92 चीनी मिलों में गन्ना पेराई शुरू, किसानों को किया गया 553.26 करोड़ रुपए का भुगतान

गन्ना पेराई सत्र एवं भुगतान

देश के अधिकांश राज्यों में गन्ना पेराई सत्र 2021-22 की शुरूआत हो चूकी है इसके साथ ही किसान खेतों से गन्ना लेकर अपने नजदीक के चीनी मिलों पर लेकर पहुँचने लगे हैं | इसके लिए राज्य सरकार द्वारा किसानों को टोकन जारी किए जा रहे हैं | उत्तर प्रदेश में गन्ना पेराई का सत्र की शुरुआत हो गई है | राज्य में कुल 120 चीनी मिलें हैं जो सहकारी, निगम तथा निजी क्षेत्र की है, जिनमें से 92 चीनी मिलें में पेराई शुरू हो चूकी है | इसमें से निगम क्षेत्र की 01, सहकारी क्षेत्र की 17 तथा निजी क्षेत्र की 74 चीनी मिलें शामिल है | जहाँ पर किसान गन्ना लेकर आ रहे हैं |

17 नई चीनी मिलों में जल्द शुरू होगी गन्ना पेराई

प्रदेश की अन्य 17 चीनी मिलों द्वारा अपना पेराई कार्य शुरू करने की समस्त औपचारिक तैयारी कर गन्ना खरीद हेतु इण्डेंट जारी किया जा चुका है। इन चीनी मिलों का संचालन भी अगले 02 से 03 दिवस में शुरू हो जाएगा। शेष 11 चीनी मिलें भी शीघ्र ही संचालित होना शुरू हो जाएँगी।

इन चीनी मिलों में शुरू हुआ गन्ना पेराई का काम

प्रदेश के आयुक्त, गन्ना एवं चीनी, श्री संजय आर. भूसरेड्डी ने बताया कि संचालित चीनी मिलों में निगम क्षेत्र की मोहद्दीनपुर तथा सहकारी क्षेत्र की ननौता, सरसांवा, मोरना, बागपत, रमाला, अनूपशहर, स्नेहरोड़, गजरौला, सेमीखेड़ा, बीसलपुर, पूरनपुर, तिलहर, पुवांया, बंदायू, कायमगंज, बेलरायां एवं नानपारा चीनी मिलें शामिल हैं।

निजी क्षेत्र की चीनी मिलों में मोदी समूह की 02, डी.सी.एम. श्रीराम समूह की 04, मवाना समूह की 02, राणा समूह की 04, उत्तम समूह की 03, डालमिया समूह की 03, त्रिवेणी समूह की 07, धामपुर समूह की 05, वेव समूह की 04, द्वारिकेश समूह की 03, यदु समूह की 02 मिलों सहित इन सभी समूहों की प्रदेश में स्थित सभी चीनी मिलों तथा एकल समूहों की 13 चीनी मिलों द्वारा पेराई कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है। उपरोक्त के अतिरिक्त सिम्भावली समूह की 03 में से 02, बजाज समूह की 14 में से 09, बलरामपुर समूह की 10 में से 05, आई.पी.एल. समूह की 06 में से 03 एवं बिरला समूह की 04 में से 03 चीनी मिलों द्वारा पेराई कार्य शुरू किया जा चुका है।

किसानों को किया गया 553.26 करोड़ का भुगतान

सरकार ने किसानों को बकाया भुगतान तथा इस सत्र में गन्ने के भुगतान करने के आदेश चीनी मिलों को दे दिए हैं, जिससे चीनी मिलों ने किसानों को भुगतान करना शुरू कर दिया है| त्वरित गन्ना मूल्य भुगतान के दृष्टिगत वर्तमान पेराई सत्र 2021–22 के लिए देय गन्ना मूल्य रु. 510.20 करोड़ के सापेक्ष रु. 553.26 करोड़ का भुगतान गन्ना किसानों को कर दिया है, जो देय गन्ना मूल्य से 43.06 करोड़ रुपये अधिक है | नये पेराई सत्र का आरम्भिक चरण तथा त्यौहारी सीजन में त्वरित गन्ना मूल्य भुगतान प्रदेश गन्ना किसानों के लिए ख़ुशी का पैगाम लेकर आया है |

किसान प्रति हेक्टेयर कितना गन्ना बेच सकते हैं ?

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों से गन्ना खरीद हेतु नई सट्टा नीति घोषित कर दी है, जिसके अनुसार किसानों से पीटीआई हेक्टेयर गन्ना कि खरीदी की जाएगी | इस वर्ष की सट्टा निति इस प्रकार है :-

  • सीमांत कृषक (1 हेक्टेयर तक) – 850 क्विंटल
  • लघु सीमांत किसान (2 हेक्टेयर तक) – 1700 क्विंटल
  • सामान्य कृषक (5 हेक्टेयर तक) – 4250 क्विंटल

इसके अलावा उपज में बढ़ोतरी की दशा में गन्ने की खरीदी लक्ष्य को बढ़ाया जा सकता है | प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों के लिए गन्ने की अधिक पैदावार होने पर लक्ष्य निर्धारित कर दिया है |

  • सीमांत कृषक (1 हेक्टेयर तक) – 1350 क्विंटल
  • लघु सीमांत किसान (2 हेक्टेयर तक) – 2700 क्विंटल
  • सामान्य कृषक (5 हेक्टेयर) – 6750 क्विंटल

किस भाव पर खरीदा जायेगा गन्ना

राज्य सरकार ने इस वर्ष गन्ना मूल्य में वृद्धि की है, अब 325 रुपये प्रति क्विंटल के गन्ने का मूल्य बढ़ाकर 350 रुपये प्रति क्विंटल, 315 रुपये प्रति क्विंटल के सामान्य गन्ने का गन्ना मूल्य 340 रुपये प्रति क्विंटल तथा अनुपयुक्त गन्ने के गन्ना मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल वृद्धि की है।

