आधुनिक खेती में कम समय में अधिक काम करने के लिए कृषि यंत्रों का महत्त्व बढ़ता जा रहा है | कृषि यंत्रों की मदद से किसान ज्यादा से ज्यादा कृषि यंत्रों का उपयोग करते हैं जिससे समय और पैसे की बचत हो सके | खरीफ सीजन में धान की खेती करने वाले किसानों के लिए मध्यप्रदेश कृषि विभाग ने पैडी (राइस) ट्रांसप्लांटर सब्सिडी पर देने के लिए किसानों से आवेदन आमंत्रित किये हैं | इस कृषि यंत्र की मांग पिछले वर्ष कम रहने के कारण इस बार लक्ष्य निर्धारित नहीं किये गए हैं | मध्य प्रदेश के कोई भी किसान इस योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं |
मांग कम रहने के कारण योजना के आवेदन को ऑफलाइन ही रखा गया है, जिससे किसान इस योजना के लिए जिले में आवेदन कर सकते हैं | किसानों के मांग के अनुसार लक्ष्य निर्धारित कर पात्र किसानों को सब्सिडी पर पैडी (राइस) ट्रांसप्लांटर दिए जायेंगे |
पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई से लाभ
जहाँ पैडी ट्रांसप्लांटर से धान रोपाई बहुत ही आसान है वही मशीन द्वारा 1 एकड़ की धान की रोपाई मात्र 2 से 3 घंटे में पूरी हो जाती है एवं अपेक्षाकृत लागत भी कम आती है | पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से मैट टाइप नर्सरी तैयार करने से उत्पादन में भी 10 से 12 प्रतिशत बढ़ोतरी भी होती है। पैडी ट्रांस्प्लान्टर से रोपाई करने में जहाँ कम श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है वही इससे बीज की बचत एवं निंदाई, गुड़ाई एवं कटाई आदि कार्य भी आसानी से किये जा सकते हैं |
किसान पैडी ट्रांसप्लांटर हेतु आवेदन कहाँ से करें ?
पैडी ट्रांसप्लांटर के लिए मध्यप्रदेश के किसान ऑफलाइन आवेदन कर सकते हैं | किसान आवेदन के लिए अपने जिले के सहायक कृषि यंत्री कार्यालय में संपर्क करके अपने आवेदन पर कार्यवाही करा सकते हैं | उल्लेखनीय है कि इस यंत्र हेतु जिलेवार लक्ष्यों की आवश्यकता नहीं होगी | कृषक की मांग अनुसार लक्ष्य तत्काल आवंटित कर दिया जायेगा |
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज
किसान आवेदन अपने जिले के कृषि अभिलेखों के साथ अपने जिले के सहायक कृषि यांत्रिक कार्यालय में जाकर आवेदन कर सकते हैं | आवेदन के लिए कुछ दस्तावेज अनिवार्य है जिसे किसान अपने साथ ले जाएँ |
मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना बिजली बिल अनुदान
सरकारों के द्वारा कृषि की लागत कम करने के लिए कई पहल की जा रही है, जिससे किसानों को कृषि क्षेत्र में होने वाले नुकसान से बचाया जा सके | इसके अलावा कोरोना काल में किसानों को हो रहे आर्थिक नुकसान को कम करने के लिए भी कई प्रयास किये जा रहे हैं | राजस्थान सरकार ने किसानों पर पड़ने वाले बिजली बिल के भार को कम करने के लिए बड़ा फैसला लेते हुए “मुख्यमंत्री किसान मित्र उर्जा योजना” को मंजूरी दे दी है | योजना के तहत अब किसानों को सालाना 12 हजार रुपये का अनुदान सीधे उनके बैंक खातों में दिया जायेगा |
दरअसल राजस्थान में पिछली सरकार के द्वारा किसानों को कृषि बिजली बिल पर डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत 833 रूपये की सब्सिडी दी जाती थी | उस योजना को वर्ष 2021–22 के बजट में नाम बदलकर “मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना” के नाम से मंजूरी दे दी है | योजना के लिए इस वर्ष के बजट में 750 करोड़ रूपये जारी किये गये हैं | जिससे राज्य के कृषि कनेक्शन पर 1,000 रूपये की सब्सिडी प्रतिमाह , जो वर्ष में 12,000 रूपये हैं | योजना के लागू होने से राज्य सरकार पर प्रति वर्ष 450 करोड़ रूपये का अतिरिक्त भार आएगा |
मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना के तहत दिया जाने वाला अनुदान
किसान मित्र ऊर्जा योजना राजस्थान के किसानों के लिए शुरू की गई है | योजना के तहत राज्य के कृषि कनेक्शन पर बिजली बिल का 60 प्रतिशत या अधिकतम 1,000 रुपया प्रति माह सब्सिडी के रूप में दिया जायेगा | जिस किसान का कृषि बिजली बिल 1,000 से कम प्रति माह आता है तो उस किसान को बिल का 60 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा |
मुख्यमंत्री किसान मित्र ऊर्जा योजना मई, 2021 से लागू की गई है | इसका मतलब यह है कि योजना का लाभ जून माह के बिजली बील में दिया जाएगा | योजना लागू होने केे माह से पहले की बकाया विद्युत बिल राशि को अनुदान में समायोजित नहीं किया जाएगा। यदि कोई किसान बिजली का कम उपभोग करता है और उसका बिल एक हजार रूपए से कम है, तो वास्तविक बिल एवं अनुदान राशि की अंतर राशि उसके बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी। इससे किसानों में बिजली की बचत को प्रोत्साहन मिलेगा।
योजना का लाभ किन किसानों को दिया जायेगा ?
