कपास की खेती करने वाले किसानों को हर साल कीट-रोगों एवं प्राकृतिक आपदाओं के चलते काफी नुकसान होता हैं, यहाँ तक कि अब तो कई किसानों ने कपास की खेती करना ही छोड़ दिया है। ऐसे में किसान कम लागत में कपास की ज्यादा से ज्यादा पैदावार ले सकें इसके लिए कृषि विभाग एवं कृषि वैज्ञानिकों के द्वारा किसानों को प्रशिक्षण सहित जरुरी सलाह भी दी जा रही है। इस कड़ी में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के द्वारा किसानों को इस वर्ष कपास की खेती के लिए कुछ सावधानियाँ रखने को कहा गया है।
विश्वविद्यालय की ओर से जारी सलाह में कहा गया है कि राज्य के किसान बीटी कपास की बिजाई मध्य मई तक ही पूरी कर लें, जून महीने में कपास की बिजाई नहीं करें। साथ ही किसानों को कपास की बिजाई से पहले गहरा पलेवा लगाने के लिए भी सलाह दी गई है। किसान कपास की बिजाई सुबह या शाम के समय ही करें साथ ही पूर्व से पश्चिम की दिशा में कपास की बिजाई करना फायदेमंद रहता है।
कपास की खेती करने वाले किसान रखें यह सावधानियाँ
- अभी के समय में गुलाबी सुंडी के प्रति बीटी कपास का प्रतिरोधक बीज उपलब्ध नहीं है इसलिए किसान 3G, 4G एवं 5G के नाम से आने वाले बीजों से सावधान रहें।
- गुलाबी सुंडी बीटी नरमे के दो बीजों (बिनौले) को जोड़कर भंडारित लकड़ियों में रहती है, इसलिए किसान लकड़ी और बिनौले के भंडारण में सावधानी रखें।
- किसान भाई अपने खेत में या आसपास रखी गई पिछले साल की नरमा की लकड़ियों के टिंडे एवं पत्तों को झटका कर अलग कर दें एवं इकट्ठा हुए कचरे को नष्ट कर दें। इन लकड़ियों के टिंडों में गुलाबी सुंडी निवास करती है इसलिए यह काम जल्द कर लें।
- जिन किसानों ने अपने खेतों में बीटी नरमा की लकड़ियों को भंडारित करके रखा है या उनके खेतों के आसपास कपास की जिनिंग व बिनौले से तेल निकालने वाली मिल लगती है उन किसानों को अपने खेतों में विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है क्योंकि इन किसानों के खेतों में गुलाबी सुंडी का प्रकोप अधिक होता है।
- कपास की शुरुआती अवस्था में किसान ज्यादा जहरीले कीटनाशकों का उपयोग ना करें। ऐसा करने से मित्र कीटों की संख्या भी कम हो जाती है।