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शनिवार, अप्रैल 20, 2024
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पशुओं एवं फसलों की सुरक्षा के लिए 19 जून से शुरू की जाएगी रोका-छेका योजना

फसलों और पशुओं की सुरक्षा के लिए रोका-छेका योजना

देश बढती पशुओं की संख्या एवं कम होते चारागाह के कारण पशुपालक अपने पशुओं को खुले में छोड़ देते हैं | इतना ही नहीं कम दूध देने वाले पशुओं को पालने में खर्चा अधिक होने के कारण भी पशु मालिक अपने पशुओं को छोड़ देते हैं और इन आवारा पशुओं से फसलों को काफी नुकसान होता है  | किसानों की बहुत लम्बे समय से इस समस्या के समाधान की मांग किसानों द्वारा की जा रही थी | इस योजना के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश में फसलों और पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए 19 जून से रोका-छेका संकल्प अभियान की शुरूआत की जा रही है। यह अभियान 30 जून तक चलेगा।

क्या है रोका-छेका योजना

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गांवों में खरीफ फसलों की मवेशियों से सुरक्षा के उद्देश्य से खुले में चराई की रोकथाम के लिए रोका-छेका योजना शुरू की गई है | रोका-छेका छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है। इसके जरिए फसलों की सुरक्षा के लिए ग्रामीण इस बात का संकल्प लेते है कि खरीफ फसल के दौरान अपने मवेशियों को बाड़े और गौठान में ही रखेंगे। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रदेश सरकार द्वारा फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने के साथ ही दलहनी – तिलहनी फसलों की खेती सब्जी, फलोत्पादन एवं रबी की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बारहमासी खेती को बढ़ावा देने और फसलों की सुरक्षा के लिए पशुओं की खुले में चराई को रोकना जरूरी है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर रोका-छेका की प्राचीन परंपरा को वर्तमान परिवेश में ग्रामीणों के सहयोग से और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की पहल शासन द्वारा शुरू की गई है।

रोका-छेका योजना के लिए ग्रामों में व्यवस्था

छत्तीगसढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी कार्यक्रम संचालित है। गांवों में पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सामूहिक गौठान बने है। गौठानों के बन जाने से गांवों में पशुओं की देख-रेख एवं उनके चारे-पानी का प्रबंध बेहतर ढंग से होने लगा है। रोका-छेका की उपयोगिता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अब सामूहिक गौठान के रूप में विकल्प ग्रामीणों के पास उपलब्ध हैं, जहां मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा है। जिले में गौठान न केवल पशुधन संवर्धन के केंद्र के रूप में उभरे हैं अपितु आजीविका मूलक गतिविधियों के सृजन के लिए भी माध्यम बने हैं।

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बनाये जाएंगे किसान क्रेडिट कार्ड

गांवों में रोका-छेका के आयोजन के दौरान स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री का वितरण किया जाएगा। गौठानों में पशुचिकित्सा तथा पशुस्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा। पशुपालन एवं मछलीपालन हेतु किसान क्रेडिट कार्ड बनाने शिविर का आयोजन किया जाएगा। कृषि, पशुपालन, मछलीपालन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। गौठानों में पैरा संग्रहण एवं भंडारण का अभियान भी शुरू होगा।

रोका-छेका योजना के लिए नगरीय निकायों में व्यवस्था

नगरीय क्षेत्रों को आवारा पशु से मुक्त, साफ-सुथरा एवं दुर्घटना मुक्त रखने के लिए 19 जून से 30 जून तक प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में भी ‘‘रोका-छेका-संकल्प अभियान’’ चलाया जाएगा। साथ ही 19 जून को पशुपालकों से अपने आसपास के वातावरण तथा शहर को स्वच्छ, साफ-सुथरा तथा दुर्घटनामुक्त रखने के लिए संकल्प पत्र भरवाया जाएगा, जिसके लिए नगरीय निकायों में मुनादी के द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

पहले से निर्मित नगरीय निकायों में निर्मित गोठान और गोठानों की क्षमता का आंकलन किया जायेगा और इसमें आवश्यक संधारण कार्य कराकर चारे की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित किया जायेगा | निकाय के अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि कोई भी मवेशी निकाय की सड़कों, सार्वजनिक स्थलों पर आवारा घूमते हुए नहीं पाया जाए। आवारा घूमते हुए पशुओं को काउ कैचर द्वारा गौठान भेजने की प्रभावी व्यवस्था की जाएगी। पालतू पशुओं को नियमानुसार शुल्क, जुर्माना का भुगतान करने के बाद ही मुक्त कर संबंधित पशुपालक को सौंपा जाएगा। यदि कोई मवेशी 30 जून के बाद निकाय क्षेत्र में अनियंत्रित खुले में घूमता हुआ पाया जाता है तो उसके लिए संबंधित नगरीय निकाय के आयुक्त, मुख्य नगरपालिका अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

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पशु मालिको पर की जाएगी कार्यवाही

नगरीय निकायों द्वारा प्रत्येक वार्ड में वार्ड प्रभारी की नियुक्ति की जाएगी | उनके द्वारा 18 जून तक वार्ड का सर्वेक्षण कर, वार्ड में निवासरत पशुपालकों के नाम और पालतू पशुओं की जानकारी एकत्र की जाएगी । इसके बाद 19 जून को वार्ड के सर्वेक्षित पशुपालकों से निर्धारित संकल्प पत्र हस्ताक्षर सहित प्राप्त किया जाएगा । पशुओं से संबंधित रिकार्ड और हस्ताक्षरित संकल्प पत्र, वार्ड कार्यालय और नगरीय निकाय कार्यालय के रिकार्ड में रखे जाएगें। पशुपालन के लिए समुचित व्यवस्था रखने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा ।

निकायों में स्थित कांजी हाउस, गोठान की जानकारी से समस्त नागरिकों को अवगत कराया जायेगा। साथ ही घूमते पाए जाने वाले आवारा पशुओं के लिए निकाय द्वारा निर्धारित दण्ड के बारे में भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा । पशुपालन से उत्सर्जित पदार्थों से उपयोगी सामग्री यथा-खाद इत्यादि बनाये जाने के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहित किया जायेगा और पशुपालन स्थल पर खाद निर्माण के लिए स्थल कमी की स्थिति में निकायों में स्थित कम्पोस्ट शेड की जानकारी से अवगत किया जायेगा |

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