जानिए इस वर्ष कब तक केरल पहुंचेगा मानसून, मौसम विभाग ने जारी किया पूर्वानुमान

मानसून पूर्वानुमान

देश में किसानों के लिए मानसून अत्यंत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि खरीफ की पूरी फ्क़सल ही मानसून पर निर्भर करती है | देश में किसान मानसून के अनुसार ही खरीफ फसलों की तैयारी एवं बुआई मानसून के अनुसार ही पूरी करते हैं ऐसे में सही समय पर मानसून का आना किसानों के लिए एक अच्छी खबर है | भारतीत मौसम विज्ञान विभाग ने मानसून के लिए पूर्वानुमान जारी किया है जिसके अनुसार इस वर्ष केरल राज्य के ऊपर मॉनसून का आरंभ 5 जून को होने का अनुमान है जिसमें 4 दिन कम/अधिक हो सकते हैं ।

देश में मानसून आने का सही समय

वैसे सामन्यतः देश में केरल के रस्ते प्रवेश करने वाला मानसून 1 जून तक आ जाता है परन्तु इस वर्ष इस वर्ष केरल के ऊपर मॉनसून का आरंभ होने में 1 जून की आरंभ होने की सामान्य तिथि की तुलना में थोड़ी देर हो सकती है। इस वर्ष केरल के ऊपर मॉनसून का आरंभ 5 जून को होने का अनुमान है जिसमें 4 दिन कम/अधिक हो सकते हैं। भारत की मुख्य भूमि के ऊपर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का आगे बढ़ना केरल के ऊपर मॉनसूनके आरंभ से चिन्हित होता है और यह एक गर्म और शुष्क मौसम से वर्षा के मौसम में रूपांतरण को निरुपित करने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत है। जैसे जैसे मॉनसून उत्तर दिशा में आगे की ओर बढ़ता है, इन क्षेत्रों को चिलचिलाती गर्मी के तापमान से राहत मिलने लगती है। 1 जून को केरल के ऊपर दक्षिण-पश्चिम मॉनसून का आरंभ होता है जिसमें मानक विचलन लगभग 7 दिनों का होता है।

इस वर्ष सामान्य रहेगा मानसून

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) द्वारा जो वर्ष 2020 के लिए मानसून का पहला पूर्वानुमान पहले जारी किया गया है उसके अनुसार देश में जून से सितम्बर के बीच मानसून सामान्य रहने की उम्मीद है | इस समय देश में 96 से 104 प्रतिशत तक वर्षा रहने की संभावना है | जारी किये गये अनुमानों के अनुसार मात्रात्मक रूप से 5 प्रतिशत ज्यादा या कम रहने की संभावना है | अगर दीर्घकालीन अवधि की बात किया जाये तो देश भर में 100 प्रतिशत वर्षा रहने की उम्मीद है |

पिछले वर्षों में मौसम विभाग द्वारा मानसून आने का पूर्वानुमान

वैसे तो हर वर्ष मौसम विभाग के द्वारा मानसून आने का पूर्वानुमान जारी किया जाता है जो लगभग सटीक रहता है | पिछले 15 वर्षों (2005-2019) के दौरान केरल के ऊपर मॉनसून के आरंभ होने की तिथि का आईएमडी का प्रचालनगतपू र्वानुमान 2015 को छोड़कर सही साबित होता रहा है। पिछले पांच वर्षों (2015-2019) के लिए पूर्वानुमान सत्यापन नीचे की सारिणी में दिया गया है:

वर्ष
वास्तविक आरंभ तिथि
पूर्वानुमान आरंभ तिथि

2015

5 जून

30 मई

2016

8 जून 

7 जून

2017

30 मई 

30 मई

2018

9 मई 

29 मई

2019

8 जून 

6 जून

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किसान खुद इस तरह चेक करें यूरिया एवं डी.ए.पी खाद में कोई मिलावट तो नहीं है

यूरिया एवं डी.ए.पी खाद की शुद्धता जांच

किसानों को सभी फसलों में अच्छी उत्पादकता के खाद उर्वरक का प्रयोग करना ही पड़ता है | इन खादों में किसान सबसे अधिक यूरिया एवं डी.ए.पी का प्रयोग करते हैं | समय-समय पर किसानों को उर्वरक की कमी होने पर कई बार दुकानदारों के द्वारा मिलावटी खाद दे दिया जाता है जिससे फसलों के साथ साथ किसानों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है साथ पैदावार में भी काफी कमी आती है | किसानों के द्वारा अक्सर यह शिकायत की जाती है की उन्होंने ने जो खाद खरीदी है उसमें मिलावट है | राज्य सरकारों के द्वारा भी हर वर्ष कई खाद, बीज, एवं उर्वरक प्रतिष्ठानों पर छापा मारी की जाती है जहाँ से काफी मात्रा में मिलावटी उर्वरक प्राप्त होता हैं |

रसायनिक उर्वरक यूरिया में साधारण नमक, प्यरेट ऑफ पोटाश, एसएसपी, रॉक फास्फेट, चिकनी मिट्टी आदि की मिलावट का अंदेशा रहता है। इसी तरह डीएपी में क्ले मिट्टी जिप्सम की गोलियां, एसएसपी, एमओपी उर्वरकों में बालू एवं साधारण नमक, उर्वरक एनपीके में एसएसपी, रॉक फॉस्फेट, एनपीके मिश्रण, जिंक सल्फेट में मैगनिश्यिम सल्फेट तथा कॉपर सल्फेट एवं फेरस सल्फेट उर्वरक में बालू व साधारण नमक की मिलावट की जाती है |

