विडियो: सावधान ! चंद दिनों में आपकी खड़ी फसल को बर्बाद कर सकता है यह कीट

फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान, जैविक एवं रासायनिक नियंत्रण

किसान रहे सावधान यह कीट देश में बहुत तेजी से फ़ैल रहा है यह लगातार फसलों को बर्बाद करते हुए आगे बढ़ रहा है | किसान समाधान इसलिए आप सभी किसानों के लिए इस कीट की पूरी जानकारी लेकर आया है सभी किसान भाई इस कीट को अच्छे से पहचानें और तुरंत उसके नियंत्रण के लिए उपाय करें | नीचे विडियो में एवं लेख में इस कीट से सम्बंधित सभी जानकारी दी गई है |

फॉल आर्मीवर्म कीट की पहचान, जैविक एवं रासायनिक नियंत्रण

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 परिचय :-

फाल आर्मी वर्म कीट का वैज्ञानिक नाम स्पोडोप्टेरा फ्यूजीपरडा है तथा यह लेपीदोप्टेरा गण एवं नाक्तुइडी परिवार से संबंधित है | यह एक बहुभक्षी कीट है , जो 80 से अधिक प्रकार की फसलों पर नुकसान करता है | मक्का सबसे पसंदीदा फसल है | इस कीट के पतंगे हवा के साथ एक रात में करीब 10 किलोमीटर तक प्रवास कर सकते है | मादा अपने जीवनकाल में करीब 1 हजार तक अंडे दे सकती है | यह कीट झुंड में आक्रमण कर पूरी फसल को कुछ ही समय में नष्ट करने की क्षमता रखते हैं |

फाल आर्मी वर्म (Fall Armyworm Insect) पहचानने के लक्षण

अंडा

अंडे गोलाकार होते है तथा इनका आकार (0.85 मि.मी. व्यास) के होते है तथा ताजा दिए हुये अण्डों का रंग हर होता है तथा अंडे फूटने से पूर्व हल्के भूरे रंग के हो जाते हैं | वे अंडे की परिपक्वता अवधि 2 – 3 दिन (20 – 30 डिग्री सेल्सियस) रहती है | अंडे आमतौर पर लगभग 150 – 200 अंडों के समुह में पत्ती की स्थ पर दो से चार परतों में दिए जाते हैं | अंडे समुह आमतौर पर मादा के पेट के धुसर – गुलाबी रंग के बालों के द्वारा ढककर सुरक्षित क्र देती है ताकि उसको प्राकृतिक एवं अप्राकृतिक कारकों  से बचाया जा सके | एक मादा अपने जीवनकाल में 1000 अंडे तक दे सकती है |

फॉल आर्मीवर्म इल्ली (लाबी)

इल्ली हल्के हरे से गहरे भूरे रंग की होती है तथा उसके पीठ पर लम्बाई में धारियाँ पायी जाती है | इल्ली की छटी अवस्था 3 – 4 से.मी. लम्बाई की होती है | इल्ली के उदर पर आठ जोड़ी पैर पाये जाते है तथा उदर के अंतिम खण्ड पर भी एक जोड़ी उदरीय पैर पाये जाते है | नवजात इल्ली के हरे शरीर पर काली रेखायें एवं धब्बे होते है | इल्ली का रंग वृद्धि के साथ भूरे रंग की हो जाती है तथा शरीर पर काली पृष्ठीय और गोलाकार रेखायें बनने लगती है | अंतिम अवस्था अपने आर्मीवर्म चरण में लगभग काली हो जाती है | बड़े लार्वा के सर पर पीले रंग का एक उलटे आकृति का चिन्ह होता है | आमतौर पर छह लार्वा अवस्था होती हैं , कभी – कभी पांच होता है |

फॉल आर्मीवर्म शंख अवस्था (प्यूपा)

न्र प्यूपा की लम्बाई 1.3 – 1.5 सेन्टीमीटर जबकि मादा प्यूपा की लम्बाई 1.6 – 1.7 से.मी. होती है तथा ए चमकदार भूरे रंग के होते हैं |

फॉल आर्मीवर्म व्यस्क नर

व्यस्क नर के शरीर की लम्बाई 1.6 से.मी. और पंखों की चौडाई 3.7 से.मी. होती है | अगर पंख पर हल्के भूरे रंग के (हल्के भूरे, भूरे, भूसे) स्केल पाये जाते है तथा उपरी किनारें पर सफेद रंग का धब्बा स्पष्ट दिखाई देता है | जिसमें तिन चौथाई भाग पर भूरा रंग और यर्क चौथाई भाग पर गहरा भूरा रंग होता है |

फॉल आर्मीवर्म व्यस्क मादा

व्यस्क मादा के शरीर की लम्बाई 1.7 से.मी. और पंखों की चौडाई 3.8 से.मी. होती है | अग्र पंख गहरे भूरे रंग के होते है तथा पश्च पंख के किनारे गहरे भूरे रंग के है |