इन तहसीलों को किया गया सूखाग्रस्त श्रेणी से बहार

सूखे से फसल नुकसानी का मुआवजा

मानसून का साथ नहीं देने के कारण देश के अलग–अलग राज्यों के जिलों में अधिक बारिश एवं कम बारिश से सूखे के कारण किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ है | राजस्थान के कुछ जिलों में सूखे से फसलों को काफी नुकसान हुआ है, जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने विशेष गिरदावरी रिपोर्ट तैयार की है | जिसके आधार पर राज्य के जिलों की अलग-अलग तहसीलों को सूखा ग्रस्त घोषित किया गया है |

राजस्थान सरकार द्वारा 29 अक्टूबर 2021 को जारी अधिसूचना में राज्य के 12 जिलों की 69 तहसीलों के 744 गावों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था | परन्तु जिलों से प्राप्त गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर अब कुछ तहसीलों को इससे बहार कर दिया गया है जिससे अब इन तहसीलों के किसानों को फसल क्षति का मुआवजा नहीं मिलेगा |

इन तहसीलों को किया गया सूखे से बहार

राज्य सरकार द्वारा संशोधित अधिसूचना जारी कर पूर्व में अकालग्रस्त घोषित की गई अजमेर जिले की 4 तहसीलों, विजयनगर, केकड़ी, अराई एवं किशनगढ़ को तथा हनुमान गढ़ जिले की नोहर तहसील को बहार कर दिया गया है।

राज्य सरकार की 29 अक्टूबर 2021 को जारी अधिसूचना के तहत अजमेर, चूरू, बाड़मेर, बीकानेर, हनुमानगढ़, जालौर, जैसलमेर, पाली, सिरोही, जोधपुर, नागौर तथा डूंगरपुर जिलों की 69 तहसीलों को अकालग्रस्त घोषित किया था। जिला कलक्टर अजमेर एवं हनुमानगढ़ से प्राप्त गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर इन जिलों में सूखे से खराबा नहीं होने के कारण पूर्व में अकालग्रस्त घोषित अजमेर जिले की 4 तथा हनुमानगढ़ जिले की एक तहसील को डीनोटिफाई किया गया है।

इन तहसीलों को रखा गया है सूखाग्रस्त श्रेणी में

राज्य सरकार द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार जिन तहसीलों को गंभीर सूखाग्रस्त घोषित किया गया है, उनमें चूरू जिले की तारानगर तहसील, जोधपुर जिले की 10 तहसीलें जोधपुर, शेरगढ़, सेखाला, लूणी, बालेसर, बाप, फलोदी, भोपालगढ़, देचूं और आऊ शामिल हैं। बाड़मेर जिले की सबसे अधिक 16 तहसीलें गंभीर सूखाग्रस्त घोषित की गई हैं। इनमें बाड़मेर, रामसर, बायतु, गिडा, शिव, गडरारोड, गुडामालानी, धोरीमन्ना, सिणधरी, चौहटन, सेडवा, सिवाना, समदडी, पचपदरा, धनाऊ और कल्याणपुर सम्मिलित हैं।

इसी तरह जालोर जिले की 9 तहसीलें जालोर, सायला, आहोर, भीनमाल, बागोड़ा, जसवंतपुरा, रानीवाड़ा, सांचौर और चितलवाना और जैसलमेर जिले की 9 तहसीलें जैसलमेर, पोकरण, फतेहगढ़, भणियाणा, उपनिवेशन जैसलमेर, उपनिवेशन रामगढ़-I, उपनिवेशन रामगढ़-II, उपनिवेशन मोहनगढ़- I, उपनिवेशन मोहनगढ़- II शामिल हैं। बीकानेर की 6 तहसीलें लूणकरणसर, नोखा, कोलायत, खाजूवाला, छत्तरगढ़ और श्रीडूंगरगढ़ को भी गम्भीर सूखा्ग्रस्त तहसीलों में शामिल किया गया है।

सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान,कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन और डेयरी सहकारी समिति को दिया गया 5 लाख रुपये का गोपाल रत्न पुरस्कार

गोपाल रत्न पुरस्कार 2021

राष्ट्रीय दुग्ध दिवस 26 नवंबर 2021 के दिन पशुपालन और डेयरी विभाग, भारत सरकार द्वारा भारत के मिल्क मैन डॉ. वर्गीस कुरियन की जन्म शताब्दी के अवसर पर एक मेगा कार्यक्रम का आयोजन किया गया | इस समारोह के दौरान केंद्रीय पशुपालन और डेयरी मंत्री, श्री पुरुषोत्तम रूपला देशी गाय/भैंस की नस्लों को पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान विजेता, सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) और सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/ दुग्ध उत्पादक कंपनी/ डेयरी किसान उत्पादक संगठन के विजेताओं को राष्ट्रीय गोपाल रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया|

पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा स्वदेशी गोजातीय नस्लों के संरक्षण और विकास के उद्देश्य से वर्ष 2014 में राष्ट्रीय गोजातीय प्रजनन और डेयरी विकास कार्यक्रम के तहत “राष्ट्रीय गोकुल मिशन” की शुरूआत की गई थी। इस कार्यक्रम का उद्देश्य पशुओं और भैंसों का आनुवांशिक सुधार करना है। योजना के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सरकार द्वारा डेयरी क्षेत्र में बेहतर काम करने वाले किसानों, कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियनों और डेयरी समितियों को प्रोत्साहित करने के लिए गोपाल रत्न पुरस्कार दिया जाता है |

क्या है गोपाल रत्न पुरस्कार

गोपाल रत्न पुरस्कार पशुधन और डेयरी क्षेत्र में सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कारों में से एक है, जिसका उद्देश्य सभी व्यक्तियों और डेयरी सहकारी समितियों/ दुग्ध उत्पादक कंपनी/ डेयरी किसान उत्पादक संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिए दिया जाता है | इसमें विभाग द्वारा अलग-अलग श्रेणी का निर्धारण किया गया है, यह श्रेणियां इस प्रकार है:-

  1. देशी गाय/भैंस की नस्लों को पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान,
  2. सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी) और
  3. सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/ दुग्ध उत्पादक कंपनी/ डेयरी किसान उत्पादक संघ |

पुरस्कार में क्या दिया गया ?

