कोरोना संकट: दो महीने के लिए सरकार ने बिजली एवं पानी के बिलों को किया स्थगित

बिजली-पानी के बिल दो माह के लिए स्थगित

देश भर में चल रहे कोरोना वायरस लॉक डाउन के चलते सभी लोगों की आर्थिक स्थिति पर गहरा असर हुआ है खासकर उन लीगों पर जो रोजाना की कमाई करते हैं | उनकी आय अभी नहीं हो पा रही है ऐसे में सरकार के द्वारा उन्हें कुछ राहत पहुँचाने के लिए अलग अलग तरह के कदम उठाये जा रहे हैं | राजस्थान के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कोरोना महामारी के कारण आए संकट से किसानों, उद्योगों एवं आमजन को सहायता प्रदान करने के लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं। औद्योगिक प्रतिष्ठानों, किसानों एवं घरेलू उपभोक्ताओं के विद्युत एवं पानी के बिलों का भुगतान स्थगित करने, कृषि गतिविधियों के लिए किसानों को सहायता प्रदान करने जैसे कई फैसले लेकर लिए है।

बिजली एवं पानी के बिल दो महीने के लिए स्थगित

राज्य सरकार ने कोरोना से उत्पन्न संकट की इस घड़ी में किसानों को संबल देने के लिए कृषि उपभोक्ताओं के मार्च में जारी बिल तथा अप्रैल एवं मई में जारी होने वाले बिलों का भुगतान भी 31 मई, 2020 तक स्थगित किया है। इससे प्रदेश के करीब 13 लाख किसानों को लाभ मिलेगा।

सरकार ने ऎसे कृषि एवं घरेलू कनेक्शन जो बकाया राशि के कारण 31 मार्च, 2019 से पहले काटे गए थे, उनके लिए एमनेस्टी योजना की अवधि भी 30 जून, 2020 तक बढ़ा दी है। इससे किसानों को करीब 45 करोड़ रूपए की छूट का लाभ मिल सकेगा और उनके काटे गए कनेक्शन फिर चालू हो सकेंगे। कृषि एवं घरेलू श्रेणियों के सभी उपभोक्ता 31 मई, 2020 तक बिलों का भुगतान करेंगें तो उन्हें आगामी बिल में भुगतान की गई राशि की 5 प्रतिशत छूट दी जाएगी।

किसानों के साथ सभी उपभोगताओं के भी बिल स्थगित

कोरोना संकट के कारण घरेलू उपभोक्ताओं को विद्युत बिलों के भुगतान में आ रही परेशानी को देखते हुए राज्य सरकार ने 150 यूनिट प्रतिमाह तक उपभोग करने वाले उपभोक्ताओं के मार्च एवं अप्रेल माह के बिलों का भुगतान स्थगित करने का निर्णय किया है। इन बिलों का भुगतान उपभोक्ता मई माह में जारी होने वाले बिलों की राशि के साथ कर सकेंगे। इससे प्रदेश के करीब एक करोड 5 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी।

राजकीय प्रतिष्ठान एवं लॉकडाउन से मुक्त प्रतिष्ठानों को छोड़कर अन्य सभी अघरेलू (व्यावसायिक यथा-पर्यटन से संबंधित प्रतिष्ठान, शोरूम, दुकान, होटल, वर्किंग हॉस्टल आदि) के करीब 11 लाख कनेक्शनों के मार्च एवं अप्रैल माह के विद्युत बिलों के फिक्स्ड चार्ज को लॉकडाउन अवधि के अनुपात में 31 मई, 2020 तक डेफर किया गया है।

औद्योगिक प्रतिष्ठानों के विद्युत कनेक्शन के मार्च एवं अप्रैल माह के उपभोग के बिल जो अप्रैल एवं मई में जारी होंगे, उनमें फिक्स्ड चार्ज (स्थाई शुल्क) को लॉकडाउन अवधि के अनुपात में 31 मई, 2020 तक स्थगित (डेफर) किया है। इससे लघु, मध्यम एवं बड़ी औद्योगिक इकाइयों के करीब 1 लाख 68 हजार उपभोक्ताओं को बड़ी राहत मिलेगी।

पानी के बिल भी किये गए स्थगित

राज्य के समस्त आम उपभोक्ताओं को पेयजल बिलों के भुगतान से राहत प्रदान करते हुए मार्च माह एवं अप्रेल माह के बिलों का भुगतान स्थगित किया गया है। इनका भुगतान उपभोक्ता जून माह में कर सकेंगे। इस निर्णय से करीब 100 करोड़ रूपए का राजस्व संग्रहण स्थगित होगा।

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राज्य सरकार द्वारा लॉक डाउन के बीच भी समर्थन मूल्य पर खरीदी जा रही है वनोपज

वनोपज की सरकारी खरीद

देश में अभी कोरोना वायरस संक्रमण रोकने के लिए लॉक डाउन चल रहा है | जिसके कारण अधिकांश राज्यों ने रबी फसलों की सरकारी खरीद को स्थगित कर दिया है | बहुत सी राज्य सरकारों ने अभी खरीद की तारीख अभी जारी नहीं है की है | ऐसे में किसान गेहूं, चना एवं सरसों आदि मुख्य रबी फसलें बेचने की राह देख रहे हैं | वहीँ छतीसगढ़ सरकार राज्य में उत्पादित वनोपज को सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन कर खरीद भी रही है साथ ही नगद भुगतान भी किया जा रहा है |

