मौसम चेतावनी: अगले 24 घंटे में इन जगहों पर हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

आने वाले 24 घंटे के लिए मौसम का पूर्वानुमान

देश में लगातार उत्तरी राज्यों के अधिकांश जिलों में बारिश अवं ओलावृष्टि का सिलसिला जारी है | मार्च खत्म होने को आया है, लेकिन अभी भी मौसम का मिजाज बिल्कुल बदला हुआ है | भारतीय मौसम विभाग के ताजा पूर्वानुमान के मुताबिक दिल्ली के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश और दिल्ली से सटे हरियाणा के जिलों में बारिश के साथ ओले भी गिर सकते हैं। उत्तराखंड, हरियाणा, पंजाब, चंडीगढ़ दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तरी राजस्थान, मध्य प्रदेश, ओडिशा ,छत्तीसगढ़ और सिक्किम, असम, मेघालय, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के अलग-अलग स्थानों पर बिजली कड़कने, ओलावृष्टि और तेज हवा (30-40 किमी प्रति घंटे तक की गति) चलने का पूर्वानुमान है |

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग भोपाल द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार आने वाले 24 घंटों में भोपाल, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, सिहोर, धार, इंदौर, अलीराजपुर, बडवानी, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, झाबुआ, देवास, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, अशोक नगर, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुरकला, उमरिया, अनुपपुर, शहडोल, डिंडौरी, कटनी, छिंदवाडा, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर, सिवनी, मंडला, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, छत्तरपुर, सागर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, बेतुल, हरदा एवं होशंगाबाद जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर तेज बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग जयपुर के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आगामी 24 घंटों में अलवर, बरन, भरतपुर, दौसा, धोलपुर, जयपुर, झालावार, झुंझुनू, करौली, सवाई माधौपुर, सीकर, टोंक, उदयपुर, बारमेर, बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, श्रीगंगानगर जिलों में कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर तेज बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

पंजाब एवं हरियाणा राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग चंडीगढ़ के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आगामी 24 घंटों में पंजाब राज्य के पठानकोट, गुरुदासपुर, अमृतसर, तरन-तारण, होशियारपुर, नवांशहर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, भटिंडा, लुधियाना, बरनाला, मनसा, संगरूर, रूपनगर, पटियाला, सास नगर फतेहगढ़ साहिब जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर तेज बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

हरियाणा राज्य के लिए जारी की गई चेतावनी के अनुसार आगामी 24 घंटों में राज्य के चंडीगढ़, पंचकुला, अम्बाला, यमुनानगर, कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, महेंद्रगढ़, रेवारी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, फरिदवाद, रोहतक, सोनीपत, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी, चरखी दादरी जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

छत्तीसगढ़ राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग रायपुर के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आने वाले दिनों में राज्य के सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, रायपुर, बलोदाबाजार, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनंदगांव, बस्तर, कोंडागांव जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

बिहार राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग पटना के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आगामी 24 घंटों में राज्य के वेस्ट चंपारण, सिवान, सरन, इस्ट चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, वैशाली, शेओहर, समस्तीपुर, बक्सर, भोजपुर, रोहतास, भभुआ, औरंगाबाद, जहानाबाद,अरवल, पटना, गया, नालंदा, शेखपुर, बेगुसराई, लखीसराई एवं नवादा जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

उत्तरप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

पूर्वी उत्तरप्रदेश में मौसम शुष्क रहने की संभावना है| पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक दो स्थानों पर गरज चमक के साथ वर्षा होने की संभावना है| भारतीय मौसम विभाग लखनऊ के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आगामी 24 घंटों में राज्य के नोएडा, ग्रेटर नोएडा, हापुड़, गाजियाबाद, मेरठ, बुलंदशहर, जहांगीराबाद, नरौरा, बरसाना, मथुरा, अलीगढ़, आगरा, खैर जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

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वैज्ञानिकों ने विकसित की गेहूं की उच्च प्रोटीन एवं स्थिर उपज वाली किस्म मैक्स 4028

गेहूं की नई विकसित किस्म मैक्स (MACS) 4028

देश में सबसे महत्वपूर्ण फसलों में गेहूं की फसल सबसे आगे है | गेहूँ की खेती भारत में सभी राज्यों में की जाती है | गेहूं की खेती से देश के सर्वाधिक किसान जुड़े होने के कारण इसकी उत्पादकता एवं गुणवत्ता बढ़ाने के लिए विज्ञानिकों के द्वारा लगातार कार्य किये जा रहे हैं | भारतीय वैज्ञानिकों ने विभिन्न क्षेत्रों के अनुसार कई प्रकार की गेहूं की किस्में भी विकसित की है और यह कार्य जारी है | अभी हाल जी में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत एक स्वायत्तशासी संस्थान, पुणे के अगहरकर रिसर्च इंस्टीट्यूट (एआरआई) के वैज्ञानिकों ने एक प्रकार के गेहूं की बायोफोर्टीफाइड किस्म एमएसीएस 4028 विकसित की है, जिसमें उच्च प्रोटीन है।

