किसान कृषि पम्प कनेक्शन लेने के लिए करें ऑनलाइन आवेदन

कृषि पम्प कनेक्शन ऑनलाइन आवेदन

खरीफ फसल की बुवाई के साथ ही किसानों के लिए बिजली की सुविधा के लिए नये कनेक्शन दिये जा रहे हैं | जिसके तहत किसान या कोई अन्य उपभोगता नये कनेक्शन या फिर पुराने कनेक्शन का भार कम या ज्यादा करने के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के 4 संभागों के 16 जिलों के लिए नए कृषि पम्प कनेक्शन या पुराने कनेक्शन का भार कम या ज्यादा करने की सुविधा दे रही है | इसके लिए किसान या अन्य उपभोगता ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं |

कंपनी के प्रबंध संचालक श्री गणेश शंकर मिश्रा ने कहा कि मैदानी अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि बिजली कनेक्शन के लिए केवल ऑनलाइन माध्यम से ही नवीन कनेक्शन के आवेदन अतिशीघ्र नियमानुसार स्वीकृत कर उपभोक्ताओं के घर, दुकानों एवं खेतों में बिजली पहुचाएँ।

किन जिलों के किसान आवेदन कर सकते है ?

मध्य प्रदेश में मध्य क्षेत्र विधुत वितरण कंपनी कार्यक्षेत्र चार संभागों में हैं | इन संभागों के 16 जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं |

  • भोपाल :- भोपाल, रायसेन, राजगढ़, सीहोर तथा विदिशा
  • नर्मदापुरम :- होशंगाबाद, हरदा तथा बैतूल
  • ग्वालियर :- ग्वालियर, शिवपुरी, गुना, दतिया तथा अशोकनगर
  • चंबल :- मुरैना, भिंड तथा श्योपुर

किसान नए कनेक्शन या पहले से चले रहे हार्स पवार के कनेक्शन को बढ़ा या घटा सकता है | इसके लिए किसान आप्सन में जाकर नए कनेक्शन या फिर बिजली भार को कम या ज्यादा कर सकते हैं |

कृषि कनेक्शन आवेदन कैसे करें ?

किसान बिजली कनेक्शन के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | इसके लिए किसान को  portal.mpcz.in लिंक पर जाकर आवेदन कर सकते हैं | अपना आधार कार्ड तथा आधार में रजिस्टर्ड मोबाईल नं. के साथ www.sankalp.mpcz.in/NSC पर लागीन करें | फ़ार्म पूर्ण करने के बाद अप अपना भुगतान क्रेडिट या डेबिट कार्ड के साथ ही नेट बैंकिंग के माध्यम से कर सकते हैं | उक्त तरीके से किया गया भुगतान के द्वारा आपका पूर्ण प्रकरण उसी समय स्वीकृत हो जायेगा |

यदि आप फ़ार्म पूर्ण करने के बाद भुगतान चैक या डी.डी. के माध्यम से करना चाहते हैं तो आपका आवेदन पूर्ण होने के बाद जारी होने वाली रसीद को साथ लेकर एच.डी.एफ.सी. की किसी भी निकटस्थ शाखा में जमा करना होगा | इस डी.डी. अथवा चैक के नगदीकरण के पश्चात ही आपका आवेदन स्वीकृत किया जायेगा |

आवेदन के लिए क्या–क्या दस्तावेज चाहिए ?

नए बिजली कनेक्शन या पुराने कनेक्शन पर भार कम या ज्यादा करने के लिए किसान को ऑनलाइन आवेदन करना होगा | इसके लिए किसान के पास कुछ दस्तावेज होना जरुरी है |

  • आधार कार्ड (मोबाईल नंबर दर्ज होना चाहिए)
  • आवेदक की बी -1 (खतौनी) की प्रति

किसान बिजली सम्बंधित जानकारी एवं शिकायत के लिए यहाँ संपर्क करें 

किसान पम्पसेट तथा घरेलू कनेक्शन के लिए आवेदन करने या किसी भी प्रकार के कंपनी के द्वारा आपत्ति पर शिकायत कर सकते हैं | बिजली संबंधित किसी भी शिकायत के लिए 1912 पर काल करें या 07552551222 पर वाट्सएप करें |

जानिए इस वर्ष किसान क्रेडिट कार्ड एवं अलग-अलग फसलों की खेती के लिए कितना लोन मिलेगा

किसान क्रेडिट कार्ड एवं फसल उत्पादन के लिए ऋणमान तय

देश में किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने के चलते उन्हें कृषि कार्यों के लिए लोन की आवश्यकता पड़ती है | जो किसान बैंकों से या साहूकारों से लेकर उसकी पूर्ति करतें हैं | ऐसे में किसानों को कम ब्याज दरों पर आसानी से लोन मिल सके इसके लिए केंद्र एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही हैं | किसान यह ऋण किसान क्रेडिट कार्ड पर या सहकारी समितियों के माध्यम से ले सकते हैं | किसानों को कितना फसली ऋण मिलेगा इसका निर्धारण राज्य सरकारों के द्वारा जिलेवार तय किया जाता है | छत्तीसगढ़ सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए जिलेवार ऋणमान तय कर दिया है, किसान इस आधार पर बैंकों से ऋण ले सकते हैं | इस वर्ष राज्य में किसानों को 5300 करोड़ रुपये का लोन देने का लक्ष्य रखा है |