किसान इस विधि से कर सकते हैं मिलावटी यूरिया एवं डी.ए.पी. की जांच

मिलावटी यूरिया एवं डी.ए.पी. की जांच किसान कृषकगण सीएफसीएल द्वारा विकसित विधि से स्वयं कर सकते है। भारत सरकार के सेन्ट्रल फॅर्टिलाईजर क्वालिटी कन्ट्रोल एण्ड टेस्टिंग इंस्टीट्यूट फरीदाबाद द्वारा रसायनिक उर्वरकों में मिलावट की जांच के लिए बहुत ही आसान तरीका बताया गया है। जिसके जरिए कृषक रसायिनक उर्वरकों की गुणवत्ता की जांच त्वरित रूप से कर सकते हैं।

मिलावटी यूरिया की जांच

शुद्ध यूरिया चमकदार, लगभग समान आकार के दाने वाला, पानी में पूर्णतः घुलनशील होता है। शुद्ध यूरिया को पानी घोलकर छूने पर ठंडेपन का एहसास होता है। गर्म तवे पर रखने पर शुद्ध यूरिया पूरी तरह पिघल जाता है और ऑच तेज करने पर कोई अवशेष नहीं बचता। इसकी शुद्धता के परीक्षण का सबसे आसान तरीका यह है कि थोड़ा सा पानी हथेली पर ले, दो मिनट बाद जब हथेली और पानी का तापमान एक समान हो जाए तो उसमें 10-15 दाने यूरिया के डाले। शुद्ध यूरिया पानी में पूरी तरह घुलकर हथेली को ठण्डक प्रदान करेगा। यदि ठण्डक महसूस न हो तो यूरिया मिलावटी है।

यूरिया के परीक्षण का दूसरा तरीका यह है कि एक चम्मच यूरिया घोल में आधा मिलीलीटर बेरियम क्लोराईड मिलाने पर शुद्ध यूरिया का घोल स्वच्छ होगा। यदि सफेद अवक्षेप मिलता है तो यूरिया मिलावटी है।

मिलावटी डी.ए.पी. की जांच

शुद्ध डी.ए.पी. के दानों का आकार एकदम गोल नहीं होता, डी.ए.पी. के दानों को गर्म करने या जलाने पर दाने खुलकर साबुनदाने की भांति लगभग दोगुने आकार के हो जाए तो वह शुद्ध होगा। डी.ए.पी. के दानों को लेकर फर्श पर रखें फिर जूते से ताकत से रगड़े शुद्ध डी.ए.पी. के दाने आसानी से नहीं फूटेंगे। यदि दाने आसानी से टूट जाए तो डी.ए.पी. में मिलावट है। डी.ए.पी. में नाइट्रोजन की जांच के लिए एक ग्राम पीसे हुए डी.ए.पी. चूर्ण में चूना मिलाकर सूंघने पर अमोनिया की गंध आए तो उसमें नाइट्रोजन विद्यमान है। यदि अमोनिया की गंध महसूस न हो तो डी.ए.पी. मिलावटी है।

मिलावटी सिंगल सुपर फास्फेट एवं जिंक सल्फेट की जांच

सिंगल सुपर फास्फेट के शुद्धता की जांच के लिए उसके एक दाने को हथेली पर रगड़ने से टूट जाए तो वह शुद्ध है। शुद्ध जिंक सल्फेट पानी में घुलनशील होता है, लेकिन इसका घोल यूरिया, पोटाश के घोल की तरह ठण्डा नहीं होता तो वह शुद्ध है। डी.ए.पी. के घोल में जिंक सल्फेट के घोल को मिलाने पर थक्केदार घना अवक्षेप बन जाता है।

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समर्थन मूल्य पर की जा रही है वनोपज की खरीद

वनोपज खरीद

वनोपज पर आधारित किसान तथा आदिवासी समाज के लिए वन एक वरदान है | वन में पाये जाने वाले पेड़ पौधों से विभिन्न प्रकार के वन आधारित औषधिय फल तथा फुल संग्रह किये जाते हैं | वर्ष में एक बार पेड़ तथा पौधों में लगने वाले फुल तथा फल का आदिवासी को वर्ष भर इंतजार रहता है | इसके संग्रह के लिए राज्य सरकार एक माह तथा उससे ज्यादा दिन के लिए वन में जाने के लिए लाईसेंस देते है और राज्य सरकार द्वारा कुछ वनोपज समर्थन मूल्य पर खरीदी जाती है, जिससे उनका वर्ष भर के लिए जीवका साधन बनता है |

समर्थन मूल्य पर की जा रही है वनोपज की खरीद

इस वर्ष वन क्षेत्र के फल फुल संग्रह करने के लिए 15 अप्रैल से मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों के वन आधारित आजीवका चलाने वाले लोगों को छुट दी थी | इसके साथ ही राज्य सरकार ने सभी वन संग्रह का न्यूनतम समर्थन मूल्य भी तय किया था जो पिछले वर्ष से ज्यादा है | लगभग एक माह के बाद राज्य में महुआ की खरीदी सबसे ज्यादा हुआ है |

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बताया की गत 15 अप्रैल को वनोपज मूल्यों में कि गई वृद्धि को लेकर संग्राहक उत्साहित हैं | अप्रैल के अंतिम सप्ताह से महुआ फुल संग्रहण शुरू हुआ है | राज्य लघु वनोपज संघ द्वारा अब तक प्रदेश में 1380 क्विंटल फुल न्यूनतम समर्थन मूल्य पर क्रय किया जा चूका है |

वनोपज में सबसे ज्यादा महुआ का संग्रह किया जाता है | मध्यप्रदेश में लगभग 75 हजार परिवार महुआ संग्रहण का कार्य करते हैं | इसके अलावा भी वन से चिरोजी, कुसुम लार, पलाश लाख, हर्रा, बहेड़ा, बेल्पोड़ा, चकोड़ा, शहद, करंज, साल, निबोली, नागरमौथा का भी उपार्जण किया जाता है | अलग जिलों में अलग प्रकार का औषधिय पौधों से फल तथा फुल का संग्रह किया जाता है |