फॉल आर्मीवर्म क्षति के लक्षण

छोटी इल्लियों के द्वारा सबसे पहले पत्तियों की निचली स्थ को खुरच कर खाया जाता है तथा बड़ी होने पर पत्तियों को किनारे से अन्दर की और कुतरकर खाती है | इल्ली की दूसरी और तीसरी अवस्था मक्का के पौधों के पोंगली में छेद कर अन्दर चली जाती है जिससे पौधों की बढवार रुक जाती है | इसके अलावा जब भुट्टे बनने लगते है तब उसमें भी छेद कर अन्दर चली जाती है इन इल्लियों की विष्ठा भी पत्तियों पर साफ दिखाई देती है तथा भुट्टे को नुकसान पहुंचाती है | पौधों की पत्तियां खुलने पर उनके ऊपर क्रम से छेद दिखाई देते हैं | यदि 0.2 – 0.8 इल्ली प्रति पौधा पायी जाती है तो वह फसल की लगभग 5 – 20 प्रतिशत उत्पादन का कर सकती है |

फॉल आर्मीवर्म जीवन चक्र (Fall Armyworm Life Cycle) :-

व्यस्क मादा द्वारा मक्के की निचली पत्तियों की निचली स्थ पर 100 – 300 अंडे समूह में दिए जाते हैं, अंडाकाल आमतौर पर 3 – 5 दिन का होता है | पुर्न विकसित इल्ली के द्वारा मक्के पौधे की पेंगली के वृद्धि भाग को नुकसान पहुंचाया जाता है , जिसके कारण पौधे की वृद्धि मर जाती है | जब इल्लियों की संख्या ज्यादा हो तब वह एक दुसरे को खा जाती है और सामान्यतौर पर एक पौधे पर 1 से 2 इल्लियाँ ही बचती है |

सामान्यतौर पर इल्ली की अवधि 14 – 29 दिन की होती है | बड़ी इल्लियाँ रात्रि होती है | इल्लियाँ छ: अवस्थाओं से गुजर कर प्यूपा बनाती है | प्यूपा अवस्था अधिकतर जमीन में पायी जाती है तथा कभी – कभी भुट्टों के अन्दर भी पाया जा सकता है | प्यूपा आवडी 8 से 13 दिनों की होती है | व्यस्क राट में निकालते है तथा लगभग 12 – 14 दिनों तक जीवित रहते है |

फॉल आर्मीवर्म समन्वित प्रबंधन :-

निगरानी :-
  • मक्का में इस कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप 5 प्रति एकड़ इ दर से फसल की ऊँचाई से ऊपर लकड़ी की सहयता से लगावें | फेरोमोन ट्रैप वहाँ पर भी लगाये जहाँ पर आक्रमण संभावित हो |
  • स्काउटिंग :- इस कीट के स्काउटिंग मक्का बीज के अंकुरण के साथ ही प्रारम्भ करें |
  • अंकुरण से प्रारंभिक पोंगली अवस्था पर (अंकुरण के 3 – 4 सप्ताह बाद) 5 प्रतिशत पौधे में नुकसान हो तो नियंत्रण उपाय करें |
  • मध्य पोंगली अवस्था से देर पोंगली अवस्था तक (अंकुरण के 5 – 7 सप्ताह बाद), यदि मध्य पोंगली अवस्था में 10 प्रतिशत तक ताजा नुकसान दिखे या 20 प्रतिशत नुकसान देर पोंगली अवस्था में दिखे तो नियंत्रण की कार्यवाही करना चाहिए |
  • भुट्टे में रेशमी बाल तथा पश्च बाल अवस्था (सिल्किंग स्टेज) पर – किसी भी कीटनाशक का छिड़काव न करें | 10 प्रतिशत से ज्यादा बालियों में नुकसान हो तो छिड़काव किया जा सकता है |

फॉल आर्मीवर्म शस्य उपाय

  • फसल की बुआई से पूर्व गहरी जुताई करें ताकि कीट की जमीन में दबी शंखी अवस्था (प्यूपा) ऊपर आ जाए जिससे उसके प्राकृतिक शत्रु द्वारा खा लिया जाए या धूप से मर जाए |
  • खेत में बुआई से पूर्व 250 किलोमीटर नीम की खली प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें |
  • समय पर बुवाई करें |
  • मक्का फसल के साथ अंर्तवर्तीय फसलों के रूप में मका + अरहर / चना / मुंग स्थानीय दशाओं को ध्यान में रखते हुये करें |
  • फसल के अंकुरण के 30 दिनों के भीतर पक्षियों के बैठने के लिए अंग्रेजी के ‘टी’ आकृति के बर्ड पर्च 10 प्रति एकड़ की दर से जमीन में खड़े करे |
  • मक्का की मुख्य फसल के चरों तरफ नेपियर की फसल “ट्रैप क्राप“ के रूप में लगावें | जैसे ही इस नेपियर फसल पर इस कीट का आक्रमण प्रारम्भ हो तब एन.एस.के.ई. (नीम की निम्बोली के बीजों का सत) 50 मि.ली. या एजा डिरेकटीन 1500 पी.पी.एम. की 3 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें |खेतों को साफ – सुथरा रखें तथा उर्वरकों का संतुलित मात्रा में उपयोग करें |
  • मक्का की उन संकर किस्मों का उपयोग करें जिनके भुट्टे का कवच तंग हो जिसके कारण कीट के द्वारा कम हानि हो |
  • फसल बुवाई के 30 दिनों बाद प्रत्येक पौधों की पेंगली (पोता) में रेत एवं चुने को 6:1 के नुपात में मिश्रण कर डाले |
  • कीट के अंडगुच्छों को हाथ से एकत्रित कर नष्ट करें तथा छोटी – छोटी इल्लियों को एकत्रित कर दबाकर या मिटटी के तेल मिश्रित पानी में डुबो कर नष्ट करें |
  • जैसे ही ज्ञात हो कि फसल में इस कीट का आक्रमण प्रारम्भ हो गया है | तब मक्के के पौधे की पोंगली (पोटा) में सुखी रेट थोड़ी – थोड़ी मात्रा में डाले |
  • इस कीट के लिए फ्यूजीपरडा फेरोमों ट्रैप 15 प्रति एकड़ की दर से खेत में स्थापित कर न्र शलभ (फुंदीयों) को बड़े पैमाने पर फंसा कर नष्ट करें |