किसानों को फसल उत्पादन के दौरान होने वाली आर्थिक समस्याओं को दूर करने एवं फसल की लागत को कम करने के लिए किसानों को सहायता प्रदान करने के उद्देश्य से विभिन्न फसलों के लिए ऋणमान तय कर दिया गया है। किसानों को खरीफ-रबी फसलों, फलदार वृक्षों, साग-सब्जियों, मसालों एवं उद्यानिकी फसलों की खेती करने के लिए शासन द्वारा ऋण प्रदान किया जाएगा। फसल उत्पादन के लिए विभिन्न फसलों के लिए शासन द्वारा प्रदान किए जाने वाले ऋण से किसानों को मदद मिलेगी।

किसान इन बैंकों से ले सकते हैं लोन

राज्य सरकार ने किसानों को ऋण आसानी से बैंकों से मिल सके इसके लिए दिशा-निर्देश जारी कर दिए हैं | किसान यह लोन समयावधि में साख सीमा पत्रक तैयार कर स्वीकृत करने तथा किसानों को समय पर वित्तीय सहायता सुलभ कराने के लिए सभी पंजीयक सहकारी संस्थाएं, राज्य सहकारी बैंक, ग्रामीण विकास बैंक, कृषि विभाग, सहकारी पंजीयक समितियों एवं सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों से ले सकते हैं |

किस रूप में दिया जायेगा किसानों को ऋण

खरीफ एवं रबी फसलों के लिए अदायगी क्षमता के आधार पर नकद एवं कृषि संबंधी खाद-बीज एवं कृषि यंत्र सामग्री के रूप में ऋण प्रदान किया जाएगा। संबंधित फसलों के लिए निर्धारित कुल ऋण में से 60 प्रतिशत नगद राशि के रूप में एवं 40 प्रतिशत सामग्री के रूप में प्रदान की जाएगी।

KCC किसान क्रेडिट कार्ड पर दिया जाने वाला अधिकतम लोन

किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसानों को अल्पकालीन नकद एवं वस्तु ऋण की अधिकतम सीमाएं भी तय की गई हैं। किसान क्रेडिट कार्ड पर अधिकतम ऋण पांच लाख रूपए तय की गई है। इसमें नगद राशि तीन लाख रूपए एवं वस्तु के लिए दो लाख रूपए निर्धारित की गई है।

किस फसल पर किसान कितना लोन ले सकते हैं ?

खरीफ वर्ष 2021-22 के अन्तर्गत सिंचित धान फसलों के लिए कुल 19 हजार 800 रूपए प्रति एकड़ ऋण किसानों के लिए तय किया गया है। इसी प्रकार धान असिंचित के लिए 14 हजार 400 रूपए प्रति एकड़, अरहर एवं तुअर के लिए 11 हजार रूपए प्रति एकड़, मूंगफली के लिए 13 हजार 200 रूपए कोदो-कुटकी के लिए तीन हजार रूपए, सोयाबीन के लिए 13 हजार 200 रूपए प्रति एकड़ ऋण निर्धारित की गई है।

रबी फसलों के लिए गेहूं सिंचित के लिए 8 हजार रूपए, गेहूं असिंचित के लिए छह हजार रूपए, धान ग्रीष्म कालीन के लिए 19 हजार 200, चना के लिए 8 हजार रूपए प्रति एकड़ ऋण निर्धारित की गई है। फलदार फसलों में काजू के लिए 16 हजार रूपए, कटहल के लिए 12 हजार रूपए, केला के लिए 60 हजार रूपए, आंवला के लिए 14 हजार 560 रूपए प्रति एकड़ ऋण निर्धारित की गई है। इसी प्रकार साग-सब्जी, मसाला, फूल तथा लाख उत्पादन के लिए ऋणदान का निर्धारण किया गया है।

किसानों को फसल उत्पादन में आर्थिक सहयोग के लिए दिए जाने वाले ऋण में आम, अमरूद, संतरा, बेर आदि उद्यानिकी फसलों के लिए नकद एवं वस्तु के रूप में ऋण दिया जाएगा। किसानों को साग-सब्जी के लिए ऋण तथा उनकी अदायिगी क्षमता के आधार पर दिया जाएगा।

गोठानों से मिलने वाली वर्मी कम्पोस्ट खाद पर भी मिलेगा लोन

किसानों को विभिन्न फसलों की खेती करने के लिए ऋण सहित गोधन न्याय योजना अंतर्गत गौठानों में उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट भी किसानों को लोन पर मिलेगा। वर्मी कम्पोस्ट को समितियों के माध्यम से वस्तु ऋण के अंतर्गत निर्धारित ऋणमान में शामिल किया गया है। शासन द्वारा निर्धारित दर पर ही किसानों को वर्मी कम्पोस्ट भी ऋण के तौर पर दिया जाएगा।