जानिए क्या है  इस वर्ष वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य

राज्य सरकार ने इन सभी वनोपज का न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोतरी की है | जिससे इसकी उपार्जन करने वाले को ज्यादा फायदा हुआ है | मध्य प्रदेश राज्य सरकार ने महुआ की मूल्य में 30 से रूपये बढ़कर 35 रूपये किया है | इसके साथ ही चिरोंजी का उपार्जन 109 से बढ़कर 130 , कुसुम लार 203 से 230 रूपये , पलाश लाख 130 से 150 रूपये , हर्रा 15 से 20 रूपये, बहेड़ा 17 से बढ़ाकर 25 रूपये, बेलपोड़ा 27 से बढ़कर 30 रूपये, चकोड़ा १४ से 20 रूपये, शहद 19५ से 225 रूपये, करंज 35 से 40 रूपये, साल बीज 20 से 25 रूपये , निंबोली 23 से 30 रूपये ओर नागर मौथा 27 से 35 रूपये उपार्जन मूल्य पर क्रय किया जा रहा है |

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किसान सिर्फ SMS कर फ्री में ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र किराए पर ले सकतें हैं, 12,500 किसानों ने लिया योजना का लाभ

निःशुल्क ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र किराए पर

कोरोना वायरस के कारण  देश भर में उत्त्पन हालत के कारण लोगों का पलायन जारी हैं वहीं खेती किसानी में भी काफी परेशानी का सामना करना पड रहा है | लॉकडाउन  के कारण कृषि उपज को बेचने में काफी परेशानी हो रहा है या फिर बाजार मूल्य बहुत ही कम मूल्य किसान को प्राप्त हो रहा है | वहीं अप्रैल तथा मई माह में जायद फसल कि बुआई भी जोरों पर जारी हैं , लेकिन लॉक डाउन के कारण किसान को खेती के लिए कृषि यंत्र समय पर उपलब्ध नहीं हो पा रहा है | हालांकि बाद में खेती-किसानी के कार्यों के लिए किसानों को छूट दे दी गई थी, फिर भी किसानों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है | मई के बाद वर्ष 2020 के खरीफ फसल का सीजन शुरू हो जायेगा, खरीफ फसल कि खेती जायद फसल से ज्यादा होने के कारण किसान को ओर मुश्किलों का सामना करना पड सकता है |

इसी समस्या से किसान को निजात दिलाने के लिए राजस्थान सरकार ने नि:शुल्क  ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र कि सुविधा देने की योजना चला रही है | इस योजना के तहत राजस्थान के किसान अपने खेत को नि:शुल्क जुताई के साथ अन्य कार्य भी आकर सकते हैं | योजना के अंतर्गत अभी तक राज्य में 12 हजार 500 किसान लाभान्वित हुए हैं | इन सभी किसानों को एक माह से भी कम अवधि में 40 हजार घंटे से अधिक कि मुफ्त सेवा दी जा चुकी है |

राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने बताया कि जरुरतमंद पात्र किसानों कि ओर से मांग आने पर टैफे कम्पनी कि ओर से सेवा दी जा रही है | अप्रैल मध्य से अब तक 17 हजार पात्र किसानों के आर्डर स्वीकार किए गए हैं | इनमें से साढ़े बारह हजार किसानों को 40 हजार घंटों से अधिक कि सेवा मुहैया कराई जा चुकी है |

इन सभी जिलों के किसानों निःशुल्क  ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र किराये पर दिए गए

कृषि मंत्री ने बताया कि योजना से विभागीय अधिकारीयों कि सक्रियता एवं किसानों कि जागरूकता के चलते बहुतअच्छे परिणाम मिले हैं | इस मामले में शुरू से ही सीकर जिला सबसे आगे रहा है, जहाँ पर 2 हजार 344 किसानों ने 9 हजार से अधिक घंटों कि सेवा ली है | इसी प्रकार

  • अलवर में 1880 किसानों को 5796
  • जयपुर में 1162 किसानों को 3557
  • भरतपुर में 965 किसानों को 2390
  • अजमेर में 660 किसानों को 2161
  • बारां में 660 किसानों को 1638
  • झालावाड के 644 किसानों को 2620
  • झुंझुंनू के 62५ किसानों को 2051
  • जोधपुर के 617 किसानों को 1946
  • नागौर के 592 किसानों को 2243
  • टोंक के 535 किसानों के 1841
  • करौली के 498 किसानों के 1322 घंटे कि सेवा मुहैया कराई गी हैं |

योजना का लाभ किसान कब तक ले सकते हैं

15 अप्रैल से शुरू किया गया नि:शुल्क  ट्रैक्टर एवं कृषि यंत्र योजना 30 जून तक संचालित किया जायेगा | योजना उन राजस्थान के उन सभी किसनों के लिए हैं जो राज्य का निवासी हैं तथा जिनके पास 2 हेक्टेयर से अकम भूमि है | योजना के अनुसार  ट्रैक्टर के अलावा थ्रेसर तथा फसल कटाई के लिए अन्य कृषि यंत्र उपलब्ध कराया जायेगा |

ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्र किराये पर लेने के लिए यहाँ करें SMS

योजन का लाभ प्राप्त करने के लिए राज्य के लघु एवं सीमांत किसान जिनके पास 2 हेक्टेयर से कम भूमि है वे सभी टैफे कम्पनी के द्वारा संचालित एवं दिए हुए नंबर पर एसएमएस करें | एसएमएस करने के लिए 9282222885 नम्बर उपलब्ध कराया गया है | किसान पहले से जेफार्म सर्विसेज में पंजीकृत हैं और किराए पर ट्रैक्टर एवं अन्य उपकरण के लिए आर्डर करना चाहते हैं तो “ए” लिखकर संदेश भेजें , अगर पंजीकृत नहीं है तो “बी” संदेश भेजें |

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लॉकडाउन में किसान घर बैठे ऑनलाइन एप के माध्यम से 23 विषयों पर ले सकेगें प्रशिक्षण