गेहूं की किस्म 4028 की विशेषताएं

एमएसीएस 4028, जिसे विकसित करने की जानकारी इंडियन जर्नल ऑफ जेनेटिक्स एंड प्लांट ब्रीडिंग में प्रकाशित की गई थी, एक अर्ध-बौनी (सेमी ड्वार्फ) किस्म है, जो 102 दिनों में तैयार होती है और जिसमें प्रति हेक्टेयर 19.3 क्विंटल की श्रेष्ठ और स्थिर उपज क्षमता है। यह डंठल, पत्‍तों पर लगने वाली फंगस, पत्‍तों पर लगने वाले कीड़ों, जड़ों में लगने वाले कीड़ों और ब्राउन गेहूं के घुन की प्रतिरोधी है।

गेहूं की किस्‍म में सुधार पर एआरआई वैज्ञानिकों के समूह द्वारा विकसित गेहूं की किस्‍म में लगभग 14.7% उच्च प्रोटीन, बेहतर पोषण गुणवत्ता के साथ जस्ता (जिंक) 40.3 पीपीएम, और क्रमशः 40.3 पीपीएम और 46.1 पीपीएम लौह सामग्री, पिसाई की अच्छी गुणवत्ता और पूरी स्वीकार्यता है।

सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों के लिए उपयोगी है मैक्स (MACS) 4028

गेहूं की किस्म एमएसीएस 4028 को फसल मानकों पर केन्‍द्रीय उप-समिति द्वारा अधिसूचित किया गया है, महाराष्ट्र और कर्नाटक को शामिल करते हुए समय पर बुवाई के लिए कृषि फसलों की किस्‍में जारी करने (सीवीआरसी), प्रायद्वीपीय क्षेत्र की बारिश की स्थिति के लिए अधिसूचना जारी की गई है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) ने भी वर्ष 2019 के दौरान बायोफोर्टीफाइड श्रेणी के तहत इस किस्म को टैग किया है।

भारत में गेहूँ की फसल छह विविध कृषि मौसमों के अंतर्गत उगाई जाती है। भारत के प्रायद्वीपीय क्षेत्र (महाराष्ट्र और कर्नाटक राज्यों) में, गेहूं की खेती प्रमुख रूप से वर्षा आधारित और सीमित सिंचाई परिस्थितियों में की जाती है। ऐसी परिस्थितियों में, फसल को नमी की मार झेलनी पड़ती है। इसलिए, सूखा-झेलने वाली किस्मों की उच्च मांग है। अखिल भारतीय समन्वित गेहूं और जौ सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत, अगहरकर रिसर्च इंस्‍टीट्यूट, पुणे में वर्षा की स्थिति में अधिक पैदावार वाली, जल्‍द तैयार होने वाली और रोग प्रतिरोधक क्षमता वाली किस्में विकसित करने के प्रयास किए जाते हैं। यह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा नियंत्रित भारतीय गेहूं और जौ अनुसंधान संस्‍थान, करनाल के जरिये संचालित है। एमएसीएस 4028 किसानों के लिए इस तरह के प्रयासों का परिणाम है।

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कोरोना लॉकडाउन से रुकी फसलों की सरकारी खरीद, अब क्या होगा किसानों की फसलों का

फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद प्रक्रिया बंद

देश में कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए 25 मार्च से 14 अप्रेल तक के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिनों तक के लिए लॉकडाउन की घोषणा कर दी है | इसमें सभी प्रकार के ट्रांसपोटेशन के साथ–साथ देशवासियों को घर में रहने की अपील की गई है | इससे पूरी तरह से जनजीवन थम गया है | जबकि यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब देश में रबी फसलों की कटाई जोरों पर है |

केंद्र सरकार ने इस वर्ष गेहूं का उत्पादन 105 मिलियन टन होने की संभावना व्यक्त की थी | अगर यह स्थिति रही तो किसानों की फसल खेत में रह जाएगी जिससे काफी नुकसान उठाना पड़ेगा | प्रधानमंत्री के फैसले के कारण मजदुर खेत में जाने से डर रहे हैं तो दूसरी तरफ बेमौसम बरसात का सिलसिला भी देश के उत्तरी राज्यों में जारी है जिससे फसलों को काफी नुकसान होने की सम्भावना है | मजदूर के आलावा सभी राज्यों के द्वारा भी लॉक डाउन कर दिया गया है जिसके कारण दुसरे राज्यों से जो मशीने कटाई के लिए आती थी वह भी अब आना बंद हो गई है |

फसल नुकसान होने पर किसान क्या करें

सरकार के द्वारा चलाई जा रही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत मानव निर्मित जोखिम को शामिल नहीं किया गया है | जिससे देश के कोई भी किसान यह दावा नहीं कर सकता है कि कोरोना वायरस (कोविड-19) के कारण हुए नुकसान कि बीमा दिया जाएगा |

वहीँ यदि खेत में पड़ी फसल का नुकसान बारिश या ओले से होता है तो यह एक प्राकृतिक आपदा है | फसल कटाई के बाद खेत में सूखने के लिए छोड़ी गए फसल की क्षति होने पर भी किसानों को बीमा का लाभ दिया जाता है |

