के द्वारा जो घोषित समर्थन मूल्य है वही भी किसानों को नहीं मिल पाता है | इतना नहीं बहुत सी फसले मंडियों में खरीद न होने के कारण किसान बेच तक नहीं पाते हैं इसलिए किसान वही फसलों की खेती करने के लिए मजबूर हैं जो वहां की मंडियों में खरीदी जा सके | इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार के द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल ई-नाम की शुरुआत वर्ष 2016 में की गई थी | इस पोर्टल पर सरकार द्वारा नई-नई मंडियां एवं नए फीचर्स लगातार जोड़े जा रहे हैं जिससे किसान आसानी ऑनलाइन अपनी उपज बेच सकें | अभी हाल में कुछ ऐसे फीचर्स जोड़े गए हैं जिससे किसान घर या खेत से सीधे अपनी उपज बेच सकते हैं | इसके अतिरिक्त राज्यों की विभिन्न मंडियों को भी जोड़ा जा रहा है | 

ऑनलाइन पोर्टल ई-नाम पर जोड़ी गई 177 नई मंडिया

केन्‍द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने कृषि विपणन को मजबूत करने और किसानों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपनी फसल की उपज बेचने की सुविधा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) के साथ 177 नई मंडियों को जोड़ा गया । जोड़ी गई मंडियां इस प्रकार हैं: गुजरात (17), हरियाणा (26), जम्‍मू और कश्‍मीर (1), केरल (5), महाराष्ट्र (54), ओडिशा (15), पंजाब (17), राजस्थान (25), तमिलनाडु (13) और पश्चिम बंगाल (1)। 177 अतिरिक्त मंडियों के शुभारंभ के साथ, देश भर में ईएनएएम मंडियों की कुल संख्या 962 हो गई है। इससे पहले, 785 मंडियों को 17 राज्यों और 2 संघ शासित प्रदेशों में ईएनएएम के साथ जोड़ा गया था |

किसान एवं व्यापारी दोनों को हो रहा है फायदा

पोर्टल का उपयोग करने वाले 1.66 करोड़ किसान, 1.30 लाख व्यापारी और 71,911 कमीशन एजेंट थे। ईएनएएम प्लेटफॉर्म पर 9 मई 2020 तक, कुल 3.43 करोड़ मीट्रिक टन और संख्‍या में 37.93 लाख (बांस और नारियल) का कारोबार किया गया जिसका सामूहिक मूल्‍य 1 लाख करोड़ रूपये से अधिक है। ईएनएएम प्‍लेटफॉर्म के रास्‍ते 708 करोड़ रुपये का डिजिटल भुगतान किया गया जिससे 1.25 लाख से अधिक किसानों को फायदा हुआ है। ईएनएएममंडी /राज्य की सीमाओं से परे व्यापार की सुविधा देता है।

12 राज्यों में अंतर-मंडी व्यापार में कुल 236 मंडियों ने भाग लिया, जबकि 13 राज्यों /संघ शासित प्रदेशों ने अंतर-राज्य व्यापार में हिस्‍सा लिया, जिससे किसानों को दूर के व्यापारियों के साथ सीधे बातचीत करने की अनुमति मिलती है। वर्तमान में, खाद्यान्न, तिलहन, रेशे, सब्जियों और फलों सहित 150 वस्तुओं का व्यापार ईएनएएमपर किया जा रहा है। ईएनएएम प्लेटफॉर्म पर 1,005 से अधिक एफपीओ पंजीकृत हैं और इसने 7.92 करोड़ रुपये मूल्य की 2900 मीट्रिक टन कृषि उपज का कारोबार किया है।

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मौसम चेतावनी: आने वाले दिनों में इन जगहों पर हो सकती है आंधी बारिश के साथ ओलावृष्टि

11 से 13 मई के लिए मौसम पूर्वानुमान

देश के उत्तरी राज्यों के अधिकांश हिस्सों में लगातार आंधी बारिश एवं ओलावृष्टि का सिलसिला जारी है | भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) के अनुसार आने वाले दिनों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है। भारत की उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में 10 मई को पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने तथा उसका उत्तर-पूर्व दिशा में आगे बढ़ने से मैदानी इलाकों में चल रहे पूर्वी हवाओं के साथ मिलने से मौसम में परिवर्तन मिलने के संकेत है। इससे जहां वातावरण में नमी की बढ़त होना स्वाभाविक है 11 से 13 मई तक उत्तरी राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड एवं छत्तीसगढ़ के अधिकांश हिस्सों में बारिश एवं अल्पकालिक ओलावृष्टि हो सकती है |

