अधिक वर्षा से खराब हुई फसलों का मुआवजा जल्द दिया जायेगा

अधिक वर्षा से फसल क्षति का मुआवजा

उत्तर भारत में पिछले कुछ दिनों से बहुत अधिक बर्षा होने से बाढ़ की स्थिति बनी हुई है जिसके चलते जहाँ जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया है तो वहीं फसलों को काफी नुकसान हुआ है | देश के कई राज्यों के अलग-अलग जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है | जिसके कारण किसानों की खरीफ फसल पूरी तरह बर्बाद हो गई है | इस देखते हुए राजस्थान सरकार ने राज्य में हुए फसलों की नुकसानी का सर्वे कराया है | इस सर्वे में राज्य के 12 जिलों में फसल नुकसानी की सुचना मिल रही है |

कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने प्रदेश में अतिवृष्टि से खराब हुई फसलों का सर्वे कर प्रभावित किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा दिलवाकर राहत प्रदान करने के लिए कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। कृषि विभाग की प्रारंभिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार राज्य में अब तक 3 लाख 69 हजार 174 हेक्टेयर क्षेत्र में फसल प्रभावित होना आंका गया है।

किस जिले में कितनी फसल को हुआ है नुकसान

राजस्थान सरकार ने अतिवृष्टि से हुए फसलों की नुकसानी की जानकारी दी है | कृषि मंत्री के अनुसार राज्य में 3 लाख 69 हजार हेक्टेयर भूमि में खरीफ फसल की नुकसानी होने का अनुमान है | इसमें जिलों के अनुसार अलग–अलग फसलों खराब हुई है | प्रारंभिक सर्वे के अनुसार कोटा, बारां एवं बूंदी जिलों में सोयाबीन एवं उड़द एवं सवाई माधोपुर जिले में बाजरा एवं उड़द की फसल को काफी नुकसानी हुआ है |

सर्वे रिपोर्ट के अनुसार:-
  1. कोटा जिले में 1 लाख 3 हजार 257 हेक्टेयर,
  2. बूंदी जिले में 99 हजार 26 हेक्टेयर,
  3. बारां जिले में 76 हजार 199 हेक्टेयर,
  4. सवाई माधोपुर 61 हजार 387 हेक्टेयर,
  5. जयपुर जिले में 2 हजार 920 हेक्टेयर,
  6. सीकर जिले में 3 हजार 992 हेक्टेयर,
  7. नागौर जिले में 7 हजार 357 हेक्टेयर,
  8. करौली जिले में 9 हजार 664 हेक्टेयर,
  9. टोंक जिले में 4 हजार 140 हेक्टेयर,
  10. भरतपुर जिले में 764 हेक्टेयर,
  11. झालवाड़ जिले में 398 हेक्टेयर,
  12. अलवर जिले में 70 हेक्टेयर |

राज्य में अतिवृष्टि से हुए फसलों की नुकसानी में सोयाबीन, उड़द तथा बाजरा प्रमुख फसल है | राज्य में सोयाबीन 1 लाख 60 हजार 264 हेक्टेयर एवं उड़द 98 हजार 660 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रभावित हुई है |

राज्य में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की स्थिति

राजस्थान इस वर्ष खरीफ सीजन में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है जिसके तहत राज्य के 26,77,609 किसानों ने 55,55,360 हेक्टेयर के लिए बीमा कराया है | इसके लिए किसानों ने 302.15 करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया है | राज्य में फसल बीमा के लिए 7 कंपनियों ने भाग लिया है |

फसल नुकसान होने पर किसान क्या करें

फसल बीमा योजना के तहत किसानों ने जिस बीमा कंपनी से बीमा करवाया है किसान उस फसल बीमा कंपनी के टोल फ्री नम्बर पर 72 घंटे के अन्दर सूचित कर सकते हैं |  इसके अतिरिक्त किसान लिखित में 7 दिनों के अन्दर अपने बैंक अथवा बीमा एजेन्ट अथवा कृषि विभाग के अधिकारियों को सूचित कर अपनी फसलों का सर्वे करवा सकते हैं |

किसान एग्रीकल्चर इन्श्योरेन्स कम्पनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड, 1800116515, एचडीएफसी एर्गो जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, 18002660700, बजाज एलाईंस जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, 18002095959, एसबीआई जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, 18001232310, फ्यूचर जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, 18002664141, यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इंश्योंरेस कम्पनी लिमिटेड, 18002005142 एवं रिलायंस जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड, 18001024088 नम्बर पर सूचित कर सकते हैं।

रोजाना 50 किसान समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे खरीदी केन्द्रों पर मूंग