फॉल आर्मीवर्म Fall Armyworm Organic Control जैव नियंत्रण :-

  1. प्राकृतिक शत्रुओं के निवास स्थान को नष्ट न करें बल्कि वहां पर अंर्तवर्तीय शस्य फसलों के माध्यम से फसल की विविधताओं को दलहनी एवं फूलों वाली फसलें लगाकर प्राकृतिक शत्रुओं को भोजन उपलब्ध कराकर उनकी जनसंख्या वृद्धि में मदद करें |
  2. तिन सप्ताह के अंतराल पर या शलभ (मोथ) फेरोमोन ट्रैप आने पर ट्राईकोग्रामा प्रीटीओसम या टेलिनोमस रेमुस के 50,000 अंडे प्रति एकड़ की दर से खेतों में छोड़ें |
  3. मक्का की फसल के 5 प्रतिशत हानि अंकुरण से प्रारंभिक पोंगली अवस्था पर होना पर जैव कीटनाशकों कवक और बैक्टीरिया का उपयोग करें |
  4. फसल बुवाई के 15 – 20 दिनों के बाद , इस कीट में बीमारी पैदा करने वाली फफूंद मेटाराईजियम एनिसोप्लाएई की 5 ग्राम मात्रा या मेथेरिजियम रिलेय की 3 ग्राम मात्र प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर पौधे के पोंगली में डाले |आवस्य्ह्कता होने पर 10 दिनों के अंतराल पर एक से दो छिड़काव दोहरा सकते हैं |
  5. इस कीट के नियंत्रण हेतु बेसिलस थुरिंएजनसीस (बी.टी.) की 2 ग्राम मात्रा प्रति लीटर या 400 ग्राम मात्रा / एकड़ की दर से भी उपयोग किया जा सकता है |

फॉल आर्मीवर्म Fall Armyworm Chemical Control रासायनिक नियंत्रण

बीजोपचार :- अभी कोई भी रासायनिक कीटनाशक अनुशंसित नहीं किया गया है |

फसल की प्रथम अवस्था (अंकुरण से प्रारंभिक पोंगली अवस्था तक) पर :- फसल की इस अवस्था पर एन.एस.के.ई. की 5 प्रतिशत या एजाडिरेकटीन 1500 पी.पी.एम. की 5 मि.ली. मात्रा प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर के छिड़काव 5 प्रतिशत  हानि होने पर करने से इल्ली एवं अंड अवस्था को काफी कम किया जा सकता है |

फसल की दिवतीय अवस्था (मध्य पोंगली अवस्था से देर पोंगली अवस्था तक) पर :- यदि फसल को 10 से 20 प्रतिशत की हानि हो तो इल्ली की दूसरी और तीसरी अवस्था को नियंत्रण करने के लिए स्पाईनिटोरम 11.7 प्रतिशत एस.सी. की 0.5 ,मि.मी. ईमाँमेकटिन बेंजोएट 0.4 ग्राम या स्पाईनोसैड 0.3 मि.ली. मात्रा या थाईमिथोक्जाम 12.6 + लेम्दा – साईहेलोथ्रीन 6.5 की 0.5 मि.ली. या क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. 0.4 मि.ली. / लीटर पानी में घोल बनाकर के छिड़काव करें |

विष चुगा :- इस कीट की बड़ी इल्ली को नियन्त्रण करने के लिए 10 किलो चावल की भूसी + 2 किलो गुड के मिश्रण को 2 – 3 लीटर पानी के साथ 24 घंटे के लिए किण्वन में रखे तथा खेत में उपयोग करने के आधे घंटे पूर्व 100 ग्राम थायोडिकार्ब अच्छी तरह मिलावें तथा इस तरह तैयार विष चुगे की थोड़ी – थोड़ी मात्रा मक्के के पौधे के पेंगली में डालने की अनुशंसा की जाती है |

फसल की तृतीय अवस्था (अंकुरण के 8 सप्ताह से लेकर पश्च माजर अवस्था तक) पर :- फसल की इस अवस्था पर कीट को रासायनिक नियंत्रण करना आर्थिक लाभदायक नहीं होता है | अत: इल्लियों को हाथ से पकड़कर नष्ट करने की सलाह दी जाती है |

नोट:- उपरोक्त सभी छिड़काव सुबह जल्दी या शाम के समय में ही करना चाहिए |

लेखक

डॉ.जी.एस.चुण्डावत

वैज्ञानिक, पौध सरंक्षण मंदसौर

इस राज्य में 50 हजार सोलर पम्प एवं गोशालाओं के लिए नाबार्ड ने दिए 1696 करोड़ रुपये