मध्यप्रदेश राज्य में इन जगहों पर हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग के भोपाल केंद्र की चेतावनी के अनुसार 10 से 13 मई भोपाल, रायसेन, राजगढ़, विदिशा,सिहोर, धार, इंदौर, अलीराजपुर,बडबानी, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, झाबुआ, देवास, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, अशोकनगर, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योंपुर कला, उमरिया, अनूपपुर, शहडोल, डिंडौरी, कटनी, छिंदवाडा, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर, सिवनी, मंडला, रीवा, सागर, सीधी, सिंगरौली, छतरपुर, सागर, टीकमगढ, पन्ना, दमोह, बैतूल, हरदा, होशंगाबाद आदि जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के रायपुर केंद्र की चेतावनी के अनुसार आने वाले दिनों में सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, रायपुर, बलोदाबाजार, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनंदगांव, बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाडा, सुकुमा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |

बिहार राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग पटना के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आगामी दिनों में राज्य के वेस्ट चंपारण, सिवान, सरन, इस्ट चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, शेओहर, समस्तीपुर, सुपोल, अररिया, मधेपुरा, किशनगंज, सहरसा, पुरनिया, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, पटना, गया, नालंदा, शैखिपुरा, बेगुसराई, लखीसराय, कटिहार, भागलपुर, बांका, मुंगेर, खगरिया, जामुई जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |

झारखण्ड राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग रांची के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आने वाले दिनों में देओगढ़,धनबाद, धुमका,गिरीध, जामात्रा, गोड्डा, पाकुर, साहिबगंज, पलामू, गरवा, लातेहार, छत्रा, लहोर्दागा, कोडरमा, गुमला, खूंती, रांची, रामगढ,बोकारो, हजारीबाग, सराइकेला, पूर्वी सिंग्भूमि, पश्चिमी सिंह भूमि एवं सिमडेगा जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग जयपुर के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आने वाले दिनों में अलवर, बारन, भरतपुर,  दौसा, धोलपुर, जयपुर, झालवार, झुंझुनू, करौली, कोटा, राजसमन्द, सवाई माधोपुर, सीकर, टोंक, बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, श्रीगंगानगर जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है कहीं कहीं अल्पकालीन ओलावृष्टि भी हो सकती है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

पंजाब एवं हरियाणा राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग चंडीगढ़ के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार पंजाब राज्य के पठानकोट, गुरुदासपुर, अमृतसर, तरन-तारण, होशियारपुर, नवांशहर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, भटिंडा, लुधियाना, बरनाला, मनसा, संगरूर, रूपनगर, पटियाला, सास नगर, फतेहगढ़ साहिब जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

हरियाणा राज्य के लिए जारी की गई चेतावनी के अनुसार चंडीगढ़, पंचकुला, अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, महेंद्रगढ़, रेवारी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी, चरखी दादरी जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

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पशुपालन के इन 6 क्षेत्रों के 12 स्टार्ट अप को 1 करोड़ रुपये का दिया जायेगा अनुदान

पशुपालन स्टार्टअप को दिया जाने वाला अनुदान

पशुपालन के क्षेत्र में उत्पाद को बढ़ाने के साथ–साथ उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने पशुपालन स्टार्टअप बड़ी चुनौती नाम से एक योजना कि शुरुआत 11 सितम्बर 2019 में शुरू की गई थी | इस योजना के शुरुआत होने से पशुपालन क्षेत्र में निजी भागीदारी होने कि उम्मीद है तथा पशुपालन के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होने की भी उम्मीद है | इस योजना के शुरू होने के तारीख से ही देश भर से इच्छुक लोगों से स्टार्टअप के लिए आवेदन मांगे गये थे | जिससे इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में निजी भागीदारी के लिए लोगों ने आवेदन किया है | पशुपालन के क्षेत्र में कुल 6 अलग – अलग क्षेत्र रखे गये थे , जिसके आधार पर आवेदन माँगा गया था |

इस क्षेत्र में किये गये कुल आवेदनों को एक प्रतियोगिता के तहत सभी स्टार्टअप को की समीक्षा की गई तथा उन सभी में से 12 स्टार्टअप का आगे के लिए चयन किया गया है | इन सभी विजेताओं को प्रथम या द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है | किसान समाधान इसकी पूरी जानकारी लेकर आया है |

पशुपालन के इन क्षेत्रों में स्टार्टप शुरू करने पर अनुदान

चुनौती छह समस्या विवरणों के अदिव्तीय समाधान के साथ सभी स्टार्टप के लिए आवेदन के लिए खुली थी जिन्हें नीचे दिया गया है |

मूल्य वर्धित उत्पादन :- छोटे घरेलू और निर्यात बाजारों के लिए नवीन तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए कुछ मूल्य वर्धित डेयरी उत्पादों जैसे पनीर, स्मुदीन, फ्लेवर्ड मिल्क, कस्टर्ड, घी और अन्य एथनिक भारतीय उत्पादों को शुरू किया गया |

