युवा खुद का बिज़नेस शुरू करने के लिए इस विश्वविद्यालय से ले सकेगें कृषि रसायन एवं उर्वरक में एक वर्षीय डिप्लोमा

कृषि रसायन एवं उर्वरक क्षेत्र में एक वर्षीय डिप्लोमा

कोरोना वायरस महामारी के चलते जहाँ लोगों का शहरों से रोजगार ख़त्म हुआ है वहीँ गाँव की और लोगों का पलायन बढ़ा है | ऐसे में सरकार द्वारा गाँव में रोजगार पैदा करने के लिए आत्मनिर्भर भारत योजना की शुरुआत की गई है | कृषि क्षेत्र में किसानों एवं युवाओं को रोजगार देने के लिए पहले से ही सरकार द्वारा बहुत सी योजनायें चलाई जा रही है जिनके तहत किसानों को प्रशिक्षण उपलब्ध करवाकर उन्हें स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया जाता है | सरकार द्वारा पहले ही कृषि रसायन (कीटनाशक), खाद आदि का व्यापार करने के लिए कृषि विज्ञान या जैव रसायन शास्त्र या जैवप्रौदयोगिक या जीवन विज्ञान या रसायन शास्त्र या वनस्पति शास्त्र या प्राणी विज्ञान के साथ विज्ञान में किसी मान्यता प्राप्त विश्वविध्यालय से डिग्री या डिप्लोमा को आवशयक किया गया है | ऐसे में जो युवा कृषि क्षेत्र में रोजगार चाहते हैं उनके लिए कृषि रसायन एवं उर्वरक में एक वर्षीय डिप्लोमा कारगर साबित होगा |

ऐसे में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार में पहली बार कृषि रसायन एवं उर्वरक में एक वर्षीय डिप्लोमा शुरू करने का फैसला लिया है, जो युवाओं को स्वावलंबी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। इस संबंध में जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि पहली बार शुरू होने वाले इस एक वर्षीय डिप्लोमा में कुल 30 सीट निर्धारित की गई हैं |

कृषि रसायन एवं उर्वरक क्षेत्र डिप्लोमा कोर्स हेतु कौन आवेदन कर सकता है ?

आवेदन के लिए उम्मीदवार का 12वीं पास होना जरूरी है और 18 से 55 वर्ष तक की आयु वर्ग के इच्छुक उम्मीदवार इसमें आवेदन कर सकते हैं। इस एक वर्षीय डिप्लोमा में कुल 30 सीट निर्धारित की गई हैं, जिसमें से अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए 20 प्रतिशत, पिछड़ी जाति के उम्मीदवारों के लिए 27 प्रतिशत और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए 10 प्रतिशत सीटों का निर्धारण किया गया है। इस कोर्स में दाखिला कृषि महाविद्यालय हिसार, कृषि महाविद्यालय कौल (कैथल) व कृषि महाविद्यालय बावल (रेवाड़ी)  के लिए अलग-अलग होंगे व उनकी कक्षाएं भी अलग-अलग लगाई जाएंगी। दो सेमेस्टर वाले इस डिप्लोमा में दाखिला 12वीं कक्षा में प्राप्त अंकों और संबंधित क्षेत्र में अनुभव के 80:20 के अनुपात में किया जाएगा। इसके लिए कम से कम छह महीने और अधिकतम दो वर्ष का अनुभव ही मान्य होगा।

डिप्लोमा कोर्स से लाभ

यह डिप्लोमा उन अभ्यार्थियों के लिए बहुत ही फ़ायदेमंद होगा जिनको कृषि रसायन और उर्वरक संबंधी कृषि की आधारभूत जानकारी नहीं है। यह डिप्लोमा कृषि रसायन और उर्वरक संबंधी कृषि में उपयोग के लिए विस्तार कार्यकर्ता, एग्री इनपुट डीलर और अन्य तकनीकी योग्यता को बढ़ाने में सहायक होगा। इस कोर्स को करने के बाद डिप्लोमाधारक किसान समुदाय की कृषि रसायन और उर्वरक संबंधी उपयोग के लिए बेहतर ढंग से सहायता कर सकेंगे।

कृषि रसायन एवं उर्वरक में डिप्लोमा के लिए कहाँ सम्पर्क करें

इच्छुक उम्मीदवार कोर्स संबंधी जानकारी फीस, दाखिला प्रक्रिया व अन्य जानकारियों को उम्मीदवार विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.hau.ac.in से प्राप्त कर सकते हैं। इसके आलावा इच्छुक उम्मीदवार कृषि महाविद्यालय हिसार, कृषि महाविद्यालय कौल (कैथल) व कृषि महाविद्यालय बावल (रेवाड़ी) में सम्पर्क कर सकते हैं |

डिप्लोमा कोर्से हेतु अधिक जानकारी एवं आवेदन के लिए क्लिक करें

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18 लाख से अधिक किसानों को दिया गया बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि से फसल नुकसानी का मुआवजा

