रबी की फसल की कटाई के बाद खेत तीन माह तक खाली रहता है | इसमें कुछ किसान गरमा फसल की खेती करना पसंद करते हैं जो किसान की आय को बढाता है | गरमा खेती में उड़द, मूंग तथा मक्का प्रमुख फसल है | गरमा (जायद) खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार अनुदानित दर पर किसानों को बीज उपलब्ध करवा रही है | बिहार सरकार राज्य के किसानों को फरवरी माह से मूंग, उड़द तथा मक्का की बीज अनुदानित दर पर उपलब्ध करवाने का फैसला लिया था | इस बार राज्य में होम डिलवरी की सुविधा भी उपब्ध करवाई गई है जिसे किसान मामूली सा शुल्क देकर घर पर मंगा सकता है | किसान समाधान इस ग्रीष्मकालीन खेती के लिए बीज की जानकारी लेकर आया है |
किसानों को जायद (गरमा) बीज की उपलब्धता
बिहार कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया कि राज्य के किसानों के लिए ग्रीष्म कालीन खेती के लिए 4747 क्विंटल मूंग, 433.24 क्विंटल संकर मक्का का बीज तथा 653.10 क्विंटल उड़द का बीज विभिन्न जिलों को अनुदानित दर पर किसानों के बीच वितरण हेतु उपलब्ध करा दिया गया है | राज्य के किसानों को फरवरी माह से ही गरमा बीज दिए जा रहे हैं |
किसान किस दाम पर कितना बीज ले सकते हैं ?
ग्रीष्म कालीन खेती के लिए किसानों को बीज सब्सिडी पर उपलब्ध कराकर कृषि के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है | बिहार सरकार राज्य के किसानों को मूल्य का 50 प्रतिशत की सब्सिडी पर विभिन्न प्रकार के बीज उपलब्ध करा रही है |
एक किलोग्राम मूंग बीज की कीमत75 रुपये है , जिस पर 50 प्रतिशत की सब्सिडी दिया जा रहा है | एक किसान को 5 एकड़ तक क्षेत्र के लिए मूंग बीज दिया जाना है |
एक किलोग्राम मक्का का मूल्य 122 रूपये निर्धारित किया गया है | इस पर किसान को 100 रुपये प्रति किलोग्राम अथवा 50 प्रतिशत जो कम हो वह अनुदान दिया जाएगा |
उड़द के एक किलोग्राम का मूल्य90 रूपये निर्धारित किया गया है , जिस पर किसानों को 70 रूपये प्रति किलोग्राम अथवा मूल्य का 50 प्रतिशत जो कम हो, पर उपलब्ध कराया गया है |
इन जिलों में बीज का होम डिलवरी किया जा रहा है
किसानों को भ्रष्टाचार से बचाने के लिए बीज को किसानों के घर तक पहुँचाने की शुरुआत की गई है | राज्य के 7 जिलों में पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया है | यह जिले इस प्रकार हैं :- बाँका, समस्तीपुर, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, नवादा, गया तथा रोहतास में गर्मा फसलों के बीज की होम डिलवरी किया जा रहा है |
होम डिलवरी के लिए शुल्क देना होगा
किसानों को बीज के लिए आनलाइन आवेदन करना रहता है तथा होम डिलवरी का आप्शन चूज करना पड़ता है | कोई भी किसान होम डिलवरी को आप्शन नहीं भी रख सकता है , उसे बाजार से बीज लेना रहता है जिस पर अनुदान दिया जाएगा | होम डिलवरी के लिए एक किसान को प्रतिकिलो 5 रुपये देना रहता है | आप जितना किलो बीज सरकारी अनुदान पर खरीदते हैं उसका 5 रूपये प्रति किलो की दर से राशी देना रहता है |
नोट :- मांग की गयी बीज का उठाव नहीं करने पर कृषि विभाग की योजनाओं से लाभ लेने हेतु अगले तीन वर्षों के लिए वंचित कर दिया जाएगा |
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देश में लॉकडाउन 2.0 शुरू हो चूका है ऐसे में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए दिशा निर्देश जारी किये गए हैं | कृषि सेक्टर पर कोविड–19 के प्रभावों को न्यूनतम करने तथा किसानों की समस्याओं के समाधान के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) द्वारा सरकारी पहल में अनेक तरह से सहयोग किया जा रहा है | केन्द्रीय कृषि एवं कल्याण मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लॉकडाउन अवधि के दौरान ICAR के कार्यों की समीक्षा कर दिशा–निर्देश दिए | ICAR के तीन अनुसंधान संस्थानों में कोविड–19 जांच हो रही है, सभी कृषि वि.वि. को कक्षाएं आँनलाइन लेने को कहा गया, कृषि विज्ञान केन्द्रों से करोड़ों किसानों को सलाह दी गई हैं |
श्री नरेंद्र तोमर के निर्देश पर एम–किसान पोर्टल से कृषि विज्ञान केन्द्रों ने राज्यों में 1126 परामर्श जारी कर सीधे पांच करोड़ किसानों तक पहुंच बनाई | किसानों के लिए भाषा के आधार पर 15 क्षेत्रीय भाषाओँ में अनुवाद करके डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से इसका व्यापक प्रचार–प्रसार किया जा रहा है | किसान समाधान ICAR के तरफ से जारी सलाह तथा केंद्र सरकार के तरफ से जारी छुट की जानकारी लेकर आया है |