इन राज्यों में बम्पर हुई समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद

समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद 2021

देश के अलग-अलग राज्यों में रबी विपणन सत्र 2021-22 के लिए रबी फसलों की खरीद की जा रही है | रबी फसलों में सबसे महत्वपूर्ण फसल गेहूं की है, जिसकी इस वर्ष रिकॉर्ड खरीद की गई है | इस वर्ष केंद्र सरकार ने गेहूं खरीदी का लक्ष्य 42.7 मिलियन टन रखा है | ऐसा लगता है कि इस वर्ष सरकार अपने अनुमानित लक्ष्य को पूरा कर लेगी | गेहूं की खरीदी वर्तमान रबी विपणन स्तर आरएमएस 2021–22 के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, गुजरात, हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर राज्यों में सुचारू रूप से चल रही है |

अब तक (01/06/2021 तक) 409.80 लाख मीट्रिक टन गेहू की खरीदी की गई है | जो कि अब तक की खरीद का सबसे उच्च स्तर 389.92 लाख मीट्रिक टन गेहूँ की खरीद के आंकड़े को पार कर गई है | मौजूदा समय में 44.12 लाख किसानों ने गेहूं की बिक्री न्यूनतम समर्थन मूल्य पर की है जिसके बदले में उन्हें अभी तक 80,936.19 करोड़ रूपये का भुगतान किया जा चुका है |

राज्यवार अभी तक कुल की गेहूं खरीद

अभी तक राष्ट्रीय स्तर पर 409.80 लाख मीट्रिक टन गेहूं ख़रीदा चुका है | इस बार पंजाब मध्यप्रदेश को पीछे करते हुए गेहूं खरीदी में आगे हो गया है | राज्यों के अनुसार गेहूं की खरीदी इस प्रकार हुआ है |

state wise wheat procurement 21

 

  • इसमें पंजाब 132.1 लाख मीट्रिक टन
  • मध्य प्रदेश 128.08 लाख मीट्रिक टन
  • हरियाणा 84.93 लाख मीट्रिक टन
  • उत्तर प्रदेश 40.87 लाख मीट्रिक टन
  • राजस्थान 19.53 लाख मीट्रिक टन
  • अन्य राज्य 4.29 लाख मीट्रिक टन

राज्यवार गेहूं खरीदी का लक्ष्य

वर्ष 2020–21 के रबी सीजन का गेहूं खरीदी का लक्ष्य 42.7 मिलियन टन का है | वर्ष 2020–21 के रबी फसल की खरीदी वर्ष 2019–20 की सरकारी खरीदी से 9.5 प्रतिशत ज्यादा का है | इसमें अलग–अलग राज्यों के लिए अलग–अलग लक्ष्य रखा गया है | पंजाब तथा हरियाणा राज्य ने लक्ष्य से ज्यादा खरीदी की गई है | पंजाब राज्य के लिए लक्ष्य 130 लाख मीट्रिक टन खरीदी का लक्ष्य था जबकि 1 जून तक 132.1 लाख मीट्रिक टन की खरीदी कर चुकी है | इसके साथ ही हरियाणा में गेहूं खरीदी का लक्ष्य 80 लाख मीट्रिक टन का था जबकि 1 जून तक 84.93 लाख मीट्रिक टन की खरीदी कर चुका है | अन्य राज्य में गेहूं खरीदी का लक्ष्य इस प्रकार है |

  • पंजाब – 130 लाख मीट्रिक टन
  • मध्य प्रदेश – 135 लाख मीट्रिक टन
  • हरियाणा – 80 लाख मीट्रिक टन
  • उत्तर प्रदेश 55 लाख मीट्रिक टन

पिछले वर्ष इन राज्यों में गेहूं खरीदी के आंकड़े

वर्ष 2020 – 21 के रबी सीजन में गेहूं की खरीदी 39 मिलियन टन थी | इससे इससे देश 43.3 लाख किसानों ने अपना गेहूं न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचा था | इसमें मध्य प्रदेश के 15.9 लाख किसानों ने 129 लाख मीट्रिक टन , पंजाब के 10.5 लाख किसानों ने 127 लाख मीट्रिक टन गेहूं बेचा था | जबकि राजस्थान के 2.2 लाख किसानों को न यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ प्राप्त हुआ था |

 

किसानों को 15 जून तक फ्री में दिए जाएंगे 13.51 लाख दलहन एवं तिलहन फसलों के अधिक पैदावार वाले बीज

दलहन एवं तिलहन फसलों के बीज का निःशुल्क वितरण

तिलहन एवं दलहन के क्षेत्र में भारत को आत्म निर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने रोड मैप तैयार कर लिया है | दलहन और तिलहन की पैदावार बढ़ाने के लिए केंद्र सरकार ने देश में दलहन तथा तिलहन का बुआई का रकबा बढ़ाने और प्रति हेक्टयर उत्पादन बढ़ाने पर जोर दे रही है | इसके लिए देश के कई राज्यों में खरीफ फसलों के लिए दलहन तथा तिलहन फसलों का उच्च पैदावार वाले बीज नि:शुल्क वितरित कर रही है |

