पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास हेतु लोन उपलब्ध करवाने के लिए सरकार ने 15,000 करोड़ रुपये के फंड को दी मंजूरी

पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड की स्थापना

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा हाल में घोषित आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश के विभिन्न क्षेत्रों को मजबूती प्रदान करने एवं ढांचागत विकास हेतु कई योजनायें बनाई गई हैं | इसमें पशुपालन क्षेत्र में “पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड (एएचआईडीएफ) की स्थापना” एक है | इसके लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंडल समिति ने 15,000 करोड़ रूपये के पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड (एएचआईडीएफ) की स्थापना के लिए अपनी मंजूरी दे दी है |

डेयरी क्षेत्र में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए डेयरी सहकारी समितियों द्वारा निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए सरकार विभिन्न योजनाएं चलाती रही है | अब सरकार के द्वारा प्रसंस्करण और बेहतरीन बुनियादी ढांचे के विकास क्षेत्र में एमएसएमई और निजी कंपनियों को भी बढ़ावा देने और इसमें उनकी सहभागिता को प्रोत्साहित करने के लिए योजना तैयार की गई है | पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड (एएचआईडीएफ) निजी क्षेत्र में डेयरी एवं मीट प्रसंस्करण के लिए इंफ्रास्ट्रकचर और बेहतरीन बुनियादी ढांचे के विकास और पशु आहार संयंत्र की स्थापना में निवेश के अति आवश्यक प्रोत्साहन को बढ़ावा देने के लिए उचित सुविधा उपलब्ध करायगी |

योजना के तहत किस तरह लोन ले सकेगें लाभार्थी

  • एएचआईडीएफ योजना के तहत योग्य लाभार्थी किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ), एमएसएमई, सेक्शन 8 कंपनियां, निजी कंपनियाँ ओर निजी उधमी को शामिल किया गया है | जिन्हें 10 प्रतिशत की मार्जिन राशि का योगदान करना होगा | शेष 90 प्रतिशत की राशि अनुसूचित बैंक द्वारा कर्ज के रूप में उपलब्ध कराई जाएगी |
  • सरकार योग्य लाभार्थी को ब्याज पर 3 प्रतिशत की आर्थिक सहायता मुहैया कराएगी | योग्य लाभार्थियों को मूल कर्ज के लिए दो वर्ष की अधिस्थगन अवधि के साथ कर्ज उपलब्ध कराया जाएगा ओर कर्ज की पुनर्भुगतान अवधि 6 साल होगी |
  • भारत सरकार 750 करोड़ रूपये के क्रेडिट गारंटी फंड की स्थापना भी करेगी | जिसका प्रबंधन नाबार्ड करेगा | क्रेडिट गारंटी उन स्वीकृत परियोजनाओं के लिए दी जाएगी जो एमएसएमई के तहत परिभाषित होंगी | कर्जदार की क्रेडिट सुविधा की 25 प्रतिशत तक गारंटी कवरेज दी जायेगी |

पशुपालन बुनियादी ढांचा विकास फंड से लाभ

भारत में डेयरी उत्पादों के अंतिम मूल्य की लगभग 50–60 प्रतिशत राशि किसानों के पास ही आती है | इसका मतलब इस क्षेत्र में वृद्धि का किसानों की आय पर अहम और सीधा असर पड़ सकता है | डेयरी बाजार का आकार और दूध की बिक्री से किसानों को होने वाली आय का इसमें निजी व सहकारी क्षेत्र के विकास से सीधा ओर नजदीकी संबंध है | इसलिए, एएचआईडीएफ में निवेश प्रोत्साहान से न सिर्फ सात गुना निजी निवेश का लाभ होगा बल्कि यह किसानों को भी इसमें निवेश बढ़ाने को प्रोत्साहन करेगा ताकि उनका उत्पादन बढ़ सके जिससे उनकी कमाई में भी बढ़ोतरी होगी | इस योजना से 35 लाख लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है |

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50 प्रतिशत की सब्सिडी पर सहजन की खेती के लिए ऑनलाइन आवेदन करें

अनुदान पर सहजन की खेती

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार विभिन्न तरह के नवाचारों को बढ़ावा दे रही है जिससे किसान पारंपरिक खेती को छोड़ अन्य फसलों को खेती की और रुख कर सकें | इसके लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के द्वारा बागवानी फसलों के उत्पादन एवं पशुपालन आदि को बढ़ावा देने के लिए कई नई योजनों की शुरुआत की गई है | जिसमें किसानों को नई प्रकार की फसलों का चयन कर उत्पादित करने में सरकार के द्वारा आर्थिक मदद भी दी जाती है | इसमें औषधीय फसलें, सब्जी की खेती, फल एवं फूलों की खेती शामिल है | पिछले वर्ष से बिहार सरकार द्वारा किसानों को सहजन (मोरिंगा) की खेती को बढ़ावा देने के लिए योजना की शुरुआत की गई है | जिसके तहत किसान ऑनलाइन आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं |

योजना के तहत राज्य में दो वर्षों तक राज्य के 17 जिलों को सहजन कि खेती के लिए लगत का 50 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | कोविड – 19 के कारण यह योजना बीच में बंद हो गई थी जिसे पुन: शुरू किया गया है | सहजन कि खेती से किसान को काफी फायदा होने के साथ–साथ बाजार स्थानीय स्तर पर मिल जाता है | इसके फल के अलावा पत्ती तथा शाखा का भी मूल्य मिल जाता है | आयुर्वेदिक दवा में उपयोग होने के कारण इसकी मांग वर्ष भर बना रहती है | किसान समाधान इसकी उपयोगिता के साथ ही इस पर किसानों को मिलने वाले लाभ को लेकर आया है |