ऊपर दी गई श्रेणियों में सर्वश्रेष्ठ व्यक्तियों का चुनाव देश भर से किया गया | इस वर्ष सरकार द्वारा पुरस्कार वितरण के लिए इच्छुक व्यक्तियों से ऑनलाइन आवेदन पोर्टल https://gopalratnaaward.qcin.org के माध्यम से 15/07/2021 से 15/09/2021 तक आवेदन आमंत्रित किए गए थे। आवेदन जमा करने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 15/10/2021 तक कर दिया गया था । कुल मिलाकर ऑनलाइन माध्यम से 4,401 आवेदन प्राप्त हुए। प्राप्त आवेदनों में से सर्वश्रेष्ठ व्यक्तियों का चयन कर उन्हें प्रत्येक श्रेणी में पुरस्कार के रूप में योग्यता प्रमाण पत्र, एक स्मृति चिन्ह एवं राशि प्रदान की गई जो इस प्रकार है:-

  1. 5,00,000 रुपये (पांच लाख रुपये) – प्रथम स्थान
  2. 3,00,000 रुपये (तीन लाख रुपये) – द्वितीय स्थान और
  3. 2,00,000 रुपये (दो लाख रुपये) – तीसरे स्थान के लिए

वर्ष 2021 के लिए इन्हें दिया गया गोपाल रत्न पुरस्कार

श्रेणी
प्रथमद्वितीय और तृतीय स्थानों के साथ गोपाल रत्नों के नाम

देशी गाय/भैंस की नस्लों को पालने वाले सर्वश्रेष्ठ डेयरी किसान

  1. प्रथम श्री सुरेंद्र अवाना, जयपुर राजस्थान
  2. द्वितीय श्रीमती रेशमी एडाथानल, कोट्टायम, केरल
  3. तृतीय श्रीमती राजपूत मोधीबेन वर्धमानसिंह, बनासकांठा, गुजरात एवं श्रीमती माधुरी, राजनांदगांव, छत्तीसगढ़

सर्वश्रेष्ठ कृत्रिम गर्भाधान तकनीशियन (एआईटी)

  1. प्रथम श्री रामा रावकरी, आंध्र प्रदेश
  2. द्वितीय श्री दुलारू राम साहू, छत्तीसगढ़
  3. तृतीय श्री राजेश बागरा, राजस्थान

सर्वश्रेष्ठ डेयरी सहकारी/ दुग्ध उत्पादक कंपनी/ डेयरी किसान उत्पादक संगठन

  1. प्रथम कामधेनु हितकारी मंचबिलासपुर,हिमाचल प्रदेश
  2. द्वितीय दीप्तिगिरिक्षीरोलपदक सहकारना संगम, वायनाड, केरल

 

 

15 फरवरी तक 16 लाख किसानों, पशु एवं मछली पालकों को दिया जायेगा किसान क्रेडिट कार्ड

किसान क्रेडिट कार्ड अभियान

किसानों को आसानी से कम ब्याज दरों पर बैंक से ऋण उपलब्ध हो सके इसके लिए केंद्र सरकार के द्वारा किसान क्रेडिट कार्ड kcc योजना चलाई जा रही है | जिसके तहत किसानों को कृषि कार्यों के लिए लोन दिया जाता है | वर्ष 2019 से किसान क्रेडिट कार्ड को पशुपालन तथा मत्स्य पालन से जोड़ दिया गया है, अब किसान डेयरी, पशु एवं मछली पालन के लिए भी किसान क्रेडिट कार्ड पर लोन ले सकते हैं |

अधिक से अधिक मछली पालकों एवं पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिल सके इसके लिए केंद्र सरकार ने “राष्ट्रव्यापी एएचडीएफ केसीसी अभियान” की शुरुआत कर दी है | अभियान के तहत मध्यप्रदेश राज्य में 16 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी किए जाएंगे | मध्य प्रदेश सरकार आगामी 3 माह का विशेष अभियान चलाकर ज्यादा से ज्यादा डेयरी, पशु एवं मछली पालकों को किसान क्रेडिट कार्ड देगी |

16 किसानों को दिया जायेगा किसान क्रेडिट कार्ड

केन्द्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन एवं डेयरी मंत्रालय द्वारा 15 नवम्बर 2021 से 15 फरवरी 2022 तक “नेशनवाइड एनिमल हस्बेंडरी डेयरी एवं फिशरीज़ केसीसी केम्पैन” चलाया जा रहा है। जिसके तहत मध्यप्रदेश सरकार ने भी केसीसी अभियान शुरू किया है। इसमें पशुपालन गतिविधियों के लिये प्रदेश के 16 लाख किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड जारी करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। अभियान के सफल क्रियान्वयन के लिये सभी संभागायुक्त और कलेक्टर्स को दिशा-निर्देश जारी किये गये हैं।

इन्हें दिया जायेगा केसीसी

केसीसी अभियान के तहत प्रदेश के सभी पात्र पशुपालकों और दुग्ध उत्पादक संगठनों को किसान क्रेडिट कार्ड उपलब्ध कराए जाएंगे | अपर मुख सचिव पशुपालन एवं डेयरी विभाग श्री जे.एन. कंसोटिया के द्वारा प्रत्येक शुक्रवार को शिविर आयोजित कर जाँच–परख कर आवेदन स्वीकार करने के निर्देश दिये गये हैं |

15 दिनों में किसानों को मिलेगा किसान क्रेडिट कार्ड

राज्य में अभियान के तहत जिला स्तर पर किसान क्रेडिट कार्ड अभियान के लिये केसीसी समन्वय समिति गठित की जा रही है। सहकारी दुग्ध संघ के अधिकारी/कर्मचारी, उप संचालक से समन्वय स्थापित कर दुग्ध सहकारी समितियों से संबंधित पशुपालकों के आवेदन शिविर में प्रस्तुत करेंगे। वहीं दुग्ध संघ से इतर अन्य पशुपालकों के आवेदन उप संचालक पशुपालन एवं डेयरी द्वारा प्रस्तुत किए जाएंगे । प्राप्त आवेदन का चेकलिस्ट अनुसार मिलान कर पूर्ण पाए जाने पर आवेदक को पावती दी जाएगी। वहीं कमी रहने पर आवेदक को लिखित में अवगत कराया जाएगा। सही आवेदनों का निराकरण 15 दिनों के अंदर हो जायेगा |

