किसान 30 जून तक बेच सकेंगे समर्थन मूल्य पर चना, मसूर एवं सरसों की उपज

समर्थन मूल्य पर चना, मसूर एवं सरसों की उपज

कोरोना वायरस संक्रमण के चलते इस वर्ष रबी फसलों की खरीदी देरी से शुरू हुई थी, साथ ही संक्रमण रोकने के लिए कम संख्या में किसानों को खरीदी केन्द्रों पर बुलाये जाने के कारण अभी तक फसल खरीद का कार्य पूरा नहीं हो पाया है | वहीँ मानसूनी बारिश शुरू हो गई है एवं किसानों ने खरीफ फसलों की बुआई का काम भी शुरू कर दिया है | मध्यप्रदेश के किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री श्री कमल पटेल ने निर्देशित किया है कि चने के उपार्जन में किसी प्रकार की लापरवाही नहीं बरती जाये। उन्होंने कहा कि चना, मसूर, सरसों का उपार्जन 30 जून तक होना है।

किसानों को भेजे जाएगें एसएमएस (SMS)

मंत्री श्री पटेल ने कहा है कि ऐसे किसान, जो एसएमएस मिलने के बाद भी चना मण्डी तक नहीं ले जा पाये हैं, उन्हें विभाग द्वारा पुन: एसएमएस भेजे जायेंगे। वे अपनी उपज समर्थन मूल्य पर मण्डी में विक्रय कर सकेंगे। उन्होंने कहा है कि चना, मसूर, सरसों का उपार्जन आगामी 30 जून तक किया जायेगा, किसानों की उपज का एक-एक दाना खरीदा जायेगा।

शेड में किया जाएगा खरीदी कार्य

चना, मसूर एवं सरसों के उपार्जन के लिए निर्देश दिए गए हैं की खरीदी का कार्य मण्डी शेड में ही किया जाना सुनिश्चित किया जाये | चना, मसूर, सरसों की खरीदी की तिथि भारत सरकार की समर्थन मूल्य नीति के अनुसार 29 जुलाई तक होना संभावित है। इसे दृष्टिगत रखते हुए खरीफ फसलों की खरीदी जारी रखी जाए |

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15 लाख से अधिक किसानों के बैंक खातों में दिया गया असमय बारिश एवं ओलावृष्टि से हुई फसल नुकसानी का मुआवजा

असमय बारिश एवं ओलावृष्टि का मुआवजा

बेमौसम बारिश तथा आंधी और ओलावृष्टि के कारण किसानों को रबी फसलों को काफी नुकसान हुआ था | उत्तर भारत के कई राज्य इस आपदा से प्रभावित रहें हैं | जिन राज्यों में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागु है वहाँ के किसानों को बीमा राशि किसानों के बैंक खातों में ट्रांसफर की जा रही है | कुछ ऐसे भी राज्य हैं जहाँ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागु नहीं है | यहाँ पर राज्य सरकार ने किसानों को सहायता राशि प्रदान की गई है | इस तरह बिहार राज्य में फरवरी, मार्च तथा अप्रैल के माह में रबी फसल को काफी नुकसान हुआ था, राज्य सरकार के द्वारा इस नुकसान की भरपाई के लिए आवेदन मांगे थे |  

बिहार सरकार ने कृषि इनपुट योजना के तहत नुकसान हुए जिलों के किसानों से आवेदन मांगे थे | जिसके आधार पर किसानों को मुआवजा राशि दी जानी हैं | इसके लिए आवेदन फरवरी, मार्च तथा अप्रैल माह में किया जा रहा था | इसको लेकर सरकार ने बताया है कि राज्य में कुल 5,11,31,70,660 रूपये 15,93,320 किसानों के खातों में स्थान्तरित किए गये हैं | किसान समाधान इस योजना से बिहार के किसानों को दिये गये लाभ कि जानकारी लेकर आया है |

इन किसानों को दिया गया फसल नुकसानी का मुआवजा

इस वर्ष फरवरी, मार्च एवं अप्रैल माह में हुई असामयिक वर्षा/ आंधी / ओलावृष्टि के कारण क्षति की भरपाई हेतु अभी तक 15,93,320 किसानों के बैंक खाते में कृषि इनपुट अनुदान के रूप में 5,11,31,70,660 रूपये अंतरित कर दी गई है, जिनमें फरवरी माह में हुई फसल क्षति के लिए 10,95,122 किसानों के खातों में 3,77,97,31,084 रूपये तथा अप्रैल माह में हुई फसल क्षति के लिए 3,03,386 किसानों के खाते में 76,68,79,881 रूपये शामिल है |

इसके अलावा इस वर्ष अप्रैल माह में रबी मौसम असामयिक वर्षापात/ओलावृष्टि के कारण कृषि एवं बागवानी फसल अर्थात आम, लीची, फुल, सब्जी, पान आदि की खेती को हुए क्षति की भरपाई हेतु कृषि इनपुट अनुदान के लिए किसानों ने आवेदन किया है | इसकी जाँच चल रही है तथा जल्द ही कृषि इनपुट अनुदान दिया जायेगा |

कृषि इनपुट योजना के तहत शामिल जिले

कृषि इनपुट योजना के लिए फरवरी, मार्च तथा अप्रैल माह में आवेदन किया गया था | तीनों माह में जिलों की संख्या अलग–अलग थी |

फरवरी माह में इन 11 जिलों को किया गया था शामिल

भागलपुर, जहानाबाद, कैमूर, पूर्वी चंपारण, समस्तीपुर, वैशाली, बक्सर, गया, मुजफ्फरपुर, पटना तथा औरंगाबाद, जिलों को शामिल किया गया था |

मार्च माह में 23 जिलों को शाकिया गया था शामिल

पटना, नालंदा, भोजपुर, बक्सर, रोहतास, भभुआ, गया, जहानाबाद, अरवल, नवादा, औरंगाबाद, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पश्चिमी चम्पारण, दरभंगा, समस्तीपुर, मुंगेर, शेखपुरा, लखीसराय, भागलपुर, बाँका, मधेपुरा तथा किशनगंज के 196 प्रखंडों को शमिल किया गया था |

