मक्का में खरपतवार नियंत्रण एवं खाद का छिड़काव
खरीफ सीजन में मक्का की बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है इसके साथ ही किसान मक्के की फसल से खरपतवार की निंदाई तथा इसमें खाद का छिडकाव कर रहे हैं | पौधों के विकास के लिए खरपतवार का नियंत्रण के साथ ही मक्के की फसल में उर्वरक का उचित मात्रा में प्रयोग जरुरी है | किसान को खाद का प्रयोग मिट्टी की जाँच करवाकर अनुशंसित मात्रा में ही करना चाहिए |
मक्का की फसल में खरपतवार का नियंत्रण
फसल में विभिन्न प्रकार के खरपतवार देखे जा सकते हैं | यह खरपतवार इस प्रकार रहते हैं:- सांठी, चौलाई, भाखडी, बिस्कोपरा, जंगली जूट, दूधी, हुलहुल, नुपिया. सांवक, मकरा आदि का नियंत्रण 400 से 600 ग्राम एट्राजीन (50 प्रतिशत घुलनशील पाउडर) प्रति एकड़ 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के तुरंत बाद छिडकने से इनपर नियंत्रण किया जा सकता है |
मक्के की फसल में सभी तरह के खरपतवारों के नियंत्रण के लिए टेबोट्रायोन (लोदिस 34.4% घु.पा.) का 115 मि.ली. तैयार शुद्ध मिश्रण + 400 मि.ली. चिपचिपे पदार्थ को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 10 से 15 दिन बाद या खरपतवार की 2–3 पत्ती अवस्था पर प्रति एकड़ स्प्रे करें |
मक्का में खाद का छिडकाव
किसी पौधे के विकास के लिए जरुरी होता है की पौधे को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिल सके | पौधों के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध करने के लिए रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करते हैं | मक्के की फसल में पोषक तत्व के लिए उर्वरक की मात्रा इस प्रकार करें |
- नाईट्रोजन – 60 किलोग्राम (यूरिया 46% वाली 130 किलोग्राम) / एकड़
- फास्फोरस – 24 किलोग्राम (सिंगल सुपरफास्फेट 16% वाली 150 किलोग्राम) / एकड़
- पोटाश – 24 किलोग्राम (म्यूरेट फास्फेट 60% वाली 40 किलोग्राम) / एकड़
- इसके अलावा जिंक सल्फेट 12% वाली 10 किलोग्राम प्रति एकड़
मक्के में फास्फोरस, पोटाश व जिंक सल्फेट पूरी मात्रा तथा नाईट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बिजाई के समय व शेष बची नाईट्रोजन दो बार के पौधों घुटनों तक उग आने पर खड़ी फसल में तथा एक तिहाई झन्डे आने से पहले दें |
यदि किसी कारणवश बिजाई करते समय जिंक सल्फेट न डाला जा सका हो 3 छिड़काव (0.5% जिंक सल्फेट + 0.25% बुझा चुना) करना चाहिए | पहला छिड़काव बिजाई के एक महीने बाद करें, बाकी दो छिडकाव 10–10 दिन के अन्तर पर करें |
मकके और केई प्रकार कि
गास उगई है उसको मिटाने वाले दवाईयां
मक्का फसल को शुरूवाती अवस्था मे नींदा रहित होना चाहिये अन्यथा उत्पादन मे कमी आती है। मक्का की फसल में एट्राजीन 1किलो ग्राम प्रति हेक्टेयर बुवाई के बाद परन्तु उगने के पूर्व उपयोग करे । अन्तरवर्ती (मक्का / दलहन/तिलहन) फसल व्यवस्था में पेंडीमिथिलिन 1.5 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर बोनी के तुरंत बाद किंतु अंकुरण के पूर्व नींदानाशकों का उपयोग करें। मक्का फसल में चैड़ी पत्तीवालें खरपतवारों की अधिकता होनें पर 30-35 दिन पर 2,4-डी का 1.0 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर उगे हुये खरपतवारों पर छिड़काव कर नियंत्रण किया जा सकता है.
https://iimr.icar.gov.in/hindi/खरपतवार-प्रबंधन/ दी गई लिंक पर देखें।