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पशुओं को बाँझपन एवं गर्भपात से बचाने के लिए पशुपालक पशुओं को जरूर लगवायें ब्रुसेलोसिस का टीका

पशुओं में ब्रुसोलोसिस रोग, लक्षण एवं उपचार

समयसमय पर पशुओं को विभिन्न तरह के रोग लगने से पशुपालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। जिसको देखते हुए सरकार पशुओं में होने वाले बहुत से रोगों की रोकथाम के लिए टिकाकरण अभियान चलाती है। ऐसा ही एक रोग हैब्रुसेलोसिस (Brucellosis) रोग। इस रोग से पशुओं में बाँझपन एवं गर्भपात जैसी बीमारी होती है। यह बीमारी गाय, भैंस, भेड़, बकरी, शुकर एवं कुत्तों में होती है। इस बीमारी को टीकाकरण के द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।

ब्रुसेलोसिस गाय, भैंस, भेड़, बकरी, शुकर एवं कुत्तों में फैलने वाली एक संक्रामक बीमारी हैं। ये एक प्राणीरूजा अथवा जीव जनित बीमारी है जो पशुओं से मनुष्यों एवं मनुष्यों से पशुओं में फैलने की आशंका बनी होती है। इस बीमारी से ग्रस्त पशु का 7-9 महीने के गर्भकाल में गर्भपात हो जाता है, जिससे पशुधन की हानि होती है।

ब्रुसेलोसिस Brucellosis रोग के लक्षण क्या है?

पशुओं में ब्रुसेलोसिस रोग के लक्षण जो देखने को मिलते हैं, उनमें पशु का तीसरी तिमाही (6-7 महीने) में गर्भपात हो जाता है। मरा हुआ बच्चा या समय से पहले ही कमजोर बच्चा पैदा होता है। दूध की पैदावार कम हो जाती है। पशु बाँझ हो जाता है । नर पशु में वृषणों में सूजन हो जाती है प्रजनन शक्ति कम हो जाती है। शूकर में गर्भपात के साथ जोड़ो और वृषणों में सूजन पाई जाती है। भेड़, बकरियों में भी गर्भपात हो जाता है।

वहीं मनुष्यों में ब्रुसेलोसिस ग्रस्त पशुओं के दूध का सेवन करने से बुखार का रोज बढ़ना और घटना इस बीमारी का मुख्य लक्षण है। थकान, कमजोरी लगना, रात को पसीना आना और शरीर में कंपकपी होना, भूख न लगना और वजन घटना, पीठ एवं जोड़ो में दर्द होना भी इसके लक्षण होते हैं।

इस तरह फैलती है ब्रुसेलोसिस बीमारी

गाय, भैंस में यह रोग ब्रूसेल्ला एबोरटस नामक जीवाणु द्वारा होता है। ये जीवाणु गाभिन पशु के बच्चेदानी में रहता है तथा अंतिम तिमाही में गर्भपात कराता है। एक बार संक्रमित हो जाने पर पशु जीवन काल तक इस जीवाणु को अपने दूध तथा गर्भाशय के स्त्राव में निकालता है।

पशुओं में ब्रुसेलोसिस रोग संक्रमित पदार्थ के खाने से, जननांगों के स्त्राव के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष सम्पर्क से, योनि स्त्राव से, संक्रमित चारे के प्रयोग से तथा संक्रमित वीर्य से कृत्रिम गर्भाधान द्वारा फैलता है। प्रायः यह देखा जाता है कि मनुष्यों में ब्रुसेलोसिस रोग सबसे ज्यादा रोगग्रस्त पशु के कच्चे दूध पीने से फैलता है। इसके अलावा गर्भपात होने पर पशु चिकित्सक या पशुपालक असावधानी पूर्व जेर या गर्भाशय के स्त्राव को छूते है, जिससे ब्रुसेलोसिस रोग का जीवाणु त्वचा के किसी कटाव या घाव से शरीर में प्रवेश कर जाता है।

पशुपालक कब लगवायें ब्रुसेलोसिस का टीका

पशुओं में होने वाली इस बीमारी को नियंत्रित करने के लिए 4 से 8 माह की मादा वत्सो में ब्रुसेलोसिस Brucellosis का टीकाकरण अवश्य करवाना चाहिए। यह टीकाकरण पशुपालक अपने यहाँ के सरकारी पशु चिकित्सालय से करा सकते हैं। इसके अतिरिक्त पशुपालन विभाग द्वारा समयसमय पर घरघर जाकर भी पशुओं को निःशुल्क ब्रुसेलोसिस का टीका लगाया जाता है उस समय पशुपालक यह टीकाकरण अवश्य करवायें। साथ ही ऐसे पशुओं के रखरखाव, चारे आदि की व्यवस्था उचित ढंग से करें ताकि इस बीमारी का असर मनुष्य पर न हो।

मौसम चेतावनी: 3 से 5 अक्टूबर के दौरान इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश 

