कृषि संचालन के लिए भारत सरकार की ऋण सुविधाएं

कृषि संचालन के लिए ऋण योजनाएं

अल्पकालीन ऋण अथवा फसल ऋण

 फसल ऋण को अल्पावधि ऋण भी कहा जाता है “मौसमी कृषि संचालन” फसलों की पैदावार बढाने के लिये जो उपाय भिन्न भिन्न समय किये जाते हैं उन्हें मौसमी कृषि संचालन कहते हैं। जुताई और बुवाई, निराई, प्रत्यारोपण जहां आवश्यक, के लिए भूमि की तैयारी, ऐसे बीजों, उर्वरकों, कीटनाशकों आदि और खेत में पैदावार बढाने और काटने के लिए श्रम भी इसमे शामिल है। इस तरह जो ऋण फसलों को बोने और खेत में बढाने के लिए इस्तेमाल किये जाते हैं उन्हें अल्पावधि ऋण कहा जाता है ।कृषि ऋण

किसान क्रेडिट कार्ड योजना

फसल ऋण आम तौर पर किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) के माध्यम से बैंकों द्वारा वितरित किये जाते हैं. किसान क्रेडिट कार्ड योजना पूरे देश में लागू है और वाणिज्यिक बैंकों, सहकारी बैंकों और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों द्वारा कार्यान्वित किया जाता है. छोटे किसान, सीमांत किसान, हिस्सेदार , मौखिक पट्टेदार और किरायेदार किसान सहित सभी किसान को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने के लिए प्रावधान है । केसीसी धारक दुर्घटना में मृत्यु/ स्थायी विकलांगता व व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा योजना के अंतर्गत आते हैं।

बैंक किसान की खेती के लिए उपलब्ध जमीन और किसान के क्रेडिट इतिहास व् जिला स्तरीय तकनीकी समिति द्वारा तय वित्त की मात्रा के आधार पर किसान की ऋण के लिये योग्यता का आकलन करता है। केसीसी के दायरे में हाल ही में अल्पावधी के ऋण और खपत जरूरतों को भी शामिल करने के लिए व्यापक आधार दिया गया है। सरकार ने बैंकों को किसान क्रेडिट कार्ड को एक स्मार्ट कार्ड सह डेबिट कार्ड में बदलने की सलाह दी ।

किसान क्रेडिट कार्ड योजना की मुख्य विशेषताओं में से कुछ इस प्रकार हैं

  • क्षेत्र की फसल बीमा प्रीमियम और फसल पर ऋण का आंकलन।
  • कृषि के लिए जमीन + फसलोत्तर / घर / खपत की आवश्यकताओं के प्रति सीमा के 10% + ऋण सीमा का 20% खेत संपत्ति के रखरखाव के खर्च के तौर पर फसल ऋण घटक का आकलन ।
  • सीमांत किसानों के लिए निर्धारित सरल आकलन के साथ फ्लेक्सी के सी सी।
  • 5 साल के लिए किसान क्रेडिट कार्ड की वैधता।
  • फसल ऋण के लिए अलग से कोई मार्जिन मार्जिन वित्त की मात्रा पर जोर ना दिया जाना, क्यूंकि इसे फसल ऋण में ही जोड़ दिया गया।
  • खाते में कोई कोई भी बकाया 12 माह से अधिक न रहने के लिए प्रावधान , खाते में किसी भी समय जीरो बकाया नहीं रहने का प्रावधान।
  • ब्याज दर में छूट / शीघ्र भुगतान के लिए प्रोत्साहन भारत सरकार और/ या राज्य सरकार के नियमों के अनुसार उपलब्ध हो।
  • 3.00 लाख रुपये की एक सीमा तक कोई प्रोसेसिंग शुल्क नहीं।
  • एक समय पहली बार कागजी कार्यवायी और किसान द्वारा उसके बाद साधारण घोषणा (फसलों के बारे में / प्रस्तावित)।
  • किसानों के लिए दो अलग खातों के बजाय के सी सी एवं सह जमा खाता। केसीसी सह बचत बैंक खाते में जमा शेष बैंक दर बचत पर ब्याज लाने की अनुमति।
  • एटीएम / पीओएस / मोबाइल हैंडसेट की तरह आईसीटी संचालित चैनलों सहित विभिन्न वितरण चैनलों के माध्यम से वितरण।