इन वनोपजों की हो रही है खरीद

राज्य के लगभग तीन हजार 500 स्थानों में बिहान के स्व सहायता समूह के माध्यम से वनोपज समितियों द्वारा लघु वनोपज की खरीदी हो रही है। इन वनोपजों में मुख्य रूप से इमली, महुआ, हर्रा, बहेड़ा, चरोटा, नागरमोथा, धवाईफूल, गिलोय आदि शामिल है। प्राप्त जानकारी के अनुसार अब तक बलरामपुर जिले में 136 क्विंटल, दंतेवाड़ा में 524 क्विंटल, राजनांदगांव में 940 क्विंटल, कोरिया में 196 क्विंटल, बिजापुर में 964 क्विंटल, धमतरी में 160 क्विंटल, बस्तर में दो हजा 303 क्विंटल, कोरबा में 559 क्विंटल एवं कबीरधाम जिले में 539 क्विंटल वनोपज की खरीदी की गई है।

राज्य के वन क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीणों तथा वन उत्पादों पर अपनी आजीविका चलाने वाले  वनवासियों द्वारा एकत्र किए गए वन उत्पादों को समर्थन मूल्य पर खरीदी करना शुरू कर दिया गया है। राज्य के वनांचल क्षेत्रों में लधु वनोपज संग्रहण कर्ता ग्राम वासियों से अब तक 6 हजार 326 क्विंटल लघु वनोपजों की खरीदी की जा चुकी है। मुख्यमंत्री के निर्देश पर लघु वनोपज खरीदी का नगद भुगतान किया जा रहा है और खरीदे गए लघु वनोपजों का संग्रहण करने वाले ग्राम वासियों को एक करोड़ 47 लाख रुपए का नगद भुगतान किया गया है। राज्य में वनधन केंद्रों पर बिहान और लघु वनोपज संघ के संयुक्त पहल से समर्थन मूल्य पर लघु वनोपज की खरीदी की जा रही है।

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ई-नाम पोर्टल पर शुरू किये गए नए फीचर्स से किसान खेतों से ही बेच सकेगें उपज

ऑनलाइन ई-नाम पोर्टल के नये फीचर्स

कोरोना संकट को देखते हुए रबी फसल की खरीदी करना सरकार के लिए एक चुनौती हैं | जहाँ देश के सभी राज्यों में लोगों को समाजिक दुरी बनाये रखने की जरूरत है तो वहीँ गाँव के किसानों से उनकी उत्पदान को बाजार तक पहुँचने की भी जरूरत है | बाजार में लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में खाध सामग्री बनी रहे इसके लिए यह जरुरी है कि किसानों के द्वारा उत्पादित फसल को बाजार तक पहुंचाया जाये | सरकार इसके लिए लगातार कोशिश कर रही है | अभी देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है की किस प्रकार देश में सामाजिक दूरी बनाकर कार्यों को किया जाए | इसमें सबसे बड़ी चुनोती सभी किसानों से कम समय में फसलों को ख़रीदना है | इसलिए सरकार किसानों से फसल खरीदने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था को मजूबत करने में लगी है |

सरकार 14 अप्रैल 2016 प्रारंभ किये गए ई-नाम पोर्टल को लगातार विकसित करने में लगी है | इस पोर्टल को इस प्रकार बनाया गया है कि किसान को मण्डी आये बिना ही उनके उत्पाद को बाजार तक पहुंचाया जा सकता है  | अब इसमें सरकार द्वारा कुछ नई सुविधाएँ जोड़ी गई गई हैं | इससे किसानों को अपनी उपज को बेचने के लिए खुद थोक मंडियों में आने की जरूरत कम हो जाएगी। वे उपज  वेयरहाउस  में रखकर वहीं से बेच सकेंगे।

ई-नाम पर जोड़े गए नये फीचर्स

  • ई – नाम में गोदाम से व्यापर की सुविधा के लिए वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग माड्यूल
  • एफपीओ का ट्रेडिंग माड्यूल जहाँ एफपीओ अपने संग्रह से उत्पाद को लाए बिना व्यापार कर सकते हैं |
  • इस जंक्शन पर अंतर-मंडी तथा अंतरराज्यीय व्यापार की सुविधा के साथ लॉजिस्टिक मॉड्यूल का नया संस्करण, जिससे पौने चार लाख ट्रक जुड़े रहेंगे।

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा की यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए सामाजिक दुरी बनाए रखते हुए कामकाज करने में भी यह मददगार है | उन्होंने कहा कि ये नई सुविधाएं कोविड–19 के खिलाफ हमारी लड़ाई की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, ताकि इस समय किसानों को अपने खेतों के पास ही बेहतर कीमतों पर अपनों उपज बेचने में मदद की जा सके |