फसल नुकसानी का मुआवजा

वर्ष 2019–20 के रबी वर्ष में बेमौसम बारिश, आंधी तथा ओलावृष्टि के कारण किसानों को काफी फसल का नुकसान का उठाना पड़ा था | इसकी भरपाई के लिए अलग–अलग राज्य सरकार ने अपने तरफ से किसानों को सहायता राशी देने की घोषणा की थी | जिन राज्यों में किसानों फसल बीमा था उन सभी राज्य के किसानों को फसल बीमा राशि दिया जा रहा है  लेकिन जिन राज्यों में फसल बीमा नहीं था उन सभी किसानों को राज्य सरकार के तरफ से अन्य योजना के मध्य में सहायता राशि उपलब्ध करवाई जा रही है | इस क्रम में बिहार सरकार ने राज्य के किसानों को कृषि इनपुट के अंतर्गत नुकसानी कि भरपाई की है |

राज्य सरकार ने रबी मौसम के फरवरी, मार्च तथा अप्रैल माह में हुए फसल नुकसान की भरपाई के लिए आवेदन मांगे गए थे | इसके साथ ही बागवानी तथा सब्जी की खेती के लिए किसानों से अलग से आवेदन ऑनलाइन लिए गए थे | जिन किसनों ने आवेदन किया था उनका फ़ार्म जाँच कर खाते में पैसा दे दिया गया है | किसान समाधान कृषि इनपुट की पूरी जानकारी लेकर आया है |

अभी तक कितने किसानों को किया गया भुगतान

कृषि मंत्री डॉ.प्रेम कुमार के अनुसार राज्य के 18,39,666 किसानों के बैंक खाते में कृषि इनपुट अनुदान के रूप में 5,68,14,46,591 रूपये अंतरित कर दी गई है, जिनमें फरवरी माह में हुई फसल क्षति के लिए 1,98,445 किसानों के खाते में 57,51,01,517 रूपये, मार्च माह में हुई फसल क्षति के लिए 10,97,835 किसानों के बैंक खाते में 3,79,06,76,508 रूपये तथा अप्रैल माह में हुई फसल क्षति के लिए 5,43,386 किसानों के खाते में 1,31,56,68,565 रूपये शामिल है |

अभी इन किसानों को दिया जाना है कृषि इनपुट अनुदान

कृषि मंत्री ने बताया कि सरकार द्वारा इस वर्ष अप्रैल माह में रबी मौसम असामयिक वर्षापात/ओलावृष्टि के कारण कृषि एवं बागवानी फसल अर्थात आम, लीची, फूल, सब्जी, पाँ आदि की खेती को हुए क्षति की भरपाई हेतु कृषि इनपुट अनुदान के लिए किसानों ने आवेदन किया है | शेष आवेदनों की जांच की जा रही है | जांच के बाद शीघ्र ही, किसानों के खाते में कृषि इनपुट अनुदान की राशी अंतरित की जायेगी |

फरवरी माह में राज्य के 11 जिलों में हुई थी फसल क्षति

भागलपुर, जहानाबाद, कैमूर, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, वैशाली, बक्सर, गया, मुजफ्फरपुर, पटना तथा औरंगाबाद, जिलों को शामिल किया गया था |

23 जिलों में हुई थी मार्च माह में क्षति

पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, भभुआ, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चम्पारण, दरभंगा, समस्तीपुर, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, भागलपुर, बाँका, मधेपुरा तथा किशनगंज के 196 प्रखंडों को शमिल किया गया था |

अप्रैल माह में इन 19 जिलों में हुई थी क्षति

गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, समस्तीपुर, बेगुसराय, लखीसराय, खगड़िया, भागलपुर, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, किशनगंज तथा अररिया के प्रतिवेदित 148 प्रखंडों में खाद्यान के साथ–साथ बागवानी फसलों को क्षति हुई थी |

किसानों को फसल क्षति को दिया जायेगा मुआवजा

प्रभावित जिलों के किसानों को कृषि इनपुट अनुदान वर्षाश्रित यानी असिंचित फसल क्षेत्र के लिए 6,800 रूपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित क्षेत्र के लिए किसानों को 13,500 रूपये प्रति हेक्टेयर तथा शाश्वत फसल के लिए 18,000 रूपये हेक्टेयर की दर से यह अनुदान दिया जा रहा है | सरकार द्वारा प्रभावित किसानों को इस योजना के अंतर्गत फसल क्षेत्र के लिए कम से कम 1,000 रूपये अनुदान दिया जायेगा | यह पैसा किसान के आधार नंबर से जुड़े बैंक खाते में दिया गया है |

कृषि इनपुट अनुदान हेतु आवेदन की स्थिति देखने के लिए क्लिक करें

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15 जुलाई तक किसान करवा सकते हैं खरीफ फसलों का बीमा

खरीफ फसलों का बीमा

देश में वर्ष-2016 से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की शुरुआत की गई थी | जिसमें किसानों के द्वारा बहुत लम्बे समय से बदलाबों की मांग की जा रही थी | सरकार ने किसानों की मांग को ध्यान में रखते हुए योजना में बदलाब किये गए हैं | प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बदलाव के साथ इस खरीफ वर्ष से शुरू कर दी है | देश के कुछ राज्यों को छोड़कर शेष सभी राज्यों में यह योजना लागू है | खरीफ फसल के लिए फसल बीमा योजना चल रही है साथ ही मौसम आधारित फसल बीमा भी किया जा रहा है |

पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा के अंतर्गत ऋणी किसानों को फसल बीमा करना जरुरी रहता था लेकिन नये बदलाव में इससे किसान को छुट दिया दी गई है अब फसल बीमा पूरी तरह स्वेच्छिक हो गया है | ऋणी किसानों को इसके लिए एक घोषणा पत्र भरकर बैंक में जमा करना होगा | यह फ़ार्म बैंक में नि:शुल्क उपलब्ध कराया जा रहा है | राजस्थान में खरीफ–2020 व रबी 2020–21 के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एवं पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना के क्रियान्वयन के लिए मंगलवार यानि 30 जून को अधिसूचना जारी कर दी गई है |

किसान यहाँ से करवा सकते हैं फसल बीमा

इच्छुक किसान यानि वैसे किसान जो किसान क्रेडिट कार्ड से ऋण नहीं लेते हैं उन किसानों को इन बैंकों से फसल बीमा करवा सकते हैं | बैंक के अलावा भी विभन्न स्थानों से या खुद भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | किसान वाणिज्यक बैंक, सहकारी बैंक, क्षेत्रीय बैंक, ग्रामीण बैंक, काँमन सर्विस सेंटर, बीमा कम्पनी के अधिकृत एजेंट एवं राष्ट्रीय फसल बीमा पोर्टल पर खरीफ फसलों के लिए बीमा करवा सकते हैं | ऋण प्राप्त करने वाले किसानों का बीमा बैंक से कर दिया जायेगा |

बीमा के लिए किसान को यह सभी दस्तावेज लगेगा

किसान बैंक से या अन्य स्थानों से खरीफ फसल बीमा करने के लिए विभन्न प्रकार के दस्तावेज अपने साथ लेकर जाएं | यह दस्तावेज इस प्रकार है

  • आधार कार्ड
  • बैंक पास बुक का फोटो कॉपी
  • नवीनतम जमाबन्दी

15 जुलाई तक खरीफ फसल का बीमा किया जायेगा

राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने यह जानकारी देते हुए बताया कि खरीफ 2020 के लिए खरीफ फसल बीमा चल रहा है तथा इसकी अंतिम तिथि 15 जुलाई रखी गई है | ऋणी किसानों का संबंधित बैंक स्वत: ही प्रीमियम काटकर बीमा कर लेगी, किन्तु यदि कोई ऋणी किसान फसल बीमा योजना से अलग रहना चाहता है तो 8 जुलाई तक संबंधित बैंक शाखा में लिखित में घोषणा पत्र देना होगा , जिसका प्रारूप (घोषणा पत्र फार्म) बैंक शाखा में उपलब्ध है |

2 प्रतिशत प्रीमियम देना होगा

किसान को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ फसल के लिए 2 प्रतिशत तथा मौसम आधारित फसल बीमा योजना के लिए 5 प्रतिशत का बीमा देना होगा | शेष प्रीमियम राशि केंद्र तथा राज्य सरकार को देना होगा | सरकार ने नये बदलाव में सिंचित क्षेत्र के लिए कम से कम 25 प्रतिशत तथा असिंचित क्षेत्र के लिए कम से कम 30 प्रतिशत का प्रीमियम राशि रखी गई है | जिसे केंद्र सरकार, राज्य सरकार तथा किसान को मिलकर देना होगा |

ऑनलाइन फसल बीमा करवाने के लिए क्लिक करें 

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80 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर राज्य में खोले जाएंगे 100 कस्टम हायरिंग केन्द्र

कस्टम हायरिंग केन्द्र योजना के तहत अनुदान

 निजी कस्टम हायरिंग सेण्टर कैसे खोलें

आधुनिक खेती में कृषि यंत्रों का महत्वपूर्ण स्थान है, आज के समय में बुआई से लेकर कटाई तक कई तरह के कार्यों के लिए अलग-अलग तरह के कृषि यंत्र उपलब्ध हैं | कृषि यंत्रों की मदद से किसान कम समय में अपने कार्य को पूर्ण कर सकते हैं | इसके बाबजूद कृषि यंत्र अधिक महंगे होने के कारण सभी किसान इन्हें खरीद नहीं सकते हैं | सरकार द्वारा किसानों को कृषि यन्त्र उपलब्ध करवाने के लिए बहुत सी योजनायें चलाई जा रही है | सब्सिडी पर कृषि यन्त्र उपलब्ध करवाने के बाबजूद भी सभी किसान सभी पप्रकार के कृषि यंत्र खरीद नहीं सकते हैं | इसके लिए सरकार द्वारा कस्टम हायरिंग केन्द्र की स्थापना की जा रही है | जिससे किसान कम दरों पर बिना कृषि यन्त्र ख़रीदे बिना ही किराये पर लेकर उनका उपयोग कर सकें |

राजस्थान में किसानों को किराये पर खेती संबंधी यंत्र उपलब्ध करवाने के लिए क्रय-विक्रय सहकारी समितियों एवं ग्राम सेवा सहकारी समितियों (केवीएसएस-जीएसएस) के माध्यम से 100 कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। इसके लिए कृषि विभाग ने सहकारिता विभाग को 8 करोड़ रुपए हस्तान्तरित किए हैं।

