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पीएम कृषक सूर्य मित्र योजना: किसानों को अब खेत में सोलर पम्प लगाने के लिए देना होगा मात्र 10 प्रतिशत राशि

किसानों को वर्ष भर सिंचाई की सुविधा उपलब्ध कराने के साथ ही खेती की लागत को कम करने के लिए सरकार द्वारा सोलर पम्प को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनाएँ चलाई जा रही हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार ने किसान हित में बड़ा फैसला लिया है। 24 जनवरी के दिन मध्यप्रदेश सरकार ने राज्य में किसानों को मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना के तहत किसानों को सब्सिडी पर सोलर पम्प देने का फैसला लिया है।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंत्रि-परिषद की बैठक शुक्रवार को लोकमाता अहिल्याबाई की नगरी महेश्वर में हुईं।इस अवसर पर मंत्रि-परिषद ने प्रदेश में कृषक/कृषकों के समूह को कृषि पम्प कनेक्शन प्रदान करने के लिए “प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” में वर्तमान में प्रचलित “मुख्यमंत्री कृषक मित्र योजना” अंतर्गत सोलर कृषि पम्प भी सम्मिलित किए जाने का निर्णय लिया है।

किसानों को सोलर पम्प के लिए दिन होगा मात्र 10 प्रतिशत राशि

मंत्रिमंडल द्वारा लिए गए निर्णय के अनुसार “प्रधानमंत्री कृषक मित्र सूर्य योजना” की अनुदान व्यवस्था को संशोधित किया गया है। अब योजना में परियोजना लागत का श्रेणीवार 5 प्रतिशत अथवा 10 प्रतिशत कृषक द्वारा मार्जिन मनी के रूप में दिया जाएगा। शेष राशि के लिए कृषक द्वारा ऋण लिया जाएगा, जिस ऋण के भुगतान का संपूर्ण दायित्व राज्य शासन का होगा यानि की किसान द्वारा जो ऋण लिया जाएगा उसका भुगतान सरकार करेगी।

सरकार देगी शेष राशि

योजना के अनुसार मध्य प्रदेश सरकार द्वारा शेष ऋण का भुगतान सोलर कृषि पंप लगने की वजह से कृषि उपभोक्ताओं के लिए “अटल कृषि ज्योति योजना” एवं अन्य योजनाओं के अंतर्गत वितरण कंपनियों को देय सब्सिडी में हुई बचत से ऋण का भुगतान किया जा सकेगा। योजना के प्रथम चरण में अस्थायी विद्युत संयोजन वाले उपभोक्ताओं अथवा अविद्युतिकृत कृषकों को सोलर पंप का लाभ दिया जाएगा।

योजना के आगामी चरणों में स्थायी विद्युत पंप उपयोग कर रहे कृषकों को भी सोलर पंप दिया जाना प्रस्तावित है। इसका क्रियान्वयन राज्य में मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम द्वारा केन्द्र सरकार की “कुसुम योजना” के घटक ‘ब’ अंतर्गत किया जायेगा। सोलर पम्प की स्थापना से विद्युत पम्पों को विद्युत प्रदाय के लिए राज्य सरकार पर अनुदान के भार को सीमित किया जा सकेगा एवं विद्युत वितरण कम्पनियों की वितरण हानियों को भी कम किया जा सकेगा।

किसानों को सरसों की उन्नत किस्म DRMR 2017-15 (राधिका) की दी गई जानकारी

कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कम लागत में अधिक पैदावार देने वाली नई-नई किस्मों का विकास किया जा रहा है। ऐसे में किसानों को इन किस्मों की खेती करने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु कृषि विभाग द्वारा इनकी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए इन फसलों का प्रदर्शन दिखाया जाता है। इस कड़ी में राजस्थान के बूंदी जिले में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा हिंडोली क्षेत्र के गांव फालेण्डा में सरसों की फसल किस्म DRMR 2017-15 (राधिका) के कलस्टर प्रथम पंक्ति प्रदर्शन लगाये गये हैं।

प्रदर्शनों में सरसों की किस्म डी.आर.एम.आर. 2017-15 को एकीकृत फसल प्रबंधन विधि के द्वारा कृषकों के खेत पर होने वाली पैदावार के परिणामों एवं किसानों के स्वयं के अनुभवों को गांव के अन्य किसानों को जानकारी देने के लिए सरसों प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन शुक्रवार को किया गया। जिसमें गाँव के 55 प्रगतिशील कृषकों एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।