खेती किसानी के कर्यों के लिए जारी की गई सलाह
फसलों की कटाई और मड़ाई
कोविड–19 के फैसले के खतरे के बीच, रबी फसलों के पकाव का समय आ रहा है | फसल कटाई और उत्पादन को संभालना जिसमें शामिल है इसको विपणन के लिए ले जाना इन्हें टला नहीं जा सकता क्योंकि कृषि कार्य समयबद्ध होते हैं | परंतु किसानों को बिमारी के फैलाव को रोकने के लिए सावधानियों और सुरक्षा उपायों को अपनाना पड़ेगा |
साधारण उपायों में सम्मिलित है सामाजिक दुरी, हाथों को साबुन से धकर अपनी व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना, चेहरे पर मास्क पहनना, सुरक्षा परिधान और औजारों और मशीनों की सफाई | श्रमिकों को कृषि कार्यों की पूरी प्रक्रियाओं के दौरान प्रत्येक कदम पर समाजिक दुरी और सुरक्षा उपायों को अपनाना चाहिए |
उत्तर राज्यों में गेहूं की कटाई नजदीक आ रही है और कम्बाइन हार्वेस्टर के राज्यों के अंदर और एक से दुसरे राज में आवागमन की अनुमति दी गई है | मरम्मत, रख – रखाव और कटाई संबंधी कार्यों में लगे सभी श्रमिकों के सावधानियों और सुरक्षा उपायों की सुनिश्चित किया जाना चाहिए |
सरसों रबी दूसरी महत्वपूर्ण फसल है, हाथ से कटाई चल रही है और जहां भी फसल कट गई है वहाँ मड़ाई बाकी है |
मसूर, मक्का और मिर्च की कटाई चल रही है और चना की जल्दी शुरू होने वाली है |
गन्ने की कटाई अपने चरम पर है और उत्तर भारत में हाथ से बुवाई का भी समय है |
जो भी फसलों , फलों, सब्जियों, अण्डों और मछली की कटाई में लगे है उनके द्वारा , कृषि कार्यों के दौरान और बाद में , व्यक्तिगत स्वच्छता उपाय और समाजिक दुरी को अपना जाना चाहिए |
जहाँ कटाई / चुनाई कर कार्य हाथों से हो रहा हो, वहन कार्य को 4 – 5 फीट चौडाई की पत्तियों में किया जाना चाहिए और एक पट्टी में एक व्यक्ति को कार्य करना चाहिए | इससे कार्यरत श्रमिकों में समुचित दुरी सुनिश्चित होगी |
कार्यरत सभी व्यक्तियों को मास्क का उपयोग करना चाहिए और समुचित अंतराल पर साबुन से हाथ धोना सुनिश्चित किया जाना चाहिए |
आराम के दौरान, खाना खाते समय, उत्पादन का संग्रहण केंद्र पर परिवहन के समय, उतारते / चढ़ते समय 3–4 फीट की सुरक्षित दुरी बनाए रखे |
जहां तक संभव हो कृषि कार्य समय अन्तराल से करे और एक ही दिन में भुत सारे लोगों को काम में लगाने से बचे |
जहां तक संभव हों परिचित व्यक्तियों को ही कार्य में लगाए और आवश्यक पूछताछ के बाद ही लगाए ताकि कृषि कारों के दौरान किसी भी संदिग्ध या विषाणु वाहक के प्रवेश से बचा जा सके |
जहां भी व्यवहार्य हो वहां मशीनों से कटाई को प्राथमिकता देवें | मशीन के साथ केवल जरूरी संख्या में आवश्यक व्यक्तियों को ही अनुमति दें |
सभी मशीनों को प्रवेश द्वार और नियमित अंतराल पर सेनीटाइज (अच्छी तरह से साफ़ सफाई) करते रहे | सभी परिवहन वाहनों , जूट बोरोन या अन्य पैकेजिंग सामान को भी सेनीटाइज किया जाना चाहिए |
उत्पादन का संग्रहण 3 – 4 फीट की दुरी पर छोटी ढेरियों में किया जा सकता है और खेत स्तर के प्रसंस्करण को प्रति धेरी 1 -2 व्यक्तियों को दिया जाना चाहिए जिससे भीड़ से बचा जा सके |
मक्का और मूंगफली के लिए उपयोग में लाये जाने वाले थ्रेसर की उचित स्वच्छता और सफाई राखी जानी चाहिए , विशेषकर यदि मशीने कृषिक समूह द्वारा सहभागिता / साझेदारी में उपयोग लाई जा रही हो | मशीनों के उन भागों की प्रचुरता से साबुन के पानी से धुलाई करने की सलाह दी जाती है जिन्हें उपयोग के समय बार – बार छुआ जाता है |
फसल कटाई उपरांत, भंडारण और कृषि में किसान क्या करें
जब सुखाने , मड़ाई, ओसाई, सफाई, श्रेणीकरण, छंटाई और पैकेजिंग आदि कार्य खेत पर करे तब, मुहं पर सुरक्षा मास्क जरुर पहने इससे धुल मिट्टी के कणों और एरोसोल के खिलाफ सुरक्षा मिल सकता है जिससे साँस संबंधी परेशानियों से बचा जा सके |
भंडारण से पूर्व अनाजों, दलहनों और मोटे अनाजों को खेत / घर पर पूरी तरह से सुखाना सुनिश्चित किया जाना चाहिए और गत वर्ष उपयोग में लाये जूट बोरोन का फिर से उपयोग करने से बचन चाहिए ताकि कीड़ों के प्रकोप से बचाव हों | जूट के बोरो का 5% नीम के घोल में डुबाने और सुखाने के बाद प्रयोग करें |
उत्पादन को खेत पर या नजदीकी शीत भंडारण गृह, गोदाम आदि में भंडारण करें, यदि बेहतर भाव एक लिए जरुरी हो तो, भंडारण के लिए जूट बोरोन का उपयोग पर्याप्त सावधानी के साथ करना चाहिए जो कि किसानों को पर्याप्त संख्या में उपलब्ध करवाए गये हैं |