मुख्यमंत्री किसान मित्र उर्जा योजना राज्य के किसानों के लिए शुरू की गई है | इस योजना के तहत राज्य सरकार द्वारा मीटर्ड कृषि उपभोक्ताओं को बिजली के बिल पर प्रतिमाह एक हजार रूपए और अधिकतम 12 हजार रूपए प्रतिवर्ष अनुदान दिया जाएगा | इस योजना के तहत केंद्रीय, तथा राज्य कर्मचारी, टैक्स पेयर को बाहर रखा गया है |
किसान योजना से जुड़ने के लिए कहाँ करें आवेदन
मुख्यमंत्री किसान मित्र उर्जा योजना के तहत 1,000 रुपया या 60 प्रतिशत की सब्सिडी प्राप्त करने के लिए किसान को योजना के तहत अपना आधार नंबर एवं बैंक खाता जोड़ना होगा | इससे सब्सिडी का पैसा सीधे किसानों के बैंक खातों में दिया जायेगा |
किसानों को सिंचाई की उपुक्त सुविधा मुहैया करवाने के साथ ही लगातार नीचे जा रहे भूमिगत जल स्तर बचाने के लिए राज्य सरकार द्वारा कई नई योजनाएं शुरू की गई हैं | जहाँ अधिक सिंचाई एवं पानी वाली फसलों को छोड़ अन्य फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है साथ ही सिंचाई की ऐसी व्यवस्था की जा रही है जिससे भूमिगत जल का आवश्यकता से अधिक दोहन न हो | इसके लिए हरियाणा राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए हर खेत पानी योजना चला रही है | योजना के तहत किसानों को सूक्ष्म सिंचाई एवं पानी के लिए टैंक बनवाने पर 85 फीसदी अनुदान दे रही है |
हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जेपी दलाल ने कहा कि दक्षिणी हरियाणा के लिए हर खेत पानी योजना बनाई है। इसमें किसान की जमीन में लगभग दो कनाल भूमि में टैंक निर्माण पर किसानों को 70 से 85 फीसदी तक सब्सिडी दी जा रही है इसके अलावा सरकार किसानों को फव्वारा व ड्रिप सिंचाई पर 85 फीसदी सब्सिडी दे रही है | इसके अलावा जो टैंकर बनायें जा रहे उन पर सोलर पम्प की स्थापना भी की जा रही है |
क्या है सिंचाई साधनों एवं यंत्रों पर सब्सिडी के लिए योजना
हरियाणा सरकार द्वारा फ़रवरी माह में किसानों विभिन्न योजनाओं के तहत अनुदान पर सिंचाई साधन एवं यंत्र उपलब्ध करवाने के उद्देश्य से काडा हरियाणा पोर्टल लांच किया था | पोर्टल पर किसान टैंक निर्माण, खेत-तालाब निर्माण, सुक्ष्म सिंचाई साधन (स्प्रिंकलर, ड्रिप) आदि के लिए आवेदन कर सब्सिडी का लाभ ले सकते हैं इसमें विभिन्न साधनों पर सरकार द्वारा 100 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जा रही है |
सिंचाई साधनों पर दिया जाने वाला अनुदान
हरियाणा सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई साधन उपब्ध करवाने के लिए विभन्न साधनों पर अलग-अलग सब्सिडी का प्रावधान है | किसान जमीन में लगभग दो कनाल भूमि में टैंक निर्माण करवा सकते हैं | इसमें किसान अकेला भी हो सकता है तथा सामूहिक तौर पर भी अपना टैंक बनवा सकते हैं।
भूमि में टैंक निर्माण पर किसानों को 70 से 85 फीसदी तक सब्सिडी
फव्वारा व ड्रिप सिंचाई पर 85 फीसदी सब्सिडी
सोलर पैनल पर 85 फीसदी तक अनुदान
सिंचाई साधनों पर अनुदान के लिए आवेदन कैसे करें
यह योजना पुर्णतः ऑनलाइन एवं पारदर्शी है | सरकार के द्वारा योजना के तहत ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये गये हैं किसान https://cadaharyana.nic.in/ पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | किसान आवेदन पात्र के लिंक पर मोबाइल पर वन टाइम पासवर्ड OTP प्राप्त होगा जिससे वह लॉग इन कर सकते हैं | किसान अधिक जानकारी के लिए सूक्ष्म सिंचाई एवं कमान क्षेत्र विकास प्राधिकरण में सम्पर्क कर सकते हैं |
वर्ष 2021-22 खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य MSP
प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी केंद्र सरकार ने कृषि उपज की सरकारी खरीद हेतु सीजन 2021-22 के लिए सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की घोषणा कर दी है | पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी फसलों के उत्पादन में 20 रुपये से 452 रूपये तक की वृद्धि की गई है | सबसे कम मक्का में 20 रूपये की बढ़ोतरी तो सबसे ज्यादा तिल में 452 रूपये की बढ़ोतरी की गई है |
पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष सामान्य धान एवं धान ग्रेड ए दोनों में 72 रुपये की वृद्धि की गई है | सबसे ज्यादा तिल यानी सेसामम (452 रुपये प्रति क्विंटल) और उसके बाद तुअर व उड़द (300 रुपये प्रति क्विंटल) के एमएसपी में बढ़ोतरी की गई है | मूंगफली और नाइजरसीड के मामले में, बीते साल की तुलना में क्रमशः 275 रुपये और 235 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोतरी की गई है। सरकार ने कहा कि मूल्यों में इस अंतर का उद्देश्य फसल विविधीकरण को प्रोत्साहन देना है।
खरीफ सीजन 2021-22 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य एवं उनमें की गई वृद्धि
खरीफ फसल
एमएसपी2020–21
(रूपये/क्विंटल)
एमएसपी 2021–22
(रूपये/क्विंटल)
एमएसपी में बढ़ोतरी
(पूर्ण)
धान (सामान्य)
1868
1940
72
धान (ग्रेड ए)
1888
1960
72
ज्वार (हाईब्रिड)
2620
2738
118
ज्वार (मलडंडी)
2640
2758
118
बाजरा
2150
2250
100
रागी
3295
3377
82
मक्का
1850
1870
20
तुअर (अरहर)
6000
6300
300
मूंग
7196
7275
79
उड़द
6000
6300
300
मूंगफली
5275
5550
275
सूरजमुखी के बीज
5885
6015
130
सोयाबीन (पीली)
3880
3950
70
तिल
6855
7307
452
नाइजरसीड
6695
6930
235
कपास (मध्यम रेशा)
5515
5726
211
कपास (लंबा)
5825
6025
200
लागत का 1.5 गुना है समर्थन मूल्य (MSP)
सरकार खरीद सीजन 2021–22 के लिए खरीफ फसलों के एमएसपी में बढ़ोतरी, आम बजट 2018–19 में उत्पादन की अखिल भारतीय औसत लागत (सीओपी) से कम से कम 1.5 गुने के स्तर पर एमएसपी के निर्धारण की घोषणा के क्रम में की गई है | किसानों को उनकी उत्पादन लागत पर सबसे ज्यादा अनुमानित रिटर्न बाजार (85 प्रतिशत) होने की संभावना है | बाकी फसलों के लिए किसानों को उनकी लागत पर कम से कम 50 प्रतिशत रिटर्न होने का अनुमान है |
इन खर्चों को जोड़कर तैयार की गई है फसल लागत
केंद्र सरकार के अनुसार सभी फसलों के उत्पादन में लागत खर्च का 1.5 प्रतिशत का मुनाफा दिया जा रहा है | इससे किसान लागत से 50 प्रतिशत अधिक पा सकता है | न्यूनतम समर्थन मूल्य में सभी फसलों का लागत इस प्रकार जोड़ी गई है | मानव श्रम, बैल श्रम, मशीन श्रम, पट्टे पर ली गई जमीन का किराया, बीज, उर्वरक, खाद जैसी उपयोग की गई सामग्रियों पर व्यय सिंचाई शुल्क, उपकरण और कृषि भवन पर मूल्य ह्रास, कार्यशील पूंजी पर ब्याज, पम्प सेट आदि चलाने के लिए डीजल/बिजली आदि पर व्यय, मिश्रित खर्च और पारिवारिक श्रम के मूल्य को शामिल किया गया है |
सिंचाई में अधिक पानी के उपयोग के चलते भूमिगत जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है | जिसे रोकने के लिए राज्य सरकारों द्वारा कई प्रयास किये जा रहें हैं | राज्य सरकारों के द्वारा किसानों को ऐसी फसलें लगाने के लिए प्रोत्सहित किया जा रहा है जिसमें कम सिंचाई की आवश्यकता हो | हरियाणा में पिछले वर्ष से मेरा पानी–मेरी विरासत योजना चलाई जा रही है जिसके तहत धान की फसल बुआई वाली भूमि में 50 प्रतिशत से अधिक भूमि पर अन्य फसल बोने पर 7,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी देगी |
पहले वर्ष की अच्छी सफलता के बाद योजना को दुसरे वर्ष भी जारी रखा गया है | योजना के तहत जो भी इच्छुक किसान धान की खेती छोड़ कर अन्य फसल लगाना चाहते हैं वह अभी पंजीकरण कर योजना का लाभ ले सकते हैं | राज्य सरकार ने आवेदन की अंतिम तिथि 25 जून 2021 निर्धारित की है |
मेरी पानी मेरा विरासत योजना के तहत किसानों को दिए जाने वाले लाभ
इस योजना के तहत जिस किसान ने अपनी कुल जमीन के 50 प्रतिशत या उससे अधिक क्षेत्र पर धान के बजाय मक्का/ कपास/ बाजरा/ दलहन/ सब्जियां इत्यादि फसल उगाई है तो उसको 7,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से राशि प्रदान की जाएगी | परन्तु यह राशि उन्ही किसानों को ही दी जाएगी जिन्होंने गत वर्ष के धान के क्षेत्रफल में से 50 प्रतिशत या उससे अधिक क्षेत्र में फसल विविधिकरण अपनाया है |
