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मंगलवार, मई 20, 2025
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यदि कम बारिश हो रही है तो यह फसलें लगाएं किसान

कम बारिश होने पर धान की जगह लगाएं यह फसलें

खरीफ फसलों में एक मुख्य फसल धान है जिसका उत्पादन और उपभोग भारत के सभी राज्यों में होता है | इसकी खेती के लिए अन्य फसलों की अपेक्षा बहुत अधिक पानी लगता है | जिसके कारण कम बारिश वाले क्षेत्रों में यह खेती नहीं की जा सकती है | पिछले कुछ वर्षों से देश में सामन्य बारिश नहीं होने के कारण धान की खेती पर असर पड़ा है | जिसके कारण किसान धान की जगह वैकल्पिक खेती कर रहे हैं |

बिहार राज्य में भी धान एक प्रमुख्य फसल है | इसकी खेती खरीफ मौसम में 33 लाख हेक्टेयर में की जाती है | सभी जगह सिंचाई की सुविधा नहीं रहने के कारण आज भी धान की खेती वर्षा पर निर्भर है | वर्तमान समय में अगर वर्षापात की स्थिति की गणना देखि जाये, तो यह स्पष्ट है की जून महीने में सामन्य वर्षापात  167.7 मि.मी. के विरुद्ध वास्तविक वर्षापात 98.7 मि.मी. हुआ है | इस प्रकार राज्य में जून महीने में सामन्य से 41 प्रतिशत कम वर्षापात दर्ज की गयी है | जुलाई महिना में गत सप्ताह से राज्य में अच्छी वर्षा हुई है | परन्तु राज्य के 12 जिलों रोहतास, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद, बेगुसराय, शेखपुरा, जमुई, बांका, सहरसा एवं पूर्णिया में औसत से कम वर्ष हुई है |

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सरकार की तरफ से किसान को यह सुझाव दिया गया है कि वर्षा के पानी के बहाव  को रोकने के लिए खेत की जुताई कर दें, ताकि नमी संरक्षण रह सके | शीघ्र एवं मध्यम अवधि वाले धान के प्रभेद को जुलाई के अंतिम सप्ताह तक लगा सकते हैं | ऊँची / भीत भूमि के लिए कम अवधि में तैयार होने वाले धान के प्रभेद की खेती की जा सकती है | साथ ही , वर्षा कम होने की स्थिति में किसान भाई – बहन जीरो सीड ड्रिल मशीन से धान की सीधी बुआई भी कर सकते हैं |

धान की जगह लगायें यह फसलें

सूखाग्रस्त क्षेत्रों में पूर्व से अंकुरित बीजों का ही प्रयोग करना चाहिए , क्योंकि इससे उसका अंकुरण जल्द एवं सामान्य रूप से होता है | धान की बुआई से पूर्व बीज को फफुंदीनाशक दवा से अवश्य उपचारित करें | इस बीज उपचारित से बिचड़ा गलत नहीं है | तापमान बढने तथा वर्ष कम होने के कारण बिचड़ा को फुदका (टिड्डा) नुकसान पहुँचा सकता है | धान के विकल्प के रूप में ऊँची जमीन पर धान लगाने के बदले मक्का, अरहर, सोयाबीन, तिल, मक्का, उड़द को लगाना चाहिए | अत्यधिक देरी की अवस्था में सूरजमुखी कलाई की फसल भी ली जा सकती है | कीटनाशक रसायनों एवं पोषक तत्वों का छिड़काव मानवचालित स्प्रेयर से ही करे | इससे पानी का खर्च कम होता है |

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