केंद्र सरकार 13.51 लाख मिनीकिट किसानों को नि:शुल्क वितरित कर रही है | इस पर 300 करोड़ रूपये का खर्च आ रहा है | जैसा की देश में खरीफ सीजन की बुआई शुरू हो गई है | इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने 15 जून तक किसानों को मिनीकिट वितरित किये जाने का लक्ष्य रखा है |

कृषि और कल्याण मंत्री तथा राज्य मंत्री ने किसानों से की बात

इसको लेकर केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने देश के अलग–अलग किसानों से बात की है जिन्हें सर्कार की तरफ से मिनी किट का वितरण किया है | जिन किसानों से मंत्रियों ने बात किया हैं वे हैं – श्री ओमप्रकाश पटेल (वाराणासी, उत्तर प्रदेश), श्री रेखा राम (बाडमेर, राजस्थान), श्री रमेशभाई बालूभाई कोडलिया (अमरेली, गुजरात), श्री चन्द्रकांत (हवेरी, कर्नाटक), श्री मदन सिंह (मुरैना, मध्य प्रदेश) तथा श्री उपेन्द्र सिंह (रीवा, मध्य प्रदेश)

देश में तिलहन फसलों के उत्पादन की स्थिति 

भारत दलहन तथा तिलहन का आयात करने वाला मुख्य देश है | भारत कुल कृषि उत्पाद का 42.6 प्रतिशत का तेलहन बीज और खाद्य तेल का आयात करता है | इसका मूल्य लगभग 75 हजार करोड़ रुपये का है | जबकि भारत में खरीफ तथा रबी फसल दोनों सीजन मिलाकर लगभग 34 मिलियन टन तेलहन बीज का उत्पादन करता है |

देश में दलहन फसलों के उत्पादन की स्थिति 

दलहन के मामले में भी भारत अभी आत्मनिर्भर नहीं बना है | वर्तमान समय में खरीफ तथा रबी दोनों सीजन मिलाकर 23.15 मिलियन टन दलहन बीज का उत्पादन किया जाता | जो विश्व में कुल उत्पादन का 62.15 प्रतिशत है | भारत दलहन उत्पादन के क्षेत्र में लगातार प्रगति कर रहा है | जहाँ वर्ष 2014–15 में दलहन का कुल उत्पादन 17.15 मिलियन टन तथा वहीं वर्ष 2020–21 में 23.15 मिलियन टन हो गया है | पिछले 6 वर्षों में 6 मिलियन टन की बढ़ोतरी हुई है |

पशु चिकित्सालयों में किया जायेगा पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी का गठन

पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी

पशुपालन के क्षेत्र में किसानों की आय बढाने के लिए सरकार कई प्रकार की योजनाएं चला रही है | जिसमें पशुओं के लिए लोन, सब्सिडी के साथ-साथ पशुचिकित्सा की व्यवस्था की जा रही है जिससे पशुपालन की लागत को कम कर, पशुपालकों की आय को बढाया जा सके | राजस्थान सरकार ने राज्य के पशुपालकों के लिए तहसील स्तर पर पशुचिकित्सालय खोल रही है तथा पशु एम्बुलेंस की शुरुआत भी की है |

वर्तमान समय में राज्य में 200 पशुचिकित्सा उपकेंद्र संचालित किये जा रहे हैं तथा 198 पशु औषधालयों को पशु चिकित्सालयों का संचालन किया जा रहा है | राज्य में 108 के तर्ज पर 102 – मोबाईल वेटेनरी सेवा 48 करोड़ रूपये से शुरू की जा रही है |

इस तरह होगा पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी के गठन

राज्य सरकार वर्ष 2021–22 के बजट में राजकीय पशु चिकित्सालयों में पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी के गठन करने का प्रस्ताव था | इसके अनुरूप राज्य सरकार ने पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी गठन हेतु सहकारिता विभाग को अधिसूचना जारी कर दिया है | पशु चिकित्सा रिलीफ सोसायटी के गठन हेतु पंजीयन शुल्क 250 रुपये निर्धारित कर दिया गया है |

यह जानकारी देते हुए शासकीय सचिव पशुपालन विभाग डॉ. आरुषी मलिक ने बताया कि रिलीफ सोसायटी के गठन से जहां पशु चिकित्सालय परिसर की साफ़–सफाई एवं अन्य व्यवस्थाएं स्थानीय स्तर पर सुनिश्चित हो सकेंगे वहीं वित्तीय संस्थाओं, दानदाताओं व अन्य स्त्रोतों से सहायता, चंदा तथा उपकरण आदि प्राप्त कर पशु चिकित्सालयों का सुदृढ़ किया जा सकेगा |

डॉ. मालिक ने बताया कि रिलीफ सोसायटी में राजकीय सदस्यों सहित दो गैर राजकीय सदस्य जिसमें प्रगतिशील पशुपालक/दानदाता (जिला स्तरीय पशु चिकित्सालय के लिए न्यूनतम 2.0 लाख, प्रथम श्रेणी पशु चिकित्सालय के लिए न्यूनतम 1.0 लाख एवं पशु चिकित्सालय के लिए न्यूनतम 50 हजार रूपये की राशि दान करने वाले) का मनोनयन अध्यक्ष द्वारा किया जाएगा |   