एकल उपयोग प्लास्टिक विकल्प

  • डेयरी क्षेत्र में एकल उपयोग पालीथिन को बदलने के लिए पर्यावरण के अनुकूल विकल्प का उपयोग करना |
  • दूध में मिलावट खत्म करना :- डेयरी क्षेत्र में दूध में मिलावट से निपटना
  • नस्ल सुधार और पशु पोषण :- मवेशियों और भैंसों की भरतीय नस्लों के बीच त्वरित आनुवंशिक लाभ के लिए नवीं तकनीकों का उपयोग और हरे चारे की नई किस्में और समृद्ध पशु चारा |
  • ई – काँमर्स समाधान :- देश भर में आधुनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा और परामर्श सेवाएं प्रदान करने के लिए नवाचारों को प्रोत्साहित करना |
  • उत्पाद पता लगाने की क्षमता :- कृषि उत्पादन से उपभोगता तक डेयरी उत्पादों की यात्रा पर नजर रखने के लिए प्रौधोगिकियों का उपयोग करना |

अभी तक 157 स्टार्टअप  ने किया आवेदन

पशुपालन स्टार्टप – बड़ी चुनौती योजना के लिए आवेदन स्टार्टप इंडिया पोर्टल पर 11 सितम्बर 2019 से 15 नवम्बर 2019 तक खुली थी | इस योजना के अंतर्गत 6 अलग–अलग क्षेत्रों में कुल 157 आवेदन प्राप्त हुए हैं जो इस प्रकार है :- 

क्र. संख्या
समस्या का विवरण
आवेदनों की संख्या

1.

मूल्य वर्धित उत्पादन

13

2.

एकल उपयोग प्लास्टिक विकल्प

22

3.

दूध में मिलावट खत्म करना

22

4.

उत्पाद पता लगाने की क्षमता

16

5.

ई – कामर्स समाधान

44

6.

नस्ल सुधार और पशु पोषण

40

 

कुल

157

इन सभी 6 क्षेत्रों में विजेता इस प्रकार है

157 आवेदनों की पूर्व जांच की गई ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आवेदकों द्वारा प्रदान की गई जानकारी कार्यक्रम के लिए आवेदन के मानदंडों को पूरा करती है | मूल्याङ्कन के पहले दौर में कुल 42 स्टार्टप को शार्टलिस्ट किया गया था | इन स्टार्टप को एक विशेषज्ञ पेनल के सामने वीडियों कांफ्रेंसिंग पर अपने आईडिया प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया था | जिसमें पशुपालन विभाग और डेयरी विभाग (डीएचडी) के सचिव श्री अतुल चतुर्वेदी के नेतृत्व में विभाग के सदस्य शामिल थे | इस प्रतियोगिता में दो दिनों तक सवाल जवाब चलता रहा इसके बाद सभी 6 क्षेत्रों में विजेता कि घोषणा किया गया है जो इस प्रकार है :-

मूल्य वर्धित उत्पाद

  1. विजेता :- कृषक मित्र एग्रो सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, (मुम्बई)
  2. रनर अप – स्टूडियो कार्बन (अहमदाबाद)

दूध में मिलावट खत्म करना

  1. विजेता :- व्हाइट गोल्ड टेक्नोलांजी एलएलजी (मुम्बई)
  2. रनर अप :- माइक्रो लाइफ इनोवेशन्स (चेन्नई)

नस्ल सुधार

  1. विजेता :- एडिस टेक्नोलाँजीज , बेलगाव (कर्नाटक)
  2. रनर अप :- सिसजेन बायोटेक डिस्कवरीज प्राइवेट लिमिटेड (हैदराबाद)

पशु पोषण

  1. विजेता :- कृमांशी टेक्नोलाँजीज प्राइवेट लिमिटेड (जोधपुर)
  2. रनर अप :- काँरनैक्ट एग्री प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (चेन्नई)

ई – कामर्स समाधान

  1. विजेता :- मुफार्म गुरुग्राम (हरियाणा)
  2. रनर अप :- एकेएम टेक्नोलाँजीज प्राइवेट लिमिटेड (कटक)

उत्पाद पता लगाने की क्षमता

  1. विजेता :- इमरटेक सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (मुम्बई)
  2. रनर अप :- नेबुलएआरइ टेक्नोलाजीज प्राइवेट लिमिटेड (दिली)
एकल उपयोग प्लास्टिक विकल्प

इस क्षेत्र में किसी भी स्टार्टअप को उपयुक्त नहीं पाया गया है |

विजेता तथा उप विजेता को इतना राशी दिया गया है 

इस प्रतियोगिता में सभी क्षेत्रों में विजेता तथा नगद राशि प्रदान किया गया है | विजेता को 10 लाख रूपये तथा उप विजेता (रनर अप) को 7 लाख रुपया दिया गया है |

चयनित स्टार्टअप को सरकार इस प्रकार सुविधा प्रदान करेगी

उपरोक्त में जिन 12 स्टार्टअप का जिक्र प्रति समस्या विवरण में किया गया है उन्हें 1,02,00,000 रूपये के बराबर अनुदान राशि दी जाएगी | विजेताओं को इनक्युबेशन आँफर प्रदान किया जाएगा – इनक्युबेटर 3 माहीने तक इन स्टार्टअप्स के फिजिकल इनक्यूबेशन के लिए जिम्मेदार होगा | कार्यक्रम पूरा होने के बाद 9 महीने तक मेंटर मैचमेकिंग, पीओसी डेवलपमेट के लिए लेब की सुविधा, टेस्टिंग फैसिलिटीज, बिजनेस और इंवेस्टर वर्कशाप के संचालन और स्टार्टअप्स की गतिविधियाँ पर नजर रखी जाएगी

