आने वाले दिनों में इन जगहों पर होगी अच्छी बारिश

मौसम पूर्वानुमान: मानसून की ताजा स्थिति

देश में एक बार फिर से मानसून सक्रीय हो गया है जिससे देश के विभन्न राज्यों में आने वाले दिनों में अच्छी बारिश होने के सम्भावना है | जो किसान सिंचाई के लिए बारिश का इंतजार कर रहे हैं उनके लिए यह अच्छी खबर है | भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार मॉनसून ट्रफ रेखा पश्चिमी राजस्थान से उत्तरी मध्य प्रदेश, दक्षिणी उत्तर प्रदेश, बिहार और पश्चिम बंगाल होते हुए नागालैंड तक फैली हुई है।इस समय, मॉनसून ट्रफ रेखा बीकानेर से उत्तर प्रदेश, बिहार, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल और असम होते हुए बंगाल की खाड़ी के उत्तर-पश्चिमी भागों तक फैली हुई है। जिससे उत्तरी भारत के मैदानी क्षेत्रों में अच्छी बारिश की सम्भावना है |

इन राज्यों में होगी अच्छी बारिश

पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के अलावा बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, ओड़ीशा भी शामिल हैं। पूर्वोत्तर राज्यों में भी अच्छी बारिश होगी। इसके अलावा छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में भी अच्छी बारिश अगले दो दिनों तक देखने को मिलेगी।

हरियाणा, चंडीगड़ एवं पंजाब

आगामी दो-तीन दिनों में पंजाब एवं हरियाणा के सभी जिलों अच्छी बारिश की सम्भावना है |  राज्यों के सभी जिलों में मध्यम से तेज बारिश होने की संभावना है |

बिहार एवं उत्तर प्रदेश

उत्तरप्रदेश के फिरोजाबाद, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा, झासनी, महोबा, हमीरपुर, जालौन जिलों में आने वाले दो दिनों में कुछ क्षेत्रों में भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है | वहीँ राज्य के अन्य जिलों में हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है | वहीँ बिहार के सभी जिलों में मध्यम से कहीं कहीं तेज बारिश की सम्भावना बनी हुई है |

मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं छत्तीसगढ़

पूर्वी राजस्थान के अधिकांश जिलों में आने वाले दिनों में भारी बारिश से बहुत भारी बारिश होने की सम्भवना है वहीँ पश्चिमी राजस्थान में मौसम शुष्क रहेगा | पश्चिमी मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में आने वाले दिनों में भारी से बहुत तेज बारिश होने की संभवना है वहीँ पूर्वी मध्यप्रदेश के अधिकांश जिलों में माध्यम से हल्की बारिश होगी | वहीँ छत्तीसगढ़ राज्य के अधिकांश जिलों में हल्की से मध्यम बारिश की सम्भावना है |

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जल्द ही किसानों के राष्ट्रीय बैंकों के लोन माफ किये जाएंगे

राष्ट्रीयकृत बैंकों के फसली ऋण माफी के लिए योजना

सहकारी बैंकों के पात्र किसानों के अल्पकालीन फसली ऋण माफ करने के बाद सरकार जल्द ही राष्ट्रिय बैंकों के किसानों द्वारा लिए गए लोन को सरकार जल्द ही माफ करेगी। इससे पहले सरकार ने ऐसे पात्र किसानों के 30 नवम्बर, 2018 तक बकाया अल्पकालीन फसली ऋण माफ कर चुकी है। सहकारिता मंत्री श्री उदय लाल आंजना ने बुधवार को विधानसभा में बताया कि राज्य के राष्ट्रीयकृत बैंकों के आर्थिक रूप से संकटग्रस्त किसानों के एनपीए के रूप में वर्गीकृत 2 लाख रुपये तक के फसली ऋण माफ करने के संबंध में एक मुश्त समझौता योजना लाई जाएगी। इस सम्बन्ध में एक समिति गठित कर दी गई है, जिसकी बैंकों के साथ दो बैठके हो चुकी है। 

इससे पहले सहकारिता मंत्री ने विधायक श्री बाबूलाल के मूल प्रश्न के जवाब में बताया कि राज्य सरकार ने 19 दिसम्बर, 2018 को आदेश जारी किया है जिसके तहत राज्य की सहकारी बैंकों के निर्दिष्ट पात्रता धारक किसानों का 30 नवम्बर, 2018 को बकाया समस्त अल्पकालीन फसली ऋण माफ करने का निर्णय लिया है।