Weather Update: 3 से 5 अक्टूबर के लिए वर्षा का पूर्वानुमान

वैसे तो 30 सितम्बर तक मानसून की विदाई मानी जाती है लेकिन अभी भी मानसून-2023 की पूरी तरह विदाई नहीं हुई है। अभी भी कई राज्यों में अधिकांश स्थानों पर बारिश का दौर जारी है, जो आगे भी कुछ दिनों तक रह सकता है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD की मानें तो अभी झारखंड एवं उसके आसपास के क्षेत्रों में एक कम दवाब का क्षेत्र बना हुआ है। जिसके चलते पूर्वी भारतीय राज्यों में कई जगहों पर भारी बारिश हो सकती हैं।

मौसम विभाग के मुताबिक़ बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, उत्तरी उड़ीसा, पूर्वी उत्तर प्रदेश एवं पूर्वोत्तर राज्यों में अनेक स्थानों पर आगामी 3-4 दिनों तक भारी बारिश हो सकती है। वहीं छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश के कुछ जिलों में आगामी दो-तीन दिनों तक कई स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है।

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग के भोपाल केंद्र द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 3 से 4 अक्टूबर के दौरान नर्मदापुरम, बैतूल, सिंगरौली, सीधी, रीवा, सतना, अनुपपुर, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, छिन्दवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, पन्ना, दमोह एवं छतरपुर जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है।

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

मौसम विभाग के रायपुर केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 3 से 5 अक्टूबर के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, पेंड्रा रोड, बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, रायपुर, बलोदाबाजार, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनंदगाँव, बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाडा, सुकमा, कांकेर, बीजापुर एवं नारायणपुर जिलों में अधिकांश स्थानों पर गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है। वहीं कई स्थानों पर भारी बारिश की संभावना है। 

बिहार के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

मौसम विभाग के पटना केंद्र के अनुसार 3 से 6 अक्टूबर के दौरान बिहार के पश्चिम चंपारण, सीवान, सारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुज़फ़्फ़रपुर, दरभंगा, वैशाली, शिवहर, समस्तीपुर, सुपौल, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, अरवल, पटना, गया, नालंदा, शेख़पुरा, नवादा, बेगूसराय, लखीसराय, जहनाबाद, भागलपुर, बाँका, जमुई, मुंगेर एवं ख़गड़िया जिलों में अधिकांश स्थानों पर गरज–चमक के साथ बारिश होने की संभावना है। वहीं 3-4 अक्टूबर को कई स्थानों पर भारी बारिश भी हो सकती है।

झारखंड के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

मौसम विभाग राँची केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 3 से 6 अक्टूबर के दौरान झारखंड राज्य के राँची, बोकारो, गुमला, हजारीबाग, खूँटी, रामगढ़, पूर्वी–सिंघभूमि, पश्चिमी–सिंघभूमि, सिमडेगा, सरायकेला खरसावाँ, पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, देवघर, धनबाद, दुमका, गिरडीह, गोड्डा, जामतारा, पाकुर एवं साहेबगंज ज़िलों में अधिकांश स्थानों पर मध्यम से भारी वर्षा हो सकती है। वहीं कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की भी संभावना है।

उत्तर प्रदेश के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

भारतीय मौसम विभाग के लखनऊ केंद्र के द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार 3 से 5 अक्टूबर के दौरान उत्तर प्रदेश के अयोध्या, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, अमेठी, आजमगढ़,  बलिया, मऊ, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, चित्रकूट, बाँदा, हमीरपुर, महोबा, बहराइच, बलरामपूर, गोंडा, बाराबंकी, श्रावस्ती, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, कानपुर नगर, कानपुर देहात, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, मिर्ज़ापुर, भदोही, सोनभद्र, प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, एवं चंदौली ज़िलों में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। वहीं कुछ स्थानों पर भारी बारिश भी हो सकती है।

8 अक्टूबर से यहाँ आयोजित किया जाएगा कृषि मेला, किसानों को मिलेगी बीज से बाजार तक की जानकारी

कृषि विकास मेला 2023

देश में किसानों को कृषि क्षेत्र की नई तकनीकों से अवगत कराने, खेती से अधिक से अधिक मुनाफा कमाने एवं उन्हें आ रही परेशानियों को दूर करने के लिए सरकार द्वारा समयसमय कृषि विश्वविद्यालयों की मदद से कृषि मेलों का आयोजन किया जाता है। ऐसे ही एक तीन दिवसीय कृषि मेले का आयोजन चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार द्वारा 8 से 10 अक्टूबर के दौरान किया जा रहा है।

हरियाणा में आयोजित किए जाने वाले इस कृषि मेले का नाम हरियाणा कृषि विकास मेला–2023 रखा गया है। कृषि विकास मेले में किसानों को बीज से बाजार तक की सभी जानकारी के साथ ही नए उन्नत कृषि यंत्रों, उन्नत बीजों, खेती की नई तकनीकों को देखने का मौक़ा मिलेगा। साथ ही किसानों मेले लकी ड्रॉ में ईनाम जीतने का भी अवसर दिया जाएगा।

कृषि विकास मेला 2023 में यह रहेगा खास

हिसार के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित होने वाले इस कृषि विकास मेले में बीज, उर्वरक, कीटनाशक, कृषि मशीनें व कृषि यंत्र निर्माता कंपनियां भाग लेंगी। किसानों को विभिन्न कृषि कार्यों के लिए मशीनों, यंत्रों एवं उनकी कार्यप्रणाली के बारे में जानने का अवसर भी मिलेगा।