किसानों के लिए ऑनलाइन प्रशिक्षण (Training)

कोरोना वायरस (कोविड – 19) लॉकडाउन के कारण देश भर में लोगों का पलायन जारी है | लॉक डाउन के चलते बहुत से लोगों को रोजगार से हाथ धोना पड़ा है जिसके कारण मजदूर वर्ग अब शहर से गाँव की और पलायन करने को मजबूर है | जैसे जैसे यह लोग ग्रामीण क्षेत्रों में वापस जाएगें वहां के लिए रोजगार उपलब्ध करवाना सरकार के लिए चुनौती पूर्ण कार्य रहेगा | अधिक से अधिक लोगों को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए कृषि आधारित प्रशिक्षण देने की जरूरत है |

इस बात को ध्यान में रखते हुए बिहार सरकार ने राज्य के किसान/बेरोजगार युवक तथा युवती को प्रशिक्षण देने जा रही है | कोरोना वायरस तथा उसके कारण देश भर में लॉकडाउन से लोगों का एक स्थान से दुसरे स्थान तक जाने पर रोक है इसके साथ ही प्रशिक्षण आदि के लिए लोगों को एक साथ एकत्रित होने पर भी रोक लगी हुई है | इसको देखते हुए बिहार कृषि विभाग ने ऑनलाइन प्रशिक्षण देने का फैसला किया है | यह प्रशिक्षण किसान घर पर बैठकर ही प्राप्त कर सकते हैं | इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में सरकार के द्वारा 23 विषयों को शामिल किया गया है | किसान समाधान इस ऑनलाइन प्रशिक्षण की पूरी जानकारी लेकर आया है | 

प्रशिक्षण किन विषयों पर दिया जाएगा ?

कृषि तथा कृषि से जुड़े रोजगार पर पहले से ही 23 विषयों पर किसानों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है | सभी प्रशिक्षण अलग–अलग डेट फिक्स की गई है | इसकी जानकारी किसान को एप डाऊनलोड करने पर उपलब्ध हो जाएगी |

बिहार राज्य के किसानों / बेरोजगार युवक एवं युवतियों के लिए आँनलाइन प्रशिक्षण की व्यवस्था कर उन्हें रोजगार का अवसर उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है | इसी कड़ी में आज राज्य के प्रखंड तकनीकी सहायक (बी.टी.एम.)/सहायक तकनीकी प्रबंधक (ए.टी.एम) के बीच आँनलाइन प्रशिक्षण सामग्रियों का वितरण किया गया | प्रशिक्षण के रूप में विभिन्न कृषि विश्वविध्यालय के वैज्ञानिक साधन सेवी के रूप में एप से प्रशिक्षण देंगे |

एक बार में कितने किसानों को प्रशिक्षण दिया जाएगा

कृषि मंत्री ने किसानों के प्रशिक्षण की संख्या पर बताया की ऑनलाइन के माध्यम से वेब एप के माध्यम से न्यूनतम 50 और अधिकतम 80 किसानों / प्रसार कार्यकर्ताओं / इनपुट डीलरों के साथ जुड़कर उनको वित्तीय वर्ष 2020–21 के स्वीकृत प्रशिक्षण कैलेंडर के अनुसार विभिन्न विषयों पर प्रशिक्षण माड्यूल बनाकर प्रशिक्षण देने की तैयारी की जा रही है |

किसान प्रशिक्षण कैसे प्राप्त कर सकता है ?

किसान को ऑनलाइन प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए सर्वप्रथम एप को डाउनलोड करना होगा | किसान यह ऐप दी गई लिंक www.bameti.org से प्राप्त कर सुविधानुसार इसे डेस्कटाप अथवा मोबाईल पर इंस्टाल करना होगा | इन्स्टाल करने के उपरांत इस पर निबन्ध करना होगा | तत्पश्चात बामेती से जुड़ने हेतु यूजर आई.डी. एवं पासवर्ड उपलब्ध कराया जाएगा | आई.डी. एवं पासवर्ड के माध्यम से एप से जुड़कर प्रशिक्षणार्थी सीधा प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे और अपना फीडबैक भी ऑनलाइन ही बामेती को उपलब्ध कराएंगे |

किसान ऑनलाइन प्रशिक्षण में भाग लेने के लिए क्लिक करें

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एक बार फिर फसलों पर टिड्डी कीट का हमला, नियंत्रण के लिए 45 गाड़ियाँ एवं 600 ट्रेक्टर करेगें काम

टिड्डी कीट का बढ़ता प्रकोप

सर्दी के मौसम में टिड्डी कीट ने रबी के फसलों को काफी नुकसान पहुँचाया था , जिससे गुजरात, राजस्थान, हरियाणा, तथा पंजाब में किसानों कि फसलों को काफी नुकसान हुआ था | पहले ऐसा मानना था की गर्मी बढने पर टिड्डी का प्रकोप खत्म हो जाएगा लेकिन गर्मी के मौसम में भी टिड्डी का प्रकोप बढ़ते जा रहा है | टिड्डी का उद्गम स्थल ईरान, अफगानिस्तान, पाकिस्तान होने के कारण पश्चिमी राज्यों में टिड्डी कीट का प्रकोप सर्वाधिक होता है खासकर पाकिस्तान से लगे जिलों में |

राजस्थान सरकार टिड्डी नियंत्रण के लिए टिड्डी चेतावनी संगठन के साथ मिलकर काम कर रही है | इस कीट को नियंत्रण के लिए बड़े स्तर पर तैयारियां की जा रही है | साथ में 138 सर्वे टीम तैयार की गई है | सभी टीमों को पर्याप्त मात्र में पेस्टिसाइडस , वाहन तथा अन्य संसाधन उपलब्ध करवाए जा रहे हैं | राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारियां ने कृषि विभाग के अधिकारीयों को निर्देश दिया है कि टिड्डी चेतावनी संगठन तथा किसानों के साथ मिलकर काम करें |