किसान क्रेडिट कार्ड पर दिया जाने वाला लोन एवं ब्याज दर

किसान क्रेडिट कार्ड धारकों को 4 प्रतिशत की ब्याज दर पर 3 लाख की ऋण सीमा के तहत पशुपालन तथा मत्‍स्‍य पालन गतिविधियों के लिए एक वर्ष तक के लिए ऋण दिया जाता है | किसान एक वर्ष से अधिक समय के बाद लोन जमा करता है तो उसे 7 प्रतिशत का ब्याज देना होगा | किसान क्रेडिट कार्ड धारक 1.6 लाख रुपये तक का लोन बिना किसी गारंटी के ले सकते हैं | इससे अधिक ऋण लेने के लिए संपार्श्विक या कोलैटरल की आवश्यकता होगी | यहाँ पर यह ध्यान रखना होगा कि 3 लाख रूपये से ज्यादा का लोन 9 प्रतिशत के ब्याज पर दिया जाएगा |

नाबार्ड अब किसानों को देगा पहले से ज्यादा ऋण

नाबार्ड कृषि ऋण

किसानों की आय एवं कृषि क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय ग्रामीण एवं कृषि विकास बैंक-नाबार्ड द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं | जिससे किसान एवं उद्यमियों को कृषि में निवेश करने के लिए पर्याप्त राशि उपलब्ध कराई जा सके | इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा अधिक से अधिक किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड KCC एवं राज्य सरकारों के द्वारा कम दरों पर ऋण दिया जाता है |

आजादी के अमृत महोत्सव के तहत नाबार्ड के मध्यप्रदेश क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा राज्य ऋण संगोष्ठी 2022-23 का आयोजन किया गया | इसमें प्रदेश में आने वाले वर्ष में कृषि क्षेत्र में निवेश पर एवं किसानों को दिए जाने वाले ऋण के विषय में जानकारी दी गई | नाबार्ड के मुख्य महाप्रबंधक श्रीमती टीएस राजीगेन ने मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा से मुलाकात में बताया कि राज्य में फसली ऋण तथा कृषि सावधि ऋण को बढ़ाया जा रहा है | जिससे इस वर्ष अधिक किसानों को शून्य प्रतिशत के ब्याज पर फसली ऋण मिलने कि उम्मीद है |

किसानों को कितना दिया जायेगा अधिक फसली ऋण

किसानों को कृषि के क्षेत्र में निवेश के लिए फसली ऋण तथा कृषि सावधि ऋण दिया जाता है | वर्ष 2022–23 के वित्त वर्ष के लिए राष्ट्रीय ग्रामीण एवं कृषि विकास बैंक मध्य प्रदेश राज्य के किसानों को फसली ऋण के तौर पर 1 लाख 18 हजार 288 करोड़ रूपये का ऋण देगी | इसके अलावा कृषि सावधि ऋण के रूप में 62 हजार 693 करोड़ रूपये कि ऋण दिया जायेगा | इस तरह वित्त वर्ष 2022–23 कुल 2 लाख 42 हजार 967 करोड़ रूपये कि ऋण दिया जाएगा, जिसमें से कुल ऋण का 74 प्रतिशत कृषि क्षेत्र को दिया जाएगा |

सभी किसानों को दिया जायेगा किसान क्रेडिट कार्ड

मंत्री श्री देवड़ा ने वर्ष 2023 तक आत्म-निर्भर मध्यप्रदेश बनाने के लिए प्रदेश के 100 प्रतिशत किसानों तक केसीसी कवरेज बढ़ाने, ग्रामीण बुनियादी ढाँचे में निवेश और कृषि उत्पादक समूहों के वित्त पोषण पर प्रयास करने की आवश्यकता पर बल दिया।

सूक्ष्म सिंचाई के लिए 5 हजार करोड़ रूपये की बढ़ोतरी

मध्य प्रदेश के वित्त मंत्री श्री जगदीश देवड़ा ने बताया कि भारत सरकार ने अपने बजट में ग्रामीण अधोसंरचना के विकास के लिए आईआईडीएफ एवं माइक्रो इरीगेशन फंड में 10 हजार करोड़ तथा 5 हजार करोड़ की बढ़ोतरी की है | इससे मध्य प्रदेश में सिंचाई क्षेत्र को और अधिक संबल मिल रहा है |

कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन पर दिया जायेगा जोर

नाबार्ड की मुख्य महाप्रबंधक श्रीमती टीएस राजीगेन ने कृषि उत्पादों के मूल्य संवर्धन के महत्व की चर्चा करते हुए बताया कि 13 जिलों में इसके लिये विशेष प्रयास किये जायेंगे। उन्होंने नाबार्ड द्वारा चलाई जा रही ग्रामीण भंडारण, 10 हजार किसान उत्पाद संगठनों, वाडी, वाटरशेड, वित्तीय समायोजन, सहकारी बेंकों को मदद स्व-सहायता समूहों के सदस्यों का कौशल उन्नयन के लिये 4,000 करोड़ रूपये की सहायता के संबंध में जानकारी दी।

संगोष्ठी में प्रदेश के स्व-सहायता समूह, वित्तीय साक्षरता, किसान उत्पादक समूहों के संवर्धन आदि में उत्कृष्ट कार्य के लिए उल्लेखित गतिविधियों में विभिन्न बैंकों को पुरस्कृत किया गया। इस अवसर पर प्याज भंडारण पर बैंकेबल मॉडल योजना की पुस्तिका और स्टेट फोकस पेपर का विमोचन भी किया गया।

किसानों को सिंचाई के लिए जल्द दिए जाएंगे 20 हजार सोलर पम्प एवं 15 हजार बिजली कनेक्शन

सिंचाई के लिए सोलर एवं बिजली कनेक्शन

रबी सीजन में सिंचाई के लिए अपने खेतों में बिजली कनेक्शन लेने के लिए किसानों की मांग बढ़ जाती है | रबी सीजन में किसान अपने खेतों में सिंचाई के लिए अस्थाई कनेक्शन, मीटर कनेक्शन या सोलर पम्प लेना चाहते हैं | बिजली की कीमतों से बढ़ती फसल लागत को कम करने के लिए आज के समय में सोलर पम्पों की मांग बढ़ी है | ऐसे में हरियाणा सरकार ने रबी सीजन को देखते हुए जल्द ही किसानों को बिजली कनेक्शन एवं सोलर पम्प इनस्टॉल करने के निर्देश दे दिए हैं |