कृषि उत्पाद को लिए चढ़ने और परिवहन करने तथा मण्डी में बेचना के लिए नीलामी में भाग लेते समय व्यक्तिगत सुरक्षा के पर्याप्त उ[पाय करने चाहिए |
बीज उत्पादक किसानों को आवश्यक जरुरी कागजात के साथ बीज कंपनियों को बीज परिवहन करने की अनुमति होगी और भुगतान प्राप्ति के समय सावधानी अपनानी होगी |
बीज प्रसंस्करण / पैकेजिंग संयंत्र और बीज उत्पादक राज्यों से बीजों का फसल उगाने वाले राज्यों (दक्षिण से उत्तर) तक परिवहन अत्यंत आवश्यक है ताकि खरीफ फसलों के लिए बीज उपलब्धता सुनिश्चित की जा सके |
सब्जयों जैसे टमाटर, फूलगोभी, हरी पत्तेदार सब्जियों, क्द्दुवर्गीय और अन्य सब्जियों के खेत से सीधा बेचान (विपणन) आपूर्ति करने में सावधानी बरती जानी चाहिए |
खेत में खड़ी फसलों के लिए किसान क्या करें
ज्यादातर गेहूं उगाने वाले क्षेत्रों में तापमान अभी भी दीर्घ अवधि औसत तापमान से निचे चल रहा है जिससे गेहूं की कटाई में कम से कम 10 – 15 दिनों की देरी होगी यानि 10 अप्रैल से आगे तक , इसलिए किसान गेहूं की कटाई 20 अप्रैल तक कर सकते हैं उपज में बिना किसी महत्वपूर्ण नुकसान के , इससे उनकों पर्याप्त समय मिल जाएगा, खिद के लिए सहायक उपायों का प्रबंध करने और तिथि घोषित करने में |
दक्षिण राज्यों में धान की फसल दाना भरने की अवस्था में है और ए ग्रीवा झुलसा के प्रकोप से बड़े स्तर पर प्रभावित होती है, जब अनुमोदित फफुन्द्नाशक का संविदा पर छिडकने वाले / किसान छिडकाव करे तब पर्याप्त सावधानी बरती जानी चाहिए |
धान की कटाई की अवस्था में यदि खिन पर बेमौसम बारिस हो जाए तो दानों को अंकुरित होने से बचाने के लिए 5% नमक के घोल का छिडकाव करें |
बागवानी फसलों में फलं अवस्था है, जैसे कि आम, पौषक तत्व छिडकाव व पौध संरक्षण जैसी कृषि क्रियाएं करते समय आदानों को संभालने, मिलाने , पहुँचाने और उपकरणों को धोने आदि में सावधानी बरती जानी चाहिए |
धान के बाद में ग्रीष्मकालीन दलहनों में सफेद मक्खी के प्रबंधन पुरे सुरक्षा उपायों के साथ किया जाना चाहिए जिससे पिला मौजेक विषाणु के प्रकोप से बचा जा सके |
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वित्त वर्ष 2019-20 का खरीफ तथा रबी सीजन पूरा हो गया है अब नया वर्ष शुरू होने हो गया है, किसान अब 2020-21 खरीफ फसल के लिए नया फसली ऋण ले सकते हैं | इसके लिए राज्य सरकार द्वारा किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए ब्याज मुक्त फसली ऋण करवाया जा रहा है | फसली ऋण किसानों को खेती किसानों के कार्यों में लगने वाली लागत के लिए दिया जाता है जिससे किसान समय पर खाद,बीज एवं कीटनाशक आदि समय पर ले सकें | उन्हें खेती करते समय किसी तरह की समस्या का सामना न करना पड़ता है |
राजस्थान राज्य अपने राज्य के किसानों के लिए इस माह से सहकारी बैंक से फसली ऋण देना शुरू कर रही है | यह फसली ऋण ब्याज मुक्त होने के साथ – साथ 25 प्रतिशत अधिक ऋण दिया जाएगा | जिससे किसान कृषि में उपयोग होने वाली बीज, उर्वरक, जुताई डीजल इत्यादी खरीद सकते है | कोरोना वायरस को देखते हुए राज्य सरकार ने फसली ऋण देने के समय में देरी कर दी है | अब सहाकरी बैंक से ऋण देने का समय निर्धारित कर दिया गया है | किसान समाधान राज्यस्थान में 16 अप्रैल से दिये जाने वाले फसली ऋण की जानकारी लेकर आया है |
किसानों को मिलेगा 25 प्रतिशत अधिक फसली ऋण
वर्ष 2020–21 के लिए फसली ऋण 16,000 करोड़ रूपये दिए जाएंगे | इसमें से 10 हजार करोड़ रूपये खरीफ मौसम के लिए तथा 6 हजार करोड़ रूपये रबी मौसम के लिए दिए जाएंगे | पिछले वर्ष खराब मौसम के कारण तथा टिड्डी के हमले खराब हुए फसलों को मद्दे नजर रखते हुए राज्य सरकार ने पहले ही यह घोषणा कर चुकी थी कि फसली ऋण वर्ष 2020-21 के लिए 25 प्रतिशत बढ़ाकर दिया जायेगा | अर्थ किसानों की साख लिमिट को बढाया जा रहा है |
वर्ष 2020–21 के लिए राजस्थान में ऑनलाइन किसान क्रेडिट कार्ड बनाने का कार्य शुरू किया गया था | राजस्थान ऑनलाइन KCC बनाने वाला पहला राज्य है | इसके अंतर्गत काफी नये किसानों को जोड़ा गया है तथा राज्य सरकार ने सहाकरी बैंक से 3 लाख नए किसानों को जोड़ने का लक्ष्य रखा है | सभी किसानों को जोड़कर इस वर्ष खरीफ तथा रबी मौसम के लिए 25 लाख किसानों को फसली ऋण दिया जाएगा |
फसली ऋण किसान कब से ले सकते हैं ?