MSP पर मूंग की खरीद

ग्रीष्मकालीन मूंग की खरीदी एक बार फिर से शुरू हो गई है, इसके लिए किसानों को एसएमएस द्वारा सुचना भी जारी की जाने लगी है | जैसा की मध्य प्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती इस वर्ष बड़े पैमाने पर की गई थी जिसको देखते हुए सरकार ने इस वर्ष सभी किसानों से मूंग खरीदने का फैसला किया है | राज्य के 52 जिलों में से 30 जिलों में मूंग की खेती की गई है | 15 जून से शुरू हुए ग्रीष्म कालीन मूंग की खरीदी 1.34 लाख टन के लक्ष्य के बाद रोक दी गई थी | जिसे अब सरकार ने दोबारा से शुरू कर दिया है |

बहुत से किसानों के मूंग खरीदी से वंचित रह जाने के कारण राज्य सरकार ने केंद्र सरकार से समर्थन मूल्य पर मूंग खरीदी के लक्ष्य को बढ़ाने के लिए मांग की थी | जिसके बाद अब मूंग खरीदी के लक्ष्य को 2 लाख 47 हजार मीट्रिक टन कर दिया गया है | जिसके बाद अब प्रदेश में दोबारा से मूंग खरीदी का कार्य शुरू हो गया है|

कितने लोगों को एसएमएस SMS किया जायेगा ?

मूंग की खरीदी के लिए प्रत्येक दिन 50 किसानों को एसएमएस किया जायेगा | इसमें 35 छोटे किसान तथा 15 बड़े किसानों को एसएमएस भेजा जायेगा | जिन किसानों को पहले एसएमएस किया गया था लेकिन पोर्टल बंद था उन किसानों को दुबारा एसएमएस भेजा जायेगा | एसएमएस 9 अगस्त तक किया जाएगा |

किसान कब तक बेच सकेंगे समर्थन मूल्य पर मूंग

मध्य प्रदेश में 15 जून से मूंग की खरीदी शुरू की गई थी | यह खरीदी 15 सितम्बर तक किया जाना था लेकिन मूंग की खरीदी लक्ष्य 1.34 लाख टन पूरा होने के बाद बंद कर दी गई थी | मध्य प्रदेश सरकार को अतिरिक्त 1 लाख 13 हजार मीट्रिक टन ग्रीष्मकालीन मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी की अनुमति दी गई है। जिसके बाद प्रदेश में ग्रीष्मकालीन मूंग की कुल खरीद का लक्ष्य 2 लाख 47 हजार मीट्रिक टन हो गया है |

राज्य में कुल ग्रीष्मकालीन मूंग का उत्पादन

राज्य में इस वर्ष 12 लाख 16 हजार टन मूंग का उत्पादन हुआ था | यह उत्पादन राज्य के 30 जिलों के 6 लाख 82 हजार भूमि में उत्पादन हुआ है | हरदा तथा होशंगाबाद ग्रीष्मकालीन मूंग उत्पदान में सबसे ज्यादा है | दोनों जिलों को मिलाकर 3 लाख 33 हजार मूंग की उत्पादन हुआ है |

जानिए कैसी रहेगी अगस्त एवं सितम्बर महीने में मानसूनी वर्षा

अगस्त-सितम्बर माह के लिए मानसून पूर्वानुमान

इस वर्ष अभी तक मानसूनी वर्षा का वितरण असामान्य रहने से देश के कई जिलों में अधिक बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति बनी हुई है तो वहीँ कई जिलों में सूखे की स्थिति बनी हुई है | जिसका सीधा असर किसानों की खरीफ फसलों पर देखा गया है | इस वर्ष भारतीय मौसम विज्ञान विभाग IMD ने मानसून सीजन में सामान्य वर्षा होने की उम्मीद अपने पहले के पूर्वानुमान में ही बता चूका है | साथ ही पूर्वानुमान के अनुसार ही जून में सामान्य से अधिक वर्षा एवं जुलाई माह में सामान्य या सामान्य से कम वर्षा का अनुमान लगाया गया था जैसा की हमने अभी तक देखा | अब मौसम विभाग ने आने वाले दो महीनों अगस्त एवं सितम्बर के लिए मानसूनी वर्षा का पूर्वानुमान जारी किया है |

