अन्य फसलों की खेती करने पर 7 हजार रुपये का अनुदान
देश में धान खरीफ फसलों में प्रमुख है | धान की खेती करने के लिए अन्य दुसरे फसल से कहीं ज्यादा पानी का उपयोग करना पड़ता है | अधिक पानी का उपयोग करने से पानी का जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है, जिससे पानी की उपलब्धता लगातार कम होते जा रही है | ऐसे में सरकारों के द्वारा अन्य फसलों की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है | दिन-प्रतिदिन गिरता भू–जल तथा भू–जल का अत्यधिक दोहन हमारे लिए चुनौती बन गए हैं | एक किलोग्राम चावल उगने पर 3000 से 5000 लीटर पानी की खपत होती हैं | अगर पानी का संचय भूमि के अंदर करना है तो धान की खेती के अलावा अन्य फसलों पर विचार करना होगा |
धान के स्थान पर अन्य फसल लगाने पर दिए जाएंगे 7 हजार रुपये
हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए प्रदेश के किसानों से अपील की है कि वे जिस प्रकार आने वाली पीढ़ी के लिए अपनी जमीन को विरासत के रूप में छोड़ कर जाते हैं, उसी प्रकार पानी को भी विरासत मान कर चलें, तभी जमीन भावी पीढ़ी के लिए उपयोगी होगी, इसके लिए आज से राज्य सरकार द्वारा ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ योजना की घोषणा की गई है, जिसके तहत इस सीजन में धान के स्थान पर अन्य वैकल्पिक फसल बोने वाले किसानों को 7 हजार रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
किन जिले के किसान ले सकते हैं योजना का लाभ
प्रदेश का कुछ हिस्सा डार्क जोन हो चुका है, जिसमें 36 ब्लॉक ऐसे हैं, जहां पिछले 12 वर्षों में भू-जल स्तर में पानी की गिरावट दुगनी हुई है अर्थात जहां पहले पानी की गहराई 20 मीटर थी, वो आज 40 मीटर हो गई है। उन्होंने कहा कि जहां पानी की गहराई 40 मीटर से ज्यादा हो गई है और ऐसे 19 ब्लॉक हैं, लेकिन 11 ब्लॉक ऐसे हैं जिसमें धान की फसल नहीं होती है। परंतु 8 ब्लॉक नामत: रतिया, सीवान, गुहला, पीपली, शाहबाद, बबैन, ईस्माइलाबाद व सिरसा ऐसे हैं जहां भू-जल स्तर की गहराई 40 मीटर से ज्यादा है और धान की बिजाई होती है ऐसे ही क्षेत्रों को इस योजना में शामिल किया गया है।
पंचायत के अधीन भूमि, जहां भूमि जल स्तर 35 मीटर से ज्यादा है, उन ग्राम पंचायतों को पंचायती जमीन पर धान लगाने की अनूमति नहीं होगी। प्रोत्साहन राशि सम्बंधित ग्राम पंचायत को ही दी जाएगी। उन्होंने कहा कि इन ब्लॉक के अलावा भी यदि बाकी ब्लॉक के किसान भी धान की बुआई करना छोडऩा चाहते हैं तो वे पूर्व में सूचना देकर प्रोत्साहन राशि के लिए आवेदन कर सकते हैं। किसानों से आग्रह किया कि धान के स्थान पर कम पानी से तैयार होने वाली अन्य वैकल्पिक फसलें जैसे कि मक्का, अरहर, उड़द, ग्वार, कपास, बाजरा, तिल व ग्रीष्म मूंग (बैशाखी मूंग) की बुआई करने के प्रति अपना मन बनाएं। इससे भावी पीढ़ी के लिए पानी की उपलब्धता भी सुनिश्चित कर सकेंगे।
निश्चित मात्रा में धान की खेती छोड़ने वाले किसानों को ₹7,000/एकड़ प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।https://t.co/7WnQtJ1dMd pic.twitter.com/jbyvX5knpv
— Manohar Lal (@mlkhattar) May 6, 2020
Sabse pahle kisanon ko boring ki avashyakta Hoti Hai kheti karne ke liye Narendra Modi ji se nivedan hai ki direct kisanon ko Labh mile
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