80 प्रतिशत सब्सिडी पर स्थापित किये जाएंगे कस्टम हायरिंग केन्द्र

कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने बताया कि राष्ट्रीय कृषि विस्तार एवं प्रौद्योगिकी मिशन (एनएमएईटी) के सब मिशन ऑन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन (एसएमएएम) के अन्तर्गत अभिलक्षित गांवों में केवीएसएस-जीएसएस के माध्यम कस्टम हायरिंग केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। इन केन्द्रों पर ट्रेक्टर में आवश्यक कृषि यंत्रों की क्रय लागत का 80 प्रतिशत अधिकतम 8 लाख रुपए का अनुदान दिया जाएगा। योजना का क्रियान्वयन सहकारिता विभाग के माध्यम से किया जाएगा। सहकारिता विभाग ने 30 जिलों से प्राप्त प्रस्तावों में से 100 केवीएसएस-जीएसएस का चयन कर लिया है। इसके लिए सहकारिता विभाग को 8 करोड़ रुपए की अनुदान राशि बतौर अग्रिम हस्तान्तरित की गई है।

उचित किराये पर उपलब्ध होंगे कृषि यन्त्र

श्री कटारिया ने इस योजना से होने वाले फायदों से अवगत कराते हुए बताया कि इससे सीमित आय के कारण उन्नत एवं महंगे कृषि उपकरण खरीदने में सक्षम नहीं होने वाले किसानों तक कृषि यंत्रों की पहुंच होगी। उन्हें अपनी आवश्यकता एवं समयबद्ध कृषि क्रियाओं को पूर्ण करने के लिए आधुनिक एवं महंगे कृषि यंत्र उचित किराये पर उपलब्ध हो सकेंगे। साथ ही एक ही स्थान पर खाद, बीज तथा अन्य सामग्री सहित समस्त आदानों की उपलब्धता सुनिश्चित हो जाएगी। आदान लागत में कमी होने से किसानों की आय बढ़ेगी।

किस जिले में कितने कस्टम हायरिंग केंद्र खोले जाएंगे

इस योजना के तहत राजसमन्द में 12, प्रतापगढ़ में 7, जयपुर में 6, श्री गंगानगर, बांसवाड़ा एवं बीकानेर में 5-5, भीलवाड़ा, हनुमानगढ़, चूरू एवं दौसा में 4-4, कोटा, उदयपुर, भरतपुर, झालावाड़, बूंदी, चित्तौड़गढ़ एवं अलवर में 3-3 केन्द्र खोले जाएंगे। इसी प्रकार सीकर, नागौर, बाड़मेर, अजमेर, डूंगरपुर, झुंझुनूं, जोधपुर, पाली, जैसलमेर एवं टोंक में 2-2 तथा धौलपुर, सवाई माधोपुर एवं करौली में एक-एक कस्टम हायरिंग केन्द्र खुलेंगे। जयपुर जिले में बनेठी, कलवाड़ा, सरना चौड़, चिमनपुरा, कुजोता एवं मुरलीपुरा जीएसएस पर कस्टम हायरिंग केन्द्र खोले जाएंगे।

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लिस्ट आ गई है, यह किसान सब्सिडी पर ले सकेंगे पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट तथा रेनगन

सिंचाई यंत्र हेतु चयनित किसान लिस्ट

देश में सिंचित क्षेत्र का रकबा बढ़ाने के उद्देश्य से सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई यंत्र सब्सिडी पर देने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वन किया जाता है | इन योजनाओं का लाभ किसानों को मिल सके इसके लिए समय-समय पर किसानों से आवेदन मांगे जाते हैं | अलग–अलग सिंचाई यंत्रों एवं सिंचाई साधनों पर किसानों को उनके वर्ग के अनुसार सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान रहता है | जिसके तहत जिलेवार लक्ष्य जारी किये जाते हैं | जिस किसान को सूचि में नाम आता है उनको सब्सिडी पर सिंचाई यंत्र (पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट तथा रेनगन) आदि दिए जाते हैं |

पहले किसानों को सिंचाई यंत्र पहले आओ और पहले पाओ के आधार पर दिए जाते थे परन्तु अब सरकार के द्वारा नियमों में परिवर्तन किया गया है | मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में सिंचाई यंत्र के लिए पिछले वर्ष से लॉटरी सिस्टम लागू किया गया है | कम्प्यूटर के द्वारा लॉटरी के माध्यम से जिलेवार किसानों कि सूचि बनाई जाती है | इसी के आधार पर किसानों को सिंचाई यंत्र दिए जाते हैं |

लॉटरी के माध्यम से चयनित किसानों की सूचि जारी

दिनांक 17 जून 2020 से  28 जून 2020 तक ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर NFSM योजना अंतर्गत सिंचाई यंत्रों (पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट तथा रेनगन) हेतु लक्ष्य जारी किये गए थे। जिसे आगे बढाकर 30 जून तक कर दिया गया था | इन दिनों में जिन भी किसानों ने आवेदन किये है उन किसानों में से लक्ष्यानुसार किसानों का चयन किया गया है | 01 जुलाई 2020 को लाँटरी सिस्टम के माध्यम से चयनित किसानों की सूचि जारी कर दी गई है | किसान समाधान मध्य प्रदेश में लॉटरी सिस्टम से जारी किसानों कि सूचि लेकर आया है |

इन सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी के लिए किये गए थे आवेदन

17 जून 2020 से 30 जून 2020 तक इन सिंचाई यंत्रों  के लिए आवेदन मांगे गए थे जो इस प्रकार है :-

  • पाइपलाइन,
  • स्प्रिंकलर सेट,
  • पम्प सेट (डीजल/विद्युत),
  • रेनगन

सिंचाई यंत्र (पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट तथा रेनगन) सब्सिडी हेतु चयनित किसान लिस्ट कैसे देखें ?