अप्रैल माह में 19 जिलों को कृषि इनपुट के लिए शामिल किया गया था

गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्वी चम्पारण, पश्चिमी चम्पारण, समस्तीपुर, बेगुसराय, लखीसराय, खगड़िया, भागलपुर, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, पूर्णिया, किशनगंज तथा अररिया के प्रतिवेदित 148 प्रखंडों में खाद्यान के साथ – साथ बागवानी फसलों को क्षति हुई थी |

योजना के तहत दिया गया मुआवजा

प्रभावित जिलों के किसानों को कृषि इनपुट अनुदान वर्षाश्रित यानी असिंचित फसल क्षेत्र के लिए 6,800 रूपये प्रति हेक्टेयर, सिंचित क्षेत्र के लिए किसानों को 13,500 रूपये प्रति हेक्टेयर तथा शाश्वत फसल के लिए 18,000 रूपये हेक्टेयर की दर से यह अनुदान दिया जा रहा है | सरकार द्वारा प्रभावित किसानों को इस योजना के अंतर्गत फसल क्षेत्र के लिए कम से कम 1,000 रूपये अनुदान दिया जायेगा | यह पैसा किसान के आधार नंबर से जुड़े बैंक खाता में दिया गया है |

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पशुओं एवं फसलों की सुरक्षा के लिए 19 जून से शुरू की जाएगी रोका-छेका योजना

फसलों और पशुओं की सुरक्षा के लिए रोका-छेका योजना

देश बढती पशुओं की संख्या एवं कम होते चारागाह के कारण पशुपालक अपने पशुओं को खुले में छोड़ देते हैं | इतना ही नहीं कम दूध देने वाले पशुओं को पालने में खर्चा अधिक होने के कारण भी पशु मालिक अपने पशुओं को छोड़ देते हैं और इन आवारा पशुओं से फसलों को काफी नुकसान होता है  | किसानों की बहुत लम्बे समय से इस समस्या के समाधान की मांग किसानों द्वारा की जा रही थी | इस योजना के समाधान के लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा प्रदेश में फसलों और पशुओं को सुरक्षित रखने के लिए 19 जून से रोका-छेका संकल्प अभियान की शुरूआत की जा रही है। यह अभियान 30 जून तक चलेगा।

क्या है रोका-छेका योजना

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मंशा के अनुरूप गांवों में खरीफ फसलों की मवेशियों से सुरक्षा के उद्देश्य से खुले में चराई की रोकथाम के लिए रोका-छेका योजना शुरू की गई है | रोका-छेका छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरा है। इसके जरिए फसलों की सुरक्षा के लिए ग्रामीण इस बात का संकल्प लेते है कि खरीफ फसल के दौरान अपने मवेशियों को बाड़े और गौठान में ही रखेंगे। छत्तीसगढ़ राज्य में प्रदेश सरकार द्वारा फसल उत्पादकता को बढ़ावा देने के साथ ही दलहनी – तिलहनी फसलों की खेती सब्जी, फलोत्पादन एवं रबी की खेती को प्रोत्साहित किया जा रहा है। बारहमासी खेती को बढ़ावा देने और फसलों की सुरक्षा के लिए पशुओं की खुले में चराई को रोकना जरूरी है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर रोका-छेका की प्राचीन परंपरा को वर्तमान परिवेश में ग्रामीणों के सहयोग से और अधिक प्रभावी ढंग से लागू करने की पहल शासन द्वारा शुरू की गई है।

रोका-छेका योजना के लिए ग्रामों में व्यवस्था

छत्तीगसढ़ सरकार की सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में नरूवा, गरूवा, घुरूवा, बाड़ी कार्यक्रम संचालित है। गांवों में पशुओं के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए सामूहिक गौठान बने है। गौठानों के बन जाने से गांवों में पशुओं की देख-रेख एवं उनके चारे-पानी का प्रबंध बेहतर ढंग से होने लगा है। रोका-छेका की उपयोगिता इसलिए भी बढ़ गई है क्योंकि अब सामूहिक गौठान के रूप में विकल्प ग्रामीणों के पास उपलब्ध हैं, जहां मवेशियों के लिए पर्याप्त मात्रा में चारा है। जिले में गौठान न केवल पशुधन संवर्धन के केंद्र के रूप में उभरे हैं अपितु आजीविका मूलक गतिविधियों के सृजन के लिए भी माध्यम बने हैं।

बनाये जाएंगे किसान क्रेडिट कार्ड

गांवों में रोका-छेका के आयोजन के दौरान स्व-सहायता समूहों द्वारा उत्पादित सामग्री का वितरण किया जाएगा। गौठानों में पशुचिकित्सा तथा पशुस्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया जाएगा। पशुपालन एवं मछलीपालन हेतु किसान क्रेडिट कार्ड बनाने शिविर का आयोजन किया जाएगा। कृषि, पशुपालन, मछलीपालन की विभिन्न योजनाओं का लाभ दिया जाएगा। गौठानों में पैरा संग्रहण एवं भंडारण का अभियान भी शुरू होगा।

रोका-छेका योजना के लिए नगरीय निकायों में व्यवस्था

नगरीय क्षेत्रों को आवारा पशु से मुक्त, साफ-सुथरा एवं दुर्घटना मुक्त रखने के लिए 19 जून से 30 जून तक प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में भी ‘‘रोका-छेका-संकल्प अभियान’’ चलाया जाएगा। साथ ही 19 जून को पशुपालकों से अपने आसपास के वातावरण तथा शहर को स्वच्छ, साफ-सुथरा तथा दुर्घटनामुक्त रखने के लिए संकल्प पत्र भरवाया जाएगा, जिसके लिए नगरीय निकायों में मुनादी के द्वारा व्यापक प्रचार-प्रसार किया जाएगा।

पहले से निर्मित नगरीय निकायों में निर्मित गोठान और गोठानों की क्षमता का आंकलन किया जायेगा और इसमें आवश्यक संधारण कार्य कराकर चारे की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित किया जायेगा | निकाय के अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि कोई भी मवेशी निकाय की सड़कों, सार्वजनिक स्थलों पर आवारा घूमते हुए नहीं पाया जाए। आवारा घूमते हुए पशुओं को काउ कैचर द्वारा गौठान भेजने की प्रभावी व्यवस्था की जाएगी। पालतू पशुओं को नियमानुसार शुल्क, जुर्माना का भुगतान करने के बाद ही मुक्त कर संबंधित पशुपालक को सौंपा जाएगा। यदि कोई मवेशी 30 जून के बाद निकाय क्षेत्र में अनियंत्रित खुले में घूमता हुआ पाया जाता है तो उसके लिए संबंधित नगरीय निकाय के आयुक्त, मुख्य नगरपालिका अधिकारी जिम्मेदार होंगे।