मोरिंगा या सहजन के लाभ

ड्रम स्टिक, सहजन, मुगना, मोरिंगा आदि नामों से पहचाने जाने वाला सहजन औषधीय गुणों से भरपूर है | इसके अलग–अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण पाये जाते हैं | इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एन्टीआक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारण और 18 तरह के एमिनोएसिड पाया जाता है | चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में आश्चर्यजनक रूप से बढ़ोतरी होती है | इस प्रकार से सहजन मनुष्यों के साथ – साथ पशुओं के स्वास्थ्य के लिए भी काफी लाभदायक है |

सहजन की खेती के लिए चयनित जिले

बिहार के 38 जिलों में से 17 जिलों के लिए योजना को संचालित किया जा रहा है | यह सभी जिला पिछले वर्ष से ही शामिल है | बिहार के 17 जिले इस प्रकार है :- गया, औरंगाबाद, नालंदा, पटना, रोहतास, कैमूर, भागलपुर, नवादा, भोजपुर, जमुई, बाँका, मुंगेर, लखीसराय, बक्सर, जहानाबाद, अरवल एवं शेखपुरा |

किसानों को दिया जाने वाला अनुदान (Subsidy)

इस योजना के तहत सहजन कि खेती को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार किसानों को प्रोत्साहन राशि के रूप में अनुदान देगी | कृषि मंत्री के अनुसार राज्य में सहजन का क्षेत्र विस्तार के लिए 74,000 रूपये प्रति हेक्टेयर इकाई लगत आकलित की गई है | ऊपर के 17 जिलों के किसानों को कुल इकाई लगत का 50 प्रतिशत यानी 37,000 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से सहायतानुदान दिया जाएगा | किसानों को यह सहायतानुदान दो किस्तों में दिया जाएगा, जिनमें प्रथम वर्ष 27,750 रूपये प्रति हेक्टेयर तथा दिव्तीय वर्ष 9,250 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से देय होगा | यहाँ पर यह ध्यान रखना होगा कि दिव्तीय वर्ष में 90 प्रतिशत सहजन का पौधा जीवित रहने पर ही दिव्तीय क़िस्त का भुगतान किया जायेगा |

सहजन की उन्नत किस्में

गाँव – देहात में सहजन बिना किसी देख-भाल के किसान अपने घरों के आस–पास कुछ पेड़ लगाकर रखते हैं, जिसका फल का उपयोग वे साल में एक या दो बार सब्जी के रूप में करते हैं | भारत में सहजन के पारम्परिक प्रभेद के अतिरिक्त उन्नत प्रभेद पी.के.एम. – 1, पी.के.एम. – 2, कोयम्बटूर – 1, और कोयम्बटूर – 2, की खेती की जाती है |

योजना का लाभ लेने के लिए आवेदन

योजनना का क्रियान्वन बिहार सरकार के उद्यान विभाग के द्वारा किया जा रहा है अतः किसान http://horticulture.bihar.gov.in/  दी गई लिंक पर आवेदन कर सकते हैं | योजना के संबंध में विशेष जानकारी प्राप्त करने के लिए अपने कृषि समन्वयक / प्रखंड उधान पदाधिकारी / प्रखंड कृषि पदाधिकारी / सहायक निदेश, उधान / जिला कृषि पदाधिकारी से सम्पर्क कर सहजन की खेती के लिए आवेदन कर सकते हैं |

सहजन का क्षेत्र विस्तार योजना हेतु ऑनलाइन आवेदन करने के लिए क्लिक करें

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किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए हर ग्राम पंचायत में आयोजित की जाएगी किसान चौपाल

किसान चौपाल का आयोजन

देश में किसानों के लिए राज्य सरकार के द्वारा अनेक योजनाओं का क्रियान्वन किया जा रहा है परन्तु इन योजनाओं में से कई योजनाओं की जानकारी नहीं होती है | इसके आलावा खेती-किसानी, पशुपालन, मछली पालन आदि विषयों पर किये जा रहे नवाचार आदि सभी विषयों पर किसानों तक जानकारी नहीं पहुँच पाती है | किसानों को नई योजनाओं एवं कृषि में किये जा रहे नवाचारों से अवगत करवाने के लिए किसान चौपाल, किसान पाठशाला जैसे कार्यक्रम चलाये जाते हैं | इनमें खेती किसानी आदि कार्यों में किसानों को आ रही समस्याओं का समाधान करने के लिए कर्यक्रम चलाये जाते हैं |

इसी प्रकार बिहार राज्य सरकार पिछले कई वर्षों से किसानों के बीच किसान चौपाल का आयोजन करते आ रहा है | इसमें कृषि वैज्ञानिक, कृषि पदाधिकारी के साथ ही ऐसे किसान भी शामिल किये जाते हैं जो खेती में नवाचार कर सफल हुए हैं | कोविड–19 के कारण प्रदेश में इस वर्ष किसान चौपाल देरी से हो रहा है | राज्य सरकार ने इस वर्ष किसान चौपाल आयोजित करने के निर्देश दे दिये हैं | इसके लिए राज्य सरकार ने 924.55 लाख रूपये की स्वीकृति प्रदान की है | इस योजना से जुड़े सभी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है |

किसान चौपाल में किसानों को क्या लाभ होगा ?

चौपाल कार्यक्रम के माध्यम से राज्य के किसानों को कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं एवं कार्यक्रमों से अवगत कराया जायेगा | इस चौपाल में कृषि क्षेत्र में किसानों की समस्याओं की जानकारी प्राप्त की जायेगी तथा इन समस्याओं के समाधान हेतु किसानों से सुझाव भी लिये जायेंगे | इस कार्यक्रम में कृषि वैज्ञानिकों / विशेषज्ञों के माध्यम से किसानों को कृषि से संबंधित नवीनतम तकनीक की जानकारियाँ अन्नदाता किसान भाईयों एवं बहनों तक पहुंचाई जायेगी |  इसके अलावा किसान हित समूह, खाध सुरक्षा समूह तथा किसान उत्पादन संगठन के गठन की जानकारी किसानों को उपलब्ध कराते  हुए उत्पादन से लेकर विपणन तक में आने वाली समस्याओं का समाधान किया जायेगा |

किसान चौपाल का आयोजन कब होगा ?