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कोरोना वायरस लॉकडाउन में पशुओं की देखभाल एवं संतुलित पशु आहार इस तरह तैयार करें

पशुओं की देखभाल एवं पशु आहार

ग्रीष्म ऋतू में लगातार तापमान बढ़ रहा है इसके साथ ही देश भर में लॉकडाउन जारी है | इस स्थिति में पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में संतुलित भोजन की जरूरत होती है | गर्मी से बचाव के लिए पशुओं की विशेष ध्यान रखने कि जरूरत है तो वहीं देश भर में लॉकडाउन के कारण पशुओं के लिए भोजन मिलना मुश्किल हो रहा है | खास कर के चुन्नी, चोकर, खल्ली , दाना इत्यादी | अभी देश में कोरोना संक्रमण तेजी से फ़ैल रहा है पशुपालकों को इससे बचने के लिए उपाय करना चाहिए | इस स्थिति में किसान को घर पर ही पशुओं के लिए दाना का बनाना होगा | किसान समाधान पशुओं को गर्मी के मौसम में सही तरह से देख भाल के साथ घर पर ही पशुचारा बनाना लेकर आया है |

गर्मियों में पशुओं का आवास प्रबन्धन :-

  • पशुपालन की सफाई हाईपोक्लोराइट व ब्लीचिंग पाउडर 7 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलकर या 7% लाइजोल के घोल से या पोटाशियम 5 mg प्रति लीटर पानी से सुबह – शाम नहलाएं|
  • पशुशाला में या पशुशाला के आस – पास खैनी – गुटखा खाकर ना थूकें |
  • पशुशाला में जाने से पहले और निकलने के बाद साबुन से हाथ धोयें और मुहं पर मास्क , गमछा रुमाल, महिला अपने आँचल के पल्लू से ढक लें |
  • पशुपालन में उपयोग किये जाने वाले उपकरणों (ट्रैक्टर, ट्रोली, कुदाल, चारा कटाई मशीन आदि) को नियमित रूप से सेनिटाइजेशन करें |

स्वस्थ प्रबन्धन  :-

  • आंतरिक व बाह्य परजीवियों से बचाव के लिए कृमिनाशक दवा का प्रयोग करें |
  • पशुओं को खुरपका–मुंहपका, गलाघोटू और लंगरी ज्वार से बचाव के लिए रक्षाट्रयोवेक का टिका लगवायें |
  • बकरियों में पी.पी.आर का टीका लगवाये |
  • पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन इ और सेलेनियन सप्लीमेंट दें |
  • पशु बीमार हो तो स्वस्थ्य पशु से तुरंत अलग कर देख रेख करें , जरूरत पड़ने पर नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें |
  • पशुओं का बीमा अवश्य करवा लें |
  • गाय एवं भैंस को प्रतिदिन नहलाये |
  • पशुओं को बाहर न निकालें और ना पशुओं के साथ यातायात करें |

आहार प्रबंधन :-

  • पशुओं को स्वच्छ और ताजा पानी भरपूर मात्रा में दें, जिससे पशुओं को सारी शारीरिक प्रक्रिया सुचारू रूप से चले और दुग्ध उत्पादन में किसी प्रकार की कमी न हो |
  • पशुओं के संतुलित आहार में 50 ग्राम मिनिरल पाउडर व 20 ग्राम नमक रोजाना दें | पशुओं को हरा चारा के साथ सुखा चारा मिलाकर खिलाए |
  • गेहूं के भूसे पौष्टिकता बढ़ाने के लिए यूरिया से उपचारित करें (100 किलो ग्राम भूसे को उपचारित करने के लिए 4 किलो ग्राम यूरिया को 40 लीटर पानी में घोल बना के छिडकाव करें) |
  • हरे चारे के लिए ज्वार, मक्का व लोबिया की बिजाई करें |
  • पशु ब्याने के दो घंटे के अंदर नवजात बछड़े व बछ्डियों को खीस अवश्य पिलाए इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है |
  • फसल अवशेष पराली न जलाए उसे पशु चारा के रूप में उपयोग करें |
  • दुधारू पशुओं को 2.5 लीटर दूध उत्पादन पर एक किलोग्राम मिश्रित दाना देना चाहिए |

पशुपालक घर पर ही पशु आहार बना सकते हैं |

किसान घर पर इस प्रकार पशुओं के लिए संतुलित आहार बना सकते हैं 

खाध पदार्थ
भाग

अनाज :- मकई / गेहूं / जई / बाजार / टूटे चावल

30 भाग

खली :- सरसों / तिल / तीसी (अलसी)

30 भाग

चोकर भूसी चुन्नी (गेहूं की भूसी, चावल की भूसी, चने की चुन्नी का युग्म )

