डीजल अनुदान योजना के लिए आवेदन करें

डीजल अनुदान योजना 2019-20

जुलाई माह समाप्त होने वाला है और खरीफ फसल की बुवाई तेजी से चल रही है , इसके बाबजूद भी किसानों के बीच एक संशय की स्थिति बनी हुई है इसका कारण यह है की मौसम का साथ नहीं देना | जिसके कारण कहीं पर बारिश कम हो रही है तो है पर अधिक | इस वर्ष भी ऐसा लग रहा है की पिछले वर्ष की तरह ही मौसम साथ नहीं देगा जिससे खरीफ फसल की बुवाई पर असर पड़ेगा उसके बाद उत्पादन पर असर पड़ेगा | खरीफ फसल की बुवाई पर असर नहीं पड़े इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है | इसके लिए किसानों को खरीफ फसल की सिंचाई के लिए डीजल अनुदान दे रही है | खरीफ फसल की सिंचाई के लिए सरकार ने 280 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी है | किसान समाधान इस योजना की पूर्ण जानकारी लेकर आया है |

डीजल अनुदान योजना किस राज्य के लिए है ?

यह योजना बिहार राज्य के लिए है तथा योजना का नाम डीजल अनुदान योजना है | इस योजना के तहत किसान खरीफ फसल हेतु डीजल पम्प सेट से सिंचाई के लिए अनुदान दे रही है | इस योजना के लिए बिहार सरकार ने 280 करोड़ रुपया स्वीकृत किया है |

डीजल अनुदान योजना के तहत कौन – कौन सी फसल पर अनुदान दिया जायेगा

इस योजना के तहत बीज गिराने, बीज स्थल में बिचड़ा को बचाने , बिचड़ा को मुख्य खेत में रोपने तथा रोप खड़ी फसल की सिंचाई करने , मक्का की सिंचाई करने , अन्य खरीफ फसलों के अन्तर्गत दलहनी , तेलहनी, जुट, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगन्धित पौधे के सिंचाई करने के लिए डीजल अनुदान का उपयोग किया जाएगा |

डीजल अनुदान योजना के तहत किसान को सब्सिडी कितनी दी जाएगी ?

यह योजना पहले से ही लागु है जो खरीफ तथा रबी फसल दोनों के लिए होती है | इस योजना के किसान को तहत प्रति एकड़ एक सिंचाई के लिए 10 लीटर पर अनुदान दिया जायेगा | प्रति लीटर 50 प्रतिशत का अनुदान रहेगा जो एक एकड़ में 500 रुपया बनता है | एक किसान को धान का बिचड़ा बचाने एवं जुट फसल की 2 सिंचाई के लिए 1000 रुपया प्रति एकड़ की दर से तथा धान, मक्का, अन्य खरीफ फसलों के अंतर्गत दलहनी , तेलहन, मौसम सब्जी, औषधीय एवं सुगन्धित पौधे हेतु एक ही खेत के लिए अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 1500 रु. प्रति एकड़ की दर से डीजल पर अनुदान का किया जायेगा |

डीजल अनुदान किस – किस को दिया जायेगा ?

यह अनुदान सभी प्रकार के किसानों को देय होगा | अनुदान की राशि पंचायत क्षेत्र के किसानों के अतरिक्त नगर निकाय क्षेत्र के किसानों को भी दी जाएगी | नवार्ड फेज 8 में निर्मित राजकीय नलकूप जो किसानों / किसान समितियों के द्वारा परिचालित किये जाते है उनके द्वारा भी डीजल क्रय कर सिंचाई करने पर अनुदान का लाभ दिया जा सकेगा |

डीजल अनुदान कब से शुरू किया जायेगा ?

खरीफ फसलों के सिंचाई के लिए 30 अक्टूबर 2019 तक डीजल क्रय करने पर यह अनुदान देय होगा | पिछले वर्ष की तरह विभाग द्वारा तैयार साफ्टवेयर के माध्यम से किसान भाई – बहनों से आवेदन प्राप्त किया जायेगा |

डीजल अनुदान योजना आवेदन कैसे करें ?

इसके लिए बिहार के किसानों को पहले DBT में पंजीयन करना होगा | जिस किसान के पास पहले से DBT में पंजीयन किया हुआ है उसे दुबारा नहीं करना होगा | DBT में पंजीयन करने के बाद एक 13 नम्बर का पंजीयन संख्या दिया जायेगा | उस पंजीयन संख्या से आनलाईन आवेदन करें | डीजल खरीदी की रसीद को विभागीय पोर्टल पर अपलोड करना होगा |

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पाली हाउस, प्लास्टिक मल्च, शेड हाउस पर अनुदान के लिए आवेदन करें

पाली हाउस, प्लास्टिक मल्च, शेड हाउस एवं हाइब्रिड फूल एवं सब्जियों की किस्मों पर अनुदान के लिए आवेदन

आज के समय जलवायु परिवर्तन का असर खेती पर साफ तरीके से देखा जा सकता है जिसका असर सीधे खेती पर पढ़ा है | हर सीजन में कोई न कोई फसल किसी न किसी प्राकृतिक आपदा का शिकार बन रही है जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पढ़ रहा है | इन सभी परिस्थितयों को देखते हुए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें सरंक्षित खेती को बढ़ावा दे रही है जिसके तहत सरकार किसानों को पाली हाउस खेती, प्लास्टिक मल्चिंग, शेड-नेट हाउस खेती एवं फूल फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अनुदान दे रही है |

क्या है सरंक्षित खेती योजना

सरंक्षित खेती राज्य योजना के तहत किसानों को अधिकतम 50 प्रतिशत अनुदान पर पाली हाउस, ग्रीन हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, फूलों एवं सब्जियों की खेती के लिए हाइब्रिड किस्में आदि चीजें किसानों को अनुदान पर दी जाती है |

योजना के लिए आवेदन कब एवं कौन से किसान कर सकेगें ?