कब से शरू हो सकती है फसलों की संभावित खरीद

पहले से ही पंजाब, हरियाणा तथा राजस्थान ने अपने राज्यों में गेहूं कि खरीदी अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दी है | ऐसे में जिस किसान के पास गेहूं तथा अन्य रबी फसल बेचना होगा उसके लिए बाजार उपलब्ध नहीं है | ज्यादातर राज्यों में 1 अप्रैल तो वहीँ कुछ राज्यों में रबी फसलों की खरीदी 15 अप्रेल तक शुरू कर दी जाती है | पर इस वर्ष देश में चल रहे लॉकडाउन के चलते किसी भी राज्य में 15 अप्रेल तक फसलों की खरीद प्रारंभ होना असंभव है | इसके अतिरिक्त कई राज्यों में अभी तक समर्थन मूल्य खरीद के लिए पंजीकरण भी नहीं हुए हैं और पंजीकरण के बाद ही किसान अपनी फसल समर्थन मूल्य पर बेच सकता है | इसके अतिरिक्त हो सकता है की यह लॉक डाउन के समय को सरकार 14 अप्रेल से भी आगे बढ़ा दे |

किसान करें फसलों का सुरक्षित भंडारण

जिन किसानों ने अपनी फसल काट ली है वह भण्डारण की व्यवस्था सुनिश्चित कर लें | भण्डार में अन्न रखने से पहले मालाथियान 50 ई.सी. एक भाग एवं 300 भाग पानी में घोलकर अच्छी तरह भण्डार में छिड.काव करें। बीज के लिए रखी अन्न की बोरियॉं पर मालाथियान धूल का भुरकाव कर दें। अगर कीडे. लग जाये तब अन्न को शीघ्र बेच दें या प्रधुमन करें। इसके लिए वायुरोधी बर्तन में ई.डी.बी. 3 मि.ली. प्रति क्विंटल की दर से काम में लायें। या देसी तरीके से भंडारण के लिए एक सौ किलोग्राम अनाज में 5 किलोग्राम सूखी हुई नीम या सदाबहार या कनेर की पत्तियॉं अच्छी तरह से मिलाकर रखने से कीटों से बचाव होता है।

किसानों की फसल की भरपाई कौन करेगा

केंद्र सरकार तथा अलग–अलग राज्य सरकार मिलकर देश के राज्यों से 30.4 मिलियन टन गेहूं कि सरकारी खरीदी करता है | कोरोना वायरस के कारण सरकारी खरीदी बुरी तरह से प्रभावित होने वाली है |

पंजाब तथा हरियाणा में आलू कि फसल को अभी तक खेत से नहीं निकाला गया है | कोरोना वायरस तथा सरकार के फैसले से बिहार तथा उत्तर प्रदेश के मजदूर अपने घर को लौट गए हैं | मजदुर नहीं मिल पाने के कारण आलू, लहसुन तथा प्याज भी बुरी तरह प्रभावित होंगे |

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल यह है कि किसानों को फसल नुकसानी कि भरपाई कौन करेगा , क्यों कि इस प्रकार कि नुकसानी के लिए किसी भी प्रकार का योजना नहीं है | इसकी भरपाई इस बात पर निर्भर करता है कि किसानों के लिए राहत पैकेज दिया जाए |

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वैज्ञानिकों ने विकसित किया ऐसा छत्ता जिससे मधुमक्खियों से बिना छेड़छाड़ किए निकाल सकते हैं शहद

मधुमक्खियों के छत्ते में गुणवत्तापूर्ण शहद के लिए सुधार

सरकार द्वारा किसानों की आय दोगुना करने एवं ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोजगार पैदा करने के उद्देश से सरकार मधुमक्खी पालन को बढ़ावा दे रही है | इसके लिए मोदी सरकार द्वारा मधुमक्खीपालन से आय और रोजगार सृजन करने तथा देश में मीठी क्रान्ति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए “राष्ट्रीय मधुमक्खीपालन व शहद मिशन” स्वीकृत किया गया है। वैज्ञानिकों के द्वारा मधुमक्खीपालन को बढ़ावा देने एवं सुविधापूर्वक बनाने के लिए कई कार्य जारी हैं | शहद उत्पादन में उपयोग होने वाले छत्तों का रखरखाव एक समस्या है, जिसके कारण शहद की शुद्धता प्रभावित होती है। भारतीय वैज्ञानिकों ने मधुमक्खी-पालकों के लिए एक ऐसा छत्ता विकसित किया है, जो रखरखाव में आसान होने के साथ-साथ शहद की गुणवत्ता एवं हाइजीन को बनाए रखने में भी मददगार हो सकता है। 

वैज्ञानिकों के द्वारा विकसित की गई मधुमक्खी के छत्ते की फ्रेम

केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ), चंडीगढ़ और हिमालय जैव-संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी), पालमपुर के वैज्ञानिकों ने मिलकर मधुमक्खी पालन में उपयोग होने वाले पारंपरिक छत्ते में सुधार करके इस नये छत्ते को विकसित किया है। इस छत्ते की खासियत यह है कि इसके फ्रेम और मधुमक्खियों से छेड़छाड़ किए बिना शहद को इकट्ठा किया जा सकता है।