देश भर में 2021 अगस्त माह के लिए वर्षा सम्भावित पूर्वानुमान

पूरे देश में अगस्त 2021 की औसत वर्षा सामान्य दीर्घावधि औसत LPA का 94 से 106 फीसदी होने की सम्भावना है | जो कि 1961-2010 की अवधि में पूरे देश में अगस्त की वर्षा दीर्घावधि औसत LPA का 258.1 मि.मी. है | पूर्वानुमान के अनुसार मध्यभारत के कई क्षेत्रों और उत्तर पश्चिम के कुछ क्षेत्रों में सामान्य से कम से लेकर सामान्य वर्षा होने की सम्भावना है | प्रायद्वीपीय भारत और पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश भागों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक वर्षा होने की सम्भावना है |

monsoon forecast august 2021

 

चित्र में दिए अनुसार अगस्त माह में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना के कुछ जिलों, छत्तीसगढ़ के कुछ जिलों में, बिहार, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा के कुछ जिलों में, तटीय महारष्ट्र के जिलों में एवं पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है वहीँ गुजरात में सामान्य बारिश का अनुमान है | इसके अलावा पश्चिमी एवं मध्य मध्यप्रदेश के जिलों, झारखण्ड के कुछ जिलों एवं राजस्थान के कुछ जिलों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है |

देश भर में 2021 अगस्त+सितम्बर माह के लिए वर्षा सम्भावित पूर्वानुमान

इस वर्ष पूरे देश में दक्षिण पश्चिम मानसून के दुसरे भाग अगस्त एवं सितम्बर की अवधि के दौरान समूचे देश में वर्षा सामान्य होने का अनुमान अधिक है | इस दौरान देश में दीर्घावधि औसत LPA का 95 से 105 फीसदी होने की सम्भावना है | जो कि 1961-2010 की अवधि में पूरे देश में अगस्त की वर्षा दीर्घावधि औसत LPA का 428.3 मि.मी. है | इस दौरान देश के उत्तर-पश्चिम, पूर्व और पूर्वोत्तर भारत के भागों के कई क्षेत्रों में सामान्य से लेकर सामान्य से नीचे वर्षा होने की सम्भावना है वहीँ प्रायद्वीपीय भारत और उससे सटे मध्य भारत के अधिकांश भागों में सामान्य से लेकर सामान्य से अधिक वर्षा होने की सम्भावना है |

monsoon forecast august+september

 

चित्र में दिए अनुसार अगस्त एवं सितम्बर दो महीनों में तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना के कुछ जिलों, महाराष्ट्र, पश्चिमी मध्यप्रदेश के जिलों में, राजस्थान के कुछ जिलों में, झारखण्ड के कुछ स्थानों पर पश्चिमी उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड के कुछ जिलों में जिलों में सामान्य या सामान्य से अधिक बारिश होने का अनुमान है | वहीँ उत्तरी राजस्थान के कुछ जिलों में, बिहार, छतीसगढ़ उड़ीसा, हरियाणा,पूर्वी उत्तरप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर राज्यों में इस दौरान सामान्य या सामान्य से कम वर्षा होने की संभावना अधिक है |

इस समय सोयाबीन में लग सकते हैं यह कीट-रोग, इस तरह करें नियंत्रण

सोयाबीन में कीट-रोग एवं उनका नियंत्रण

सोयाबीन की बुवाई को लगभग 40-50 दिन होने वाले हैं, इस समय में फसल पर कीट एवं रोगों का प्रकोप बढ़ने की संभावना सबसे अधिक होती है | सोयाबीन की फसल को नुकसान से बचाने के लिए जरुरी है कि किसान समय पर कीट-रोगों की पहचान कर उनका नियंत्रण करें | किसानों को सोयाबीन की फसल में इस समय पर लगने वाले कीट रोगों से बचाव के लिए यह कार्य करना चाहिए:

चक्र भ्रंग तथा इल्लियों का नियंत्रण

चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक नोवाल्युरौन + इंडोक्साकार्ब (850 मिली/हे.) या बीटासायफ्लूथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या पुर्वमिश्रित थायमिथोकसम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) का छिडकाव करें | इनके छिडकाव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है |

चक्र भृंग नियंत्रण हेतु थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. 750 मिली/हे. या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1250 मिली./हे.) या पुर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./है.) या पूर्वमिश्रित थायमिथोकसम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली.हे.) का 500 लीटर पानी के साथ 1 हेक्टेयर में छिडकाव करें | यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें |

पीला मोजेक रोग का नियंत्रण

इस रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर बहार कर देना चाहिए तथा इन रोगों को फैलाने वाले वाहक सफेद मक्खी की रोकथाम हेतु पुर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिडकाव करें | इनके छिडकाव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है | सफेद मक्खी के नियंत्रण के लिए किसान अपने खेत पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं |

फफूंदजनित रोगों का नियंत्रण

  • कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल पर एथ्राक्नोज तथा रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट जैसे फफूंदजनित रोगों के प्रारंभिक लक्ष्ण देखे गए हैं | इसके नियंत्रण हेतु सलाह हैं कि टेबूकोनाजोल (625 मिली./हे.) या टेबूकोनाजोल + सल्फर (1 किलोग्राम /हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्लू.जी. (500 ग्राम/हे.) या पायरोक्लोस्ट्रोबीन + इपोकसीकोनाजोल (750 मिली.हे.) या फ्लुक्सापायरोक्साड (300 मिली./हे.) या टेबूकोनाजोल + ट्रायफ्लोक्सीस्ट्रोबिन 350 मिली./हे. का छिड़काव करें |

कीट का नियंत्रण

  • सोयाबीन की फसल में पक्षियों की बैठक हेतु “T” आकार के बर्ड–पर्चेस लगाये इससे कीट – भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है |
  • किसी भी प्रकार का कृषि – आदान क्रय करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बेच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो |

50 प्रतिशत की सब्सिडी पर खेत में तार फेंसिंग करवाने के लिए आवेदन करें

तार फेसिंग योजना हेतु आवेदन

खेती में फसलों को जंगली जानवरों तथा पालतू जानवरों से काफी नुकसान होता है | कभी–कभी नील गाय या अन्य जानवर किसानों की फसलों को पूरी तरह से बर्बाद कर देते हैं | जिससे किसानों को काफी आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है | किसान फेंसिंग की लागत अधिक होने से वह अपने खेत की पूरी तरह से तारबंदी नहीं करवा पाते हैं | खेत को तार फेसिंग करने के लिए सभी किसान के पास पैसा नहीं रहता है, खासकर लघु और सीमांत किसान के पास और भी मुश्किल रहता है |

किसानों को होने वाले इस नुकसान को बचाने के लिए कई राज्य सरकारों के द्वारा चयनित जिलों या सम्पूर्ण राज्य में तार फेंसिंग पर किसानों को अनुदान मुहैया करवाती है | ऐसी योजना हिमाचल प्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़ राज्य में चल रही है | छत्तीसगढ़ सरकार भी राज्य के किसानों के लिए “सामुदायिक तार फेसिंग योजना” चला रही है | जिसके तहत किसान को पोल तथा तार खरीदने के लिए 50 प्रतिशत की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है |

कौन से किसान करवा सकते हैं सब्सिडी पर तार फेंसिंग

राज्य परिवर्ती “सामुदायिक फेसिंग योजना” के तहत छत्तीसगढ़ के सभी वर्ग के लघु और सीमांत किसान पात्र हैं | योजना के तहत 0.5 हेक्टेयर से लेकर 2 हेक्टेयर भूमि वाले किसान आवेदन कर सकते हैं | इस योजना के लिए किसान समूह जो किसी भी वर्ग के हो सकते हैं आवेदन के लिए पात्र हैं |

तार फेंसिंग पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

सामुदायिक फेंसिंग योजना के तहत सरकार लागत का 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है | इसके साथ ही किसान को लागत का 50 प्रतिशत खुद से लगाना होगा | सरकार ने दो प्रकार की फेंसिंग पर सब्सिडी दे रही है | इन दोनों प्रकार के फेंसिंग पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी लाभार्थी किसान को दिए जाएंगे |

सीमेंट फैंसिंग :- इस प्रकार के फेंसिंग के लिए राज्य सरकार 180 नग (पीलर) पर दे रही है | प्रति पिलर 167 रुपये अदा करेगी | इस पर 30060.00 रूपये का लागत आ रही है | जिसका 50 प्रतिशत सब्सिडी सरकार दे रही है |

चैनलिंक 4 गुणा 4 (10 गेज हाईट 5 फीट): – इसके लिए 1,000 किलोग्राम क्षमता वाली फेंसिंग के लिए पीलर दिया जाएगा | इस पर कुल लागत 78910.00 रुपया है, जिस पर सरकार 50 प्रतिशत की सब्सिडी दे रही है |

तार फेंसिंग पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें ?

सामुदायिक फेंसिंग  योजना के अंतर्गत दो या दो से अधिक कृषक समूह बनाकर (सामान्य, अ.ज.जा. एवं अ.जा. वर्गवार) योजना का लाभ ले सकते हैं। इस हेतु अपने क्षेत्र के ग्रामीण उद्यान विस्तार अधिकारी से संपर्क कर निर्धारित आवेदन पत्र में आवेदन कर ‘‘पहले आओ पहले पाओ‘‘ के तहत योजना का लाभ ले सकते हैं। आवेदन के उपरांत किसान स्वयं के व्यय से फैंसिंग की व्यवस्था तकनीकी स्वीकृति के आधार पर की जाएगी | जिसका भौतिक सत्यापन किये जाने के उपरांत पात्रता अनुसार अनुदान का भुगतान कृषक के बैंक खाते में किया जाएगा |

