50 प्रतिशत की सब्सिडी पर खेत में तार फेंसिंग करवाने के लिए आवेदन करें

तार फेसिंग योजना हेतु आवेदन

खेती में फसलों को जंगली जानवरों तथा पालतू जानवरों से काफी नुकसान होता है | कभी–कभी नील गाय या अन्य जानवर किसानों की फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं | जिससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है | किसान फेंसिंग की लागत अधिक होने से वह अपने खेत की पूरी तरह से तारबंदी नहीं करवा पाते हैं | खेत को तार फेसिंग करने के लिए सभी किसान के पास पैसा नहीं रहता है, खासकर लघु और सीमांत किसान के पास और भी मुश्किल रहता है |

किसानों को होने वाले इस नुकसान को बचाने के लिए कई राज्य सरकारों के द्वारा चयनित जिलों या सम्पूर्ण राज्य में तार फेंसिंग पर किसानों को अनुदान मुहैया करवाती है | ऐसी योजना हिमाचल प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ राज्य में चल रही है | छत्तीसगढ़ सरकार भी राज्य के किसानों के लिए “सामुदायिक तार फेसिंग योजना” चला रही है | जिसके तहत किसान को पोल तथा तार खरीदने के लिए 50 प्रतिशत की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है |

कौन से किसान करवा सकते हैं सब्सिडी पर तार फेंसिंग

राज्य परिवर्ती “सामुदायिक फेसिंग योजना” के तहत छत्तीसगढ़ के सभी वर्ग के लघु और सीमांत किसान पात्र हैं | योजना के तहत 0.5 हेक्टेयर से लेकर 2 हेक्टेयर भूमि वाले किसान आवेदन कर सकते हैं | इस योजना के लिए किसान समूह जो किसी भी वर्ग के हो सकते हैं आवेदन के लिए पात्र हैं |

तार फेंसिंग पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

सामुदायिक फेंसिंग योजना के तहत सरकार लागत का 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है | इसके साथ ही किसान को लागत का 50 प्रतिशत खुद से लगाना होगा | सरकार ने दो प्रकार की फेंसिंग पर सब्सिडी दे रही है | इन दोनों प्रकार के फेंसिंग पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी लाभार्थी किसान को दिए जाएंगे |

सीमेंट फैंसिंग :- इस प्रकार के फेंसिंग के लिए राज्य सरकार 180 नग (पीलर) पर दे रही है | प्रति पिलर 167 रुपये अदा करेगी | इस पर 30060.00 रूपये का लागत आ रही है | जिसका 50 प्रतिशत सब्सिडी सरकार दे रही है |

चैनलिंक 4 गुणा 4 (10 गेज हाईट 5 फीट): – इसके लिए 1,000 किलोग्राम क्षमता वाली फेंसिंग के लिए पीलर दिया जाएगा | इस पर कुल लागत 78910.00 रुपया है, जिस पर सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है |

तार फेंसिंग पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें ?

सामुदायिक फेंसिंग  योजना के अंतर्गत दो या दो से अधिक कृषक समूह बनाकर (सामान्य, अ.ज.जा. एवं अ.जा. वर्गवार) योजना का लाभ ले सकते हैं। इस हेतु अपने क्षेत्र के ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी से संपर्क कर निर्धारित आवेदन पत्र में आवेदन कर ‘‘पहले आओ पहले पाओ‘‘ के तहत योजना का लाभ ले सकते हैं। आवेदन के उपरांत किसान स्वयं के व्यय से फैंसिंग की व्यवस्था तकनीकी स्वीकृति के आधार पर की जाएगी | जिसका भौतिक सत्यापन किये जाने के उपरांत पात्रता अनुसार अनुदान का भुगतान कृषक के बैंक खाते में किया जाएगा |

 

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के पशुओं के लिए दिया जा रहा है चारा

पशु चारा वितरण कार्यक्रम

अधिक वर्षा के कारण देश के कई राज्यों के जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है | इससे किसानों को फसल के नुकसान के साथ ही मवेशियों की भी क्षति होती है | सबसे बड़ी समस्या तब उत्पन्न हो जाती है जब किसानों और पशुपालकों को बाढ़ से बचने के लिए अपना स्थान छोड़ कर पशुओं के साथ विस्थापित होना पड़ता है | ऐसे में उनके लिए सबसे बड़ी समस्या पशुओं के लिए आहार के इंतजाम की होती है | कई बार पशु चारा के बिना मर भी जाती है जिससे किसान को काफी क्षति उठाना पड़ता है |

इस स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के बीच पशुओं के लिए चारे का इंतजाम कर रही है | इसके तहत सरकार के तरफ से चारा तथा चोकर दिया जा रहा है | सरकार के तरफ जारी विवरण में बड़े तथा छोटे दोनों प्रकार के जानवरों के लिए चारे का इंतजाम किया जा रहा है | यह वितरण जिला प्रशासन के सहयोग से किया जाएगा |

कितना चारा दिया जायेगा ?