टिड्डी नियंत्रण के लिए 45 गाड़ियाँ तथा 600 ट्रेक्टर किराये पर

वर्ष 2019 के रबी फसल में टिड्डी से व्यापक नुकसानी को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने टिड्डी चेतावनी संगठन को संसाधन उपलब्ध करवा रही है | राज्य सरकार ने टिड्डी चेतावनी संगठन को 40 गाड़ियाँ उपलब्ध कराई है | इसके साथ 600 ट्रेक्टर अतरिक्त किराये पर लेने कि स्वीकृति जारी कि गई है |

टिड्डी नियंत्रण के लिए पर्याप्त मात्रा में पेस्टिसाइडस उपलब्ध है , जहाँ भी पेस्टिसाइडस कि जरूरत हो वहां तुरंत बताने को कहा गया है | वाहन, पेस्टिसाइडस एवं अन्य संसाधनों के अभाव में कहीं भी टिड्डी अनियंत्रित नहीं होने का निर्देश दिया गया है |

प्रभावित क्षेत्र में 138 सर्वे टीम कर रही काम

राजस्थान के कृषि आयुक्त डॉ. ओमप्रकाश ने बताया कि राज्य के गंगवार, बाड़मेर, जोधपुर, नागौर एवं अजमेर जिले टिड्डी से प्रभावित है | विभागीय टीमें पूर्ण सजगता के साथ सर्वे कर प्रभावी टिड्डी नियंत्रण कर रही है | प्रभावित क्षेत्र में 138 सर्वे टीम लगी हुआ है | टिड्डी चेतावनी संगठन कि ओर से 45 गाड़ियों के माध्यम से कीटनाशक स्प्रे का कार्य किया जा रहा है |

केंद्र सरकार से हवाई स्प्रे के लिए ड्रोन उपलब्ध करवाने का आग्रह

कृषि आयुक्त ने बताया की मुख्य सचिव श्री डीबी गुप्ता ने केन्द्रीय कृषि सचिव को पत्र लिखकर सर्वे एवं कीटनाशक छिडकाव के लिए अतिरिक्त वहन, हवाई स्प्रे के लिए ड्रोन तथा अन्य आवश्यक संसाधन उपलब्ध करने का आग्रह किया है | मुख्य सचिव की ओर से सभी प्रभावित जिलों के कलक्टर को भी प्रभावी टिड्डी नियंत्रण के लिए पत्र लिखा जा रहा है |

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किसान अब 962 मंडियों में ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से बेच सकेगें अपनी उपज

ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से उपज बिक्री

देश में किसानों की सबसे बड़ी समस्या है की उन्हें फसलों के सही दाम नहीं मिल पाते हैं यहाँ तक की केंद्र सरकार के द्वारा जो घोषित समर्थन मूल्य है वही भी किसानों को नहीं मिल पाता है | इतना नहीं बहुत सी फसले मंडियों में खरीद न होने के कारण किसान बेच तक नहीं पाते हैं इसलिए किसान वही फसलों की खेती करने के लिए मजबूर हैं जो वहां की मंडियों में खरीदी जा सके | इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार के द्वारा एक ऑनलाइन पोर्टल ई-नाम की शुरुआत वर्ष 2016 में की गई थी | इस पोर्टल पर सरकार द्वारा नई-नई मंडियां एवं नए फीचर्स लगातार जोड़े जा रहे हैं जिससे किसान आसानी ऑनलाइन अपनी उपज बेच सकें | अभी हाल में कुछ ऐसे फीचर्स जोड़े गए हैं जिससे किसान घर या खेत से सीधे अपनी उपज बेच सकते हैं | इसके अतिरिक्त राज्यों की विभिन्न मंडियों को भी जोड़ा जा रहा है | 

ऑनलाइन पोर्टल ई-नाम पर जोड़ी गई 177 नई मंडिया

केन्‍द्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेन्‍द्र सिंह तोमर ने कृषि विपणन को मजबूत करने और किसानों को ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपनी फसल की उपज बेचने की सुविधा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) के साथ 177 नई मंडियों को जोड़ा गया । जोड़ी गई मंडियां इस प्रकार हैं: गुजरात (17), हरियाणा (26), जम्‍मू और कश्‍मीर (1), केरल (5), महाराष्ट्र (54), ओडिशा (15), पंजाब (17), राजस्थान (25), तमिलनाडु (13) और पश्चिम बंगाल (1)। 177 अतिरिक्त मंडियों के शुभारंभ के साथ, देश भर में ईएनएएम मंडियों की कुल संख्या 962 हो गई है। इससे पहले, 785 मंडियों को 17 राज्यों और 2 संघ शासित प्रदेशों में ईएनएएम के साथ जोड़ा गया था |

किसान एवं व्यापारी दोनों को हो रहा है फायदा

पोर्टल का उपयोग करने वाले 1.66 करोड़ किसान, 1.30 लाख व्यापारी और 71,911 कमीशन एजेंट थे। ईएनएएम प्लेटफॉर्म पर 9 मई 2020 तक, कुल 3.43 करोड़ मीट्रिक टन और संख्‍या में 37.93 लाख (बांस और नारियल) का कारोबार किया गया जिसका सामूहिक मूल्‍य 1 लाख करोड़ रूपये से अधिक है। ईएनएएम प्‍लेटफॉर्म के रास्‍ते 708 करोड़ रुपये का डिजिटल भुगतान किया गया जिससे 1.25 लाख से अधिक किसानों को फायदा हुआ है। ईएनएएममंडी /राज्य की सीमाओं से परे व्यापार की सुविधा देता है।