उपरोक्त राशि 7,000 रूपये प्रति एकड़ के अतिरिक्त जिन किसानों ने धान के बजाय फलदार पौधो तथा सब्जियों की खेती से फसल विविधिकरण अपनाया है उनको बागवानी विभाग द्वारा चालित परियोजनाओं के प्रावधान के अनुसार अनुदान राशि अलग से दी जाएगी |
जिन खंडों का भूजल स्तर 35 मीटर अथवा उससे अधिक गहराई पर है तथा पंचायत भूमि पर धान के अतिरिक्त मक्का / कपास / बाजरा / दलहन / सब्जियां फसल उगाई है तो 7,000 रूपये प्रति एकड़ की दर से राशि ग्राम पंचायत को दी जाएगी |
मक्का खरीद के दौरान मंडियों में मक्का सुखाने के लिए मशीने लगाई जाएगी ताकि किसानों को पर्याप्त नमी के आधार पर उचित मूल्य मिल सके | मक्का की मशीनों द्वारा बिजाई करने हेतु लक्षित खंडों में किसानों को मक्का बिजाई मशीनों पर 40 प्रतिशत अनुदान दिया जायेगा |
फसल विविधिकरण के अंतर्गत अपनाई गई फसल की बीमा राशि / किसान के हिस्से की राशि को सरकार द्वारा दिया जाएगा | फसल विविधिकरण अपनाने वाले किसानों को सूक्ष्म सिंचाई संयंत्र लगाने पर कुल लागत का केवल जी.एस.टी. ही देना होगा |
अभी तक इतने एकड़ भूमि में छोड़ी गई धान की खेती
पिछले वर्ष से राज्य में मेरा पानी–मेरा विरासत योजना लागू होने के बाद राज्य सरकार ने किसानों से धान की फसल छोड़कर अन्य फसल अपनाने का अपील की थी जिसके बदले सरकार ने किसानों को अनुदान भी दिया है | पहले वर्ष में ही योजना को अच्छी सफलता मिली है | राज्य में वर्ष 2020–21 के खरीफ सीजन में किसानों ने 96,000 एकड़ भूमि में धान की फसल को छोड़कर अन्य फसल को अपनाया है |
किसान आवेदन कहाँ करें ?
मेरा पानी मेरा विरासत योजना के लिए किसान अपने क्षेत्र के खंड कृषि अधिकारी कार्यालय में संपर्क करके स्कीम में अपने नाम को पंजीकृत करवाकर सकते हैं | पंजीयन करने के लिए 25 जून अंतिम तिथि है |
रबी सीजन की फसलों के उपार्जन का कार्य अभी भी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चल रहा है | इसके आलावा इस वर्ष कुछ फसलों का बाजार भाव समर्थन मूल्य से अधिक होने के चलते किसान अपनी उपज सरकार को न बेच कर खुले बाजार में बेचना पसंद कर रहे हैं | ऐसे में अधिकांश किसान ऐसे हैं जिन्होंने समर्थन मूल्य पर चना एवं सरसों बेचने के लिए पंजीकरण तो करवाया है परन्तु अभी तक वह उसे बेचने नहीं गए हैं |
इसके बाबजूद भी राजस्थान सरकार ने किसानों को समर्थन मूल्य पर चना एवं सरसों खरीद एवं पंजीकरण की अंतिंम तिथि को आगे बढ़ा कर 29 जून कर दिया है | राज्य का कोई भी किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 29 जून तक पंजीकरण कर चना एवं सरसों बेच सकते हैं |
किसान पंजीकरण कर बेच सकते हैं चना एवं सरसों
राजस्थान में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों एवं चना की खरीद 1 अप्रेल से आरंभ की गई थी, जो अब 29 जून 2021 तक चलेगी | ऐसे में जो किसान अभी तक अपनी उपज नहीं बेच पाए हैं वह किसान अपनी उपज मंडियों में बेच सकते हैं |
राजस्थान में चना बेचने के लिए कुल 80,732 किसानों ने पंजीयन कराया था | इनमें से 80,719 किसानों को चना बेचने के लिए दिनांक आवंटित कर दी गई है | इसमें से मात्र 2,639 किसानों ने ही न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना बेचा है | अगर राज्य के किसी किसान ने अभी तक पंजीयन नहीं कराया है तो वह किसान अभी भी पंजीयन करवा कर अपनी उपज बेच सकते हैं |
MSP पर चना एवं सरसों के लिए पंजीयन
किसान अपनी तहसील के अंतर्गत आने वाले ई-मित्र केंद्र पर जाकर फसल का पंजीकरण करवा सकते हैं | एक जनआधार कार्ड पर एक ही पंजीकरण मान्य होगा । एक मोबाईल नम्बर पर एक ही पंजीकरण दर्ज करवाया जा सकेगा अर्थात् प्रत्येक पंजीकरण में पृथक-पृथक मोबाइल नम्बर दर्ज होंगे, जिसमें किसान सरसों-चना के पंजीकरण दर्ज करवा सकेगा। सभी ई-मित्र जिस क्षेत्र में किसान की कृषि भूमि है उसी तहसील के कार्य क्षेत्र में आने वाले क्रय केन्द्र का चयन कर पंजीकरण कर सकेंगें, यदि कृषक/ई-मित्र द्वारा गलत तहसील भरकर पंजीकरण कराया जाता है तो ऐसे किसानों से जिन्स क्रय करना संभव नहीं होगा। अतः किसान पंजीकरण के समय पूर्ण सावधानी बरतें।
यदि दी गई डेट पर किसान उपज न बेच पाएं हो तो क्या करें ?