मध्यप्रदेश के किसान नीचे तालिका में दिए गए जिले अनुसार विभिन्न मांगों को लेकर आवेदन कर सकेंगे | आवेदन 22 जुलाई को दोपहर 11 बजे से किसान ऑनलाइन किसी भी कियोस्क से अथवा MP ऑनलाइन से कर सकेंगे |

योजना का लक्ष्य क्या है तथा किस वर्ग के लिए हैं ?

योजना
घटक
जिला
वर्ग

संरक्षित खेती राज्य 

पाली हाउस 2080 से 4000 वर्ग मीटर तक 

भिंड, मुरेना, सिवनी, श्योपुर, शिवपुरी 

सामान्य 

संरक्षित खेती राज्य

शेडनेट हाउस- टयूब्लर स्ट्रक्चर 

अनुपपुर, बालाघाट, बैतूल, भिंड, देवास, इंदौर, जबलपुर, मंदसौर, नरसिंहपुर, झाबुआ, कटनी, रतलाम, रीवा, सागर, सिहोर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, उमरिया, अलीराजपुर, शाजापुर, टीकमगढ़, विदिशा 

सामान्य

अनुपपुर, बालाघाट, बैतूल, देवास, झाबुआ, कटनी,रतलाम,  सिहोर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, उमरिया, अलीराजपुर

अनुसूचित जनजाति

इंदौर, मंदसौर, नरसिंहपुर, सतना, शाजापुर, टीकमगढ़, विदिशा 

अनुसूचित जाति

संरक्षित खेती राज्य

उच्च कोटि की सब्जियों की खेती  

अनुपपुर, बालाघाट, बैतूल, भिंड, देवास, झाबुआ, कटनी, जबलपुर, इंदौर, मंदसौर, नरसिंहपुर, मुरेना, रतलाम, सिहोर, सिवनी, रीवा, सागर, शहडोल,  श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, उमरिया, अलीराजपुर, शाजापुर, टीकमगढ़, विदिशा  

सामान्य

अनुपपुर, बालाघाट, बैतूल, देवास, झाबुआ, कटनी, रतलाम, सिहोर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, उमरिया, अलीराजपुर, 

अनुसूचित जनजाति

इंदौर, मंदसौर, नरसिंहपुर, सतना, शाजापुर, टीकमगढ़, विदिशा   

अनुसूचित जाति

संरक्षित खेती राज्य

उच्च कोटि के पुष्प- क्राईसंथेमम, गुलाब और लिली की खेती

भिंड, मुरेना, सिवनी, श्योपुर, शिवपुरी

सामान्य

संरक्षित खेती राज्य

प्लास्टिक मल्चिंग 

 अनुपपुर, बालाघाट, बडवानी, अशोकनगर, बैतूल, भिंड, भोपाल, बुरहानपुर, छतरपुर, होशंगाबाद, हरदा, ग्वालियर, दमोह, दतिया, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, देवास, धार, गुना, इंदौर, जबलपुर, झाबुआ, कटनी, खंडवा, खरगोन, मंदसौर, नरसिंहपुर, मुरेना, मंडला, रीवा, सिवनी, सीहोर,नीमच, पन्ना, रायसेन, राजगढ़, रतलाम, सागर, सतना, शिवपुरी, श्योपुर, उज्जैन, उमरिया, विदिशा, टीकमगढ़, शाजापुर, शहडोल, सीधी, अलीराजपुर, सिंगरोली, आगर मालवा 

सामान्य

अनुपपुर, बालाघाट, बडवानी, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, देवास, धार, गुना, मंडला, रीवा, सिवनी, शहडोल, सीधी, अलीराजपुर

अनुसूचित जनजाति

 सीहोर, शाजापुर, शहडोल, सीधी, आगर मालवा  

अनुसूचित जाति

  आवेदन कहाँ करें

दी गई सभी सामग्री के लिए आवेदन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं | मध्यप्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं | किसान कीओस्क पर जाकर अथवा एमपी ऑनलाइन पर जाकर पंजीयन करें जहाँ eKYC  (उंगलियों के निशान) सत्यापन कर सकें |

पाली हाउस, ग्रीन हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, फूलों एवं सब्जियों की खेती पर अनुदान हेतु क्लिक करें

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बरसात के मौसम में कुक्कुट को इस तरह रोगों से बचाएं

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बरसात में कुक्कुट पालक कौन से कार्य करें

बरसात के मौसम में कुक्कुट पक्षियों के सही रख – रखाव एवं उनकी देखभाल बहुत ही जरुरी हो जाती है | बरसात में उचित रख – रखाव न होने के कारण कुक्कुट व्यवसायियों को काफी क्षति उठानी पड़ती है | बरसात के मौसम में कुक्कुट पक्षियों की सही देखभाल हेतु बरसात शुरू होने से पूर्व कुक्कुट गृहों की मरम्मत का कार्य पूर्ण कर लिया जाय जैसे छतों से दरार / रिसाव , फर्श मरम्मत, पर्दे आदि ए सारी चीजें तैयार हो जानी चाहिए | प्लास्टिक के पर्दे से दोहरा फायदा कुक्कुट पलकों को मिलता है | पहला कि बरसात के बौछारों से बचाव दूसरा तेज हवाओं को रोकना, कुक्कुट आहार में फफूंद रोग हो जाना बरसात में आम बात हो जाती है | इसकी सावधान हेतु कुक्कुट पलकों को आहार का आयत बरसात में ज्यादा नहीं करना चाहिए | इसके लिए सुखा तथा ताजा आहार पहले से इकट्ठा कर भंडार गृह में रख लेना चाहिए |