फसल ऋण पर ब्याज की दर और जमानत आवश्यकता

सरकार भारत के निर्देशों के अनुसार वर्ष 2013-14 के लिए सभी 3 लाख रूपये तक के सभी फसल ऋण 7 % प्रतिवर्ष की ब्याज दर होंगी। ठीक समय पर ऋण की वापसी करने पर 3% ब्याज दर छुट का भी प्रावधान भारत सर्कार द्वारा किया गया है। इस प्रकार 4% वार्षिक से कम पर फसल ऋण उपलब्ध है। अधिक किसानों को इस संस्थागत ऋण योजना के अन्तरगत लाने के लिए सरकार चिंतित है।

अन्य अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों निजी क्षेत्र के बैंकों से किसानों द्वारा उधार ली गई फसल ऋण को भी इस योजना के अन्दर शामिल किया गया है। 3 लाख रुपये से अधिक फसल ऋण – आर बी आई और अपने निदेशक मंडल द्वारा अनुमोदित अन्य शर्तों के अनुसार ब्याज की दर पर बैंकों द्वारा वितरित किए जा रहे हैं. । भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देश के अनुसार 1 लाख रुपये फसल ऋण तक अलग से कोई सुरक्षा रुपये की आवशकता नहीं है । एक लाख रूपये से अधिक ऋण के लिए सुरक्षा राशी निजी बैंक द्वारा आर बीआई के दिशा निर्देशों के संदर्भ में निरधारित की जाती है ।

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कृषि सावधि ऋण

किसानो को 18 महीनों तक की भुगतान सीमा वाले ऋण कृषि कार्यों के अलावा अन्य गतिविधियों के लिए उपलब्ध हैं। इनहें सावधि ऋण या निवेश ऋण के रूप में 1 5 वर्ष तक बढाया जा सकता है और यह डेयरी, वृक्षारोपण, बागवानी, कृषि, लघु सिंचाई, लिफ्ट सिंचाई योजनाएं, भूमि विकास गतिविधियों, भेड़ / बकरी सूअर विकास, पोल्ट्री विकास, अंतर्देशीय मत्स्य पालन, रेशम उत्पादन, ग्रामीण गोदाम, कृषि वानिकी वृक्षारोपण और अन्य गतिविधियों के लिए दिये जाते हैं (यह सूची सिर्फ उदाहरण है।

विवरण के लिए निकटतम बैंक शाखा से संपर्क करें) विभिन्न गतिविधियों के लिए सान्केतिक लागत नाबार्ड के परामर्श से राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (एसएलबीसी) द्वारा तय की जाती है। वास्तविक ऋण वितरण के समय बैंक सांकेतिक इकाई से वास्तविक स्थिति के अधर पर इसे बड़ा या घटा सकता है ।

ब्याज दर और जमानत की आवश्यकताएँ

अवधि के ऋणों पर ब्याज की दर बैंकों के संबंधित बोर्ड द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक के दिशानिर्देशों एवं उनके आधार दर के अनुसार तय की जाती है. इसके अलावा, ऋण 3 वर्ष से 15 वर्ष तक की अवधि के लिए दिए जाते हैं . जमानत मुक्त अवधि के ऋण की सीमा को 50, 000 से बढ़ा 1, 00,000 कर दिया गया है. 100,000 रुपये से ऊपर के ऋण के लिए बैंक भारतीय रिजर्व बैंक के निर्देशों के अनुसार प्रतिभूतियों प्राप्त करते हैं