  • निर्धारित सहायय मानदर के अनुरूप बड़े जानवरों के लिए 70 रूपये तथा छोटे जानवरों के लिए 35 रूपये प्रतिदिन अनुमान्य है |
  • आपदाग्रस्त पशुओं के जीवन रक्षक के लिए सामान्य बड़े जानवरों के लिए 06 किलोग्राम छोटे जानवरों के लिए 03 किलोग्राम तथा भेड–बकरियों के लिए 01 किलोग्राम चारा की आवश्यकता होती है |
  • पशु शिविरों / अस्थायी शिविरों में एक बार में तीन दिन / एक सप्ताह हेतु चारा वितरण कराया जाता है तथा बाढ़ की स्थिति के अनुसार शिविर संचालन तक पुन: वितरण कराया जाता है |

कैसे दिया जायेगा चारा

जिला प्रशासन के मार्गदर्शन एवं सहयोग से शिविरों / अस्थाई शिविरों में पशुओं की संख्या के अनुसार चारा वितरण किया जाएगा | चारा वितरण के पूर्व सभी प्रभावित पशुओं की प्रकार / संख्या के आधार पर गन्ना कर पशुपालकवार टोकन वितरण किया जाता है तथा उक्त टोकन के आधार पर क्रमानुसार चारा का प्रबंध कर वितरण किया जाता है |

अधिक जानकारी के लिए यहाँ संपर्क करें ?

पशु चारा वितरण कार्यक्रम के लिए पशुपालक निदेशालय, बिहार, पटना स्थित आपदा कोषांग (दूरभाष संख्या – 0612-2230942) या पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, बिहार पटना (दूरभाष संख्या 0612 – 2226049) से प्राप्त कर सकते हैं |

इस योजना के तहत 10 लाख रुपये की सब्सिडी पर कृषि क्षेत्र में अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए आवेदन करें

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्ध उद्योग उन्नयन योजना के तहत सब्सिडी एवं आवेदन

कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए एवं कृषि में बाजार और रोजगार सृजित करने के उद्देश से केंद्र सरकार ने “एक जिला एक उत्पाद” कार्यक्रम की शुरुआत की है | इसके तहत कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है | इसमें सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना के लिए सरकार द्वारा “प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्ध उद्योग उन्नयन योजना PMFME” चलाई जा रही है | योजना के तहत देशभर में अलग-अलग जिलों को अलग-अलग फसलों के लिए चयनित किया गया है | इन जिलों में किसी 1 फसल का उत्पादन बढ़ाकर वहां उसके मूल्य वर्द्धन के लिए बिज़नेस लगाकर वहां रोजगार सृजन का कार्य भी किया जा रहा है |  

इस योजना के तहत किसानों को उद्यमी बनाने के लिए अनुदान के साथ–साथ कई प्रकार की सुविधाएं दी जा रही है | योजना के तहत सभी राज्यों में जिलेवार फसल का चयन एवं उससे सम्बंधित उद्योगों का चयन किया जा चूका है | बिहार राज्य में भी जिलेवार फसल का चयन कर वहां उद्योग लगाने के लिए इच्छुक व्यक्तियों से आवेदन मांगे गए हैं | योजना के तहत किसान तथा किसान समूहों के अलावा स्वयं सहायता समूहों को लाभ दिया जायेगा |

योजना के लिए लाभार्थियों की पात्रता ?

सरकार ने इस योजना के लिए पात्रता तय किया है, जो इस प्रकार है:-

  • व्यक्तिगत उद्धमी
  • एफ.पी.ओ.
  • स्वयं सहयता समूह
  • सहकारी संस्थाएं |

बिहार के लिए जिलेवार चयनित उत्पाद

“एक जिला एक उत्पाद” के तहत विभिन्न जिलों के लिए विभिन्न प्रकार के उत्पादनों का चयन किया गया है | राज्य के 38 जिलों के लिए 23 कृषि उत्पादन को शामिल किया गया है | इच्छुक व्यक्ति चयनित उत्पादों के अनुसार उद्योगों का चयन कर सकते है |

जिला
उत्पाद

अररिया

मखाना

अरवल

आम

औरंगाबाद

स्ट्राबेरी

बांका

कतरनी चावल

बेगुसराय

मिर्च

भागलपुर

जरदालू आम

भोजपुर

मटर

बक्सर

मेंथा

दरभंगा

मखाना

पूर्वी चम्पारण

लीची

गया

मशरूम

गोपालगंज

पपीता

जमुई

कटहल

जहानाबाद

मशरूम

कैमूर

अमरुद

कटिहार

मखाना

खगड़िया

केला

किशनगंज

अनानास

लखीसराय

टमाटर

मधेपुरा

आम

मधुबनी

मखाना

मुंगेर

लेमन ग्रास

मुज्जफरपुर

लीची

नालंदा

आलू

नवादा

वेटल वाइन

पटना

प्याज

पूर्णिया

केला

रोहतास

टमाटर

सहरसा

मखाना

समस्तीपुर

हल्दी

सारण

टमाटर

शेखपुरा

प्याज

शिवहर

मोरिंगा

सीतामढ़ी

लीची

सिवान

मेंथा

सुपौल

मखाना

वैशाली

शहद

पश्चिम चम्पारण

गन्ना

 लाभार्थियों की दिया जाने वाला अनुदान एवं अन्य सुविधाएँ

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्ध उद्योग उन्नयन योजना के तहत लाभार्थियों को सरकार विभिन्न प्रकार की सुविधा प्रदान करने जा रही है | इसके लिए सब्सिडी के अलावा अन्य प्रकार की सुविधा दी जा रही है | सरकार के द्वारा दिये जानेवाला सुविधा इस प्रकार है |