कुक्कुट पालन में इन बातों का ध्यान रखें

मूंगफली की खली में फंगस का असर जल्दी होता है तथा इसके बचाव हेतु एन्टीफंगस का प्रयोग करना चाहिए | इस बात को ध्यान में रखे कि आहार में नमी की मात्रा 10 प्रतिशत से अधिक न होने पायें | मुर्गी जाली में एक से डेढ़ फिट दुरी पर पर्दों लगाना चाहिए ताकि पर्दों से पानी का रिसाव सीधे मुर्गियों के विछावें को गीला न करने पाये | गिला विछावे को तत्काल निकाल कर नया तथा सुखा विछावा/ बरादा को तुरन्त लगवाना चाहिए | गिले बरादे के कारण काक्सिडियोसिसजैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है | जिसके कारण फलकों में मृत्यु दर की सम्भावना अधिक हो जाती है तथा चूजे में विकास चाहिए इससे एस्परजिलासिस जैसी बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है | विछावन अगर ज्यादा गीला हो जाय तो इसमें चुना मिला दि ताकि बिछावन की नमी थोड़ी कम हो जाए |

 विछावन ज्यादा सख्त हो जाये तो उसे निकलकर बाहर फिकवा दे तथा उसकी जगह सूखा लिटर रखवा दे | बरसात के दिनों में बिछावन की गहराई बढ़ा दे तथा प्रत्येक मुर्गियों को आधा वर्ग फीट की जगह और बढ़ा दे | 2 – 3 इंच सुखी रेट फर्श पर डालकर उस पर बिछवान बिछाने से जमीन की नमी से बिछावन का बचाव होता है | आहार का भंडारण गृह सीलन रहित होना चाहिए | आहार को रखने से पहले जमीन पर लकड़ी के पटरे रखेंगे | तदनुसार उस पर आहार की बोरी बारी – बारी से रखना चाहिए | इससे जमीन की नमी से आहार को बचाया जा सकता है |

 नये आहार की बोरी को 10 – 15 दिन के अन्दर अवश्य प्रयोग कर लेना चाहिए | बरसात के मौसम में मक्खियों का प्रकोप बढ़ जाता है | इसके कारण बहुत अधिक बीमारियों के फैलने की सम्भावनायें बढ़ जाती है | इसके लिए मैलाथियान का छिड़काव शेड के बाहर करवा लेने से इनका बचाव किया जा सकता है | जहाँ – जहाँ पर बीट अधिक गीली हो जाए उस जगह पर सुखी रेट बीट के ऊपर डाल दें |

मक्खियों की रोकथाम हेतु बीट के ऊपर थोडा फिनायल का स्प्रे करने से मक्खियों का बचाव किया जा सकता है | दस्त की बीमारी बरसात में अधिक उत्पन्न हो जाती है | जो कि पेट में किडन की मौजूदगी से होती है | इसके लिए शाम के समय पिपराजीन साल्ट का प्रयोग उत्तम होता है | कुक्कुट गृहों की खाली जगह / गड्डे आदि को मिट्टी से भरवा दे ताकि मच्छरों , कीड़ों आदि के प्रजनन को रोका जा सकें | पानी के सभी भंडारण / स्त्रोत यानि पानी की टंकी, कुएं के पानी का कीटाणु रहित रकने के लिए ब्लींचिग पाउडर या पोटैशियम परमैगनेट का प्रयोग पानी में करना चाहिए |

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60 प्रतिशत की सब्सिडी पर मछली पालन करने के लिए आवेदन करें

सब्सिडी पर मछली पालन हेतु आवेदन

कभी मछली केवल भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में तथा खारे पानी में ही हुआ करती थी | अब देश में मछली पालन मीठे पानी में भी किया जा रहा है | यह किसानों की सबसे सुरक्षित और कम भूमि में अधिक आय देने वाला क्षेत्र हैं | इसे लेकर केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है | अब तो केंद्र तथा राज्य सरकार बजट में अलग से व्यवस्था करती है |

इसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 – 20 के लिए प्रदेश के किसानों को मत्स्य पालन के लिए सब्सिडी दे रही है | जिसे ईच्छुक किसान आवेदन करके योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं | इस योजना की पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है |

मछली पालन हेतु योजना क्या है ?

नीली क्रांति योजना है इसे भारत तथा उत्तर प्रदेश सरकार की सहयोग से चलाया जा रहा है | इस योजना के तहत मत्स्य विभाग के सभी योजना के लिए आवेदन माँगा गया है | यह योजना सभी वर्गों के लिए है | सभी वर्ग को सब्सिडी अलग – अलग मिलेगी |

मछली पालन योजना के तहत किसान को क्या लाभ मिलेगा ?