सोलर पम्प एवं गोशालाओं की स्थापना

विद्युत उर्जा पर निर्भरता कम करने के लिए सरकार सौर ऊर्जा की तरफ बढ़ रही है | इसके लिए केंद्र तथा राज्य सरकार किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है | सरकार का ऐसा मानना है कि इससे किसानों को बिजली की बिल से छुटकारा मिल जायेगा और आय में वृद्धि होगा |

क्या है सोलर पम्प एवं गोशालाओं के लिए योजना

इसी क्रम में हरियाणा सरकार प्रदेश में 50 हजार सोलर पम्प किसानों को तथा गौशालाओं की देने जा रही है | हरियाणा के नवीन एवं नवीनीकरण ऊर्जा व जनस्वास्थ्य मंत्री बनवारी लाल ने कहा की एक विशेष योजना के तहत नाबार्ड की सहायता से 50 हजार सोलर पम्प किसानों तथा गौशालाओं को दिए जायेंगे | इस योजना को पूरा करने के लिए लगभग 1696 करोड़ रुपया खर्च करेगी |

मंत्री जी ने जानकारी देते हुये बताया कि इस योजना से प्रदेश को 238 मेगावाट हरित ऊर्जा का उत्पादन होगा | इससे न केवल पंप चलाने में प्रयोग होने वाले डीजल की बचत होगी बल्कि डीजल पंप से होने वाले प्रदुषण की रोकथाम भी होगी |

इससे पहले प्रदेश में लगभग 413 मेगावाट क्षमता की एक सौर ऊर्जा आधारित परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी है | राज्य सरकार ने 672 मेगावाट की सोलर परियोजना को स्वीकृति प्रदान की है जिसे इसी वर्ष पूरा कर लिया जाएगा |

सरकार ने बिजली पर से सब्सिडी कम करने के लिए करनाल व यमुनानगर जिले में एक – एक पायलेट प्रोजेक्ट की रुपरेखा तैयार की गई है | इस योजना के तहत सरकार ने सौर ऊर्जा के लिए प्रदेश को 11 कृषि फीडर में बता है | जिससे वर्तमान में कुल 468 बिजली आधारित टयूबेलों को ऊर्जा आधारित टयूबेलों में परिवर्तित किया जायेगा | इन सौर ऊर्जा आधारित ट्यूबवेलों से जो अतिरिक्त बिजली का उत्पादन होगा उससे किसानों को दिया जाएगा | इस योजना पर लगभग 26 करोड़ रुपए खर्च का अनुमान है |

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गन्ना किसानों को इस वर्ष यह समर्थन मूल्य दिया जाएगा

गन्ना समर्थन मूल्य 2019-20

लगता है की गन्ना किसानों की मुश्किल कम नहीं हो रही है | पहले से गन्ना किसानों का बकाया नहीं दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ सरकार किसानों को गन्ना का मूल्य भी नहीं बढ़ा रही है | इस वर्ष भी गन्ना का मूल्य पिछले वर्ष की तरह यथावत बना है | केंद्र सरकार ने बुधवार को यह घोषणा कि है की इस वर्ष देश के सभी राज्यों में किसानों से गन्ना 275 रूपये प्रति क्विंटल खरीदा जायेगा |  गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2019 ओक्टुबर माह से लागु होगा | इसका मतलब यह हुआ की गन्ना किसान को चीनी मिल मालिक द्वारा  275 रूपये प्रति किवंटल का भाव दिया जायेगा |

सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने मंत्रिमंडल बैठककी जानकारी देते हुये बताया है की कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों को मानते हुये यह मूल्य तय किया है जो किसान के लागत से 50 रुपया अधिक है | यह गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य कहलाता है | यह मूल्य गन्ने में चीनी का 10 प्रतिशत मूल प्राप्ति (रिकवरी) और 2.75 रूपये प्रति किवंटल प्रीमियम से जुदा है | इसका मतलब यह हुआ कि 0.1 प्रतिशत की वृद्धि पर 2.68 रूपये प्रति किवंटल का प्रीमियम मिलेगा |

यह मूल्य तय होने से यह बात तो साफ हो गया है की किसानों की आय बढ़ाने की सरकार की दावा सही नहीं है | पिछले एक वर्ष में महंगाई बढ़ी है इसके बाबजूद भी सरकार ने किसानों की मांग को ध्यान में नहीं रखा है | पिछले महीने ही खाद्य मंत्री ने संसद में यह जानकारी दिया था की देश के किसानों का 19,000 करोड़ रुपया गन्ना का बकाया है | जिसमें उत्तर प्रदेश में 11,082 करोड़ रुपया , कर्नाटक में 1,704 करोड़ रुपया और महाराष्ट्र में 1,338 करोड़ रुपया पंजाब में 989 करोड़ रुपया गुजरात में 965 करोड़ रुपया तथा बिहार में 923 करोड़ रुपया बकाया है | एक तरफ तो किसानों को बकया नहीं दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ किसानों को मूल्य में वृद्धि नहीं किया गया है |

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सब्सिडी पर लें मछली जीरा

मछली जीरा सब्सिडी

किसानों की आमदनी बढ़ने के लिए सरकार कृषि के अन्य स्त्रोतों को बढ़ावा दे रही है | इसके लिए कृषि के साथ – साथ पशुपालन, कुक्कुट पालन, मत्स्य पालन को प्रोत्साहन दिया जा रहा है यह सभी योजना केंद्र तथा राज्य सरकार की सहयोग से चलाई जा रही है | इसके लिए किसानों को समय – समय पर प्रोत्साहित किया जा रहा है | इसी क्रम में उत्तरप्रदेश सरकार ने राज्य के मत्स्य पलकों के लिए एक योजना लेकर आयी है | इस योजना के तहत मछली पलकों को सब्सिडी पर मत्स्य के बछे उपलब्ध कराये जायेंगे |  इसकी पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है |

मछली जीरा हेतु योजना क्या है ?