1900 रूपये एवं 1700 रूपये MRP वाली डीएपी की बोरी भी किसानों को अब दी जाएगी 1200 रुपये में

प्रति बोरी DAP खाद का मूल्य 1200 रूपये निर्धारित

पिछले दिनों डीएपी खाद के दामों में अचानक 700 रुपये तक कि वृद्धि के साथ ही किसानों की चिंता बढ़ गई थी | जिसे लेकर केंद्र सरकार ने किसानों को राहत देते हुए प्रति बोरी DAP खाद पर सब्सिडी बढ़ा कर बढ़ी हुई कीमतों को वापस ले लिया था जिससे किसानों को दोबारा से DAP की एक बोरी 1200 रुपये में मिलेगी | परन्तु कई राज्यों में DAP खाद की नई पैकेट वाली डीएपी खाद पहुँच चुकी है जिसपर अधिकतम खुदरा मूल्य 1900 रूपये एवं 1700 रूपये तक अंकित है | इस स्थिति में मध्यप्रदेश एवं हरियाणा सरकार ने साफ कर दिया है किसानों को डीएपी खाद की एक बोरी 1200 रुपये में ही दी जाएगी |

मध्यप्रदेश में DAP खाद के मूल्यों का किया गया निर्धारण

प्रदेश में खरीफ सीजन 2021 के न्यूट्रीयेन्ट बेस्ड सब्सिडी (एनबीएस) के अंतर्गत डीएपी में सब्सिडी पुन: निर्धारित कर प्रति बोरी कीमत 1200 रूपये निर्धारित की गई है।  प्रबंध संचालक श्री नरहरि ने बताया कि प्रदेश में पूर्व में प्राप्त खाद की जिन बोरियों पर एमआरपी 1900 रूपये एवं 1700 रूपये अंकित है, भारत शासन के आदेशानुसार कृषकों को 1200 रूपये प्रति बोरी की दर से विक्रय की जायेगी।

DAP rate MP govt. notification

हरियाणा में 1200 रुपए प्रति बोरी की दर से डीएपी खाद की बिक्री

राज्य सरकार द्वारा राज्य के किसानों को वर्तमान खरीफ सीजन के दौरान 1200 रुपए प्रति बोरी (50 किलो) की दर से डीएपी उर्वरक की बिक्री की जा रही है। हैफेड के प्रवक्ता ने बताया कि गत 20 मई 2021 से सहकारी विपणन समितियों (सीएमएस) और पैक्स के सहकारी नेटवर्क के माध्यम से किसानों के लिए डीएपी की खुदरा बिक्री दर 1200 रुपए प्रति बोरी निर्धारित की गई है। उन्होंने बताया कि हैफेड के साथ-साथ इफको और कृभको द्वारा इन सहकारी समितियों के आउटलेट के माध्यम से किसानों को बिक्री के लिए डीएपी की आपूर्ति की जा रही है।

जानिए इस वर्ष कैसी रहेगी जून से सितम्बर तक मानसूनी वर्षा, मौसम विभाग में जारी किया पूर्वानुमान

जून से सितम्बर के लिए मानसून पूर्वानुमान 2021

इस वर्ष वर्षा को लेकर किसानों के लिए अच्छी खबर है, भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने इस वर्ष मानसून सीजन में सामान्य वर्षा होने की उम्मीद जताई है | मौसम विभाग ने 1 जून को मानसून को लेकर दूसरा पूर्वानुमान जारी किया, इससे पूर्व में ही मौसम विभाग पहले मानसून पूर्वानुमान में सामान्य मानसून की सम्भावना व्यक्त कर चूका है | दुसरे पूर्वानुमान के अनुसार देश के उत्तरी और दक्षिणी भाग में सामान्य जबकि मध्य क्षेत्र में जमकर बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग के अनुसार पूर्व और पूर्वोत्तर क्षेत्र में सामान्य से कम वर्ष होगी । इस वर्ष मानसून में वर्षा सामान्य होगी | आईएमडी के मुताबिक केरल के तट पर मानसून 3 जून को पहुंचेगा।

देश भर में कुल मिलाकर दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के सामान्य रहने एलपीए के मुकाबले  96 से 104 फीसदी रहने की सम्भावना अधिक है | मात्रा के हिसाब से, देश भर में कुल मिलाकर मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के 4 प्रतिशत कम/ज्यादा की मॉडल त्रुटि के साथ दीर्घ अवधि औसत 101 प्रतिशत रहने का अनुमान है। देश भर में कुल मिलाकर 1961-2010 की अवधि के लिए मौसमी वर्षा का एलपीए 88 सेमी. है।