मेले में किसानों को विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों द्वारा श्री अन्न की खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। साथ ही किसान मेले में यह बातें रहेंगी ख़ास:-

  • मेले में प्रगतिशील किसानों को किया जाएगा सम्मानित,
  • कृषि संबंधी उपकरणों, तकनीकों, नवाचारों की लगाई जाएगी प्रदर्शनी,
  • वैज्ञानिक देंगे श्रीअन्न की खेती जुड़ी सभी जानकारी,
  • नए बीज, उर्वरक, कीटनाशक, कृषि मशीनें, यंत्र व उनकी कार्यप्रणाली की जानकारी,
  • मेले में हरियाणवी सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन,
  • किसान खरीद सकेंगे विभिन्न उन्नत फसलों के बीज।

किसानों को उपलब्ध कराए जाएँगे उन्नत बीज

मेले में पहले की तरह ही इस वर्ष भी किसानों को विश्वविद्यालय की ओर से सिफारिश की गई रबी फसलों के उन्नत बीज तथा बायोफर्टिलाईजर के अतिरिक्त कृषि साहित्य उपलब्ध करवाए जाएंगे। इसके लिए मेला स्थल पर विभिन्न सरकारी बीज एजेंसियों के सहयोग से बिक्री काउंटर स्थापित किए जाएँगे।

किसानों को विश्वविद्यालय के अनुसंधान फार्म पर वैज्ञानिकों द्वारा उगाई गई खरीफ फसलें दिखाई जाएंगी तथा उनमें प्रयोग की गई तकनीकों की जानकारी दी जाएगी। इस अवसर पर फसल प्रतियोगिताएँ आयोजित की जाएंगी। मेला स्थल पर मिट्टी, सिंचाई जल व रोगी पौधों की वैज्ञानिक जांच करवाने की किसानों को सुविधा दी जाएंगी।

कहाँ आयोजित किया जाएगा कृषि मेला

कृषि विकास मेला-2023 का आयोजन हरियाणा राज्य के चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित किया जाएगा। यह मेला 8 अक्टूबर 2023 से 10 अक्टूबर 2023 तक तीन दिनों के लिए आयोजित किया जाएगा। पहले की तरह ही इस साल भी यह मेला विश्वविद्यालय के कृषि मेला ग्राउंड, गेट न. 3 के सामने लगाया जाएगा। मेले की अधिक जानकारी के लिए किसान टोल फ्री नंबर 1800-180-2117 पर कॉल कर सकते हैं या कृषि विभाग हरियाणा की वेबसाइट www.agriharyana.gov.in पर देख सकते हैं।

आम, अमरूद एवं लीची की खेती पर सरकार देगी 50 प्रतिशत अनुदान, किसान यहाँ करें आवेदन

आम, अमरूद एवं लीची की खेती पर अनुदान

किसानों की आमदनी बढ़ाने एवं फलफूल और मसाला फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए सरकार बागवानी फसलों की खेती को बढ़ावा दे रही हैं। इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से सरकार इन फसलों की खेती के लिए किसानों को भारी अनुदान भी उपलब्ध कराती है। इस कड़ी में बिहार सरकार राज्य में मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना चला रही है। योजना के तहत किसानों को विभिन्न उद्यानिकी फसलों की खेती के लिए अनुदान दिया जा रहा है।

बिहार सरकार राज्य में किसानों को आम, लीची और अमरुद के साथ ही फूलों की बागवानी के लिए अनुदान देगी। योजना के तहत सरकार ने विभिन्न फसलों के लिए जिलेवार लक्ष्य जारी कर दिए हैं। अभी इन फसलों के लिए राज्य के 15 जिलों का चयन किया गया है। इन जिलों के किसान ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

आम, अमरूद लीची पर कितना अनुदान (Subsidy) मिलेगा?

मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत कृषि विभाग किसानों को विशेष अनुदान देगा। राज्य के 15 जिलों के किसानों को योजना के तहत बहुवर्षीय फलदार पौधे (आम, लीची एवं अमरुद आदि) के बाग लगाने के लिए सरकार यह अनुदान देगी। योजना के तहत कृषि विभाग, बिहार द्वारा इन फसलों की बाग़वानी के लिए प्रति हेक्टेयर लागत 60,000 रुपए निर्धारित की गई है। जिस पर किसानों को लागत का 50 प्रतिशत या अधिकतम राशि 30,000 रुपए का अनुदान दिया जाएगा। किसानों को यह अनुदान तीन चरणों (60:20:20 प्रतिशत) में दिया जाएगा।

फूलों की खेती पर मिलेगा अनुदान

कृषि विभाग फूलों की खेती के लिए भी किसानों को अनुदान देगा। इसके लिए बिहार कृषि विभाग ने प्रति हेक्टेयर 40 हजार रूपये की अनुमानित लागत तय की है। जिस पर किसानों को लागत पर 70 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाएगा। योजना के तहत चालू वित्तीय वर्ष में 43 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। योजना का उद्देश्य किसानों को मुख्य रूप से फलफूल, मसाला एवं सुगंधित पौधों की खेती के प्रति किसानों को प्रेरित कर आय बढ़ाने और अतिरिक्त रोजगार सृजन करना है।

इन जिलों के किसान कर सकते हैं अनुदान हेतु आवेदन

मुख्यमंत्री बागवानी मिशन योजना के तहत अभी बिहार राज्य के 15 जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं। इनमें अरवल, भोजपुर, बक्सर, गोपालगंज, जहानाबाद, कैमूर, लखीसराय, मधेपुरा, नवादा, सारण, शेखपुरा, शिवहर, सीतामढ़ी, सिवान और सुपौल जिले शामिल हैं। इन ज़िलों के सभी वर्ग के किसान योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं।

आम, अमरूद एवं लीची की खेती अनुदान पर करने के लिए आवेदन कहाँ करें?

