किसानों को अभी नहीं दी जाएगी प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की राशि

फसल बीमा योजना की राशि

प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़ , सुखा, ओला आदि से किसनों को प्रति वर्ष लाखों हेक्टेयर की फसल बर्बाद हो जाती है जिससे किसानों की आर्थिक हालत खराब हो रही है | इन्हीं बातों को ध्यान में रखते हुये केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लेकर आयी थी | इसके तहत बाढ़, सुखा, तथा ओला एवं अन्य प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई की जा सके | यह योजना देश में एक सामान रूप से लागु की गई है | परन्तु यह देखने के अक्सर मिलता है की बहुत से किसान जिन्होंने बीमा करवाया है परन्तु अभी तक उन्हें फसल नुकसान का क्लेम नहीं मिलता  है |  जिसको लेकर समय समय पर देश के किसान इस योजना के विरुद्ध आवाज उठाते रहे हैं | ताजा मामला राजस्थान का आया है जहाँ पर प्रदेश के किसानों को फसल नुकसानी का दावा राशि नहीं दी गई है |

किसानों को क्यों नहीं दी गई फसल बीमा राशि

राजस्थान में अभी विधानसभा सत्र चल रहा है | इस सत्र में पूछे गए एक सवाल के जवाब में प्रदेश के कृषि मंत्री ने यह जवाब दिया है की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का केंद्र सरकार का हिस्सा अभी तक नहीं मिला है | जिसके कारण प्रदेश के किसानों के द्वारा फसल नुकसानी का दावा राशि नहीं दिया जा सका है | कृषि मंत्री ने यह भी बताया की केंद्र सरकार के पास 1050 करोड़ रुपये की राशि बकाया है जो अभी तक नहीं मिला है |सरकार ने यह दावा किया है की जैसे ही केंद्र सरकार का हिस्सा राज्य सरकार को मिल जायेगा उसके बाद 21 दिन के अंदर दावा राशि किसानों को दे दी जाएगी |

वर्ष 2018 में रबी फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा करते हुये केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने बताया था की अगर केंद्र तथा राज्य सरकार ने अपना हिस्सा देने में देर करती है तो उसे 14 प्रतिशत के ब्याज के साथ देना होगा | लेकिन वर्ष 2018 – 19 का केंद्रीय हिस्सा अभी तक नहीं मिला है तो सरकार को चाहिए की 14 प्रतिशत का ब्याज जोड़कर किसानों को उपलब्ध कराये |

राज्य कृषि मंत्री ने यह भी बताया है की 463 करोड़ रूपये का बीमा राशि किसानों को खाते में डाली जा चूकी है | जिसमें पाली जिले में 2051 किसानों को 75.03 लाख रुपया किसानों को जारी किया जा चूका है |

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मात्र 10 हजार रूपये में 5 हार्स पावर का सोलर पम्प लगवाएं

सौर सुजला योजना के तहत लगवाएं सोलर पम्प

सोलर पम्प के अधिक कीमत रहने के कारण देश के सभी किसानों के लिए इसे खरीद पाना सम्भव नहीं हो पाता है | 5HP के सोलर पंप की बाजार कीमत 4.5 लाख रुपया है जो छोटे तथा मंझोले किसानों के लिए सम्भव नहीं है | देश में छोटे किसानों की संख्या ही सबसे अधिक है | इसलिए सौर ऊर्जा से संचालित होने वाली पंप को बदहवा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों के लिए सौर सुजला योजना लेकर आयी है | जो किसानों को किफायती दर पर सोलर पंप उपलब्ध कराएगी | इसके तहत प्रदेश के किसानों को 3 तथा 5HP के सोलर पंप उपलब्ध कराया जायेगा | इस योजना के तहत 2 वर्ष में 51,000 किसानों को सोलर पम्प अनुदान पर दिया जायेगा |  इस योजना की पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है |

सोलर पम्प कितने तरह के दिए जायेंगे 

इस योजना के तहत किसानों को 3 तथा 5HP के सोलर पंप दिए जायेंगे | दोनों में से किसी एक सोलर पंप को ही प्राप्त किया जा सकता है | इन सभी सोलर पंपों को CREDA (chhattisgarh state renewable energy development agency) के द्वारा लगाया तथा मरम्मत किया जायेगा |

किसानों को इस दर पर सोलर पम्प दिया जायेगा

किसानों को 2 तरह का सोलर पम्प दिया जायेगा | एक 3HP तथा दूसरा 5HP का सोलर पम्प रहेगा , 3HP का सोलर पम्प छोटे किसान को तथा 5HP का सोलर पम्प बड़े किसानों को दिया जायेगा | यहाँ पर इस बात का ध्यान देने वाली है की छोटे तथा बड़े किसानों में किसी तरह का अंतर नहीं किया गया है | इसका मतलब यह है की कोई भी किसान कोई भी सोलर पम्प खरीद सकता है |