बिहार सरकार ने राज्य के सभी जिलों में किसान चौपाल आयोजित करने की डेट निश्चित कर दी है | कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि एक अगस्त से 15 अगस्त तक किसान चौपाल के आयोजन किए जाने की सम्भावना है | किसान चौपाल का आयोजन राज्य के सभी पंचायत के गावों में बारी–बारी से की जाती है |

किसान चौपाल में कौन–कौन शामिल होंगे ?

यदि कोरोना संक्रमण नियंत्रण में हो जायेगा तो किसान चौपाल का आयोजन पूर्व की भांति किसान, वैज्ञानिक एवं पदाधिकरिगण एक साथ बैठकर करेंगे अन्यथा इसका आयोजन डिजिटल के माध्यम से किया जायेगा, जिसमें सोशल डिस्टेंसिंग का पूर्वरूपेण पालन किया जायेगा | किसान चौपाल के माध्यम से किसानों को अपने गाँव / पंचायत में खेती–बाड़ी की अधतन जानकारी के साथ–साथ कृषि से जुड़े अन्य क्षेत्रों के बारे में भी आवश्यक ज्ञान विशेषज्ञों द्वारा दिया जाता है | यह किसानों के लिए बहुत ही उपयोगी कार्यक्रम है |

किसान चौपाल की मुख्य बातें

कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि किसान चौपाल में भाग लेकर किसान, पदाधिकारी एवं प्रसार कर्मी आपस में भावनात्मक रूप से जुड़ते हैं | इसके माध्यम से किसानों को कृषि के अलावे पशुपालन, मत्स्य एवं सहकारिता विभाग द्वारा संचालित योजनाओं / कार्यक्रम की भी जानकारी उपलब्ध कराई जाती है तथा इन विषयों पर राज्य के किसानों से सुझाव भी प्राप्त किए जाते हैं |

  • किसान चौपाल के माध्यम से मिलेगा कृषि, पशुपालन, मत्स्यपालन एवं तकनीक की जानकारी।
  • राज्य के सभी 8405 पंचायतों में लगेंगे किसान चौपाल।
  • किसानों की समस्याओं का द्वार पर ही मिलेगा समाधान।

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किसानों के लिए पर्याप्त मात्रा में खाद एवं बीज उपलब्ध है: मुख्यमंत्री

खाद एवं बीज की मात्रा

खरीफ फसल की बुवाई देश भर में जारी है | भरतीय मौसम विभाग विभाग ने इस वर्ष सामान्य से अधिक वर्षा होने की उम्मीद जताई है | जिसके कारण इस वर्ष खरीफ फसल की बुवाई रकबा बढने की उम्मीद है | उत्तर भारत के कई राज्यों में पिछले एक सप्ताह से मानसूनी बारिश शुरू हो चुकी है, जिससे किसानों में काफी उत्साह है और इससे इस वर्ष खरीफ फसलों के रकबा बढ़ने की सम्भावना है |

फसलों के अच्छे उत्पादन के लिए बीज तथा उर्वरक बहुत ही महत्वपूर्ण है | इसके लिए देश के कई राज्यों ने इसकी पूरी तैयारी कर रखी  | इसी क्रम में मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में बैठक संपन्न हुआ | इसमें बताया गया है कि राज्य में पर्याप्त मात्रा में बीज तथा उर्वरक उपलब्ध है | वर्ष 2020 के खरीफ वर्ष के लिए राज्य सरकार ने उर्वरक की वितरण, स्टोरेज तथा आपूर्ति कि जानकारी दी गई है, जिससे लॉक डाउन में किसानों को भरोसा देने कि कोशिश है कि राज्य सरकार के पास पर्याप्त उर्वरक तथा बीज कि उपलब्धता है | किसान समाधान इसकी पूरी जानकारी लेकर आय है |

8.25 लाख मीट्रिक टन खाद वितरित

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि खरीफ के लिए किसानों को अभी तक 8.25 लाख मीट्रिक टन खाद वितरित किया जा चूका है | इसमें 3.69 मीट्रिक टन यूरिया, 3.19 मीट्रिक टन डी.ए.पी. , 0.44 मीट्रिक टन काम्पैक्स, 0.24 मीट्रिक टन एम.ओ.पी. एवं सुपर फास्फेट 0.69 मीट्रिक टन किसानों को वितरित कर दिया गया है |

पर्याप्त खाद उपलब्ध

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में खरीफ 2020 के लिए आज की स्थिति में 5.75 लाख मीट्रिक टन यूरिया उपलब्ध है तथा 7300 मीट्रिक टन ट्रांजिट में है | इसी प्रकार 5.90 लाख मीट्रिक टन डी.ए.पी. उपलब्ध है तथा 16618 मीट्रिक टन ट्रांजिट में है | इसके अलावा 1.5 लाख मीट्रिक टन यूरिया के अतिरिक्त आवंटन की केंद्र से मांग की गई है , जो हमें जल्द मिल जाएगी

खरीफ 2020 का खाद का लक्ष्य

प्रमुख सचिव श्री अजीत केसरी ने बताया कि खरीफ 2020 के लिए प्रदेश में खाद का कुल लक्ष्य 25 लाख मीट्रिक टन रखा गया है | इसमें यूरिया का लक्ष्य 11 लाख मीट्रिक टन , डी.ए.पी. का 7 लाख मीट्रिक टन, काम्प्लेक्स का 2 लाख मीट्रिक टन, एम.ओ.पी. का एक लाख मीट्रिक टन तथा सुपर फास्फेट का 4 लाख मीट्रिक टन का लक्ष्य रखा गया है |

राज्य में खरीफ फसल की बुवाई अभी तक इस प्रकार हुआ है

मौसम लगभग राज्य के सभी जिलों तक पहुँच गया है , इसके बाबजूद भी पश्चिमी मध्य प्रदेश में बारिश नहीं होने के कारण खरीफ फसल की बुवाई पर असर पड़ा है | खरीफ फसल में मूंगफली तथा सोयाबीन प्रमुख फसल है जो पश्चिमी मध्य प्रदेश में बोया जाता है | राज्य सरकार ने राज्य में अभी तक खरीफ फसल की बुवाई तथा लक्ष्य का डेटा जारी किया है , जो इस प्रकार है :-

क्र.सं.
फसल
खरीफ 2020 प्रस्तावित कार्यक्रम (लाख हेक्टेयर )
बोनी (लाख हेक्टेयर )

1.