पशु मालिको पर की जाएगी कार्यवाही

नगरीय निकायों द्वारा प्रत्येक वार्ड में वार्ड प्रभारी की नियुक्ति की जाएगी | उनके द्वारा 18 जून तक वार्ड का सर्वेक्षण कर, वार्ड में निवासरत पशुपालकों के नाम और पालतू पशुओं की जानकारी एकत्र की जाएगी । इसके बाद 19 जून को वार्ड के सर्वेक्षित पशुपालकों से निर्धारित संकल्प पत्र हस्ताक्षर सहित प्राप्त किया जाएगा । पशुओं से संबंधित रिकार्ड और हस्ताक्षरित संकल्प पत्र, वार्ड कार्यालय और नगरीय निकाय कार्यालय के रिकार्ड में रखे जाएगें। पशुपालन के लिए समुचित व्यवस्था रखने हेतु प्रोत्साहित किया जाएगा ।

निकायों में स्थित कांजी हाउस, गोठान की जानकारी से समस्त नागरिकों को अवगत कराया जायेगा। साथ ही घूमते पाए जाने वाले आवारा पशुओं के लिए निकाय द्वारा निर्धारित दण्ड के बारे में भी व्यापक प्रचार-प्रसार किया जायेगा । पशुपालन से उत्सर्जित पदार्थों से उपयोगी सामग्री यथा-खाद इत्यादि बनाये जाने के लिए पशुपालकों को प्रोत्साहित किया जायेगा और पशुपालन स्थल पर खाद निर्माण के लिए स्थल कमी की स्थिति में निकायों में स्थित कम्पोस्ट शेड की जानकारी से अवगत किया जायेगा |

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पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट एवं रेनगन सब्सिडी पर लेने के लिए अभी आवेदन करें

पंप सेट, पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट एवं रेनगन अनुदान हेतु आवेदन

खरीफ फसलों की बुआई का समय शुरू हो गया है | खरीफ फसलें सामान्यतः मानसूनी बारिश के ऊपर निर्भर करती है परन्तु कई बार बारिश सही समय पर न होना या कम बारिश के चलते किसानों को फसलों का काफी नुकसान उठाना पड़ता है ऐसे में जरुरी है की किसान सिंचाई की व्यवस्था रखें | किसानों को सिंचाई की समुचित व्यवस्था उपलब्ध करवाने के लिए सरकार के द्वारा सिंचाई यंत्रों पर आर्थिक मदद दी जाती है | किसानों को सिंचाई के उपयुक्त साधन उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई योजनाओं का क्रियान्वन किया जा रहा है |

केंद्र सरकार द्वारा किसानों को सिंचाई यंत्र अनुदान पर देने हेतु कई योजनाएं चल रही है | यह योजनायें लगभग देश के सभी राज्यों में लागू है | यह योजनाएं हैं प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन एवं राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन तिलहन (ऑइल सीड्स एंड ऑइल पाम) योजना आदि के तहत अलग अलग वर्ग के किसानों को अलग अलग सब्सिडी दी जाती है यह राज्य के अनुसार अलग-अलग होती है | मध्यप्रदेश राज्य सरकार द्वारा राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन NFSM योजना अंतर्गत पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट एवं रेनगन सब्सिडी पर देने के लिए किसानों से आवेदन आमंत्रित किये गए हैं | किसान अपने वर्ग के अनुसार सब्सिडी योजना के तहत दी जाने वाले अनुदान की मात्रा सब्सिडी कैलकुलेटर पर देख सकते हैं |

किसान सिंचाई यंत्रों के लिए कब आवेदन कर सकेगें

मध्यप्रदेश राज्य के सभी वर्ग के किसान सिंचाई यंत्रों (पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट तथा रेनगन) के लक्ष्य दिनांक 17 जून 2020 दोपहर 12 बजे से 28 जून 2020 तक पोर्टल पर आवेदन हेतु उपलब्ध रहेंगे। जिसकी लॉटरी दिनांक 29 जून 2020 को सम्पादित की जायेगी, तत पश्चयात चयनित कृषकों की सूची एवं प्रतीक्षा सूची पोर्टल पर उपलब्ध हो जाएगी |

किसान किन सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं ?

  • पाइपलाइन,
  • स्प्रिंकलर सेट,
  • पंप सेट,
  • रेनगन

आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक सत्यापन की जगह ओ.टी.पी (OTP) से होगा पंजीकरण

इस वर्ष Covid -19 महामारी जनित परिस्थितियों के कारण पोर्टल पर अनुदान हेतु प्रक्रिया में परिवर्तन किया जा रहा है जिसके अंतर्गत आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक प्रक्रिया के स्थान पर कृषकों के मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किये जायेगें । कृषक कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकेंगे।  आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी  (OTP) प्राप्त होगा।  इस OTP के  माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे। पोर्टल अंतर्गत आगे सम्पादित होने वाली सभी प्रक्रियाओं में भी बायोमेट्रिक के स्थान पर OTP व्यवस्था लागू की गई है।

सिंचाई यंत्र आवेदन करते समय यह दस्तावेज साथ रखें

  • आधार कार्ड
  • बैंक पासबुक के प्रथम पृष्ट की कापी
  • जाति प्रमाणपत्र (केवल अनुसूचित जाति एवं जनजाति कृषकों के लिए)
  • बिजली कनेक्शन का प्रमाणपत्र जैसे बील
  • मोबाइल नम्बर ओ.टी.पी (OTP) हेतु

सिंचाई यंत्रों पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट, पंप सेट एवं रेनगन सब्सिडी हेतु आवेदन कैसे करें

किसान भाइयों को सिंचाई यंत्र अनुदान पर लेने के लिए ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं | जो किसान भाई एम.पी. ऑनलाइन या किसी इंटरनेट कैफ़े से कर सकते हैं | किसान https://dbt.mpdage.org/Agri_Index.aspx दी गई लिंक पर आवेदन कर सकते हैं | किसान सिंचाई यंत्र आवेदन करने के बाद चयन होने पर ही क्रय करें | अधिक जानकारी के लिए किसान जिला कृषि विभाग में भी संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं |

पंप सेट, पाइपलाइन, स्प्रिंकलर सेट एवं रेनगन अनुदान पर लेने हेतु आवेदन करें 

ड्रिप और स्प्रिंकलर सब्सिडी पर इस तरह से लें

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औषधीय और सुगंधित पौधों की फोटोग्राफी प्रतियोगिता में हिस्सा लें और जीते 5000 रुपये तक का ईनाम

सुगंधित एवं औषधीय पौधों की प्रतियोगिता

भारत में औषधीय पौधों का स्थान बहुत महत्वपूर्ण रहा है, सदियों से बिमारियों का इलाज जड़ी-बूटी से किया जाता रहा है | एक बार फिर से सरकार के द्वारा औषधीय फसलों एवं सुगन्धित पोधों की खेती को बढाया जा रहा है | औषधीय और सुगंधित पौधों ने हमेशा से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है। इनमें से कुछ पौधे अविश्वसनीय रूप से सुंदर होते हैं जबकि कुछ विशेष स्थानों पर ही पाए जाते हैं। बहुत से लोग इन पौधों में से अधिकांश की उपयोगिता और औषधीय महत्व से पूरी तरह परिचित नहीं हैं। इन पौधों की उपयोगिता के बारे में जागरूकता पैदा करने के प्रयास के तहत, केंद्रीय औषधीय और सुगंध पौधा संस्थान (सीआईएमएपी) ने औषधीय और सुगंधित पौधों पर एक फोटोग्राफी प्रतियोगिता की घोषणा की है। इस प्रतियोगिता के माध्यम से, सीआईएमएपीइन औषधीय पौधों के संरक्षण का संदेश भी देना चाहता है ।

क्या है औषधीय और सुगंधित पौधों की फोटोग्राफी प्रतियोगिता

प्रतियोगिता का विषय है – ‘अपने औषधीय और सुगंधित पौधे (एमएपी) को जानें। ’पहले, दूसरे और तीसरे स्थान के विजेताओं को नकद पुरस्कार के रूप में क्रमशः 5000 रुपये, 3000 रुपये और 2000 रुपये दिए जायेंगे। इसके अलावा, 1000 रुपये प्रत्येक के 10 सांत्वना पुरस्कार भी होंगे। प्रतियोगिता सभी भारतीय शौकिया (ऐमचर) और पेशेवर फोटोग्राफरों के लिए खुली है। प्रत्येक प्रविष्टि के लिए अधिकतम तीन फोटोग्राफ प्रस्तुत किए जा सकते हैं। स्वदेशी पौधों को प्राथमिकता दी जायेगी और संस्थान ने बागवानी या सजावट के सामान्य पौधों की तस्वीरों से बचने का अनुरोध किया है।

किस तरह ले प्रतियोगिता में हिस्सा

  • प्रत्येक तस्वीर में पौधे का सही लैटिन और स्थानीय भाषा में नाम होना चाहिए और 20-30 शब्दों में इसके औषधीय और सुगंधित महत्व के बारे लिखा होना चाहिए।
  • केवल मौलिक व डिजिटल तस्वीरों को ही स्वीकार किया जाएगा |
  • प्रविष्टियों को ए4 पृष्ठ पर रंग के साथ छपा होना चाहिए।
  • डिजिटल इमेज, एंट्री 300 डीपीआई के न्यूनतम रिज़ॉल्यूशन के साथ 3 एमबी आकार से कम का नहीं होना चाहिए।
  • तस्वीर जेपीईजी या टीआईएफएफ प्रारूप में होनी चाहिए |
  • डिस्प्ले रिज़ॉल्यूशन 1086 x 768 होना चाहिए और लम्बवत आकार 1086 से अधिक नहीं होना चाहिए।
  • रॉ फ़ाइलों को बाद की तारीख में जमा करने के लिए कहा जा सकता है यदि तस्वीर को पुरस्कार के लिए चुना जाता है।

प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए फोटो कहाँ भेजे ?

प्रतिभागी को स्व-घोषणा करनी होगी कि फोटो को प्रतियोगिता में प्रवेश पाने के लिए मेल भेजने वाले व्यक्ति द्वारा स्वयं शूट किया गया है। विजेता फोटो का कॉपीराइट फोटोग्राफर के पास रहेगा, लेकिन सीआईएमएपीको प्रविष्टियों को प्रदर्शित करने और औषधीय व सुगंधित पौधों के प्रचार के लिए प्रचार सामग्री के रूप में उपयोग करने का अधिकार होगा ।

सीएसआईआर-सीआईएमएपी, लखनऊ के निदेशक द्वारा नामित जजों द्वारा विजेताओं को चुना जाएगा। जजों का फैसला अंतिम होगा। विजेताओं की घोषणा सीएसआईआर-सीआईएमएपी के वार्षिक दिवस के अवसर पर की जाएगी। डिजिटल चित्र [email protected] पर ई-मेल किए जाने चाहिए। प्रविष्टि जमा करने की अंतिम तिथि 30 जून, 2020 है। प्रतियोगिता से सम्बंधित अन्य जानकारी www.cimap.res.in पर उपलब्ध हैं।

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धान के अधिक उत्पादन के लिए इस तरह करें बीज शोधन

धान हेतु बीज शोधन

मानसूनी बारिश सही समय पर आने की सम्भावना को देखते हुए किसानों खरीफ फसलों की बुआई की तैयारी शुरू कर दी है  | खरीफ फसलों में सबसे महत्वपूर्ण हैं धान की खेती | देश के अधिकांश किसानों ने धान की नर्सरी डालने का काम शुरू भी कर दिया गया है | अगेती धान की नर्सरी डाली जा चुकी है तो वहीँ मध्य अवधि तथा पिछेती धान कि खेती के लिए नर्सरी देने का काम जोरों पर चल रहा है | धान कि खेती से पहले इस बात को जानना जरुरी है कि धान कि फसल में लगने वाले रोगों को कैसे रोका जा सकता है | कुछ रोग तथा कीटों को धान कि बुवाई के समय ही यदि बीजों का शोधन किया जाए तो आगे लगने वाले कीट रोगों से बचाया जाता है | जिससे धान की फसल की लागत कम की जा सकती है तथा अधिक उत्पादन से आय में भी वृद्धि की जा सकती है | किसान समाधान धान की नर्सरी तैयार करने से पहले विभिन्न रोग से बचाव के लिए विभिन्न प्रकार के रसायनिक विधि द्वारा रोकथाम करने की जानकारी लेकर आया है |