इच्छुक किसान जो अनुदान पर फलों एवं फूलों की खेती करना चाहते है उन्हें इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। किसान यह आवेदन उद्यान निदेशालयकृषि विभाग बिहार की वेबसाइट horticulture.bihar.gov.in पर कर सकते हैं। योजना के लिए आवेदन करने के लिए किसानों के पास कृषि विभाग के डी.बी.टीकार्यक्रम हेतु संचालित MIS पोर्टल dbtagriculture.bihar.gov.in पर पंजीयन होना आवश्यक है। पंजीकृत नंबर के माध्यम से ही किसान योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं।

योजना का लाभ लेने के लिये किसानों के पास आधार कार्डडीबीटी पोर्टल पर पंजीकरण के बाद प्राप्त यूनिक आईडीज़मीन के कागजातमोबाइल नंबरबैंक पासबुक आदि दस्तावेज होने चाहिए। योजना से जुड़ी अधिक जानकारी के लिये किसान अपने प्रखंड के उद्यान पदाधिकारी अथवा अपने जिले के सहायक निदेशक उद्यान से संपर्क करें।         

मौसम चेतावनी: 30 सितम्बर से 3 अक्टूबर के दौरान इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

Weather Update: 30 सितम्बर से 3 अक्टूबर के लिए वर्षा का पूर्वानुमान

देश में मानसून 2023 की विदाई शुरू हो गई है, पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान के कुछ हिस्सों से मानसून विदा भी हो गया है। इसके बावजूद बंगाल की खाड़ी में बने कम दबाव से देश के कई हिस्सों में भारी बारिश हो सकती है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD की मानें तो बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र के बना हुआ है जिसके चलते एक चक्रवाती परिसंचरण बन गया है। जो उत्तर पश्चिम की ओर उत्तरी-उड़ीसा और आसपास के पश्चिम बंगाल के तटों की ओर आगे बढ़ने की संभावना है। वहीं अरब सागर में भी एक कम दबाव का क्षेत्र बन गया है।

मौसम विभाग की मानें तो उपयुक्त सिस्टम के चलते पूर्वी हिमालयी क्षेत्र, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, झारखंड, उड़ीसा, कोंकण, गोवा, मध्य महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, पूर्वी मध्य प्रदेश, तमिलनाडु के घाट क्षेत्र, असम, मेघालय, नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम, अरुणाचल प्रदेश एवं त्रिपुरा के कई हिस्सों में 30 सितम्बर से 3 अक्टूबर के दौरान भारी बारिश होने की संभावना है।

मध्य प्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के भोपाल केंद्र के अनुसार 30 सितम्बर से 1 अक्टूबर के दौरान मध्यप्रदेश के भोपाल, विदिशा, रायसेन, सिहोर, राजगढ़, नर्मदापुरम, बैतूल, हरदा, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, बड़वानी, अलीराजपुर, झाबुआ, धार, इंदौर, रतलाम, उज्जैन एवं देवास जिलों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा हो सकती है।

वहीं 30 सितम्बर एवं 3 अक्टूबर के दौरान सिंगरौली, सीधी, रीवा, सतना, अनुपपुर, शहडोल, उमरिया, डिंडोरी, कटनी, जबलपुर, नरसिंहपुर, छिंदवाड़ा, सिवनी, मंडला, बालाघाट, पन्ना, दमोह, सागर, छतरपुर, टीकमगढ़ एवं निवाड़ी ज़िलों में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम वर्षा होने की संभावना है। वहीं कुछ स्थानों पर भारी वर्षा भी हो सकती है।

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग के रायपुर केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 30 सितम्बर से 3 अक्टूबर के दौरान छत्तीसगढ़ राज्य के सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, पेंड्रा रोड, बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, रायपुर, बलोदाबाजार, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनंदगाँव, बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाडा, सुकमा, कांकेर, बीजापुर एवं नारायणपुर जिलों में अधिकांश स्थानों पर गरजचमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। वहीं इस दौरान अनेक स्थानों पर भारी बारिश का अलर्ट भी जारी किया गया है।

बिहार के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

मौसम विभाग के पटना केंद्र के अनुसार 1 अक्टूबर से 4 अक्टूबर के दौरान बिहार के पश्चिम चंपारण, सीवान, सारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुज़फ़्फ़रपुर, दरभंगा, वैशाली, शिवहर, समस्तीपुर, सुपौल, अररिया, किशनगंज, मधेपुरा, सहरसा, पूर्णिया, कटिहार, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, अरवल, पटना, गया, नालंदा, शेख़पुरा, नवादा, बेगूसराय, लखीसराय, जहनाबाद, भागलपुर, बाँका, जमुई, मुंगेर एवं ख़गड़िया जिलों में अधिकांश स्थानों पर गरजचमक के साथ भारी बारिश की संभावना है।