हरियाणा बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा व जेल मंत्री श्री रणजीत सिंह ने कहा कि उनका प्रयास है कि किसानों को खेतों में सिंचाई के लिए अधिक से अधिक बिजली कनैक्शन जल्द दिए जाएं और खेतों में सोलर पंप इंस्टाल करवाए जाएं, ताकि उन्हें फसल उत्पादन करने में कोई समस्या न आए।

75 प्रतिशत सब्सिडी पर दिए जाएंगे 20 हजार सोलर पम्प

ऊर्जा मंत्री ने बताया कि दो एकड़ से पांच एकड़ तक की खेती के लिए किसान 5 हार्स पावर व 10 हार्स पावर के सोलर पंप को काफी पसंद कर रहे हैं। किसानों की सुविधा के लिए 20 हजार सोलर पंप मंजूर किए गए थे, जिनमें से 6 हजार सोलर पंप लगाए जा चुके हैं तथा 14 हजार सोलर पंप जल्द ही इंस्टाल कर दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सोलर पंप पर भारत सरकार की ओर से 35 प्रतिशत तथा हरियाणा सरकार की ओर से 40 प्रतिशत सब्सिडी दी जाती है, जोकि कुल मिलाकर 75 प्रतिशत सब्सिडी बनती है और किसान को केवल कुल लागत का 25 प्रतिशत खर्च ही वहन करना पड़ता है।

दिए जाएंगे 15 हजार नए बिजली ट्यूबवैल कनैक्शन

हरियाणा बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री ने बताया कि बिजली निगम की ओर से 15 हजार बिजली के नए ट्यूबवैल कनैक्शन को मंजूरी दी गई है, जो जल्द ही किसानों को दिए जाएंगे और जून 2022 तक प्राप्त सभी आवेदनकर्ता किसानों को कनैक्शन दे दिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि हाई पावर परचेज कमेटी की बैठक में भी बिजली के नए उपकरण खरीदने की मंजूरी मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल की ओर से दी गई है।

किसान 15 दिसम्बर तक सब्जी एवं अन्य बागवानी फसलों का करा सकेंगे बीमा

सब्जी एवं अन्य बागवानी फसलों के बीमा हेतु पंजीयन

फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले आर्थिक नुकसान से बचाव के लिए जरुरी है की किसान अपनी फसलों का बीमा करवाएं ताकि फसल क्षति होने पर उसकी भरपाई की जा सके| प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फसल की बुआई से लेकर कटाई के बाद तक की पूरे फसल चक्र से जुड़ी गतिविधियों के दौरान फसल के नुकसान के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करती है। इस योजना के तहत फसलों को प्रतिकूल मौसम जैसे–सूखा, बाढ़, कीट व्याधि, ओलावृष्टि, प्राकृतिक आपदा, प्राकृतिक आग और खड़ी फसल के लिए चक्रवात के साथ-साथ ओलावृष्टि से बचाव के लिए व्‍यापक जोखिम कवर करती है।

किसान रबी फसलों जैसे गेहूं, चना, सरसों आदि के साथी ही मौसम आधारित बागवानी फसलों का बीमा कराकर अपनी फसलों को सुरक्षित कर सकते हैं | छत्तीसगढ़ राज्य में अभी रबी फसलों के साथ ही मौसम आधारित बागवानी फसलों के बीमा के लिए पंजीयन चल रहा है राज्य के किसान 15 दिसम्बर तक योजना के तहत पंजीकरण करा सकते हैं |

मौसम आधारित बीमा कब तक किया जा सकता है ?

छत्तीसगढ़ के सभी जिलों के किसान मौसम आधरित फसल बीमा के तहत सब्जी एवं अन्य उद्यानिकी फसलों का बीमा मौसम आधारित फसल बीमा योजना के तहत करा सकते हैं | मौसम आधारित बीमा 15 दिसम्बर 2021 तक किया जाएगा | किसान मौसम आधारित फसल बीमा के तहत रबी 2021 फसल हेतु अधिसूचित फसलें टमाटर, बैंगन, फूलगोभी, पत्तागोभी, प्याज एवं आलू जैसी उधानिकी फसलों के लिए बीमा करा सकते हैं | यह योजना प्रदेश के समस्त 28 जिलों में बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा क्रियान्वित की जा रही है।

किसानों को बीमे के लिए कितना प्रीमियम देना होगा ?

मौसम आधारित फसल बीमा के लिए किसानों को 5 प्रतिशत का प्रीमियम देना होता है, यह प्रीमियम फसल बीमा राशि का 5 प्रतिशत होता है | ऋणी किसान चाहें तो मौसम आधारित फसल बीमा से अपने आप को बहार भी कर सकते हैं | इसके लिए आवेदन की अंतिम तिथि से 7 दिन पूर्व सम्बंधित बैंक में आवेदन पत्र जमा करना होगा | आवेदन पत्र का फार्म बैंक से या तहसील के कृषि विकास अधिकारी के पास से प्राप्त किया जा सकता है |

किसान यहाँ से करा सकते हैं सब्जी एवं बागवानी फसलों का बीमा

राज्य में किसान अपने फसल की बीमा निकटतम बैंक शाखाओं, प्राथमिक सहकारी समिति, लोक सेवा केन्द्रों(सीएससी), भारत सरकार की बीमा पोर्टल (पीएमएफबीवाय डाट जीओवी डाट इन) के माध्यम से करा सकते हैं। फसल बीमा कराने हेतु जरूरी दस्तावेज के रूप में फसल बीमा हेतु प्रस्ताव पत्र नवीनतम भूमि प्रमाण पत्र (बी-1, पी-2), फसल बोआई प्रमाण पत्र, नवीनतम बैंक पासबुक की कॉपी एवं आधार कार्ड की छायाप्रति देना अनिवार्य है।

