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रविवार, अप्रैल 28, 2024
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ई-नाम पोर्टल पर शुरू किये गए नए फीचर्स से किसान खेतों से ही बेच सकेगें उपज

ऑनलाइन ई-नाम पोर्टल के नये फीचर्स

कोरोना संकट को देखते हुए रबी फसल की खरीदी करना सरकार के लिए एक चुनौती हैं | जहाँ देश के सभी राज्यों में लोगों को समाजिक दुरी बनाये रखने की जरूरत है तो वहीँ गाँव के किसानों से उनकी उत्पदान को बाजार तक पहुँचने की भी जरूरत है | बाजार में लोगों के लिए पर्याप्त मात्रा में खाध सामग्री बनी रहे इसके लिए यह जरुरी है कि किसानों के द्वारा उत्पादित फसल को बाजार तक पहुंचाया जाये | सरकार इसके लिए लगातार कोशिश कर रही है | अभी देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती है की किस प्रकार देश में सामाजिक दूरी बनाकर कार्यों को किया जाए | इसमें सबसे बड़ी चुनोती सभी किसानों से कम समय में फसलों को ख़रीदना है | इसलिए सरकार किसानों से फसल खरीदने के लिए ऑनलाइन व्यवस्था को मजूबत करने में लगी है |

सरकार 14 अप्रैल 2016 प्रारंभ किये गए ई-नाम पोर्टल को लगातार विकसित करने में लगी है | इस पोर्टल को इस प्रकार बनाया गया है कि किसान को मण्डी आये बिना ही उनके उत्पाद को बाजार तक पहुंचाया जा सकता है  | अब इसमें सरकार द्वारा कुछ नई सुविधाएँ जोड़ी गई गई हैं | इससे किसानों को अपनी उपज को बेचने के लिए खुद थोक मंडियों में आने की जरूरत कम हो जाएगी। वे उपज  वेयरहाउस  में रखकर वहीं से बेच सकेंगे।

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ई-नाम पर जोड़े गए नये फीचर्स

  • ई – नाम में गोदाम से व्यापर की सुविधा के लिए वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग माड्यूल
  • एफपीओ का ट्रेडिंग माड्यूल जहाँ एफपीओ अपने संग्रह से उत्पाद को लाए बिना व्यापार कर सकते हैं |
  • इस जंक्शन पर अंतर-मंडी तथा अंतरराज्यीय व्यापार की सुविधा के साथ लॉजिस्टिक मॉड्यूल का नया संस्करण, जिससे पौने चार लाख ट्रक जुड़े रहेंगे।

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा की यह कोरोना वायरस के खिलाफ लड़ने के लिए सामाजिक दुरी बनाए रखते हुए कामकाज करने में भी यह मददगार है | उन्होंने कहा कि ये नई सुविधाएं कोविड–19 के खिलाफ हमारी लड़ाई की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है, ताकि इस समय किसानों को अपने खेतों के पास ही बेहतर कीमतों पर अपनों उपज बेचने में मदद की जा सके |

ई–नाम पोर्टल की अभी ताजा स्थिति

ई – नाम पोर्टल को 14 अप्रैल 2016 को शुरू किया गया था जिसे अपडेट कर काफी सुविधाजनक बनाया गया है | पहले से ही 16 राज्यों और 2 केन्द्रशासित प्रदेशों में 585 मंडियों को ई – नाम पोर्टल पर एकीकृत किया गया है | इसके अतिरिक्त 415 मंडियों को भी ई–नाम से जल्द ही जोड़ा जाएगा | जिससे इस पोर्टल पर मंडियों की कुल संख्या एक हजार हो जाएगी | ई–नाम पर इन सुविधा के कारण किसानों, व्यापारियों व अन्य को मण्डियों का चक्कर काटने की जरूरत नहीं होगी |

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ई-नाम पोर्टल से किसानों को होने वाले लाभ

मूल्य स्थिरीकरण समय और स्थान उपयोगिता के आधार पर किसान आपूर्ति और मांग की तुलना करते हुए फायदे में रहेंगे | एफपीओ को बोली के लिए अपने आधार/संग्रह केन्द्रों से अपनी उपज अपलोड करने में सक्षम बनाया जा सकेगा | वे बोली लगाने से पहले उपज की कल्पना करने में मदद के लिए आधार केन्द्रों से उपज और गुणवत्ता मापदंडों की तस्वीर अपलोड कर सकते हैं | एफपीओ के पास सफल बोली लगाने के बाद मण्डी के आधार पर या अपने स्तर से उपज वितरण का विकल्प रहेगा | इन सबसे मंडियों में आवागमन कम होने से सभी को सुविधा होगी | परिवहन की लागत कम होगी तथा ऑनलाइन भुगतान की सुविधा मिलेगी |

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