ई–नाम पोर्टल की अभी ताजा स्थिति

ई – नाम पोर्टल को 14 अप्रैल 2016 को शुरू किया गया था जिसे अपडेट कर काफी सुविधाजनक बनाया गया है | पहले से ही 16 राज्यों और 2 केन्द्रशासित प्रदेशों में 585 मंडियों को ई – नाम पोर्टल पर एकीकृत किया गया है | इसके अतिरिक्त 415 मंडियों को भी ई–नाम से जल्द ही जोड़ा जाएगा | जिससे इस पोर्टल पर मंडियों की कुल संख्या एक हजार हो जाएगी | ई–नाम पर इन सुविधा के कारण किसानों, व्यापारियों व अन्य को मण्डियों का चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी |

ई-नाम पोर्टल से किसानों को होने वाले लाभ

मूल्य स्थिरीकरण समय और स्थान उपयोगिता के आधार पर किसान आपूर्ति और मांग की तुलना करते हुए फायदे में रहेंगे | एफपीओ को बोली के लिए अपने आधार/संग्रह केन्द्रों से अपनी उपज अपलोड करने में सक्षम बनाया जा सकेगा | वे बोली लगाने से पहले उपज की कल्पना करने में मदद के लिए आधार केन्द्रों से उपज और गुणवत्ता मापदंडों की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं | एफपीओ के पास सफल बोली लगाने के बाद मण्डी के आधार पर या अपने स्तर से उपज वितरण का विकल्प रहेगा | इन सबसे मंडियों में आवागमन कम होने से सभी को सुविधा होगी | परिवहन की लागत कम होगी तथा ऑनलाइन भुगतान की सुविधा मिलेगी |

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कोरोना वायरस से चल रहे लॉक डाउन में हार्वेस्टर चालकों को दिए जाएंगे पास

लॉक डाउन में हार्वेस्टर चालकों के लिए पास

कोरोना वायरस को देखते हुए रबी फसल खास कर गेहूं की कटाई प्रभावित नहीं हो इसके लिए अलग-अलग राज्य सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है | कृषि के क्षेत्र में कृषि यंत्रों का अधिक प्रयोग होने के कारण फसल की कटाई भी मशीन से होने लगी है | अभी देश में गेहूं की कटाई जोरों पर चल रही है | वहीँ बिहार जैसे राज्य में गेहूं की कटाई 1 अप्रैल से शुरू हो जाती है | वर्ष 2019–20 में बिहार कृषि विभाग ने किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्रों दिए थे जिससे कम समय में अधिक काम हो | लेकिन कोविड–19 के कारण कृषि कार्य पर असर पड़ा है | मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं उत्तरप्रदेश राज्यों ने पहले ही साफ़ कर दिया है की लॉक डाउन में फसल कटाई एवं कृषि यंत्रों पर रोक नहीं है | हार्वेस्टर चालक जिला स्तर पर ले सकते हैं परमिशन |

बिहार कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि गेहूं की कटाई हार्वेस्टर या रीपर–कम–बाइन्डर से कराये जाने पर विभाग द्वारा जोर दिया जा रहा है | राज्य में बड़ी मात्रा में गेहूं की कटाई कम्बाईन हार्वेस्टर से की जाती है | यहाँ उपलब्ध कम्बाईन हार्वेस्टर के चालक प्राय: पंजाब से आते हैं | कोरोना के कारण लॉक डाउन की स्थिति में आवा–जाहि प्रतिबंधित है | अत: कम्बाईन हार्वेस्टर मालिकों को बाहर से हार्वेस्टर चालक लाने के लिए या कम्बाईन हार्वेस्टर के साथ आने वाले चालकों को पास निर्गत करने हेतु जिला पदाधिकारियों को कहा गया | साथ ही, कौशल विकास कार्यक्रम अंतर्गत प्रशिक्षण प्राप्त कम्बाईन चालकों को पास निर्गत करने का निर्णय लिया गया है |

कोविड-19 के कारण किए गए लॉकडाउन के दौरान निम्नलिखित कृषि और संबद्ध गतिविधियों को छूट

  • पशु चिकित्सा अस्पताल।
  • एमएसपी परिचालनों सहित कृषि उत्पादों की खरीद हेतु उत्तरदायी समस्त अभिकरण।
  • जिन मंडियों का संचालन कृषि उपज मंडी समिति द्वारा किया जाता है या राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाता है।
  • किसानों और खेत श्रमिकों द्वारा खेती का कार्य।
  • फार्म मशीनरी से संबंधित कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी)।
  • उर्वरक, कीटनाशक और बीज के विकास और पैकेजिंग में कार्यरत इकाइयां।
  • कम्बाइन हार्वेस्टर और कृषि/बागवानी उपकरणों की कटाई और बुवाई से संबंधित मशीनों की अंतर-राज्य आवाजाही।

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80 लाख किसानों के बैंक खातों में दी गई सम्मान निधि योजना की 2000 रुपये किश्त