सहकारी बैंक से दिये जाने वाले फसली ऋण वर्ष भर में दो बार दिया जाता है | यह ऋण समय पर चुकाने पर ब्याज मुक्त रहता है | राजस्थान के सहकारिता मंत्री ने बताया कि केन्द्रीय सहकारिता बैंकों द्वारा वितरित होने वाला अल्पकालीन फसली ऋण खरीफ सीजन में 1 अप्रैल से 31 अगस्त तक दिया जाता है तथा रबी सीजन में 1 सितम्बर से 31 मार्च तक किसानों को वितरित किया जाता है लेकिन इस बार कोरोना महामारी के चलते देश भर में 14 अप्रैल तक लाकडाउन होने के कारन ऋण वितरण 16 अप्रैल से प्रारंभ किया जाएगा |
खरीफ मौसम के लिए इन जिलों को 10 हजार करोड़ रूपये का लोन दिया जाएगा
खरीफ मौसम में किसानों को कृषि कार्य के लिए ऋण देने का लक्ष्य निर्धारित कर लिया गया है | इसकी जानकारी देते हुए राजस्थान के प्रबंध नदेशक एपेक्स बैंक श्री इंदरसिंह ने बताया कि खरीफ सीजन में केन्द्रीय सहकारी बैंक सबसे ज्यादा खरीफ मौसम में फसली ऋण देगी | ऋण देने का लक्ष्य इस प्रकार है :-
श्रीगंगा नगर – 700 करोड़ रूपये
हनुमानगढ़ – 630 करोड़ रूपये
बाड़मेर – 600 करोड़ रूपये
जयपुर – 570 करोड़ रुपयें
पाली – 500 करोड़ रूपये
सीकर – 470 करोड़ रूपये
जोधपुर – 460 करोड़ रूपये
चित्तौडगढ़ – 460 करोड़ रूपये
जालोर – 450 करोड़ रूपये
भीलवाडा – 430 करोड़ रूपये
झालावाडा – 410 करोड़ रूपये
झुंझुनूं 350 करोड़ रूपये
नागौर – 340 करोड़ रूपये
कोटा – 340 करोड़ रूपये
अलवर – 330 करोड़ रूपये
अजमेर – 310 करोड़ रूपये
भागलपुर – 300 करोड़ रूपये
सवाईमाधोपुर – 290 करोड़ रूपये
बीकानेर – 240 करोड़ रूपये
चुरू – 240 करोड़ रूपये
दौसा – 220 करोड़ रूपये
उदयपुर – 220 करोड़ रूपये
बूंदी – 220 करोड़ रूपये
बारां – 200 करोड़ रूपये
जैसलमेर – 180 करोड़ रूपये
सिरोही – 170 करोड़ रूपये
बांसवाडा – 150 करोड़ रूपये
डूंगरपुर – 120 करोड़ रूपये
टोंक – 100 करोड़ रूपये
यह सभी ऋण जिले के सहकारी बैंकों में किसानों के द्वारा पंजीकृत संख्या के आधार पर दिया जा रह है | इसके साथ ऋण प्राप्त करने वाले किसानों से किसी भी प्रकार का ब्याज नहीं लिया जाएगा |
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देश में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए लॉक डाउन चल रहा है | पहले यह लॉक डाउन 14 अप्रैल को समाप्त होना था परन्तु इसे अब आगे बढाकर 3 मई कर दिया गया है | इस लम्बे लॉक डाउन की स्थिति में कृषि एवं सम्बंधित क्षेत्रों को हो रहे नुकसान से बचाने के लिए सरकार ने कुछ छूट प्रदान की है | जिससे किसान समय पर कृषि सम्बंधित गतिविधियों को समय पर पूर्ण कर पायें | केंद्र सरकार के द्वारा इसके लिए विस्तृत दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं | गृह मंत्रालय द्वारा गाइडलाइन के अनुसार मनरेगा, के सभी कार्यों को अनुमति दी गई है कृषि सम्बंधित गतिविधियाँ, मछलीपालन से जुडी गतिविधियाँ, पशुपालन से जुडी कुछ गतिविधियाँ, बैंकिग गतिविधिया आदि को सा शर्त छूट दी गई है |
लॉक डाउन 2.0 में किसानों को कटाई, गहाई, बुआई एवं उपज बेचने के लिए छूट दी गई हैं अर्थात किसान खेती-बाड़ी सम्बंधित सभी कार्य सोशल डिस्टेंसिंग के साथ कर सकते हैं | डेयरी और मिल्क बूथ, पोल्ट्री, मीट, मछली और चारा बेचने वाली दुकानें, खाद-बीज की दुकानें खुली रहेंगी ।फिशिंग ऑपरेशन (समुद्र और देश के अंदर) जारी रहेंगे। इसमें- मछलियों का भोजन, मेंटेनेंस, प्रोसेसिंग, पैकेजिंग, मार्केटिंग और बिक्री हो सकेगी। हैचरी और कमर्शियल एक्वेरियम भी खुल सकेंगे। मछली और मत्स्य उत्पाद, फिश सीड, मछलियों का खाना और इस काम में लगे लोग आवाजाही कर सकेंगे। दूध का कलेक्शन, प्रोसेसिंग, डिस्ट्रिब्यूशन और ट्रांसपोर्टेशन हो सकेगा। दूध का कलेक्शन, प्रोसेसिंग, डिस्ट्रिब्यूशन और ट्रांसपोर्टेशन हो सकेगा। पशुओं का खाना मसलन मक्का और सोया की मैन्युफेक्चरिंग और डिस्ट्रिब्यूशन हो सकेगा। पशु शेल्टर और गौशालाएं खुलेंगी।
कृषि और संबंधित क्षेत्रों में इन गतिविधियों को दी गई छूट
पशु चिकित्सालय
कृषि उत्पादों की सरकारी खरीद में लगे अभिकरण, जिसमें न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद भी सम्मिलित है |
मीडियां जो कृषि उत्पाद विपन्न समितियों द्वारा संचालित है या जैसे राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित है |
किसानों एवं कृषि श्रमिकों द्वारा खेती–बाड़ी की गतिविधियाँ
कृषि मशीनों / यंत्रों से संबंधित यंत्र सुलभिकरण केंद्र (सी एच सी)
उर्वरक, पीडकनाशी (पेस्टीसाइडस) और बीज का विनिर्माण / उत्पादन और पैकेजिंग करने वाली इकाइयां
फसल कटाई और बुआई से संबंधित मशीनों जैसे कि कम्बाईन हार्वेस्टर और अन्य कृषि और बागवानी औजार आदि का अंत: और अन्तरा राज्य आवागमन
कृषि मशीनों / उपकरणों/ औजारो, इनके अतिरिक्त पुर्जों (इनकी आपूर्ति श्रृंखला भी सम्मिलित) और मरम्मत की दुकाने खुली रहेगी |
राष्ट्रीय राजमार्गों पर तर्क मर्र्म्त की दुकाने , इंधन / पेट्रोल पम्प पर स्थित को प्राथमिकता वरीयता
चाय उधोग, जिसमें बागवानी भी सम्मिलित अधिकतम 50% श्रमिकों के साथ