नीचे किसान समाधान द्वारा लिस्ट देखने के लिए लिंक दी गई है | किसान भाई उस लिंक को जैसे ही खोलेंगे वैसे ही कृषि अभियांत्रिकी के पोर्टल e-कृषि यंत्र अनुदान पर प्राथमिकता सूचि देखने के लिए पेज खुल जाएगा | याद रहे दिए जाने वाले सभी कृषि यंत्र “किसान कल्याण तथा कृषि विभाग” विभाग द्वारा दिए जा रहें हैं | किसान अधिक जानकारी के लिए जिला कृषि विभाग अथवा कृषि अभियांत्रिकी संचनालय में संपर्क कर सकते हैं |

इस लिस्ट में लक्ष्य से अधिक किसानों का नाम है जिसमें यदि चयनित किसान यंत्र नहीं लेते हैं तो वह यंत्र लेने का मौका अन्य किसानों को दिया जायेगा | उदहारण के लिए यदि किसी जिले में 4 किसानों को सम्बन्धित कृषि यंत्र Alloted किया गया है तो उसके अलावा 10 अन्य किसान हैं जो वेटिंग (Waiting) मे है अर्थात इन किसानों को सम्बंधित कृषि यंत्र तब ही दिया जायेगा जब ऊपर के चयनित किसान किसी कारण से कृषि यंत्र नहीं लेते हैं |

सिंचाई यन्त्र अनुदान हेतु चयनित किसान लिस्ट देखने के लिए क्लिक करें

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कम लागत में धान के अधिक उत्पादन हेतु किसान करें कतार में बोनी

धान की कतार में बुआई

मानसूनी बारिश सही समय पर आने की सम्भावना को देखते हुए किसानों खरीफ फसलों की बुआई की तैयारी शुरू कर दी है | खरीफ फसलों में सबसे महत्वपूर्ण हैं धान की खेती | देश के अधिकांश किसानों ने धान की नर्सरी डालने का काम शुरू भी कर दिया गया है | अगेती धान की नर्सरी डाली जा चुकी है तो वहीँ मध्य अवधि तथा पिछेती धान कि खेती के लिए नर्सरी देने का काम जोरों पर चल रहा है | कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को धान का अधिक उत्पान प्राप्त करने के लिए कतार में बोनी करने की सलाह दी है | धान की कतार बोनी विधि में कम लागत आती है साथ ही कम वर्षा में भी उपज पर विशेष प्रभाव नहीं पड़ता है। इस विधि से खेती करने के लिए किसानों को प्रेरित किया जा रहा है और उन्हें कतार बोनी विधि से खेती करने के लिए प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।

धान की कतार में बुआई के लिए दिया जा रहा है प्रशिक्षण

कृषि विज्ञान केंद्र कांकेर द्वारा कम समय में फसल उगाई, कम लागत और कम मजदूर के माध्यम से भी उन्नत कृषि हो इसका प्रशिक्षण किसानों को दिया जा रहा है। किसानों को बीज उर्वरक बुवाई यंत्र द्वारा धान की कतार बोनी विधि के बारे में प्रशिक्षित किया जा रहा है। इस विधि में कम वर्षा की स्थिति में भी उपज में विशेष प्रभाव नहीं पड़ता बल्कि प्रारंभ में ही वर्षा जल का सीधे लाभ मिल जाता है। जिससे किसान वर्षा जल पर पूर्णतः निर्भर न रहते हुए भी अच्छी फसल प्राप्त कर सकते हैं। सभी किसान अपने यहाँ के जिला कृषि विज्ञान केंद्र से धान के अधिक उत्पादन के लिए अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से सम्पर्क कर जानकारी ले सकते हैं |

धान की कतार बुआई से लाभ

किसान बुवाई के एक माह बाद बियासी करके धान की निंदाई एवं गुड़ाई करते हैं। इस प्रक्रिया में सही समय पर यदि बारिश नहीं होती तो किसान बियासी प्रक्रिया में पिछड़ जाते है। इन परिस्थितियों की वजह से कई किसान खेतों में घास की अधिकता के कारण आधार खाद का उपयोग भी नहीं कर पाते, जिसकी वजह से धान की उपज में काफी कमी आ जाती है। वैज्ञानिको ने बताया कि बीज उर्वरक बुवाई यंत्र द्वारा बुवाई के तुरंत पश्चात नींदानाशक का उपयोग कर खरपतवारों को रोका जा सकता है। इस विधि द्वारा उत्पन्न धान की उपज रोपाई वाले धान के बराबर आती है। कतार बोनी में निंदाई, रोपाई की जरूरत नहीं पड़ती है। छिटकवा विधि की तुलना में फसल 10-15 दिन जल्दी पकती है। जिससे मिट्टी में उपलब्ध नमी का उपयोग कर किसान दूसरी फसल भी ले सकते हैं।

अब किसानों के घरों पर मुफ्त में होगी मिट्टी की जांच

मिट्टी की जांच घर पर

किसानों की आय बढ़ाने के लिए सबसे अधिक जरुरी है फसल उत्पादन की लागत को कम करना एवं फसलों का अधिक उत्पादन होना | आधुनिक खेती में मिट्टी की जांच का काफी महत्त्व है | सरकार सभी किसानों के खेतों की मिट्टी की जांच करने के लिए साइल हेल्थ कार्ड योजना चला रही है | जिसके तहत किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिया जाता है जिससे किसान भूमि का स्वास्थ्य को जान कर उसके अनुसार फसलों की खेती एवं खाद उर्वरक का प्रयोग कर सकें |