पीएम सम्मान निधि योजना में 2000 रुपये की किश्त जारी

सम्पूर्ण भारत देश में अभी कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने लिए सरकार के द्वारा लॉकडाउन किया गया है | लॉक डाउन के चलते गरीब लोगों के पास पैसे की कमी को देखते हुए केंद्र सरकार ने “प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना” के तहत 1.70 लाख करोड़ रूपये के राहत पैकेज की घोषणा की है | इसके साथ ही किसानों के लिए पहले से चल रही प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसान परिवारों सहायता देने के लिए सरकार ने अप्रैल माह के पहले सप्ताह में ही 2000 रुपये की किश्त देने की घोषणा की थी | जिससे किसानों के पास भी पैसों की कमी न हो | केंद्र सरकार इसके तहत 8.7 करोड़ किसान परिवार को अप्रैल माह के पहले सप्ताह तक किश्त देगी जिसमें से सरकार ने 80 लाख किसान परिवार के लिए किश्त जारी कर दी है |

80 लाख किसान परवारों को 2000 रूपए की किश्त जारी

देश के केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंग तोमर ने यह जानकारी दी उन्होंने कहा की कोरोना वायरस से निपटने की दिशा में मोदी सरकार द्वारा किसानों को एक और राहत दी गई है | प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत आज देश के 80 लाख किसानों को, प्रति किसान 2000 रूपए की किश्त जारी कर दी गई है | 1600 करोड़ रुपये की राशी सीधे किसानों के बैंक खातों में DBT के माध्यम से अंतरित कर दी गई है | साथ ही उन्होंने यह जानकारी भी दी है की जल्द ही अन्य किसानों के बैंक खतों में भी किश्त जमा कर दी जाएगी |

जैसा कि योजना के अनुसार वर्ष 2019 से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत प्रत्येक किसान परिवार को तीन किस्तों में 6,000 रुपये दिए जाते है | योजना का पहला वर्ष पूरा हो जाने के बाद दूसरा वर्ष शुरू हो गया है | अभी तक देश में लगभग 9 करोड़ किसान परिवार इस योजना के तहत पंजीकृत हैं जिन्हें 2 हजार रुपये की किश्त दी जा रही है | अब जो किसानों को किश्त दी जा रही है वह वित्तीय वर्ष 2020-21 के अंतर्गत है | जिन किसानों को अभी किश्त नहीं मिली है वह अभी इन्तजार करें सभी लाभार्थी किसानों को जल्द ही किश्त हस्तांतरित कर दी जाएगी |

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कोरोना लॉकडाउन में किसानों की सहायता के लिए सरकार ने जारी किये हेल्पलाइन नम्बर

किसानों की सहायता के लिए हेल्पलाइन नम्बर

सम्पूर्ण देश में अभी कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लॉक डाउन चल रहा है जिससे देश में अधिकांश कार्य ठप पड़े हुए हैं | शुरुआत में किसान कृषि सम्बन्धी कार्य भी नहीं कर पा रहे थे परन्तु सरकार ने अब खेती किसानी के कार्यों के लिए किसानों को छूट दे दी है | उत्तरी राज्यों में अभी फसलों की कटाई एवं खरीद बिक्री का समय चल रहा है ऐसे में किसानों के लिए यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण है | लॉक डाउन के चलते किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है | ऐसे में सभी राज्य सरकारें किसानों की मदद के लिए कार्य कर रहीं है ताकि किसान समय पर उनके कार्य कर लें |

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण से बचाव के उपायों के तहत प्रदेश में लॉक डाउन किया गया है। ऐसी स्थिति में राज्य के कृषकों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि विकास एवं किसान कल्याण जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा हेल्प लाइन नम्बर जारी किया गया है। जारी आदेश मे कहा गया है कि किसानों को आवश्यक सामग्री की उपलब्धता में किसी प्रकार परेशानी का सामना न करना पडे इसके लिए राज्य के सभी जिलों में हेल्प लाइन नम्बर जारी किया गया है।

जिलेवार किसानों के लिए सहयता केंद्र के हेल्पलाइन नम्बर

कृषक वर्ग को रबी फसल कटाई तथा ग्रीष्म कालीन फसलों की बोवाई के लिए बीज, खाद व अन्य आदान सामग्रीयों की उपलब्धता को लेकर काफी परेशान हो रही है। परन्तु राज्य शासन द्वारा इस विषम परिस्थिति में भी किसानों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए खाद एवं बीज जैसे आवश्यक वस्तुओं से संबंधित विक्रय केन्द्रों को नियमित समयावधि में खोलने के निर्देश जारी किए गए हैं। इसके साथ ही किसानों की परेशानी दूर करने के लिए सहायता केंद्र बनाये गए हैं |

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने किसानों के लिए सभी जिलों में सहायता केंद्र की स्थापना की है एवं प्रत्येक जिले के किसानों के लिए सहायता केंद्र नम्बर जारी किये हैं किसान इन नम्बरों पर कॉल करके जानकारी ले सकते हैं | किसान समाधान आपके लिए सभी जिलों के हेल्पलाइन नम्बर उपलब्ध करवा रहा है |