पारंपरिक रूप से हनी एक्सट्रैक्टर की मदद से छत्ते से शहद प्राप्त किया जाता है, जिससे हाइजीन संबंधी समस्याएँ पैदा होती हैं। इस नये विकसित छत्ते में भरे हुए शहद के फ्रेम पर चाबी को नीचे की तरफ घुमाकर शहद प्राप्त किया जा सकता है। ऐसा करने से शहद निकालने की पारंपरिक विधि की तुलना में शहद सीधे बोतल पर प्रवाहित होता है। इस तरह, शहद अशुद्धियों के संपर्क में आने से बच जाता है और शुद्ध तथा उच्च गुणवत्ता का शहद प्राप्त होता है।

क्या है खासियत इस छते के फ्रेम की

इस छत्ते के उपयोग सेबेहतर हाइजीन बनाए रखने के साथ शहद संग्रहित करने की प्रक्रिया में मधुमक्खियों की मृत्यु दर को नियंत्रित कर सकते हैं। इस छत्ते के उपयोग से पारंपरिक विधियों की अपेक्षा श्रम भी कम लगता है। मधुमक्खी-पालक इस छत्ते का उपयोग करते है तो प्रत्येक छत्ते से एक साल में 35 से 40 किलो शहद प्राप्त किया जा सकता है। मकरंद और पराग की उपलब्धता के आधार पर यह उत्पादन कम या ज्यादा हो सकता है। इस लिहाज से देखें तो मधुमक्खी का यह छत्ता किफायती होने के साथ-साथ उपयोग में भी आसान है।

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कोरोना वायरस के कारण गेहूं के पंजीयन एवं खरीदी प्रक्रिया की गई बंद

गेहूं के पंजीयन एवं खरीद प्रक्रिया

कोरोना वायरस के कारण देश में जन–जीवन पूरी तरह से अस्त व्यस्त हो गया है | सारे देश में एक साथ कर्फ्यू लागू कर दिया है एवं बहुत से कार्य जहाँ अधिक लोगों का आना जाना रहता है वह सभी चीजें बंद कर दी गई हैं | जिसके कारण वर्ष 2019–20 के रबी फसल की पंजीयन तथा खरीदी पर बुरा असर पड़ना तय है | इस दौरान राजस्थान के खाध एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री श्री रमेश चंद मीणा ने बताया कि राज्य में रबी विपन्न वर्ष 2020–21 के दौरान गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की प्रक्रिया को तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दिया गया है | उन्होंने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए यह कदम उठाया गया है |

गेहूं खरीदी कब से की जानी थी

खाध मंत्री ने खरीदी के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर प्रदेश में गेहूं की खरीद के लिए कोटा संभाग में 15 मार्च से उपार्जन कार्य प्रारंभ किया गया था तथा शेष जिलों में 1 अप्रैल से उपार्जन का कार्य प्रारंभ किया जाना था | कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए किये जा रहे राज्य व्यापी उपायों के तहत समर्थन मूल्य पर गेहूं की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद प्रक्रिया को आगामी आदेशों तक स्थगित कर दिया गया है |

गेहूं कि खरीदी दुबारा कब शुरू होगा ?

श्री रमेश चंद मीणा ने बताया कि प्रदेश में खरीद प्रक्रिया को स्थगित किये जाने के संबंध में प्रभारियों को निर्देश जारी कर दिये हैं | कोरोना वायरस के संक्रमण के नियंत्रण के संबंध में उच्च स्तर से जैसे ही निर्देश जारी किये जायेंगे, तो गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद प्रक्रिया को चालु किये जाने के निर्णय से संबंधित किसानों को अवगत करा दिया जायेगा |

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मौसम चेतावनी: 25 मार्च से 27 मार्च के मध्य इन जगहों पर हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

25 से 27 मार्च तक के लिए मौसम का पूर्वानुमान

पिछले कई दिनों से देश के उत्तरी राज्यों में कई हिस्सों में लगातार बारिश एवं ओलावृष्टि का सिलसिला जारी है | मार्च महिना ख़त्म होने को है फिर भी बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है इतना नहीं उत्तरी पहाड़ी राज्यों में बारिश के साथ बर्फवारी ने और भी मुश्किल बढ़ा दी है | भारतीय मौसम विभाग ने चेतावनी जारी कर यह जानकारी दी है की आने वाले दिनों में मौसम फिर करवट लेगा और देश के कई राज्यों कश्मीर, लद्दाख, गिलगित और बाल्टिस्तान, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली, पश्चिम, उत्तर प्रदेश में 26 मार्च से 27 मार्च के मध्य कहीं कहीं कुछ स्थानों पर गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश की सम्भावना है | वहीँ पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, राजस्थान, पूर्वी राजस्थान राज्यों में 24 मार्च से 26 मार्च के दौरान बारिश एवं ओलावृष्टि की भी संभावना है।