झारखंड के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

मौसम विभाग राँची केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 30 सितम्बर से 3 अक्टूबर के दौरान झारखंड राज्य के राँची, बोकारो, गुमला, हजारीबाग, खूँटी, रामगढ़, पूर्वीसिंघभूमि, पश्चिमीसिंघभूमि, सिमडेगा, सरायकेला खरसावाँ, पलामू, गढ़वा, चतरा, कोडरमा, लातेहार, लोहरदगा, देवघर, धनबाद, दुमका, गिरडीह, गोड्डा, जामतारा, पाकुर एवं साहेबगंज ज़िलों में अधिकांश स्थानों पर मध्यम से भारी वर्षा हो सकती है। वहीं कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी वर्षा होने की भी संभावना है।

महाराष्ट्र के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

भारतीय मौसम विभाग मुंबई केंद्र के द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 30 सितम्बर से 1 अक्टूबर के दौरान पालघर, थाने, मुंबई, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, अहमदनगर, पुणे, सातारा, कोल्हापुर, सांगली, शोलापुर, परभणी, बीड, हिंगोली, नांदेड, लातूर, उस्मानाबाद, अकोला, अमरावती, भंडारा, बुलढाना, चंदरपुर, गढ़चिरौली, गोंदिया, नागपुर, वर्धा, वाशिम एवं यवतमाल जिलों में अधिकांश स्थानों पर मध्यम से भारी बारिश की चेतावनी जारी की गई है। वहीं कुछ स्थानों पर भारी से बहुत भारी बारिश होने की भी संभावना है।

उत्तर प्रदेश के इन जिलों में हो सकती है भारी बारिश

भारतीय मौसम विभाग के लखनऊ केंद्र के द्वारा जारी पूर्वानुमान के अनुसार 30 सितम्बर से 3 अक्टूबर के दौरान उत्तर प्रदेश के अयोध्या, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर, अमेठी, आजमगढ़,  बलिया, मऊ, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, चित्रकूट, बाँदा, बहराइच, बलरामपूर, गोंडा, बाराबंकी, श्रावस्ती, गोरखपुर, देवरिया, कुशीनगर, महाराजगंज, लखनऊ, लखीमपुर खीरी, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, सीतापुर, मिर्ज़ापुर, भदोही, सोनभद्र, प्रयागराज, फतेहपुर, कौशांबी, प्रतापगढ़, वाराणसी, गाजीपुर, जौनपुर, एवं चंदौली ज़िलों में अधिकांश स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है। वहीं कुछ स्थानों पर भारी बारिश भी हो सकती है।

किसान क्रेडिट कार्ड दुर्घटना बीमा धारकों को दिए गए 10-10 लाख रुपए के चेक

खेती-किसानी के कार्यों में कई तरह के जोखिम होते हैं, जिसके चलते कई बार किसान दुर्घटना के शिकार हो जाते हैं। ऐसे में यदि किसान की मृत्यु हो जाती है तो उनके परिवार को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इस कड़ी में किसानों के बीच सबसे अधिक लोकप्रिय योजना किसान क्रेडिट कार्ड योजना है। इस योजना में किसान सस्ते ऋण के साथ दुर्घटना बीमा योजना का लाभ भी ले सकते हैं।

योजना के तहत राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 28 सितंबर के दिन मुख्यमंत्री निवास पर किसान क्रेडिट कार्ड दुर्घटना बीमाधारकों के परिजनों को बीमा राशि के चैक सौंपे। राजस्थान को-ऑपरेटिव बैंक द्वारा जारी किसान क्रेडिट कार्ड पर दुर्घटना बीमा के 11 लाभार्थियों को 10-10 लाख रुपए के चैक दिए गए।

किसान क्रेडिट कार्ड के तहत होता है दुर्घटना बीमा

किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर फसल बीमा के साथ ही दुर्घटना बीमा भी मिलता है, हालाँकि फसल बीमा को अब स्वैच्छिक कर दिया गया है। किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड पर स्थायी विकलांगता या फिर मृत्यु पर 50,000 रुपये तक का बीमा कवर दिया जाता है। वहीं विकलांगता की स्थिति में किसानों का 25,000 रुपए का बीमा होता है। वही राजस्थान कोऑपरेटिव बैंक द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड पर 1 लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा किया जाता है।

बता दें कि वर्ष 2016 के अपने आदेश में रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने सभी बैंकों को किसान क्रेडिट कार्ड धारक को अपने किसान क्रेडिट कार्ड खाते से बीमा करवाने की सुविधा भी दी है जिसमें किसान किसी भी प्रकार के आस्ति बीमा, दुर्घटना बीमा (पेस सहित), और स्वास्थ्य बीमा (जिन मामलों में उत्पाद उपलब्ध है) करा सकते हैं। साथ ही बैंक को आरबीआई ने यह भी निर्देश दिए हैं कि किसानों को उपलब्ध सभी बीमा कवर की जानकारी भी दी जानी चाहिए।