योजना का नाम मत्स्य अंगुलिका संचय है | इस योजना के तहत मत्स्य जीवी सहकारी संघ द्वारा मिशन फिंगरलिंग के अंतर्गत वर्ष 2019 – 20 में समिति को आवंटित जलाशयों एवं तालाबों में 70 – 100 एम.एम. के मत्स्य अंगुलिका संचय पर प्रोत्साहन की योजना सदस्य समितियों के लिए प्रारम्भ की गई है | इस योजना के अंतर्गत उत्तर प्रदेश मत्स्य विकास निगम लि. की हैचरी / नर्सरियों से क्रय कर संचित की जाने वाली मत्स्य अंगुलिकाओं के मूल्य पर 10 प्रतिशत प्रोत्साहन धनराशि समिति के खाते में सीधे उपलब्ध कराई जायेगी |

योजना का लाभ कैसे मिलेगा ?

योजना का लाभ लेने हेतु सदस्य समितियों को आवंटित जलक्षेत्र का प्रमाण – पत्र , क्रय किये गए मत्स्य अंगुलिकाओं का बीजक / चालान, मत्स्य अंगुलिका संचय के दो फोटोग्राफ , मत्स्य अंगुलिका संचय संबंधित जनपदीय अधिकारी का प्रमाण – पत्र एवं धनराशि खाते में हस्तानांतरित किये जाने हेतु बचत खाता संख्या एवं आई.एफ.एस.सी. कोड शीत पासबुक की छायाप्रति संघ कार्यालय को उपलब्ध करना होगा | इस योजना से समितियों को अंगुलिका संचय पर आर्थिक सहायता मिलने के साथ – साथ प्रदेश के मत्स्य उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि हेतु व्यापक प्रभाव पड़ेगा |

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आने वाले दिनों में इन जगहों पर होगी अच्छी बारिश

मौसम पूर्वानुमान: मानसून की ताजा स्थिति

देश में एक बार फिर से मानसून सक्रीय हो गया है जिससे देश के विभन्न राज्यों में आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होने के सम्भावना है | जो किसान सिंचाई के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं उनके लिए यह अच्छी खबर है | भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार मॉनसून ट्रफ रेखा पश्चिमी राजस्थान से उत्तरी मध्य प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल होते हुए नागालैंड तक फैली हुई है।इस समय, मॉनसून ट्रफ रेखा बीकानेर से उत्तर प्रदेश, बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और असम होते हुए बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी भागों तक फैली हुई है। जिससे उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में अच्छी बारिश की सम्भावना है |

इन राज्यों में होगी अच्छी बारिश

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओड़ीशा भी शामिल हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में भी अच्छी बारिश होगी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी अच्छी बारिश अगले दो दिनों तक देखने को मिलेगी।

हरियाणा, चंडीगड़ एवं पंजाब

आगामी दो-तीन दिनों में पंजाब एवं हरियाणा के सभी जिलों अच्छी बारिश की सम्भावना है |  राज्यों के सभी जिलों में मध्यम से तेज बारिश होने की संभावना है |

बिहार एवं उत्तर प्रदेश

उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, झासनी, महोबा, हमीरपुर, जालौन जिलों में आने वाले दो दिनों में कुछ क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है | वहीँ राज्य के अन्य जिलों में हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है | वहीँ बिहार के सभी जिलों में मध्यम से कहीं कहीं तेज बारिश की सम्भावना बनी हुई है |

मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़

पूर्वी राजस्थान के अधिकांश जिलों में आने वाले दिनों में भारी बारिश से बहुत भारी बारिश होने की सम्भवना है वहीँ पश्चिमी राजस्थान में मौसम शुष्क रहेगा | पश्चिमी मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में आने वाले दिनों में भारी से बहुत तेज बारिश होने की संभवना है वहीँ पूर्वी मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में माध्यम से हल्की बारिश होगी | वहीँ छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकांश जिलों में हल्की से मध्यम बारिश की सम्भावना है |

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जल्द ही किसानों के राष्ट्रीय बैंकों के लोन माफ किये जाएंगे

राष्ट्रीयकृत बैंकों के फसली ऋण माफी के लिए योजना

सहकारी बैंकों के पात्र किसानों के अल्पकालीन फसली ऋण माफ करने के बाद सरकार जल्द ही राष्ट्रिय बैंकों के किसानों द्वारा लिए गए लोन को सरकार जल्द ही माफ करेगी। इससे पहले सरकार ने ऐसे पात्र किसानों के 30 नवम्बर, 2018 तक बकाया अल्पकालीन फसली ऋण माफ कर चुकी है। सहकारिता मंत्री श्री उदय लाल आंजना ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि राज्य के राष्ट्रीयकृत बैंकों के आर्थिक रूप से संकटग्रस्त किसानों के एनपीए के रूप में वर्गीकृत 2 लाख रुपये तक के फसली ऋण माफ करने के संबंध में एक मुश्त समझौता योजना लाई जाएगी। इस सम्बन्ध में एक समिति गठित कर दी गई है, जिसकी बैंकों के साथ दो बैठके हो चुकी है। 