राज्य के सहकारिता मंत्री श्री आंजना ने कहा कि ऐसे किसान जिनको चना विक्रय के लिए दिनांक आवंटित कर दी गई थी, परन्तु वे अपना चना विक्रय नहीं कर पाए है तो ऐसे किसानों के आवेदन प्राप्त होने पर उन्हें पुन: चना तुलाई का अवसर भी दिया जा रहा है | ऐसे किसान जिनकी चना तुलाई की दिनांक निकल गई है वे संबंधित क्रय केंद्र पर चना तुलाई के लिए अपना आवेदन प्रस्तुत कर सकते हैं | उन किसानों से राजफेड द्वारा नियमानुसार चना की खरीदी की जाएगी |
चना तथा सरसों की न्यूनतम समर्थन मूल्य क्या है ?
केंद्र सरकार प्रति वर्ष 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करता है | केंद्र सरकार के द्वारा घोषित मूल्य देश के सभी राज्यों के लिए एक समान है | चना तथा सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है :-
चना – 5100 रूपये / किवंटल
सरसों – 4650 रूपये / किवंटल
गौरतलब है कि इस वर्ष भारत सरकार द्वारा सरसों का समर्थन मूल्य 4650 रु. प्रति क्विंटल घोषित किया हुआ है। जबकि विभिन्न मण्डियों में सरसों समर्थन मूल्य दर से ऊपर लगभग 7200 रु. प्रति क्विंटल तक बिक रहा है। राज्य में सरसों के बाजार भाव समर्थन मूल्य दर से अधिक होने के कारण किसानों को सरसों का अधिक लाभकारी मूल्य प्राप्त हो रहा है।
खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ाने और कृषि में लागत को कम करने के लिए राज्य सरकारों के द्वारा किसानों अलग-अलग स्तर पर सहायता प्रदान की जा रही हैं | राज्य सरकारें किसानों को उन्नत बीज, खाद एवं बिजली आदि किसानों को कम दरों पर उपलब्ध करवा रही हैं, इसके साथ खेती में कृषि यंत्रों के बढ़ते महत्त्व को देखते हुए ट्रैक्टर एवं अन्य कृषि यंत्र किसानों को आसानी से उपलब्ध हों इसकी व्यवस्था कर रहीं हैं | किसानों को कृषि यंत्र मुहैया करवाने के लिए राजस्थान सरकार कृषि यंत्रों के लिए फ्री रेंटल स्कीम लेकर आई है |
राजस्थान कृषि विभाग की ओर से कोविड-19 महामारी को देखते हुए छोटी जोत वाले जरूरतमंद किसानों को राहत देते हुए ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्रों की फ्री रेंटल स्कीम के तहत सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। इससे किसान खरीफ फसल के लिए खेत की जुताई के साथ अन्य कार्य नि:शुल्क कर सकेंगे, जिससे कृषि लागत कम होगा |
क्या है ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्रों के लिए फ्री रेंटल स्कीम ?
राजस्थान सरकार राज्य के किसानों के लिए खरीफ फसल में उपयोग होने वाले कृषि यंत्रों को फ्री रेंटल स्कीम के तहत नि:शुल्क उपलब्ध करा रही है | यह योजना राज्य के उन किसानों के लिए हैं जिनके पास 2.5 एकड़ या उससे कम भूमि है | फ्री रेंटल स्कीम राज्य में खरीफ सीजन के लिए लागू की गई है | यह योजना इस खरीफ सीजन के 31 जुलाई तक लागु रहेगी | योजना के अंतर्गत किसान ट्रेक्टर सहित अन्य बुआई हेतु उपयोगी कृषि यंत्र किराये परबिना किसी शुल्क के ले सकते हैं, एवं उपयोग के बाद उसे वापस कर सकते हैं |
ट्रैक्टर के मालिक भी जुड़ सकते हैं योजना से
राज्य में ट्रेक्टर तथा अन्य कृषि यंत्र रखने वाले किसान इस योजना के तहत पैसा कमा सकते हैं | इसके लिए अपना ट्रेक्टर को पंजीयन कराकर आर्डर ले सकते हैं | इस योजना के तहत फर्गुसन और आयशर ट्रैक्टर मालिक https://jfarmservices.com लिंक के माध्यम से पंजीयन करा सकते हैं |
किसान योजना का लाभ कैसे प्राप्त करें ?