धान

31.00

1.40

2.

मक्का

16.00

2.50

3.

अरहर

4.50

0.20

4.

उड़द

17.50

0.30

5.

मूंग

2.00

0.05

6.

अन्य दलहन

0.10

0.02

7.

सोयबीन

60.00

10.50

8.

मूंगफली

2.50

0.13

9.

तिल/रामतिल

4.50

10.

कपास

6.50

4.50

 

योग

144.50

19.7 (14%)

किसानों खाद बीज समबन्धित समस्या होने पर इस नम्बर पर करें कॉल

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि किसानों को किसी भी प्रकार की कृषि आदान संबंधित परेशानी होने पर वे कंट्रोल रूम 181 पर सूचित करें | उनकी समस्या तुरंत निदान किया जायेगा |

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धान के स्थान पर वैकल्पिक खेती करने पर सरकार दे रही है 7,000 रुपये प्रति एकड़, यहाँ करें आवेदन

धान की वैकल्पिक खेती हेतु मेरा पानी मेरी विरासत योजना

वर्ष में एक से ज्यादा तथा अधिक पानी वाली फसल कि खेती करने पर भूमिगत पानी का अत्यधिक दोहन होने से लगातार पानी का जल स्तर नीचे जा रहा है | जहाँ पहले 20 से 25 फीट पर पानी मिल जाता था वहां अब यह जल स्तर 40 फीट से भी नीचे जा चुका है | इसको रोकने के लिए देश भर में केंद्र सरकार के द्वारा सूक्ष्म सिंचाई पर जोर दिया जा रहा है | इसके साथ ही खरीफ मौसम में धान तथा गन्ने कि फसल के स्थान पर अन्य फसल लगाने का सुझाव भी दिया जा रहा है | सरकार द्वारा इसके लिए किसानों को प्रोत्साहन भी दिया जा रहा है |

हरियाणा सरकार ने प्रदेश में “मेरा पानी मेरा विरासत” नाम की योजना का शुरुआत की है जो धान कि खेती के स्थान पर दुसरे खरीफ फसल बोने पर प्रोत्साहन राशि दे रही है | राज्य सरकार ने धान की खेती को सिमित करने के लिए तथा आने वाली विरासत के लिए पानी रह सके इसलिए यह योजना कि शुरुआत की है | किसान समाधान इस योजना का विस्तृत जानकारी लेकर आया है |

मेरा पानी मेरी विरासत योजना के तहत दिया जाने वाला लाभ

  • योजना के तहत जिस किसान ने अपनी कुल जमीन के 50 प्रतिशत या उससे अधिक क्षेत्र पर धान के बजाय मक्का / कपास / बाजरा / दलहन / सब्जियां इत्यादि फसल उगाई है तो उसको 7,000 /- रूपये प्रति एकड़ की दर से राशि प्रदान की जाएगी | परंतु यह राशि उन्ही किसानों को ही दी जायेगी जिन्होंने गतवर्ष (खरीफ 2019–20) के धान के क्षेत्र में से 50 प्रतिशत या उससे अधिक क्षेत्र में फसल विविधिकरण अपनाया है |
  • उपरोक्त राशि 7,000 /- रूपये प्रति एकड़ के अतिरिक्त जिन किसानों ने धान के बजाय फलदार पौधों तथा सब्जियों की खेती से फसल विविधिकरण अपनाया है उनको बागवानी विभाग द्वारा चालित परियोजनाओं के प्रावधान के अनुसार अनुदान राशि अलग से दी जायेगी |
  • इसके अलवा राज्य सरकार ने 40 मीटर तथा 35 मीटर के दो अलग–अलग जों में फसल तथा शर्ते लागु किया है जी इस प्रकार है |

40 फीट नीचे जलस्तर वाले क्षेत्रों में धान की वैकल्पिक खेती करने पर लाभ 

  • इस योजना के तहत 8 खण्डो (रतिया, सिवान, गुहला, पिपली, शाहबाद, वबैना, इस्माईलाबाद, सिरसा) के वे गाँव जिनका भूजल स्तर 40 मीटर व अधिक है, वहाँ के किसानों को वैकल्पिक फसलों (मक्का / कपास/बाजरा/दलहन/सब्जियों व फल) की खेती कम से कम 50 प्रतिशत धान के क्षेत्र में विविधिकरण करने की सलाह दी जाती है |
  • इन खंडों के किसान प्रति एकड़ वित्तीय लाभ प्राप्त करने के पात्र होंगे जो अपने पिछले खरीफ सीजन (2019 – 20) के धान के क्षेत्र का 50 प्रतिशत व अधिक विविधिकरण करेंगे |
  • विभाग द्वारा वैकल्पिक फसलें जैसे मक्का, बाजार व कपास का फसल बीमा भी सरकारी खर्च पर किया जायेगा |
  • लक्षित 8 ब्लाक में बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र (47595 हेक्टेयर) जहाँ पर विविधिकरण के अंतर्गत वैकल्पिक फसल लगाना संभव नहीं हे एसे किसान संबंधित कृषि अधिकारी को बासमती किस्म, सीधी बिजाई (डी.एस.आर.) द्वारा धान लगाना व साधारण धन की बिजाई करने के लिए आवेदन कर सकेंगे |
  • वे सभी किसान जो 50 एच.पी. इलेक्ट्रिक मोटर के साथ अपने ट्यूबवेल का संचालन कर रहे हैं , उन्हें एसे क्षेत्रों में धान न उगाने की सलाह दी जाती है |
  • मशीनीकरण को बढ़ावा देने के लिए न्यूमैटिक मक्का बिजाई मशीन सरकारी खर्च पर उपलब्ध करवाएगा तथा सामान्य मक्का बिजाई करने वाली मशीनों पर 40 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान भी होगा |