राजस्थान सरकार ने सहकारी बैंकों के मध्यकालीन व दीर्घकालीन कृषि ऋणों के सम्बन्ध में भी ऋण माफी का निर्णय लिया है, जिसके तहत सहकारी बैंकों के लघु एवं सीमान्त कृषकों के अवधिपार ऋण खातों, जिनमें 30 नवम्बर, 2018 तक राशि रुपए दो लाख से कम का अवधिपार बकाया हो, को योजनान्तर्गत माफी हेतु मान्य किया गया है। उक्त योजनाओं के अन्तर्गत अब तक 19 लाख 71 हजार किसानों को ऋण माफी का लाभ दिया जा चुका है। योजना का क्रियान्वयन जारी है।

इन बैंकों के किसानों को भी मिलेगी लोन माफी

सहकारिता मंत्री ने बताया कि नेशनल बैंक, शेडूल्य बैंक एवं आरआरबी से जुडे़ कृषक, जो आर्थिक रूप से संकटग्रस्त हैं और अपना अल्पकालीन फसली ऋण नहीं चुका पा रहे हैं, उनका 30 नवम्बर 2018 की स्थिति में दो लाख रुपये की सीमा तक का अल्पकालीन फसली ऋण, जो एनपीए के रुप में वर्गीकृत है, को माफ करने के लिए बैंकों से परामर्श कर वनटाईम सेटलमेण्ट स्कीम (ओ.टी.एस.) लाये जाने हेतु समन्वय समिति का गठन किया गया है।

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किसानों के फसल बीमा की राशि जमा करेगी यह सरकार

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

किसान भाइयों खरीफ फसल की बुआई का समय चल रहा है एवं खरीफ सीजन हेतु फसल बीमा करवाने की अंतिम तारीख 31 जुलाई है | ऐसे में जो ऋणी किसान है अर्थात जो किसानों ने फसली ऋण बैंक से ले रखा है उनका बीमा तो स्वत्तः ही हो जाता है परन्तु यह बीमा किसान के खाते में से कटता है | इस बार राजस्थान सरकार सहकारिता को लगातार बढ़ाबा दे रही है इसके लिए राजस्थान सरकार ने सहकारी बैंकों से लोन लेने के लिए ऑनलाइन आवेदन की व्यवस्था भी की है साथ ही सरकार ने यह घोषणा की है की जो किसान सहकारी बैंकों से इस साल खरीफ फसली ऋण के लिए ऑनलाईन पंजीयन करा लिया है, उन सभी किसानों का 29 जुलाई से पहले सरकार द्वारा फसल बीमा करा दिया जायेगा। भारत सरकार द्वारा जैसे ही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का पोर्टल चालू किया जायेगा वैसे ही किसानों की फसल बीमा राशि जमा करा दी जायेगी।

सहकारिता मंत्री श्री उदयलाल आंजना ने बुधवार को राज्य विधानसभा में कहा कि राजस्थान सरकार कृषि (ग्रुप- 1) विभाग की अधिसूचना 17 जुलाई 2019 के अनुसार खरीफ फसल 2019 के लिए प्रधानमंत्री फसली बीमा योजना के अंतर्गत 31 जुलाई 2019 तक किसानों का बीमा करवाया जाना अपेक्षित है। योजना के अनुसार ऋणी किसानों का बीमा बैंकों के द्वारा अनिवार्य रूप से करवाया जाना है एवं अऋणी किसानों के लिए यह बीमा ऎच्छिक है। जो अऋणी किसान फसल बीमा करवाना चाहता है, वह बैंक से सम्पर्क कर फसली बीमा करवा सकता है।

जिन किसानों का ऋण माफ हुआ है उनका बीमा कैसे होगा ?

राजस्थान में सहकारी बैंको के द्वारा अल्पकालीन फसली ऋण की अवधि अप्रेल माह से अगस्त माह तक निर्धारित है। गत वर्ष इस अवधि को 15 सितम्बर तक बढ़ा दिया गया था। योजना के प्रावधान के अनुसार जुलाई 2019 के पश्चात जिन किसानों के द्वारा फसली ऋण प्राप्त किया जायेगा उनका बीमा बैंकों के  द्वारा ऋणी किसानों के रूप में नहीं करवाया जा सकेगा ऎसे किसानों को अऋणी किसान के रूप में ही बीमा करवाना पड़ेगा।

फसल बीमा करने की दिनांक 31 जुलाई नजदीक व अंतिम होने को ध्यान में रखते हुए समस्त रजिस्टे्रशन कराने वाले किसानों को एस.एम.एस द्वारा सूचना भिजवा दी गई है कि वे बैंक में उनके हिस्से का अंश जमा कराकर बीमा करा लेवें। उन्हें ऋण मिलने में कोई संदेह नहीं है।

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9 लाख से अधिक किसान कर चुके हैं ऑनलाइन लोन के लिए आवेदन, आप भी आज ही करें