वर्तमान में 5 HP सोलर पंप (solar pump) की बाजार में कीमत 4.5 लाख है | सौर सुजला योजना के तहत यह सोलर पंप किसानों को रियायती दरों पर उपलब्ध कराये जायेंगे | 5HP सोलर पंप की रियायती कीमत लगभग 10,000 – 20,000 होगी जो इस समय निश्चित नहीं है | वहीं काम क्षमता वाले 3HP सोलर पंप की बाजार में कीमत 3.5 लाख है | यह सोलर पंप योजना के तहत योग्य किसानों को 7,000 – 18,000 की रियायती कीमती पर प्रदान किये जायेंगे | इसलिए यह पम्पों पर एक भारी छूट है अन्यथा गरीब किसानों के लिए संभव नहीं है |

सोलर पम्प सब्सिडी योजना का लाभ कैसे पा सकते हैं ?

यह योजना का आवेदन आनलाईन नहीं है | इस योजना के लाभार्थियों के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का कृषि विभाग (agriculture department) मुख्य पंजीयन प्राधिकरण (registering authority) है | किसान आवेदन करने के लिए मुक्त है पर रियायती दरों में सोलर पंप बांटने के लिए योग्य पात्रों को चयन कृषि विभाग द्वारा किया जायेगा | इस योजना के लिए आवेदन पत्र ब्लाक कार्यालयों और कृषि कार्यालयों में उपलब्ध है | आवेदन को ठीक से भर कर आवश्यक दस्तावेजों के साथ केवल कृषि कार्यालयों में प्रस्तुत करना होगा | इस योजना के लिए आवेदन शुल्क भी है | आवेदन प्राप्त होने के बाद CREDA (chhattisgarh state renewable energy development agency) द्वारा जाँच की जाती है की आवेदक इस योजना के लिए योग्य पात्र है या नहीं | 

इस योजना के लाभ लेने के लिए नियम और शर्ते

यह योजना का आवेदन कृषि विभाग में किया जायेगा तथा किसी भी परेशानी पर छत्तीसगढ़ के कृषि विभाग से संपर्क करना होगा | इस योजना के लाभ लेने के लिए किसानों के पास किसानों के पास यह सभी दस्तावेज होना चाहिए | किसान भाई अपने जिले के कृषि विभाग में जाकर आवेदन कर सकते हैं |

  1. आधार कार्ड,
  2. बैंक खाता
  3. मोबाईल नंबर

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कई बीज कंपनियां किसानों के साथ कर रही धोखाधड़ी

बीज कंपनियों द्व्रारा दिए जा रहे ख़राब बीज

देश में बीज का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जाता है जिसमें देश की  बड़ी-बड़ी निजी कंपनियां शामिल है | यह सभी किसानों को खरीफ , रबी तथा अन्य फसलों के बीज बाजार के माध्यम से उपलब्ध कराती हैं | यह सभी कंपनी एक से अधिक राज्य या किसी एक राज्य में बीज उपलब्ध करवाती हैं | देश में किसानों की संख्या के मुकाबले प्रयाप्त बीज नहीं उपलब्ध होने पर खराब या लोकल बीज को ही नये पैकेट में पुराने नाम से ही बेचा जाता है | इसको रोकने के लिए राज्य तथा केंद्र सरकार पर कानून भी है तथा समय – समय पर इसकी जाँच होते रहती है | नकली बीज होने पर करवाई भी होती है | इसके बाबजूद भी किसानों की कम जागरूकता होने पर नकली बीज के व्यापर करने वाली कंपनी आसानी से बीज बेचकर निकल जाती है |

ताजा मामला बिहार राज्य से आया है | जहाँ पर खरीफ फसल में बीज उत्पादक वाली 8 कंपनियों से स्पष्टीकरण पुछा गया है | इन बीज कम्पनियों द्वारा एक ही मोल्युकुलर डाटा का उपयोग कर अलग – अलग नामकरण कर धान एवं मक्का फसल प्रभेदों के बीज किसानों को बेचा जा रहा है, जो किसानों के साथ धोखाधड़ी है |

कौन – कौन सी कम्पनी है ?