अधिक जानकारी के लिए इस टोल फ्री नम्बर पर कॉल करें

यह योजना प्रदेश के समस्त 28 जिलों में बजाज आलियांज जनरल इंश्योरेंस कंपनी द्वारा क्रियान्वित की जा रही है, अतः किसान अधिक जानकारी के लिए कंपनी के टोल फ्री नंबर 1800-209-5959 पर संपर्क कर सकते हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ के किसान मौसम आधरित फसल बीमा की जानकारी के लिए बैंक से या कृषि विस्तार अधिकारी से सम्पर्क कर सकते हैं | 

सब्सिडी पर शेड नेट हाउस बनाने के लिए इन जिलों के किसान करें आवेदन

अनुदान पर शेडनेट हाउस

कृषि में कुछ नई तकनीकों की मदद से किसान बाजार में मांग के अनुसार खेती कर सकते है, जिससे उन्हें फसलों से काफी अच्छा मुनाफ़ा भी मिलता है | हर साल किसी न किसी प्राकृतिक आपदा से फसल बर्बाद हो जाती है| ऐसे में किसानों के लिए शेडनेट हाउस में खेती करने का विकल्प बहुत अच्छा है, साथ ही सरकार बागवानी के विकास के लिए शेड नेट हाउस पर अनुदान भी देती है |

मध्य प्रदेश सरकार राज्य में संरक्षित खेती को बढ़ावा देने के लिए समय–समय पर किसानों को सब्सिडी उपलब्ध कराती है, जिसका लाभ लेकर किसान अपने खेतों में शेड नेट हाउस का निर्माण करा सकते हैं | अभी मध्यप्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग द्वारा राज्य के कुछ जिलों के किसानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं | इन जिलों के किसान आवेदन कर योजना का लाभ ले सकते हैं |

शेड नेट हाउस के लिए इन जिलों के किसान कर सकते हैं आवेदन

एकीकृत बागवानी विकास मिशन MIDH के घटक संरक्षित खेती के तहत शेड नेट हाउस निर्माण के लिए मध्यप्रदेश के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग ने राज्य के दो जिलों झाबुआ एवं नीमच के लिए लक्ष्य जारी किए हैं | इन दोनों जिलों के सामान्य वर्ग एवं अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान आवेदन कर सकते हैं |

योजना के तहत जारी लक्ष्य

संरक्षित खेती के तहत झाबुआ तथा नीमच जिले के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं | इसमें झाबुआ जिले के लिए कुल 30 हजार वर्ग मीटर का लक्ष्य जारी किया गया है जिस पर कुल 106.50 लाख रूपये कि सब्सिडी किसानों को दी जाएगी | वहीँ नीमच जिले के लिए कुल 32 हजार वर्ग मीटर का लक्ष्य जारी किया गया है | जिस पर कुल 113 लाख रूपये का लक्ष्य जारी किया गया है | आवेदन अधिक आने पर लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक आवेदन स्वीकार किये जाएंगे |

शेड नेट हाउस पर दिया जाने वाला अनुदान Subsidy

एकीकृत बागवानी विकास मिशन MIDH के घटक संरक्षित खेती के तहत सभी वर्ग के किसानों को शेड नेट हाउस निर्माण के लिए प्रत्येक लाभार्थी को 4000 वर्ग मीटर तक के लिए लागत का 50 प्रतिशत तक का अनुदान सरकार द्वारा दिया जाता है |

आवेदन हेतु आवश्यक दस्तावेज

किसान को आवेदन करते समय यह दस्तावेज अपने साथ रखना होगा | यह जरुरी दस्तावेज इस प्रकार है :-

  • आधार कार्ड
  • बैंक पासबुक
  • जाति प्रमाण पत्र (अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के लिए)
  • भूमि कि खसरा नंबर खतोनी प्रति
  • फोटो

शेड नेट हाउस पर सब्सिडी हेतु आवेदन

अनुदान हेतु आवेदन उधानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं, सभी आवेदन ऑनलाइन ही स्वीकार किये जा सकेंगे | इच्छुक किसान 26 नवम्बर 2021 को प्रातः 11 बजे से ऑनलाइन आवेदन क्र सकते हैं | इसके अलावा किसान भाई यदि योजना के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें| किसानों को आवेदन करने के लिए ऑनलाइन पंजीयन उधानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर करना होगा|

नवम्बर-दिसम्बर महीने में फलों की खेती करने वाले किसान करें यह काम

नवम्बर-दिसम्बर फलों की बागवानी के लिए सलाह

सर्दी के मौसम की शुरूआत हो चूकी है, यह समय पेड़ों में नई पत्ती आने का है, वहीँ कई फलों के नये बाग़ लगाने के लिए भी यह उचित समय है | सर्दी के बाद पेड़ों में फल लगाना शुरू हो जाते हैं इसलिए पेड़ों की उचित देखभाल करना जरुरी है | वर्षा का मौसम खत्म होने के साथ ही पेड़ों की जड़ों में कीट रोग लगने की सम्भावना रहती है | जिसका समय पर ध्यान देना जरुरी है, इसके लिए फलों के बागों से खरपतवार साफ़ करना जरुरी है | कृषि वैज्ञानिकों ने नवम्बर तथा दिसम्बर माह में फलों के पेड़-पौधों की देखभाल के लिए सलाह जारी की है |

कैसे करें अभी आंवला की देखभाल

कई क्षेत्रों में आंवला के फलों की तुड़ाई का सही समय नवम्बर से फरवरी माह है | इससे पहले आंवला के पेड़ में बांस–बल्ली से वृक्ष के शाखाओं को सहारा देना जरुरी है | शाखाओं को सहारा नहीं देने के कारण आंवले के फल के वजन से पेड़ टूट सकते हैं | यह समय फल के विकास के लिए है, इसलिए सिंचाई की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए | ध्यान रहे कि तुडाई से 15 दिनों पूर्व सिंचाई रोक दी जाए, ताकि फल समय पर तैयार हो सके |

पेड़ में दीमक लगने से बचाने के लिए फोरेट 10 जी प्रति पौधा 25 से 30 ग्राम डालकर मृदा में मिला दें | शूटगाँल कीट से ग्रस्त टहनियों को काटकर जला दें एवं पेड़ों पर डाइमेथोएट 2 मि.ली. एवं मैंकोजेब 2 ग्राम प्रति लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें | फलों के झड़ने की समस्या होने पर बोरेक्स (0.6 प्रतिशत) का छिडकाव करें | दिसम्बर में फलगलन की समस्या होने पर ब्लाइटांक्स (3 ग्राम/लीटर पानी में) के घोल का छिडकाव करें | तैयार हो चुके फलों को तोड़कर बाजार भेजने की व्यवस्था भी करें |