35 फीट नीचे जलस्तर वाले क्षेत्र में धान की वैकल्पिक खेती करने पर लाभ

  • चयनित 12 खंडों (रतिया, फतेहाबाद, जाखल, सिवान, गुहला, पिपली, शाहाबाद, बबैन, इस्माईलाबाद, थानेसर, फेवा, सिरसा) के वे गाँव जिनका भूजल स्तर 35 मीटर व अधिक है, वहां की ग्राम पंचायतों को उनके अधीन कृषि पर भूमि धान लगाने की अनुमति नहीं होगी | धान के स्तान पर अन्य वैकल्पिक फसलों के विविधिकरण के बदले वित्तीय सहायता संबंधित ग्राम पंचायतों को दी जाएगी |
  • इस योजना के अंतर्गत सभी वैकल्पिक फसलों जैसे मक्का / बाजरा / दलहन की खरीदी हरियाणा सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर ही की जायेगी | एसा हरियाणा में पहली बार किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाएगा |
  • योजना के अन्तर्गत 40 मीटर व अधिक भूजल स्तर वाले 8 चयनित ब्लाकों के वे गाँव जिनका भूजल स्तर 40 मीटर व अधिक है, वैकल्पिक फसलों द्वारा विविधिकरण करने पर टपका सिंचाई प्रणाली की स्थापना के लिए 85 प्रतिशत से अधिक अनुदान प्रदान किया जायेगा | किसानों को केवल जी.एस.टी. देना होगा |
  • इस विविधिकरण योजना के अंतर्गत किसानों की सुविधा के लिए विभाग द्वारा वेब पोर्टल भी लांच किया गया है जिसमें किसान स्वयं, सी.एस.सी.व कृषि विभाग के माध्यम से पंजीकरण करवा सकते हैं |
  • किसानों द्वारा उत्पादित मक्का की नमी को कम करने के लिए संबंधित अनाज मंडियों में सरकार द्वारा मक्का ड्रायर भी उपलब्ध करवाए जायेंगे |
  • फसल विविधिकरण को बढ़ावा देने तथा तकनीकी जानकारी हेतु प्रत्येक ब्लाक में कृषि विभाग एवं कृषि विज्ञानं केन्द्रों द्वारा प्रदर्शन प्लाट लगाये जाएंगे |

योजना के लिए संबंधित दस्तावेज जरुरी है

  • आधार कार्ड, बैंक पास बुक
  • मोबाईल नंबर
  • भूमि का विवरण (एकड़ / कनाल / मरला)
  • धान के विकल्प पर बोये जाने वाले दुसरे फसल कि जानकारी होना चाहिए |

योजना का लाभ लेने के लिए यहाँ करें आवेदन

मेरा पानी मेरा विरासत योजना के लिए आवेदन जारी है | इसके लिए किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | किसान को योजना के लिए आधार नंबर जरुरी है | आधार नंबर से ही योजना का फार्म खुलेगा |

मेरा पानी मेरी विरासत योजना की पूरी जानकारी के क्लिक करें

पंजीकरण का लिंक

http://117.240.196.237/FarmerRegistration.aspx

बाढ़ क्षेत्र प्रभावित के लिए

http://117.240.196.237/alternateCropRegistration.aspx

अधिक जानकारी के लिए इस नंबर पर कॉल करें

इस योजना से जुड़े किसी भी जानकारी के लिए टोल फ्री 18001802117 नंबर पर फोन करें |

टेलीफोन नंबर 0172 – 2571553, 2571544

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एक मुश्त समाधान योजना के तहत कृषि ऋण जमा करने की अवधि को 31 जुलाई तक बढाया गया

एक मुश्त समाधान योजना

खेती-किसानी के कार्यों के लिए किसानों को ऋण की आवश्यकता होती है, किसान इन कार्यों के लिए अल्पकालीन कृषि ऋण लेते हैं | सरकार द्वारा किसानों को कम ब्याज दरों पर ऋण उपलब्ध करवाने के लिए कई योजनायें भी चलाई जा रही है | किसान इन योजनाओं के तहत ऋण लेकर अपने कृषि कार्यों की आवश्यकता को पूरा करते हैं | कई बार प्राकृतिक आपदा के चलते या अन्य किसी कारणों के चलते कृषि ऋण नहीं चूका पाते हैं और ब्याज बढ़कर बहुत अधिक हो जाता है और वह इसे चूका नहीं पाते | उत्तरप्रदेश सरकार द्वारा ऐसे किसानों के लिए जो किन्हीं कारणों से ब्याज में छूट देने के लिए एक मुश्त समाधान योजना चलाई जा रही है | योजना के तहत किसानों को 35 प्रतिशत से लेकर शत-प्रतिशत तक ब्याज में छूट प्रदान की जा रही है |

क्या है एक मुश्त समाधान योजना

उत्तरप्रदेश के ऐसे किसान जिन्होंने उत्तरप्रदेश सहकारी ग्राम विकास बैंक से ऋण लिया है और कोरोना की वैश्विक महामारी के कारण लॉक डाउन के परिणाम स्वरुप आर्थिक परेशानी के चलते हुए बैंक के बकायेदार ऋणी सदस्यों को राहत देने के उद्देश्य से मार्च 2020 तक लागू रही एकमुश्त समाधान योजना 31 जुलाई, 2020 तक बढ़ा दिया गया है |