12 राज्यों में अंतर-मंडी व्यापार में कुल 236 मंडियों ने भाग लिया, जबकि 13 राज्यों /संघ शासित प्रदेशों ने अंतर-राज्य व्यापार में हिस्‍सा लिया, जिससे किसानों को दूर के व्यापारियों के साथ सीधे बातचीत करने की अनुमति मिलती है। वर्तमान में, खाद्यान्न, तिलहन, रेशे, सब्जियों और फलों सहित 150 वस्तुओं का व्यापार ईएनएएमपर किया जा रहा है। ईएनएएम प्लेटफॉर्म पर 1,005 से अधिक एफपीओ पंजीकृत हैं और इसने 7.92 करोड़ रुपये मूल्य की 2900 मीट्रिक टन कृषि उपज का कारोबार किया है।

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मौसम चेतावनी: आने वाले दिनों में इन जगहों पर हो सकती है आंधी बारिश के साथ ओलावृष्टि

11 से 13 मई के लिए मौसम पूर्वानुमान

देश के उत्तरी राज्यों के अधिकांश हिस्सों में लगातार आंधी बारिश एवं ओलावृष्टि का सिलसिला जारी है | भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (India Meteorological Department) के अनुसार आने वाले दिनों में 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा चल सकती है। भारत की उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में 10 मई को पश्चिमी विक्षोभ के सक्रिय होने तथा उसका उत्तर-पूर्व दिशा में आगे बढ़ने से मैदानी इलाकों में चल रहे पूर्वी हवाओं के साथ मिलने से मौसम में परिवर्तन मिलने के संकेत है। इससे जहां वातावरण में नमी की बढ़त होना स्वाभाविक है 11 से 13 मई तक उत्तरी राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, उत्तरप्रदेश, झारखण्ड एवं छत्तीसगढ़ के अधिकांश हिस्सों में बारिश एवं अल्पकालिक ओलावृष्टि हो सकती है |

मध्यप्रदेश राज्य में इन जगहों पर हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग के भोपाल केंद्र की चेतावनी के अनुसार 10 से 13 मई भोपाल, रायसेन, राजगढ़, विदिशा,सिहोर, धार, इंदौर, अलीराजपुर,बडबानी, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, झाबुआ, देवास, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, अशोकनगर, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योंपुर कला, उमरिया, अनूपपुर, शहडोल, डिंडौरी, कटनी, छिंदवाडा, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर, सिवनी, मंडला, रीवा, सागर, सीधी, सिंगरौली, छतरपुर, सागर, टीकमगढ, पन्ना, दमोह, बैतूल, हरदा, होशंगाबाद आदि जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |

छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के रायपुर केंद्र की चेतावनी के अनुसार आने वाले दिनों में सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, रायपुर, बलोदाबाजार, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनंदगांव, बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाडा, सुकुमा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |

बिहार राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग पटना के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आगामी दिनों में राज्य के वेस्ट चंपारण, सिवान, सरन, इस्ट चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, शेओहर, समस्तीपुर, सुपोल, अररिया, मधेपुरा, किशनगंज, सहरसा, पुरनिया, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, जहानाबाद, अरवल, पटना, गया, नालंदा, शैखिपुरा, बेगुसराई, लखीसराय, कटिहार, भागलपुर, बांका, मुंगेर, खगरिया, जामुई जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |

झारखण्ड राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग रांची के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आने वाले दिनों में देओगढ़,धनबाद, धुमका,गिरीध, जामात्रा, गोड्डा, पाकुर, साहिबगंज, पलामू, गरवा, लातेहार, छत्रा, लहोर्दागा, कोडरमा, गुमला, खूंती, रांची, रामगढ,बोकारो, हजारीबाग, सराइकेला, पूर्वी सिंग्भूमि, पश्चिमी सिंह भूमि एवं सिमडेगा जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग जयपुर के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आने वाले दिनों में अलवर, बारन, भरतपुर,  दौसा, धोलपुर, जयपुर, झालवार, झुंझुनू, करौली, कोटा, राजसमन्द, सवाई माधोपुर, सीकर, टोंक, बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, श्रीगंगानगर जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है कहीं कहीं अल्पकालीन ओलावृष्टि भी हो सकती है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

पंजाब एवं हरियाणा राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग चंडीगढ़ के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार पंजाब राज्य के पठानकोट, गुरुदासपुर, अमृतसर, तरन-तारण, होशियारपुर, नवांशहर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, भटिंडा, लुधियाना, बरनाला, मनसा, संगरूर, रूपनगर, पटियाला, सास नगर, फतेहगढ़ साहिब जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

हरियाणा राज्य के लिए जारी की गई चेतावनी के अनुसार चंडीगढ़, पंचकुला, अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, महेंद्रगढ़, रेवारी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, फरीदाबाद, रोहतक, सोनीपत, पानीपत, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी, चरखी दादरी जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

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पशुपालन के इन 6 क्षेत्रों के 12 स्टार्ट अप को 1 करोड़ रुपये का दिया जायेगा अनुदान

पशुपालन स्टार्टअप को दिया जाने वाला अनुदान

पशुपालन के क्षेत्र में उत्पाद को बढ़ाने के साथ–साथ उत्पाद का उचित मूल्य दिलाने के लिए केंद्र सरकार ने पशुपालन स्टार्टअप बड़ी चुनौती नाम से एक योजना कि शुरुआत 11 सितम्बर 2019 में शुरू की गई थी | इस योजना के शुरुआत होने से पशुपालन क्षेत्र में निजी भागीदारी होने कि उम्मीद है तथा पशुपालन के क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार सृजन होने की भी उम्मीद है | इस योजना के शुरू होने के तारीख से ही देश भर से इच्छुक लोगों से स्टार्टअप के लिए आवेदन मांगे गये थे | जिससे इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में निजी भागीदारी के लिए लोगों ने आवेदन किया है | पशुपालन के क्षेत्र में कुल 6 अलग – अलग क्षेत्र रखे गये थे , जिसके आधार पर आवेदन माँगा गया था |