किसान इस तरह प्राप्त कर सकते हैं सरसों की अधिकतम पैदावार

इस अवसर पर वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष प्रो. हरीश वर्मा ने बताया कि एकीकृत फसल उत्पादन विधियों एवं समन्वित कीट रोग प्रबन्धन तकनीकों को अपनाकर कृषक सरसों की अधिकतम पैदावार लेते हुए अपनी आय को बढ़ा सकते हैं एवं उत्पादित सरसों को आगामी बुवाई के लिए बीज के रुप में रखकर काम में लिया जा सकता है एवं अन्य किसानों को बुवाई के लिए विक्रय भी किया जा सकता है। जिससे किसान इस किस्म का गांव के स्तर पर ही खरीदकर प्रयोग कर सकते है।

DRMR 2017-15 (राधिका) किस्म की विशेषताएं

केन्द्र की उद्यान वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी (प्रदर्शन) इंदिरा यादव ने किस्म की विशेषता के बारे में बताया कि यह फसल सिंचित क्षेत्रों में देर से बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म है। पौधें की ऊँचाई 191-204 सेमी है। औसत बीज उत्पादन 18.0 क्विंटल एवं तेल की मात्रा 40.7 प्रतिशत होती है। 120-150 दिन में पककर तैयार होने वाली यह किस्म झुलसा, सफेद रोली, तना सड़न रोग एवं चेंपा (मोयला) के प्रति सहनशील है।

प्रक्षेत्र दिवस पर आये किसानों ने खेत पर भ्रमण करने के दौरान सरसों किस्म डी.आर.एम.आर. 2017-15 से अच्छे उत्पादन होने की संभावना व्यक्त की। प्रगतिशील कृषक चेतराम मीणा ने इस किस्म को अन्य किस्मों से अच्छा बताया। प्रक्षेत्र दिवस के दौरान आये हुए किसानों को कृषि विश्वविद्यालय, कोटा द्वारा प्रकाशित कृषि पंचांग (कैलेण्डर) 2025 भी वितरित किये। प्रक्षेत्र दिवस में विजेन्द्र कुमार वर्मा एवं दुर्गा सिंह सोलंकी ने अपना सहयोग प्रदान किया।

डिफॉल्टर ऋणी किसान 31 मार्च 2025 तक ले सकेंगे एक मुश्त समझौता योजना का लाभ

किसानों को खेती-किसानी के कामों के लिए पूंजी की आवश्यकता होती है, जिसकी पूर्ति के लिए किसान बैंक से ऋण लेते हैं, लेकिन किन्हीं कारणों के चलते किसान यह ऋण समय पर चुका नहीं पाते हैं और डिफ़ॉल्टर हो जाते हैं। ऐसे किसानों के लिए राहत भरी खबर आई है। राजस्थान सरकार राज्य में एक मुश्त समझौता योजना लेकर आई है। जिसके तहत किसान निर्धारित बकाया राशि जमा करवाकर योजना का लाभ ले सकते हैं।

राजस्थान के जालोर जिले के लिए अकृषि व कृषि ऋणी सदस्यों के लिए एक मुश्त समझौता योजना-2024 लागू की गई है जिसमें 31 मार्च, 2025 तक डिफॉल्टर ऋणी कृषक निर्धारित बकाया राशि जमा करवाकर योजना का लाभ ले सकेंगे।

31 मार्च 2024 तक का बकाया ऋण करना होगा जमा

दी जालोर सैण्ट्रल को-आपरेटिव बैंक लि. जालोर के प्रबन्ध निदेशक नारायण सिंह ने बताया कि सहकारिता विभाग, राजस्थान जयपुर व शीर्ष सहकारी बैंक के निर्देशानुसार जालोर केन्द्रीय सहकारी बैंक में कृषि-अकृषि व्यक्तिगत अवधिपार एवं एनपीए (गैर निष्पादित आस्तियाँ) में वर्गीकृत ऋणी सदस्यों को राहत प्रदान करने के उद्देश्य से कृषि-अकृषि एकमुश्त समझौता योजना-2024 लागू की गई है जिनमें ऐसे ऋणी सदस्य जिनके विरूद्ध बकाया ऋण राशि अवधिपार एवं 31 मार्च, 2023 को एनपीए (संदिग्ध एवं अशोध्य श्रेणी) में वर्गीकृत हो चुकी हैं, वे ऋणी सदस्य ऋण चुकाये जाने की कुल राशि का 25 प्रतिशत जमा करवाकर लागू की गई योजना का लाभ ऋण राशि चुकाये जाने की तिथि तक ऋण स्वीकृति पत्र में अंकित ब्याज दर अथवा 8 प्रतिशत ब्याज दर (जो कम है) साधारण दर से ब्याज वसूल किया जायेगा।