राज्य के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने बताया कि टैफे कम्पनी की फर्म जे फार्म सर्विसेस के माध्यम से फ्री रेंटल योजना का लाभ उठा सकते हैं | किसान https://jfarmservices.com लिंक के माध्यम से खुद को JFarm Services एप पर रजिस्टर कर आर्डर बुक कर सकते हैं | इसके अलावा टोल फ्री नंबर 18004200100 पर फोन करके भी इस सेवा का लाभ उठा सकते हैं | एक किसान के द्वारा एक आर्डर ही मान्य किया जायेगा |
पिछले वर्ष 27 हजार किसानों ने लिया था योजना का लाभ
फ्री रेंटल स्कीम पिछले वर्ष कोरोना लॉक डाउन के समय से प्रारंभ किया गया था | जिसका लाभ राज्य के 27 हजार किसानों ने लाभ उठाया था | पिछले वर्ष इस योजना के तहत राज्य में किसानों को एक लाख घण्टे से ज्यादा की निःशुल्क सेवा दी गई थी।
इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव लिमिटेड (IFFCO) ने नैनो तरल यूरिया Liquid Urea का उत्पादन शुरू कर दिया है | 5 जून पर्यावरण दिवस के मौके पर दिल्ली में इफको के प्रबन्ध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने इसकी जानकारी दी है | नैनो यूरिया दाने वाले यूरिया की जगह लेगा जिसे किसान पहले से उपयोग करते आ रहे हैं |
नैनो यूरिया को पहली बार 31 मई 2021 को दिल्ली में हुई प्रतिनिधि महासभा के 50वीं. वार्षिक आमसभा की बैठक में दुनिया के सामने लाया गया | अब इस उत्पाद का किसानों के लिए उत्पादन शुरू कर दिया गया है | नैनो यूरिया का पहला उत्पादन उत्तर प्रदेश तथा गुजरात राज्य के किसानों को मिलेगा |
नैनो लिक्विड तरल यूरिया का उत्पादन कहाँ हो रहा है ?
पर्यावरण दिवस पर IFFCO ने जानकारी दी कि गुजरात के कलोल एवं उत्तर प्रदेश के आंवला और फूलपुर की इफको की इकाईयों में नैनो यूरिया संयंत्र के निर्माण की प्रकिया पहले ही शुरू किया जा चूका है | 5 जून पर्यावरण दिवस के मौके पर दिल्ली में इफको के प्रबन्ध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने जानकारी दी है की लिक्विड तरल यूरिया का पहला ट्रक किसानों को आपूर्ति के लिए डिस्पेच भी किया जा चूका है | प्रथम चरण में 14 करोड़ बोतलों की वार्षिक उत्पादन क्षमता विकसित की जा रही है | दुसरे चरण में वर्ष 2023 तक अतिरिक्त 18 करोड़ बोतलों का उत्पादन किया जाएगा | इस प्रकार वर्ष 2023 तक ये 32 करोड़ बोतलें संभवत: 1.37 करोड़ टन यूरिया की जगह लेंगी |
तरल (Liquid) नैनो यूरिया अभी बाजार में नहीं आया है, लेकिन IFFCO ने किसानों के लिए नैनो यूरिया का मूल्य 500 मि.ली. के बोतल के लिए 240 रुपये निर्धारित किया है जोकि बोरी में आने वाली यूरिया से लगभग 11 प्रतिशत कम है | यूरिया की एक बोरी (45 किलोग्राम) 266 रूपये में आती है |
देश में यूरिया की खपत कितनी है ?
देश में उपयोग होने वाले उर्वरकों में यूरिया का स्थान पहले नंबर पर है | देश में नाईट्रोजन खपत में 82 प्रतिशत स्थान यूरिया का है | यूरिया की खपत साल दर साल बढती जा रही है | वर्ष 2020–21 के दौरान यूरिया की खपत 3.7 करोड़ टन तक पहुँचने की उम्मीद है | एक सवाल के जवाब में रसायन और उर्वरक मंत्री श्री सदानन्द गौंड ने बताया था कि वर्ष 2019–20 में देश में 33.526 मिलियन टन यूरिया की खपत है | इसमें से 24.45 मिलियन टन यूरिया का उत्पादन किया जाता है जबकि 9.123 मिलियन टन आयात किया जाता है |
इफको ने यह उम्मीद जताई है की नैनो यूरिया के आने से दाने वाली यूरिया के उपयोग में कमी आयेगी | IFFCO का लक्ष्य है दाने वाले यूरिया के उपयोग में 50 प्रतिशत की कमी करना है | वर्ष 2023 तक 13.7 मिलियन टन दानेदार यूरिया के बराबर नैनो यूरिया लाया जाएगा |
देश में खरीफ सीजन में धान एक प्रमुख फसल है, देश भर में अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग धान की प्रजाति की खेती की जाती है | ऐसे ही कतरनी धान का उत्पादन बिहार तथा उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में किया जाता है | यह सुगंध, स्वाद के लिए विश्व में प्रसिद्ध है | इस धान में विशेष सुगंध एवं स्वाद एक विशेष क्षेत्र में उगाने पर ही आती है | सुगंध और स्वाद के कारण बाजार में मांग इसकी ज्यादा है | इस धान की मांग अधिक रहने के कारण किसान को मुनाफा भी अच्छा होता है | किसान समाधान कतरनी धान की वैज्ञानिक खेती की जानकारी लेकर आया है |