योजना के तहत ऐसे ऋणी किसान, जिन्होंने 31 मार्च 2012 के पहले ऋण लिया हो एवं जिनकी समस्त किश्तें 30 जून 2017 को बकाया हो चुकी हो, इस योजना का लाभ उठाकर एक मुश्त धनराशि जमा करते हुए अपना बकाय समाप्त कर ऋण खाता बंद करवा सकते हैं | योजना के समबन्ध में किसी भी प्रकार की शंका या शाखा स्तर से कोई समस्या होने की स्थिति में सहकारी ग्राम विकास बैंक लखनऊ से समपर्क कर समस्या का समाधान सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक ले सकते हैं |

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किसान 30 जून तक बेच सकेंगे समर्थन मूल्य पर चना, मसूर एवं सरसों की उपज

समर्थन मूल्य पर चना, मसूर एवं सरसों की उपज

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस वर्ष रबी फसलों की खरीदी देरी से शुरू हुई थी, साथ ही संक्रमण रोकने के लिए कम संख्या में किसानों को खरीदी केन्द्रों पर बुलाये जाने के कारण अभी तक फसल खरीद का कार्य पूरा नहीं हो पाया है | वहीँ मानसूनी बारिश शुरू हो गई है एवं किसानों ने खरीफ फसलों की बुआई का काम भी शुरू कर दिया है | मध्यप्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने निर्देशित किया है कि चने के उपार्जन में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जाये। उन्होंने कहा कि चना, मसूर, सरसों का उपार्जन 30 जून तक होना है।

किसानों को भेजे जाएगें एसएमएस (SMS)

मंत्री श्री पटेल ने कहा है कि ऐसे किसान, जो एसएमएस मिलने के बाद भी चना मण्डी तक नहीं ले जा पाये हैं, उन्हें विभाग द्वारा पुन: एसएमएस भेजे जायेंगे। वे अपनी उपज समर्थन मूल्य पर मण्डी में विक्रय कर सकेंगे। उन्होंने कहा है कि चना, मसूर, सरसों का उपार्जन आगामी 30 जून तक किया जायेगा, किसानों की उपज का एक-एक दाना खरीदा जायेगा।

शेड में किया जाएगा खरीदी कार्य

चना, मसूर एवं सरसों के उपार्जन के लिए निर्देश दिए गए हैं की खरीदी का कार्य मण्डी शेड में ही किया जाना सुनिश्चित किया जाये | चना, मसूर, सरसों की खरीदी की तिथि भारत सरकार की समर्थन मूल्य नीति के अनुसार 29 जुलाई तक होना संभावित है। इसे दृष्टिगत रखते हुए खरीफ फसलों की खरीदी जारी रखी जाए |

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15 लाख से अधिक किसानों के बैंक खातों में दिया गया असमय बारिश एवं ओलावृष्टि से हुई फसल नुकसानी का मुआवजा

असमय बारिश एवं ओलावृष्टि का मुआवजा

बेमौसम बारिश तथा आंधी और ओलावृष्टि के कारण किसानों को रबी फसलों को काफी नुकसान हुआ था | उत्तर भारत के कई राज्य इस आपदा से प्रभावित रहें हैं | जिन राज्यों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागु है वहाँ के किसानों को बीमा राशि किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है | कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहाँ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागु नहीं है | यहाँ पर राज्य सरकार ने किसानों को सहायता राशि प्रदान की गई है | इस तरह बिहार राज्य में फरवरी, मार्च तथा अप्रैल के माह में रबी फसल को काफी नुकसान हुआ था, राज्य सरकार के द्वारा इस नुकसान की भरपाई के लिए आवेदन मांगे थे |  

बिहार सरकार ने कृषि इनपुट योजना के तहत नुकसान हुए जिलों के किसानों से आवेदन मांगे थे | जिसके आधार पर किसानों को मुआवजा राशि दी जानी हैं | इसके लिए आवेदन फरवरी, मार्च तथा अप्रैल माह में किया जा रहा था | इसको लेकर सरकार ने बताया है कि राज्य में कुल 5,11,31,70,660 रूपये 15,93,320 किसानों के खातों में स्थान्तरित किए गये हैं | किसान समाधान इस योजना से बिहार के किसानों को दिये गये लाभ कि जानकारी लेकर आया है |

इन किसानों को दिया गया फसल नुकसानी का मुआवजा

इस वर्ष फरवरी, मार्च एवं अप्रैल माह में हुई असामयिक वर्षा/ आंधी / ओलावृष्टि के कारण क्षति की भरपाई हेतु अभी तक 15,93,320 किसानों के बैंक खाते में कृषि इनपुट अनुदान के रूप में 5,11,31,70,660 रूपये अंतरित कर दी गई है, जिनमें फरवरी माह में हुई फसल क्षति के लिए 10,95,122 किसानों के खातों में 3,77,97,31,084 रूपये तथा अप्रैल माह में हुई फसल क्षति के लिए 3,03,386 किसानों के खाते में 76,68,79,881 रूपये शामिल है |

इसके अलावा इस वर्ष अप्रैल माह में रबी मौसम असामयिक वर्षापात/ओलावृष्टि के कारण कृषि एवं बागवानी फसल अर्थात आम, लीची, फुल, सब्जी, पान आदि की खेती को हुए क्षति की भरपाई हेतु कृषि इनपुट अनुदान के लिए किसानों ने आवेदन किया है | इसकी जाँच चल रही है तथा जल्द ही कृषि इनपुट अनुदान दिया जायेगा |

कृषि इनपुट योजना के तहत शामिल जिले

कृषि इनपुट योजना के लिए फरवरी, मार्च तथा अप्रैल माह में आवेदन किया गया था | तीनों माह में जिलों की संख्या अलग–अलग थी |

फरवरी माह में इन 11 जिलों को किया गया था शामिल

भागलपुर, जहानाबाद, कैमूर, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, वैशाली, बक्सर, गया, मुजफ्फरपुर, पटना तथा औरंगाबाद, जिलों को शामिल किया गया था |

मार्च माह में 23 जिलों को शाकिया गया था शामिल

पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, भभुआ, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चम्पारण, दरभंगा, समस्तीपुर, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, भागलपुर, बाँका, मधेपुरा तथा किशनगंज के 196 प्रखंडों को शमिल किया गया था |