36 भाग

नमक

1.5 भाग

कैल्साइट चूर्ण

1.5 भाग

मिनिरल पाउडर

1 भाग

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बांस मिशन योजना के तहत राज्य के 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में लगाये जाएंगे बांस

4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण की योजना

कम उपजाऊ तथा बंजर पड़ी भूमि पर अन्नाज कि खेती उत्पादन कि दृष्टि से फायदेमंद नहीं रहती है | इस प्रकार कि भूमि पर उत्पादन कम होने के साथ–साथ लागत भी बढ़ जाती है | जिसके कारण किसान को लाभ नहीं मिल पता है | बंजर भूमि तथा कम उपजाऊ भूमि पर किसान बागवानी या वानिकी को ज्यादा महत्व दे रहे हैं | बागवानी तथा लकड़ी के लिए पेड़ लगाने से लागत एक बार आने के कारण खर्च कम लगता है |

बांस उत्पादकों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से मध्य प्रदेश सरकार राज्य में बांस की खेती को बढ़ावा दे रही हैं | वर्ष 2013 से राज्य में बांस मिशन (सोसायटी) गठित की गई थी | राज्य में अब तक लगभग 6 लाख 50 हजार हेक्टयर बांस का रकबा बन चूका है | बांस शिल्पियों के मामलों में सलाह देने के लिए मिशन के अंतर्गत मध्यप्रदेश बांस एवं बांस शिल्प विकास बोर्ड का गठन किया गया |

इस वर्ष 4,000 हेक्टेयर भूमि में बांस लगाया जाएगा

मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान क अध्यक्षता में बांस मिशन की समीक्षा बैठक यह फैसला लिया गया है कि वन विभाग वर्ष 2020 में 4000 हेक्टेयर क्षेत्र में बांस रोपण किया जायेगा | इसमें 2400 हेक्टेयर वन क्षेत्र और 1600 हेक्टेयर कृषकों की निजी भूमि शामिल है | प्रदेश में इस वित्त वर्ष में 17 लाख 56 हजार बांस के पौधे लगाए जाएंगे, जिस पर करीब 25 करोड़ रूपये की राशी खर्च होगी | मुख्यमंत्री के तरफ से यह बताया गया है कि प्रदेश में बांस वृक्षारोपण से हितग्राही को वर्तमान में वार्षिक मजदूरी 12 से 19 हजार के बीच प्राप्त होती है | जिसे बढ़ाने के आदेश दिया गया है |

मनरेगा के तहत किया जायेगा बांस रोपण

वन विभाग इस वर्ष मध्य प्रदेश में 3 करोड़ 50 लाख पौधे लगाएगा | वन विभाग और पंचायत एवं ग्रामीण विकास ने मनरेगा में बांस रोपण परियोजना के क्रियान्वयन और प्रबन्धन के लिए संयुक्त रूप से कार्य करने की योजना बनाई है | इस संबंध में विस्तृत दिशा–निर्देश जिलों में भेजे जा रहे हैं | योजना में बांस रोपण के लिए संयुक्त वन प्रबंधन समिति और स्व–सहायता समूहों के बीच सहमती का अनुबंध भी किया गया है | मनरेगा योजना के अंतर्गत 500 हेक्टेयर वन क्षेत्र में बांस रोपण किया जाएगा | उत्पादन का 80 प्रतिशत स्व- सहायता समूहों और 20 प्रतिशत संयुक्त वन प्रबंधन समिति को मिलेगा |

इन विभागों के द्वारा बांस लगाये जाएंगे

मध्य प्रदेश में बांस रोपण में राज्य बांस मिशन 22 जिलों, कैम्प शाखा 3, जिलों, वन विकास निगम 8 जिलों, संयुक्त वन प्रबन्धन 5 जिलों, विकास शाखा 2 जिलों, ग्रीन इंडिया मिशन 5 जिलों में रोपण का कार्य करेंगे | बांस रोपण में मनरेगा और कैम्प के तहत लगभग 200 स्व–सहायता समूहों के सदस्यों को जोड़ा जाएगा | पिछले वित्त वर्ष की 13 करोड़ 27 लाख की राशि इस वित्त वर्ष में में उपयोग में लाने की अनुमति केंद्र शासन ने दी है |

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बेमौसम आंधी बारिश से हुए फसल नुकसान का अनुदान लेने हेतु ऑनलाइन आवेदन करें

फसल नुकसान अनुदान हेतु ऑनलाइन आवेदन

उत्तर भारत में लगातर हो रही बेमौसम आंधी बारिश एवं ओलावृष्टि से रबी के फसल को काफी नुकसान हुआ है | अभी भी कई राज्यों में उतरप्रदेश, राजस्थान, मध्यप्रदेश, बिहार तथा झारखंड के साथ देश के अन्य राज्यों में भारी बारिश हो रही है जिससे गेहूं की फसल की कटाई के साथ थ्रेसरिंग काफी प्रभावित हुई है | किसानों के गेहूं के हुए फसल नुकसानी पर अनुदान देने के लिए राजस्थान, छत्तीसगढ़ तथा अन्य राज्य सर्वे करवा रही है | वहीं बिहार राज्य सरकार ने अप्रैल माह में गेहूं की फसल को बारिश तथा आंधी से हुए नुकसानी के लिए किसानों से ऑनलाइन आवेदन मांगे है | इसके लिए आज से किसान फरवरी तथा मार्च माह में हुए फसल नुकसानी के अलावा अप्रैल माह में हुए नुकसानी के लिए आवेदन कर सकते हैं | किसान समाधान इस योजना से जुड़े तथा आवेदन की पूरी जानकारी ले कर आया है |

अनुदान हेतु किन जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं ?