पशुओं का भी किया जा रहा है बीमा

इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि अचानक आई विपदा में बीमा सुरक्षा कवच का कार्य करता है। राज्य सरकार ने भी पशु पालकों के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देते हुए लम्पी रोग से मृत गायों पर प्रति गाय 40-40 हजार रुपए का मुआवजा दिया। साथ ही, मुख्यमंत्री कामधेनु बीमा योजना में दो दुधारू पशुओं का 40-40 हजार रुपए का बीमा कर सुरक्षा दी गई है।

कार्यक्रम के दौरान यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कम्पनी के उप महाप्रबंधक श्री रघुनाथ मीना, क्षेत्रीय प्रबंधक श्रीमती गीता राय, श्री आलोक जैन एवं श्री जितेन्द्र सबलानीय सहित अन्य कर्मचारी एवं दुर्घटना बीमा धारकों के परिजन उपस्थित थे।

1 अक्टूबर से किसान ऑनलाइन दे सकेंगे कपास की फसल में नुकसान जानकारी

इस वर्ष देश के कई जिलों में कपास की फसल में गुलाबी सुंडी कीट के प्रकोप से किसानों की फसल को काफ़ी नुक़सान हुआ है, खासकर हरियाणा एवं राजस्थान के जेलों में। किसानों को हुए इस नुक़सान की भरपाई के लिए सरकार ने आंकलन के निर्देश दे दिए हैं। इस कड़ी में हरियाणा सरकार राज्य में फसल नुकसान की जानकारी देने के लिए 1 अक्टूबर से ई-क्षति पोर्टल खोलने के निर्देश दिए हैं ताकि किसान अपनी फसल को हुए नुक़सान की जानकारी दे सकें।

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जय प्रकाश दलाल ने कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारियों को ई-क्षतिपूर्ति पोर्टल को 1 अक्टूबर से खोलने के निर्देश दिए हैं ताकि किसान अपनी कपास की फसल में हुए नुकसान का ब्यौरा इस पोर्टल पर दर्ज करा सकें। कृषि मंत्री ने 27 सितम्बर को राज्य में कपास फसल में हुए नुकसान के संबंध में कृषि और राजस्व विभाग के अधिकारियों के साथ आयोजित समीक्षा बैठक में यह निर्देश दिए।

फसल नुकसान का किया जाए सटीक आंकलन

कृषि मंत्री ने कृषि विभाग के अधिकारियों को कपास फसल के नुकसान का आकलन करते हुए रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करने के भी निर्देश दिए ताकि राजस्व विभाग द्वारा आकलन रिपोर्ट के आधार पर फसल में हुए नुकसान पर वित्तीय सहायता प्रदान की जा सके।

उन्होंने अधिकारियों को कपास में गुलाबी सूंडी के प्रकोप से हुये नुकसान की भरपाई के लिए हर गांव में कपास फसल के लिए फसल कटाई प्रयोगों को दोगुना करते हुए 4 से 8 करने के भी निर्देश दिए ताकि नुकसान का सटीक आंकलन किया जा सके। उन्होंने प्रयोगों की वीडियोग्राफी करने के भी निर्देश दिए ताकि फसल कटाई प्रयोगों के आधार पर कपास फसल में हुए नुकसान पर वित्तिय सहायता प्रदान की जा सके।

किसान 30 सितंबर तक करा सकते हैं फसल सुरक्षा योजना के तहत पंजीयन

बैठक में बताया गया कि राज्य में कलस्टर-2 के अधीन जिला अंबाला, करनाल, सोनीपत, हिसार, जीन्द, महेंद्रगढ़ व गुरुग्राम में जिन किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा नहीं हुआ उनके लिए राज्य सरकार द्वारा कलस्टर-2 हेतु हरियाणा फसल सुरक्षा योजना को कपास फसल के लिए शुरू किया गया है। इसके तहत किसान 30 सितम्बर 2023 तक कृषि विभाग की वेबसाइट पर अपनी कपास की फसल का पंजीकरण मामूली शुल्क अदा कर फसल को सुरक्षित कर सकते हैं।

इसके अतिरिक्त, मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल को भी 3 दिन तक तुरन्त प्रभाव से खोलने का निर्णय लिया गया है। जिन किसानों ने अभी तक अपनी फसलों का ब्यौरा इस पोर्टल पर दर्ज नहीं किया है, वे किसान अपनी फसल का ब्यौरा पंजीकृत करवाकर फसल उत्पाद को सुगमता से बेच सकते हैं।

किसान न्याय योजना: 24 लाख से अधिक किसानों को जारी की गई 1895 करोड़ रुपए की तीसरी किश्त

किसानों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने एवं कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही है। इस कड़ी में छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राज्य में राजीव गांधी किसान न्याय योजना चला रही है। योजना के तहत लाभार्थी किसानों को धान सहित अन्य फसलों की खेती करने के लिए इनपुट सब्सिडी सीधे उनके बैंक खातों में देती है। सरकार यह राशि किसानों को एक वित्त वर्ष में 4 किस्तों में उपलब्ध कराती है।

