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बुधवार, अप्रैल 24, 2024
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वैज्ञानिकों ने विकसित किया ऐसा छत्ता जिससे मधुमक्खियों से बिना छेड़छाड़ किए निकाल सकते हैं शहद

मधुमक्खियों के छत्ते में गुणवत्तापूर्ण शहद के लिए सुधार

सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुना करने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा करने के उद्देश से सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है | इसके लिए मोदी सरकार द्वारा मधुमक्खीपालन से आय और रोजगार सृजन करने तथा देश में मीठी क्रान्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए “राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन व शहद मिशन” स्वीकृत किया गया है। वैज्ञानिकों के द्वारा मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देने एवं सुविधापूर्वक बनाने के लिए कई कार्य जारी हैं | शहद उत्पादन में उपयोग होने वाले छत्तों का रखरखाव एक समस्या है, जिसके कारण शहद की शुद्धता प्रभावित होती है। भारतीय वैज्ञानिकों ने मधुमक्खी-पालकों के लिए एक ऐसा छत्ता विकसित किया है, जो रखरखाव में आसान होने के साथ-साथ शहद की गुणवत्ता एवं हाइजीन को बनाए रखने में भी मददगार हो सकता है। 

वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई मधुमक्खी के छत्ते की फ्रेम

केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ), चंडीगढ़ और हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर के वैज्ञानिकों ने मिलकर मधुमक्खी पालन में उपयोग होने वाले पारंपरिक छत्ते में सुधार करके इस नये छत्ते को विकसित किया है। इस छत्ते की खासियत यह है कि इसके फ्रेम और मधुमक्खियों से छेड़छाड़ किए बिना शहद को इकट्ठा किया जा सकता है।

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पारंपरिक रूप से हनी एक्सट्रैक्टर की मदद से छत्ते से शहद प्राप्त किया जाता है, जिससे हाइजीन संबंधी समस्याएँ पैदा होती हैं। इस नये विकसित छत्ते में भरे हुए शहद के फ्रेम पर चाबी को नीचे की तरफ घुमाकर शहद प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा करने से शहद निकालने की पारंपरिक विधि की तुलना में शहद सीधे बोतल पर प्रवाहित होता है। इस तरह, शहद अशुद्धियों के संपर्क में आने से बच जाता है और शुद्ध तथा उच्च गुणवत्ता का शहद प्राप्त होता है।

क्या है खासियत इस छते के फ्रेम की

इस छत्ते के उपयोग सेबेहतर हाइजीन बनाए रखने के साथ शहद संग्रहित करने की प्रक्रिया में मधुमक्खियों की मृत्यु दर को नियंत्रित कर सकते हैं। इस छत्ते के उपयोग से पारंपरिक विधियों की अपेक्षा श्रम भी कम लगता है। मधुमक्खी-पालक इस छत्ते का उपयोग करते है तो प्रत्येक छत्ते से एक साल में 35 से 40 किलो शहद प्राप्त किया जा सकता है। मकरंद और पराग की उपलब्धता के आधार पर यह उत्पादन कम या ज्यादा हो सकता है। इस लिहाज से देखें तो मधुमक्खी का यह छत्ता किफायती होने के साथ-साथ उपयोग में भी आसान है।

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