इस क्षेत्र में किये गये कुल आवेदनों को एक प्रतियोगिता के तहत सभी स्टार्टअप को की समीक्षा की गई तथा उन सभी में से 12 स्टार्टअप का आगे के लिए चयन किया गया है | इन सभी विजेताओं को प्रथम या द्वितीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है | किसान समाधान इसकी पूरी जानकारी लेकर आया है |

पशुपालन के इन क्षेत्रों में स्टार्टप शुरू करने पर अनुदान

चुनौती छह समस्या विवरणों के अदिव्तीय समाधान के साथ सभी स्टार्टप के लिए आवेदन के लिए खुली थी जिन्हें नीचे दिया गया है |

मूल्य वर्धित उत्पादन :- छोटे घरेलू और निर्यात बाजारों के लिए नवीन तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए कुछ मूल्य वर्धित डेयरी उत्पादों जैसे पनीर, स्मुदीन, फ्लेवर्ड मिल्क, कस्टर्ड, घी और अन्य एथनिक भारतीय उत्पादों को शुरू किया गया |

एकल उपयोग प्लास्टिक विकल्प

  • डेयरी क्षेत्र में एकल उपयोग पालीथिन को बदलने के लिए पर्यावरण के अनुकूल विकल्प का उपयोग करना |
  • दूध में मिलावट खत्म करना :- डेयरी क्षेत्र में दूध में मिलावट से निपटना
  • नस्ल सुधार और पशु पोषण :- मवेशियों और भैंसों की भरतीय नस्लों के बीच त्वरित आनुवंशिक लाभ के लिए नवीं तकनीकों का उपयोग और हरे चारे की नई किस्में और समृद्ध पशु चारा |
  • ई – काँमर्स समाधान :- देश भर में आधुनिक डिजिटल बुनियादी ढांचा और परामर्श सेवाएं प्रदान करने के लिए नवाचारों को प्रोत्साहित करना |
  • उत्पाद पता लगाने की क्षमता :- कृषि उत्पादन से उपभोगता तक डेयरी उत्पादों की यात्रा पर नजर रखने के लिए प्रौधोगिकियों का उपयोग करना |

अभी तक 157 स्टार्टअप  ने किया आवेदन

पशुपालन स्टार्टप – बड़ी चुनौती योजना के लिए आवेदन स्टार्टप इंडिया पोर्टल पर 11 सितम्बर 2019 से 15 नवम्बर 2019 तक खुली थी | इस योजना के अंतर्गत 6 अलग–अलग क्षेत्रों में कुल 157 आवेदन प्राप्त हुए हैं जो इस प्रकार है :- 

क्र. संख्या
समस्या का विवरण
आवेदनों की संख्या

1.

मूल्य वर्धित उत्पादन

13

2.

एकल उपयोग प्लास्टिक विकल्प

22

3.

दूध में मिलावट खत्म करना

22

4.

उत्पाद पता लगाने की क्षमता

16

5.

ई – कामर्स समाधान

44

6.

नस्ल सुधार और पशु पोषण

40

 

कुल

157

इन सभी 6 क्षेत्रों में विजेता इस प्रकार है

157 आवेदनों की पूर्व जांच की गई ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आवेदकों द्वारा प्रदान की गई जानकारी कार्यक्रम के लिए आवेदन के मानदंडों को पूरा करती है | मूल्याङ्कन के पहले दौर में कुल 42 स्टार्टप को शार्टलिस्ट किया गया था | इन स्टार्टप को एक विशेषज्ञ पेनल के सामने वीडियों कांफ्रेंसिंग पर अपने आईडिया प्रस्तुत करने का अवसर दिया गया था | जिसमें पशुपालन विभाग और डेयरी विभाग (डीएचडी) के सचिव श्री अतुल चतुर्वेदी के नेतृत्व में विभाग के सदस्य शामिल थे | इस प्रतियोगिता में दो दिनों तक सवाल जवाब चलता रहा इसके बाद सभी 6 क्षेत्रों में विजेता कि घोषणा किया गया है जो इस प्रकार है :-

मूल्य वर्धित उत्पाद

  1. विजेता :- कृषक मित्र एग्रो सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड, (मुम्बई)
  2. रनर अप – स्टूडियो कार्बन (अहमदाबाद)

दूध में मिलावट खत्म करना

  1. विजेता :- व्हाइट गोल्ड टेक्नोलांजी एलएलजी (मुम्बई)
  2. रनर अप :- माइक्रो लाइफ इनोवेशन्स (चेन्नई)

नस्ल सुधार

  1. विजेता :- एडिस टेक्नोलाँजीज , बेलगाव (कर्नाटक)
  2. रनर अप :- सिसजेन बायोटेक डिस्कवरीज प्राइवेट लिमिटेड (हैदराबाद)

पशु पोषण

  1. विजेता :- कृमांशी टेक्नोलाँजीज प्राइवेट लिमिटेड (जोधपुर)
  2. रनर अप :- काँरनैक्ट एग्री प्रोडक्ट्स प्राइवेट लिमिटेड (चेन्नई)

ई – कामर्स समाधान

  1. विजेता :- मुफार्म गुरुग्राम (हरियाणा)
  2. रनर अप :- एकेएम टेक्नोलाँजीज प्राइवेट लिमिटेड (कटक)

उत्पाद पता लगाने की क्षमता

  1. विजेता :- इमरटेक सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड (मुम्बई)
  2. रनर अप :- नेबुलएआरइ टेक्नोलाजीज प्राइवेट लिमिटेड (दिली)
एकल उपयोग प्लास्टिक विकल्प

इस क्षेत्र में किसी भी स्टार्टअप को उपयुक्त नहीं पाया गया है |

विजेता तथा उप विजेता को इतना राशी दिया गया है 

इस प्रतियोगिता में सभी क्षेत्रों में विजेता तथा नगद राशि प्रदान किया गया है | विजेता को 10 लाख रूपये तथा उप विजेता (रनर अप) को 7 लाख रुपया दिया गया है |