जून 2021 महीने में कैसी रहेगी मानसूनी वर्षा

monsoon forecast for june 2021

मौसम विभाग के अनुसार जैसा की चित्र में नीले रंग से दर्शाया गया है जून के महीने में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, बिहार, हरियाणा राज्यों में सामान्य से अधिक वर्षा होने की सम्भावना है वहीँ चित्र में जी क्षेत्रों को पीले या लाल रंग से दर्शाया गया है ऐसे राज्य जम्मू कश्मीर, लद्दाख, राजस्थान, तमिलनाडु, कर्णाटक एवं महारष्ट्र के कुछ हिस्सों में, गुजरात राज्यों में वर्षा सामान्य से कम होने की सम्भावना है |

जून से सितम्बर 2021 में कैसी रहेगी मानसूनी वर्षा

चार समरूप वर्षा में दक्षिण पश्चिम मानसून (जून से सितंबर) मौसमी वर्षा के उत्तर पश्चिम भारत (92-108 प्रतिशत) और दक्षिण प्रायद्वीप 93-107 प्रतिशत में सामान्य रहने की बहुत संभावना है। मौसमी वर्षा के पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम 95 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि मध्य भारत में सामान्य से अधिक 106 प्रतिशत रहने का अनुमान है। मानसून कोर जोन जिसमें देश के अधिकांश वर्षा पूरित कृषि क्षेत्र शामिल हैं, में दक्षिण पश्चिम मानसून जून से सितंबर मौसमी वर्षा के सामान्य से अधिक 106 प्रतिशत रहने का अनुमान है।

नीचे दिए गए चित्र के अनुसार देश के अधिकांश राज्यों जहाँ कृषि पर आत्मनिर्भरता अधिक है जैसे मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखण्ड,उड़ीसा, पंजाब, हरियाणा, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना राज्यों में मानसून के दौरान सामान्य तथा सामान्य से अधिक वर्षा प्राप्त होने का अनुमान है।

monsoon forecast June to September 2021

मौसम विभाग के अनुसार इस वर्ष 40 प्रतिशत संभावना सामान्य बारिश की है, 22 प्रतिशत संभावना सामान्य से अधिक वर्षा की है, 12 प्रतिशत संभावना अत्यधिक बारिश होने की है तथा 18 प्रतिशत संभावना सामान्य से कम वर्षा की है |

मानसून के विस्तृत पूर्वानुमान जानकारी के लिए क्लिक करें

100 फीसदी की छूट पर 25 जून तक जमा करें अपना बकाया बिजली बिल

बकाया बिजली बिल भुगतान पर छूट

कोविड–19 महामारी के कारण देश भर में किसानों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है | लॉक डाउन एवं अन्य पाबंदियों के चलते किसानों एवं आम जन की आर्थिक हालात पर बुरा प्रभाव पड़ा है | इसी स्थिति में देश के अलग–अलग राज्य सरकार किसानों को योजनाओं के तहत सहायता पहुंचा रही है | राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों को पहले फसली ऋण जमा करने की अवधि को 30 जून तक आगे बढ़ा दिया था | अब किसानों को इस खरीफ सीजन में नये बिजली कनेक्शन जारी करने तथा पुराने कनेक्शन को बकाया रहने के बावजूद नहीं काटने के आदेश दिया है | जिस किसान या अन्य उपभोक्ताओं ने अभी तक बिजली बिल जमा नहीं किया है वह बिना विलंब शुल्क के बिल जमा कर सकते हैं, जिसकी अंतिम तिथि को 25 जून निर्धारित किया गया है |

इन उपभोक्ताओं को मिलेगा बिजली बिल भुगतान में लाभ

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कोविड काल में विद्युत् उपभोक्ताओं को राहत देते हुए बिजली बिलों की पूर्व बकाया राशि के आधार पर कनेक्शन नहीं काटने की तिथि को 31 मई से बढ़ाकर 25 जून 2021 करने का निर्णय लिया है | साथ ही, उन्होंने कृषि सहित सभी श्रेणी के जिन उपभोक्ताओं को अप्रैल और मई माह में जारी बिलों की राशि 20 हजार रुपये तक है, उन्हें 25 जून तक सम्पूर्ण बकाया राशि एकमुश्त जमा करने पर विलंब भुगतान के प्रभाव में 100 फीसदी छुट देने के निर्देश दिए |

पिछले 2 वर्षों में  जारी किये गए 1.90 लाख कृषि कनेक्शन

ऊर्जा मंत्री के प्रमुख सचिव श्री दिनेश कुमार ने प्रस्तुतिकरण में बताया कि राजस्थान में 2018 से अप्रैल 2021 तक 1.90 लाख कृषि कनेक्शन जारी किए गए है | ऊर्जा मंत्री ने बताया कि वर्ष 2021–22 में 50 हजार कृषि कनेक्शन देने का लक्ष्य है, जिसमें से अप्रैल माह में ही 3 हजार कनेक्शन जारी किए जा चुके हैं | 31 दिसम्बर 2012 की कट–आँफ डेट तक मांग पत्र जमा वाले लगभग 70 हजार मामले लंबित है, जिन पर नए कनेक्शन जारी किए जा रहे हैं | कोविड–19 के कारण सामान और संसाधनों के कारण कृषि कनेक्शनों के जारी करने की प्रक्रिया धीमी रही है |