  1. राजधानी रायपुर 1800-233-1850 एवं टोल फ्री नम्बर 0771-2445785,
  2. बलौदाबाजार 07727-222054,
  3. गरियाबंद 07706-241288,
  4. महासमुन्द 07723-223305,
  5. धमतरी 07722-232458,
  6. दुर्ग 0788-2323755,
  7. बालोद 07749-223950,
  8. बेमेतरा 07824-222103,
  9. राजनांदगांव 07744-224109,
  10. कबीरधाम 07741-232609,
  11. बिलासपुर 07752-250084,
  12. मुंगेली 07755-264180,
  13. जांजगीर-चांपा 07817-222215, रा
  14. यगढ़ 07762-223750,
  15. कोरबा 07759-221096,
  16. सरगुजा का 1800-233-2637 टोल फ्री नम्बर 07774-222722,
  17. सूरजपुर 07775-266173,
  18. बलरामपुर 1800-233-2663 टोल फ्री नम्बर 07831-273072,
  19. कोरिया 07836-232214,
  20. जशपुर 07763-220571,
  21. जगदलपुर 07782-223122,
  22. कोण्डागांव 07786-242075,
  23. दंतेवाड़ा 07856-252360,
  24. बीजापुर 07853-220023,
  25. सुकमा 07864-284012,
  26. नारायणपुर 07781-252214,
  27. कांकेर 07868-241550
  28. गौरेला-पेंड्रा- मरवाही 07751-220223 है।

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कोरोना वायरस लॉकडाउन के दौरान ICAR वैज्ञानिकों ने जारी की खेती-किसानी कार्यों हेतु सलाह

ICAR वैज्ञानिकों ने खेती-किसानी कार्यों के लिए जारी की एडवाइजरी

देश में कोविड-19 कोरोना वायरस के फैलने के खतरे के साथ ही फसलें भी तेजी से पकने की ओर अग्रसर हैं। किसानों को संक्रमण से बचाने के लिए सरकार द्वारा विभिन्न तरह के दिशा निर्देश लगातार जारी किये जा रहे हैं | किसानों के लिए सावधानी एवं सुरक्षा का पालन करना बहुत ही जरूरी है, ताकि इससे महामारी का फैलाव ना हो सके। ऐसी स्थिति में साधारण एवं सरल उपाय जैसे सामाजिक दूरी बनाए रखना, साबुन से हाथों को साफ करते रहना, चेहरे पर मास्क लगाना, सुरक्षा हेतु कपड़े पहनना एवं कृषि संयंत्रों एवं उपकरणों की सफाई करना अत्यंत आवश्यक है। किसानों के लिए खेती के प्रत्येक कार्य के दौरान एक-दूसरे से सामाजिक दूरी बरकरार रखते हुए काम करना आवश्यक है।

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) ने कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप को ध्‍यान में रखते हुए रबी फसलों की कटाई एवं मड़ाई और फसल कटाई के बाद कृषि उपज के भंडारण एवं विपणन के लिए निम्नलिखित एडवाइजरी जारी की है:

फसलों की कटाई एवं मड़ाई के लिए किसान भाई अभी क्या करें

  • भारत के उत्तरी प्रांतों में गेहूं पकने की स्थिति में आ रही है। अतः इनकी कटाई के लिए कम्बाइन कटाई मशीन का उपयोग एवं प्रदेशों के अन्दर तथा दो प्रदेशों के बीच इनके आवागमन की अनुमति भारत सरकार के आदेश के तहत दी गई है। हालांकि, इस दौरान मशीनों के रखरखाव एवं फसल कटाई में लगे श्रमिकों की सावधानी एवं सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है।
  • इसी प्रकार उत्तर भारत की सरसों रबी की महत्वपूर्ण फसल है जिसकी किसानों द्वारा हाथ से कटाई एंव कटी फसलों की मड़ाई का कार्य जोरों से चल रहा है।
  • मसूर, मक्का और मिर्ची जैसे फसलों की भी कटाई एवं तुड़ाई चल रही है तथा चने की फसल पकने की स्थिति में आ रही है।
  • गन्ने की कटाई जोरों पर है तथा उत्तर भारत में इसकी रोपाई (हाथ से) का भी समय है।
  • ऐसी स्थिति में समस्त किसानों एवं कृषि श्रमिकों, जो फसलों की कटाई, फल एवं सब्जियों की तुड़ाई, अंडों और मछलियों के उत्पादन में लगे हैं, द्वारा इन कार्यों के क्रियान्वयन के पहले, कार्यों के दौरान एवं कार्यों के उपरांत व्यक्तिगत स्वच्छता तथा सामाजिक दूरी को सुनिश्चित करना अत्यावश्यक है।
  • फसलों की हाथ से कटाई/तुड़ाई के दौरान बेहतर होगा कि 4-5 फीट की पट्टियों में काम किया जाए तथा एक पट्टी की दूरी में एक ही श्रमिक को कार्यरत रखा जाए। इस प्रकार कार्यरत श्रमिकों के बीच उचित दूरी सुनिश्चित की जा सकेगी।
  • कार्यरत सभी व्यक्तियों/श्रमिकों को सुनिश्चित करना चाहिए कि वे मास्क पहन कर ही काम करें तथा बीच-बीच में साबुन से हाथ धोते रहें।
  • एक ही दिन अधिक श्रमिकों को कार्य में लगाने के बजाय उस कार्य को अवधि/दिनों में बांट दिया जाए तथा खेतों में काम विभिन्‍न अंतराल में किया जाए।
  • जहां तक संभव हो, परिचित व्यक्ति को ही खेतों के कार्य में लगाएं। किसी भी अनजान श्रमिक को खेत में काम करने से रोकें, ताकि वे इस महामारी का कारण न बन सकें।
  • जहां तक संभव हो, कृषि कार्य उपकरणों व मशीनों से ही किया जाए, न कि हाथों से और इसके साथ ही केवल उपयुक्त व्यक्ति को ही ऐसे संयंत्रों को चलाने दिया जाए।
  • कृषि कार्यों में लगे संयंत्रों को कार्यों के पूर्व तथा कार्यों के दौरान साफ (सैनिटाइज) किया जाना चाहिए। इसके साथ ही बोरी तथा अन्य पैकेजिंग सामग्री को भी साफ (सैनिटाइज) किया जाना चाहिए।
  • खलिहानों में तैयार उत्पादों को छोटे-छोटे ढेरों में इकट्ठा करें जिनकी आपस में दूरी 3-4 फीट हो। इसके साथ ही प्रत्येक ढेर पर 1-2 व्यक्ति को ही कार्य पर लगाना चाहिए तथा भीड़ इकट्ठा करने से बचना चाहिए।
  • कटाई किए गए मक्के एवं खोदी हुई मूंगफली की मड़ाई हेतु लगाई गई मशीनों की उचित साफ-सफाई एवं स्वच्छता (सैनिटाइज) सुनिश्चित करें, खासकर यदि इन मशीनों को अन्य किसानों या कृषक समूहों द्वारा उपयोग किया जाना है। इन मशीनों के पार्ट्स (पुर्जो) को बार-बार छूने पर साबुन से हाथ धोना चाहिए।