ऑनलाइन फसली लोन वितरण

अभी तक किसान कृषि लोन प्राप्त करने के लिए बैंकों को चक्कर लगाने पड़ते थे | इसमें समय के साथ पैसा भी ज्यादा लगता था | कभी – कभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड बनाने में रिश्वत देनी पड़ती थी | इसके बाबजूद भी सभी किसानों को लोन प्राप्त नहीं हो पाता था | इन सभी से छुटकारा पाने के लिए किसानों को आनलाइन आवेदन करने की सुविधा दी जा रही है | राजस्थान ऑनलाइन आवेदन लोन वितरण करने वाला पहला राज्य बना है | राजस्थान ने कोटा सम्भाग से सबसे पहले ऑनलाइन लोन की सुविधा की शुरुआत की गई है  |

जिस किसान ने ऑनलाइन आवेदन किया था उस किसान को लोन मिलना शुरू हो गया है | राजस्थान की सहकारिता मंत्री ने जानकारी देते हुये बताया है कि जिन किसानों ने अभी तक आँन लाइन पंजीयन करवाया है और जिनकी अधिकतम साख सीमा स्वीकृत हो चुकी है ऐसे किसान ग्राम सेवा सहकारिता समिति पर जाकर दस्तावेजीकरण की प्रक्रिया को सम्पन्न कर फसली ऋण प्राप्त करें | उन्होंने बताया कि खरीफ फसली ऋण वितरण के लिए सहकारिता बैंक के पास पर्याप्त पूंजी है और बैंकों द्वारा ऋण वितरण की प्रक्रिया जारी है |

किन किसानों को ऑनलाइन लोन दिया जा रहा है ?

प्रदेश में अब तक 9 लाख 25 हजार किसानों ने ऑनलाइन फसली ऋण वितरण के लिए पंजीयन कर दिया है | जैसे – जैसे किसानों का पंजीयन हो रहा है वैसे – वैसे उनकी साख सीमा स्वीकृत होती जा रही है | उन्होंने बताया की नये सदस्य किसानों के लिए भी आनलाईन पंजीयन खोल दिया गया है तथा अभी तक 23 हजार एसे सदस्य किसानों ने पंजीयन कराया है जिनकों अभी तक फसली ऋण की सुविधा नहीं मिल पायी थी |

इस वर्ष राज्य सरकार 10 लाख नए सदस्यों को फसली ऋण की सुविधा प्रदान करेगी | इस वर्ष किसानों को फसली ऋण के लिए किसी भी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा और तय समय में लक्ष्य के अनुसार किसानों को ऋण वितरण कर दिया जायेगा |

किसान ऑनलाइन लोन के लिए कैसे आवेदन करें

किसान को समिति या ई – मित्र केंद्र पर जाकर आनलाईन पंजीयन करना होगा | पंजीयन बायोमेट्रिक सत्यापन के आधार पर किया जाएगा | इसके बाद सदस्य किसानों को फसली ऋण डिजिटल मेंबर रजिस्टर (डीएमआर) के माध्यम से वितरित किया जाएगा | किसान से आवेदन प्राप्त करने की सम्पूर्ण प्रक्रिया को आनलाइन किया है |

ऑनलाइन फसल हेतु लोन योजना की पूरी जानकारी के लिए क्लिक करें |

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यदि फसल बर्बाद हो गई है या अभी बुआई नहीं कर पायें हैं तो मुफ्त में बीज लें

मुफ्त बीज वितरण योजना

इस वर्ष के शुरुआत (जून और जुलाई) में मौसम का साथ नहीं देने के कारण खरीफ फसल की बुआई पर पड़ा है | जुलाई माह में किसी स्थान पर अधिक वर्ष तो किसी स्थान पर सुखा की स्थिति है | दोनों अवस्था में ही खरीफ फसल को काफी नुकसान हुआ है | जहाँ बाढ़ के कारण बोई हुई फसल नष्ट हो गई है तो सुखे के कारण या तो फसल बोई नहीं गई है या फिर बुवाई किया हुआ फसल सुख गया है | इसका सबसे ज्यादा मार बिहार राज्य पर पड़ा है | यह राज्य सुखा तथा बाढ़ दोनों से पीड़ित है |

इसको देखते हुये कृषि विभाग ने बाढ़ एवं सूखाग्रस्त दोनों क्षेत्रों की परिस्थितियों को देखते हुए किसानों को उनके फसलों के हुये नुकसान की भरपाई करने के लिए वैकल्पिक फसलों के बीज पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता सुनिशिचित करा रही है | बाढ़ एवं सुखाड़ से प्रभावित संबंधित जिला कृषि पदाधिकारियों के माध्यम से उनके जिला की आवश्यकता के अनुसार वैकल्पिक फसलों के बीज की आवश्यकता का आकलन विभाग द्वारा किया जा रहा है |