परियोजना के आधार पर संचालित इस योजना के तहत अनुसूचित जाती / जनजाति के लाभार्थियों को परियोजना का 60 प्रतिशत तथा शेष वर्ग के लाभार्थी को 40 प्रतिशत अनुदान के रूप उपलब्ध कराया जायेगा | इस योजना के तहत मत्स्य तलाबों एवं झीलों का मत्स्य पालन के लिए विकास ,मत्स्य बीज उत्पादन हेतु मत्स्य हेच्रियों एवं बीज संवर्धन इकाईयों की स्थापना, सौर ऊर्जा से संचालित मत्स्य प्रबंधन इकाईयों की स्थापना, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेन्ट के अंतर्गत कोल्ड चेन एवं कोल्ड रम की स्थापना शीत मत्स्य विपणन एवं मूल्यवर्धित मत्स्य उत्पादों की बिक्री एवं क्षेत्र विशेष में मत्स्य विकास से संबंधित नवाचार परियोजनायें संचालित की जा सकती है |

कब आवेदन करना है ?

इस योजना का आवेदन शुरू हो गया है जो 30 सितम्बर 2019 – 20 तक चलेगा |  इच्छुक किसान इस योजना के लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं |

मछली पालन हेतु आवेदन कैसे करें ?

किसान योजना के लाभ के लिए पंजीकृत मत्स्य विभाग के पोर्टल https://fymis.upsdc.gov.in पर कराया जा सकता है | इस संबंध में विस्तृत जानकारी संबंधित जिला मत्स्य अधिकारी / मत्स्य सहायक निदेशक के कार्यालय से एवं विभागीय वेबसाइट :- https://fisheries.upsdc.gov.in , ई. – मेल – [email protected], टोल – फ्री नंबर – 18001805661 एवं दूरभाष संख्या – 0522- 2742762 पर सम्पर्क कर सकते हैं |

मछलीपालन अनुदान हेतु आवश्यक डाक्यूमेंट 

वर्ष 2019 – 20 हेतु इस योजना के अंतर्गत निर्धारित किसी भी मद में यदि कोई भी व्यक्ति निजी भूमि पर कोई कार्य कराना चाहते हों तो वह अपनी चयनित अविवादित भूमि के स्वामित्व के प्रमाण पत्र के साथ आधार कार्ड बैंक अकाउंट नम्बर बैंक आई.एफ.एस.सी. कोड नंबर एवं नियमानुसार बने परियोजना प्रस्ताव के साथ अपना पंजीकरण विभागीय पोर्टल पर करा सकता है |

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यदि कम बारिश हो रही है तो यह फसलें लगाएं किसान

कम बारिश होने पर धान की जगह लगाएं यह फसलें

खरीफ फसलों में एक मुख्य फसल धान है जिसका उत्पादन और उपभोग भारत के सभी राज्यों में होता है | इसकी खेती के लिए अन्य फसलों की अपेक्षा बहुत अधिक पानी लगता है | जिसके कारण कम बारिश वाले क्षेत्रों में यह खेती नहीं की जा सकती है | पिछले कुछ वर्षों से देश में सामन्य बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती पर असर पड़ा है | जिसके कारण किसान धान की जगह वैकल्पिक खेती कर रहे हैं |

बिहार राज्य में भी धान एक प्रमुख्य फसल है | इसकी खेती खरीफ मौसम में 33 लाख हेक्टेयर में की जाती है | सभी जगह सिंचाई की सुविधा नहीं रहने के कारण आज भी धान की खेती वर्षा पर निर्भर है | वर्तमान समय में अगर वर्षापात की स्थिति की गणना देखि जाये, तो यह स्पष्ट है की जून महीने में सामन्य वर्षापात  167.7 मि.मी. के विरुद्ध वास्तविक वर्षापात 98.7 मि.मी. हुआ है | इस प्रकार राज्य में जून महीने में सामन्य से 41 प्रतिशत कम वर्षापात दर्ज की गयी है | जुलाई महिना में गत सप्ताह से राज्य में अच्छी वर्षा हुई है | परन्तु राज्य के 12 जिलों रोहतास, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद, बेगुसराय, शेखपुरा, जमुई, बांका, सहरसा एवं पूर्णिया में औसत से कम वर्ष हुई है |

सरकार की तरफ से किसान को यह सुझाव दिया गया है कि वर्षा के पानी के बहाव  को रोकने के लिए खेत की जुताई कर दें, ताकि नमी संरक्षण रह सके | शीघ्र एवं मध्यम अवधि वाले धान के प्रभेद को जुलाई के अंतिम सप्ताह तक लगा सकते हैं | ऊँची / भीत भूमि के लिए कम अवधि में तैयार होने वाले धान के प्रभेद की खेती की जा सकती है | साथ ही , वर्षा कम होने की स्थिति में किसान भाई – बहन जीरो सीड ड्रिल मशीन से धान की सीधी बुआई भी कर सकते हैं |

धान की जगह लगायें यह फसलें

सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पूर्व से अंकुरित बीजों का ही प्रयोग करना चाहिए , क्योंकि इससे उसका अंकुरण जल्द एवं सामान्य रूप से होता है | धान की बुआई से पूर्व बीज को फफुंदीनाशक दवा से अवश्य उपचारित करें | इस बीज उपचारित से बिचड़ा गलत नहीं है | तापमान बढने तथा वर्ष कम होने के कारण बिचड़ा को फुदका (टिड्डा) नुकसान पहुँचा सकता है | धान के विकल्प के रूप में ऊँची जमीन पर धान लगाने के बदले मक्का, अरहर, सोयाबीन, तिल, मक्का, उड़द को लगाना चाहिए | अत्यधिक देरी की अवस्था में सूरजमुखी कलाई की फसल भी ली जा सकती है | कीटनाशक रसायनों एवं पोषक तत्वों का छिड़काव मानवचालित स्प्रेयर से ही करे | इससे पानी का खर्च कम होता है |