इससे पहले सहकारिता मंत्री ने विधायक श्री बाबूलाल के मूल प्रश्न के जवाब में बताया कि राज्य सरकार ने 19 दिसम्बर, 2018 को आदेश जारी किया है जिसके तहत राज्य की सहकारी बैंकों के निर्दिष्ट पात्रता धारक किसानों का 30 नवम्बर, 2018 को बकाया समस्त अल्पकालीन फसली ऋण माफ करने का निर्णय लिया है।

राजस्थान सरकार ने सहकारी बैंकों के मध्यकालीन व दीर्घकालीन कृषि ऋणों के सम्बन्ध में भी ऋण माफी का निर्णय लिया है, जिसके तहत सहकारी बैंकों के लघु एवं सीमान्त कृषकों के अवधिपार ऋण खातों, जिनमें 30 नवम्बर, 2018 तक राशि रुपए दो लाख से कम का अवधिपार बकाया हो, को योजनान्तर्गत माफी हेतु मान्य किया गया है। उक्त योजनाओं के अन्तर्गत अब तक 19 लाख 71 हजार किसानों को ऋण माफी का लाभ दिया जा चुका है। योजना का क्रियान्वयन जारी है।

इन बैंकों के किसानों को भी मिलेगी लोन माफी

सहकारिता मंत्री ने बताया कि नेशनल बैंक, शेडूल्य बैंक एवं आरआरबी से जुडे़ कृषक, जो आर्थिक रूप से संकटग्रस्त हैं और अपना अल्पकालीन फसली ऋण नहीं चुका पा रहे हैं, उनका 30 नवम्बर 2018 की स्थिति में दो लाख रुपये की सीमा तक का अल्पकालीन फसली ऋण, जो एनपीए के रुप में वर्गीकृत है, को माफ करने के लिए बैंकों से परामर्श कर वनटाईम सेटलमेण्ट स्कीम (ओ.टी.एस.) लाये जाने हेतु समन्वय समिति का गठन किया गया है।

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किसानों के फसल बीमा की राशि जमा करेगी यह सरकार

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

किसान भाइयों खरीफ फसल की बुआई का समय चल रहा है एवं खरीफ सीजन हेतु फसल बीमा करवाने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है | ऐसे में जो ऋणी किसान है अर्थात जो किसानों ने फसली ऋण बैंक से ले रखा है उनका बीमा तो स्वत्तः ही हो जाता है परन्तु यह बीमा किसान के खाते में से कटता है | इस बार राजस्थान सरकार सहकारिता को लगातार बढ़ाबा दे रही है इसके लिए राजस्थान सरकार ने सहकारी बैंकों से लोन लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था भी की है साथ ही सरकार ने यह घोषणा की है की जो किसान सहकारी बैंकों से इस साल खरीफ फसली ऋण के लिए ऑनलाईन पंजीयन करा लिया है, उन सभी किसानों का 29 जुलाई से पहले सरकार द्वारा फसल बीमा करा दिया जायेगा। भारत सरकार द्वारा जैसे ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पोर्टल चालू किया जायेगा वैसे ही किसानों की फसल बीमा राशि जमा करा दी जायेगी।

सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने बुधवार को राज्य विधानसभा में कहा कि राजस्थान सरकार कृषि (ग्रुप- 1) विभाग की अधिसूचना 17 जुलाई 2019 के अनुसार खरीफ फसल 2019 के लिए प्रधानमंत्री फसली बीमा योजना के अंतर्गत 31 जुलाई 2019 तक किसानों का बीमा करवाया जाना अपेक्षित है। योजना के अनुसार ऋणी किसानों का बीमा बैंकों के द्वारा अनिवार्य रूप से करवाया जाना है एवं अऋणी किसानों के लिए यह बीमा ऎच्छिक है। जो अऋणी किसान फसल बीमा करवाना चाहता है, वह बैंक से सम्पर्क कर फसली बीमा करवा सकता है।

जिन किसानों का ऋण माफ हुआ है उनका बीमा कैसे होगा ?

राजस्थान में सहकारी बैंको के द्वारा अल्पकालीन फसली ऋण की अवधि अप्रेल माह से अगस्त माह तक निर्धारित है। गत वर्ष इस अवधि को 15 सितम्बर तक बढ़ा दिया गया था। योजना के प्रावधान के अनुसार जुलाई 2019 के पश्चात जिन किसानों के द्वारा फसली ऋण प्राप्त किया जायेगा उनका बीमा बैंकों के  द्वारा ऋणी किसानों के रूप में नहीं करवाया जा सकेगा ऎसे किसानों को अऋणी किसान के रूप में ही बीमा करवाना पड़ेगा।

फसल बीमा करने की दिनांक 31 जुलाई नजदीक व अंतिम होने को ध्यान में रखते हुए समस्त रजिस्टे्रशन कराने वाले किसानों को एस.एम.एस द्वारा सूचना भिजवा दी गई है कि वे बैंक में उनके हिस्से का अंश जमा कराकर बीमा करा लेवें। उन्हें ऋण मिलने में कोई संदेह नहीं है।