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कोरोना वायरस संक्रम रोकने के लिए चले आ रहे लॉक डाउन की अवधि बढ़ा दी गई है परन्तु इस लॉक डाउन में किसानों को बाहर रखा गया है जिससे वर्ष 2019–20 की रबी फसलों की खरीदी शुरू की जा सके | कोरोना वायरस से सावधानियों के बीच न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं तथा अन्य फसलों कि खरीदी आज से शुरू कर दी गई है | किसानों के बीच तथा खरीदी केंद्र पर भीड़ कम करने के लिए खरीदी केन्द्रों कि संख्या को बढ़ाया गया है | साथ ही प्रति दिन किसानों की संख्या को निर्धारित कर दिया गया है | आज से मध्यप्रदेश , उत्तरप्रदेश, हरियाणा, पंजाब राज्यों में समर्थन मूल्य पर फसल खरीदी शुरू कर दी गई है |
इसके बारे में मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सारी जानकारी दी है | खरीदी केन्द्रों पर व्यवस्था बनाये रखने के लिए पुलिस कि तैनाती की गई है, किसान हम्माल तथा अन्य कर्मचारी खरीदी केंद्र पर मास्क लगाकर ही प्रवेश कर सकते हैं | किसान समाधान मध्य प्रदेश में गेहूं कि न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी की पूरी जानकारी लेकर आया है |
इन जिलों में खरीदी अभी शुरू नहीं किया जाएगा
कोरोना के सबसे ज्यादा प्रभावित जिले इन्दौर, भोपाल तथा उज्जैन में गेहूं की खरीदी अभी शुरू नहीं किया जा रहा है | इन जिलों के लिए बाद में तारीख तय की जाएगी | शेष सभी 48 जिलों में गेहूं कि खरीदी शुरू कर दी गई है | कोरोना वायरस को देखते हुए खरीदी केन्द्रों कि संख्या बढ़ाया गया है | 48 जिलों में कुल 4 हजार 305 केन्द्रों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य पर गेहूं कि खरीदी की जा रही है |
किसान किस समय बेच पायंगे फसल
मध्य प्रदेश के 48 जिलों में गेहूं की खरीदी दो पाली में किया जाएगा | प्रथम पाली के लिए सुभ 10 बजे से दोपहर डेढ़ बजे तक तथा दूसरी पाली दोपहर 2 बजे से शाम 5 बजे तक जारी रहेगी | प्रत्येक पाली में तीन – तीन किसानों की उपज का तौल किया जायेगा | यदि कोई किसान किसी कारणवश निर्धारित तिथि के मेसेज पर खरीदी केंद्र नहीं पहुंच पाते हैं, तो उन्हें पुन: अवसर प्रदान किया जाएगा |
21 लाख किसानों को एसएमएस के माध्यम से दी जाएगी सूचना
कोरोना वायरस को देखते हुए राज्य सरकार ने किसानों को उपज बेचने के लिए एसएमएस भेजा जाएगा | एसएमएस के आधार पर किसान को उपज बेच सकते हैं | जिन किसान को एसएमएस प्राप्त नहीं होता है उन्हें खरीदी केंद्र पर आने पर रोक है | किसानों से उपज कि खरीदी से 3 दिन पूर्व एसएमएस से सुचना दिया जाएगा |
खरीदी केंद्र पर वृद्धजन तथा बच्चे को आना मना है
खरीदी केन्द्रों पर किसानों के साथ – साथ कार्यरत कर्मचारी से भी कोरोना गाइड लाइन के अनुसार कार्यवाही की जाएगी | किसानों , हम्मालों तथा खरीदी केंद्र के अन्य कर्मचारी आपस में तीन – तीन मीटर की दुरी पर रहकर कार्य करने के निर्देश दिये गये हैं | खरीदी केन्द्रों पर किसानों को अपने साथ वृद्धजनों , बच्चों और अस्वस्थ लोगों को लाने की अनुमति नहीं होगी | वृद्धजन अपने स्थान पर किसी दुसरे नामित व्यक्ति को भेज सकते हैं |
सभी केन्द्रों पर मास्क, लगाना जरुरी है
खरीदी केन्द्रों पर आने वाले किसान, कर्मचारियों को मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है | इसके साथ ही सेनेटाइजर और साबुन से हाथ धोने की व्यवस्था किया गया है | सभी खरीदी केन्द्रों पर निर्देशों को पालन कराने के लिए पुलिस की व्यवस्था किया गया है |
किसी भी प्रकार की शिकायत पर यहाँ संपर्क करें
मध्य प्रदेश के मुख्य मंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने किसानों से कहा कि खरीदी के संबंध में कोई भी शिकायत अथवा समस्या होने पर वे सीएम हेल्पलाइन नंबर 181 पर संपर्क कर सकते हैं | इस बार गेहूं कि खरीदी 1925 रूपये प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाएगा |
किसानों की उपज की खरीदी इंदौर, भोपाल और उज्जैन को छोड़कर अन्य जिलों में कल से प्रारंभ होगी। तीनों शहरों में संक्रमण अधिक है, इसलिए खरीदी तिथि बाद में घोषित की जाएगी। एसएमएस करके एक केंद्र पर 10-12 किसान बुलाए जाएंगे,ताकि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन हो सके:सीएम श्री @ChouhanShivrajpic.twitter.com/k1Ws5jYZCA
देश में गर्मी जोरों पर है कई स्थानों पर पर गर्म हवाएं चले लगी है वहीँ कई जगह का तापमान 40 डिग्री के ऊपर जा चूका है | परन्तु कई जगहों पर बादलों को देख किसानों की चिंता बढ़ गई है | उत्तर भारत में सक्रिय हो रहे पश्चिमी विक्षोभ (Western Disturbance) के चलते आगामी समय में घंटों में देश के कई उत्तरी राज्यों में एक बार फिर मौसम करवट लेने वाला है। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखण्ड आदि कई राज्यों में अनेक स्थान पर तेज आंधी एवं गरज चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |
मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश
भारतीय मौसम विभाग के भोपाल केंद्र की चेतावनी के अनुसार आने वाले समय में रायसेन. विदिशा, अशोकनगर, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योंपुर कला, उमरिया, शहडोल, डिंडौरी, कटनी, छिंदवाडा, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंहपुर, सिवनी, मंडला, रीवा, सागर, सीधी, सिंगरौली, छतरपुर, सागर, टीकमगढ, पन्ना, दमोह, होशंगाबाद आदि जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |
छत्तीसगढ़ के इन जिलों में हो सकती है बारिश
भारतीय मौसम विभाग के रायपुर केंद्र की चेतावनी के अनुसार आने वाले दिनों में सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली, कोरबा, जांजगीर, रायपुर, बलोदाबाजार, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनंदगांव, बस्तर, कोंडागांव, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |
बिहार राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश
भारतीय मौसम विभाग पटना के द्वारा जारी चेतवानी के अनुसार आगामी दो दिनों में राज्य के वेस्ट चंपारण, सिवान, सरन, इस्ट चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, मधुबनी, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, शेओहर, सुपोर, अररिया, मधेपुरा, किशनगंज, सहरसा, पुरनिया, बक्सर, बेगुसराई, लखीसराय, कटिहार, भागलपुर, बांका, मुंगेर, खगरिया, जामुई जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |
झारखण्ड राज्य के इन जिलों में हो सकती है बारिश
मौसम विभाग रांची केंद्र की चेतावनी के अनुसार आने वाले दिनों में देओगढ़, धनबाद, दुमका, गिरिध्ह, जामात्रा, गोड्डा, पाकुर, साहिबगंज,पलामू, गरवा, लातेहार, छत्रा, लहोर्दागा, कोडरमा, सराइकेला, पूर्वी-एवं पश्चिमी सिंग्भूमि, सिमडेगा जिलों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर तेज हवा एवं गरज-चमक के साथ हल्की से मध्यम बारिश होने की सम्भावना है |
कोविड–19 महामारी को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा लॉक डाउन की अवधि को 3 मई तक बढ़ा दिया गया है | यह समय अभी किसानों के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं जिससे किसानों को खेती किसानी के कार्यों के लिए छूट दी गई है इसके बाबजूद अभी भी किसानों को बहुत सी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है | किसानों को हो रही परेशानी को देखते हुए राज्य सरकारों के द्वारा सहायता केंद्र नंबर स्थापित किये गए हैं | जहाँ किसान काल करके रबी फसल बिक्री, मंडियों की जानकारी, पंजीकरण सम्बन्धी जानकारी एवं जायद फसल बुआई , खाद बीज सम्बंधित जानकारी ले सकते हैं | किसान समाधान आपके लिए राजस्थान, हरियाणा, छत्तीसगढ़ एवं उत्तरप्रदेश राज्यों के द्वारा जो किसानों के लिए सहायता केंद्र स्थापित किये गए हैं उनकी जानकारी लेकर आया है |
केंद्र सरकार द्वारा जारी किसानों के लिए सहायता केंद्र नम्बर
केंद्र सरकार के द्वारा भी कृषि एवं संबंधीत कार्यों में जो लोग लगे हैं उनके लिए टोल फ्री नंबर जारी किये गए हैं | लॉकडाउन में कृषि आदानों के अंतर-राज्यीय परिवहन में आ रही समस्याओं का शीघ्र होगा समाधान के लिए सरकार ने 1800-180-4200 और 14488 है | वहीँ देश के सभी 21 किसान कॉल सेंटर्स सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक कार्यरत रहते हैं | किसान अपनी समस्याओं के समाधान के लिए 1800-180-1551 पर डॉयल कर सकते हैं | इन नंबरों पर देश भर के किसान कॉल कर सहायता ले सकते हैं |
हरियाणा किसानों के लिए टोल फ्री नम्बर
राज्य कृषि विपन्न बोर्ड के मुख्यालय सेक्टर – 6, पंचकुला में एक समर्पित 24×7 टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर 1800-180-2060 स्थापित किया गया है 30 लाईनों के साथ यह नंबर 13 अप्रैल, 2020 शुरू कर दिया गया है | हेल्पलाइन में तैनात कर्मचारी तीन शिफ्टों में सुबह 7:00 बजे से दोपहर 3:00 बजे, दोपहर 3:00 बजे से रात 10:00 बजे और रात 10:00 बजे से सुभ 7:00 बजे तक काम करेंगे |
मंडियों सम्बन्धी समस्या के लिए सुपरवाईजर तैनात
खरीद सम्बन्धी मुद्दों को हल करने के लिए दो मण्डी सुपरवाईजरों को शिफ्टवार तैनात किया जाएगा किसी भी समस्या के आने पर मार्किट कमेटी के सम्बन्धित सचिव से तुरंत सम्पर्क कर किसानों के मुद्दों को हल करेंगे | इसी प्रकार बुनियादी ढाँचे से संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए एक उपमंडल अधिकारी को भी शिफ्टवार तैनात किया जायेया | सभी कोविड – 19 संबंधित काँल को अलग से नोट किया जाएगा और सेक्टर–16 पंचकुला में हेल्पलाइन नंबर 1075 और 855883911 पर कोविड–19 के लिए मुख्य सचिव के नोडल अधिकारी को भेजा जाएगा |
राजस्थान के किसानों के लिए टोल फ्री नम्बर
कृषि एवं इससे संबंधित विभिन्न गतिविधियों के कोरोना महामारी से जुड़े विषयों से संबंधित जानकारी के लिए यहं पन्त कृषि भवन कंट्रोल रम स्थापित किया गया है | यहाँ किसान एवं कृषि से जुड़े अन्य हितधारक के लिए कृषि भवन में कंट्रोल रूम स्थापित किया गया है | इसमें सुबह 8:00 बजे से शाम 8:00 तक फोन कर सकते हैं तथा कृषि से जुड़े समस्या कि जानकारी प्राप्त कर सकते हैं | कंट्रोल रूम का टेलीफोन नंबर 0141–2227471 जारी किया है |
उत्तरप्रदेश किसानों के लिए टोल फ्री नम्बर
उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए टोल फ्री नम्बर जारी किया है | किसान 1800-180-0150 नम्बर पर कॉल करके गेहूं की खरीदी सम्बंधित अधिक जानकारी ले सकते हैं |
छत्तीसगढ़ किसानों के लिए टोल फ्री नम्बर