धान बीज शोधन के लिए महत्वपूर्ण बातें

  • खेत में बुआई अथवा रोपाई पूर्व पुष्ट बीज का चयन आवश्यक है ।
  • इस कार्य के लिये सबसे पहले बीज को नमक के घोल में डालें । दस लीटर पानी में 1.7 किलो सामान्य नमक डालकर घोल बनाएं और इस घोल में बीज डालकर हिलाएं, भारी एवं स्वस्थ बीज नीचे बैठ जाएंगे और हल्के बीज ऊपर तैरने लगेंगे । हल्के बीज निकालकर अलग कर दें तथा नीचे बैठे भारी बीजों को निकालकर साफ पानी में दो-तीन बार धोएं व छाया में सुखाए ।
  • कवकनाशी दवाओं से बीज का उपचार करने से बीजों के माध्यम से फैलने वाले कवकजनित रोग फैलने की आशंका नहीं रहती है । इसके लिए बीजों को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें । बीज उपचार के लिये बीज उपचार यंत्र (सीड ट्रीटिंग ड्रम) में बीज आधा भर लेते हैं तथा बीज की मात्रा के अनुसार आवश्यक कवकनाशी डालकर घुमा कर 5 मिनट बाद बीज की बुआई की जा सकती है ।
  • प्रमाणित किस्म के बीज का उपयोग करने पर नमक के घोल में डुबोने की आवश्यकता नहीं होती है ।

झुलसा एवं सडन रोग से बचाव के लिए बीज शोधन

धान की फसल में विभिन्न प्रकार के रोग लगते हैं इसमें से सडन तथा झुलसा रोग महत्वपूर्ण है | इस रोग से कभी–कभी 50 प्रतिशत तक फसल का नुकसान हो जाता है | इस रोग से बचाव के लिए धान की नर्सरी तैयार करने से पहले ही बीजोपचार करें | इससे बीजों का अंकुरण अच्छा होता है एवं फसलें फफूंदी जनित रोगों से मुक्त रहती है |

भूमि शोधन के लिए 2.5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर ट्राईकोडर्मा को लगभग 75 किलोग्राम गोबर कि सड़ी खाद में मिलाकर हल्के पानी का छींटा देकर 7–8 दिन के लिए छायादार स्थान पर रखें एवं बुवाई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला दें | बीजशोधन के लिए 04 किलोग्राम ट्राईकोडर्मा प्रति किलोग्राम बीज की दर से शुष्क बीजोपचार कर बुवाई करना चाहिए | इसी प्रकार ब्युवेरिया जैव कीटनाशी विभिन्न फसलों में लगने वाले फ्लाई वेधक, पत्ती लपेटक, पत्ता भक्षक, चूसने वाले कीटों और भूमि में दीमक व सफेद गिडार आदि की रोकथाम के लिए लाभकारी है | इसका उपयोग ट्राईकोडर्मा के समान होता है |

बैक्टरियल ब्लाईटरोग से प्रभावित क्षेत्र के लिए बीज शोधन

बैक्टरिया ब्लाईट रोग से प्रभावित क्षेत्र में 25 किलोग्राम बीज के लिए 04 किलोग्राम स्ट्रेप्टोसाईक्लिन या 40 ग्राम प्लाटोमाइसिन पानी में मिलाकर रात भर बीज को भिगोकर, दुसरे दिन छाया में सुखाकर नर्सरी में डालना चाहिए | इसके अतिरिक्त 25 किलोग्राम बीज को रात भर पानी में भिगोकर बाद में दुसरे दिन अतिरिक्त पानी निकालकर 75 ग्राम थीरम या 50 ग्राम कार्बेन्डाजिम को 8 – 10 ली. पानी में घोलकर बीज में मिला दें फिर छाया में अंकुरित कर नर्सरी में डालें | नर्सरी लगने के 10 दिन के भीतर ट्राईकोडर्मा का एक छिडकाव कर दें | यदि नर्सरी में कीटों का प्रभाव दिखाई दे तो 1.25 ली. क्यनालफास 25 ईसी या 1.5 ली. क्लोरपायरिफास 20 ईसी प्रति हेक्टेयर में छिडकाव करें |

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अनुदान पर औषधीय फसलों की खेती करने के लिए आवेदन करें

सब्सिडी पर औषधीय फसलों की खेती

किसानों की आय को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा अब औषधीय फसलों को बढ़ावा दिया जा रहा है  | आयुष पद्धति को बढ़ावा देने के लिए औषधीय पौधों का बढ़ावा देना जरुरी है | अभी हाल में भारत सरकार के द्वारा हर्बल खेती को बढ़ावा देने के लिए आत्मनिर्भर भारत के तहत नई योजना की घोषणा की है | वहीँ पहले से चली आ रही योजनाओं के बजट को बढाया गया है |  मध्यप्रदेश राज्य सरकार के उद्यानिकी विभाग के द्वारा किसानों से औषधीय एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना एवं नश्वर उत्पादों की भण्डारण क्षमता में वृद्धि की विशेष योजना के तहत किसानों से आमंत्रित किये गए हैं |

औषधीय एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना क्या है

मध्य प्रदेश में औषधीय पौधों की खेती को बढ़ावा देने के लिए औषधीय एवं सुगन्धित फसल क्षेत्र विस्तार योजना के अंतर्गत किसानों को अनुदान देती है | योजना के तहत कृषक को स्वेच्छा से क्षेत्र के अनुकूल औषधीय एवं सुगंधित फसल के क्षेत्र विस्तार हेतु फसलवार 20 से 50 प्रतिशत तक का अनुदान देय है | प्रत्येक कृषक को योजनान्तर्गत 0.25 हेक्टेयर से 2 हेक्टेयर तक लाभ देने का प्रस्ताव है |

किसान इन औषधीय फसलों के तहत कर सकते हैं आवेदन

योजना
घटक
जिला
वर्ग
   

औषधीय एवं सुगंधित फसल क्षेत्र विस्तार योजना

अश्वगंधा, तुलसी, स्टीविया

श्योपुर   

सभी वर्ग 

   

सतावर 

   

समान्य

   
   

कालमेघ, तुलसी, स्टीविया

शिवपुरी

सभी वर्ग

   
   

गुग्गल

मुरैना 

समान्य

   

स्टीविया

अनूपपुर 

सभी वर्ग

   

किसान आवेदन कब कर सकते हैं ?