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9 लाख से अधिक किसान कर चुके हैं ऑनलाइन लोन के लिए आवेदन, आप भी आज ही करें

ऑनलाइन फसली लोन वितरण

अभी तक किसान कृषि लोन प्राप्त करने के लिए बैंकों को चक्कर लगाने पड़ते थे | इसमें समय के साथ पैसा भी ज्यादा लगता था | कभी – कभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में रिश्वत देनी पड़ती थी | इसके बाबजूद भी सभी किसानों को लोन प्राप्त नहीं हो पाता था | इन सभी से छुटकारा पाने के लिए किसानों को आनलाइन आवेदन करने की सुविधा दी जा रही है | राजस्थान ऑनलाइन आवेदन लोन वितरण करने वाला पहला राज्य बना है | राजस्थान ने कोटा सम्भाग से सबसे पहले ऑनलाइन लोन की सुविधा की शुरुआत की गई है  |

जिस किसान ने ऑनलाइन आवेदन किया था उस किसान को लोन मिलना शुरू हो गया है | राजस्थान की सहकारिता मंत्री ने जानकारी देते हुये बताया है कि जिन किसानों ने अभी तक आँन लाइन पंजीयन करवाया है और जिनकी अधिकतम साख सीमा स्वीकृत हो चुकी है ऐसे किसान ग्राम सेवा सहकारिता समिति पर जाकर दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया को सम्पन्न कर फसली ऋण प्राप्त करें | उन्होंने बताया कि खरीफ फसली ऋण वितरण के लिए सहकारिता बैंक के पास पर्याप्त पूंजी है और बैंकों द्वारा ऋण वितरण की प्रक्रिया जारी है |

किन किसानों को ऑनलाइन लोन दिया जा रहा है ?

प्रदेश में अब तक 9 लाख 25 हजार किसानों ने ऑनलाइन फसली ऋण वितरण के लिए पंजीयन कर दिया है | जैसे – जैसे किसानों का पंजीयन हो रहा है वैसे – वैसे उनकी साख सीमा स्वीकृत होती जा रही है | उन्होंने बताया की नये सदस्य किसानों के लिए भी आनलाईन पंजीयन खोल दिया गया है तथा अभी तक 23 हजार एसे सदस्य किसानों ने पंजीयन कराया है जिनकों अभी तक फसली ऋण की सुविधा नहीं मिल पायी थी |

इस वर्ष राज्य सरकार 10 लाख नए सदस्यों को फसली ऋण की सुविधा प्रदान करेगी | इस वर्ष किसानों को फसली ऋण के लिए किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और तय समय में लक्ष्य के अनुसार किसानों को ऋण वितरण कर दिया जायेगा |

किसान ऑनलाइन लोन के लिए कैसे आवेदन करें

किसान को समिति या ई – मित्र केंद्र पर जाकर आनलाईन पंजीयन करना होगा | पंजीयन बायोमेट्रिक सत्यापन के आधार पर किया जाएगा | इसके बाद सदस्य किसानों को फसली ऋण डिजिटल मेंबर रजिस्टर (डीएमआर) के माध्यम से वितरित किया जाएगा | किसान से आवेदन प्राप्त करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को आनलाइन किया है |

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यदि फसल बर्बाद हो गई है या अभी बुआई नहीं कर पायें हैं तो मुफ्त में बीज लें

मुफ्त बीज वितरण योजना

इस वर्ष के शुरुआत (जून और जुलाई) में मौसम का साथ नहीं देने के कारण खरीफ फसल की बुआई पर पड़ा है | जुलाई माह में किसी स्थान पर अधिक वर्ष तो किसी स्थान पर सुखा की स्थिति है | दोनों अवस्था में ही खरीफ फसल को काफी नुकसान हुआ है | जहाँ बाढ़ के कारण बोई हुई फसल नष्ट हो गई है तो सुखे के कारण या तो फसल बोई नहीं गई है या फिर बुवाई किया हुआ फसल सुख गया है | इसका सबसे ज्यादा मार बिहार राज्य पर पड़ा है | यह राज्य सुखा तथा बाढ़ दोनों से पीड़ित है |

इसको देखते हुये कृषि विभाग ने बाढ़ एवं सूखाग्रस्त दोनों क्षेत्रों की परिस्थितियों को देखते हुए किसानों को उनके फसलों के हुये नुकसान की भरपाई करने के लिए वैकल्पिक फसलों के बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिशिचित करा रही है | बाढ़ एवं सुखाड़ से प्रभावित संबंधित जिला कृषि पदाधिकारियों के माध्यम से उनके जिला की आवश्यकता के अनुसार वैकल्पिक फसलों के बीज की आवश्यकता का आकलन विभाग द्वारा किया जा रहा है |

किसानों को दोबारा से फ्री में बीज दिया जायेगा

आकस्मिक फसल योजना के अंतर्गत जिलों से अब तक वैकल्पिक फसल के रूप में अल्पावधि वाले धान के 17208 क्विंटल, मक्का के 26,934 क्विंटल, ज्वार के 755 क्विंटल बाजरा के 119 क्विंटल, मडुआ के 108 क्विंटल, अरहर के 27725 क्विंटल, उड़द के 15199 क्विंटल, मुंग के 334 क्विंटल, मटर के 8878 क्विंटल, कुल्थी के 7357 क्विंटल, तोरिया के 10427 क्विंटल, सोयाबीन के 1680 क्विंटल, राई / सरसों के 396 क्विंटल, सूर्यमुखी के 96 क्विंटल,, मुली के 586.35 क्विंटल, पालक के 129.32 क्विंटल, भिंडी के 325 .30 क्विंटल, और अन्य सब्जियों के 518 क्विंटल बीज की आवश्यकता प्रतिवेदित की गई है | सभी बीज किसानों को नि:शुल्क दिया जायेगा |