सरकार द्वारा कोरोना वायरस (कोविड-19) संक्रमण से बचाव के उपायों के तहत प्रदेश में लॉक डाउन किया गया है। ऐसी स्थिति में राज्य के कृषकों की समस्याओं के समाधान के लिए कृषि विकास एवं किसान कल्याण जैव प्रौद्योगिकी विभाग द्वारा हेल्प लाइन नम्बर जारी किया गया है। जारी आदेश मे कहा गया है कि किसानों को आवश्यक सामग्री की उपलब्धता में किसी प्रकार परेशानी का सामना न करना पडे इसके लिए राज्य के सभी जिलों में हेल्प लाइन नम्बर जारी किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने किसानों के लिए सभी जिलों में सहायता केंद्र की स्थापना की है एवं प्रत्येक जिले के किसानों के लिए सहायता केंद्र नम्बर जारी किये हैं किसान इन नम्बरों पर कॉल करके जानकारी ले सकते हैं | किसान समाधान आपके लिए सभी जिलों के हेल्पलाइन नम्बर उपलब्ध करवा रहा है |
कोरोना महामारी से किसानों को होने वाले संक्रमण से बचाने एवं सामुदायिक संक्रमण के फैलाव को रोकने के लिए नियमों में शिथिलता प्रदान कर सहकारी समितियों को निजी गौण मंडी प्रांगण घोषित किया है ताकि किसानों को कृषि उपज बेचने के लिए दूर नही जाना पडे एवं नजदीकी स्थल पर ही उचित मूल्य पर किसान को उसकी फसल का वाजिब दाम मिल सके। राजस्थान राज्य में किसानों से समर्थन मूल्य पर खरीद करने के लिए 24 जिलों की 68 केवीएसएस तथा 32 जिलों की 420 ग्राम सेवा सहकारी समितियों को कृषि जिन्सों के क्रय-विक्रय के नियमन के लिए निजी गौण मंडी घोषित किया गया है। जिससे किसानों को अपने खेत एवं गांव के नजदीक ही उपज बेचान की सुविधा प्रदान की गई है तथा कृषि उपज मंडियों के अनुरूप ही कृषि जिन्सों को खुली नीलामी में बेचकर प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य की सुविधा मिलेंगी।
इन केन्द्रों पर कब से शुरू होगी उपज की खरीदी एवं किसान पंजीयन
राजस्थान के कोटा संभाग में गेहूं, सरसों एवं चना की खरीद 16 अप्रैल से प्रारंभ की जाएगी | शेष राजस्थान में 1 मई से समर्थन मूल्य पर खरीदी शुरू की जाएगी | राजस्थान में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चना तथा सरसों बेचने के लिए 2 लाख 40 हजार किसानों ने पंजीयन कराया है | जिस किसान ने अभी तक पंजीयन नहीं कराया है वैसे किसनों के लिए 1 मई से दुबारा पंजीयन प्रारंभ किया जाएगा |
इन सहकारी समितियों में किसान बेच सकेगें अपनी उपज
हनुमानगढ़ जिले में किसान यहाँ बेच सकेगें उपज
जिले में कुल 17 नये खरीदी केन्द्रों को स्थापित किए गया है | इसमें केवीएसएस के 4 मण्डी स्थापित किये गये हैं तो जीएसएस के 13 मण्डी स्थापित किये गये हैं | इसकी ब्यौरा इस प्रकार है |
केवीएसएस – हनुमानगढ़, पीलीबंगा , टिब्बी और रावतसर |
जिले में कुल 11 नए खरीदी केंद्र स्थापित किये गये हैं | इसमें से 1 केवीएसएस मण्डी की स्थापना किया गया है तो दूसरी तरफ 10 जीएसएस नये मण्डी की स्थापना किया गया है |
जिले कुल 5 नए खरीदी केन्द्रों को खोला गया है | यह सभी जीएसएस खरीदी केंद्र के रूप में विकसित इया गया है |
जीएसएस – नानेर, देवली, ककोड़, गुराई और रामथला |
कोटा जिले में किसान यहाँ बेच सकेगें उपज
जिले में कुल 12 नए खरीदी केन्द्रों को स्थापना किया गया है | यह सभी खरीदी केंद्र में से 3 को केवीएसएस के रूप में तो 9 खरीदी केंद्र को जीएसएस के रूप में विकसित किया गया है |
जिले में कुल 11 नए खरीदी केन्द्रों की स्थाप्मना किया गया है | इसमें से 2 खरीदी केंद्र केवीएसएस के हैं तो 9 जीएसएस खरीदी केन्द्रों की स्थापना किया गया है |
केवीएसएस – केशोरायपाटन और नैनवा |
जीएसएस – भिया, धनात्री, सीतापुरा, देईखेडा, कुवांरती, सुवासा, झालाजी का बराना, रोटेदा और सारसला |
झालावाडा जिले में किसान यहाँ बेच सकेगें उपज
जिले में 18 नए खरीदी केंद्र की स्थापना किया गया है | इसमें से 3 केवीएसएस तथा 15 जीएसएस खरीदी कन्द्रों को स्थापना किया गया है |
जिले में कुल 11 नए खरीदी केन्द्रों की शुरुआत किया गया है | इसमें से एक केंद्र केवीएसएस के अंतर्गत तथा 10 खरीदी केंद्र जीएसएस के अन्तरगत शुरुआत किया गया है |
जिले कुल 14 नए खरीदी केन्द्रों की स्थापना किया गया है | इसमें से 3 केवीएसएस खरीदी केन्द्रों की स्थापना किया गया है तो 11 जीएसएस खरीदी केन्द्रों स्थापना किया गया है |
गेहूं की फसल खेतों में पक कर खड़ी हुई है, सामान्यतः अधिकांश राज्यों में इस समय तक गेहूं की कटाई के साथ खरीद भी शुरू हो जाती है परन्तु इस वर्ष कोरोना वायरस से संक्रमण के डर से राज्यों ने गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी अस्थाई रूप बंद कर दी गई थी | केंद्र सरकार के खेती-किसानी के कार्यों में लॉक डाउन के बाद छूट दी जाने के बाद अब धीर-धीरे सभी राज्य सरकारों ने गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी की शुरुआत 15 अप्रैल से शुरू करने का फैसला लिया है | राजस्थान, मध्यप्रदेश, हरियाणा राज्यों के बाद अब उत्तरप्रदेश ने भी गेहूं के समर्थन मूल्य पर खरीदी का फैसला लिया है |
5500 खरीदी केन्द्रों पर की जाएगी गेहूं की समर्थन मूल्य पर खरीदी
उत्तरप्रदेश के कृषि मंत्री श्री सूर्यप्रताप शाही ने ट्वीटर पर जानकारी दी है की किसानों को परेशान होने की जरूरत नहीं है सरकार किसानों से गेहूं की उपज खरीदेगी | राज्य सरकार 15 अप्रैल से 5500 खरीद केंद्रों के माध्यम से गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 रुपए प्रति कुंतल पर गेहूं खरीद करेगी |