 

बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के पशुओं के लिए दिया जा रहा है चारा

पशु चारा वितरण कार्यक्रम

अधिक वर्षा के कारण देश के कई राज्यों के जिलों में बाढ़ की स्थिति बनी हुई है | इससे किसानों को फसल के नुकसान के साथ ही मवेशियों की भी क्षति होती है | सबसे बड़ी समस्या तब उत्पन्न हो जाती है जब किसानों और पशुपालकों को बाढ़ से बचने के लिए अपना स्थान छोड़ कर पशुओं के साथ विस्थापित होना पड़ता है | ऐसे में उनके लिए सबसे बड़ी समस्या पशुओं के लिए आहार के इंतजाम की होती है | कई बार पशु चारा के बिना मर भी जाती है जिससे किसान को काफी क्षति उठाना पड़ता है |

इस स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार ने बाढ़ पीड़ितों के बीच पशुओं के लिए चारे का इंतजाम कर रही है | इसके तहत सरकार के तरफ से चारा तथा चोकर दिया जा रहा है | सरकार के तरफ जारी विवरण में बड़े तथा छोटे दोनों प्रकार के जानवरों के लिए चारे का इंतजाम किया जा रहा है | यह वितरण जिला प्रशासन के सहयोग से किया जाएगा |

कितना चारा दिया जायेगा ?

  • निर्धारित सहायय मानदर के अनुरूप बड़े जानवरों के लिए 70 रूपये तथा छोटे जानवरों के लिए 35 रूपये प्रतिदिन अनुमान्य है |
  • आपदाग्रस्त पशुओं के जीवन रक्षक के लिए सामान्य बड़े जानवरों के लिए 06 किलोग्राम छोटे जानवरों के लिए 03 किलोग्राम तथा भेड–बकरियों के लिए 01 किलोग्राम चारा की आवश्यकता होती है |
  • पशु शिविरों / अस्थायी शिविरों में एक बार में तीन दिन / एक सप्ताह हेतु चारा वितरण कराया जाता है तथा बाढ़ की स्थिति के अनुसार शिविर संचालन तक पुन: वितरण कराया जाता है |

कैसे दिया जायेगा चारा

जिला प्रशासन के मार्गदर्शन एवं सहयोग से शिविरों / अस्थाई शिविरों में पशुओं की संख्या के अनुसार चारा वितरण किया जाएगा | चारा वितरण के पूर्व सभी प्रभावित पशुओं की प्रकार / संख्या के आधार पर गन्ना कर पशुपालकवार टोकन वितरण किया जाता है तथा उक्त टोकन के आधार पर क्रमानुसार चारा का प्रबंध कर वितरण किया जाता है |

अधिक जानकारी के लिए यहाँ संपर्क करें ?

पशु चारा वितरण कार्यक्रम के लिए पशुपालक निदेशालय, बिहार, पटना स्थित आपदा कोषांग (दूरभाष संख्या – 0612-2230942) या पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्थान, बिहार पटना (दूरभाष संख्या 0612 – 2226049) से प्राप्त कर सकते हैं |

इस योजना के तहत 10 लाख रुपये की सब्सिडी पर कृषि क्षेत्र में अपना बिज़नेस शुरू करने के लिए आवेदन करें

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्ध उद्योग उन्नयन योजना के तहत सब्सिडी एवं आवेदन

कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए एवं कृषि में बाजार और रोजगार सृजित करने के उद्देश से केंद्र सरकार ने “एक जिला एक उत्पाद” कार्यक्रम की शुरुआत की है | इसके तहत कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है | इसमें सूक्ष्म उद्योगों की स्थापना के लिए सरकार द्वारा “प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्ध उद्योग उन्नयन योजना PMFME” चलाई जा रही है | योजना के तहत देशभर में अलग-अलग जिलों को अलग-अलग फसलों के लिए चयनित किया गया है | इन जिलों में किसी 1 फसल का उत्पादन बढ़ाकर वहां उसके मूल्य वर्द्धन के लिए बिज़नेस लगाकर वहां रोजगार सृजन का कार्य भी किया जा रहा है |  

इस योजना के तहत किसानों को उद्यमी बनाने के लिए अनुदान के साथ–साथ कई प्रकार की सुविधाएं दी जा रही है | योजना के तहत सभी राज्यों में जिलेवार फसल का चयन एवं उससे सम्बंधित उद्योगों का चयन किया जा चूका है | बिहार राज्य में भी जिलेवार फसल का चयन कर वहां उद्योग लगाने के लिए इच्छुक व्यक्तियों से आवेदन मांगे गए हैं | योजना के तहत किसान तथा किसान समूहों के अलावा स्वयं सहायता समूहों को लाभ दिया जायेगा |

योजना के लिए लाभार्थियों की पात्रता ?