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग भोपाल द्वारा जारी चेतावनी के अनुसार 24 मार्च से 27 मार्च के मध्य भोपाल, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, सिहोर, धार, इंदौर, अलीराजपुर, बडवानी, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, झाबुआ, देवास, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, अशोक नगर, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योपुरकला, छिंदवाडा, जबलपुर, सिवनी, मंडला, सागर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, बेतुल, हरदा एवं होशंगाबाद जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर तेज बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग जयपुर के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार 24 मार्च से 27 मार्च के मध्य अजमेर, अलवर, बरन, भरतपुर, दौसा, धोलपुर, जयपुर, झालावार, झुंझुनू, करौली, कोटा, राजसमन्द, सवाई माधौपुर, सीकर, टोंक, उदयपुर, बारमेर, बीकानेर, चुरू, हनुमानगढ़, जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, श्रीगंगानगर जिलों में कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर तेज बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

छत्तीसगढ़ राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग रायपुर के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार 25 मार्च को राजनांदगाव, बस्तर, कोंडागांव, दंतेबाड़ा, सुकुमा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर जिलों में एवं 27 मार्च को सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, मुंगेली, कोरबा, रायपुर, दुर्ग, बेम्तारा, कबीरधाम, राजनंदगांव, बस्तर दंतेवाडा जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर हलकी से मध्यम बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

पंजाब एवं हरियाणा राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश एवं ओलावृष्टि

भारतीय मौसम विभाग चंडीगढ़ के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार 24 मार्च एवं 27 मार्च को पंजाब राज्य के पठानकोट, गुरुदासपुर, अमृतसर, तरन-तारण, होशियारपुर, नवांशहर, कपूरथला, जालंधर, फिरोजपुर, फाजिल्का, फरीदकोट, मुक्तसर, मोगा, भटिंडा, लुधियाना, बरनाला, मनसा, संगरूर, रूपनगर, पटियाला, सास नगर फतेहगढ़ साहिब जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर तेज बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

हरियाणा राज्य के लिए जारी की गई चेतावनी के अनुसार राज्य में 24 से 27 मार्च को चंडीगढ़, पंचकुला, अम्बाला, यमुनानगर,कैथल, करनाल, महेंद्रगढ़, रेवारी, झज्जर, गुरुग्राम, मेवात, पलवल, फरिदवाद, रोहतक, सोनीपत, सिरसा, फतेहाबाद, हिसार, जींद, भिवानी, चरखी जिलों में गरज चमक के साथ कहीं- कहीं कुछ स्थानों पर तेज बारिश के साथ अल्पकालीन ओलावृष्टि होने की सम्भावना है | प्रदेश के शेष जिलों में मौसम सामान्य रहने का अनुमान जताया गया है |

पूर्वी उत्तरप्रदेश में मौसम शुष्क रहने की संभावना है| पश्चिम उत्तर प्रदेश में एक दो स्थानों पर गरज चमक के साथ वर्षा होने की संभावना है| बिहार एवं झारखण्ड राज्यों में मौसम शुष्क रहने का अनुमान है |

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जिन किसानों को खरीफ फसल नुकसान का अनुदान नहीं मिला है वह दोबारा आवेदन करें

खरीफ फसल नुकसान का अनुदान हेतु आवेदन

वर्ष 2019–20 किसानों के लिए अच्छा नहीं गया है | देश के अलग–अलग राज्यों कहीं बाढ़ तो कहीं सूखे की स्थिति बनने के चलते किसानों की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है | जिसके कारण किसानों की खरीफ तथा रबी फसल बड़े स्तर पर प्रभावित हुई हैं | इसके लिए देश में प्रभावित राज्य अपने स्तर पर किसनों को अनुदान दे रही है |

इसी क्रम में बिहार में भी खरीफ वर्ष 2019 में जहाँ राज्य के कई जिले बाढ़ के चपेट में रहे वहीं कई जिलों के किसानों को सुखाड़ का भी सामना करना पड़ा , जिससे उनके खरीफ फसल बर्बाद हो गई | सरकार द्वारा किसानों के फसल क्षति की भरपाई के लिए कृषि इनपुट अनुदान योजना चलाई गई, परन्तु इस योजना के अंतर्गत बहुत सारे किसानों के आवेदन कतिपय कारणों से विभिन्न स्तरों पर रद्द हो गये | राज्य सरकार द्वारा किसानों के रद्द किये गये आवेदनों पर विभाग द्वारा पुनर्विचार करने हेतु एक मौका और दिया है |