कतरनी धान की खेती के लिए जलवायु,बीजदर और बीजोपचार
धान की इस किस्म की बुआई के लिए 15 से 25 जुलाई का समय उपयुक्त होता है | इसके पौधे में फुल आने पर परागण के लिए 16–20 तथा पकने के समय 18 से 32 डिग्री सेल्सियस तापमान के साथ 8–10 घंटे धुप की आवश्यकता होती है | कतरनी धान की बुआई के लिए 15 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर बीज पर्याप्त होता है |
बीजोपचार
बीज का बुआई से पहले कार्बेन्डाजिम 2–3 ग्राम प्रति किलोग्राम और ट्राईकोडर्मा 7.5 ग्राम प्रति किलोग्राम के साथ पी.एस.बी. 6 ग्राम और एजेटोबेक्टर 6 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज दर से बीजोपचार करना चाहिए | इसके बाद बीज को छाया में पक्के फर्श पर जुत के गिले बोर से लगभग 72 घंटे तक ढक दें | उसके बाद अंकुरित बीजों की नर्सरी में बुआई करनी चाहिए |
नर्सरी प्रबन्धन
नर्सरी में जैविक खाद तथा ऊँची क्यारी विधि द्वारा इसे तैयार करना लाभदायक रहता है | एक हैक्टेयर भूमि में रोपनी हेतु 15 किलोग्राम बीज और 1000 वर्ग मीटर क्षेत्र की आवश्यकता होती है | नर्सरी में बीज बुआई का घनत्व 15 – 20 ग्राम बीज प्रति वर्गमीटर की दर से डालना चाहिए |
खेत की तैयारी और रोपाई
रोपाई के लिए अच्छी तरह खेत में कीचड़ बनाकर 20–22 दिनों की आयु के बिचड़ा (पौद) का रोपाई के लिए प्रयोग करना चाहिए | खेत में बिचड़ा की रोपाई पंक्ति से पंक्ति की दुरी 20 से.मी. और पौधों से पौधों की दुरी 15 से.मी. पर 1 या 2 बिचड़ा पंक्ति में रोपना चाहिए |
खाद एवं उर्वरक प्रबंधन
कतरनी धान उत्पादन में कार्बनिक एवं जैविक खाद का प्रयोग आवश्यक होता है | हरी खाद में ढैंचा का प्रयोग मृदा की उर्वराशक्ति बनाए रखने के लिए बहुत फायदेमंद होता है | ढैंचा के बीज की जून में 25 – 30 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर की दर से छिडकाव विधि द्वारा बुआई कर लगभग 50 दिनों की फसल को मृदा में जुताई करके दबा दें | हरी खाद दबाने के 10 दिनों के बाद रोपाई करनी चाहिए |
पोषक तत्वों की अनुशंसित मात्रा नाईट्रोजन 40, फास्फोरस 30 एवं पोटाश 20 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर के अनुपात के साथ ही जिंक सल्फेट 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर का प्रयोग करना चाहिए | नाईट्रोजन की एक तिहाई मात्रा तथा फास्फोरस, पोटाश और जिंक की पूरी मात्रा खेत में कीचड़ करते समय तथा शेष मात्रा को दो भागों में बांटकर कला एवं गाभा आने के समय प्रयोग करना चाहिए |
सिंचाई प्रबन्धन
धान के अच्छे विकास और पैदावार के लिए खेत में लगातार पानी के भरे रहने की जरूरत नहीं होती है | बारी–बारी से सिंचाई करना व खेत को हल्का सूखने देने से कल्ले ज्यादा निकलते है |
खरपतवार नियंत्रण
इसके लिए रोपाई के दुसरे तथा छठे सप्ताह में निराई करनी चाहिए | यांत्रिक विधि से निराई के लिए कोनोवीडर का प्रयोग तथा रासायनिक विधि के लिए ब्यूटाक्लोरा 50 ई.सी. या प्रेटीलाक्लोर 50 ई.सी. 2.5 से 3 लीटर के 700 – 800 लीटर पानी में बने घोल का प्रति हैक्टेयर रोपाई के 2 से 4 दिनों के अंदर छिड़काव करना चाहिए | छिडकाव करते समय खेत में 1–2 से.मी. पानी रखना अत्यंत आवश्यक है | इसके बाद रोपाई के 3 से 4 सप्ताह बाद बिस्पाइरिबेक सोडियम 10 प्रतिशत की 20 से 25 ग्राम सक्रिय मात्रा का 500 – 600 लीटर पानी में घोल बनाकर प्रति हैक्टेयर छिड्काव करने से खरपतवार को कम किया जा सकता है |
कतरनी धान में रोग एवं कीट नियंत्रण