2 वर्षों में 13.8 लाख घरेलू कनेक्शन भी जारी किए गये

ऊर्जा सचिव ने बताया कि पिछले 2 वर्षों में 13.8 लाख घरेलू कनेक्शन जारी किए गये हैं | इनमें से 8 लाख कनेक्शन सौभाग्य योजना तथा 2 लाख कनेक्शन बीपीएल श्रेणी के तहत जारी किए गए हैं | उन्होंने कहा कि सौभाग्य योजना से वंचित 1.93 लाख से अधिक आवासों को विद्युत् कनेक्शन देने के लिए 1,213.56 करोड़ रूपये लागत का एक प्रस्ताव केंद्र सरकार को भेजा गया है |

पंजीकृत गौशालाओं को बिजली दर में 50 प्रतिशत की कटौती

राजस्थान सरकार ने राज्य में पंजीकृत गौशालाओं की बिजली दर में 50 प्रतिशत की कटौती की है | यह बिजली दर में कटौती का लाभ उन गौशालाओं को मिलेगा जो राज्य सरकार के पास पंजीकृत है तथा जिनका 150 यूनिट से ज्यादा बिजली बिल आता है | वर्तमान समय में राजस्थान में 1,363 पंजीकृत गौशाला है | इन गौशालाओं में 4,96,413 गौवंश को रखा जाता है |

किसान अब 30 जून तक जमा कर सकेंगे शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसली ऋण

शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर फसली ऋण भुगतान

कोविड-19 महामारी के चलते इस वर्ष भी देश के कई राज्यों में लॉक डाउन की स्थिति बनी हुई है | इस परिस्थिति को देखते हुए मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने बड़ा फैसला लिया है | प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों द्वारा खरीफ 2020 एवं रबी 2020-21 सीजन में वितरित अल्पकालीन फसल ऋण की जमा करने की अवधि को बढ़ा कर 30 जून 2021 कर दिया है। पूर्व में खरीफ 2020 सीजन में अल्पावधि फसल ऋण जमा करने की अंतिम तिथि 31 मई 2021 थी और रबी 2020-21 सीजन में दिये गये अल्पकालीन फसल ऋण जमा करने की अंतिम तिथि 15 जून 2021 थी जिन्हें अब आगे बढ़ा दिया गया है |

मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने पहले खरीफ सीजन के फसली ऋण 31 मई तक आगे बढ़ा दिया था तथा रबी सीजन 15 जून तक बैंक में जमा करना था लेकिन सरकार ने इस अवधि को और आगे बढ़ा दिया है | कोरोना को देखते हुए किसानों को फसली ऋण चुकाने पर 1 माह की मोहलत दी गई है | अब किसान खरीफ सीजन 2020 तथा रबी सीजन 2020–21 के फसली ऋण 30 जून तक बैंक में जमा कर सकते हैं |

इन किसानों को फायदा होगा

सहकारिता विभाग के उप सचिव श्री मनोज सिन्हा ने बताया कि राज्य शासन द्वारा लिये गये निर्णय के परिपेक्ष्य देय तिथि की बढ़ी हुई अवधि के लिए शून्य प्रतिशत ब्याज दर पर योजनान्तर्गत निर्धारित बेसरेट 10 प्रतिशत के अंतर्गत एक प्रतिशत (सामान्य) ब्याज अनुदान प्रत्येक किसान को तथा 4 प्रतिशत (अतिरिक्त) ब्याज अनुदान देय तिथि तक ऋण का भुगतान करने वाले किसानों को उपलब्ध कराया जायेगा | योजना की शेष शर्ते पहले की तरह लागू रहेगी |

किसान क्रेडिट कार्ड पर लिया गया ऋण भी जमा कर सकेंगे 30 जून तक

कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा लिये गये निर्णय अनुसार 7 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से बैंकों द्वारा दिये गये 3 लाख रूपये तक के लघु अवधि के फसली ऋण जो एक मार्च 2021 और 30 जून 2021 के बीच चुकौती के लिए बकाया हो, उन पर बैंकों को 2 प्रतिशत ब्याज सहायता और किसानों को 3 प्रतिशत शीघ्र चुकौती प्रोत्साहन की उपलब्धता 30 जून 2021 तक या वास्तविक भुगतान की तारीख तक, जो भी पहले हो जारी रहेगा |

केंद्रीय कृषि मंत्री ने नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं फसलों की 562 किस्मों का किया विमोचन

नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं फसलों की 562 किस्में लांच

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री तोमर ने सोमवार को आईसीएआर की उपलब्धियों, प्रकाशनों, नई कृषि प्रौद्योगिकियों एवं कृषि फसलों की नई किस्मों की लॉन्चिंग तथा कृतज्ञ हैकाथान के विजेताओं को पुरस्कार वितरण के कार्यक्रम को संबोधित किया | इस मौके पर केन्द्रीय कृषि मंत्री ने आईसीआर के द्वारा विभिन्न फसलों के नई प्रजातियाँ जो वर्ष 2021–22 के लिए जारी की गई है उनकी जानकारी दी | उन्होंने साथ ही कहा कि दलहन तथा तिलहन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनने के लिए इस वर्ष किसानों के बीच उच्च उत्पादन देने वाली तथा नई विकसित किस्मों के बीजों की कीटस किसानों के बीच बांटी जाएँगी |