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यहाँ किसानों को मेला लगाकर अनुदान पर दिए जा रहे हैं कृषि यंत्र

कृषि यंत्र मेला

बढती हुई जनसंख्या के परिप्रेक्ष्य में अधिक खाद्यान की आवश्यकता है एवं कृषकों की आय में वृद्धि किये जाने की जरुरत को दृष्टिगत रखते हुये वर्तमान खरीफ 2019 में आत्मा एवं कृषि सुचना तंत्र के सुद्दढीकरण एवं कृषक जागरूकता कार्यक्रम के अंतर्गत उत्तर प्रदेश के अंतर्गत विकास खण्ड स्तरीय कृषि निवेश मेला व कृषक गोष्ठी एवं कृषि विशेषज्ञ चौपाल का आयोजन कर कृषिको में कृषि की नवीनतम तकनीकी एवं लाभकारी योजनाओं की जानकारी उपलब्ध कराया जाना है | इस मेला में उत्तरप्रदेश संभागीय कृषि प्रसार अधिकारी तथा खण्ड विकास अधिकारी अपनी देख – रेख में कृषि निवेश मेला का आयोजन करायेंगे | इसमें सहायक विकास अधिकारी (कृषि)कार्य प्रभारी होंगे |

कब किया जायेगा कृषि यंत्र मेले का आयोजन

कृषि मेला का आयोजन 20 जुलाई से 5 अगस्त तक किया जायेगा | इसके लिए अलग – अलग तारीख पर स्थान अलग – अलग रहेगा |

मेले का स्थान और तारीख इस प्रकार है –
  1. 20 जुलाई 2019 को बक्सा,
  2. 22 जुलाई को बदलापुर, महाराजगंज ,
  3. 23 जुलाई को मुफ्तीगंज, सिरकोनी,
  4. 24 जुलाई को कारंजाकला,
  5. 25 जुलाई सिकरारा एवं केराकत,
  6. 27 जुलाई को मछलीशहर, बरसठी,
  7. 30 जुलाई को रामपुर एवं रामनगर,
  8. 31 जुलाई को मडियाहू जलालपुर,
  9. 01 अगस्त 2019 को सुजानगंज, मुगराबादशाहपुर,
  10. 02 अगस्त को शाहगंज, खुटहन,
  11. 03 अगस्त को सुइथाकला तथा
  12. 05 अगस्त को धर्मापुर एवं डोभी में किया जायेगा |

इस मेला में जिला स्तरीय अधिकारी पर्यवेक्षणीय अधिकारी बनाये गए है, जो कार्यक्रम का क्रियान्वयन एवं अनुश्रवण कर किसानों को कम लागत में अधिक उत्पादन वाली तकनीकियों एवं किसानों के विकास के लिए सरकार द्वारा संचालित जन कल्याणकारी योजनाओं की विविध जानकारी प्रदान करेंगे |

इस मेला का एक और लक्ष्य यह भी है कि किसनों की आय दुगनी करने के लिए कृषि वैज्ञानिकों एवं अधिकारीयों द्वारा किसानों की आमदनी दुगनी करने वाली रणनीतियों एवं जल शक्ति अभियान के अंतर्गत कम पानी में अधिक उत्पादन वाली तकनीकियों से जागरूक किया जायेगा | मेले में स्टाल लगाकर किसानों को कृषि यंत्र व अन्य कृषि निवेश भी उपलब्ध कराये जायेंगे | मेले में पी.एम. किसान सम्मान निधि योजना से वंचित कृषकों का नि:शुल्क पंजीकरण भी किया जायेगा |

नोट :- किसानों से अपील किया जाता है की मेला में पहुँचकर ज्यादा से ज्यादा लाभ उठायें

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खराब मौसम के चलते खरीफ फसलों की बुआई में आई काफी कमी

खरीफ फसलों की बुआई की ताजा स्थिति

मौसम आजाने के बाद भी देश भर में एक समान बारिश नहीं हुई है | कहीं अधिक बारिश तो कही बहुत कम बारिश हुई है | कुछ स्थानों पर शुरू में बारिश अच्छी थी लेकिन अभी कुछ दिनों से मौसम ने अपना असर नहीं दिखा पा रहा है | जिससे किसानों ने खरीफ फसल की सिंचाई शुरू कर दिया है | जहाँ पर खरीफ फसल की बुआई नहीं हुआ है वहां पर बुआई पर असर पद रहा है |

मध्यप्रदेश राज्य

खरीफ सीजन में अब तक 76 लाख 55 हजार हेक्टेयर में खरीफ फसलों की बुआई का कार्य हो चूका है | लक्ष्य एक करोड़ 37 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई का है |

फसलों में अब तक सोयाबीन, मूंगफली और तिल आदि तिलहन फसलों की सर्वाधिक 38 लाख 62 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई हुई है | लक्ष्य 41 लाख 86 हजार हेक्टेयर का है | तुअर, उड़द, मूंग, कुंलथी आदि दलहन फसलों की 10 लाख 40 हजार हेक्टेयर में बुआई की गई है | लक्ष्य 23 लाख 15 हजार का है | धान, ज्वार मक्का, बाजरा, कोदो आदि में निर्धारित लक्ष्य 43 लाख 99 हजार हेक्टेयर के विरुद्ध 21 लाख 80 हजार हेक्टेयर में बुआई पूरी हो चुकी है | कपास 6 लाख 19 हजार हेक्टेयर के लक्ष्य के विरुद्ध 5 लाख 73 हजार हेक्टेयर में लगाया गया है |