बिहार राज्य में अप्रैल माह में हुए फसल नुकसानी के मुआवजे के लिए बिहार राज्य के 19 जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं | इन 19 जिलों के 148 प्रखंडों के किसान आवेदन कर सकते हैं | यह जिला इस प्रकार है – गोपालगंज , मुजफ्फरपुर , पूर्वी चंपारन , पश्चमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, बेगुसराय, लखीसराय, खगड़िया, भागलपुर, सहरसा, मधेपुरा, पुरनिया, किशनगंज, अररिया |

किसानों को फसल नुकसानी का कितना अनुदान दिया जायेगा ?

अप्रैल माह में हुए फसल के नुकसानी के लिए किसान को तीन भागों में बांटा गया है | इसके आधार पर किसान को फसल का क्षति पूर्ति की जाएगी |

  • असिंचित क्षेत्र के लिए 6,800 रूपये प्रति हेक्टेयर अनुदान दिया जाएगा |
  • सिंचित क्षेत्र के लिए 13,500 रुपये प्रति हेक्टेयर किसान को अनुदान दिया जाएगा |
  • शाश्वत फसल के लिए 18,000 रुपये प्रति हेक्टयर किसान को अनुदान दिया जाएगा |

कृषि इनपुट अनुदान योजना के लिए पात्रता

अप्रैल माह में बारिश तथा आंधी से हुए नुकसानी के लिए किसानों के लिए पात्रता निर्धारित कर दी गई है |

  • रबी फसल के लिए पहले से कृषि इनपुट आवेदन नहीं होना चाहिए |
  • इस योजना के तहत भू स्वामी के अलावा बटाईदार किसान आवेदन कर सकता है |
  • मुवाब्जा अधिकतम 2 हेक्टयर (494 डिसिमिल भूमि) तक के लिए देय है |
  • बैंक खाता आधार लिंक होना अनिवार्य है | योजना का पैसा किसान को आधार लिंक बैंक खाता में दिया जाएगा |
स्व–घोषणा प्रमाण पत्र यहाँ से डाउनलोड करें

http://164.100.130.206/fdsnew/Images/SelfDeclaration.pdf

आवेदन कब से करना है ?

अप्रैल माह में बारिश, आंधी तथा ओला से हुए फसल नुकसानी के लिए किसान 7 मई से 20 मई तक आवेद कर सकते हैं | इसके लिए आवेदन शुरू हो चूका है तथा अभी तक 100 किसान ने पंजीयन भी करवा लिया है |

किसान दोबारा आवेदन न करें

यदि कोई किसान रबी मौसम के फरवरी एवं मार्च माह में फसल क्षति के लिए आवेदन कर चुके है तो वैसे किसान अप्रैल माह में हुए फसल क्षति के लिए आवेदन नहीं करेंगे | अगर कोइ किसान फरवरी – मार्च में आवेदन कर चूका है तथा अप्रैल में भी आवेदन अप्रैल में बारिश से हुए क्षति के लिए करता है तो ऐसे किसान का आवेदन अमान्य कर दिया जाएगा |

किसान अनुदान हेतु कर सकेगें ऑनलाइन आवेदन

किसान स्वयम अपने मोबाईल / लैपटाप से या नजदीकी काँमन सर्विस सेंटर / कम्प्यूटर सेंटर / वसुधा केंद्र से डी.बी.टी. पंजीकरण एवं अनुदान के लिए भी आवेदन कर सकते हैं | कृषि इनपुट अनुदान योजना के लिए किसान https://dbtagriculture.bihar.gov.in से आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन के समय किसान को यह सभी दस्तावेज होना चाहिए
  1. एलपीसी/जमीन रसीद/
  2. वंशावली / जमाबन्दी/ विक्रय – पत्र
  3. वास्तविक खेतिहर के स्थिति में स्व – घोषणा प्रमाणपत्र तथा वास्तविक खेतिहर +स्वयं भू धारी के स्थिति में भूमि के दस्तावेज के साथ–साथ स्व–घोषणा पत्र संलग्न करना जरुरी है

अप्रैल माह में हुई फसल नुकसानी के अनुदान हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