किसानों को दोबारा से फ्री में बीज दिया जायेगा

आकस्मिक फसल योजना के अंतर्गत जिलों से अब तक वैकल्पिक फसल के रूप में अल्पावधि वाले धान के 17208 क्विंटल, मक्का के 26,934 क्विंटल, ज्वार के 755 क्विंटल बाजरा के 119 क्विंटल, मडुआ के 108 क्विंटल, अरहर के 27725 क्विंटल, उड़द के 15199 क्विंटल, मुंग के 334 क्विंटल, मटर के 8878 क्विंटल, कुल्थी के 7357 क्विंटल, तोरिया के 10427 क्विंटल, सोयाबीन के 1680 क्विंटल, राई / सरसों के 396 क्विंटल, सूर्यमुखी के 96 क्विंटल,, मुली के 586.35 क्विंटल, पालक के 129.32 क्विंटल, भिंडी के 325 .30 क्विंटल, और अन्य सब्जियों के 518 क्विंटल बीज की आवश्यकता प्रतिवेदित की गई है | सभी बीज किसानों को नि:शुल्क दिया जायेगा |

बिहार सरकार किसानों से अपील करती है की किसान सुखा की अवस्था में धान किबुअई के जगह मक्का , सूर्यमुखी सब्जी , उड़द इत्यादी की खेती करें | इन सभी फसलों में धान की अपेक्षा पानी की जरूरत होती है |

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डीजल अनुदान योजना के लिए आवेदन करें

डीजल अनुदान योजना 2019-20

जुलाई माह समाप्त होने वाला है और खरीफ फसल की बुवाई तेजी से चल रही है , इसके बाबजूद भी किसानों के बीच एक संशय की स्थिति बनी हुई है इसका कारण यह है की मौसम का साथ नहीं देना | जिसके कारण कहीं पर बारिश कम हो रही है तो है पर अधिक | इस वर्ष भी ऐसा लग रहा है की पिछले वर्ष की तरह ही मौसम साथ नहीं देगा जिससे खरीफ फसल की बुवाई पर असर पड़ेगा उसके बाद उत्पादन पर असर पड़ेगा | खरीफ फसल की बुवाई पर असर नहीं पड़े इसके लिए किसानों को प्रोत्साहित किया जा रहा है | इसके लिए किसानों को खरीफ फसल की सिंचाई के लिए डीजल अनुदान दे रही है | खरीफ फसल की सिंचाई के लिए सरकार ने 280 करोड़ रूपये की स्वीकृति दी है | किसान समाधान इस योजना की पूर्ण जानकारी लेकर आया है |

डीजल अनुदान योजना किस राज्य के लिए है ?

यह योजना बिहार राज्य के लिए है तथा योजना का नाम डीजल अनुदान योजना है | इस योजना के तहत किसान खरीफ फसल हेतु डीजल पम्प सेट से सिंचाई के लिए अनुदान दे रही है | इस योजना के लिए बिहार सरकार ने 280 करोड़ रुपया स्वीकृत किया है |

डीजल अनुदान योजना के तहत कौन – कौन सी फसल पर अनुदान दिया जायेगा

इस योजना के तहत बीज गिराने, बीज स्थल में बिचड़ा को बचाने , बिचड़ा को मुख्य खेत में रोपने तथा रोप खड़ी फसल की सिंचाई करने , मक्का की सिंचाई करने , अन्य खरीफ फसलों के अन्तर्गत दलहनी , तेलहनी, जुट, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगन्धित पौधे के सिंचाई करने के लिए डीजल अनुदान का उपयोग किया जाएगा |

डीजल अनुदान योजना के तहत किसान को सब्सिडी कितनी दी जाएगी ?

यह योजना पहले से ही लागु है जो खरीफ तथा रबी फसल दोनों के लिए होती है | इस योजना के किसान को तहत प्रति एकड़ एक सिंचाई के लिए 10 लीटर पर अनुदान दिया जायेगा | प्रति लीटर 50 प्रतिशत का अनुदान रहेगा जो एक एकड़ में 500 रुपया बनता है | एक किसान को धान का बिचड़ा बचाने एवं जुट फसल की 2 सिंचाई के लिए 1000 रुपया प्रति एकड़ की दर से तथा धान, मक्का, अन्य खरीफ फसलों के अंतर्गत दलहनी , तेलहन, मौसम सब्जी, औषधीय एवं सुगन्धित पौधे हेतु एक ही खेत के लिए अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 1500 रु. प्रति एकड़ की दर से डीजल पर अनुदान का किया जायेगा |

डीजल अनुदान किस – किस को दिया जायेगा ?

यह अनुदान सभी प्रकार के किसानों को देय होगा | अनुदान की राशि पंचायत क्षेत्र के किसानों के अतरिक्त नगर निकाय क्षेत्र के किसानों को भी दी जाएगी | नवार्ड फेज 8 में निर्मित राजकीय नलकूप जो किसानों / किसान समितियों के द्वारा परिचालित किये जाते है उनके द्वारा भी डीजल क्रय कर सिंचाई करने पर अनुदान का लाभ दिया जा सकेगा |

डीजल अनुदान कब से शुरू किया जायेगा ?