25 प्रतिशत राशि करना होगा जमा

प्रबंध निदेशक ने योजना के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कृषि-अकृषि एक मुश्त समझौता योजना-2024 का लाभ प्राप्त करने के इच्छुक पात्रता धारक ऋणी कृषक सदस्य क्षेत्र की जालोर केन्द्रीय सहकारी बैंक की नजदीकी शाखा के शाखा प्रबंधक अथवा क्षेत्रीय अधिकारी से संपर्क कर लागू योजना के अंतर्गत कृषक सदस्य के विरूद्ध वसूली योग्य चुकता राशि 25 प्रतिशत जमा करवाकर कृषि-अकृषि एक मुश्त समझौता योजना-2024 में राहत राशि का लाभ प्राप्त कर सकते हैं।

योजना की अवधि 31 मार्च, 2025 रखी गई है। इस तिथि तक डिफॉल्डर ऋणी किसानों द्वारा एक मुश्त समझौता योजना के तहत लाभ नहीं लेने अथवा अपनी बकाया एनपीए/ओडी राशि जमा नहीं करवाने की स्थिति में बैंक द्वारा उनके विरूद्ध अधिनियम अंतर्गत कार्यवाही अमल में लाई जायेगी।

फल-फूल और सब्जी फसलों के लिए अलग से बनाई जाएगी मंडी, किसानों को मिलेगा बेहतर बाजार

देश में किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा उद्यानिकी फसलों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। ऐसे में किसानों को अपने उत्पाद बेचने के लिए बेहतर बाजार मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं। इस कड़ी में मध्य प्रदेश में उद्यानिकी फसलों को बेहतर बाजार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से उद्यानिकी फसलों के लिए पृथक उद्यानिकी उपज मंडी बनाई जाएगी। राज्य शासन द्वारा लिए गये निर्णय पर अमल के लिए उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री नारायण सिंह कुशवाह की अध्यक्षता में उद्यानिकी बोर्ड की बैठक गुरुवार को मंत्रालय में हुई।

शुरुआत में यहाँ बनाई जाएगी मंडी

उद्यानिकी बोर्ड की बैठक में मंत्री नारायण सिंह कुशवाह ने कहा कि उद्यानिकी फसलों के उत्पादक कृषकों को उनकी फसल का उचित दाम दिलावाने के उद्देश्य से राज्य शासन द्वारा पृथक से उद्यानिकी फसल उपज मंडी बोर्ड बनाने पर कार्य प्रारंभ किया गया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश की ऐसी प्रमुख 11 कृषि उपज मंडी इंदौर, बुरहानपुर, शाजापुर, मंदसौर, उज्जैन, बदनावर, रतलाम, नीमच, भोपाल, जावरा और शुजालपुर, जिनमें एक लाख टन से अधिक उद्यानिकी फसलों की आवक होती है, ऐसी मंडियों में प्रथम चरण में बोर्ड बनाकर उद्यानिकी फसलों के विक्रय के लिये पृथक से परिसर बनेगा।

किसान सीधे कर सकेंगे फसल विक्रय

मंत्री कुशवाह ने निर्देश दिये कि संचालक उद्यानिकी, प्रबंध संचालक मंडी बोर्ड प्रबंध संचालक एमपी एग्रो एवं विशेषज्ञों की टीम एक माह में विस्तृत सर्वे कर सलाहकार बोर्ड के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगी। उद्यानिकी मंत्री ने कहा यह उद्यानिकी उपज मंडी पूर्णत: हाईटैक होंगी, जिनमें फसल उत्पादक किसान सीधा उपभोक्ताओं को अपनी फसल का विक्रय कर सकेगा। यह व्यवस्था बिचौलियों से मुक्त होगी।