क्या थी कृषि इनपुट अनुदान योजना खरीफ 2019-20 

बाढ़/अतिवृष्टि से प्रभावित फसलों एवं अल्पवृष्टि के कारण खरीफ 2019 मौसम में पड़ती भूमि वाले किसनों को यह अनुदान 6,800 रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से दिया जायेगा | यह अनुदान इस पुरे खरीफ मौसम में अल्पवृष्टि के कारण अपने खेत में किसी तरह की फसल नहीं लगा पाये हो एवं खेत प्रति रहा हो, ऐसे  किसानों को देय है | इसके अतरिक्त जिन किसनों को बाढ़/अतिवृष्टि से हुई फसल क्षति के लिए वर्षाश्रित (असिंचित) फसल क्षेत्र के लिए 6,800 रूपये प्रति हेक्टेयर , सिंचित क्षेत्र के लिए 13,500 रूपये प्रति हेक्टेयर तथा कृषि योग्य भूमि जहाँ बालू / सिल्ट का जमाव 3 इंच से अधिक हो, के लिए 12,200 रु. प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान दिया जायेगा | यह अनुदान प्रति किसान अधिकतम 2 हेक्टेयर क्षेत्र के लिए देय होगा | किसानों को इस योजना के अंतर्गत फसल क्षेत्र के लिए न्यूनतम 1,000 रूपये अनुदान दिया जायेगा |

किसान खरीफ फसल नुकसान अनुदान हेतु पुनर्विचार हेतु आवेदन करें

खरीफ मौसम में सूखे के कारण हुए फसल की नुकसानी के लिए बिहार सरकार ने पुनर्विचार करने हेतु दिनांक 23 से 31 मार्च 2020 तक का समय निर्धारित किया गया है | किसान इसके लिए कृषि विभाग, बिहार के डी.बी.टी. पोर्टल पर कृषि इनपुट अनुदान योजना , वर्ष 2019–20 हेतु पुनर्विचार के लिए डी.बी.टी. के लिंक https://dbtagriculutre.bihar.gov.in पर आवेदन कर सकते हैं | यह आवेदन पदाधिकारी के लाग– इन में सत्यापन के लिए भेजा जाएगा | जिला कृषि पदाधिकारी के सत्यापन के बाद आवेदन ए.डी.एम. स्तर पर भेजा जाएगा | ए.डी.एम स्तर से सत्यापन के बाद आवेदन राज्य स्तर पर आवश्यक करवाई हेतु भेजा जाएगा |

यदि आवेदन जिला कृषि पदाधिकारी के स्तर से रद्द हुआ हो तो आवेदन पर पुनर्विचार करने के लिए ए.डी.एम. स्तर पर भेजा जाएगा | ए.डी.एम. स्तर पर सत्यापन के बाद आवेदन राज्य स्तर आवश्यक करवाई हेतु भेजा जायेगा | यदि किसान का आवेदन ए.डी.एम स्तर से रद्द हुआ हो तो पुनर्विचार करने के लिए आवेदन ए.डी.एम. स्तर पर ही भेजा जाएगा | ए.डी.एम स्तर पर सत्यापन के बाद आवेदन राज्य स्तर पर आवश्यक करवाई हेतु भेजा जाएगा |

कृषि इनपुट अनुदान योजना खरीफ 2019-20 पुनर्विचार हेतू आवेदन करने के लिए क्लिक करें

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अब इस राज्य सरकार ने बंद की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना

प्रधानमंत्री फसल बीमा के स्थान पर नई योजना की शुरुआत

देश में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना वर्ष 2016 के खरीफ मौसम से शुरू की गई है, इस योजना का मुख्य उद्देश्य यह है कि किसानों को फसल सुरक्षा प्रदान की जाए | प्राकृतिक आपदा के समय फसल को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति किसानों को दी जाए | परन्तु प्रारंभ से ही यह योजना सवालों के घेरे में रही है | योजना में कृषि ऋण प्राप्त करने वाले किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से स्वतः ही जोड़ दिया जाता था एवं अऋणी किसान अपनी मर्जी के अनुसार इस योजना से जुड़ सकते हैं | किसानों में इस योजना को लेकर प्रारंभ से ही असंतोष रहा है इसको लेकर केंद्र सरकार द्वारा इस योजना में बहुत से परिवर्तन किये गए हैं |

वहीँ किसानों के असंतोष को देखकर अलग–अलग राज्य सरकार ने इस योजना को लागु करने से मना कर दिया | बिहार राज्य में यह योजना पहले से ही बंद कर दी गई थी वही अब इसमें नया नाम झारखंड राज्य का जुड़ गया है | वित्त वर्ष 2020–21 में झारखंड राज्य ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को बंद करने का फैसला लिया है | इसका कारण यह बताया गया है कि पिछले तीन वित्त वर्ष में राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में 466 करोड़ रूपये का प्रीमियम भरा | जबकि तीन वर्ष में प्राकृतिक कारणों से फसल नुकसानी पर किसानों को सिर्फ 77 करोड़ रूपये ही दिए गए हैं | जिससे ऐसा लगता है कि योजना किसानों के लिए फायदेमंद नहीं है |

प्रधानमंत्री फसल बीमा के स्थान पर नई योजना की शुरुआत

झारखंड राज्य ने बिहार की तर्ज पर किसान राहत कोष बनाया है | इस योजना के लिए राज्य सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए 100 करोड़ रुपये जारी कर दिए है | इसके अंतर्गत किसानों को बीना प्रीमियम के फसल नुकसानी होने पर किसानों को प्रति हेक्टेयर एक मुश्त राशि दी जाएगी |

