फसल अवशेष या पराली जलाने से होने वाले नुकसानों को रोकने के लिए प्रशासन द्वारा पराली जलाने को प्रतिबंधित किया गया है। ऐसे में जो भी किसान फ़सल अवशेष या पराली जला रहे है उनके खिलाफ कार्यवाही की जा रही है। बिहार में पराली जलाने वाले गया जिले के 21 किसानों के रजिस्ट्रेशन ब्लॉक कर दिए गए है। अब इन किसानों को सरकार द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं मिलेगा। वहीं दूसरी तरफ अपने कार्य में लापरवाही बरतने वाले 4 कृषि समन्वयकों और एक सहायक तकनीकी प्रबंधन के वेतन पर भी रोक लगा दी गई है।
पराली नहीं जलाने के लिए सभी प्रखंडों में फ्लैक्स बैनर/होर्डिंग लगाया गया है। बार-बार जिला पदाधिकारी, की ओर से भी निर्देश जारी किया जा रहा है। इस कड़ी में कुल 21 किसानों के विरुद्ध पराली जलाने की सूचना प्राप्त हुई और इन पर प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया गया। वहीं बिना जिला प्रशासक की अनुमति पत्र (पास) के कंबाइन हार्वेस्टर चलाने वाले लोगों पर मालिक के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराने का निर्देश दिया गया है।
वहीं, कार्य में लापरवाही बरतने वाले 4 कृषि समन्वयक, 1 सहायक तकनीकी प्रबंधक का वेतन अवरुद्ध किया गया है। यह भी कहा गया है कि जिन पंचायतों में फसल अवशेष पराली जलाने की घटना होगी वहाँ के संबंधित पंचायत के कृषि कर्मियों के विरुद्ध आरोप गठित कर विभागीय कार्यवाही की जाएगी।
किसानों को नहीं मिलेगा योजनाओं का लाभ
पराली जलाने वाले किसानों को सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ भी नहीं दिया जाएगा। किसान अपने पंजीकरण संख्या की सहायता से ही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना, कृषि इनपुट अनुदान, बीज अनुदान, कृषि यंत्रों पर अनुदान ले सकते हैं। इसके अलावा पैक्सों को धान/गेहूं आदि की बिक्री हेतु ऑनलाइन सिर्फ वे किसान कर सकते हैं जिन्हें किसान पंजीकरण संख्या सरकार द्वारा दी गई है। फसल अवशेष जलाने के कारण जिन किसानों का पंजीकरण अवरुद्ध कर दिया गया वे अब इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पाएंगे।
खेत की मिट्टी को होता है नुकसान
ज़िला कृषि अधिकारी ने कहा कि बार-बार अनुरोध करने के बावजूद कुछ किसान फ़सल अवशेष जलाने से बाज नहीं आ रहे हैं। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी, मानव स्वास्थ्य और पर्यावरण पर बुरा प्रभाव पड़ता है। हमारी मिट्टी में पहले से ही जैविक कॉर्बन कम है। फसल अवशेष जलाने से जैविक कॉर्बन भी जलकर नष्ट हो जाती है। जिन खेतों में फसल अवशेष जलाया जाता है उन खेतों में मौजूद सभी लाभदायक सूक्ष्मजीव भी मर जाते हैं। फसल अवशेष जलाने से सांस लेने में तकलीफ, आँखों में जलन तथा नाक एवं गले की समस्या बढ़ती है। ऐसे में बार-बार किसानों को जागरूक करने के बाद भी फसल अवशेष जलाने वाले किसानों की पंजीकरण संख्या ब्लॉक कर दी गई है।
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