  • इकाई के उन्नयन हेतु विद्धमान असंगठित खाद्ध प्रसंस्करण उद्धोगों को परियोजना लागत का 35 प्रतिशत क्रेडिट लिंक्ड अनुदान सहायता दिया जायेगा | जो अधिकतम 10 लाख रुपये है |
  • खाद्ध प्रसंस्करण में कार्यरत स्वयं सहायता समूहों के प्रति सदस्य को 40,000 रूपये की दर से प्रारंभिक पूंजी दी जाएगी |
  • काँमन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए परियोजना लागत का 35 प्रतिशत क्रेडिट लिंक्ड अनुदान सहायता दी जाएगी |
  • विपणन और ब्रांडिंग पर व्यय का 50 प्रतिशत अनुदान सहायता राशि दी जाएगी |

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना आवेदन कहाँ से करें ?

पात्रता रखने वाले व्यक्तिगत उद्धमी आवेदन करने के लिए भारत सरकार के खाद्ध प्रसंस्करण उद्धोमी मंत्रालय के वेबसाईट https://pmfme.mofpi.gov.in/pmfme/#/Home-Page पर जाकर सर्वप्रथम अपना पंजीकरण करेंगे | इसके बाद आवेदक ईमेल के माध्यम से प्राप्त यूजर आईडी की सहायता से लाँगिन करके, वेबसाईट पर दिए गए दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए आनलाइन आवेदन कर सकते हैं |

किसान उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.), स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी.) एवं सहकारी संस्थाएं आँफलाइन आवेदन प्रक्रिया द्वारा जिला उद्धान कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं |

प्रधनमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना के तहत आवेदन करने हेतु क्लिक करें 

अनुदान पर पान की खेती हेतु आवेदन करें

पान की खेती पर अनुदान

किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार के द्वारा बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है | बागवानी वाली फसलों में पान की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जाता है | मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग में राज्य के चयनित जिलों के किसानों को पान की खेती हेतु प्रोत्साहित करने के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं | पान की खेती के लिए बरेजा बनाने पान की खेती करने के लिए सब्सिडी दी जाएगी |

योजना के तहत पान की खेती पर दिया जाने वाला अनुदान

केंद्र सरकार के उद्यानिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ़्तार का क्रियान्वयन किया जा रहा है | जिसके तहत उच्च तकनीक से पान की खेती हेतु 500 वर्ग मीटर में परियोजना के प्रावधान अनुसार पान बरेजा बनाने एवं पान की खेती करने हेतु इकाई लागत राशि रूपये 1.20 लाख पर 35 प्रतिशत अनुदान राशि 0.42 लाख दिया जाता है |

यह किसान कर सकते हैं आवेदन

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मध्य प्रदेश के सतना जिले के किसानों से अनुदान पर पान की खेती हेतु आवेदन आमंत्रित किये गए है | अभी योजना के तहत सतना जिले के सामान्य वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं | इच्छुक किसान आवेदन 5 अगस्त 2021 को सुबह 11:00 बजे से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

किसानों के पास आवेदन करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज अपने पास रखना होगा :-

  • फोटो,
  • आधार कार्ड,
  • खसरा नम्बर/ बी1/ वन पट्टे की प्रति,
  • बैंक पासबुक |

अनुदान पर पान खेती हेतु आवेदन कहाँ करें

मध्यप्रदेश के किसान योजना के तहत पान उत्पादन हेतु आवेदन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं | मध्यप्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं |

पान की खेती पर अनुदान हेतु आवेदन के लिए क्लिक करें

मक्का की फसल में खरपतवार का नियंत्रण एवं खाद का छिड़काव इस तरह करें

मक्का में खरपतवार नियंत्रण एवं खाद का छिड़काव

खरीफ सीजन में मक्का की बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है इसके साथ ही किसान मक्के की फसल से खरपतवार की निंदाई तथा इसमें खाद का छिडकाव कर रहे हैं | पौधों के विकास के लिए खरपतवार का नियंत्रण के साथ ही मक्के की फसल में उर्वरक का उचित मात्रा में प्रयोग जरुरी है | किसान को खाद का प्रयोग मिट्टी की जाँच करवाकर अनुशंसित मात्रा में ही करना चाहिए |