अभी फल और सब्जियों के लिए हैं 174 मंडी

वर्तमान में मध्य प्रदेश कृषि उपज मंडी अधिनियम 1972 के अधीन म.प्र. राज्य कृषि विपणन बोर्ड का गठन किया गया है। इनमें कृषि और उद्यानिकी का फसलों का क्रय-विक्रय एक ही परिसर में किया जाता है। प्रदेश की 25, कृषि उपज मंडी समिति है इनमें फल-सब्जियों के विक्रय के लिये 174 मंडियाँ अधिसूचित है। नवीन व्यवस्था लागू हो जाने पर फल-फूल, सब्जी फसल के लिये पृथक नवीन परिसर बनाये जाएंगे। प्रस्तावित मंडियों में ग्रेडिंग, सोर्टिग, पैकिंग, पैकहाउस, कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड चैन, भंडारण आदि सुविधाएँ विकसित की जायेंगी।

उद्यानिकी योजनाओं के लिए किसानों से आमंत्रित किए जाए आवेदन

उद्यानिकी मंत्री ने विभागीय योजनाओं की समीक्षा बैठक में निर्देश दिये है कि उद्यानिकी विभाग को हितग्राही मूलक योजनाओं के लिए नवीन ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये जाये। मंत्री कुशवाह ने कहा कि आवेदन करने की प्रक्रिया का सरलीकरण भी किया जाये, जिससे अधिक से अधिक किसान लाभान्वित हो सकेंगे।

संचालक उद्यानिकी श्रीमती प्रिति मैथिल ने कहा कि हितग्राहियों से उद्यानिकी विभाग के पोर्टल www.mpfsts.mp.gov.in आवेदन आमंत्रित किए जायेंगे। पात्रतानुसार हितग्राहियों का चयन उनकी आवश्यकतानुसार किया जाएगा। उन्होंने यह प्रक्रिया शीघ्र प्रारंभ करने के निर्देश अधिकारियों को दिये है।

5897 गांव को किया गया अभावग्रस्त घोषित, किसानों को मिलेगा मुआवजा

देश में प्राकृतिक आपदाओं से किसानों की फसलों को काफी नुकसान होता है, ऐसे में किसानों को हुए इस नुक़सान की भरपाई सरकार द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत की जाती है। इस कड़ी में राजस्थान सरकार ने बाढ़ एवं ओला वृष्टि से प्रभावित 21 जिलों को अभावग्रस्त घोषित किया है। जिससे अब राज्य के किसानों को हुए फसल नुकसान का मुआवजा मिलने की राह आसान हो गई है।

राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने संवेदनशील निर्णय लेते हुए खरीफ सीजन में बाढ़ एवं ओलावृष्टि से प्रभावित 21 जिलों के किसानों को एसडीआरएफ से कृषि आदान अनुदान वितरण करने की मंजूरी दी है। इसके लिए 20 जिलों के 33 प्रतिशत या उससे अधिक फसल खराबे वाले 5897 गांव अभावग्रस्त घोषित किए गए हैं।

बाढ़ और ओला वृष्टि से प्रभावित किसानों को मिलेगा मुआवजा

मुख्यमंत्री ने मानसून वर्ष 2024 (संवत् 2081) में बाढ़ और ओलावृष्टि से खरीफ फसलों के नुकसान के आकलन के लिए गिरदावरी के निर्देश दिए थे और जिला कलेक्टरों से प्राप्त की नियमित गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर यह निर्णय लिया गया है। अब जल्द ही इन गांव के प्रभावित किसानों को मुआवजा राशि का वितरण किया जाएगा। मुख्यमंत्री के इस संवेदनशील निर्णय से प्रभावित किसानों को बड़ा संबल मिलेगा। इस निर्णय के उपरान्त अब आपदा प्रबंधन एवं सहायता विभाग द्वारा इस बारे में अधिसूचना जारी की जाएगी।

इन जिलों के किसानों को मिलेगा लाभ

सरकार के इस निर्णय से प्रदेश के बून्दी जिले के 486, नागौर जिले के 67, धौलपुर जिले के 58, झालावाड़ जिले के 61, सवाई माधोपुर के 2, बारां के 1, अजमेर के 592, भरतपुर के 418, कोटा के 345, टोंक के 865, बीकानेर के 45, बांसवाड़ा के 817, बालोतरा के 10, फलौदी के 207, पाली के 155, हनुमानगढ़ के 49, डीग के 258, जोधपुर के 262, ब्यावर के 626, भीलवाड़ा के 564 एवं हनुमानगढ़ जिले के 9 गांवों को अभावग्रस्त घोषित किया गया है।