अब किसानों को मिट्टी की जांच के लिए प्रोत्साहित करने के लिए एनएफएल ने उर्वरकों के उचित उपयोग को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से देश में मृदा परीक्षण की सुविधा को बढ़ावा देने को मिट्टी के नमूनों की जांच के लिए पांच मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं का शुभारम्भ किया, जो किसानों को उनके घर पर मिट्टी के नमूनों के परीक्षण की सुविधा मुहैया कराएगी।

मिट्टी में किन तत्वों की होगी जांच

आधुनिक मृदा परीक्षण उपकरणों से युक्त ये मोबाइल प्रयोगशालाएं मिट्टी का समग्र और सूक्ष्म पोषक तत्व विश्लेषण करेगी। इसके अलावा इन मोबाइल प्रयोगशालाओं में किसानों को विभिन्न कृषि विषयों पर शिक्षित करने के लिए ऑडियो-वीडियो सिस्टम भी मौजूद रहेगा। कंपनी मोबाइल मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के अलावा देश के विभिन्न स्थानों पर स्थिर मृदा परीक्षण प्रयोगशालाओं के माद्यम से भी किसानों को सेवाएं दे रही है। इन सभी प्रयोगशालाओं ने वर्ष 2019-20 में मुफ्त में लगभग 25,000 मिट्टी के नमूनों का परीक्षण किया था।

मिट्टी की जांच के उद्देश्य

  • मृदा में उपलब्ध पोषक तत्वों का सही- सही निर्धारण कर मृदा स्वास्थ्य कार्डों के माध्यम से कृषकों तक पहुंचाना।
  • विभिन्न फसलों की दृष्टि से पोषक तत्वों की कमी का पता करके किसानों को स्पष्ट सूचना देना।
  • मृदा पोषक तत्वों की स्थिति ज्ञात करना और उसके आधार पर फसलों के अनुसार उर्वरकों / खादों को डालने की संस्तुति करना।
  • मृदा की विशिष्ट दशाओं का निर्धारण करना, जिसमें मृदा को कृषि विधियों और मृदा सुधारको की सहायता से ठीक किया जा सके।
  • संतुलित उर्वरकों के प्रयोग को प्रोत्साहित करना।

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कुसुम योजना के तहत 60 प्रतिशत सब्सिडी पर 7.5 एचपी तक के सोलर पम्प लगने शुरू

अनुदान पर सौर उर्जा पम्प

किसानों को सिंचाई सुविधाएँ उपलब्ध करवाने सरकार द्वारा योजनाओं का क्रियान्वन किया जाता है | इसके तहत ही किसानों को उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर करने के लिए तथा अक्षय (सौर) ऊर्जा को बढ़ाने के लिए वर्ष 2018–19 में केंद्र सरकार ने प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाअभियान (कुसुम) योजना की घोषणा की गई थी | योजना के तहत किसानों को सोलर उर्जा प्लांट एवं सिंचाई के लिए सोलर पम्प अनुदानित दरों पर देने का प्रावधान है | इस योजना के तहत किसान अपनी बंजर तथा अनुपयोगी भूमि पर सोलर पैनल लगाकर विधुत उत्पन्न कर सकते हैं एवं उसे बेचकर आय प्राप्त कर सकते हैं | वहीँ खेती कर रहे किसान सोलर पम्प लगाकर सिंचाई कर सकते हैं |

राजस्थान राज्य सरकार ने कुसुम योजना के तहत किसानों से पिछले वित्तीय वर्ष में आवेदन मांगे थे अब जिन किसानों ने योजना के तहत आवेदन किया था उसमें से चयनित किसानों को अब सोलर पम्प दिए जाने की शुरुआत की जा चुकी है | राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने सोमवार को जयपुर के निकट झोटवाड़ा पंचायत समिति क्षेत्र में कापड़ियावास गांव में 7.5 एचपी क्षमता के पहले अनुदानित सौर ऊर्जा पम्प सयंत्र का शुभारंभ किया।

किये जाएंगे 7.5 एचपी क्षमता का अनुदानित सोलर उर्जा पम्प स्थापित

मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने वर्ष 2020-21 में 25,000 सौर ऊर्जा पम्प सयंत्र लगाने के लिये 267 करोड़ रुपए की बजट घोषणा की थी। इतनी ही राशि नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से पीएम कुसुम कम्पोनेंट-बी योजना अन्तर्गत उपलब्ध करायी जा रही है। प्रदेश में पहली बार 7.5 एचपी क्षमता का अनुदानित सयंत्र स्थापित किया गया है। इससे पहले 5 एचपी क्षमता के संयत्र ही लगाए जाते थे। यह सयंत्र स्थापित कर राजस्थान देश का अग्रणी राज्य बन गया है।

इस योजना में जिन किसानों के पास सिंचाई के लिए कृषि विद्युत कनेक्शन नहीं है और डीजल पर निर्भर है। ऎसे जल बचत सयंत्र या उन्नत उद्यानिकी संरचनाएं स्थापित करने वाले किसानों को अनुदान पर 3 एचपी क्षमता से 7.5 एचपी क्षमता तक के सौर ऊर्जा पम्प सयंत्र उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इस योजना में 10 एचपी तक के सयंत्र भी स्थापित किये जा सकते हैं। इनमें अनुदान 7.5 एचपी मानते हुए ही देय होगा।