फसल कटाई के बाद कृषि उपज का भंडारण और विपणन

  • प्रक्षत्रों पर कुछ खास कार्यों जैसे कि मड़ाई, सफाई, सुखाई, छंटाई, ग्रेडिंग, तथा पैकेजिंग के दौरान किसानों/श्रमिकों को चेहरे पर मास्क अवश्य लगाना चाहिए, ताकि वायु-कण एवं धूल-कण से बचा जा सके और श्वास से संबंधित तकलीफों से दूर रहा जा सके।
  • तैयार अनाजों, मोटे अनाजों तथा दालों को भंडारण के पहले पर्याप्त सुखा लें तथा जूट की पुरानी बोरियों का उपयोग भडारण हेतु न करें। नई बोरियों को नीम के 5 प्रतिशत घोल में उपचारित कर तथा सूखा कर ही अनाजों के भंडारण हेतु उपयोग करें।
  • शीत भंडारों, सरकारी गोदामों तथा अन्य गोदामों द्वारा आपूर्ति की गई जूट की बोरियों का उपयोग अनाज भंडारण हेतु काफी सतर्कतापूर्वक करें।
  • अपने उत्पादों को बाजार-यार्ड अथवा नीलामी स्थल तक ले जाने के दौरान ढुलाई के वक्त किसान अपनी निजी सुरक्षा का भरपूर ध्यान रखें।
  • बीज उत्पादक किसानों को अपने बीजों को लेकर बीज कंपनियों तक ढुलाई करने की इजाजत है, बशर्ते कि उन किसानों के पास संबंधित दस्तावेज हों तथा भुगतान के वक्त वे समुचित सावधानी बरतें।
  • बीज प्रसंस्करण एवं पैकेजिंग, संयंत्रों द्वारा बीजों का आवागमन बीज उत्पादक प्रांतों से फसल उत्पादक प्रांतों तक आवश्यक है, ताकि गुणवत्‍ता युक्त बीजों की उपलब्धता आगामी खरीफ सीजन के लिए सुनिश्चित की जा सके (दक्षिण भारत से उत्तर भारत तक)। उदाहरण के लिए, अप्रैल के महीने में उत्तर भारत में हरे चारे की खेती हेतु बीज की आपूर्ति दक्षिण भारत के प्रांतों द्वारा की जाती है।
  • इनके अतिरिक्त, किसानों द्वारा उनके प्रक्षेत्रों पर तैयार टमाटर, फूल गोभी, हरी पत्तेदार सब्जियां, खीरा तथा लौकी श्रेणी की अन्य सब्जियों के बीज के सीधे विपणन में किसानों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है।