इन गांवों में खराबे से प्रभावित किसानों को एसडीआरएफ नॉर्म्स के अनुसार कृषि आदान अनुदान वितरण किया जाएगा। साथ ही, श्रीगंगानगर के 2 गांवों में 33 प्रतिशत से अधिक फसल खराबे वाले व्यक्तिगत कृषकों को कृषि आदान अनुदान भुगतान वितरण की अनुमति प्रदान की गई है।

सिंचाई के लिए 6144 तालाब बनवायेगी सरकार, किसानों को मिलेगा 75 प्रतिशत तक का अनुदान

किसानों को फसलों की सिंचाई के लिए साल भर पानी मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा कई प्रयास किए जा रहे हैं, इसमें खेतों में तालाब का निर्माण, नहरों का निर्माण, नलकूपों का निर्माण आदि शामिल है। इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है। इस कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा राज्य में बलराम तालाब योजना चलाई जा रही है। योजना के तहत किसानों को खेत में तालाब बनवाने के लिए 75 प्रतिशत तक का अनुदान दिया जाता है।

बलराम तालाब योजना के तहत कितना अनुदान (Subsidy) मिलता है?

कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही बलराम तालाब योजना में सामान्य किसानों को स्वयं के व्यय पर तालाब निर्माण करने पर लागत राशि का 40 प्रतिशत अधिकतम 80 हजार रुपये का अनुदान मिलता है। योजना में लघु-सीमान्त कृषकों को लागत राशि का 50 प्रतिशत और अधिकतम 80 हजार रुपए और अनुसूचित जाति/जनजाति के कृषकों को लागत राशि का 75 प्रतिशत अधिकतम एक लाख रुपये की अनुदान राशि दिए जाने का प्रावधान है।

इस साल बनाए जाएँगे 6144 तालाब

राज्य में बलराम तालाब योजना के तहत वित्त वर्ष 2023-24 में 569.30 लाख रुपये की राशि से 662 बलराम तालाब निर्मित किये गये थे। जबकि विभाग द्वारा वर्ष 2024-25 के लिये 5308.34 रुपये का वित्तीय लक्ष्य एवं 6144 बलराम तालाब निर्मित किये जाने का भौतिक लक्ष्य रखा गया है। बलराम तालाब योजना का लाभ लेने के लिए किसान ऑनलाइन पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं साथ ही योजना की अधिक जानकारी के लिए किसान अपने ब्लॉक या जिले के कृषि विभाग में संपर्क कर सकते हैं।

किसानों के पास जाकर किया जाएगा पानी और मिट्टी का परीक्षण

कृषि क्षेत्र में मिट्टी और पानी दोनों का अत्यधिक महत्व है। जिसको देखते हुए सरकार द्वारा मिट्टी और पानी की जाँच के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इस कड़ी में हरियाणा के मत्स्य एवं पशुपालन मंत्री श्याम सिंह राणा ने बताया कि मत्स्य पालन करने वाले किसानों की सुविधा को देखते हुए प्रदेश सरकार ने तीन मोबाइल जल परीक्षण प्रयोगशाला शुरू करने का निर्णय लिया है, ये प्रयोगशाला एक वैन (गाड़ी) में होगी और किसानों के पास जाकर उनके तालाब के जल और मिट्टी का परीक्षण करेगी।

खारे पानी वाली जगहों पर किया जाएगा झींगा पालन को बढ़ावा

पशुपालन मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में कुछ स्थानों पर खारा पानी होने के कारण वहां खेती करना मुश्किल है जिससे किसानों के सामने उनकी भूमि से पैदावार लेना असंभव हो गया है। किसानों की इसी समस्या को देखते हुए किसानों को खारा पानी में झींगा मछली के पालन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे जहां उनकी भूमि का सदुपयोग हो सकेगा वहीं झींगा पालन से उनको अच्छी खासी आमदनी भी हो सकेगी।