गुरुवार 28 सितंबर 2023 को कृषक सह श्रमिक सम्मेलन में किसानों को योजना के तहत तीसरी किस्त जारी कर दी गई है। इस बारे में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जानकारी देते हुए बताया कि राजीव गांधी किसान न्याय योजना की राशि आपकी सुविधा को ध्यान में रखते हुए आज 28 सितंबर को जारी की गई है। चूंकि आचार संहिता लगने के पश्चात निर्वाचन आयोग से इसके लिए अनुमति लेनी होती इसमें विलम्ब की आशंका के चलते आज ही इसका भुगतान किया जा रहा है।

24 लाख 52 हजार किसानों को दी गई योजना कि किस्त

बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में आयोजित किए गए कृषक सह श्रमिक सम्मेलन में मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल एवं राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री मल्लिकार्जुन खड़गे के मुख्य आतिथ्य में होने वाले इस कार्यक्रम में कृषकों और श्रमिकों को न्याय योजनाओं एवं श्रमिक योजनाओं की राशि का वितरण किया गया।

सम्मेलन में प्रदेश के 24 लाख 52 हजार 592 किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के 1895 करोड़ रुपए अंतरित किए गए। साथ ही गोधन न्याय योजना के 65 हजार गोबर विक्रेताओं को 5 करोड़ 16 लाख रुपए की राशि और 33 हजार 642 गन्ना उत्पादक किसानों को 57 करोड़ 18 लाख रुपए प्रोत्साहक राशि भी उनके खाते में डाली गई।

अब तक किसानों को दिए जा चुके हैं 23 हजार करोड़ रुपए

इस वर्ष में जारी की गई किसान न्याय योजना की तीसरी किस्त को मिलाकर राजीव गांधी किसान न्याय योजना में अंतरित की जाने वाली राशि बढ़कर 23 हजार 893 करोड़ रुपए और गोधन न्याय योजना में अंतरित की जाने वाली राशि बढ़कर 507.14 करोड़ रुपए हो गई है। इसके अलावा 33 हजार 642 गन्ना उत्पादक किसानों को 57 करोड़ 18 लाख रुपए प्रोत्साहक राशि भी जारी की गई।

क्या है राजीव गांधी किसान न्याय योजना

छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के किसानों को कृषि में पर्याप्त निवेश एवं कास्त लागत में राहत देने के लिये कृषि आदान सहायता हेतु राजीव गांधी किसान न्याय योजना चला रही है। योजनांतर्गत खरीफ मौसम के धान, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, तिल, अरहर, मूंग, उड़द, कुल्थी, रामतिल, कोदो, कुटकी, रागी तथा रबी में गन्ना फसल को सम्मिलित किया गया है।

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत कृषि लागत में कमी लाने, फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खरीफ फसलों के उत्पादक कृषकों को प्रति एकड़ के मान से 9 हजार रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। खरीफ वर्ष 2019 से लागू इस योजना के तहत राज्य के किसानों को अब तक 23 हजार 893 करोड़ रुपए की इनपुट सब्सिडी दी जा चुकी है।

श्रमिक पेंशन योजना की गई शुरू

कृषक सह श्रमिक सम्मेलन में राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष श्री खड़गे और मुख्यमंत्री श्री बघेल ने श्रमिकों के कल्याण के लिए मुख्यमंत्री निर्माण श्रमिक पेंशन सहायता योजना की भी शुरुआत की। इस योजना में दस साल तक पंजीकृत रहे एवं 60 वर्ष की आयु पूरी कर चुके निर्माणी श्रमिकों को जीवन पर्यंत प्रति माह 15 सौ रुपए की पेंशन सहायता दी जाएगी।

नही रहे कृषि क्षेत्र में क्रांति लाने वाले हरित क्रांति के जनक एम.एस. स्वामीनाथन

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महान कृषि वैज्ञानिक और देश कीहरित क्रांतिमें अहम योगदान देने वाले एम.एस. स्वामीनाथन का आज गुरुवार 28 सितम्बर को 98 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। स्वामीनाथन लंबे समय से बीमार थे, अब उनके परिवार में उनकी तीन बेटियां सौम्या, मधुरा और नित्या हैं। स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। उनका पूरा नाम मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन (M.S. Swaminathan) था।

एम.एस. स्वामीनाथन पौधों के जेनेटिक साइंटिस्ट थे। उन्होंने 1966 में मेक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ हाइब्रिड करके हाई क्वालिटी वाले गेहूं के बीज विकसित किए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि एम एस स्वामीनाथन जिनेक “कृषि क्षेत्र में अभूतपूर्व कार्य ने लाखों लोगों के जीवन को बदल दिया और हमारे देश के लिए खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की।

धान और गेहूं की उच्च पैदावार वाले बीज किए थे विकसित

स्वामीनाथन जूलॉजी और एग्रीकल्चर दोनों से ग्रेजुएट थे। उन्होंने धान की ज्यादा पैदावार देने वाली किस्मों को विकसित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिली कि भारत के कम आय वाले किसान ज्यादा फसल पैदा करें। इसके अलावा 1960 के अकाल के दौरान स्वामीनाथन ने अमेरिकी वैज्ञानिक नॉर्मन बोरलॉग और दूसरे कई वैज्ञानिकों के साथ मिलकर गेहूं की उच्च पैदावार वाली किस्म (HYV) के बीज भी डेवलप किए थे।