बिहार सरकार किसानों से अपील करती है की किसान सुखा की अवस्था में धान किबुअई के जगह मक्का , सूर्यमुखी सब्जी , उड़द इत्यादी की खेती करें | इन सभी फसलों में धान की अपेक्षा पानी की जरूरत होती है |

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डीजल अनुदान योजना के लिए आवेदन करें

डीजल अनुदान योजना 2019-20

जुलाई माह समाप्त होने वाला है और खरीफ फसल की बुवाई तेजी से चल रही है , इसके बाबजूद भी किसानों के बीच एक संशय की स्थिति बनी हुई है इसका कारण यह है की मौसम का साथ नहीं देना | जिसके कारण कहीं पर बारिश कम हो रही है तो है पर अधिक | इस वर्ष भी ऐसा लग रहा है की पिछले वर्ष की तरह ही मौसम साथ नहीं देगा जिससे खरीफ फसल की बुवाई पर असर पड़ेगा उसके बाद उत्पादन पर असर पड़ेगा | खरीफ फसल की बुवाई पर असर नहीं पड़े इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है | इसके लिए किसानों को खरीफ फसल की सिंचाई के लिए डीजल अनुदान दे रही है | खरीफ फसल की सिंचाई के लिए सरकार ने 280 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी है | किसान समाधान इस योजना की पूर्ण जानकारी लेकर आया है |

डीजल अनुदान योजना किस राज्य के लिए है ?

यह योजना बिहार राज्य के लिए है तथा योजना का नाम डीजल अनुदान योजना है | इस योजना के तहत किसान खरीफ फसल हेतु डीजल पम्प सेट से सिंचाई के लिए अनुदान दे रही है | इस योजना के लिए बिहार सरकार ने 280 करोड़ रुपया स्वीकृत किया है |

डीजल अनुदान योजना के तहत कौन – कौन सी फसल पर अनुदान दिया जायेगा

इस योजना के तहत बीज गिराने, बीज स्थल में बिचड़ा को बचाने , बिचड़ा को मुख्य खेत में रोपने तथा रोप खड़ी फसल की सिंचाई करने , मक्का की सिंचाई करने , अन्य खरीफ फसलों के अन्तर्गत दलहनी , तेलहनी, जुट, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगन्धित पौधे के सिंचाई करने के लिए डीजल अनुदान का उपयोग किया जाएगा |

डीजल अनुदान योजना के तहत किसान को सब्सिडी कितनी दी जाएगी ?

यह योजना पहले से ही लागु है जो खरीफ तथा रबी फसल दोनों के लिए होती है | इस योजना के किसान को तहत प्रति एकड़ एक सिंचाई के लिए 10 लीटर पर अनुदान दिया जायेगा | प्रति लीटर 50 प्रतिशत का अनुदान रहेगा जो एक एकड़ में 500 रुपया बनता है | एक किसान को धान का बिचड़ा बचाने एवं जुट फसल की 2 सिंचाई के लिए 1000 रुपया प्रति एकड़ की दर से तथा धान, मक्का, अन्य खरीफ फसलों के अंतर्गत दलहनी , तेलहन, मौसम सब्जी, औषधीय एवं सुगन्धित पौधे हेतु एक ही खेत के लिए अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 1500 रु. प्रति एकड़ की दर से डीजल पर अनुदान का किया जायेगा |

डीजल अनुदान किस – किस को दिया जायेगा ?

यह अनुदान सभी प्रकार के किसानों को देय होगा | अनुदान की राशि पंचायत क्षेत्र के किसानों के अतरिक्त नगर निकाय क्षेत्र के किसानों को भी दी जाएगी | नवार्ड फेज 8 में निर्मित राजकीय नलकूप जो किसानों / किसान समितियों के द्वारा परिचालित किये जाते है उनके द्वारा भी डीजल क्रय कर सिंचाई करने पर अनुदान का लाभ दिया जा सकेगा |

डीजल अनुदान कब से शुरू किया जायेगा ?

खरीफ फसलों के सिंचाई के लिए 30 अक्टूबर 2019 तक डीजल क्रय करने पर यह अनुदान देय होगा | पिछले वर्ष की तरह विभाग द्वारा तैयार साफ्टवेयर के माध्यम से किसान भाई – बहनों से आवेदन प्राप्त किया जायेगा |

डीजल अनुदान योजना आवेदन कैसे करें ?

इसके लिए बिहार के किसानों को पहले DBT में पंजीयन करना होगा | जिस किसान के पास पहले से DBT में पंजीयन किया हुआ है उसे दुबारा नहीं करना होगा | DBT में पंजीयन करने के बाद एक 13 नम्बर का पंजीयन संख्या दिया जायेगा | उस पंजीयन संख्या से आनलाईन आवेदन करें | डीजल खरीदी की रसीद को विभागीय पोर्टल पर अपलोड करना होगा |

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