देश में खेती की लागत कम करने और फसलों की पैदावार बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीकों से रासायनिक खादों का निर्माण किया जा रहा है। इस क्रम में इफको ने नैनो यूरिया और नैनो डीएपी खाद का विकास किया था जिसके बाद इफ़को ने हाल ही में नैनो यूरिया प्लस भी जारी किया है। इफ़को के इस इनोवेशन से यूरिया की एक 45 किलो की बोरी छोटी सी बोतल 500 ml में आने लगी है।
लेकिन अभी भी नैनो यूरिया की प्रभावशीलता को लेकर देश-दुनिया में विवाद चल रहा है। इस बीच केंद्र सरकार ने IFFCO (इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड) के द्वारा तैयार किए गए दो नए खाद को मंजूरी दे दी है। इसमें नैनो जिंक लिक्विड (तरल) और नैनो कॉपर लिक्विड (तरल) शामिल है। केंद्र ने इसकी मंजूरी फर्टिलाइजर कंट्रोल ऑर्डर 1985 के तहत तीन साल के लिए दी है। इससे किसानों को अब यह खाद भी कम दरों पर बॉटल में उपलब्ध हो सकेगी।
जिंक और कॉपर क्यों है फसलों के लिए महत्वपूर्ण
जिंक और कॉपर दोनों सूक्ष्म पोषक तत्वों की श्रेणी में आते हैं जो कि फसलों की अच्छी पैदावार के लिए अत्याधिक महत्वपूर्ण है। वर्ष में लगातार फसल उत्पादन के चलते मिट्टी में माइक्रो न्यूट्रिएंट (सूक्ष्म पोषक तत्व) की कमी आती जा रही है जिससे इनका असंतुलन बढ़ गया है। ऐसे में यह उर्वरक किसानों के लिए वरदान साबित होंगे। इफ़को के प्रबंध निदेशक डॉ. अवस्थी ने बताया कि जिंक की कमी पौधों के विकास को कम करती है वहीं कॉपर की कमी के चलते पौधों में बीमारी लगने की संभावना बढ़ जाती है। यह दोनों उत्पाद फसलों में जिंक और कॉपर की कमी को दूर कर सकते हैं। माइक्रो न्यूट्रिएंट की कमी कुपोषण की एक बड़ी वजह है। उन्होंने इन उर्वरकों के अधिसूचित होने को इफ़को की टीम के लिए के बड़ी उपलब्धि बताया है।
पौधों में सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी को दूर करने के लिए फसल पोषण पर दो और नैनो टेक्नोलॉजी आधारित नए प्रोडक्ट जल्द ही बाजार में आ जाएंगे। हालांकि, इफको ने अभी यह नहीं बताया है कि नैनो जिंक और नैनो कॉपर की बोतल कितनी बड़ी होगी, इसका दाम क्या होगा, किस प्लांट में इसे बनाया जाएगा और किसानों तक यह कब तक पहुंच जाएगा।