चयनित स्टार्टअप को सरकार इस प्रकार सुविधा प्रदान करेगी

उपरोक्त में जिन 12 स्टार्टअप का जिक्र प्रति समस्या विवरण में किया गया है उन्हें 1,02,00,000 रूपये के बराबर अनुदान राशि दी जाएगी | विजेताओं को इनक्युबेशन आँफर प्रदान किया जाएगा – इनक्युबेटर 3 माहीने तक इन स्टार्टअप्स के फिजिकल इनक्यूबेशन के लिए जिम्मेदार होगा | कार्यक्रम पूरा होने के बाद 9 महीने तक मेंटर मैचमेकिंग, पीओसी डेवलपमेट के लिए लेब की सुविधा, टेस्टिंग फैसिलिटीज, बिजनेस और इंवेस्टर वर्कशाप के संचालन और स्टार्टअप्स की गतिविधियाँ पर नजर रखी जाएगी

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कोरोना वायरस लॉकडाउन में पशुओं की देखभाल एवं संतुलित पशु आहार इस तरह तैयार करें

पशुओं की देखभाल एवं पशु आहार

ग्रीष्म ऋतू में लगातार तापमान बढ़ रहा है इसके साथ ही देश भर में लॉकडाउन जारी है | इस स्थिति में पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए पर्याप्त मात्रा में संतुलित भोजन की जरूरत होती है | गर्मी से बचाव के लिए पशुओं की विशेष ध्यान रखने कि जरूरत है तो वहीं देश भर में लॉकडाउन के कारण पशुओं के लिए भोजन मिलना मुश्किल हो रहा है | खास कर के चुन्नी, चोकर, खल्ली , दाना इत्यादी | अभी देश में कोरोना संक्रमण तेजी से फ़ैल रहा है पशुपालकों को इससे बचने के लिए उपाय करना चाहिए | इस स्थिति में किसान को घर पर ही पशुओं के लिए दाना का बनाना होगा | किसान समाधान पशुओं को गर्मी के मौसम में सही तरह से देख भाल के साथ घर पर ही पशुचारा बनाना लेकर आया है |

गर्मियों में पशुओं का आवास प्रबन्धन :-

  • पशुपालन की सफाई हाईपोक्लोराइट व ब्लीचिंग पाउडर 7 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलकर या 7% लाइजोल के घोल से या पोटाशियम 5 mg प्रति लीटर पानी से सुबह – शाम नहलाएं|
  • पशुशाला में या पशुशाला के आस – पास खैनी – गुटखा खाकर ना थूकें |
  • पशुशाला में जाने से पहले और निकलने के बाद साबुन से हाथ धोयें और मुहं पर मास्क , गमछा रुमाल, महिला अपने आँचल के पल्लू से ढक लें |
  • पशुपालन में उपयोग किये जाने वाले उपकरणों (ट्रैक्टर, ट्रोली, कुदाल, चारा कटाई मशीन आदि) को नियमित रूप से सेनिटाइजेशन करें |

स्वस्थ प्रबन्धन  :-

  • आंतरिक व बाह्य परजीवियों से बचाव के लिए कृमिनाशक दवा का प्रयोग करें |
  • पशुओं को खुरपका–मुंहपका, गलाघोटू और लंगरी ज्वार से बचाव के लिए रक्षाट्रयोवेक का टिका लगवायें |
  • बकरियों में पी.पी.आर का टीका लगवाये |
  • पशुओं में रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए विटामिन इ और सेलेनियन सप्लीमेंट दें |
  • पशु बीमार हो तो स्वस्थ्य पशु से तुरंत अलग कर देख रेख करें , जरूरत पड़ने पर नजदीकी पशु चिकित्सक से संपर्क करें |
  • पशुओं का बीमा अवश्य करवा लें |
  • गाय एवं भैंस को प्रतिदिन नहलाये |
  • पशुओं को बाहर न निकालें और ना पशुओं के साथ यातायात करें |

आहार प्रबंधन :-

  • पशुओं को स्वच्छ और ताजा पानी भरपूर मात्रा में दें, जिससे पशुओं को सारी शारीरिक प्रक्रिया सुचारू रूप से चले और दुग्ध उत्पादन में किसी प्रकार की कमी न हो |
  • पशुओं के संतुलित आहार में 50 ग्राम मिनिरल पाउडर व 20 ग्राम नमक रोजाना दें | पशुओं को हरा चारा के साथ सुखा चारा मिलाकर खिलाए |
  • गेहूं के भूसे पौष्टिकता बढ़ाने के लिए यूरिया से उपचारित करें (100 किलो ग्राम भूसे को उपचारित करने के लिए 4 किलो ग्राम यूरिया को 40 लीटर पानी में घोल बना के छिडकाव करें) |
  • हरे चारे के लिए ज्वार, मक्का व लोबिया की बिजाई करें |
  • पशु ब्याने के दो घंटे के अंदर नवजात बछड़े व बछ्डियों को खीस अवश्य पिलाए इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढती है |
  • फसल अवशेष पराली न जलाए उसे पशु चारा के रूप में उपयोग करें |
  • दुधारू पशुओं को 2.5 लीटर दूध उत्पादन पर एक किलोग्राम मिश्रित दाना देना चाहिए |

पशुपालक घर पर ही पशु आहार बना सकते हैं |

किसान घर पर इस प्रकार पशुओं के लिए संतुलित आहार बना सकते हैं 

खाध पदार्थ
भाग

अनाज :- मकई / गेहूं / जई / बाजार / टूटे चावल

30 भाग

खली :- सरसों / तिल / तीसी (अलसी)

30 भाग

चोकर भूसी चुन्नी (गेहूं की भूसी, चावल की भूसी, चने की चुन्नी का युग्म )

36 भाग

नमक

1.5 भाग

कैल्साइट चूर्ण

1.5 भाग

मिनिरल पाउडर

1 भाग

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