कुसुम योजना के तहत सोलर पम्प पर दी जाने वाली सब्सिडी

योजना के तहत स्टेण्ड अलोन सौर कृषि पम्प की लागत की बेंच मार्क लागत या निविदा लागत इनमें से जो भी कम हो, के लिये 30 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता, 30 प्रतिशत राज्य सहायता एंव शेष 40 प्रतिशत अंशदान का भुगतान किसान द्वारा किया जायेगा जिसमें भी केवल 10 प्रतिशत का भुगतान किसान देगा और शेष 30 प्रतिशत ऋण के रूप में बैंक से वित्तिय सहायता दी जायेगी | अर्थात सौर ऊर्जा पम्प सयंत्रों पर किसानों को 60 प्रतिशत अनुदान दिया दिया जायेगा | किसान के हिस्से से लगने वाली 40 प्रतिशत राशि में से 30 प्रतिशत राशि तक का लोन किसान बैंक से ले सकते हैं जिससे उन्हें मात्र 10 प्रतिशत राशि ही देनी होगी | PM KUSUM योजना के लिए टोल फ्री नम्बर  1800-180-3333 पर कॉल कर अधिक जानकारी ले सकते हैं |

कुसुम योजना राजस्थान के तहत अधिक जानकारी के लिए क्लिक करें

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लिस्ट आ गई है, यह किसान सब्सिडी पर ले सकेंगे कृषि यंत्र

कृषि यंत्र हेतु चयनित किसान लिस्ट

सरकार द्वारा किसानों को कृषि यंत्र सब्सिडी पर देने के लिए कई योजनाओं का क्रियान्वन किया जाता है | इन योजनाओं का लाभ किसानों को मिल सके इसके लिए समय समय पर किसानों से आवेदन मांगे जाते हैं | अलग–अलग कृषि यंत्रों एवं सिंचाई साधनों पर किसानों को उनके वर्ग के अनुसार सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान रहता है | किसानों को कृषि यंत्र जिले के लक्ष्य के अनुसार दिए जाते हैं | जिस किसान को सूचि में नाम आता है वह किसान अनुदान पर कृषि यंत्र ले सकते हैं | पहले किसानों को कृषि यंत्र पहले आव और पहले पाओ के आधार पर दिए जाते थे परन्तु अब सरकार के द्वारा नियमों में परिवर्तन किया गया है |

मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य में कृषि यंत्र एवं सिंचाई यंत्र के लिए पिछले वर्ष से लॉटरी सिस्टम लागू किया गया है | कम्प्यूटर के द्वारा लॉटरी के माध्यम से जिलेवार किसानों कि सूचि बनाई जाती है | इसी के आधार पर किसानों को कृषि यंत्र दिए जाते हैं |

लॉटरी के माध्यम से चयनित किसानों की सूचि जारी

इस वर्ष के कृषि यंत्र किसानों के लिए देने के लिए 13 जून 2020 से 22 जून 2020 तक आवेदन मांगे गए थे | बाद में इसे बढ़ाकर 26 जून कर दिया गया था | 27 जून 2020 को लाँटरी सिस्टम के माध्यम से चयनित किसानों की सूचि जारी कर दी गई है | किसान समाधान मध्य प्रदेश में लाँटरी सिस्टम से जारी किसानों कि सूचि लेकर आया है |

इन कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के लिए किये गए थे आवेदन

13 जून 2020 से मध्य प्रदेश में राज्य के किसानों के लिए इन कृषि यंत्रों के लिए आवेदन मांगे गए थे जो इस प्रकार है :-

  • पावर वीडर
  • लेजर लेंड लेवलर
  • पावर टिलर – 8 बी.एच.पी. से अधिक
  • क्लीनर – कम – ग्रेडर /मिनी दाल मिल
  • सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल /जीरो टिल सीड कम फर्टिलाइजर ड्रिल
  • रेज्ड बेड प्लान्टर/रिजफर्रो प्लान्टर/मॉल्टीक्रॉप प्लान्टर/रेज्ड बेड प्लांटर विथ इन्कलाइंड प्लेट एंड शेपर
  • रोटावेटर

कृषि यंत्र सब्सिडी हेतु चयनित किसान लिस्ट कैसे देखें ?

नीचे किसान समाधान द्वारा लिस्ट देखने के लिए लिंक दी गई है | किसान भाई उस लिंक को जैसे ही खोलेंगे वैसे ही कृषि अभियांत्रिकी के पोर्टल e-कृषि यंत्र अनुदान पर प्राथमिकता सूचि देखने के लिए पेज खुल जाएगा | याद रहे दिए जाने वाले सभी कृषि यंत्र “कृषि अभियांत्रिकी” विभाग द्वारा दिए जा रहें हैं | ऊपर विडियो में इसके आगे की प्रक्रिया बताई गई है | किसान अधिक जानकारी के लिए जिला कृषि विभाग अथवा कृषि अभियांत्रिकी संचनालय में संपर्क कर सकते हैं |