मक्का की फसल में खरपतवार का नियंत्रण

फसल में विभिन्न प्रकार के खरपतवार देखे जा सकते हैं | यह खरपतवार इस प्रकार रहते हैं:- सांठी, चौलाई, भाखडी, बिस्कोपरा, जंगली जूट, दूधी, हुलहुल, नुपिया. सांवक, मकरा आदि का नियंत्रण 400 से 600 ग्राम एट्राजीन (50 प्रतिशत घुलनशील पाउडर) प्रति एकड़ 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के तुरंत बाद छिडकने से इनपर नियंत्रण किया जा सकता है |

मक्के की फसल में सभी तरह के खरपतवारों के नियंत्रण के लिए टेबोट्रायोन (लोदिस 34.4% घु.पा.) का 115 मि.ली. तैयार शुद्ध मिश्रण + 400 मि.ली. चिपचिपे पदार्थ को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 10 से 15 दिन बाद या खरपतवार की 2–3 पत्ती अवस्था पर प्रति एकड़ स्प्रे करें |

मक्का में खाद का छिडकाव

किसी पौधे के विकास के लिए जरुरी होता है की पौधे को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिल सके | पौधों के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध करने के लिए रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करते हैं | मक्के की फसल में पोषक तत्व के लिए उर्वरक की मात्रा इस प्रकार करें |

  • नाईट्रोजन – 60 किलोग्राम (यूरिया 46% वाली 130 किलोग्राम) / एकड़
  • फास्फोरस – 24 किलोग्राम (सिंगल सुपरफास्फेट 16% वाली 150 किलोग्राम) / एकड़
  • पोटाश – 24 किलोग्राम (म्यूरेट फास्फेट 60% वाली 40 किलोग्राम) / एकड़
  • इसके अलावा जिंक सल्फेट 12% वाली 10 किलोग्राम प्रति एकड़

मक्के में फास्फोरस, पोटाश व जिंक सल्फेट पूरी मात्रा तथा नाईट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बिजाई के समय व शेष बची नाईट्रोजन दो बार के पौधों घुटनों तक उग आने पर खड़ी फसल में तथा एक तिहाई झन्डे आने से पहले दें |

यदि किसी कारणवश बिजाई करते समय जिंक सल्फेट न डाला जा सका हो 3 छिड़काव (0.5% जिंक सल्फेट + 0.25% बुझा चुना) करना चाहिए | पहला छिड़काव बिजाई के एक महीने बाद करें, बाकी दो छिडकाव 10–10 दिन के अन्तर पर करें |

किसानों को यूरिया एवं अन्य खाद न मिलने या अधिक मूल्य पर मिलने पर शिकायत हेतु यहाँ कॉल करें

उर्वरक की शिकायत हेतु सहायता नंबर

खरीफ फसल की बुवाई के बाद दूसरा काम निराई तथा खाद छिडकाव का होता है | रबी फसल के मुकाबले खरीफ फसलों में उर्वरकों की ज्यादा जरूरत होती है | इसको देखते हुए केंद्र सरकार पहले से ही राज्यों को उर्वरक भेज देती हैं | इसके बावजूद भी कुछ उर्वरक विक्रेता कालाबाजारी करके उर्वरक का मूल्य बढ़ा देते है या मिलावटी उर्वरक बेचने लगते हैं | जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है | इस स्थित से निपटने के लिए राज्यों के कृषि विभाग द्वारा उर्वरक की कालाबाजारी पर छापामारी कर कार्यवाही की जाती है |

बिहार में कृषि मंत्री के अनुसार रासायनिक उर्वरक की कोई कमी नहीं है | राज्य में जरूरत के अनुसार उर्वरक उपलब्ध है | इसके बावजूद भी यदि कोई उर्वरक विक्रेता कालाबाजरी करता है तो कृषि विभाग उस पर कारवाई कर रहा है | कृषि मंत्री ने उर्वरक की जानकारी तथा इस माह कृषि विभाग के द्वारा की गई कारवाई की जानकारी दी है |

राज्य में उपलब्ध यूरिया

माननीय कृषि मंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि राज्य में उर्वरक की कोई कमी नहीं है | खरीफ 2021 मौसम में यूरिया की माह अप्रैल से जुलाई तक 4.80 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता के विरुद्ध भारत सरकार द्वारा 31 जुलाई तक 4.50 लाख मेट्रिक टन कराया गया है | अगस्त माह के लिए भारत सरकार द्वारा 2.73 लाख मेट्रिक टन यूरिया का आवंटन उपलब्ध कराया गया है |

कृषि विभाग ने उर्वरक विक्री केन्द्रों पर की कार्यवाही

बिहार के कृषि विभाग द्वारा राज्य में उर्वरक उपलब्ध करने के लिए नियमित रूप से छापामारी कर दोषियों पर कड़ी करवाई की जा रही है | खरीफ 2021 में अभी तक कुल 1581 छापामारी की गई है, जिसमें से 273 विक्रेताओं की अनुज्ञप्ति निलंबित, 114 अनुज्ञप्ति रद्द, 29 पर प्राथमिकी तथा 486 विक्रेताओं से स्पष्टीकरण की माँग की गई है | सभी जिला में उर्वरक निगरानी समिति की बैठक जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में लगातार की जा रही है जिसमें खाद की बिक्री, मूल्य एवं उपलब्धता की नियमित समीक्षा की जाती है |