मेसर्स एश्वर्या सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स सवाना सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स इनविक्टा एग्रिटेक प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स पान सीड्स, मेसर्स एन.आर.एल. सीड्स, मेसर्स महिंद्रा एग्री साल्यूशन लिमिटेड, मेसर्स यू.पी.एल. लिमिटेड एवं मेसर्स आदित्य बिरला सीड्स प्राईवेट लिमिटेड (ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड) शामिल है इन सभी पर आरोप है की एक ही बीज को अलग – अलग नाम से बेचा जा रहा है | जो किसानों के साथ धोखा है | सरकार ने इन सभी कंपनियों से 30 जून तक जवाब माँगा है | इसके बाद इन सभी कंपनियों पर यह निर्णय लिया जायेगा की इनका लाइसेंस निरस्त किया जाये या जारी रखा जाये |

नोट :- किसान समाधान आप सभी से अपील करता है की बिहार राज्य सरकार के अगले आदेश से पहले इन सभी कंपनियों की बीज नहीं खरीदे | 

किसान बीज, कीटनाशक और उर्वरक खरीदते समय रखें इन बातों का ध्यान

किसानों को जमाबंदी की ई-साइन प्रति और कृषि लोन ऑनलाइन मिलेगा 15 मिनट में

जमाबंदी की ई-साइन प्रति और कृषि लोन ऑनलाइन

राजस्थान सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए जमाबंदी की ई-साइन प्रति ऑनलाइन जारी करने और राजस्थान कृषि ऋण पोर्टल की शुरुआत की है। राजस्व मंत्री श्री हरीश चौधरी ने बुधवार को शासन सचिवालय में कम्प्यूटर पर क्लिक कर इनका अनावरण किया। यह दोनों सुविधाएं प्रायोगिक तौर पर झुंझुनूं जिले में लागू की गई है।

जमाबंदी की ई-साइन प्रति मिलेगी ऑनलाइन

राजस्व मंत्री श्री हरीश चौधरी ने भू प्रबंध विभाग की ओर से विकसित प्रक्रिया से अपना खाता वेबसाइट से जमाबंदी की ई-साइन प्रति ऑनलाइन जारी करने का अनावरण किया। यह प्रक्रिया एनआईसी ने विकसित की है। अब कोई भी किसान कृषि भूमि का अधिकृत दस्तावेज ऑनलाइन प्राप्त कर सकेगा। यदि कृषक के पास कंप्यूटर नहीं है तो वह ई-मित्र केंद्र से भी ई-साइन प्रति प्राप्त कर सकेगा। राज्य सरकार के आदेश अनुसार यह हस्ताक्षरित प्रति विधि मान्य है। प्रत्येक ई-हस्ताक्षरित प्रति पर क्यूआर कोड अंकित है जिसे स्कैन कर जारी नकल की प्रविष्टियों को कोई भी व्यक्ति मोबाइल पर पुष्टि कर सकता है। 

कृषि ऋण पोर्टल का भी अनावरण किया जिसके माध्यम से काश्तकार बैंक में जाकर फार्म 61 ऑनलाइन भर सकेगा तथा इसकी बैंक अधिकारियों द्वारा प्रमाणन की प्रक्रिया भी ऑनलाइन है। बैंक की ओर से सिक्स वन फॉर्म जमा करने पर स्वतः ही नामांतरण प्रक्रिया प्रारंभ हो जाएगी। पटवारी एवं तहसीलदार के द्वारा राजस्व अधिकारी एप्लीकेशन के माध्यम से टिप्पणी पुष्टि किए जाने के पश्चात् नामांतरण को मंजूर किया जा सकेगा। ऎसा करने से जिस प्रक्रिया में एक से दो माह का समय लगता था वह अब सिर्फ 5 से 7 दिनों में पूर्ण की जा सकेगी |

किसान जमाबंदी की ई-साइन प्रति ऑनलाइन प्राप्त करने के लिए क्लिक करें

15 मिनट में मिलेगा ऑनलाइन ऋण

राजस्व मंत्री श्री हरीश चौधरी के सामने ही वीडियो कॉफ्रेंस पर कृषि ऋण संबंधी सम्पूर्ण प्रक्रिया पूर्ण कर झुंझुनूं जिले के किसान रामप्रताप का ऋण सिर्फ 15 मिनट में मंजूर कर दिया। काश्तकार ने मौके पर ही ई-साइन जमाबंदी प्राप्त की और बैंक ऑफ बड़ौदा की चुड़ी चतरपुरा शाखा में ऋण आवेदन किया। लोन अधिकारी ने आरंभिक प्रविष्टियों की जांच कर सबमिट किया। बैंक अधिकारी ने ई-साइन दस्तावेजों से आवेदन प्रविष्टियों का मिलान किया और पटवारी को अग्रेषित कर दिया। पटवारी ने मौके पर ही ऑनलाइन टिप्पणी की और गिरदावर की रिपोर्ट के पश्चात् तहसीलदार ने नामांतरण ऑनलाइन कर दिया। इसके बाद बैंक अधिकारी ने पोर्टल पर नामांतरण प्राप्त कर तुरंत मौके पर ही लोन मंजूर कर दिया।

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भूमिहीन मधुमक्खी पालकों को दिया जायेगा किसान का दर्जा: मधुमक्खी पालन विकास समिति रिपोर्ट

