एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एम.आई.डी.एच.) – राष्ट्रीय बागवानी मिशन

एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एम.आई.डी.एच.) – राष्ट्रीय बागवानी मिशन

उद्देश्य:

  • राज्य/क्षेत्र के तुलनात्मक लाभ और इसके विविध कृषि मौसम विशेषताओं के साथ सामंजस्य रूप में क्षेत्र आधारित स्थानीय विभेदीकृत रणनीति के माध्यम से, जिसमें अनुसंधान, प्रौद्योगिकी प्रोन्नति, विस्तार, फसल कटाई के बाद का प्रबंध, प्रसंस्करण और विपणन शामिल हैं, बागवानी क्षेत्र की सर्वांगीण वृद्धि प्रदान करना है।
  • बागवानी उत्पादन में वृद्धि करना, पोषण सुरक्षा में सुधार तथा किसानों के लिए आय सृजन में सहायता करना।
  • बागवानी विकास के लिए चल रहे अनेक योजनाबद्ध कार्यक्रमों को आपस में सहक्रियाशील रूप में सहयोगी बनाना तथा इन्हें दूसरे की ओर अभिमुख होकर काम करने के लिए प्रोत्साहित करना।
  • आधुनिक वैज्ञानिक जानकारी के माध्यम से प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देना, विकसित करना और इनका प्रसार।
  • कुशल और अकुशल व्यक्तियों, विशेष रूप से बेरोजगार युवा वर्ग के लिए रोजगार सृजन के अवसरों को उपलब्ध कराना।
  • किसानों/उत्पादकों की उचित आय को सुनिश्चित करने के लिए संहत क्षेत्रों को विकसित कर एक छोर से दूसरे छोर तक सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करना।
  • पारम्परिक फसलों के क्षेत्रों को बागों, पुष्पों, सब्जियों और मसालों के उत्पादन क्षेत्रों में परिवर्तित करना।
  • पोस्ट हार्वेस्ट हानियों को कम करना एवं उनके भण्डारण व्यवस्था हेतु ढांचागत सुविधाओं को प्रोत्साहन।

योजना का विस्तार 

सहारनपुर, मुजफ्फर नगर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, बुलन्दशहर, हाथरस,मथुरा, आगरा, मैनपुरी, बरेली, उन्नाव, लखनऊ,रायबरेली,इटावा, कानपुर, कन्नौज, ललितपुर, जालौन, हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, प्रतापगढ़, कौशाम्बी, इलाहाबाद, बाराबंकी, सुल्तानपुर,सिद्धार्थ नगर, महराजगंज, कुशीनगर, बलिया, जौनपुर,गाजीपुर, वाराणसी,भदोही ,मीरजापुर, सोनभद्र, झांसी, फैजाबाद, गोरखपुर एवं फर्रूखाबाद ।

कार्यक्रम का नाम:

गैर परियोजना आधारित कार्यक्रम
  • नवीन उद्यान रोपण- आम, अमरूद, लीची एवं टिश्यू कल्चर केले का क्षेत्र विस्तार कराया जाता है।
  • पुष्प क्षेत्र विस्तार- कट फ्लावर (रजनीगन्धा, गुलाब), बल्बस फ्लावर (ग्लैडियोलस) एवं लूज फ्लावर (गेंदा, देेशी गुलाब) का कार्यक्रम कराया जाता है।
  • मसाला विकास कार्यक्रम- हल्दी, प्याज एवं लहसुन उत्पादन के कार्यक्रम कराये जाते हैं।
  • पुराने बागो का जीर्णोद्वार/कैनोपी मैनेजमेन्ट- आम एवं अमरुद के पुराने अफलत वाले उद्यानों का कैनोपी मैनेजमेन्ट के माध्यम से जीर्णोद्धार का कार्य।
  • एकीकृत नाशीजीव प्रबन्धन- बागवानी फसलों में कीटों व रोगों की रोकथाम के लिए एकीकृत नाशी जीव प्रबन्धन का कार्यक्रम।
  • मौनपालन कार्यक्रम- कार्यक्रम के अन्तर्गत मौनवंश (हनी बी-कालोनी), मौनगृह (बी-हाइव) एवं मौनपालन उपकरण आदि का कार्य।
  • वर्मी कम्पोस्ट युनिट की स्थापना- जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु वर्मी कम्पोस्ट यूनिट (स्थायी ढांचा) की स्थापना कराते हुए जैविक खाद का उत्पादन ।
  • एच.डी.पी.ई. वर्मी बेड का वितरण- जैविक खेती को बढ़ावा देने हेतु एच.डी.पी.ई. वर्मी बेड की स्थापना कराते हुए जैविक खाद का उत्पादन ।
  • मानव संसाधन विकास कार्यक्रम (प्रशिक्षण)- चयनित लाभार्थी कृषकों को जनपद के भीतर दो दिवसीय कृषक प्रशिक्षण तथा सात दिवसीय प्रदेश के बाहर एक्सपोज़र विजिट के कार्यक्रम।
  • जनपद एवं मण्डल स्तरीय गोष्ठियां- आच्छादित जनपदों एवं मण्डल स्तर पर कृषकों की जागरूकता के लिये दो दिवसीय कृषक गोष्ठियों का आयोजन।
परियोजना आधारित कार्यक्रम :-
  • छोटी पौधशालाओं की स्थापना- फल पौध नर्सरी की स्थापना।
  • स्थापित पौधशालाओं का उच्चीकरण- राष्ट्रीय बागवानी बोर्ड के मानकानुसार स्टार रेटिंग हेतु स्थापित पुरानी पौधषालाओं को उच्चीकृत करने के लिये।
  • नई टिश्यू कल्चर इकाई की स्थापना- टिशूकल्चर विधि से पौधों के उत्पादन हेतु।
  • निजी क्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम बीज उत्पादन कार्यक्रम- बीज उत्पादन  कार्यक्रम के अन्तर्गत आलू एवं मटर के आधारित बीज का उत्पादन कराया जाता है।
  • बीज विधायन इकाई की स्थापना- उत्पादित प्रमाणित बीजों के प्रोसेसिंग हेतु इकाई की स्थापना।
  • मषरूम उत्पादन- मषरूम उत्पादन इकाई, कम्पोस्ट यूनिट एवं कम्पोस्ट मेकिंग यूनिट की स्थापना।
  • संरक्षित खेती- ग्रीन हाउस, शेडनेट हाउस में उच्च गुणवत्तायुक्त फूलों एवं सब्जी का उत्पादन।
  • हार्टीकल्चर मैकेनाइजेषन- ट्रैक्टर 20 बीएचपी तक, पावर टिलर 8 बीएचपी तक एवं उससे अधिक तथा सीड सोइंग, प्लाण्टिंग, खुदाई उपकरण।
  • पौध रक्षा उपकरण- फसलों पर छिड़काव हेतु शक्तिचालित स्प्रेयर मषीनें।
  • पैक हाउस की स्थापना- फसलों के उत्पादन के उपरान्त उनके वासिंग, ग्रेडिंग/सार्टिंग व पैकिंग हेतु।
  • कोल्ड स्टोरेज की स्थापना, विस्तार,आधुनिकीकरण, तकनीकी उन्नयन- नये कोल्ड स्टोरेज की स्थापना, पुराने स्थापित कोल्ड स्टोरेज के विस्तार, उनके आधुनिकीकरण एवं नयी तकनीकी में उन्नयन हेतु।
  • राइपेनिंग चैम्बर की स्थापना- फलों को प्राकृतिक हार्मोन के माध्यम से पकाने हेतु यह आधुनिक विधि बहुत उपयोगी है ।
  • प्रिजर्वेशन यूनिट की स्थापना- फलों, शाकभाजी के संरक्षण हेतु कृषकों/स्वयं सहायता समूहों/उद्यमियों द्वारा इकाई की स्थापना।
  • लो कास्ट प्याज भण्डारगृहों की स्थापना (25 मी टन)- प्याज फसल के कन्दों को सड़न से बचाने एवं अधिक समय तक सुरक्षित रखने हेतु।
  • रेफ्रिजरेटेड वैन- उत्पाद को सुरक्षित ट्रांसपोर्ट हेतु।