उर्वरक समबन्धित किसी भी शिकायत के लिये सहायता नम्बर

राज्य के सभी किसान भाइयों को यह सूचित किया जा रहा है कि राज्य तथा जिलों में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है | सभी किसानों को खाद बोरी पर प्रिंट रेट पर ही दी जाएगी यदि कोई बिक्रेता अधिक दामों पर बेचता है तो किसान भाई इसकी शिकायत कर सकते हैं | बिहार में यूरिया खाद का दाम 266.50 रुपये प्रति बैग (45 किलो) है | कोई कठिनाई या शिकायत की स्थिति में कृषि निदेशालय के दूरभाष सं. 0612–2233555 पर सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक कॉल कर सकते हैं, अथवा अपने जिला पदाधिकारी / जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क करें | साथ ही किसानों से अनुरोध है कि किसान खाद खरीदने पर रसीद अवश्य लें |

सहकारी समितियों से किसानों को खरीफ फसलों के लिए दिया जा रहा है ऋण, जैविक खाद और बीज

फसलों के लिए ऋण, जैविक खाद और बीज

कई राज्यों में खरीफ फसलों की बुआई का कार्य जहाँ पूर्ण हो चूका है वहीँ अभी कई जगह तेजी से चल रहा है | इसके साथ ही इन फसलों में खाद (उर्वरक) छिडकाव तथा निराई का कार्य में भी तेजी आई है | किसान फसलों का उत्पादन बढ़ाने के लिए लगातार परिश्रम कर रहे हैं | किसानों को समय पर उर्वरक, बीज उपलब्ध करने के लिए राज्य सरकार सहकारी समितियों से ऋण देने का कार्य भी चल रहा है |

छत्तीसगढ़ सरकार राज्य के किसानों को सहकारी समितियों से बीज, उर्वरक (जैविक एवं रासायनिक), तथा ऋण किसानों को उपलब्ध करवा रही है | किसान समाधान इन किसानों को मिलने वाले ऋण, बीज तथा उर्वरक की जानकारी लेकर आया है |

राज्य में कितने बीज का वितरण हुआ है ?

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के किसानों की आवश्यकता 11 लाख 7 हजार 989 क्विंटल के विरुद्ध 11 लाख 58 हजार 414 क्विंटल बीज की उपलब्धता सुनिश्चित कर ली है | जिसमें से 9 लाख 44 हजार 866 क्विंटल बीज का भंडारण किया जा चुका है | यह निर्धारित लक्ष्य का 85 प्रतिशत है | किसानों द्वारा अब तक 8 लाख 51 हजार 198 क्विंटल बीज का उठाव कर लिया गया है | फसल विविधिकरण को ध्यान में रखते हुए इस बार 1 लाख 55 हजार 489 क्विंटल धान के अतिरिक्त अन्य खरीफ फसलों के बीज की व्यवस्था की गई है |

6.71 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट खाद का वितरण

सहकारी समितियों के माध्यम से अब तक 4 लाख 91 हजार 913 क्विंटल से अधिक वर्मी कम्पोस्ट तथा 1 लाख 6 हजार 510 क्विंटल से अधिक सुपर कम्पोस्ट का उठाव किसानों द्वारा किया गया है |

राज्य में गोधन न्याय योजना के तहत पशुपालकों से 2 रूपये प्रति किलोग्राम गोबर खरीदा जाता है | इससे वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट खाद का निर्माण किया जा रहा है | सरकार ने सहकारी समितियों से गोठानों में तैयार वर्मी कम्पोस्ट तथा सुपर कम्पोस्ट को देना का फैसला किया गया है | अभी तक 5 लाख 98 हजार 423 क्विंटल से अधिक जैविक खाद का वितरण किसानों को सोसायटियों के माध्य से किया जा चुका है | इसके लिए राज्य सरकार ने सहकारी समितियों से ऋण दिया है | यह ऋण 25.23 करोड़ रूपये का है |

3840 करोड़ रूपये का कृषि ऋण किया गया वितरित

छत्तीसगढ़ सरकार ने राज्य के किसानों को बीज तथा उर्वरक के लिए सहकारी समिति ऋण दे रही है | इसके लिए राज्य सरकार ने वर्ष 2021 के वित्त वर्ष में 5300 करोड़ रूपये का फसली ऋण देने प्रावधान किया है | अभी तक राज्य के किसानों को 3840 करोड़ रूपये से अधिक ऋण वितरित किया गया है, जो निर्धारित लक्ष्य का 72 प्रतिशत है |

31 हजार किसानों को मिला फ्री में ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि यंत्रों का लाभ

फ्री रेंटल स्कीम के तहत फ्री में ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि यंत्रों का लाभ

कोरोना काल में किसानों के आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है | कोरोना लॉकडाउन के चलते किसानों को कृषि यंत्र किराये पर मिलने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है | ऐसी परिस्थिति को देखते हुए राजस्थान सरकार ने किसानों के लिए फ्री रेंटल स्कीम लेकर आई थी | जिसके तहत किसान नि:शुल्क ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र किराये पर लेकर पाने कृषि कार्यों को पूर्ण कर सकें |