सरकार ने इस योजना के लिए पात्रता तय किया है, जो इस प्रकार है:-

  • व्यक्तिगत उद्धमी
  • एफ.पी.ओ.
  • स्वयं सहयता समूह
  • सहकारी संस्थाएं |

बिहार के लिए जिलेवार चयनित उत्पाद

“एक जिला एक उत्पाद” के तहत विभिन्न जिलों के लिए विभिन्न प्रकार के उत्पादनों का चयन किया गया है | राज्य के 38 जिलों के लिए 23 कृषि उत्पादन को शामिल किया गया है | इच्छुक व्यक्ति चयनित उत्पादों के अनुसार उद्योगों का चयन कर सकते है |

जिला
उत्पाद

अररिया

मखाना

अरवल

आम

औरंगाबाद

स्ट्राबेरी

बांका

कतरनी चावल

बेगुसराय

मिर्च

भागलपुर

जरदालू आम

भोजपुर

मटर

बक्सर

मेंथा

दरभंगा

मखाना

पूर्वी चम्पारण

लीची

गया

मशरूम

गोपालगंज

पपीता

जमुई

कटहल

जहानाबाद

मशरूम

कैमूर

अमरुद

कटिहार

मखाना

खगड़िया

केला

किशनगंज

अनानास

लखीसराय

टमाटर

मधेपुरा

आम

मधुबनी

मखाना

मुंगेर

लेमन ग्रास

मुज्जफरपुर

लीची

नालंदा

आलू

नवादा

वेटल वाइन

पटना

प्याज

पूर्णिया

केला

रोहतास

टमाटर

सहरसा

मखाना

समस्तीपुर

हल्दी

सारण

टमाटर

शेखपुरा

प्याज

शिवहर

मोरिंगा

सीतामढ़ी

लीची

सिवान

मेंथा

सुपौल

मखाना

वैशाली

शहद

पश्चिम चम्पारण

गन्ना

 लाभार्थियों की दिया जाने वाला अनुदान एवं अन्य सुविधाएँ

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्ध उद्योग उन्नयन योजना के तहत लाभार्थियों को सरकार विभिन्न प्रकार की सुविधा प्रदान करने जा रही है | इसके लिए सब्सिडी के अलावा अन्य प्रकार की सुविधा दी जा रही है | सरकार के द्वारा दिये जानेवाला सुविधा इस प्रकार है |

  • इकाई के उन्नयन हेतु विद्धमान असंगठित खाद्ध प्रसंस्करण उद्धोगों को परियोजना लागत का 35 प्रतिशत क्रेडिट लिंक्ड अनुदान सहायता दिया जायेगा | जो अधिकतम 10 लाख रुपये है |
  • खाद्ध प्रसंस्करण में कार्यरत स्वयं सहायता समूहों के प्रति सदस्य को 40,000 रूपये की दर से प्रारंभिक पूंजी दी जाएगी |
  • काँमन इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए परियोजना लागत का 35 प्रतिशत क्रेडिट लिंक्ड अनुदान सहायता दी जाएगी |
  • विपणन और ब्रांडिंग पर व्यय का 50 प्रतिशत अनुदान सहायता राशि दी जाएगी |

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नयन योजना आवेदन कहाँ से करें ?

पात्रता रखने वाले व्यक्तिगत उद्धमी आवेदन करने के लिए भारत सरकार के खाद्ध प्रसंस्करण उद्धोमी मंत्रालय के वेबसाईट https://pmfme.mofpi.gov.in/pmfme/#/Home-Page पर जाकर सर्वप्रथम अपना पंजीकरण करेंगे | इसके बाद आवेदक ईमेल के माध्यम से प्राप्त यूजर आईडी की सहायता से लाँगिन करके, वेबसाईट पर दिए गए दिशानिर्देशों का अनुपालन करते हुए आनलाइन आवेदन कर सकते हैं |

किसान उत्पादक संगठन (एफ.पी.ओ.), स्वयं सहायता समूह (एस.एच.जी.) एवं सहकारी संस्थाएं आँफलाइन आवेदन प्रक्रिया द्वारा जिला उद्धान कार्यालय में आवेदन कर सकते हैं |

प्रधनमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्यम योजना के तहत आवेदन करने हेतु क्लिक करें 