खेतों में खड़ी फसलों के लिए क्या करें

  • जैसा कि देखा जा रहा है कि इस बार ज्‍यादातर गेहूं उत्पादक प्रांतों में औसत तापमान विगत अनेक वर्षों के औसत तापमान से कम है, अतः गेहूं की कटाई कम-से-कम 10-15 दिन आगे बढ़ने की संभावना है। ऐसी दशा में किसान यदि 20 अप्रैल तक भी गेहूं की कटाई करें तो भी उन्हें कोई आर्थिक नुकसान नहीं होगा। इस प्रकार गेहूं की खरीदारी राज्य सरकारों व अन्य एजेंसियों द्वारा करना आसान होगा।
  • दक्षिण भारत के प्रातों में शीतकालीन (रबी) धान की फसल के दाने पुष्ट होने की अवस्था में हैं तथा नेक ब्लास्ट रोग से प्रभावित हैं। अतः किसानों को सलाह दी जाती है कि वे संबंधित रोगनाशक रसायन का छिड़काव सावधानीपूर्वक करें।
  • इन्हीं प्रांतों में धान की कटाई की अवस्था में यदि असामयिक बारिश हो जाए तो किसानों को 5 प्रतिशत लवण के घोल का छिड़काव फसल पर करना चाहिए, ताकि बीज अकुंरण को रोका जा सके।
  • उद्यानिकी फसलें, खासकर, आम के पेड़ पर इस समय फल बनने की अवस्था है। आम के बागों में पोषक तत्वों के छिड़काव तथा फसल सुरक्षा के उपायों के दौरान रासायनिक कच्‍चे माल का समुचित संचालन, उनका सम्मिश्रण, उपयोग तथा संबंधित संयंत्रों की सफाई अत्यंत आवश्यक है।
  • चना/सरसों/आलू/गन्ना/गेहूं के बाद खाली खेतों में जहां ग्रीष्मकालीन मूंग की खेती होनी है वहां मूंग की फसलों में सफेद मक्‍खी के प्रबंधन हेतु उचित रसायनों के उपयोग के दौरान समुचित सुरक्षा का पालन करें, ताकि इन फसलों को पीले मोजैक (विषाणु) के प्रकोप से बचाया जा सके।

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मध्यप्रदेश में गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद आगामी आदेश तक स्थगित

गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद स्थगित

देश में अभी कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए देशव्यापी लॉक डाउन चल रहा है | जिसके चलते एक जगह पर अधिक लोग एकत्रित नहीं हो सकते | वैसे तो केंद्र सरकार के द्वारा किसानों को कृषि कार्यों एवं फसल बेचने आदि के लिए छूट दी गई है परन्तु अभी भी राज्य सरकारों द्वारा फसल खरीदी शुरू नहीं की जा सकी है इसका मुख्य कारण यह है की सरकार एक साथ एक जगह पर ज्यादा भीड़ एकत्रित नहीं होने देना चाहती क्योकि इससे कोरोना वायरस के संक्रमण फैलने का खतरा बढेगा | सरकारें अभी कोरोना संक्रमण के बचाब के साथ ही फसल की खरीदी करना चाहती है | राजस्थान राज्य में पहले ही समर्थन मूल्य पर खरीदी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है | अब मध्यप्रदेश सरकार ने भी समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीद स्थगित करने का फैसला लिया है |

मध्यप्रदेश में कब से होना था गेहूं की खरीद

पहले सामान्य हालात में मध्यप्रदेश सर्कार के द्वारा गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद 1 अप्रैल 2020 से की जानी थी | इसके लिए किसान पहले ही ई-उपार्जन से पंजीयन कर चुके हैं | सरकार द्वारा सभी पंजीकृत किसानों से गेहूं समर्थन मूल्य 1925 रुपये प्रति क्विंटल पर की जानी है | परन्तु अभी राज्य शासन कोविड-19 संक्रमण की स्थिति को ध्यान में रखकर एक अप्रैल 2020 से प्रारंभ किये जा रहे गेहूँ उपार्जन कार्य को आगामी आदेश तक स्थगित कर दिया है। खाद्य-नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग द्वारा जारी आदेश के अनुसार उपार्जन की आगामी तिथि बाद में जारी की जाएगी।

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फसल पैकिंग के लिए किसान उचित मूल्य पर बारदाना यहाँ से ले सकते हैं

पैकिंग के लिए बारदाना

रबी फसल की खरीदी कब शुरू की जाएगी इसको लेकर अभी भी कई राज्यों में अनिश्चितता बनी हुई है | हरियाणा को छोड़ बाकी सभी राज्य रबी फसल की खरीदी कब से शुरू करेगी इसकी अभी कोई तारीख अभी तक फिक्स नहीं की गई है | हरियाणा सरकार राज्य के किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरसों तथा गेहूं को क्रमश: 15 तथा 20 अप्रैल से शुरू कर रही है वहीँ  उत्तरप्रदेश सरकार ने कहा है की गेहूं की खरीद अप्रेल के दुसरे सप्ताह से शुरू कर दी जाएगी | इसके अलावा अन्य सभी राज्य जो 1 अप्रैल से रबी फसल की खरीदी करते थे उनका अभी डेट नहीं आई है | राज्यस्थान ने खरीदी की तारीख जारी करने के बाद अनिश्चित काल के लिए बंद कर दिया गया है | इसका मुख्य कारण कोरोना वायरस के कारण मण्डी तथा सोसायटी में होने वाली भीड़ है | कोरोना वायरस के कारण सभी राज्य तथा केंद्र सरकार सतर्कता बरत रही है | इसी बीच राजस्थान सरकार ने किसानों के लिए बारदाना उपलब्ध करवाने का फैसला लिया है |