योजना के तहत सरकार ने टैफे कंपनी के साथ मिलकर योजना को सफल बनाया है | योजना के तहत कोई भी किसान जिनके पास 2.5 एकड़ से कम भूमि है लाभ प्राप्त कर सकते है | जिस किसान के पास अपना ट्रैक्टर है वह इस योजना से जुड़कर अपना ट्रैक्टर किराये पर दे सकते है, जिससे सभी को लाभ प्राप्त हो सके | इस वर्ष यह योजना 1 जून 2021 से 31 जुलाई 2021 तक था | इस बीच राज्य के किसानों ने इस योजना का लाभ उठाया है |

योजना के तहत किसानों को मिला ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि यंत्रों का फायदा

1 जून से 31 जुलाई तक राज्य के 31 हजार 326 किसानों ने योजना का लाभ प्राप्त किया है | इस अवधि में ट्रैक्टर तथा अन्य कृषि उपकरण से किसानों की 54 हजार 728 एकड़ जमीन पर 88 हजार 92 घंटे कार्य किया गया है | पिछले वर्ष इसी अवधि में 1 लाख घंटे तक ट्रैक्टर चला था | किसान https://jfarmservices.com लिंक के माध्यम से खुद को JFarm Services एप पर रजिस्टर कर आर्डर बुक कर सकते हैं |

किस जिले में कितने किसानों ने योजना का लाभ लिया

कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने बताया कि इस स्कीम के तहत जयपुर में सर्वाधिक 3 हजार 680 किसानों ने लाभ प्राप्त किया है | इसी प्रकार

  • सीकर के 3 हजार 592 किसान,
  • अलवर के 2 हजार 755 किसान,
  • झुंझुन के 2 हजार 687 किसान,
  • नागौर के 2 हजार 406 किसान,
  • टोंक के 1 हाजर 711 किसान,
  • करौली के 1 हजार 672 किसान,
  • जोधपुर के 1 हजार 638 किसान,
  • अजमेर के 1 हजार 413 किसान,
  • बारां के 1 हजार 217 किसान एवं
  • भरतपुर के 1 हजार 152 किसानों ने योजना का लाभ प्राप्त किया है |

इस वर्ष किसानों की संख्या पिछले वर्ष के मुकाबले कहीं ज्यादा है | पिछले वर्ष इस योजना का लाभ 27 हजार किसानों ने प्राप्त किया था | इसके लिए 1 लाख घंटे से ज्यादा का नि:शुल्क सेवा किसानों को दी गई थी |

इस योजना का लाभ ट्रैक्टर  मालिक भी लाभ उठा सकते हैं

राज्य में ट्रैक्टर तथा अन्य कृषि यंत्र रखने वाले किसान इस योजना के तहत पैसा कमा सकते हैं | इसके लिए अपना ट्रैक्टर को पंजीयन कराकर आर्डर प्राप्त कर सकते हैं | इस योजना के तहत फर्गुसन और आयशर ट्रैक्टर मालिक https://jfarmservices.com लिंक के माध्यम से पंजीयन करा सकते हैं |

घर बैठे गेहूं, चना, मक्का एवं अन्य रबी फसलों के बीज 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन करें

रबी फसलों के बीज अनुदान हेतु आवेदन

खरीफ फसलों की बुआई का काम लगभग पूरा हो चुका है | इसके साथ ही इसमें निराई ,खाद तथा अन्य प्रकार की गतिविधयां भी शुरू हो गई हैं | खरीफ फसल के बुवाई के बाद किसानों की अगली चिंता रबी फसल की है | सितम्बर के अंतिम सप्ताह एवं अक्टूबर के प्रथम सप्ताह से रबी फसलों की बुआई शुरू हो जाएगी | इसको देखते हुए किसानों के लिए यह जरुरी हो जाता है कि समय उन्नत किस्मों के रबी फसलों के बीज का प्रबन्ध कर लें | जिससे अच्छी पैदावार प्राप्त किया जा सके |

किसानों को समय पर उन्नत किस्मों के बीज मी सकें इसके लिए बिहार सरकार ने राज्य के किसानों को सब्सिडी पर रबी फसल के बीज उपलब्ध करा रही है किसानों को उनकी आवश्यकता के अनुसार बीज उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से राज्य सरकार ने किसानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं | सरकार किसानों को प्रमाणित तथा संकर किस्म के बीज रबी फसलों के बीज बुआई से पहले उनके घरों पर उपलब्ध करवा देगी |

फसलों के बीज सब्सिडी हेतु आवेदन कब करें ?