इस लिस्ट में लक्ष्य से अधिक किसानों का नाम है जिसमें यदि चयनित किसान यंत्र नहीं लेते हैं तो वह यंत्र लेने का मौका अन्य किसानों को दिया जायेगा | उदहारण के लिए यदि किसी जिले में 4 किसानों को सम्बन्धित कृषि यंत्र Alloted किया गया है तो उसके अलावा 10 अन्य किसान हैं जो वेटिंग (Waiting) मे है अर्थात इन किसानों को सम्बंधित कृषि यंत्र तब ही दिया जायेगा जब ऊपर के चयनित किसान किसी कारण से कृषि यंत्र नहीं लेते हैं |

कृषि यंत्र अनुदान हेतु चयनित किसान लिस्ट देखने के लिए क्लिक करें

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लॉक डाउन में बिजली बिल की दरों में दी जा रही है 50 प्रतिशत की छूट

बिजली बिल की दरों में छूट

देश भर में लॉकडाउन 24 मार्च से लागू होने के कारण सभी को आर्थिक रूप से काफी नुकसानी का सामना करना पड़ा है | इसको देखते हुए अलग–अलग राज्य सरकार के साथ केंद्र सरकार किसानों को आर्थिक सहयोग कर रहा है | इस क्रम में मध्य प्रदेश सरकार ने किसानों को कृषि के साथ–साथ घरेलू बिजली बिल में राहत देने का फैसला लिया है | यह छुट किसानों को 50 प्रतिशत तक दिया जा रहा है | इसके साथ ही राज्य सरकार ने कृषि के क्षेत्र में हार्स पावर के आधार पर फ्लेट रेट फिक्स कर दिया है | किसान अपने सुविधा के अनुसार हार्स पावर को चयन कर सकता है | राज्य सरकार ने किसानो के सिंचाई के साथ–साथ घरेलू बिजली कि समय भी तय कर दिया गया है | किसान समाधान इसकी पूरी जानकारी लेकर आया है |

सरकार द्वारा दी गई घरेलू कनेक्शन में छूट

  • प्रदेश के ऐसे सभी घरेलू उपभोगता जो संबल योजना के हितग्राही है एवं जिनके माह अप्रैल, 2020 में देयक की राशि 100 रूपये तक थी, उनके आगामी तीन माह अर्थात मई, जून एवं जुलाई, 2020 में देयक राशि 100 रूपये तक आने पर उनसे इन तीन माहों में मात्र 50 रूपये प्रति माह लिया जा रहा है |
  • ऐसे सभी घरेलू उपभोगता जिनके माह अप्रैल, 2020 में देयक की राशि 100 रूपये तक थी, उनके आगामी तीन माह अर्थात मई, जून एवं जुलाई, 2020 में देयक राशि 100 रूपये से 400 रूपये तक आने पर उनसे इन तीन माहों में मात्र 100 रूपये प्रति माह की राशि ली जा रही है |
  • प्रदेश में एसे घरेलू उपभोक्ता जिनकी माह अप्रैल, 2020 में देयक राशि 100 रूपये से अधिक परन्तु 400 रूपये या उससे कम थी, उनके मई, जून एवं जुलाई, 2020 में देयक राशि 400 रूपये से अधिक आने पर उनसे इन माहों में देयक की राशि का मात्र 50 प्रतिशत लिया जा रहा है | ऐसे उपभोक्ताओं के देयकों की शेष 50 प्रतिशत राशि के भुगतान के संबंध में देयकों की जांच के बाद निर्णय लिया जायेगा |

सिंचाई के लिए सरकार ने तय की दरें

मध्यप्रदेश के कृषि उपभोक्ताओं को फ्लेट रेट के 10 हार्सपावर तक के पंप पर 700 रूपये प्रति हार्सपावर प्रतिवर्ष की दर से तथा 10 हार्सपावर से अधिक के फ्लेट रेट उपभोक्ताओं को 1400 रूपये प्रति हार्स पावर प्रतिवर्ष की दर से बिजली दी जा रही है | इसके साथ ही एक हेक्टेयर तक कृषि भूमि वाले अनुसूचित जाति / जनजाति उपभोक्ताओं के 5 हार्सपावर तक के कनेक्शन में नि:शुल्क विधुत प्रदाय किया जा रहा है |

घर के लिए 24 घंटे एवं सिंचाई के लिए दस घंटे बिजली

मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में संपन्न हुए बैठक के बाद मुख्यमंत्री ने यह जानकारी दिया कि सिंचाई के लिए किसानों को 10 घंटे बिजली एवं घरेलू उपभोक्ता को 24 घंटे बिजली मिले यह सुनिश्चित किया जाए | प्रदेश में जरूरत से अधिक बिजली उपलब्ध है, अत: बिजली आपूर्ति में कमी नहीं किया जायेगा |

आवश्यकता से अधिक बिजली उपलब्ध है

श्री चौहान ने कहा है कि प्रदेश में सिंचाई के लिए किसानों को 10 घंटे बिजली एवं घरेलू उपभोक्ताओं को 24 घंटे बिजली मिले यह सुनिश्चित किया जाए। प्रदेश में जरूरत से अधिक बिजली उपलब्ध है, अत: बिजली आपूर्ति में कमी नहीं आनी चाहिये। इसके लिए बिजली विभाग सिस्टम ठीक करे, व्यवस्थाएँ सुधारे। कृषि पंपों के लिए दिए जाने वाली बिजली संबंधी सहायता की राशि सीधे किसानों के खातों में डाली जाएगी। अत: यह सुनिश्चित किया जाए कि लाभ लेने वाला हर किसान बिजली का बिल भरे।

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