इन आवार्ड से किया जा चुका है सम्मानित

स्वामीनाथन को 1971 में रेमन मैग्सेसे और 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड साइंस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा उन्हें 1967 में पद्मश्री, 1972 में पद्मभूषण और 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था। वे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद में 1972 से 1979 तक और अंतरराष्ट्रीय चावल अनुसंधान संस्थान में 1982 से 1988 तक महानिदेशक रहे।

दुनिया की प्रख्यात TIME मैगज़ीन ने केवल तीन भारतीयों को 20वीं सदी के सबसे प्रभावशाली एशियन्स की लिस्ट में रखा था: जिसमें रवींद्रनाथ टैगोर, महात्मा गांधी एवं डॉ. एम.एस.स्वामीनाथन शामिल है।

असामान्य वर्षा एवं गुलाबी सुण्डी कीट से फसलों को हुए नुकसान का आंकलन कर किसानों को दिया जाएगा मुआवजा

देश से मानसून की विदाई शुरू हो गई है, इस वर्ष देश के कई जिलों में मानसून में असामान्य वर्षा हुई है। जिसके चलते किसानों की फसलों को वर्षा एवं कीट रोगों के प्रकोप से काफी नुकसान हुआ है। जिसको देखते हुए राजस्थान सरकार ने फसलों की गिरदावरी कराकर किसानों को उचित मुआवजा देने का निर्णय लिया है। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने असामान्य वर्षा से फसलों को हुए लगातार नुक़सान की गिरदावरी आगामी 10 दिवस के भीतर करवाकर किसानों को राहत देने के निर्देश दिए हैं। 

बुधवार 27 सितम्बर के दिन मुख्यमंत्री ने अपने निवास पर फसल नुकसान, इनपुट सब्सिडी, फसल बीमा एवं गिरदावरी के लिए समीक्षा बैठक आयोजित की। बैठक में उन्होंने अधिकारियों को फसल खराबे का आकलन कर प्रभावित किसानों को नियमानुसार मुआवजा देने के लिए गिरदावरी का काम जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए।

कपास में गुलाबी सुण्डी कीट से हुए नुक़सान का भी दिया जाएगा मुआवजा

फसल नुकसान को लेकर हुई समीक्षा बैठक में जानकारी दी गई कि हनुमानगढ़, गंगानगर जिले में कपास की फसल में गुलाबी सुण्डी कीट के प्रकोप से दोनों जिलों में 2 लाख 56 हजार हैक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ है, जिससे लगभग 73 हजार किसानों को नुकसान हुआ है। जिनमें 5 से 45 प्रतिशत नुकसान का अनुमान है।

फसल बीमा योजना के अन्तर्गत कीट रोग के प्रकोप के कारण कपास फसल का उत्पादन प्रभावित होने पर बीमित किसानों को नुकसान हेतु क्लेम दिया जाएगा। अभी खरीफ 2023 में कपास की फसल कटाई प्रयोग प्रक्रियाधीन है। इन प्रयोगों से प्राप्त औसत उपज आँकड़ों के आधार पर नियमानुसार किसानों को क्लेम दिया जाएगा।

किसानों को किया गया 968.48 करोड़ रुपए के मुआवजे का भुगतान

बैठक में बताया गया कि वर्ष 2022-23 एवं 2023-24 में राज्य में घटित प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, सूखा, ओला वृष्टि, पाला एवं शीतलहर से प्रभावित 10.61 लाख पात्र किसानों को राज्य आपदा मोचन निधि (एसडीआरएफ) नॉर्म्स के अनुसार 968.48 करोड़ रुपए का कृषि आदान अनुदान वितरित किया गया है। साथ ही, वर्ष 2022-23 रबी के 1895 करोड़ के बीमा क्लेम किसानों को वितरित किये जा चुके हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2022-23 रबी के लम्बित बीमा क्लेम किसानों को शीघ्र वितरित कराये जाये।

बाढ़, पाला, ओला वृष्टि एवं सूखे से हुए नुकसान के लिये दिया गया मुआवजा

समीक्षा बैठक में बताया गया कि राज्य में बाढ़ से प्रभावित 7.72 लाख किसानों को 563.03 करोड़ रुपए, पाला/शीतलहर में 2.65 लाख किसानों को 375.72 करोड़ रुपए, ओला वृष्टि में 6762 किसानों को 13.13 करोड़ रुपए एवं सूखा में 17089 किसानों को 16.60 करोड़ रुपए की सहायता उपलब्ध कराई गयी है। वर्ष 2020-21 एवं 2021-22 के पात्र किसानों को डीएमआईएस पोर्टल के माध्यम से सहायता प्रदान की जा चुकी है।

वहीं मुख्यमंत्री ने इस वर्ष कुछ क्षेत्रों में हुई कम वर्षा की स्थिति को देखते हुए कहा की सी वर्ष सूखा पड़ने की संभावना है। इसलिए सूखे की स्थिति से निपटने हेतु जिलों में आवश्यक तैयारी की जाए।