प्रदेश में 48 प्रतिशत खाधान और 60 प्रतिशत तिलहन फसलों की बोनी हो चुकी है | सामान्य टूर पर प्रदेश में एक करोड़ 18 लाख 50 हजार हेक्टेयर में खरीफ फ्स्लोंकी बोनी होती है |

बिहार राज्य

जुलाई माह में खरीफ फसल की बुवाई सुधार हुआ है | बिहार राज्य में खरीफ 2019 में अब तक धान बिचड़ा का आच्छादन 3,30,000 हे | लक्ष्य के विरुद्ध आज तक 2,57,189 हे. हुई है, जो 77.94 प्रतिशत है | धान की रोपनी का लक्ष्य 33,00,000 हे. निर्धारित किया गया है , जिनके विरुद्ध आज तक 2,51,550 लाख हे. में धान की रोपनी हुई है  मुख्य रूप से पूर्वी चम्पारण (51,699 हे.), प. चम्पारण (50,110 हे.), सीतामढ़ी (27,433 हे.), पूर्णिया (23,315 हे.) सहित तिरहुत एवं दरभंगा प्रमण्डल में रोपणी का कार्य प्रारम्भ हो गया है | खरीफ मौसम में मक्का की बुआई 4,24,500 हे. क्षेत्र में की जाएगी , अब तक इस लक्षण के विरुद्ध अब तक 1,64,620 हे. क्षेत्र में आच्छादन हुआ है, जो 38.78 प्रतिशत है |

दूसरी तरफ सूखे से निपटने के लिए भी तैयारी कर ली गई है | सरकार ने खरीफ मौसम में धान की सामुदायिक नर्सरी तैयारी की गई है | इस नर्सरी से बिचड़ा छतिग्रस्त होने पर पुन: धान की समय पर रोपानी हेतु इच्छुक एवं जरूरतमंद कृषकों के बीच नि:शुल्क (शत प्रतिशत अनुदान पर) बिचड़ा उपलब्ध कराया जायेगा | धान की नर्सरी में तैयार बिचडों को इच्छुक एवं जरूरतमंद कृषकों के बीच नि:शुल्क वितरण (शत प्रतिशत अनुदान पर) किया जायेगा | इस योजना से सिंचाई सुविधा रहित एवं भूमिहीन जोत करने वाले किसानों को समय पर धान की रोपणी करने में मदद मिलेंगी |  विभाग द्वारा प्रतिदिन किसानों की बेहतरी के लिए समीक्षा बैठक की जा रही है |

छत्तीसगढ़ राज्य

खरीफ मौसम में खेत-खलिहानों में बोनी का कार्य तेजी से चल रहा है। राज्य में धान की फसल के लिए 3677.00 हजार हेक्टेयर में बोनी के लक्ष्य के विरूद्ध अबतक 1546.92 हजार हेक्टेयर में बोनी कर ली गई है, जो कुल बोनी का 42 प्रतिशत है। खरीफ सीजन में विभिन्न किस्म के 8 लाख 50 हजार 550 क्विंटल बीज लक्ष्य के विरूद्ध 7 लाख 77 हजार 441 क्विंटल बीज का भण्डारण कर अब तक 5 लाख 85 हजार 679 क्विंटल बीज का वितरण किया गया है। इसी प्रकार 10 लाख 50 हजार मीट्रिक टन उर्वरक लक्ष्य के विरूद्ध 8 लाख 83 हजार 888 मीट्रिक टन भण्डारण कर 4 लाख 9 हजार 441 मीट्रिक टन उर्वरक का वितरण किया गया है।

    कृषि विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में धान का प्रस्तावित रकबा 3677.00 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध 1546.92 हजार हेक्टेयर में बोनी हुई है। मक्का का प्रस्तावित लक्ष्य 230.00 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध बोनी 81.13 हजार हेक्टेयर एवं ज्वार, कोदो कुटकी एवं अन्य लघु धान्य का लक्ष्य 81.57 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध बोनी 1.17 हजार हेक्टेयर में बोनी हुई है। प्रदेश में अनाज का कुल निर्धारित लक्ष्य 3988.57 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध 1629.22 हजार हेक्टेयर में बोनी हुई है। राज्य में दलहन का प्रस्तावित लक्ष्य 391.78 हजार हेक्टेयर है जिसके विरूद्ध अभी तक कुल दलहन 24.56 हजार हेक्टेयर में बोनी हुई है।

जिसमें अरहर 150.00 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध बोनी 11.32 हजार हेक्टेयर, उड़द 170.30 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध 9.24 हजार हेक्टेयर, मूंग 30.50 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध 3.99 हजार हेक्टेयर में बोनी हुई है एवं कुल्थी 40.98 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध बोनी 0.01 हजार हेक्टेयर है। तिलहन का प्रस्तावित लक्ष्य 295.65 हजार हेक्टेयर है जिसके विरूद्ध अभी तक तिलहन 55.97 हजार हेक्टेयर में बोनी हुई है। जिसमें मूंगफली 65.00 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध बोनी 9.81 हजार हेक्टेयर, तिल 40.00 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध बोनी 1.48 हजार हेक्टेयर एवं सोयाबीन 120.00 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध 44.68 हजार हेक्टेयर में बोनी हुई है।