मछली पालकों को दी जा रही है वित्तीय सहायता

मत्स्य पालन मंत्री ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रदेश में मत्स्य पालन के लिए किसानों को आर्थिक सहायता भी दी जा रही है। वर्ष 2024-25 के दौरान राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित स्कीम के अन्तर्गत अकेले अनुसूचित जाति के परिवारों को मत्स्य पालन हेतु 254.29 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की गई। वर्ष 2024-25 के दौरान लगभग 1750 झींगा/ मत्स्य किसानों का समूह दुर्घटना बीमा योजना के तहत बीमा भी किया जा चुका है। मत्स्य पालन विभाग द्वारा “राष्ट्रीय मात्स्यिकी डिजिटल प्लेटफॉर्म” पोर्टल पर लगभग 5567 मत्स्य/ झींगा पालन किसानों का डाटा अपलोड किया जा चुका है।

मिट्टी और जल का परीक्षण

पशुपालन मंत्री ने बताया कि राज्य में वैन में बनाई गई “तीन मोबाइल जल परीक्षण प्रयोगशालाओं” के माध्यम से किसानों के तालाब की मिट्टी और जल का परीक्षण उनके तालाब पर जाकर ही किया जाएगा। इन वैन को खरीदने की स्वीकृति मुख्यमंत्री से प्राप्त चुकी है, शीघ्र ही इनको खरीद कर जल और मिट्टी का परीक्षण करने का काम आरम्भ किया जायेगा।

सरकार ने जारी किया वर्ष 2025-26 के लिए जूट का न्यूनतम समर्थन मूल्य

जूट की खेती करने वाले किसानों के लिए राहत भरी खबर आई है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2025-26 के लिए जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य यानि की MSP में बढ़ा दिया है। 22 जनवरी के दिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने विपणन सीजन 2025-26 के लिए कच्चे जूट के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय मंत्रीमंडल ने वर्ष 2025-26 के लिए कच्चे जूट (टीडी-3 श्रेणी) का एमएसपी, 5650 रुपये प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। यह अखिल भारतीय स्तर पर उत्पादन की भारित औसत लागत से 66.8 प्रतिशत अधिक वापसी सुनिश्चित करेगा।

सरकार ने इस वर्ष 315 रुपये बढ़ाया कच्चे जुट का एमएसपी

विपणन सीजन 2025-26 के लिए कच्चे जूट का एमएसपी, पिछले विपणन सीजन 2024-25 की तुलना में 315/- रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया है। सरकार के मुताबिक वर्ष 2024-15 में कच्चे जूट का एमएसपी 2400 रुपये प्रति क्विंटल था जिसे 2025-26 में बढ़ाकर 5650 रुपये कर दिया है। इस प्रकार 11 वर्षों में कच्चे जूट के एमएसपी में लगभग 3250 रुपये प्रति क्विंटल की वृद्धि दर्ज की गई है, जो 2.35 गुना है। सरकार के मुताबिक 2014-15 से लेकर 2024-25 के दौरान जूट उगाने वाले किसानों को कुल 1300 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया है।

40 लाख किसान परिवारों को मिलेगा लाभ

सरकार के मुताबिक देश में 40 लाख किसान परिवारों की आजीविका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जूट उद्योग पर निर्भर है। लगभग 4 लाख श्रमिकों को जूट मिलों में और जूट व्यापार में प्रत्यक्ष रोजगार मिलता है। पिछले साल जूट की खरीद 1 लाख 70 हजार किसानों से की गई थी। जूट के 82 प्रतिशत किसान पश्चिम बंगाल के हैं, जबकि शेष जूट उत्पादन में असम और बिहार की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है।

भारतीय पटसन निगम (जेसीआई) केंद्र सरकार की नोडल एजेंसी के रूप में मूल्य समर्थन संचालन करना जारी रखेगा और इस तरह संचालन में, यदि कोई हानि होती है, तो हानि की पूरी प्रतिपूर्ति केंद्र सरकार द्वारा की जाएगी।

आज के दिन सोयाबीन का मंडी भाव

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सोयाबीन (Soybean) मंडी भाव आज | Soybean Mandi Bhav Today Live Update: जानिए आज देश की विभिन्न मंडियों में सोयाबीन का मंडी भाव क्या है। किसान नीचे अपने राज्य के अनुसार आज के दिन के सोयाबीन मंडी भाव की जानकारी देख सकते हैं।

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आज के दिन प्याज के मंडी भाव

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प्याज (Onion) मंडी भाव | Pyaj mandi Bhav Live Update- किसान नीचे अपने राज्य के अनुसार आज के दिन प्याज का मंडी भाव क्या है इसकी जानकारी देख सकते हैं। 

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