मधुमक्खी पालन विकास समिति रिपोर्ट

प्रो. देबरॉय की अध्‍यक्षता में मधुमक्‍खी पालन विकास समिति (बीडीसी) ने अपनी रिपोर्ट जारी कर दी है। बीडीसी का गठन भारत में मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने के नए तौर तरीकों की पहचान करने के उद्देश्य से किया गया है ताकि इसके जरिए  कृषि उत्पादकता, रोजगार सृजन और पोषण सुरक्षा बढ़ाने तथा जैव विविधता को संक्षित रखने में मदद मिल सके।

अंतराष्‍ट्रीय खाद्य एंव कृषि संगठन-फाओ के 2017-18 के आंकडों के अनुसार शहद उत्‍पादन के मामले में भारत (64.9 हजार टन शहद उत्‍पादन के साथ)  दुनिया में आठवें स्‍थान पर रहा जबकि चीन (551 हजार टन शहद उत्‍पादन ) के साथ पहले स्‍थान पर रहा। बीडीसी की रिपोर्ट के अनुसार मधुमक्‍खी पालन को केवल शहद और मोम उत्‍पादन तक सीमित रखे जाने की बजाए इसे परागणों,मधुमक्‍खी द्वारा छत्‍ते में इकठ्ठा किए जाने वाले पौध रसायन,रॉयल जेली और मधुमक्‍खी के डंक में युक्‍त विष को उत्‍पाद के रूप में बेचने के लिए भी इस्‍तेमाल किया जा सकता है जिससे भारतीय किसान काफी लाभान्वित हो सकते हैं |

खेती और फसलों के क्षेत्र के आधार पर,  भारत में लगभग 200 मिलियन मधुमक्खी आवास क्षेत्र की क्षमता है, जबकि इस समय देश में  ऐसे 3.4 मिलियन मधुमक्खी आवास क्षेत्र हैं। मधुमक्ख्यिों के आवास क्षेत्र का दायरा बढ़ने से बढ़ने से न केवल मधुमक्खी से संबंधित उत्पादों की संख्‍या बढ़ेगी बल्कि समग्र कृषि और बागवानी उत्पादकता को भी बढ़ावा मिलेगा।

मधुमक्‍खी पालन को बढ़ावा देने के लिए बीडीसी की रिपोर्ट में दिये गये सुझाव

  • भूमिहीन मधुमक्‍खी पालकों को किसान का दर्जा देना तथा मधुमक्‍खियों को कृषि उत्‍पाद के रूप में देखना ।
  • मधुमक्खियों के पंसद वाले पौधे सही स्‍थानों पर लगाना तथा महिला स्‍व: सहायता समूहों को ऐसे बागानों का प्रबंधन सौंपना।
  • राष्‍ट्रीय मधुमक्‍खी बोर्ड को संसथागत रूप देना तथा कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय के तहत इसे शहद और परागण बोर्ड का नाम देना। ऐसा निकाय कई तंत्रों के माध्यम से मधुमक्खी पालन को बढ़ावा देने में मदद करेगा। इसमें नए एकीकृत मधुमक्खी विकास केंद्रों की स्थापना, उद्योग से जुड़े लोगों को और ज्‍यादा प्रशिक्षित करना , शहद की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए एक कोष का गठन तथा मधुमक्‍खी पालन के महत्वपूर्ण पहलुओं पर डेटा संग्रह जैसी बातें शामिल होंगी।
  • भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तत्वावधान में उन्नत अनुसंधान के लिए एक विषय के रूप में मधुमक्‍खी पालन को मान्यता। मधुमक्‍खी पालकों का राज्‍य सरकारों द्वारा प्रशिक्षण और विकास।
  •  मधुमक्खियों से जुड़े अन्‍य उत्‍पादों के संग्रहण, प्रसंस्‍करण और विपणन के लिए राष्‍ट्रीय और क्षेत्रीय स्‍तर पर अवसंरचनाओं का विकास।
  • शहद और अन्य मधुमक्खी उत्पादों के निर्यात को आसान बनाने के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाना और स्पष्ट मानकों को निर्दिष्ट करना।

स्प्रिंकलर सेट,पम्प सेट,पाईप लाईन सेट आदि सिंचाई यंत्र सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन करें

स्प्रिंकलर सेट, पम्‍प सेट, पाईप लाईन सिंचाई यन्त्र अनुदान

ड्रिप और स्प्रिंकलर सब्सिडी पर इस तरह से लें | ड्रिप और स्प्रिंकलर Price |

खरीफ फसलों की बुआई का समय आ गया है ऐसे में सरकारें किसानों को अधिक से अधिक सुविधा देने का प्रयास कर रही है | अभी किसानों को कृषि यंत्र के आवेदन लेने के पश्चात् अब सरकार ने विभिन्न योजनाओं के तहत किसानों से सिंचाई यंत्र सब्सिडी पर देने के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं जो किसान यह सिंचाई यंत्र लेना चाहते हैं आवेदन कर सकते हैं |