अप्रैल माह में 19 जिलों को कृषि इनपुट के लिए शामिल किया गया था

गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, समस्तीपुर, बेगुसराय, लखीसराय, खगड़िया, भागलपुर, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, किशनगंज तथा अररिया के प्रतिवेदित 148 प्रखंडों में खाद्यान के साथ – साथ बागवानी फसलों को क्षति हुई थी |

योजना के तहत दिया गया मुआवजा

प्रभावित जिलों के किसानों को कृषि इनपुट अनुदान वर्षाश्रित यानी असिंचित फसल क्षेत्र के लिए 6,800 रूपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित क्षेत्र के लिए किसानों को 13,500 रूपये प्रति हेक्टेयर तथा शाश्वत फसल के लिए 18,000 रूपये हेक्टेयर की दर से यह अनुदान दिया जा रहा है | सरकार द्वारा प्रभावित किसानों को इस योजना के अंतर्गत फसल क्षेत्र के लिए कम से कम 1,000 रूपये अनुदान दिया जायेगा | यह पैसा किसान के आधार नंबर से जुड़े बैंक खाता में दिया गया है |

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पशुओं एवं फसलों की सुरक्षा के लिए 19 जून से शुरू की जाएगी रोका-छेका योजना

फसलों और पशुओं की सुरक्षा के लिए रोका-छेका योजना

देश बढती पशुओं की संख्या एवं कम होते चारागाह के कारण पशुपालक अपने पशुओं को खुले में छोड़ देते हैं | इतना ही नहीं कम दूध देने वाले पशुओं को पालने में खर्चा अधिक होने के कारण भी पशु मालिक अपने पशुओं को छोड़ देते हैं और इन आवारा पशुओं से फसलों को काफी नुकसान होता है  | किसानों की बहुत लम्बे समय से इस समस्या के समाधान की मांग किसानों द्वारा की जा रही थी | इस योजना के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश में फसलों और पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए 19 जून से रोका-छेका संकल्प अभियान की शुरूआत की जा रही है। यह अभियान 30 जून तक चलेगा।

क्या है रोका-छेका योजना

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गांवों में खरीफ फसलों की मवेशियों से सुरक्षा के उद्देश्य से खुले में चराई की रोकथाम के लिए रोका-छेका योजना शुरू की गई है | रोका-छेका छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है। इसके जरिए फसलों की सुरक्षा के लिए ग्रामीण इस बात का संकल्प लेते है कि खरीफ फसल के दौरान अपने मवेशियों को बाड़े और गौठान में ही रखेंगे। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रदेश सरकार द्वारा फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने के साथ ही दलहनी – तिलहनी फसलों की खेती सब्जी, फलोत्पादन एवं रबी की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बारहमासी खेती को बढ़ावा देने और फसलों की सुरक्षा के लिए पशुओं की खुले में चराई को रोकना जरूरी है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर रोका-छेका की प्राचीन परंपरा को वर्तमान परिवेश में ग्रामीणों के सहयोग से और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की पहल शासन द्वारा शुरू की गई है।

रोका-छेका योजना के लिए ग्रामों में व्यवस्था

छत्तीगसढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी कार्यक्रम संचालित है। गांवों में पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सामूहिक गौठान बने है। गौठानों के बन जाने से गांवों में पशुओं की देख-रेख एवं उनके चारे-पानी का प्रबंध बेहतर ढंग से होने लगा है। रोका-छेका की उपयोगिता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अब सामूहिक गौठान के रूप में विकल्प ग्रामीणों के पास उपलब्ध हैं, जहां मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा है। जिले में गौठान न केवल पशुधन संवर्धन के केंद्र के रूप में उभरे हैं अपितु आजीविका मूलक गतिविधियों के सृजन के लिए भी माध्यम बने हैं।

बनाये जाएंगे किसान क्रेडिट कार्ड

गांवों में रोका-छेका के आयोजन के दौरान स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री का वितरण किया जाएगा। गौठानों में पशुचिकित्सा तथा पशुस्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा। पशुपालन एवं मछलीपालन हेतु किसान क्रेडिट कार्ड बनाने शिविर का आयोजन किया जाएगा। कृषि, पशुपालन, मछलीपालन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। गौठानों में पैरा संग्रहण एवं भंडारण का अभियान भी शुरू होगा।

रोका-छेका योजना के लिए नगरीय निकायों में व्यवस्था

नगरीय क्षेत्रों को आवारा पशु से मुक्त, साफ-सुथरा एवं दुर्घटना मुक्त रखने के लिए 19 जून से 30 जून तक प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में भी ‘‘रोका-छेका-संकल्प अभियान’’ चलाया जाएगा। साथ ही 19 जून को पशुपालकों से अपने आसपास के वातावरण तथा शहर को स्वच्छ, साफ-सुथरा तथा दुर्घटनामुक्त रखने के लिए संकल्प पत्र भरवाया जाएगा, जिसके लिए नगरीय निकायों में मुनादी के द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

पहले से निर्मित नगरीय निकायों में निर्मित गोठान और गोठानों की क्षमता का आंकलन किया जायेगा और इसमें आवश्यक संधारण कार्य कराकर चारे की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित किया जायेगा | निकाय के अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि कोई भी मवेशी निकाय की सड़कों, सार्वजनिक स्थलों पर आवारा घूमते हुए नहीं पाया जाए। आवारा घूमते हुए पशुओं को काउ कैचर द्वारा गौठान भेजने की प्रभावी व्यवस्था की जाएगी। पालतू पशुओं को नियमानुसार शुल्क, जुर्माना का भुगतान करने के बाद ही मुक्त कर संबंधित पशुपालक को सौंपा जाएगा। यदि कोई मवेशी 30 जून के बाद निकाय क्षेत्र में अनियंत्रित खुले में घूमता हुआ पाया जाता है तो उसके लिए संबंधित नगरीय निकाय के आयुक्त, मुख्य नगरपालिका अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