अनुदान पर पान की खेती हेतु आवेदन करें

पान की खेती पर अनुदान

किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार के द्वारा बागवानी फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है, इसके लिए कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है | बागवानी वाली फसलों में पान की खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए अनुदान दिया जाता है | मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग में राज्य के चयनित जिलों के किसानों को पान की खेती हेतु प्रोत्साहित करने के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं | पान की खेती के लिए बरेजा बनाने पान की खेती करने के लिए सब्सिडी दी जाएगी |

योजना के तहत पान की खेती पर दिया जाने वाला अनुदान

केंद्र सरकार के उद्यानिकी विभाग द्वारा राष्ट्रीय कृषि विकास योजना-रफ़्तार का क्रियान्वयन किया जा रहा है | जिसके तहत उच्च तकनीक से पान की खेती हेतु 500 वर्ग मीटर में परियोजना के प्रावधान अनुसार पान बरेजा बनाने एवं पान की खेती करने हेतु इकाई लागत राशि रूपये 1.20 लाख पर 35 प्रतिशत अनुदान राशि 0.42 लाख दिया जाता है |

यह किसान कर सकते हैं आवेदन

राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत मध्य प्रदेश के सतना जिले के किसानों से अनुदान पर पान की खेती हेतु आवेदन आमंत्रित किये गए है | अभी योजना के तहत सतना जिले के सामान्य वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं | इच्छुक किसान आवेदन 5 अगस्त 2021 को सुबह 11:00 बजे से ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

किसानों के पास आवेदन करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज अपने पास रखना होगा :-

  • फोटो,
  • आधार कार्ड,
  • खसरा नम्बर/ बी1/ वन पट्टे की प्रति,
  • बैंक पासबुक |

अनुदान पर पान खेती हेतु आवेदन कहाँ करें

मध्यप्रदेश के किसान योजना के तहत पान उत्पादन हेतु आवेदन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं | मध्यप्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं |

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मक्का की फसल में खरपतवार का नियंत्रण एवं खाद का छिड़काव इस तरह करें

मक्का में खरपतवार नियंत्रण एवं खाद का छिड़काव

खरीफ सीजन में मक्का की बुवाई का कार्य पूरा हो चुका है इसके साथ ही किसान मक्के की फसल से खरपतवार की निंदाई तथा इसमें खाद का छिडकाव कर रहे हैं | पौधों के विकास के लिए खरपतवार का नियंत्रण के साथ ही मक्के की फसल में उर्वरक का उचित मात्रा में प्रयोग जरुरी है | किसान को खाद का प्रयोग मिट्टी की जाँच करवाकर अनुशंसित मात्रा में ही करना चाहिए |

मक्का की फसल में खरपतवार का नियंत्रण

फसल में विभिन्न प्रकार के खरपतवार देखे जा सकते हैं | यह खरपतवार इस प्रकार रहते हैं:- सांठी, चौलाई, भाखडी, बिस्कोपरा, जंगली जूट, दूधी, हुलहुल, नुपिया. सांवक, मकरा आदि का नियंत्रण 400 से 600 ग्राम एट्राजीन (50 प्रतिशत घुलनशील पाउडर) प्रति एकड़ 200 से 250 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के तुरंत बाद छिडकने से इनपर नियंत्रण किया जा सकता है |

मक्के की फसल में सभी तरह के खरपतवारों के नियंत्रण के लिए टेबोट्रायोन (लोदिस 34.4% घु.पा.) का 115 मि.ली. तैयार शुद्ध मिश्रण + 400 मि.ली. चिपचिपे पदार्थ को 200 लीटर पानी में मिलाकर बिजाई के 10 से 15 दिन बाद या खरपतवार की 2–3 पत्ती अवस्था पर प्रति एकड़ स्प्रे करें |

मक्का में खाद का छिडकाव

किसी पौधे के विकास के लिए जरुरी होता है की पौधे को पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व मिल सके | पौधों के लिए पर्याप्त मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध करने के लिए रासायनिक उर्वरक का प्रयोग करते हैं | मक्के की फसल में पोषक तत्व के लिए उर्वरक की मात्रा इस प्रकार करें |

  • नाईट्रोजन – 60 किलोग्राम (यूरिया 46% वाली 130 किलोग्राम) / एकड़
  • फास्फोरस – 24 किलोग्राम (सिंगल सुपरफास्फेट 16% वाली 150 किलोग्राम) / एकड़
  • पोटाश – 24 किलोग्राम (म्यूरेट फास्फेट 60% वाली 40 किलोग्राम) / एकड़
  • इसके अलावा जिंक सल्फेट 12% वाली 10 किलोग्राम प्रति एकड़