यह सिंचाई यंत्र किसान सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन कर सकते हैं-

योजनाएं एवं सिंचाई यंत्रों पर दी जाने वाली सब्सिडी की मात्रा

धान एवं गेहूं योजना एवं राष्‍ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन दलहन वर्ष 2019-20- इस योजना के तहत किसानों को पाइप लाइन सेट 50 प्रतिशत अनुदान पर, पम्प सेट पर 50 प्रतिशत का अनुदान या 10 हजार रुपये जो भी कम हो, रेनगन पर रू. 15,000/- प्रति मोबाइल रेन गन या  लागत का 50%, जो भी कम हो, स्प्रिंकलर सेट पर लघु/सीमांत कृषक – समस्त वर्ग के लघु/सीमांत कृषको हेतु इकाई लागत का 55 प्रतिशत अनुदान देय हैं | अन्य कृषक – समस्त वर्ग के अन्य कृषको हेतु इकाई लागत का 45 प्रतिशत अनुदान देय हैं |

सिंचाई यंत्रो के लिए आवेदन कब कर सकेगें

मध्यप्रदेश राज्य के सभी वर्ग के किसान इन सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन 27 जून 2019 को ई-डी.बी.टी. पोर्टल पर दोपहर 12 बजे से आवेदन कर सकेगें | जो भी इच्छुक किसान हैं दी गई दिनांक को आवेदन कर सकते हैं |

सिंचाई यंत्र आवेदन करते समय यह दस्तावेज साथ रखें

  1. आधार कार्ड की कॉपी
  2. बैंक पासबुक के प्रथम प्रष्ठ की कॉपी
  3. जाति प्रमाण पत्र ( केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति के कृषकों हेतु )
  4. बिजली कनेक्शन का प्रमाण जैसे बिल

सिंचाई यंत्र सब्सिडी पर लेने के लिए नियम एवं शर्तें:

मध्यप्रदेश के वहीँ किसान आवेदन कर सकते हैं जिनके पास स्वयं की भूमि हो | इस आवेदन के 7 दिवस के अन्दर कृषक द्वारा निम्न अभिलेख ऑनलाइन अपलोड करने होंगे | जिसके आधार पर क्रय कर स्वीकृति आदेश जारी होगा तथा कृषक सामग्री को क्रय कर सकेगें |

कृषकों को यह भी अवगत कराया जाता है कि विक्रेता  द्वारा  काटे गये बिल (देयक) पर लिखी गई कीमत  के अतिरिक्त प्रकरण पास कराने, जल्दी कार्यवाही कराने जैसे कारणों के लिये किसी भी राशि का भुगतान किसी को भी नहीं किया जावे। शासन द्वारा ऑनलाईन प्रक्रिया पूर्णतः निर्धारित है तथा पारदर्शी है जिसमें सभी तरह की जानकारी तथा प्रकरणों की स्थिति स्पष्ट रूप से पोर्टल पर ही सभी के द्वारा देखी जा सकती है। यदि किसान भाईयों को कोई शिकायत है तो वे [email protected] पर अवगत करा सकते है।

सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन कैसे करें

मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन कर सकते हैं  परन्तु सभी किसान भाइयों को यह बात ध्यान में रखना होगा की आवेदन के समय किसानों को उँगलियों के निशान देना होता है इसलिए सभी किसान भाई किसी पंजीकृत बायोमेट्रिक मशीन जिस कीओस्क पर हो वहीँ से आवेदन करें अथवा डीलर की मदद लें |

सिंचाई यंत्र अनुदान हेतु ऑनलाइन आवेदन के लिए क्लिक करें

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इंदौर एवं सूरत पहुंचा मानसून, जानिए क्या है मानसून की ताजा स्थिति

मानसून की ताजा स्थिति एवं पूर्वानुमान

लम्बे इंतज़ार के बाद देरी से चल रहा मानसून आखिरकार इंदौर एवं सूरत 25 को पहुँच ही गया | आमतौर पर 10 जून तक मानसून गुजरात के दक्षिणी क्षेत्र में पहुँच जाता है परन्तु इस बार यह 15 दिन देरी से पहुंचा है |  वहीँ इंदौर में भी मानसून इस वर्ष 13 दिनों की देरी से पहुंचा है | मानसून के पहुँचने के साथ ही यहाँ झमाझम बारिश शुरू हो गई हैं | मध्यप्रदेश के दक्षिण- पश्चिमी जिलों में बारिश का सिलसिला जारी है जो अभी जारी रहने का अनुमान है |