अनार के बागानों में क्या करें किसान

नवम्बर-दिसम्बर महीने में अनार को बैक्टीरियल ब्लाइट, कवक रोगों और हानिकारक कीटों से बचाने के लिए स्ट्रैप्टोसाइक्लिन (0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में), मैंकोजेब 75 घुलनशील चूर्ण (2 ग्राम प्रति लीटर पानी में) टीपोल या ट्विन 20 (0.5 मि.ली. प्रति लीटर की दर से) का छिडकाव करें | इसके अतिरिक्त बोर्डो मिश्रण (0.5 प्रतिशत) तथा ब्रोनोपोल (0.5 ग्राम प्रति लीटर पानी में) कैप्टान 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण (2 ग्राम प्रति लीटर पानी में) का पांच से साथ दिनों के अंतराल पर छिडकाव भी लाभकारी होता है |

कटहल में करें प्रवर्धन

नवम्बर-दिसम्बर महीने में कटहल के पेड़ की पतली शाखाओं पर नर पुष्प निकलते हैं, जो बाद में झड जाते हैं | ग्राफ्टिंग द्वारा प्रवर्धन के लिए नवंबर उपयुक्त होता है | चूर्णिल रोग का प्रकोप होने पर डाइथेन एम–45 (2 ग्राम/लीटर पानी में) का छिड़काव करें | मिलीबग कीट की रोकथाम के लिए वृक्ष पर आम की भांति पालीथीन लगाएं |

केले में करें यूरिया का छिडकाव

यह समय केले के पौधे के विकास के लिए उचित है, इसलिए प्रति पौधा 55 ग्राम यूरिया का प्रयोग करें | 10 दिनों के अंतराल पर सिंचाई करें | पर्णचित्ती एवं फल सडन रोग के लिए 1 ग्राम कार्बेन्डाजिम प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें | 15 दिनों के अंतराल पर हल्की सिंचाई अवश्य करें |

यदि पौधों पर पोषक तत्वों की कमी के लक्षण दिखाई दें तो क्रमश: फेरस सल्फेट (0.5 प्रतिशत), जिंक सल्फेट (0.5 प्रतिशत) और बोरेक्स (0.5 प्रतिशत) का पर्णीय छिड़काव करें | केला पाले के प्रति बहुत संवेदनशील होता है इसलिए पौधे के पास धुंआ करे और समय–समय पर ओवरहैड फव्वारा विधि द्वारा बाग़ में पानी का छिडकाव करते रहें |

नए सेब के बाग़ लगाएं

सेब के बाग़ को नवंबर-दिसम्बर माह में साफ़ करें तथा निराई-गुड़ाई का कार्य करें ,सेब का बाग़ लगाने के लिए गड्ढों को प्रथम सप्ताह तक भर देना चाहिए | जहाँ पर ठण्ड कम है वहां पर पोधों की रोपाई कर सकते हैं | अच्छी फसल के लिए 2 से 3 किस्मों का होना आवश्यक है | अधिक ठंड वाले क्षेत्रों में पेड़ की कटाई-छटाई करें | इसके बाद कटे हुए भाग को चौबटिया लेप से लेपन करें | चौबटिया लेप क्रांप–कार्बोनेट, रेड लेड और अलसी के तेल को 4:4:6 के अनुपात में मिलाकर तैयार कर सकते हैं | तनासडन रोग की रोकथाम के लिए डायथेन एम-45 अथवा बाविस्टीन के घोल का तने के चारों ओर छिड़काव करें | सेंजोस स्केल कीट की रोकथाम के लिए हिन्दुस्थान पेट्रोलियम, स्प्रे ऑइल अथवा एग्रो स्प्रे ऑइल का छिडकाव दिसम्बर में अवश्य करें |

नींबूवर्गीय फलों की देखभाल

नवंबर–दिसम्बर में बहुत से नींबूवर्गीय फल तुडाई के लिए तैयार होना शुरू हो जाते हैं | इसी समय फलों का पहले गिरना एक गंभीर समस्या है | फलों को गिरने से रोकने के लिए 10 पी.पी.एम. 2,4-डी (1 ग्राम प्रति 100 लीटर पानी) का छिड़काव आवश्यक करें | दिसम्बर में नींबूवर्गीय फलों में गोंदार्ति रोग की आशंका बढ़ जाती है | इसकी रोकथाम के लिए तने के प्रभावित हिस्से वाली छाल को खुरचकर निकाल दें | इसके बाद बोर्डो लेप (1:2:20) का प्रयोग खुरचे भाग एवं इसके चारों ओर के स्वस्थ भाग पर करना चाहिए | दिसम्बर में तैयार फलों को तोडकर बाजार में बेचने की व्यवस्था करें |

अंगूर की देखभाल इस तरह करें

नवम्बर तथा दिसम्बर माह में अंगूर के बाग़ की साफ़-सफाई तथा खरपतवार मुक्त करना चाहिए | हल्की सिंचाई के बाद निराई–गुडाई अवश्य करें | दिसम्बर माह नए उदधान लगाने के लिए अच्छा होता है | इस माह के अंतिम सप्ताह में एक वर्ष पुरानी जड़ सहित लताओं को गड्ढों के बीच में लगाकर सिंचाई करनी चाहिए | रोपाई के बाद नीचे से 15 से.मी. की ऊँचाई से पौधों को छांटना चाहिए | दिसम्बर में अंगूर की लताएँ सुषुप्तास्था में आ जाती है, इस अवस्था में पत्तियां पीली होकर झड़ जाती है इसलिए इस अवस्था में अंगूर की कटाई–छंटाई का कार्य किया जा सकता है |