फरवरी तथा मार्च माह में फसल क्षति के लिए किसान यहाँ से आवेदन करें

अभी फरवरी तथा मार्च के अलावा अप्रैल माह में हुए फसल क्षति के अनुदान के लिए किसान आवेदन कर सकते हैं | मार्च तथा फरवरी के लिए एक ही विकल्प से आवेदन हो रहा है तथा अप्रैल माह में हुए फसल क्षति के लिए किसान वहीं पर दूसरा विकल्प का चयन करें | फरवरी तथा मार्च के लिए किसान 11 अप्रैल तक आवेदन कर सकता है |

मार्च माह में हुई फसल नुकसानी के अनुदान हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

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धान के स्थान पर अन्य फसलों की खेती करने पर यह सरकार किसानों को देगी 7 हजार रुपये प्रति एकड़

अन्य फसलों की खेती करने पर 7 हजार रुपये का अनुदान

देश में धान खरीफ फसलों में प्रमुख है | धान की खेती करने के लिए अन्य दुसरे फसल से कहीं ज्यादा पानी का उपयोग करना पड़ता है | अधिक पानी का उपयोग करने से पानी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है, जिससे पानी की उपलब्धता लगातार कम होते जा रही है | ऐसे में सरकारों के द्वारा अन्य फसलों की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है | दिन-प्रतिदिन गिरता भू–जल तथा भू–जल का अत्यधिक दोहन हमारे लिए चुनौती बन गए हैं | एक किलोग्राम चावल उगने पर 3000 से 5000 लीटर पानी की खपत होती हैं | अगर पानी का संचय भूमि के अंदर करना है तो धान की खेती के अलावा अन्य फसलों पर विचार करना होगा |

धान के स्थान पर अन्य फसल लगाने पर दिए जाएंगे 7 हजार रुपये

हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के किसानों से अपील की है कि वे जिस प्रकार आने वाली पीढ़ी के लिए अपनी जमीन को विरासत के रूप में छोड़ कर जाते हैं, उसी प्रकार पानी को भी विरासत मान कर चलें, तभी जमीन भावी पीढ़ी के लिए उपयोगी होगी, इसके लिए आज से राज्य सरकार द्वारा ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना की घोषणा की गई है, जिसके तहत इस सीजन में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल बोने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

किन जिले के किसान ले सकते हैं योजना का लाभ

प्रदेश का कुछ हिस्सा डार्क जोन हो चुका है, जिसमें 36 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां पिछले 12 वर्षों में भू-जल स्तर में पानी की गिरावट दुगनी हुई है अर्थात जहां पहले पानी की गहराई 20 मीटर थी, वो आज 40 मीटर हो गई है। उन्होंने कहा कि जहां  पानी की गहराई 40 मीटर से ज्यादा हो गई है और ऐसे 19 ब्लॉक हैं, लेकिन 11 ब्लॉक ऐसे हैं  जिसमें धान की फसल नहीं होती है। परंतु 8 ब्लॉक नामत: रतिया, सीवान, गुहला, पीपली, शाहबाद, बबैन, ईस्माइलाबाद व सिरसा ऐसे हैं जहां भू-जल स्तर की गहराई 40 मीटर से ज्यादा है और धान की बिजाई होती है ऐसे ही क्षेत्रों को इस योजना में शामिल किया गया है।

पंचायत के अधीन भूमि, जहां भूमि जल स्तर 35 मीटर से ज्यादा है, उन ग्राम पंचायतों को पंचायती जमीन पर धान लगाने की अनूमति नहीं होगी। प्रोत्साहन राशि सम्बंधित ग्राम पंचायत को ही दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इन ब्लॉक के अलावा भी यदि बाकी ब्लॉक के किसान भी धान की बुआई करना छोडऩा चाहते हैं तो वे पूर्व में सूचना देकर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन कर सकते हैं। किसानों से आग्रह किया कि धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे कि मक्का, अरहर, उड़द, ग्वार, कपास, बाजरा, तिल व ग्रीष्म मूंग (बैशाखी मूंग) की बुआई करने के प्रति अपना मन बनाएं। इससे भावी पीढ़ी के लिए पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित कर सकेंगे।

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लीची खाने से चमकी बुखार जैसी कोई बीमारी नहीं होती- कृषि मंत्री

लीची से चमकी बुखार

पिछले वर्ष गर्मी के मौसम में चमकी नामक बीमारी से बिहार के मुज्जफरनगर जिले तथा इसके आस-पास के जिले में 150 से ज्यादा बच्चों की मृत्यु हो गई थी | इस बीमारी का मुख्य कारण लीची को माना गया था | लीची खाने वाले छोटे बच्चे को यह बीमारी लग रही थी | देश के लीची उत्पादन में बिहार का मुजफ्फरपुर जिला अग्रिम स्थान पर रहता है इसलिए इस बीमारी का केंद्र इस जिले को माना गया था | लेकिन बाद में वैज्ञानिकों / विशेषज्ञों से जाँच करने पर यह बात बिलकुल असत्य साबित हुई कि बच्चे में चमकी बुखार लीची खाने से हुआ है |