खरीफ फसलों के सिंचाई के लिए 30 अक्टूबर 2019 तक डीजल क्रय करने पर यह अनुदान देय होगा | पिछले वर्ष की तरह विभाग द्वारा तैयार साफ्टवेयर के माध्यम से किसान भाई – बहनों से आवेदन प्राप्त किया जायेगा |

डीजल अनुदान योजना आवेदन कैसे करें ?

इसके लिए बिहार के किसानों को पहले DBT में पंजीयन करना होगा | जिस किसान के पास पहले से DBT में पंजीयन किया हुआ है उसे दुबारा नहीं करना होगा | DBT में पंजीयन करने के बाद एक 13 नम्बर का पंजीयन संख्या दिया जायेगा | उस पंजीयन संख्या से आनलाईन आवेदन करें | डीजल खरीदी की रसीद को विभागीय पोर्टल पर अपलोड करना होगा |

डीजल अनुदान योजना के लिए आवेदन हेतु क्लिक करें 

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पाली हाउस, प्लास्टिक मल्च, शेड हाउस पर अनुदान के लिए आवेदन करें

पाली हाउस, प्लास्टिक मल्च, शेड हाउस एवं हाइब्रिड फूल एवं सब्जियों की किस्मों पर अनुदान के लिए आवेदन

आज के समय जलवायु परिवर्तन का असर खेती पर साफ तरीके से देखा जा सकता है जिसका असर सीधे खेती पर पढ़ा है | हर सीजन में कोई न कोई फसल किसी न किसी प्राकृतिक आपदा का शिकार बन रही है जिससे किसानों को काफी नुकसान उठाना पढ़ रहा है | इन सभी परिस्थितयों को देखते हुए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारें सरंक्षित खेती को बढ़ावा दे रही है जिसके तहत सरकार किसानों को पाली हाउस खेती, प्लास्टिक मल्चिंग, शेड-नेट हाउस खेती एवं फूल फलों की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को अनुदान दे रही है |

क्या है सरंक्षित खेती योजना

सरंक्षित खेती राज्य योजना के तहत किसानों को अधिकतम 50 प्रतिशत अनुदान पर पाली हाउस, ग्रीन हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, फूलों एवं सब्जियों की खेती के लिए हाइब्रिड किस्में आदि चीजें किसानों को अनुदान पर दी जाती है |

योजना के लिए आवेदन कब एवं कौन से किसान कर सकेगें ?

मध्यप्रदेश के किसान नीचे तालिका में दिए गए जिले अनुसार विभिन्न मांगों को लेकर आवेदन कर सकेंगे | आवेदन 22 जुलाई को दोपहर 11 बजे से किसान ऑनलाइन किसी भी कियोस्क से अथवा MP ऑनलाइन से कर सकेंगे |

योजना का लक्ष्य क्या है तथा किस वर्ग के लिए हैं ?

योजना
घटक
जिला
वर्ग

संरक्षित खेती राज्य 

पाली हाउस 2080 से 4000 वर्ग मीटर तक 

भिंड, मुरेना, सिवनी, श्योपुर, शिवपुरी 

सामान्य 

संरक्षित खेती राज्य

शेडनेट हाउस- टयूब्लर स्ट्रक्चर 

अनुपपुर, बालाघाट, बैतूल, भिंड, देवास, इंदौर, जबलपुर, मंदसौर, नरसिंहपुर, झाबुआ, कटनी, रतलाम, रीवा, सागर, सिहोर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, उमरिया, अलीराजपुर, शाजापुर, टीकमगढ़, विदिशा 

सामान्य

अनुपपुर, बालाघाट, बैतूल, देवास, झाबुआ, कटनी,रतलाम,  सिहोर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, उमरिया, अलीराजपुर

अनुसूचित जनजाति

इंदौर, मंदसौर, नरसिंहपुर, सतना, शाजापुर, टीकमगढ़, विदिशा 

अनुसूचित जाति

संरक्षित खेती राज्य

उच्च कोटि की सब्जियों की खेती  

अनुपपुर, बालाघाट, बैतूल, भिंड, देवास, झाबुआ, कटनी, जबलपुर, इंदौर, मंदसौर, नरसिंहपुर, मुरेना, रतलाम, सिहोर, सिवनी, रीवा, सागर, शहडोल,  श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, उमरिया, अलीराजपुर, शाजापुर, टीकमगढ़, विदिशा  

सामान्य

अनुपपुर, बालाघाट, बैतूल, देवास, झाबुआ, कटनी, रतलाम, सिहोर, सिवनी, शहडोल, श्योपुर, शिवपुरी, सीधी, उमरिया, अलीराजपुर, 