कृषि उपज मंडियों एवं क्रय-विक्रय समिति से किसान खरीद सकेंगे बारदाना

राज्य सरकार की और से किसानों को फसल पैकिंग के लिए पर्याप्त मात्रा में बारदाना उपलब्ध करवाया जाएगा | काश्तकार अपनी जरूरत के मुताविक कृषि उपज मण्डी समितियों एवं क्रय–विक्रय सहकारी (केवीएसएस) से बारदाना खरीद सकते हैं | यह जानकारी कृषि एवं सहकारिता विभाग के प्रमुख शासन सचिव श्री नरेशपाल गंगवार ने दी| श्री गंगवार ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण रोकथाम के लिए चल रहे लॉक डाउन के बीच फसलों की कटाई का कार्य चल रहा है | इस दौरान काश्तकारों को फसल पैकिंग के लिए बारदाने की जरूरत रहती है | बारदाना उपलब्ध करने के लिए राज्य की सभी कृषि उपज मण्डी समितियों में बारदाने की दुकानें खुलवा दी गई है | इन दुकानों पर बारदाने का पर्याप्त स्टाक उपलब्ध है |

क्रय–विक्रय सहकारी समितियों पर स्टांक में रखे बारदाना किसानों को आवश्यकता अनुसार बेचने की मंजूरी प्रदान की गई है | राजफैड की ओर से गत वर्षों में समर्थन मूल्य पर तिलहन–दलहन की खरीदी के लिए उपलब्ध करवाया गया | यह बारदाना नेफेड की विक्रय दर पर बेचा जाएगा |

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यहाँ 15 अप्रैल से सरसों एवं 20 अप्रैल से गेहूं समर्थन मूल्य पर खरीदेगी सरकार

गेहूं एवं सरसों की सरकारी खरीद

कोरना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए देश में लॉक डाउन चल रहा है जिसको लेकर देश के सभी राज्यों में बहुत से कार्य बंद है | एक जगह पर लोगों को इकट्ठा होने पर पाबंदी लगा दी गई है | किसानों की रबी फसलों के पंजीकरण एवं खरीद बिक्री पर भी रोक लगा दी गई थी जिसे अब धीरे-धीरे शुरू किया जा रहा है | केंद्र सर्कार के द्वारा द्वारा लॉक डाउन में खेती-किसानी के कार्यों में किसानों को छूट दिये जाने के बाद राज्य सरकारें किसानों से समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीदी की तैयारी में लग गई हैं |

इस संकट के समय में किसान यदि सही समय पर उनकी फसल नहीं बेच पाए तो उनके लिए यह बड़ी मुसीबत बन सकता है | यदि समय पर किसान उनकी उपज बेच पाए तो वह जायद की खेती भी कर सकते हैं अवं समय पर लोन आदि चूका सकते हैं | इन सब बातों को ध्यान में रखकर राज्य सरकारों ने किसानों से समय पर फसल खरीद का फैसला लिया है | हरियाणा राज्य सरकार किसानों से चने और सरसों की फसल की खरीद की अवधि 15 अप्रैल से 30 जून, 2020 अधिसूचित की गई है। किसान समाधान इसकी पूरी जानकारी लेकर आया है |

कब की जाएगी सरसों एवं गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीद

हरियाणा सरकार राज्य के किसानों से सरसों तथा गेहूं की सरकारी खरीदी शुरू करने जा रही है | सरसों की खरीदी 15 अप्रैल से तथा गेहूं की खरीदी 20 अप्रैल शुरू किया जाएगा | गेहूं तथा सरसों की खरीदी केंद्र सरकार के द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया जाएगा |

किसान कहाँ एवं कैसे बेच सकेगें गेहूं एवं सरसों

कोरोना वायरस के कारण अधिक संख्या में किसानों को एक जूट होने से रोकने के लिए अधिक से अधिक संख्या में खरीदी केंद्र तथा मण्डी केंद्र बनाये जाने की निर्देश दिये गये हैं | इसके लिए राधास्वामी डेरा सत्संग भवनों के शैडो का इस्तेमाल खरीद के लिए किया जाएगा | सरसों तथा गेहूं की खरीदी किसानों द्वारा मेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकृत जानकारी के अनुरूप कूपन जारी करके की जाएगी | चार–पांच गांवों के किसानों को उनकी सुविधा के लिए क्रम अनुसार मंडियों में फसल लाने के लिए कहा जाएगा |  

किसानों से किस भाव पर ख़रीदी जाएगी  गेहूं एवं सरसों की फसल

केंद्र सरकार ने वर्ष 2019–20 के लिए सरसों का न्यूनतम समर्थन मूल्य 4425 रूपये प्रति क्विंटल और गेहूं का 1925 रूपये प्रति क्विंटल निर्धारित की गई है | यह मूल्य देश के सभी राज्यों के लिए एक समान है | 

15 अप्रैल से शुरू हो रहे सरसों तथा 20 अप्रैल से गेहूं की खरीदी केंद्र सरकार के द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया जाएगा | अगर सरसों की खरीदी हैफेड व हरियाण वेयर हाऊसिंग तथा गेहूं की खरीद भारतीय खाध निगम के माध्यम से की जाती है | मंडियों में फसलों के बोली भाव को उनके न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम होने पर उनके अंतराल को भावांतर भरपाई योजना के अंतर्गत पूरा किया जाएगा |

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