औषधीय एवं सुगन्धित फसल क्षेत्र विस्तार योजना के लिए राज्य के किसानों के लिए 15/06/2020 से दोपहर 11:00 बजे से आवेदन शुरू किया जायेगा | आवेदन लक्ष्य पूरा होने तक जारी रहेगा तथा लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक तक आवेदन को लिया जायेगा |

योजना का नियम और शर्तें :-

  • यह सभी वर्गों के लिए हैं | कृषि को आधार नंबर सहित ऑनलाइन आवेदन करना अनिवार्य है |
  • कृषक के पास कम से कम 2 हेक्टेयर भूमि होगी |
  • योजना का क्रियान्वयन कृषक निजी भूमि में किया जायेगा |
  • हितग्राही के पास सिंचाई के पर्याप्त साधन उपलब्ध होना चाहिए |
  • वनाधिकार प्रमाण पत्र प्राप्त आदिवासियों को भी अनुदान की पात्रता होगी |

औषधीय पौधों पर अनुदान हेतु आवेदन कहाँ से करें ?

योजना के तहत उधानिकी एवं खाध प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत: किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी एवं मध्य प्रदेश पर देखे सकते हैं  अथवा जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें| मध्य प्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए आनलाईन पंजीयन उधानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं |

सब्सिडी पर कृषि यंत्र खरीदने के लिए किसान आज से कर सकेगें आवेदन

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

ट्रैक्टर एवं अन्य सभी प्रकार के कृषि यंत्र सब्सिडी

कोरोना वायरस के चलते लागू हुए लॉक डाउन के कारण नया वित्तीय वर्ष प्रारंभ होने के बाबजूद भी अभी तक कृषि यंत्रों पर सब्सिडी के लिए नहीं खोला गया था | अब जैसे-जैसे लॉक डाउन में छूट दी जा रही है वैसे ही धीरे-धीरे किसानों के लिए चल रही योजनओं का लाभ किसानों को देने के लिए विभिन्न योजनाओं के तहत राज्य सरकारों के द्वारा आवेदन की प्रक्रिया शुरू की जा रही है | हाल ही में मध्यप्रदेश के उद्यानिकी विभाग के द्वारा विभिन्न योजनाओं के तहत आवेदन मांगे गए थे इसके बाद अब कृषि यंत्र अभियांत्रिकी संचनालय के द्वारा भी विभिन्न कृषि यंत्रों को अनुदान पर देने के लिए पोर्टल खोल दिया गया है |

किसान इन कृषि यंत्रों पर अनुदान प्राप्त करने के लिए कर सकेगें आवेदन

  • रोटावेटर,
  • सीड ड्रिल ,
  • पावर वीडर,
  • लेजर लेण्ड लेवलर,
  • पावर टिलर -8 बी.एच.पी से अधिक,
  • क्लीनर-कम-ग्रेडर/मिनी दाल मिल,
  • पॉवर स्प्रेयर / बूम स्प्रेयर (ट्रेक्टर चलित),
  • सीड कम फ़र्टिलाइज़र ड्रिल/जीरो टिल सीड कम फर्टीलाइजर ड्रिल,
  • रेज्ड बेड प्लान्टर/रिज फर्रो प्लान्टर/ मॉल्टीक्रॉप प्लान्टर/रेज्ड बेड प्लांटर विथ इन्कलाइंड प्लेट एंड शेपर

कृषि यंत्र अनुदान के लिए किसान कब कर सकेगें आवेदन

वह किसान जो ऊपर दिए गए कृषि यंत्रों पर सब्सिडी चाहते हैं वह इच्छुक किसान  दिनांक 13 जून 2020 दोपहर 12 बजे से 22 जून 2020 तक पोर्टल पर ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर आवेदन कर सकते हैं | जैसा की पिछले वर्ष से कृषि यंत्र अनुदान के नियमों में परिवर्तन किया गया है इसके तहत अब किसान दी गई तारीखों के बीच में कभी भी आवेदन कर सकते हैं | पहले आओ पहले पाओ के नियम में परिवर्तन किया गया है जिससे अब जो भी किसान आवेदन करेंगे उन सभी किसानों में से लक्ष्यों के अनुसार लोटरी द्वारा चयन किया जायेगा |

आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक सत्यापन की जगह ओ.टी.पी (OTP) से होगा पंजीकरण

इस वर्ष Covid -19 महामारी जनित परिस्थितियों के कारण पोर्टल पर अनुदान हेतु प्रक्रिया में परिवर्तन किया जा रहा है जिसके अंतर्गत आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक प्रक्रिया के स्थान पर कृषकों के मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किये जायेगें । कृषक कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकेंगे।  आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी  (OTP) प्राप्त होगा।  इस OTP के  माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे।  पोर्टल अंतर्गत आगे सम्पादित होने वाली सभी प्रक्रियाओं में भी बायोमेट्रिक के स्थान पर OTP व्यवस्था लागू होगी।

आवेदन के लिए शर्तें

  • ट्रेक्टर से चलने वाले सभी प्रकार के कृषि यंत्र किसी भी श्रेणी के कृषक क्रय कर सकते है किन्तु ट्रेक्टर की आर.सी स्वयं के माता – पिता ,भाई -बहन अथवा पत्नी के नाम पर होना आवश्यक है |
  • डीलर का चयन सावधानी पूर्वक करे। चयनित डीलर का परिवर्तन केवल एक बार ही किया जा सकेगा।

कृषि यंत्र सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें ?

मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं | इस वर्ष उँगलियों के निशान देने के नियम में परिवर्तन किया गया है अतः किसान पोर्टल पर कहीं से भी आवेदन कर सकतें हैं | किसान https://dbt.mpdage.org/ पर जाकर आवेदन करें |

कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने हेतु आवेदन के लिए क्लिक करें

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देश में अब हींग और केसर की पैदावार को दिया जाएगा बढ़ावा

हिंग और केसर उत्पदान

केसर और हींग दुनिया के सबसे मूल्यवान मसालों में गिने जाते हैं। भारतीय व्यंजनों में सदियों से हींग और केसर का व्यापक रूप से उपयोग किया होता रहा है। इसके बावजूद देश में इन दोनों ही कीमती मसालों का उत्पादन सीमित है। भारत में,केसर की वार्षिक माँग करीब 100 टन है, लेकिन हमारे देश में इसका औसत उत्पादन लगभग 6-7 टन ही होता है। इस कारण हर साल बड़ी मात्रा में केसर का आयात करना पड़ता है। इसी तरह,भारत में हींग उत्पादन भी नहीं है और हर साल 600 करोड़ रुपये मूल्य की लगभग 1200 मीट्रिक टन कच्ची हींग अफगानिस्तान, ईरान और उज्बेकिस्तान जैसे देशों से आयात करनी पड़ती है।

कृषि विभाग के अधिकारियों एवं किसानों को किया जाएगा प्रशिक्षित

केसर और हींग का उत्पादन बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश के पालमपुर में स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टेक्नोलॉजी (सीएसआईआर-आईएचबीटी) ने परस्पर रूप सेरणनीतिक साझेदारी बढ़ाने के लिए हिमाचल प्रदेश के कृषि विभागके साथ हाथ मिलाया है इस पहल के तहत भावी किसानों और कृषि विभाग के अधिकारियों को क्षमता निर्माण, नवाचारों के हस्तांतरण, कौशल विकास और अन्य विस्तार गतिविधियों का लाभ मिल सकता है।

सीएसआईआर-आईएचबीटी के निदेशक डॉ संजय कुमार ने कहा है कि इन फसलों की पैदावार बढ़ती है तो इनके आयात पर निर्भरता कम हो सकती है। सीएसआईआर-आईएचबीटी किसानों को इसके बारे में तकनीकी जानकारी मुहैया कराने के साथ-साथ राज्य कृषि विभाग के अधिकारियों एवं किसानों को प्रशिक्षित भी करेगा। राज्य में केसर और हींग के क्रमशः घनकंद और बीज उत्पादन केंद्र भी खोले जाएंगे। डॉ. कुमार ने कहा है कि परियोजना के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए तकनीकी सहायता के अलावा केसर उत्पादन क्षेत्रों की निगरानी और किसानों के लिए अन्य क्षेत्रों के दौरे भी आयोजित किए जाएंगे। अगले पांच वर्षों में राज्य में कुल 750 एकड़ भूमि इन फसलों के अंतर्गत आने की उम्मीद व्यक्त की जा रही है

भारत में केसर एवं हिंग की खेती

जम्मू और कश्मीर में करीब 2,825 हेक्टरेयर क्षेत्र में केसर की खेती होती है। सीएसआईआर-आईएचबीटी ने केसर उत्पादन की तकनीक विकसित की है, जिसका उपयोग उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के गैर-परंपरागत केसर उत्पादक क्षेत्रों में किया जा रहा है। संस्थान में रोग-मुक्त घनकंद के उत्पादन के लिए टिश्यू कल्चर प्रोटोकॉल भी विकसित किए गए हैं।

हींग एक बारहमासी पौधा है और यह रोपण के पांच साल बाद जड़ों से ओलियो-गम राल का उत्पादन करता है। इसे ठंडे रेगिस्तानी क्षेत्र की अनुपयोगी ढलान वाली भूमि में उगाया जा सकता है। इस पहल के शुरू होने बाद इन दोनों फसलों की गुणवत्तापूर्ण रोपण सामग्री के बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए अत्याधुनिक टिश्यू कल्चर लैब की स्थापना की जाएगी।

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फार्म पौण्ड, ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग आदि पर अनुदान के लिए आवेदन करें

फार्म पौण्ड, ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग आवेदन

कोविड – 19 के कारण देश भर में 24 मार्च से चल रहा लॉक डाउन लगभग समाप्त हो गया है , जिसके कारण कृषि से जुड़े ज्यादा तर योजना के लिए आवेदन रुके हुए थे | लॉक डाउन  के पांचवें चरण में कुछ छूट दिए जाने के बाद अब धीरे-धीरे योजनाओं के लिए आवेदन शुरू किये जा रहे हैं  | इसी क्रम में मध्य प्रदेश सरकार के उधानिकी विभाग ने कई योजनाओं के लिए एक साथ आवेदन मांगे हैं | इस के तहत बागवानी करने वाले किसानों एवं जो किसान आधुनिक तरह से खेती करना चाहते हैं उनके लिए विभिन्न उद्यानिकी योजनाओं के तहत आवेदन मांगे गए हैं | इन अलग-अलग योजनाओं के तहत अलग-अलग जिलों के किसान लक्ष्य के अनुसार आवेदन कर सकते हैं | किसान समाधान इन सभी योजनाओं कि पूरी जानकारी लेकर आया है |किसान इन योजनाओं के तहत आवेदन कर सकते हैं |

क्लस्टर आधारित संरक्षित खेती के लिए

क्लस्टर आधारित संरक्षित खेती के लिए मध्य प्रदेश के चयनित जिलों के किसान 4 उप योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते हैं | सभी योजनाओं के लिए जिला तथा किसानों का वर्ग संरक्षित किया गया है | यह सभी योजना इस प्रकार है :-

शेड नेट हॉउस – ट्यूबलर स्ट्रक्चर

इस योजना के लिए मध्य प्रदेश के भोपाल, सीहोर, खण्डवा, शाजापुर, बैतूल, छिंदवाडा तथा देवास जिले के किसान आवेदन अभी आवेदन कर सकते हैं |  

इन वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- भोपाल, सीहोर, खंडवा, शाजापुर तथा बैतूल जिले के सामान्य वर्ग के किसान आवेदन करेंगे | छिंदवाडा जिले के अनुसूचित जाती तथा अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं | इसके साथ ही देवास जिले के सभी वर्ग के किसान आवेदन करेंगे |

ग्रीन हॉउस (ट्यूबलर स्ट्रक्चर) 2080 से 4000 वर्ग मीटर तक :-

इस योजना के अंतर्गत छिंदवाडा जिले के सभी वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं |

उच्च कोटि की सब्जियों की खेती – पाँली हॉउस / शेडनेट हॉउस :- इस योजना के लिए मध्य प्रदेश के छिंदवाडा तथा अलीराजपुर जिले के किसान ही आवेदन के लिए अधिकृत है |

इन वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- छिंदवाडा जिले के सामान्य वर्ग के किसान तथा अलीराजपुर जिले के अनुसूचित जनजाति के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

प्लास्टिक मल्चिंग :-

इस योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के छिंदवाडा, शहडोल, सीधी, खंडवा, खरगौन, बालाघाट, आगर – मालवा, दमोह, छतरपुर, होशंगाबाद , सिवनी , शिवपुरी, भोपाल जिले के किसान आवेदन कर सकते हैं |

इन वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- योजना के अनुसार छिंदवाडा, शहडोल, सीधी, खंडवा, खरगौन, बालाघाट, आगर – मालवा, दमोह, छतरपुर, होशंगाबाद , सिवनी जिले के सभी वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं तथा शिवपुरी और भोपाल के लिए अनुसूचित जाती के किसान ही आवेदन करेंगे |

आवेदन कब से शुरू है ?

ऊपर दिये गये योजनाओं के लिए 09/06/2020 से दिन को 11 बजे से आवेदन शुरू हो गया है | इसके लिए इच्छुक वर्गित चयनित किसान लक्ष्य पूरा होने तक आवेदन कर सकते हैं |

प्रमोशन ऑफ़ प्लग टाइप सीडलिंग प्रोडक्शन एट फार्मर्स फिल्ड

इस योजना के लिए मध्य प्रदेश के 9 जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं | यह योजना 9 जिलों के अलग – अलग वर्ग के किसानों के द्वारा आवेदन किया जा सकता है |

इन वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- धार, रतलाम, छिंदवाडा जिलों के  सभी वर्गों के किसान आवेदन कर सकते हैं |

  • झाबुआ, बडवानी जिले के सामान्य अनुसूचित जनजाति के किसानों के द्वारा आवेदन कर सकते हैं |
  • मंदसौर जिले के सामान्य किसानों के द्वारा आवेदन कर सकते हैं |
  • शाजापुर, देवास, दमोह जिले के सामान्य तथा अनुसूचित जाती के किसानों के द्वारा आवेदन किया जा सकता है |

वेदन कब करना है ?

ऊपर के इस योजना के लिए आवेदन आज 10/06/2020 के दोपहर 11:00 बजे से शुरू हो गया है तथा यह लक्ष्य पूरा होने तक आवेदन किया जा सकता है |

प्लास्टिक क्रेट्स पर कृषकों को सहायता

इस योजना के तहत किसान को प्लास्टिक क्रेट्स दिया जायेगा | इस योजना के लिए सिंगरौली तथा सिवनी जिले के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

इस वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- ऊपर के योजना के लिए सिंगरौली तथा सिवनी जिले के सामान्य तथा अनुसूचित जनजाति के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन कब करना है :- ऊपर की योजना के लिए आज 10/06/2020 को दोपहर 11:00 बजे से आवेदन शुरू हो गया है | यह आवेदन लक्ष्य तक जारी रहेगा |

पुष्प क्षेत्र विस्तार :-

इस योजना के अन्तरगत खुले फुल – छोटे एवं मझोले किसान के बीच पुष्प को बढ़ावा दिया जा रहा है | इस योजना के लिए दतिया  जिला के इच्छुक  किसान आवेदन  कर सकते हैं |

इस वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं :- ऊपर दिये गये योजना के लिए दतिया जिला के सभी वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन कब करना है ?

पुष्प क्षेत्र विस्तार योजना के लिए आवेदन आज 10/06/2020 से दिन 11:00 बजे से आवेदन शुरू हो गया है | यह आवेदन लक्ष्य पूरा होने तक रहेगा |

उच्च तकनीक से पान की खेती

इस योजना के अंतर्गत पान की खेती को बढ़ावा दिया जायेगा | इस योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के पन्ना, कटनी, दमोह तथा सागर जिले इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

इस वर्ग के किसान आवेदन करें :- पान की खेती के लिए नीमच जिले के सामान्य वर्ग के किसान तथा पन्ना, कटनी, दमोह तथा सागर जिले के सामान्य तथा अनुसूचित जाती के किसान आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन कब करना है  ?

पान की खेती के लिए 09/06/2020 से 11:00 बजे से इच्छुक किसानों के लिए आवेदन शुरू है  | आवेदन  लक्ष्य पूरा होने तक जारी रहेगा |

प्लास्टिक लाईनिंग ऑफ़ फार्म पौण्ड

इस योजना के अंतर्गत किसनों को प्लास्टिक लाईनिंग के लिए प्लास्टिक उपलब्ध कराया जायेगा | योजना के अंतर्गत मध्य प्रदेश के भोपाल. आगर – मालवा , शाजापुर, राजगढ़, सीहोर, देवास, रतलाम, नीमच, मंदसौर जिले के इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं |

इस वर्ग के किसान आवेदन करें :- ऊपर की योजना के लिए भोपाल, आगर – मालवा तथा शाजापुर जिले के सामान्य वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं | इसके अलवा राजगढ़, सीहोर, देवास, रतलाम, नीमच तथा मंदसौर जिले के सबी वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं |

आवेदन कब करना है ?

प्लास्टिक लाईनिंग आँफफार्म पौण्ड के लिए आज 10/06/2020 से सुबह 11:00 बजे से इच्छुक किसान आवेदन कर सकते हैं | आवेदन लक्ष्य पूरा होने तक रहेगा |

सब्सिडी के लिए यहाँ करें आवेदन

किसान आवेदन उधानिकी एवं खाध प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत: किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी एवं मध्य प्रदेश पर देखे सकते हैं  अथवा जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें| मध्य प्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए आनलाईन पंजीयन उधानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर कृषक पंजीयन कर सकते हैं | किसान कीओसको पर जाकर अथवा mponline पर जाकर पंजीयन करें जहाँ ekyc (उँगलियों के निशान) सत्यापन कर सकें |

फार्म पौण्ड, ग्रीन हाउस, शेड नेट हाउस, प्लास्टिक मल्चिंग आवेदन

पॉली हाउस खेती की पूरी जानकारी (भाग -2)| पॉलीहाउस सब्सिडी | पॉलीहाउस लोन | PolyHouse Farming & Cost

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