मुख्य रूप से पीला तनाछेदक और गंधीबग कीट का प्रकोप अधिक होता है | पीला तनाछेदक का नियंत्रण करने के लिए कार्टप हाइड्रोक्लोराइड 10 जी. 25 किलोग्राम प्रति हैक्टेयर रोपनी के 3 सप्ताह के बाद खेत में डालना चाहिए | फिर 20 दिनों बाद क्लोरोपाइरीफाँस 20 ई.सी. 2.5 लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से छिड़काव करना चाहिए | बाली आने के समय में गंधीबग का प्रकोप अधिक होता है | इसका नियंत्रण करने के लिए कार्बोरिल / मेलाथियान 25 से 30 किलोग्राम का प्रति हैक्टेयर की दर से सुभ में छिडकाव करना चाहिए |
कतरनी धान ब्लास्ट, ब्राउन स्पांट, बैक्टीरिया लीफ ब्लाइट एवं फाल्स समत का प्रकोप अधिक होता है | ब्लास्ट रोग से फसल को बचाने के लिए बीजोपचार करना चाहिए | इस रोग का लक्षण नजर आते ही ट्राइसाइकोलाजोल 75 डब्ल्यू. पी. (बीम / सिविक) 0.6 ग्राम प्रति लीटर या कार्बेन्डाजिम 50 डब्ल्यू.पी. (बाविस्टिन) 1 ग्राम प्रति लीटर का घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए |
कटाई एवं गहाई
धान की बालियाँ पक गई हों तथा पौधे का काफी भाग पीला हो गया हो, तब कटाई करनी चाहिए | अत्यधिक पकने पर कटाई करने से बालियों में से दाने खेत में झड जाते हैं | इससे उत्पादन में काफी कमी होती है | कतरनी धान की कटाई 25 नवम्बर से 15 दिसम्बर के बीच कर लेनी चाहिए | धान की गहाई किसी सख्त चीज पर पटककर या शक्तिचालित यंत्र से करनी चाहिए |
इस वर्ष रबी मौसम में हुई अच्छी पैदावार के बाद किसानों ने ग्रीष्मकालीन मूंग उत्पादन में भी काफी उत्साह दिखाया है | इस वर्ष जहाँ जायद में मूंग की खेती के रकबे में भी बढ़ोतरी हुई है वहीँ इसकी पैदावार भी अच्छी हुई है | मध्यप्रदेश में इस वर्ष 4.77 लाख हेक्टेयर में ग्रीष्मकालीन मूँग की फसल की बोवनी की गई है, जिससे 6.56 लाख मीट्रिक टन मूँग का उत्पादन होना संभावित है किन्तु बाजार में इसके गिरते भाव को देखते हुए किसान चिंतित हैं | इसको देखते हुए जायद में किसानों द्वारा लगाई गई मूंग को प्रोत्साहित करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार ने जायद मूंग को समर्थन मूल्य पर खरीदने का फैसला लिया है |
न्यूनतम समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी के लिए राज्य सरकार को केंद्र सरकार से अनुमति पहले ही मिल गई है | राज्य में उत्पादित मूंग की फसल को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की घोषणा पहले ही की जा चुकी थी किन्तु अब सरकार ने इसके लिए पंजीकरण की व्यवस्था भी कर दी है | साथ ही 15 जून से मूंग की खरीदी भी की जाएगी यह जानकारी दी है |
मूंग बेचने के लिए पंजीयन कब से होंगे ?
मध्य प्रदेश में मूंग की सरकारी खरीदी के लिए किसानों को पंजीकरण करना जरुरी है | राज्य सरकार ने इसके लिए 8 जून की तारीख तय की है | जो भी किसान MSP पर मंडियों में मूंग की उपज बेचना चाहते हैं वह 8 जून 2021 से पंजीकरण कर सकते हैं |
MSP पर मूंग की खरीदी कब से होगी?
मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा प्रदेश में किसानों से मूँग की खरीदी 15 जून 2021 से प्रारंभ होगी | भारत सरकार द्वारा मध्यप्रदेश के लिए मूँग की खरीदी का लक्ष्य और समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है। इसमें मूँग का समर्थन मूल्य 7196 रूपये प्रति क्विटंल निर्धारित किया गया है।
किसान पंजीयन कहाँ करवाएं ?
किसान ग्रीष्मकालीन मूंग को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए 8 जून से पंजीकरण प्रारंभ कर दिए जाएंगे | किसान सोसाइटी के माध्यम से अथवा ई-उपार्जन पोर्टल से पंजीयन करवा सकते हैं | इसके अतिरिक्त किसान एम.पी.किसान एप, ई-उपार्जन मोबाईल पंजीयन, कॉमन सर्विस सेण्टर, लोक सेवा केंद्र और ई–उपार्जन केन्द्रों या समिति स्तर पर स्थापित पंजीयन केंद्र पर जाकर अपनी उपज का पंजीकरण करवा सकते हैं |
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज
किसानों को अनिवार्य रुप से समिति स्तर पर पंजीयन हेतु आधार नंबर, बैंक खाता नंबर, मोबाइल नंबर की जानकारी उपलब्ध करवाना होगा | किसानों को पंजीयन करवाते समय कृषक का नाम, समग्र आई डी नम्बर, ऋण पुस्तिका, आधार नम्बर, बैंक खाता नम्बर, बैंक का आईएफएससी कोड, मोबाइल नम्बर की सही जानकारी देना होगा |