अनुसूचित जनजाति

इंदौर, मंदसौर, नरसिंहपुर, सतना, शाजापुर, टीकमगढ़, विदिशा   

अनुसूचित जाति

संरक्षित खेती राज्य

उच्च कोटि के पुष्प- क्राईसंथेमम, गुलाब और लिली की खेती

भिंड, मुरेना, सिवनी, श्योपुर, शिवपुरी

सामान्य

संरक्षित खेती राज्य

प्लास्टिक मल्चिंग 

 अनुपपुर, बालाघाट, बडवानी, अशोकनगर, बैतूल, भिंड, भोपाल, बुरहानपुर, छतरपुर, होशंगाबाद, हरदा, ग्वालियर, दमोह, दतिया, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, देवास, धार, गुना, इंदौर, जबलपुर, झाबुआ, कटनी, खंडवा, खरगोन, मंदसौर, नरसिंहपुर, मुरेना, मंडला, रीवा, सिवनी, सीहोर,नीमच, पन्ना, रायसेन, राजगढ़, रतलाम, सागर, सतना, शिवपुरी, श्योपुर, उज्जैन, उमरिया, विदिशा, टीकमगढ़, शाजापुर, शहडोल, सीधी, अलीराजपुर, सिंगरोली, आगर मालवा 

सामान्य

अनुपपुर, बालाघाट, बडवानी, छिंदवाड़ा, डिंडोरी, देवास, धार, गुना, मंडला, रीवा, सिवनी, शहडोल, सीधी, अलीराजपुर

अनुसूचित जनजाति

 सीहोर, शाजापुर, शहडोल, सीधी, आगर मालवा  

अनुसूचित जाति

  आवेदन कहाँ करें

दी गई सभी सामग्री के लिए आवेदन उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं | मध्यप्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं | किसान कीओस्क पर जाकर अथवा एमपी ऑनलाइन पर जाकर पंजीयन करें जहाँ eKYC  (उंगलियों के निशान) सत्यापन कर सकें |

पाली हाउस, ग्रीन हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग, फूलों एवं सब्जियों की खेती पर अनुदान हेतु क्लिक करें

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बरसात के मौसम में कुक्कुट को इस तरह रोगों से बचाएं

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बरसात में कुक्कुट पालक कौन से कार्य करें

बरसात के मौसम में कुक्कुट पक्षियों के सही रख – रखाव एवं उनकी देखभाल बहुत ही जरुरी हो जाती है | बरसात में उचित रख – रखाव न होने के कारण कुक्कुट व्यवसायियों को काफी क्षति उठानी पड़ती है | बरसात के मौसम में कुक्कुट पक्षियों की सही देखभाल हेतु बरसात शुरू होने से पूर्व कुक्कुट गृहों की मरम्मत का कार्य पूर्ण कर लिया जाय जैसे छतों से दरार / रिसाव , फर्श मरम्मत, पर्दे आदि ए सारी चीजें तैयार हो जानी चाहिए | प्लास्टिक के पर्दे से दोहरा फायदा कुक्कुट पलकों को मिलता है | पहला कि बरसात के बौछारों से बचाव दूसरा तेज हवाओं को रोकना, कुक्कुट आहार में फफूंद रोग हो जाना बरसात में आम बात हो जाती है | इसकी सावधान हेतु कुक्कुट पलकों को आहार का आयत बरसात में ज्यादा नहीं करना चाहिए | इसके लिए सुखा तथा ताजा आहार पहले से इकट्ठा कर भंडार गृह में रख लेना चाहिए |

कुक्कुट पालन में इन बातों का ध्यान रखें

मूंगफली की खली में फंगस का असर जल्दी होता है तथा इसके बचाव हेतु एन्टीफंगस का प्रयोग करना चाहिए | इस बात को ध्यान में रखे कि आहार में नमी की मात्रा 10 प्रतिशत से अधिक न होने पायें | मुर्गी जाली में एक से डेढ़ फिट दुरी पर पर्दों लगाना चाहिए ताकि पर्दों से पानी का रिसाव सीधे मुर्गियों के विछावें को गीला न करने पाये | गिला विछावे को तत्काल निकाल कर नया तथा सुखा विछावा/ बरादा को तुरन्त लगवाना चाहिए | गिले बरादे के कारण काक्सिडियोसिसजैसी बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है | जिसके कारण फलकों में मृत्यु दर की सम्भावना अधिक हो जाती है तथा चूजे में विकास चाहिए इससे एस्परजिलासिस जैसी बीमारी की सम्भावना बढ़ जाती है | विछावन अगर ज्यादा गीला हो जाय तो इसमें चुना मिला दि ताकि बिछावन की नमी थोड़ी कम हो जाए |