कृषि मंत्री ने कृषि फसलों की नई किस्मों की जानकारी तथा उपलब्धियां बताई

फसल विज्ञान प्रभाग ने वर्ष 2020–21 के दौरान कृषि फसलों की 562 नई उच्च उपज देने वाली किस्में जारी किया है | इसमें अनाज, दलहन, तिलहन, चारा, गन्ना तथा अन्य फसलें शामिल है | इन सभी किस्मों की जानकारी इस प्रकार है:-

  • अनाज 223,
  • तिलहन 89,
  • दलहन 101,
  • चारा फसल 37,
  • रेशेदार फसल 90,
  • गन्ना 14,
  • और संभावित फसल 8

विशेष गुणों वाली जौ, मक्का, सोयाबीन, चना, दालें, अरहर फसलों की 12 नई प्रजाति विकसित की गई हैं | इसमें सभी फसलों के प्रजाति की विशेषताएं इस प्रकार हैं:-

  • जौ – उच्च माल्ट गुणवत्ता
  • मक्का – उच्च लाइसिन, ट्रिप्टोफोन और विटामिन ए (अनाज में उच्च मिठास, उच्च फुफ्फुस है)
  • सोयाबीन – उच्च ओलिक एसिड
  • चना के 2 किस्में विकसित की गई है, यह किस्में सूखे के प्रति सहनशील तथा उच्च प्रोटीन वाली हैं |
  • दालें के 3 किस्में विकसित की गई हैं, यह किस्में लवणता में सहिष्णु है |
  • अरहर के 1 किस्म विकसित की गई है, यह किस्म बारिश पर निर्भर परिस्थितियों में भी अच्छी उत्पादन देने वाली है |

बागवानी क्षेत्र के लिए 89 प्रजातियां की गई विकसित

देश की विभिन्न कृषि जलवायु परिस्थितियों में उच्च उत्पादकता के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के लिए बागवानी विभाग द्वारा बागवानी फसलों की 89 प्रजातियों की पहचान की गई है | ये प्रमुख प्रजातियाँ और तकनीक अलग–अलग फसलों के इस प्रकार है :-

संकर बैंगन काशी मनोहर

बैंगन की यह किस्म जो कि जोन – 7 (मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र) में प्रति पौधा 90–100 फल देगी | प्रति फल वजन 90 से 95 ग्राम का है | इस प्रजाति के बैंगन का उत्पादकता 625 – 650 क्विंटल प्रति हैक्टेयर के लिए अनुशंसित है |

विट्ठल कोको संकर – 6

इस प्रजाति की उत्पादकता 2.5 से 3 किलोग्राम सुखा बीज / वृक्ष है | बीज में वसा 50 से 55 प्रतिशत ब्लैक बीन सड़ने की बिमारी के प्रति सहनशील और केरल में उगाने के लिए टी मेष की सिफारिश की जाती है |

शिटाके खुम्ब

खुम्ब की एक प्रारंभिक उत्पादन तकनीक विकसित की गई है, जिसके लिए आईसीएआर ने पेटेंट लिया है | यह तकनीक 45 से 50 दिनों की अवधि में 110 से 130 पतिशत की जैव – दक्षता के साथ पैदावार दे सकती है | आमतौर पर शिटाके खुम्ब की अवधि 90–120 दिन की होती है |

पशुओं के लिए अश्व फ्लू तथा गर्भावस्था निदान किट विकसित

पशु विज्ञान प्रभाग–राष्ट्रीय अश्व अनुसंधान केंद्र, हिसार द्वार अश्व फ्लू के लिए के लिए मोनोक्लोनल एंटी बॉडी –आधारित एलिसा किट विकसित की गई है | आईसीआर–एनआरसीई में एक मोनोक्लोनल आधारित एंजाइम इम्यूनोएस विकसित किया है जो बहुत कम डिटेक्शन लेवल (0.25HA यूनिट) पर विभिन्न वंशों में H3N8 एंटीजन का पता लगा सकता है | इस विधि से परख करना आसान है और यह किट के रूप में उपलब्ध है जिसे एक वर्ष के लिए 4 डिग्री सेंटीग्रेट पर संग्रहित किया जा सकता है |

गाय और भैंस के लिए गर्भावस्था निदान किट

केन्द्रीय भैंस अनुसंधान केंद्र, हिसार ने डेयरी पशुओं के यूरिन से गर्भ जांच करने के लिए प्रेग–डी नामक कीट विकसित की है, जिसमें यूरिन सैंपल से 30 मिनट में मात्रा 10 रूपये में टेस्ट किया जा सकता है |

मत्स्कीय प्रभाग – रेड सिवीड से बाइओडिग्रेडडबल पैकेजिंग फिल्म (बिओप्लास्टिक) बनाने की तकनीक बनाई है, जो बहुत ही कांस्ट इफेक्टिव है |