रबी फसल 2021-22 के बीज अनुदान पर प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू किए जा चुके है | इसके तहत दलहन, तेलहन तथा अनाज के बीज दिये जाएंगे | बिहार के किसी भी जिले के किसान दलहन तथा तिलहन के बीज अनुदान पर प्राप्त करने के लिए 1 अगस्त 2021 से 20 अगस्त 2021 तक आवेदन करें | इसके साथ ही गेहूं और मक्का के बीज अनुदान दर पर प्राप्त करने के लिए 21 अगस्त 2021 से 20 सितम्बर 2021 तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं |

किसानों को अलग-अलग रबी फसलों के बीजों पर दिया जाने वाला अनुदान

बिहार में चलाई जा रही मुख्यमंत्री तीव्र बीज विस्तार योजना एवं एकीकृत बीज ग्राम योजना के तहत किसानों को मूल्य का 50 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | यह सब्सिडी किसानों को काटकर बीज उपलब्ध कराया जाएगा |

गेहूं के बीज पर अनुदान :-

प्रमाणित गेहूं का बीज 38 रूपये प्रति किलोग्राम है तथा आधार गेहूं का बीज 40 रूपये प्रति किलोग्राम है | 10 वर्ष से कम अवधि वाले बीज पर 50 प्रतिशत तथा 10 वर्ष से ज्यादा अवधि वाले बीज पर 15 रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

चना के बीज पर अनुदान :-

प्रमाणित चना का बीज 105 रूपये प्रति किलोग्राम है तथा आधार चना का बीज 110 रूपये प्रति किलोग्राम है | 10 वर्ष से कम अवधि वाले बीज पर 50 प्रतिशत तथा 10 वर्ष से ज्यादा अवधि वाले बीज पर 25 रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

मसूर के बीज पर अनुदान :-

प्रमाणित मसूर का बीज 115 रूपये प्रति किलोग्राम है तथा आधार मसूर का बीज 120 रूपये प्रति किलोग्राम है | 10 वर्ष से कम अवधि वाले बीज पर 50 प्रतिशत तथा 10 वर्ष से ज्यादा अवधि वाले बीज पर 25 रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

मटर के बीज पर अनुदान :-

प्रमाणित मटर का बीज 115 रूपये प्रति किलोग्राम है | 10 वर्ष से कम अवधि वाले बीज पर 50 प्रतिशत तथा 10 वर्ष से ज्यादा अवधि वाले बीज पर 25 रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

राई/सरसों के बीज पर अनुदान :-

प्रमाणित राई/सरसों का बीज 132 रूपये प्रति किलोग्राम है | 10 वर्ष से कम अवधि वाले बीज तथा 10 वर्ष से ज्यादा अवधि वाले बीज पर 40 रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

तीसी (अलसी) के बीज पर अनुदान :-

प्रमाणित तीसी (अलसी) का बीज 130 रूपये प्रति किलोग्राम है | 10 वर्ष से कम अवधि वाले बीज तथा 10 वर्ष से ज्यादा अवधि वाले बीज पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी |

मक्का के बीज पर अनुदान :-

संकर मक्का का बीज 130 रूपये प्रति किलोग्राम है | 10 वर्ष से कम अवधि वाले बीज तथा 10 वर्ष से ज्यादा अवधि वाले बीज पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी |

जौ के बीज पर अनुदान :-

प्रमाणित जौ का बीज 40 रूपये प्रति किलोग्राम है | 10 वर्ष से कम अवधि वाले बीज तथा 10 वर्ष से ज्यादा अवधि वाले बीज पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दी जाएगी |

बीज किसानों के घर तक पहुँचाने के लिए होमडिलवरी की व्यवस्था

किसानों के घर तक बीज पहुँचाने के लिए होम डिलवरी की व्यवस्था है | आँलाइन आवेदन में होम डिलीवरी का विकल्प चयनित करने वाले किसानों के घर तक सशुल्क बीज पहुँचाया जायेगा | किसान को होम डिलवरी में बीज आपूर्ति होने पर गेहूं के लिए 2.00 रूपये एवं अन्य फसलों के लिए 5.00 रूपये प्रति किलोग्राम की दर से अलग से भुगतान करना होगा |

किसानों का फसलवार बीज आवेदन पंचायत के संबंधित कृषि समन्वयक को स्वत: चली जाएगी | सुयोग्य आवेदक किसानों के चयनोंप्रान्त उनके निबंधित मोबाईल नंबर पर कृषि विभाग द्वारा OTP बताकर अनुदान की राशि घटा कर शेष राशि का भुगतान कर बीज प्राप्त करेगी |

अनुदान पर रबी फसलों के बीज हेतु आवेदन

बिहार राज्य के किसान योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं | यह आवेदन मोबाईल, कम्प्यूटर या कामन सर्विस सेंटर से आवेदन कर सकते हैं | आवेदन https://dbtagriculture.bihar.gov.in या brbn.bihar.gov.in से कर सकते हैं | योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए किसान पहले से dbt पोर्टल पर पंजीयन होना जरुरी है |

सब्सिडी पर रबी फसलों के बीज प्राप्त करने के लिए आवेदन करने हेतु क्लिक करें

अधिक उत्पादन के लिए पॉलीहाउस में खेती करना हुआ आसन, वैज्ञानिकों ने विकसित की नई पॉलीहाउस तकनीक