        रेशे वाले एवं अन्य साग-सब्जियों के फसलों के अंतर्गत प्रस्तावित लक्ष्य 144.00 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध 35.53 हजार हेक्टेयर में बोनी की जा चुकी है। इस प्रकार खरीफ मौसम का कुल प्रस्तावित लक्ष्य का 4820.00 हजार हेक्टेयर के विरूद्ध 1745.28 हजार हेक्टेयर में बोनी का कार्य हुआ है जो प्रस्तावित लक्ष्य का 36 प्रतिशत है।

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इन 7 बीज कंपनियों की हुई मान्यता रद्द, किसान इन कंपनियों के बीज न खरीदें

इन बीज कंपनियों की हुई मान्यता रद्द 2019-20

कंपनियां अधिक मुनाफा कमाने के लिए किसानों के साथ लगातार धोखा करते आ रही है | जिसमें नकली बीज बेचना या फिर एक नाम से एक से अधिक प्रोडक्ट को निकलना है | ऐसा ही 7 कंपनियां लम्बे समय से किसानों को एक ही मोल्युकुलर डाटा का उपयोग कर अलग – अलग नामकरण कर धान, मक्का एवं बाजरा फसल प्रभेदों के बीज किसानों को बेच रही थी | जिसकी शिकायत लगातार आ रही थी | इसे लेकर बिहार सरकार ने इस सभी 7 कंपनियों से 30 जून तक जवाब माँगा था | सभी कंपनियों का जवाब को जाँच में गलत पाया गया है | इसके बाद सरकार ने इन सभी कंपनियों की मान्यता रद्द कर दिया है |

यह 7 कंपनिया कौन – कौन है ?

बिहार सरकार ने जिस बीज कंपनी की मान्यता रद्द किया है वह इस प्रकार है – मेसर्स एश्वर्या सीड्स प्राईवेट लिमटेड, मेसर्स सवाना सीड्स प्राईवेट लिमटेड, मेसर्स इनविक्टा एग्रिटेक प्राईवेट लिमटेड, मेसर्स पान सीड्स, मेसर्स एन.आर.एल. सीड्स, मेसर्स महिंद्रा एग्री साल्यूशन लिमटेड, मेसर्स यू.पी.एल. लिमटेड एवं मेसर्स आदित्य बिरला सीड्स प्राईवेट लिमटेड (ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड) |

किसान इस नाम के किसी भी बीज को नहीं खरीदे

यह बीज कंपनियों द्वारा कृषि विभाग के दिशा – निर्देश का पालन नहीं किया गया है एवं त्रुटिपूर्ण बीज बिक्री कर किसानों के साथ धोखाधड़ी करने के कारण मेसर्स एश्वर्या सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, पटना के धान प्रभेद , वैशाली एवं मक्का प्रभेद आदित्या 929, केशर किंग – 919, अर्ली -2, शुभम -2, मधुर, चैलेंज-1, एस.एस. – 7077, एस.एस. – 6066, मेसर्स सवाना सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, पटना के धान प्रभेद एस.आर.डी. -55, एस.एच. -4613, एस.ए.मी.ए. 124, एस.ए.मी.ए. – 134,  एस.ए.मी.ए. -200, एस.ए.भी.ए. -300, मेसर्स एन्विकता एग्रिटेक प्राईवेट लिमिटेड, नालंदा के मक्का प्रभेद विक्रांत एस.एम.एच. – 5522, डान-एस.एम.एच. – 5533, साई – एस.एम.एच. – 6677, मेसर्स पान सीड्स,

पटना के मक्का प्रभेद पी.ए.एन. 6001, पी.ए.एन. – 6002, एवं धान प्रभेद पी.ए.एन. – 2112 गोल्ड, मेसर्स एन.आर.एल. सीड्स , मधेपुरा के मक्का प्रभेद एन.आर.एल. – 1151, मेसर्स महिंद्रा एग्री सल्यूशन लिमिटेड, पटना के मक्का प्रभेद एम.एम. – 2121, राजगुरु, कल्याण, राजाजी, धान प्रभेद सुपर कल्पना, एम.पी. – 3334, किरण, विक्रम तथा बाजार प्रभेद सरदार और मेसर्स आदित्य बिरला सीड्स प्राईवेट लिमिटेड (ग्रासिम इंडीस्ट्रीज लिमिटेड), यूनिट आफ इंडोगल्फ फर्टिलाईजर्स, पटना के मक्का प्रभेद प्योर गोल्ड (पी.एस. 413), कृतिमान गोल्ड (पी.एस.414) के बिहार राज्य में बीज बिक्री पर तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगा डी गई है |

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बिजली सम्बंधित शिकायत के लिए इस नम्बर पर करें कॉल

बिजली विभाग टोल फ्री नम्बर

मानसून के कारण अचानक आने वाली विद्युत व्यवधान और बिल से संबंधित शिकायतों के त्वरित निराकरण के लिए तीनों विधुत वितरण कंपनी द्वारा केन्द्रीय काल – सेंटर बनाए गए है | काल – सेंटर का टोल फ्री नंबर 1912 है | सेंटर में उपभोगता द्वारा शिकायत दर्ज कराने से निराकरण तक हर स्तर पर सतत मानिटरिंग की जा रही है |

