गन्ना समर्थन मूल्य 2019-20
लगता है की गन्ना किसानों की मुश्किल कम नहीं हो रही है | पहले से गन्ना किसानों का बकाया नहीं दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ सरकार किसानों को गन्ना का मूल्य भी नहीं बढ़ा रही है | इस वर्ष भी गन्ना का मूल्य पिछले वर्ष की तरह यथावत बना है | केंद्र सरकार ने बुधवार को यह घोषणा कि है की इस वर्ष देश के सभी राज्यों में किसानों से गन्ना 275 रूपये प्रति क्विंटल खरीदा जायेगा | गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य वर्ष 2019 ओक्टुबर माह से लागु होगा | इसका मतलब यह हुआ की गन्ना किसान को चीनी मिल मालिक द्वारा 275 रूपये प्रति किवंटल का भाव दिया जायेगा |
सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने मंत्रिमंडल बैठककी जानकारी देते हुये बताया है की कृषि लागत एवं मूल्य आयोग (सीएसीपी) की सिफारिशों को मानते हुये यह मूल्य तय किया है जो किसान के लागत से 50 रुपया अधिक है | यह गन्ना के उचित एवं लाभकारी मूल्य कहलाता है | यह मूल्य गन्ने में चीनी का 10 प्रतिशत मूल प्राप्ति (रिकवरी) और 2.75 रूपये प्रति किवंटल प्रीमियम से जुदा है | इसका मतलब यह हुआ कि 0.1 प्रतिशत की वृद्धि पर 2.68 रूपये प्रति किवंटल का प्रीमियम मिलेगा |
यह मूल्य तय होने से यह बात तो साफ हो गया है की किसानों की आय बढ़ाने की सरकार की दावा सही नहीं है | पिछले एक वर्ष में महंगाई बढ़ी है इसके बाबजूद भी सरकार ने किसानों की मांग को ध्यान में नहीं रखा है | पिछले महीने ही खाद्य मंत्री ने संसद में यह जानकारी दिया था की देश के किसानों का 19,000 करोड़ रुपया गन्ना का बकाया है | जिसमें उत्तर प्रदेश में 11,082 करोड़ रुपया , कर्नाटक में 1,704 करोड़ रुपया और महाराष्ट्र में 1,338 करोड़ रुपया पंजाब में 989 करोड़ रुपया गुजरात में 965 करोड़ रुपया तथा बिहार में 923 करोड़ रुपया बकाया है | एक तरफ तो किसानों को बकया नहीं दिया जा रहा है तो दूसरी तरफ किसानों को मूल्य में वृद्धि नहीं किया गया है |