नई पॉलीहाउस तकनीक

किसानों को अत्यधिक या अपर्याप्त ठंड, गर्मी, बारिश, हवा, और अपर्याप्त वाष्पोत्सर्जन एवं कीट रोगों के चलते फसल का काफी नुकसान उठाना पड़ता है | इसके आलवा खुले वातावरण में किसान सभी तरह की फसलों की खेती नहीं कर सकते हैं | इससे बचाव के लिए पॉलीहाउस में किसी भी मौसम में बाजार की मांग के अनुसार खेती की जा सकती हैं | जिससे फसलों के अच्छे दाम मिलते हैं और अधिक मुनाफा होता है | परन्तु पारंपरिक पॉलीहाउस में कई कमियां हैं जिन्हें दूर करने के लिए नए तरह के पालीहाउस तकनीक को विकसित किया गया है |

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद-केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएसआईआर-सीएमईआरआई), दुर्गापुर के निदेशक डॉ. (प्रो.) हरीश हिरानी ने पंजाब के लुधियाना में “नेचुरली वेंटिलेटेड पॉलीहाउस फैसिलिटी” का उद्घाटन किया और “रिट्रैक्टेबल रूफ पॉलीहाउस” की आधारशिला रखी।

अभी के पारंपरिक पालीहाउस में क्या है कमियाँ

प्रोफेसर हिरानी ने प्रौद्योगिकी के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि किसानों को अत्यधिक या अपर्याप्त ठंड, गर्मी, बारिश, हवा, और अपर्याप्त वाष्पोत्सर्जन से जुड़े अन्य कारकों जैसी कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, और साथ ही भारत में कीटों के कारण भी वर्तमान में लगभग 15 प्रतिशत फसल का नुकसान होता है तथा यह नुकसान बढ़ सकता है क्योंकि जलवायु परिवर्तन कीटों के खिलाफ पौधों की रक्षा प्रणाली को कम करता है। पारंपरिक पॉलीहाउस से कुछ हद तक इन समस्याओं को दूर किया जा सकता है।

पारंपरिक पॉलीहाउस में मौसम की विसंगतियों और कीटों के प्रभाव को कम करने के लिए एक स्थिर छत होती है। छत को ढंकने के अब भी नुकसान हैं जो कभी-कभी अत्यधिक गर्मी और अपर्याप्त प्रकाश का कारण बनते हैं। इसके अलावा, वे कार्बन डाईऑक्साइड, वाष्पोत्सर्जन और जल तनाव के अपर्याप्त स्तर के लिहाज से भी संदेवनशील होते हैं। खुले क्षेत्र की स्थितियों और पारंपरिक पॉलीहाउस स्थितियों का संयोजन भविष्य में जलवायु परिवर्तन और उससे जुड़ी समस्याओं से निपटने के लिहाज से एक ज्यादा बेहतर तरीका है।

क्या है रिट्रैक्टेबल रूफ पॉलीहाउस टेक्नोलॉजी

केंद्रीय यांत्रिक अभियांत्रिकी अनुसंधान संस्थान (सीएमईआरआई) एक्सटेंशन सेंटर लुधियाना में एक “रिट्रैक्टेबल रूफ पॉलीहाउस टेक्नोलॉजी” स्थापित कर रहा है। हर मौसम में काम करने के लिहाज से उपयुक्त इस प्रतिष्ठान में ऑटोमैटिक रिट्रैक्टेबल रूफ (स्वचालित रूप से खुलने-बंद होने वाली छत) होगी जो पीएलसी सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हुए कंडीशनल डेटाबेस से मौसम की स्थिति और फसल की जरूरतों के आधार पर संचालित होगी। इस प्रौद्योगिकी से किसानों को मौसमी और गैर-मौसम वाली दोनों ही तरह की फसलों की खेती करने में मदद मिलेगी। यह पारंपरिक खुले मैदानी सुरंगों और प्राकृतिक रूप से हवादार पॉली हाउस की तुलना में इष्टतम इनडोर सूक्ष्म जलवायु परिस्थितियों का निर्माण करके उच्च उपज, मजबूत और उच्च शेल्फ-लाइफ उपज प्राप्त कर सकता है, और साथ ही यह जैविक खेती के लिए व्यवहार्य प्रौद्योगिकी भी है।

इस प्रौद्योगिकी के विकास में लगे अनुसंधान दल का नेतृत्व करने वाले वरिष्ठ वैज्ञानिक श्री जगदीश माणिकराव ने बताया कि रिट्रैक्टेबल रूफ का उपयोग सूर्य के प्रकाश की मात्रा, गुणवत्ता एवं अवधि, जल तनाव, आर्द्रता, कार्बन डाई-ऑक्साइड और फसल एवं मिट्टी के तापमान के स्तर को बदलने के लिए किया जाएगा। यह मौसम की जरूरतों और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) पर आधारित होगा तथा सक्षम किसान अनुकूल यूजर इंटरफेस प्रदान करेगा।

विशेषज्ञ से जानें पॉली हाउस की पूरी जानकारी | पॉली हाउस कैसे बनाये ?