खरीफ सीजन में सोयाबीन एक महत्वपूर्ण तिलहन फसल है। कई राज्यों में किसान इसकी खेती प्रमुखता से करते हैं। ऐसे में किसान बुआई से पहले कुछ तकनीकें अपनाकर इसका उत्पादन बढ़ा सकते हैं। इसको लेकर भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने किसानों के लिए एडवाइजरी जारी की है। संस्थान द्वारा किसानों को बुआई से पहले खेत की तैयारी सहित किस्मों के चयन, खाद के प्रयोग, अंकुरण परीक्षण सहित अन्य महत्वपूर्ण काम करने को कहा है।
संस्थान के मुताबिक़ किसानों को सोयाबीन फसल का अच्छा उत्पादन लेने के लिए 3 सालों में कम से कम एक बार खेत की गहरी जुताई कर लेनी चाहिए जिससे उत्पादन में स्थिरता आती है और कीट-रोगों के प्रकोप में कमी आती है। इसके अलावा किसानों को खेत में एक किस्म की बजाय 2 से 3 किस्मों की खेती करने की सलाह दी गई है जिससे फसल उत्पादन में जोखिम को कम किया जा सके।
सोयाबीन के लिए कैसे करें खेत की तैयारी
किसानों को सलाह दी गई है कि किसान 3 वर्षों में एक बार अपने खेत में ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अवश्य करें और विपरीत दिशाओं में दो बार कल्टीवेटर एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार करें। यदि किसान पिछले वर्ष गहरी जुताई कर चुके हैं तो वे इस साल केवल विपरीत दिशाओं में कल्टीवेटर (बखरनी) एवं पाटा चलाकर खेत को तैयार करें। वहीं खेत की मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाने के लिए किसान अंतिम बखरनी से पहले गोबर खाद 5 से 10 टन प्रति हेक्टेयर या मुर्गी की खाद 2.5 टन प्रति हेक्टेयर डालकर अच्छे से मिला दें।
बारिश के पानी के उपयोग के लिए करें यह काम
वहीं सोयाबीन की फसल में वर्षा का जल का अच्छी तरह से उपयोग किया जा सके इसके लिए 5 साल में एक बार अपनी सुविधा अनुसार अंतिम बखरनी से पहले 10 मीटर के अंतराल पर सब सॉइलर चलाये। जिससे वर्षाजल खेत की गहरी सतह तक जा सकें और सूखे की स्थिति बनने पर फसल को नमी मिलती रहे साथ ही इससे मिट्टी की कठोर परत तोड़ने में तथा नमी का संचार अधिक समय तक रखने में सहायता मिलती हैं।
किसान इस तरह करें सोयाबीन की किस्मों का चयन
किसान अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार विभिन्न समय पर पकने वाली क़िस्मों का चयन करें। ऐसे किसान जो सोयाबीन के बाद आलू, प्याज लहसुन जैसी फसल लेकर गेहूं/चना लगाते हैं वे किसान सोयाबीन की कम अवधि वाली किस्म को लगायें। उसी प्रकार वर्ष में केवल दो फसलें लेने वाले किसान मध्यम या अधिक अवधि में पकने वाली सोयाबीन की किस्मों का चयन कर सकते हैं। किसान बीज की बुआई से पहले अंकुरण परीक्षण अवश्य करें। न्यूनतम 70% बीजों का अंकुरण होने पर ही बीजों को बुआई के लिए उपयोग में लें।
सोयाबीन की बुआई के लिए कितना बीज लें
उत्पादन की दृष्टि से किसानों को प्रति हेक्टेयर पौध संख्या का निर्धारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सोयाबीन फसल के लिए अनुशंसित 45 सेंटीमीटर क़तारों पर तथा 5 से 10 सेंटीमीटर की दूरी पौधों से पौधों के बीच रखना लाभकारी होता है। सोयाबीन में बड़े आकार के बीज की तुलना में छोटे या मध्यम आकार के बीज की अंकुरण क्षमता अधिक होती है। अतः किसान न्यूनतम 70 प्रतिशत बीज अंकुरण, बीज का आकार एवं अनुशंसित दूरी को ध्यान में रखकर 60-75 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर बीज दर अपनाना उत्पादन एवं आर्थिक दृष्टि से लेना लाभकारी होता है।
किसान जहां तक संभव हो सोयाबीन की बुआई बी.बी.एफ. (चौड़ी क्यारी प्रणाली) या (रिज-फरो पद्धति) कुंड मेड़ प्रणाली से करें। साथ ही सोयाबीन की खेती के लिए उपयोगी कृषि यंत्र जैसे सीड ड्रिल, स्प्रेयर आदि की मरम्मत कर समय पर उपयोग के योग्य रखें।