राज्य सरकार के द्वारा किसानों को लीची उत्पादन के लिए प्रोत्साहित भी किया जा रहा है | इस वर्ष बिहार राज्य सरकार के द्वारा लीची उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए अलग से परियोजना तैयार की गई है | जिसके तहत 80 हजार लीची उत्पादक किसानों को प्रशिक्षण दिया जायेगा | 3,000 एकड़ क्षेत्र में पुराने लीची बागों का जीर्णोद्धार किया जायेगा तथा नई तकनीक से लीची के नये बाग़ लगाये जायेंगे | मुजफ्फरपुर में लीची का एक स्टेट आफ द आर्ट बाग़ लगाया जायेगा, जहाँ आधुनिक तकनीक को प्रत्यक्षण एम प्रशिक्षण दिया जायेगा | इस कार्यक्रम में कोको कोला (इंडिया) द्वारा 1.7 बिलियन डालर राशि का निवेश किया जाना भी प्रस्तावित है |

लीची का फल स्वास्थय के लिए काफी लाभदायक है

बिहार कृषि मंत्री ने कहा कि भारतीय आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली में लीची फल के पोषणीय एवं औषधीय गुणों का उल्लेख किया गया है | भारत वर्ष में पिछले 400 वर्षों से लीची के फलों को खाया जाता रहा है | लीची के फलों में बायोएक्टिव यौगिक, विटामिन सी, एंटीआँकसीडेंट , पालीफेनोल्स, डाईएट्री फाईबर, विटामिन बी कम्प्लेक्स और खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में पाए जाते है, जो स्वास्थ्य के लाभदायक होता है |

अफवाहों पर ध्यान नहीं दें 

कृषि मंत्री ने किसानों तथा उपभोगता को यह आश्वस्त किया है कि लीची का फल स्वादिष्ट, स्वास्थ्यवर्धक और पूर्णत: सुरक्षित है | राज्य के लीची उत्पादक किसानों को परेशान करने के उद्देश्य से असामाजिक तत्वों द्वारा इस तरह की मनगढ़ंत अफवाह फैलाने का कार्य किया गया है | किसानों को एवं जन्य सामान्य को आगाह किया गया है इस प्रकार कि अफवाह से सावधान रहने कि जरूरत है |

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मुख्यमंत्री ने दिए बारिश एवं ओलावृष्टि से किसानों को हो रहे नुकसान का आकलन करने के निर्देश

बारिश एवं ओलावृष्टि से किसानों को नुकसान का आकलन

वर्ष 2019–20 के रबी फसल की कटाई का कार्य लगभग पूरा हो चूका है लकिन अभी भी बहुत से ऐसे किसान हैं जिनकी फसल अभी भी खेतों में हैं, कुछ ऐसे भी किसान हैं जिनकी फसल खेत से कटाई होकर खलिहान में आ गई है लेकिन अभी तक थ्रेसरिंग नहीं हुई है | रबी फसल की कटाई के समय ही लगातार वर्षा तथा आंधी और तूफ़ान से रुकावट आ रही है | जहाँ कटाई में अधिक समय लग रहा है वहीँ किसान को आर्थिंक नुकसान भी काफी हुआ है |

फसल नुकसानी का आकलन कर दिया जायेगा मुआवजा

पिछले कुछ दिनों से उत्तर भारत में लगातार बारिश हो रही है | आज भी कई राज्यों में आंधी के साथ बारिश हुई है | जिसको लेकर राज्य सरकार ने किसान के फसल नुकसानी का आकलन कर रही है | सर्वे के आधार पर ही किसानों के फसल की नुकसानी तय किया जाएगा | जिससे बाद में किसान को नुकसानी का मुवाब्जा दिया जाएगा |

राजस्थान में भी पिछले सप्ताह से बारिश रुक – रुक कर हो रही है | इस बार बारिश के साथ ही आंधी और कई स्थानों पर ओलावृष्टि भी हुई है | राज्य सरकार ने इसके लिए सभी जिला कलक्टरों को जल्द से जल्द फसल खराबे की जानकारी जुटाने को कहा है ताकि आवश्यकता होने पर विशेष गिरदावरी कराई जा सके | साथ ही, जिला कलक्टर आंधी – तूफ़ान और ओलावृष्टि से मानव हानि पशुधन की हानि और भवनों आदि को हुए नुक्सान की जानकारी भी राज्य सरकार को भेजें , ताकि प्रभावित लोगों को एसडीआरएफ के नियमों के तहत मुआवजा राशि दी जा सके |

किसी व्यक्ति की मृत्यु पर 4 लाख रुपये दिए जाएंगे

राज्य सरकार यह भी मालूम कर रही है की फसल नुकसानी के साथ घर तथा पशु और मानव की कितनी नुकसानी हुआ है | राज्य के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने  सहायता राशि तुरंत प्रदान करें के लिए जिला कलक्टरों को निर्देश दिए हैं | उन्होंने टोंक जिले में खराब मौसम के कारण हुई चार लोगों की मृत्यु पर उनके प्रियजनों को नियमानुसार 4 लाख रूपये तक की सहायता राशि देने के भी निर्देश दिए हैं |

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