पशु मालिको पर की जाएगी कार्यवाही

नगरीय निकायों द्वारा प्रत्येक वार्ड में वार्ड प्रभारी की नियुक्ति की जाएगी | उनके द्वारा 18 जून तक वार्ड का सर्वेक्षण कर, वार्ड में निवासरत पशुपालकों के नाम और पालतू पशुओं की जानकारी एकत्र की जाएगी । इसके बाद 19 जून को वार्ड के सर्वेक्षित पशुपालकों से निर्धारित संकल्प पत्र हस्ताक्षर सहित प्राप्त किया जाएगा । पशुओं से संबंधित रिकार्ड और हस्ताक्षरित संकल्प पत्र, वार्ड कार्यालय और नगरीय निकाय कार्यालय के रिकार्ड में रखे जाएगें। पशुपालन के लिए समुचित व्यवस्था रखने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा ।

निकायों में स्थित कांजी हाउस, गोठान की जानकारी से समस्त नागरिकों को अवगत कराया जायेगा। साथ ही घूमते पाए जाने वाले आवारा पशुओं के लिए निकाय द्वारा निर्धारित दण्ड के बारे में भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा । पशुपालन से उत्सर्जित पदार्थों से उपयोगी सामग्री यथा-खाद इत्यादि बनाये जाने के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहित किया जायेगा और पशुपालन स्थल पर खाद निर्माण के लिए स्थल कमी की स्थिति में निकायों में स्थित कम्पोस्ट शेड की जानकारी से अवगत किया जायेगा |

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पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट एवं रेनगन सब्सिडी पर लेने के लिए अभी आवेदन करें

पंप सेट, पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट एवं रेनगन अनुदान हेतु आवेदन

खरीफ फसलों की बुआई का समय शुरू हो गया है | खरीफ फसलें सामान्यतः मानसूनी बारिश के ऊपर निर्भर करती है परन्तु कई बार बारिश सही समय पर न होना या कम बारिश के चलते किसानों को फसलों का काफी नुकसान उठाना पड़ता है ऐसे में जरुरी है की किसान सिंचाई की व्यवस्था रखें | किसानों को सिंचाई की समुचित व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए सरकार के द्वारा सिंचाई यंत्रों पर आर्थिक मदद दी जाती है | किसानों को सिंचाई के उपयुक्त साधन उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाओं का क्रियान्वन किया जा रहा है |

केंद्र सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई यंत्र अनुदान पर देने हेतु कई योजनाएं चल रही है | यह योजनायें लगभग देश के सभी राज्यों में लागू है | यह योजनाएं हैं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन तिलहन (ऑइल सीड्स एंड ऑइल पाम) योजना आदि के तहत अलग अलग वर्ग के किसानों को अलग अलग सब्सिडी दी जाती है यह राज्य के अनुसार अलग-अलग होती है | मध्यप्रदेश राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन NFSM योजना अंतर्गत पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट एवं रेनगन सब्सिडी पर देने के लिए किसानों से आवेदन आमंत्रित किये गए हैं | किसान अपने वर्ग के अनुसार सब्सिडी योजना के तहत दी जाने वाले अनुदान की मात्रा सब्सिडी कैलकुलेटर पर देख सकते हैं |

किसान सिंचाई यंत्रों के लिए कब आवेदन कर सकेगें

मध्यप्रदेश राज्य के सभी वर्ग के किसान सिंचाई यंत्रों (पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट तथा रेनगन) के लक्ष्य दिनांक 17 जून 2020 दोपहर 12 बजे से 28 जून 2020 तक पोर्टल पर आवेदन हेतु उपलब्ध रहेंगे। जिसकी लॉटरी दिनांक 29 जून 2020 को सम्पादित की जायेगी, तत पश्चयात चयनित कृषकों की सूची एवं प्रतीक्षा सूची पोर्टल पर उपलब्ध हो जाएगी |

किसान किन सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं ?

  • पाइपलाइन,
  • स्प्रिंकलर सेट,
  • पंप सेट,
  • रेनगन

आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक सत्यापन की जगह ओ.टी.पी (OTP) से होगा पंजीकरण

इस वर्ष Covid -19 महामारी जनित परिस्थितियों के कारण पोर्टल पर अनुदान हेतु प्रक्रिया में परिवर्तन किया जा रहा है जिसके अंतर्गत आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक प्रक्रिया के स्थान पर कृषकों के मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किये जायेगें । कृषक कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकेंगे।  आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी  (OTP) प्राप्त होगा।  इस OTP के  माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे। पोर्टल अंतर्गत आगे सम्पादित होने वाली सभी प्रक्रियाओं में भी बायोमेट्रिक के स्थान पर OTP व्यवस्था लागू की गई है।

सिंचाई यंत्र आवेदन करते समय यह दस्तावेज साथ रखें

  • आधार कार्ड
  • बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ट की कापी
  • जाति प्रमाणपत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति कृषकों के लिए)
  • बिजली कनेक्शन का प्रमाणपत्र जैसे बील
  • मोबाइल नम्बर ओ.टी.पी (OTP) हेतु

सिंचाई यंत्रों पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट एवं रेनगन सब्सिडी हेतु आवेदन कैसे करें

किसान भाइयों को सिंचाई यंत्र अनुदान पर लेने के लिए ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं | जो किसान भाई एम.पी. ऑनलाइन या किसी इंटरनेट कैफ़े से कर सकते हैं | किसान https://dbt.mpdage.org/Agri_Index.aspx दी गई लिंक पर आवेदन कर सकते हैं | किसान सिंचाई यंत्र आवेदन करने के बाद चयन होने पर ही क्रय करें | अधिक जानकारी के लिए किसान जिला कृषि विभाग में भी संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं |

पंप सेट, पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट एवं रेनगन अनुदान पर लेने हेतु आवेदन करें 

ड्रिप और स्प्रिंकलर सब्सिडी पर इस तरह से लें

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