मानसून की ताजा स्थिति

दक्षिण-पश्चिम मानसून आज मध्य अरब सागर के शेष भाग कोंकण एवं मध्य महाराष्ट्र उत्तरी अरब सागर के कुछ भाग तथा दक्षिण गुजरात एवं मध्य प्रदेश के कुछ हिस्से पर आगे बढ़ गया है | मानसून की उत्तरी सीमा 21 डिग्री उत्तरी अक्षांश 60 डिग्री पूर्वी देशांतर 21 डिग्री उत्तरी अक्षांश 65 डिग्री पूर्वी देशांतर वेरावल, सूरत, इंदौर, मंडला, पेंड्रा, सुल्तानपुर, लखीमपुर-खीरी, मुक्तेश्वर से 31 डिग्री उत्तरी अक्षांश 80 डिग्री पूर्वी देशांतर तक पहुंच गया है l

मानसून को प्रभावित करने वाले कारक

  • मौसम को प्रभावित करने वाले कारक पहला एक दौड़ी का समुद्री सतह पर पंजाब से नागालैंड तक बनी है जो दक्षिण हरियाणा दक्षिण उत्तर प्रदेश बिहार पश्चिम बंगाल का गंगा का क्षेत्र एवं आसान से होकर जा रही है |
  • दूसरा हवा के ऊपरी भाग में चक्रवाती हवा का घेरा 1.5 एवं 2.1 किलोमीटर के बीच गुजरात एवं आसपास के उत्तरी महाराष्ट्र एवं पश्चिम मध्य प्रदेश के ऊपर बना हुआ है |
  • तीसरा एक कम दबाव का क्षेत्र उत्तरी बंगाल की खाड़ी में आसपास 3 जून के आसपास बनने की संभावना है |

इन सभी कारकों के चलते पश्चिमी मध्य प्रदेश और विदर्भ में अगले 24 घंटों में अनेक स्थानों पर  मध्यम से भारी बारिश होने की संभावना है।

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अब इस जगह के किसान भी करेंगे काजू की व्यावसायिक खेती

काजू की व्यावसायिक खेती

काजू का मूलस्थान ब्राजील है, जहाँ से 16वीं सदी के उत्तरार्ध में उसे वनीकरण और मृदा संरक्षण केप्रयोजन से भारत लाया गया | मृदाक्षरण को रोकने वाला यह पौधा आज की तारीख में चाय और कॉफ़ी के बाद अधिकतम विदेशी मुद्रा अर्जित करने वाली फसल है, सूखे मेवों में काजू का महत्वपूर्ण स्थान है | देश के पश्चिमी और पूर्वी समुद्र तट के आप-पास के आठ राज्यों में काजू की व्यवसायिक स्तर पर खेती की जाती है- आन्ध्रप्रदेश, गोवा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ट्र, ओड़िशा, तमिलनाडू और पश्चिम बंगाल, इनेक अलावा, असम, छतीसगढ़, गुजरात, मेघालय, नागालैंड और त्रिपुरा के कुछ इलाकों में भी काजू की खेती की जाती है |

भारत में काजू की खेती

 भारत में 9.53 लाख हेक्टेयर क्षेत्र (2010-11) में काजू की खेती होती है और अनुमानत: 6.74 लाख टन कच्चे काजू का सालाना उत्पादन होता है, वियतनाम और नाइजीरिया के बाद भारत काजू का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता भी है और सबसे बड़े क्षेत्र में काजू की खेती करने वाला सबसे बड़ा प्रोसेसर भी। भारत का काजू उत्पादन पूरे विश्व के काजू उत्पादन का 23% है।

इन सभी बातों को ध्यान में रखकर मध्यप्रदेश सरकार ने भी काजू की खेती को बढ़ाबा देने का फैसला लिया है | उल्लेखनीय है कि बैतूल प्रदेश का पहला जिला है, जहाँ वर्ष 2018-19 से काजू की व्यावसायिक खेती प्रारंभ की गई है। इस वर्ष बैतूल में एक हजार हेक्टेयर में किसानों के खेतों में काजू के बगीचे लगाये जाने का कार्यक्रम सरकार ने बनाया है | इसके तहत बैतूल जिले में बड़े पैमाने पर किसानों के खेतों में इस वर्ष काजू के बगीचे लगवाये जायेंगे। जिससे मध्यप्रदेश में भी काजू की खेती व्यावसायिक स्तर पर की जा सकेगी |