केंद्र सरकार ने योजना में किया है बदलाव

केंद्र सरकार ने वित्त  वर्ष 2020–21 से योजना में बदलाव किया है | इसके अंतर्गत किसानों को योजना के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा | किसान जिस मौसम (खरीफ तथा रबी) का फसल बीमा करना चाहते हैं उसी फसल को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से जोड़ा जाएगा | प्रीमियम में कोइ बदलाव नहीं किया गया है | योजना के अंतर्गत खरीफ फसल के लिए 2 प्रतिशत, रबी फसल के लिए 1.5 प्रतिशत तथा बागवानी के लिए 5 प्रतिशत का प्रीमियम देना होगा | 

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कोरोना असर: सभी खाद उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर किसानों को उपलब्ध करवाए जाएंगे सैनिटाइजर

Corona Effect- खाद उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर सैनिटाइजर की उपलब्धता

दुनियाभर में अभी कोरोना वायरस का फैलाव जारी है | सभी देश एवं राज्य अपने अपने तरीके इसके फैलाव को रोकने के लिए प्रयास में लगे हुए है | कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए सभी सरकारों द्वारा सावधानियां बरती जा रही है जिससे कोरोना वायरस को फैलाव के पूर्व ही रोका जा सके | देश में आजकल बढती हुई तकनीक के कारण एवं आधार कार्ड के उपयोग से लोगों के उँगलियों के निशान लेने के बाद ही उन्हें योजनाओं का लाभ दिया जाता है | उँगलियों के निशान लेने से कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने का खतरा अधिक है इसके लिए सरकार के द्वारा अधिकांश जगहों पर फिलहाल उँगलियों के निशान लेने पर रोक लगा दी गई है | जिन जगहों पर उँगलियों के निशान देना जरुरी है वहां सैनिटाइजर की व्यवस्था की जा रही है |

पी.ओ.एस. मशीन पर अंगूठा लगाने से पहले दिए जाएँ सैनिटाइजर

उत्तरप्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्यप्रताप शाही ने कहा है की सभी उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर सैनिटाइजर आवश्यक रूप से रखा जाए | साथ ही किसानों को उर्वरक की बिक्री के समय सैनिटाइज अवश्य किया जाए | किसानों को उर्वरक (खाद) खरीदने हेतु पी.ओ.एस. मशीन पर अंगूठा लगाना होता है, ऐसी स्थिति में कोरोना जैसी महामारी से बचाव के लिए उर्वरक बिक्री केन्द्रों पर सैनिटाइजर की उपलब्धता आवशयक है |

कृषि मंत्री के निर्देशों के क्रम में जिला अधिकारी लखनऊ द्वारा जनपद के समस्त थोक एवं फूटकर उर्वरक विक्रेताओं को निर्देशित किया गया है की वे अपने-अपने उराव्रक बिक्री केंद्र पर सैनिटाइजर आवश्यक रूप से रखें एवं उर्वरक खरीदने के लिए आने वाले किसानों को सबसे पहले सैनिटाइजर का इस्तेमाल कराने के उपरांत जी पी.ओ.एस. मशीन में अंगूठा लगवाएं | साथ ही यह भी निर्देश दिए गये हैं की इन आदेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित किया जाये | किसी भी प्रकार की लापरवाही पाए जाने पर सबंधित अधिकारी/कर्मचारी के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की जाएगी |

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दुनिया की सबसे विनाशकारी कीट सफेद मक्खी से बचाव के लिए कपास की नई किस्म विकसित

सफेद मक्खी कीट प्रतिरोधी कपास की नई विकसित किस्म

देश में सरकार लगातार किसानों की आय बढ़ाने के लिए काम कर रही है इसके लिए देश में स्थित कृषि विश्वविद्यालय नई-नई तकनीक एवं फसलों की नई-नई किस्में विकसित कर रहे हैं | जिससे किसानों कम लागत में अधिक उत्पादन एवं अधिक लाभ प्राप्त हो सके | अभी हाल ही में वैज्ञानिकों के द्वारा कपास की एक ऐसी किस्म विकसित की जा रही है जिसपर सफ़ेद मक्खी का असर नहीं होगा |

क्या है कपास की सफ़ेद मक्खी

सफेद मक्खी छोटा सा तेज उडऩे वाला पीले शरीर और सफेद पंख का कीड़ा है। छोटा एवं हल्के होने के कारण ये कीट हवा द्वारा एक दूसरे से स्थान तक आसानी से चले जाते हैं। इसके अंडाकार शिशु पतों की निचली सतह पर चिपके रहकर रस चूसते रहते हैं। भूरे रंग के शिशु अवस्था पूरी होने के बाद वहीं पर यह प्यूपा में बदल जाते हैं। ग्रसित पौधे पीले व तैलीय दिखाई देते हैं। जिन काली फंफूदी लग जाती है। यह कीड़े न कवेल रस चूसकर फसल को नुकसान करते हैं।