 विछावन ज्यादा सख्त हो जाये तो उसे निकलकर बाहर फिकवा दे तथा उसकी जगह सूखा लिटर रखवा दे | बरसात के दिनों में बिछावन की गहराई बढ़ा दे तथा प्रत्येक मुर्गियों को आधा वर्ग फीट की जगह और बढ़ा दे | 2 – 3 इंच सुखी रेट फर्श पर डालकर उस पर बिछवान बिछाने से जमीन की नमी से बिछावन का बचाव होता है | आहार का भंडारण गृह सीलन रहित होना चाहिए | आहार को रखने से पहले जमीन पर लकड़ी के पटरे रखेंगे | तदनुसार उस पर आहार की बोरी बारी – बारी से रखना चाहिए | इससे जमीन की नमी से आहार को बचाया जा सकता है |

 नये आहार की बोरी को 10 – 15 दिन के अन्दर अवश्य प्रयोग कर लेना चाहिए | बरसात के मौसम में मक्खियों का प्रकोप बढ़ जाता है | इसके कारण बहुत अधिक बीमारियों के फैलने की सम्भावनायें बढ़ जाती है | इसके लिए मैलाथियान का छिड़काव शेड के बाहर करवा लेने से इनका बचाव किया जा सकता है | जहाँ – जहाँ पर बीट अधिक गीली हो जाए उस जगह पर सुखी रेट बीट के ऊपर डाल दें |

मक्खियों की रोकथाम हेतु बीट के ऊपर थोडा फिनायल का स्प्रे करने से मक्खियों का बचाव किया जा सकता है | दस्त की बीमारी बरसात में अधिक उत्पन्न हो जाती है | जो कि पेट में किडन की मौजूदगी से होती है | इसके लिए शाम के समय पिपराजीन साल्ट का प्रयोग उत्तम होता है | कुक्कुट गृहों की खाली जगह / गड्डे आदि को मिट्टी से भरवा दे ताकि मच्छरों , कीड़ों आदि के प्रजनन को रोका जा सकें | पानी के सभी भंडारण / स्त्रोत यानि पानी की टंकी, कुएं के पानी का कीटाणु रहित रकने के लिए ब्लींचिग पाउडर या पोटैशियम परमैगनेट का प्रयोग पानी में करना चाहिए |

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60 प्रतिशत की सब्सिडी पर मछली पालन करने के लिए आवेदन करें

सब्सिडी पर मछली पालन हेतु आवेदन

कभी मछली केवल भारत के तटवर्ती क्षेत्रों में तथा खारे पानी में ही हुआ करती थी | अब देश में मछली पालन मीठे पानी में भी किया जा रहा है | यह किसानों की सबसे सुरक्षित और कम भूमि में अधिक आय देने वाला क्षेत्र हैं | इसे लेकर केंद्र सरकार तथा राज्य सरकार किसानों को लगातार प्रोत्साहित कर रही है | अब तो केंद्र तथा राज्य सरकार बजट में अलग से व्यवस्था करती है |

इसके तहत उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 – 20 के लिए प्रदेश के किसानों को मत्स्य पालन के लिए सब्सिडी दे रही है | जिसे ईच्छुक किसान आवेदन करके योजना का लाभ प्राप्त कर सकते हैं | इस योजना की पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है |

मछली पालन हेतु योजना क्या है ?

नीली क्रांति योजना है इसे भारत तथा उत्तर प्रदेश सरकार की सहयोग से चलाया जा रहा है | इस योजना के तहत मत्स्य विभाग के सभी योजना के लिए आवेदन माँगा गया है | यह योजना सभी वर्गों के लिए है | सभी वर्ग को सब्सिडी अलग – अलग मिलेगी |

मछली पालन योजना के तहत किसान को क्या लाभ मिलेगा ?

परियोजना के आधार पर संचालित इस योजना के तहत अनुसूचित जाती / जनजाति के लाभार्थियों को परियोजना का 60 प्रतिशत तथा शेष वर्ग के लाभार्थी को 40 प्रतिशत अनुदान के रूप उपलब्ध कराया जायेगा | इस योजना के तहत मत्स्य तलाबों एवं झीलों का मत्स्य पालन के लिए विकास ,मत्स्य बीज उत्पादन हेतु मत्स्य हेच्रियों एवं बीज संवर्धन इकाईयों की स्थापना, सौर ऊर्जा से संचालित मत्स्य प्रबंधन इकाईयों की स्थापना, पोस्ट हार्वेस्ट मैनेजमेन्ट के अंतर्गत कोल्ड चेन एवं कोल्ड रम की स्थापना शीत मत्स्य विपणन एवं मूल्यवर्धित मत्स्य उत्पादों की बिक्री एवं क्षेत्र विशेष में मत्स्य विकास से संबंधित नवाचार परियोजनायें संचालित की जा सकती है |

कब आवेदन करना है ?