काजू की व्यावसायिक खेती

कृषि विशेषज्ञों ने बताया कि ड्रिप सहित काजू लगाये जाने पर रोपण के दूसरे साल से उत्पादन प्रारंभ होता है। रोपण के 6-7 साल बाद व्यावसायिक उत्पादन प्रारंभ हो जाता है। प्रति पेड़ औसतन 15 से 20 किलो काजू का उत्पादन होता है। ग्रेडिंग के अनुसार कच्चा काजू 100 से 125 रुपये प्रति किलो की दर पर आसानी से बिक जाता है। काजू प्र-संस्करण के लिये बैतूल जिले के घोड़ाडोंगरी में छोटी प्र-संस्करण इकाई भी स्थापित की गई है। जिले में काजू की व्यावायिक खेती के लिये राष्ट्रीय काजू एवं कोको विकास निदेशालय केरल के कोच्चि द्वारा तकनीकी मार्गदर्शन भी प्रदाय किया जा रहा है। क्षेत्र में निदेशालय के वैज्ञानिकों द्वारा समय-समय पर निरीक्षण भी किया गया है। उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण विभाग जिले में काजू की व्यावसायिक खेती को बढ़ावा देने के लिये लगातार प्रयास कर रहा है।

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मानसून ने पकड़ी रफ़्तार, दक्षिण मध्य प्रदेश पहुंचा मानसून

मानसून की ताजा स्थिति और पूर्वानुमान

मानसून की ताजा स्थिति

दक्षिण पश्चिम मानसून ने रफ्तार पकड़ ली है यह अब तेजी से आगे बढ़ रहा है आज महारष्ट्र के कुछ हिस्से और विदर्भ के कुछ भाग तथा उत्तरप्रदेश के पूर्वी हिस्से में आगे बढ़ा है | दक्षिण पश्चिम मानसून की सीमा रत्नागिरी, अहमदनगर औरन्गाबाद, नागपुर, पेंड्रा वाराणासी, बहराइच है |

24 जून को मानसून अलीबाग, मालेगांव, खंडवा, छिंदवाड़ा, पेंड्रा सुल्तानपुर, लखीमपुर-खेरी, मुक्तेश्वर की सीमा में प्रवेश कर चूका है | 

मानसून की अगले 48 घंटे के लिए पूर्वानुमान 

आगामी 48 घंटों में दक्षिण पश्चिम मानसून के आगे बढ़ने की सम्भावना है जिसमें अरब सागर के मध्य भाग कोंकण, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाडा, विदर्भ और छत्तीसगढ़, उत्तरी अरब सागर के कुछ दक्षिणी भाग, दक्षिणी गुजरात, एवं मध्यप्रदेश तथा उत्तर पूर्वी उत्तरप्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं | अर्थात 25 जून तक मानसून इन जगहों पर पहुँचने की उम्मीद है |

मौसम को प्रभावित करने वाले कारक

मौसम को प्रभावित करने वाले कारक उत्तरी छत्तीसगढ़ में हवा की ऊपरी भाग में 5.8 किलोमीटर की ऊंचाई तक चक्रवाती हवा का घेरा बना हुआ है जो ऊंचाई के साथ दक्षिण दिशा की ओर झुका हुआ है दूसरा एक  द्रोणिका पश्चिमी राजस्थान से उत्तर बंगाल की खाड़ी तक समुद्र की सतह पर बना हुआ है जो मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ एवं उड़ीसा से होकर गुजर गुजर रही है जो 0.9 किलोमीटर की ऊंचाई तक बना हुआ है तीसरा एक हवा की ऊपरी भाग में चक्रवाती हवा का घेरा जो ऊंचाई के साथ दक्षिण पूर्व दिशा की ओर झुका हुआ है यह समुद्र तटीय कर्नाटक और उसके आसपास 3.1 एवं 7 .6 किलोमीटर की ऊंचाई पर बना हुआ है |

आगामी 24 घंटे हेतु मौसम पूर्वानुमान

जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड के अधिकांश भागों तथा हिमाचल प्रदेश, पूर्वोत्तर राज्यों के बाकि स्थानों समेत छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, आंतरिक कर्नाटक और गुजरात के पश्चिमी भागों में कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है| पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तरी मध्य प्रदेश और राजस्थान के इलाकों में धूलभरी आंधी और गरज के साथ बारिश होने की संभावना है।

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सब्सिडी पर बुआई एवं खेत की तैयारी हेतु उपयोगी कृषि यंत्र आवेदन

इस तरह ले घर बैठे कृषि यंत्रों का लाभ

खरीफ फसल की बुआई का समय आ गया हैं कई किसानों ने धान के रोपे भी तैयार कर लिए हैं मानसून में देरी की वजह से कई किसान को सभी कार्यों में देरी हो गई है ऐसे में किसान बुआई एवं खेत की तैयारी नई तकनीक के कृषि यंत्रों का उपयोग कर आसानी से एवं कम समय में कर सकते हैं | मध्यप्रदेश सरकार द्वारा बुआई एवं खेत की तैयारी हेतु उपयुक्त कृषि यंत्र सब्सिडी पर किसानों को देने के लिए आवेदन बुलाये गए हैं | तो ऐसे इच्छुक किसान जो यह यंत्र खरीदना चाहते हैं सब्सिडी पर ले सकते हैं |