मक्के में फास्फोरस, पोटाश व जिंक सल्फेट पूरी मात्रा तथा नाईट्रोजन की एक तिहाई मात्रा बिजाई के समय व शेष बची नाईट्रोजन दो बार के पौधों घुटनों तक उग आने पर खड़ी फसल में तथा एक तिहाई झन्डे आने से पहले दें |

यदि किसी कारणवश बिजाई करते समय जिंक सल्फेट न डाला जा सका हो 3 छिड़काव (0.5% जिंक सल्फेट + 0.25% बुझा चुना) करना चाहिए | पहला छिड़काव बिजाई के एक महीने बाद करें, बाकी दो छिडकाव 10–10 दिन के अन्तर पर करें |

किसानों को यूरिया एवं अन्य खाद न मिलने या अधिक मूल्य पर मिलने पर शिकायत हेतु यहाँ कॉल करें

उर्वरक की शिकायत हेतु सहायता नंबर

खरीफ फसल की बुवाई के बाद दूसरा काम निराई तथा खाद छिडकाव का होता है | रबी फसल के मुकाबले खरीफ फसलों में उर्वरकों की ज्यादा जरूरत होती है | इसको देखते हुए केंद्र सरकार पहले से ही राज्यों को उर्वरक भेज देती हैं | इसके बावजूद भी कुछ उर्वरक विक्रेता कालाबाजारी करके उर्वरक का मूल्य बढ़ा देते है या मिलावटी उर्वरक बेचने लगते हैं | जिससे किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है | इस स्थित से निपटने के लिए राज्यों के कृषि विभाग द्वारा उर्वरक की कालाबाजारी पर छापामारी कर कार्यवाही की जाती है |

बिहार में कृषि मंत्री के अनुसार रासायनिक उर्वरक की कोई कमी नहीं है | राज्य में जरूरत के अनुसार उर्वरक उपलब्ध है | इसके बावजूद भी यदि कोई उर्वरक विक्रेता कालाबाजरी करता है तो कृषि विभाग उस पर कारवाई कर रहा है | कृषि मंत्री ने उर्वरक की जानकारी तथा इस माह कृषि विभाग के द्वारा की गई कारवाई की जानकारी दी है |

राज्य में उपलब्ध यूरिया

माननीय कृषि मंत्री ने यह स्पष्ट किया है कि राज्य में उर्वरक की कोई कमी नहीं है | खरीफ 2021 मौसम में यूरिया की माह अप्रैल से जुलाई तक 4.80 लाख मीट्रिक टन की आवश्यकता के विरुद्ध भारत सरकार द्वारा 31 जुलाई तक 4.50 लाख मेट्रिक टन कराया गया है | अगस्त माह के लिए भारत सरकार द्वारा 2.73 लाख मेट्रिक टन यूरिया का आवंटन उपलब्ध कराया गया है |

कृषि विभाग ने उर्वरक विक्री केन्द्रों पर की कार्यवाही

बिहार के कृषि विभाग द्वारा राज्य में उर्वरक उपलब्ध करने के लिए नियमित रूप से छापामारी कर दोषियों पर कड़ी करवाई की जा रही है | खरीफ 2021 में अभी तक कुल 1581 छापामारी की गई है, जिसमें से 273 विक्रेताओं की अनुज्ञप्ति निलंबित, 114 अनुज्ञप्ति रद्द, 29 पर प्राथमिकी तथा 486 विक्रेताओं से स्पष्टीकरण की माँग की गई है | सभी जिला में उर्वरक निगरानी समिति की बैठक जिला पदाधिकारी की अध्यक्षता में लगातार की जा रही है जिसमें खाद की बिक्री, मूल्य एवं उपलब्धता की नियमित समीक्षा की जाती है |

उर्वरक समबन्धित किसी भी शिकायत के लिये सहायता नम्बर

राज्य के सभी किसान भाइयों को यह सूचित किया जा रहा है कि राज्य तथा जिलों में उर्वरकों की कोई कमी नहीं है | सभी किसानों को खाद बोरी पर प्रिंट रेट पर ही दी जाएगी यदि कोई बिक्रेता अधिक दामों पर बेचता है तो किसान भाई इसकी शिकायत कर सकते हैं | बिहार में यूरिया खाद का दाम 266.50 रुपये प्रति बैग (45 किलो) है | कोई कठिनाई या शिकायत की स्थिति में कृषि निदेशालय के दूरभाष सं. 0612–2233555 पर सुबह 10 बजे से शाम 6 बजे तक कॉल कर सकते हैं, अथवा अपने जिला पदाधिकारी / जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क करें | साथ ही किसानों से अनुरोध है कि किसान खाद खरीदने पर रसीद अवश्य लें |