कपास की सफेद मक्खी से बचाएगी यह किस्म

वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के वैज्ञानिकों ने टेक्टेरिया मैक्रोडोंटा फर्न के जीन्स के उपयोग से कपास की एक कीट-प्रतिरोधी ट्राँसजेनिक किस्म विकसित की है। यह किस्म सफेद मक्खी के हमले से कपास की फसल को बचाने में मददगार हो सकती है। जल्दी ही कपास की इस किस्म का परीक्षण शुरू किया जाएगा। यह जानकारी सीएसआईआर के महानिदेशक डॉ शेखर सी. मांडे ने हाल में मैसूर में एक कार्यक्रम के दौरान दी है। कपास की यह किस्म लखनऊ स्थित सीएसआईआर-राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान (एनबीआरआई) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई है। एनबीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ पी.के. सिंह ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के फरीदकोट केंद्र में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान कपास की इस किस्म का परीक्षण किया जाएगा।” 

इस तरह विकिसत की गई यह किस्म

यह कीट-प्रतिरोधी किस्म विकसित करने के लिए शोधकर्ताओं ने पौधों की जैव विविधता से 250 पौधों की पहचान की है, जिनमें ऐसे प्रोटीन अणुओं का पता लगाया जा सके, जो सफेद मक्खी के लिए विषैले होते हैं। सभी पौधों के पत्तों के अर्क को अलग-अलग तैयार किया गया था, और सफेद मक्खी को उन पत्तों को खाने के लिए दिया गया। इन पौधों में से, एक खाद्य फर्न टेक्टेरिया मैक्रोडोंटा का पत्ती अर्क सफेद मक्खी में विषाक्तता पैदा करते हुए पाया गया है।” इसी आधार पर टेक्टेरिया मैक्रोडोंटा के जीन्स के उपयोग से कपास की यह ट्रांसजेनिक प्रजाति विकसित की गई है।

टेक्टेरिया मैक्रोडोंटा संवहनी पादप (ट्रैकेओफाइट) समूह का हिस्सा है। इस पौधे को नेपाल में सलाद के रूप में उपयोग किया जाता है। एशिया के कई क्षेत्रों में गैस्ट्रिक विकारों को दूर करने के लिए भी इस समूह के पौधों का उपयोग होता है, जो इनमें कीटनाशक प्रोटीन के मौजूद होने की संभावना को दर्शाते हैं।इस समूह के पौधों में लिगिनत ऊतक (जाइलम) पाए जाते हैं, जो भूमि से प्राप्त जल एवं खनिज पदार्थों को पौधे के विभिन्न अंगों तक पहुँचाने का कार्य करते हैं।

सफेद मक्खियों को जब कीटनाशक प्रोटीन की सीमित मात्रा के संपर्क में रखा गया तो उनके जीवन-चक्र में कई महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। इन बदलावों में सफेद मक्खी द्वारा खराब एवं असामान्य अंडे देना औरनिम्फ, लार्वा तथा मक्खियों का असाधारण विकास शामिल है। हालाँकि, दूसरे कीटों पर इस प्रोटीन को प्रभावी नहीं पाया गया है। डॉ सिंह ने कहा – “इससे पता चलता है कि यह प्रोटीन विशेष रूप से सफेद मक्खी पर अपना असर दिखाता है। प्रोटीन की विषाक्तता का परीक्षण चूहों पर करने पर इसे स्तनधारी जीवों के लिए भी सुरक्षित पाया गया है।”

10 सबसे विनाशकारी कीटों में शामिल है सफेद मक्खी

सफेद मक्खी न केवल कपास, बल्कि अन्य फसलों को भी नुकसान पहुँचाने के लिए जानी जाती है। यह दुनिया के शीर्ष दस विनाशकारी कीटों में शामिल है, जो दो हजार से अधिक पौधों की प्रजातियों को नुकसान पहुँचाते हैं और 200 से अधिक पादप वायरसों के वेक्टर के रूप में भी कार्य करते हैं। वर्ष 2015 में सफेद मक्खी के प्रकोप सेपंजाब मेंकपास की दो तिहाई फसल नष्ट हो गई थी, जिसके कारण किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा और वे कपास की खेती से मुँह मोड़ने लगे थे।

वैज्ञानिकों का कहना यह भी है कि बीटी (बेलिस थ्यूरेनजिनेसिस) कपास मुख्य रूप से बॉलवर्म जैसे कीटों से निपटने के लिए विकसित की गई थी, जो फसल को सफेद मक्खी के प्रकोप से बचाने में कारगर नहीं है। फसलों पर इसके प्रकोप को देखते हुए वर्ष 2007 में एनबीआरआई के वैज्ञानिकों ने सफेद मक्खी से निपटने के लिए कार्य करना शुरू किया था।

अभी वज्ञानिकों द्वारा इस किस्म पर परीक्षण किया जा रहा है | प्रयोगशाला में अच्छे परिणाम मिलने के बाद अब फिल्ड पर भी प्रशिक्षण किया जा रहा है | यदि फील्ड में किए गए परीक्षणों में भी उन्हें प्रभावी पाया जाता है, तो इस किस्म को किसानों को कपास की खेती के लिए दिया जा सकता है। इससे पहले हमें यह देखना होगा कि क्या यह विशेषता कृषि वातावरण में भी उसी तरह देखने को मिलती है, जैसा कि प्रयोगशाला के परीक्षणों में देखी गई है।

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