किसान समर्थन मूल्य पर उपज बेचने के लिए क्या करें
उत्तर प्रदेश में किसानों के द्वारा गेहूं को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर बेचने के लिए पंजीकरण करना जरुरी है | किसानों के पंजीकरण के लिए राज्य सरकार ने पोर्टल को 6 मार्च 2020 से खोल दिया गया था | जिन किसानों ने अभी तक पंजीकरण नहीं पाए हैं वह अभी पंजीकरण कर सकते हैं | किसान किसी भी जन सुविधा केंद्र, साईबर कैफे या स्वयं से पंजीयन कर सकते हैं | किसान पंजीयन का राजस्व विभाग के भुलेख पोर्टल से लिंक कराया गया है, इस वर्ष ओटीपी आधारित पंजीकरण की व्यवस्था की गयी है | जिसके लिए किसान बन्धु पंजीकरण के समय अपना वर्तमान मोबाईल नंबर ही अंकित कराएँ | किसान खाद्ध एवं रसद के पोर्टल https://fcs.up.gov.in/FoodPortal.aspx पर पंजीकरण कर सकते हैं |
पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज
किसान पंजीकरण करने के समय यह सभी दस्तावेज साथ रखें |
आधार कार्ड
बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ठ के छायाप्रति
राजस्व अभिलेख का विवरण भूमि विवरण के साथ खतौनी/खता संख्या
प्लाट/खसरा संख्या भूमि का रकबा (हेक्टेयर में)
फसल (गेहूं) का रकबा (हेक्टेयर में)
जो कृषक खरीफ विपन्न वर्ष 2019–20 में धान खरीद हेतु पंजीकरण करा चुके हैं, उन्हें गेहूं विक्रय हेतु पुन: पंजीकरण करने की आवश्यकता नहीं है, संशोधन कर या बिना संशोधन के पुन: लाँक करना होगा |
गेहूं खरीदी सम्बंधित जानकारी के लिए टोल फ्री नम्बर
उत्तरप्रदेश सरकार ने किसानों की सुविधा के लिए टोल फ्री नम्बर जारी किया है | किसान 1800-180-0150 नम्बर पर कॉल करके गेहूं की खरीदी सम्बंधित अधिक जानकारी ले सकते हैं |
ग्रीष्मकालीन (जायद) फसलों की बुआई क्षेत्र में वृद्धि
सम्पूर्ण देश में अभी लॉक डाउन चल रहा है | लॉक डाउन की शुरुआत ऐसे समय पर हुई जब किसानों की फसलों की कटाई एवं गरमा (जायद) फसलों की बुआई का समय रहता है | ऐसे में इस समत पर किसानों को लॉकडाउन के कारण कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है | हालांकि सरकार ने किसानों को खेती-किसानी के कार्यों के लिए लॉक डाउन में छूट दी गई है | इसके बाबजूद भी कई किसान हार्वेस्टर एवं मजदूर की कमी के चलते अभी तक कटाई के काम को अंजाम नहीं दे पाए हैं | वहीँ केन्द्रीय कृषि किसान कल्याण विभाग द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार कटाई एवं समर्थन मूल्य पर रबी फसलों की खरीद जारी है |
कृषि, सहकारिता एवं किसान कल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने बताया की अभी तक रबी, 2020 मौसम के दौरान नैफेड द्वारा 1,07,814 मीट्रिक टन दलहन (चना : 1,06,170 मीट्रिक टन) और तिलहन (सरसों : 19.30 मीट्रिक टन एवं सूरजमुखी : 1,624.75 मीट्रिक टन) की एमएसपी मूल्य पर खरीद की गयी, कुल खरीद 526.84 करोड़ रुपए और इससे अभी तक 75,984 किसान लाभान्वित हुए हैं । वहीँ अभी तक कुल बुआई वाले क्षेत्र के मुकाबले गेहूं की कटाई 26 से 33 प्रतिशत तक ही हुई है |
ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई के क्षेत्रफल में वृद्धि
कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग द्वारा संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि 10 अप्रैल, 2020 तक ग्रीष्मकालीन फसलों (धान, दलहन, मोटे अनाज और तिलहन सहित) के तहत कुल क्षेत्रफल में खेती में वृद्धि हुई है। 25 मार्च, 2020 से जारी लॉकडाउन के बाद के प्रतिबंधों और सामाजिक दूरी के नियमों के बावजूद इसमें पिछले साल की तुलना में 11.64 लाख हेक्टेयर वृद्धि दर्ज की गई है। वर्ष 2018-19 में 37.12 लाख हेक्टेयर के कुल कृषि क्षेत्र के मुकाबले, इस साल 2019-20 में 48.76 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई की गई है। पिछले वर्ष के सप्ताह में 10 अप्रैल तक सामान्य क्षेत्रफल 41.81 लाख हेक्टेयर था।
ग्रीष्मकालीन फसलों की बुवाई के क्षेत्रफल में हुई इस वृद्धि में मुख्य धान की फसल है, जिसकी बुवाई वाले क्षेत्रफल में 8.77 लाख हेक्टेयर की वृद्धि हुई है। अन्य सभी फसलों की बुवाई के क्षेत्रफल में वृद्धि 1 लाख हेक्टेयर से कम दर्ज की गई है। सिवाए रागी मोटे अनाज के, जिसकी बुवाई के क्षेत्रफल में पिछले वर्ष की तुलना में 0.06 लाख हेक्टेयर की मामूली गिरावट दर्ज की गई है। इस साल ग्रीष्मकालीन धान की बुवाई लगभग 32.58 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में की गई है, जबकि पिछले साल की इसी अवधि में 23.81 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई की गई थी।
दलहन में पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 3.01 लाख हेक्टेयर क्षेत्र की तुलना में इस साल लगभग 3.97 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया है। जबकि तिलहन में पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 5.97 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस साल लगभग 6.66 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई की गई है। वहीँ मोटे अनाजों में पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 4.33 लाख हेक्टेयर की तुलना में इस साल लगभग 5.54 लाख हेक्टेयर क्षेत्र कवर किया गया है।