इस योजना का आवेदन शुरू हो गया है जो 30 सितम्बर 2019 – 20 तक चलेगा |  इच्छुक किसान इस योजना के लाभ लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं |

मछली पालन हेतु आवेदन कैसे करें ?

किसान योजना के लाभ के लिए पंजीकृत मत्स्य विभाग के पोर्टल https://fymis.upsdc.gov.in पर कराया जा सकता है | इस संबंध में विस्तृत जानकारी संबंधित जिला मत्स्य अधिकारी / मत्स्य सहायक निदेशक के कार्यालय से एवं विभागीय वेबसाइट :- https://fisheries.upsdc.gov.in , ई. – मेल – [email protected], टोल – फ्री नंबर – 18001805661 एवं दूरभाष संख्या – 0522- 2742762 पर सम्पर्क कर सकते हैं |

मछलीपालन अनुदान हेतु आवश्यक डाक्यूमेंट 

वर्ष 2019 – 20 हेतु इस योजना के अंतर्गत निर्धारित किसी भी मद में यदि कोई भी व्यक्ति निजी भूमि पर कोई कार्य कराना चाहते हों तो वह अपनी चयनित अविवादित भूमि के स्वामित्व के प्रमाण पत्र के साथ आधार कार्ड बैंक अकाउंट नम्बर बैंक आई.एफ.एस.सी. कोड नंबर एवं नियमानुसार बने परियोजना प्रस्ताव के साथ अपना पंजीकरण विभागीय पोर्टल पर करा सकता है |

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यदि कम बारिश हो रही है तो यह फसलें लगाएं किसान

कम बारिश होने पर धान की जगह लगाएं यह फसलें

खरीफ फसलों में एक मुख्य फसल धान है जिसका उत्पादन और उपभोग भारत के सभी राज्यों में होता है | इसकी खेती के लिए अन्य फसलों की अपेक्षा बहुत अधिक पानी लगता है | जिसके कारण कम बारिश वाले क्षेत्रों में यह खेती नहीं की जा सकती है | पिछले कुछ वर्षों से देश में सामन्य बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती पर असर पड़ा है | जिसके कारण किसान धान की जगह वैकल्पिक खेती कर रहे हैं |

बिहार राज्य में भी धान एक प्रमुख्य फसल है | इसकी खेती खरीफ मौसम में 33 लाख हेक्टेयर में की जाती है | सभी जगह सिंचाई की सुविधा नहीं रहने के कारण आज भी धान की खेती वर्षा पर निर्भर है | वर्तमान समय में अगर वर्षापात की स्थिति की गणना देखि जाये, तो यह स्पष्ट है की जून महीने में सामन्य वर्षापात  167.7 मि.मी. के विरुद्ध वास्तविक वर्षापात 98.7 मि.मी. हुआ है | इस प्रकार राज्य में जून महीने में सामन्य से 41 प्रतिशत कम वर्षापात दर्ज की गयी है | जुलाई महिना में गत सप्ताह से राज्य में अच्छी वर्षा हुई है | परन्तु राज्य के 12 जिलों रोहतास, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद, बेगुसराय, शेखपुरा, जमुई, बांका, सहरसा एवं पूर्णिया में औसत से कम वर्ष हुई है |

सरकार की तरफ से किसान को यह सुझाव दिया गया है कि वर्षा के पानी के बहाव  को रोकने के लिए खेत की जुताई कर दें, ताकि नमी संरक्षण रह सके | शीघ्र एवं मध्यम अवधि वाले धान के प्रभेद को जुलाई के अंतिम सप्ताह तक लगा सकते हैं | ऊँची / भीत भूमि के लिए कम अवधि में तैयार होने वाले धान के प्रभेद की खेती की जा सकती है | साथ ही , वर्षा कम होने की स्थिति में किसान भाई – बहन जीरो सीड ड्रिल मशीन से धान की सीधी बुआई भी कर सकते हैं |

धान की जगह लगायें यह फसलें

सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पूर्व से अंकुरित बीजों का ही प्रयोग करना चाहिए , क्योंकि इससे उसका अंकुरण जल्द एवं सामान्य रूप से होता है | धान की बुआई से पूर्व बीज को फफुंदीनाशक दवा से अवश्य उपचारित करें | इस बीज उपचारित से बिचड़ा गलत नहीं है | तापमान बढने तथा वर्ष कम होने के कारण बिचड़ा को फुदका (टिड्डा) नुकसान पहुँचा सकता है | धान के विकल्प के रूप में ऊँची जमीन पर धान लगाने के बदले मक्का, अरहर, सोयाबीन, तिल, मक्का, उड़द को लगाना चाहिए | अत्यधिक देरी की अवस्था में सूरजमुखी कलाई की फसल भी ली जा सकती है | कीटनाशक रसायनों एवं पोषक तत्वों का छिड़काव मानवचालित स्प्रेयर से ही करे | इससे पानी का खर्च कम होता है |

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