बुआई एवं खेत की तैयारी हेतु उपयोगी कृषि यंत्रों यंत्रों पर सब्सिडी

  • पैडी (राइस) ट्रांसप्लांटर (4 कतार) ,
  • रेज़्ड बेड प्लांटर /रिज फर्रो प्लांटर / मॉल्टीक्रॉप प्लांटर,
  • रेज़्ड बेड प्लांटर विथ इंक्लाइंड प्लेट एंड शेपर,
  • सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल ,
  • जीरो टिलेज सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल,
  • सीड ड्रिल ,
  • रोटावेटर ,
  • रिवर्सिबल हाईड्रोलिक प्लाऊ (2 बॉटम ),
  • हैप्पी सीडर
  • रिवर्सिबल हाईड्रोलिक प्लाऊ (3 बॉटम )

आवेदन कब शुरू होगें

24 जून 2019 को दोपहर 12 बजे से आनलाईन आवेदन कर सकते हैं | इसमें पहले आओ तथा पहले पाओ की व्यवस्था है | टारगेट पूरा हो जाने पर किसान को आवेदन के बाबजूद भी यंत्र नहीं दिए जाएंगे इसलिए 24 जून को दोपहर 12 बजे से आनलाईन आवेदन करना शुरू कर दें |

आवेदन की शर्ते

किसी भी श्रेणी के कृषक यंत्र का क्रय कर सकते हैं | केवल वे ही कृषक पात्र होगे जिन्होंने गत 7 वर्षों क्रय पर विभाग की किसी भी योजना के अंतर्गत अनुदान का लाभ प्राप्त नहीं किया है |

  1. ट्रेक्टर से चलने वाले सभी प्रकार के कृषि यंत्र किसी भी श्रेणी के कृषक क्रय कर सकते है किन्तु ट्रेक्टर की आर.सी स्वयं के माता – पिता ,भाई -बहन अथवा पत्नी के नाम पर होना आवश्यक है।
  2. डीलर का चयन सावधानी पूर्वक करे। चयनित डीलर का परिवर्तन केवल एक बार ही किया जा सकेगा।
  3. कृषक मोबाइल ऍप के माध्यम से भी आवेदन कर सकते है। कृपया मोबाइल ऍप का नवीन संस्करण दिनांक 22-06-2019 को जारी कर इनस्टॉल करावे। क्योंकि पुराने ऍप से बुकिंग नहीं होगी।
  4. डीलर /कृषको को सूचित किया जाता है कि ट्रेक्टर एवं कृषि यंत्रो की क्रय की कार्यवाही क्रय स्वीकृति आदेश जारी होने के बाद ही की जावे।

कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने के लिए आवश्यक डॉक्यूमेंट ?

  • आनलाईन फार्म अप्लाई करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज लगेगा |
  • आधार कार्ड की कापी
  • बैंक पास बुक के प्रथम पृष्ट की कापी
  • सक्षम अधिकारी द्वारा जारी जाती प्रमाण पत्र (केवल अनुसूचित जाती एवं जनजाति के कृषक हेतु)
  • बी-1 की प्रति

नोट :- कृषकों को यह अवगत कराया जाता है की विक्रेता द्वारा काटे गए बिल पर लिखी गई कीमत के अतरिक्त प्रकरण पास कराने , जल्दी कार्यवाही कराने जैसे कारणों के लिए किसी भी राशि का भुगतान किसी को भी नहीं किया जावे | शासन द्वारा आनलाईन प्रक्रिया पूर्णत: निर्धारित है तथा पारदर्शी है जिसमें सभी तरह की जानकारी तथा प्रकरणों की स्थिति स्पष्ट रूप से पोर्टल पर ही सभी के द्वारा देखि जा सकती है | किसानों के द्वारा किसी भी तरह की शिकायत है तो वे [email protected] पर अवगत करा सकते हैं |

सब्सिडी पर ट्रेक्टर एवं पावर टिलर लेने के लिए आवेदन करें

कृषि यंत्र के लिए आवेदन कैसे करें ?

मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन कर सकते हैं परन्तु सभी किसान भाइयों को यह बात ध्यान में रखना होगा की आवेदन के समय किसानों को उँगलियों के निशान देना होता है इसलिए सभी किसान भाई किसी पंजीकृत  बायोमेट्रिक मशीन जिस कीओस्क पर हो वहीँ से आवेदन करें अथवा डीलर की मदद लें |

बुआई एवं खेत की तैयारी हेतु कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन करें 

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