चीकू के बागानों में करें यह काम

इन दो महीनों में चीकू को दीमक से बचाने के लिए क्लोरोपाइरीफाँस (2 मि.ली. प्रति लीटर पानी में) का छिडकाव करें | जमीन के नीचे तथा मुख्य शाखा के निचले हिस्से से निकलने वाले अंकुरों और मूलवृंत से निकलने वाली शाखाओं को निकाल दें | मृदा की स्थिति, प्रकार, पौधे की आयु एवं अवस्था तथा मौसम की स्थिति के अनुसार सिंचाई करें | बाग़ से खरपतवारों को निकालते रहें तथा बाग़ में सफाई का ध्यान रखें, ताकि कीटों से होने वाली हानि से बचा जा सके |

डीएपी एवं अन्य उर्वरकों की कमी को देखते हुए इन राज्य सरकारों ने केंद्र से की जल्द आपूर्ति की मांग

डीएपी एवं अन्य उर्वरकों की उपलब्धता

देश के कई राज्यों में वर्ष 2021–22 के रबी सीजन में डी.ए.पी. एवं अन्य उर्वरकों की कमी देखी जा रही है | जिसको देखते हुए राज्य सरकारों द्वारा उर्वरकों की जल्द आपूर्ति की मांग केंद्र सरकार से की जा रही है | केंद्रीय रसायन और उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया ने राज्यों के कृषि मंत्रियों के साथ देश भर में उर्वरक उपलब्धता की स्थिति की समीक्षा करते हुए आश्वासन दिया, कि “देश भर में उर्वरक का पर्याप्त उत्पादन हो रहा और इनकी कोई कमी नहीं है”। आभासी रूप से (वर्चुअली) आयोजित इस समीक्षा बैठक में 18 राज्यों के कृषि मंत्रियों ने भाग लिया ।

केन्द्रीय कृषि मंत्री के दावे के उलट राज्य के कृषि मंत्रियों ने उर्वरक उपलब्ध कराने पर सवाल उठाया है | उन्होंने केंद्र सरकार से यह मांग की है कि राज्यों को मिलने वाली उर्वरक मांग के अनुरूप आपूर्ति नहीं हुई है | इसलिए जल्द से जल्द उपलब्ध कराया जाए |

छत्तीसगढ़ में 2 रेक डीएपी और 1 रेक एनपीके उर्वरक उपलब्ध कराने की मांग

राज्य के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने भारत सरकार के रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय द्वारा राज्यों में उर्वरक की उपलब्धता के संबंध में आयोजित वर्चुअल बैठक में केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री डॉ. मनसुख मंडाविया से राज्य को सीजन के अनुरूप उर्वरक की मांग की है | कृषि मंत्री ने नवम्बर माह में डीएपी उर्वरक की 2 रेक तथा एनपीके उर्वरक की 1 रेक तत्काल उपलब्ध कराने की अपील की है।

रबी सीजन के लिए छत्तीसगढ़ राज्य को 4 लाख 11 हजार मेट्रिक टन उर्वरक की जरूरत है। इसके विरूद्ध अक्टूबर माह में 60 हजार मेट्रिक टन के विरूद्ध मात्र 20 हजार 273 मेेट्रिक टन एवं नवम्बर माह में 45 हजार टन के विरूद्ध 9 हजार 355 टन उर्वरक ही राज्य को मिला है। कृषि मंत्री ने डीएपी उर्वरक की आपूर्ति की ओर केन्द्रीय मंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए कहा कि अक्टूबर माह में 10 हजार मेट्रिक टन की आपूर्ति के बदले मात्र 5 हजार 681 टन तथा नवम्बर माह में 10 हजार टन के विरूद्ध मात्र 1651 मेट्रिक टन डीएपी उर्वरक प्राप्त हुआ है। उन्होंने राज्य की मांग के अनुरूप रासायनिक उर्वरकों की आपूर्ति का आग्रह किया।

राजस्थान ने कि 5 रैक डीएपी एवं 1.5 लाख मैट्रिक टन यूरिया की मांग

राजस्थान के कृषि मंत्री श्री लालचंद कटारिया ने किसानों को समय पर उर्वरक उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार से नवम्बर माह में तत्काल 5 रैक डीएपी एवं 1.5 लाख मेट्रिक टन यूरिया की आपूर्ति करने का आग्रह किया है |

कृषि मंत्री के अनुसार डीएपी की 5 रैक की तत्काल आवश्यकता है | साथ ही नवम्बर माह में 1.5 लाख टन यूरिया दिसम्बर महीने में राज्य को 50 हजार मैट्रिक टन डीएपी एवं 3.5 लाख मैट्रिक टन यूरिया आपूर्ति करने की मांग की है | उन्होंने बताया कि प्रदेश में सामान्यतः 3.5 लाख मैट्रिक टन एसएसपी का उपयोग होता है, जो बढ़कर इस वर्ष 6 लाख मैट्रिक टन से अधिक हो गया है।

हरियाणा कृषि मंत्री ने की यूरिया आपूर्ति की मांग

हरियाणा के कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री. जेपी दलाल ने केंद्रीय मंत्री के साथ राज्य में लगभग 11 लाख मीट्रिक टन यूरिया उर्वरक की आवश्यकता पर भी चर्चा की गई। केंद्र सरकार द्वारा राज्य को लगभग 4.5 लाख मीट्रिक टन यूरिया पहले ही उपलब्ध कराया जा चुका है। रबी फसलों की बिजाई के दौरान यूरिया की आवश्यकता को पूरा करने के लिए केंद्रीय मंत्री ने 31 दिसंबर 2021 तक हरियाणा प्रदेश के लिए 4.5 लाख मीट्रिक टन यूरिया उर्वरक उपलब्ध कराने की मांग को मंजूरी दी है।

बिहार सरकार ने एक लाख मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति की मांग

समीक्षा बैठक में बिहार के कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने किसानों की समस्या को देखते हुए जल्दी आपूर्ति कराने की मांग की | बिहार में डीएपी खाद की मांग को देखते हुए बिहार सरकार ने एक लाख मीट्रिक टन डीएपी की आपूर्ति की मांग की है | अपनी समस्या के बारे में बताते हुए बिहार के कृषि मंत्री ने कहा कि रबी फसल में डीएपी की मांग के मुताबिक आपूर्ति नहीं हो पा रही है | इस पर उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया ने यह आश्वासन दिया कि बिहार राज्य को रबी मौसम, वर्ष 2021-22 में आवश्यकता के अनुरूप समय पर उर्वरकों की आपूर्ति की जाएगी |