काल – सेंटर के लेंडलाइन नंबर पर भी शिकायत दर्ज होगी

टोल फ्री नंबर 1912 व्यस्त मिलने पर मध्यप्रदेश पूर्व क्षेत्र विधुत वितरण कंपनी के जबलपुर, सागर, रीवा, शहडोल कमिश्नरी कार्यक्षेत्र के उपभोगता काल – सेंटर के नंबर 0761 – 2972020, 18002331266, मध्य क्षेत्र कंपनी के भोपाल, ग्वालियर, नर्मदापुरम, चंबल कमिश्नरी कार्य क्षेत्र के उपभोगता काल – सेंटर के नंबर 0755 – 2551222, 18002331912 तथा पश्चिम क्षेत्र कंपनी के इंदौर एवं उज्जैन कमिश्नरी कार्य – क्षेत्र के बीजली उपभोगता काल – सेंटर के नंबर 0731 – 6700000, 18004191912 पर शिकायत दर्ज करवा सकते हैं |

शिकायत निराकरण की प्रक्रिया इस प्रकार है 

उपभोगता द्वारा 1912 पर शिकायत दर्ज करवाने पर उसे एसएमएस के जरिये शिकायत क्रमांक प्राप्त होगा | शिकायत एसएमएस के जरिए संबंधित बिजली सुधरने के विशेष वाहन चालक, लाइनमेन को भेजी जाती है | शिकायत प्राप्त होते ही विशेष वाहन, लाइन स्टाफ शिकायतों के क्रमानुसार उपभोगता परिसर में तत्परता से पहुँचता है | जैसे ही उपभोगता की शिकायत हल होती है, लाईनमेन द्वारा शिकायत निराकरण की सुचना काल – सेंटर को भेजी जाती है, फिर काल – सेंटर द्वारा उपभोगता को एसएमएस भेजकर शिकायत निराकरण की जानकारी डी जाती है, फिर काल – सेंटर के कर्मचारी सीधे शिकायतकर्ता उपभोगता के मोबाईल पर बात कर शिकायत निराकरण का फीडबेक भी लेते हैं | शिकायतकर्ता के काल करने पर यदि काल व्यस्त आता है , तो काल – सेंटर का कर्मचारी शिकायतकर्ता को काल बेक करता है | शिकायत उपभोगता की संतुष्टि के बाद ही बंद की जाती है |

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पहली बार यह नए प्रकार के कृषि यंत्र दिए जा रहें हैं अनुदान पर किसान अलग से आवेदन भेजे

किसान अनुदान पर यह कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन करें

किसानों को दिए जाने वाले कृषि यंत्रों को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है | नया बजट आने के बाद पहली बार किसानों के लिए इन सभी कृषि यंत्रों पर सब्सिडी दी जा रही है | यह सभी यंत्र वह यंत्र है जो वर्ष में सिर्फ एक या दो बार दिए जाते है | जिसका इंतजार किसानों को लम्बे समय से रहता है | ऐसे तो यह सभी यंत्र अप्रैल माह में दिया जाता था लेकिन चुनाव आचार सहिंता के कारण अप्रैल में नहीं दिया जा सका है | 

 इन सभी यंत्रों के लिए पहले से लक्ष्य नहीं माँगा गया है | बल्कि इसके लिए किसानों की डिमाण्ड (demand) माँगी गई है | किसानों के तरफ से आये डिमांड के आधार पर ही कृषि विभाग लक्ष्य बनाएगा | यह सभी लक्ष्य जिले के आधार पर रहेगा लेकिन बजट से ज्यादा डिमांड आने पर पहले आये – पहले पाए में रहेगा | इसकी पूरी जानकारी किसान समाधान आपके लिए लेकर आया है |

यह योजना किस राज्य के लिए है ?

यह योजना केवल मध्य प्रदेश के किसानों के लिए है | 

कौन–कौन से कृषि यंत्र की मांग किसान कर सकते हैं ?

  1. पैडी (राइस) ट्रांस्प्लांटर (केवल 4 रो से अधिक)
  2. पावर हैरो
  3. न्यूमेटिक प्लांटर
  4. बेलर
  5. हैप्पी सीडर
  6. रेक

किसान यंत्रों की मांग  demand (डिमांड) कैसे करें ?

इन यंत्रों के लिए किसानों को आवेदन करने की वजाए मेल करना होगा | मेल में बताना होगा किसान को कौन सा यंत्र चाहिए एवं किसान को उसका विवरण भेजना होगा मेल के द्वारा |दिए गए कृषि यंत्रों के on demand लक्ष्य आवेदन ई – मेल के माध्यम से [email protected] पर भेजे (आवेदन में जिला, यंत्र, कृषक वर्ग स्पष्ट रूप से अंकित करें) |

नोट :- ई- डी.बी.टी. पोर्टल पर आवेदन की विभिन्न प्रक्रियाओं अंतर्गत निम्न समयसीमा लागु है जिसके उपरांत आवेदन स्वत: निरस्त हो जायेंगे | स्वत: निरस्त आवेदन अगले दिन दोपहर 12 बजे से स्वत: पुन: आवेदन हेतु उपलब्ध रहेंगे |

कृषि यन्त्र लेने के लिए पात्रता क्या है ?

  1. इन सभी कृषि यंत्रों के लिए सभी वर्ग तथा श्रेणी के किसान पात्र है |
  2. केवल वे ही कृषक पात्र होंगे जिन्होंने गत 5 वर्षों में उक्त यंत्रों के क्रय पर विभाग की किसी भी योजना के अंतर्गत अनुदान का लाभ प्राप्त नहीं किया है |

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