अनुमन्य अनुदान मदवार :-

अ-     गैर परियोजना आधारित:-

  1. नवीन उद्यान रोपण
    • आम- इकाई लागत रु0 25500.00 प्रति है0 का 50 प्रतिशत धनराशि रु0 12750.00 पौध सामग्री, आई.पी.एम./ आई.एन.एम. एवं वर्मी कम्पोस्ट आदि पर तीन वर्षो में अनुदान देय है (प्रथम वर्ष-रु0 7650.00, द्वितीय वर्ष रु0-2550.00, तृतीय वर्ष रु0 2550.00)
    • अमरुद- इकाई लागत रु 38340.00 प्रति है0 का 50 प्रतिशत धनराशि रु0 19170.00 पौध सामग्री, आई.पी.एम./आई.एन.एम. एवं वर्मी कम्पोस्ट आदि पर तीन वर्षो में अनुदान देय है (प्रथम वर्ष-रु0 11502.00, द्वितीय वर्ष रु0-3834.00, तृतीय वर्ष रु0 3834.00)
    • लीची- इकाई लागत रु0 28000.00 प्रति है0 का 50 प्रतिशत धनराशि रु0 14000.00 00 पौध सामग्री, आई.पी.एम./आई.एन.एम. एवं वर्मी कम्पोस्ट पर आदि तीन वर्षो में अनुदान देय है (प्रथम वर्ष-रु0 8400.00, द्वितीय वर्ष रु0-2800.00, तृतीय वर्ष रु0 2800.00)
    • केला टिशूकल्चर-(बिना ड्रिप सुविधा के)- इकाई लागत रु0 102462.00 प्रति है0 का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 40985.00 दो वर्षो में अनुदान देय है (प्रथम वर्ष-रु0 30738.00 रोपण सामग्री पर तथा द्वितीय वर्ष रु0-10247.00 आई.पी.एम./आई.एन.एम. एवं उर्वरक पर)।
  2. पुष्प क्षेत्र विस्तार-
    • कट फ्लावर – (रजनीगन्धा, गुलाब)
      • लघु एवं सीमान्त कृषक –इकाई लागत रु0 100000.00 प्रति है0 का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 40000.00 अनुदान रोपण सामग्री पर देय है।
      • अन्य कृषक- इकाई लागत रु0 100000.00 प्रति है0 का 25 प्रतिशत धनराशि रु0 25000.00 अनुदान देय है।
    • बल्बस फ्लावर – (ग्लैडियोलस)
      • लघु एवं सीमान्त कृषक- इकाई लागत रु0 150000.00 प्रति है0 का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 60000.00 अनुदान रोपण सामग्री पर देय है।
      • अन्य कृषक- इकाई लागत रु0 150000.00 प्रति है0 का 25 प्रतिशत धनराशि रु0 37500.00 अनुदान रोपण सामग्री पर देय है।
    • लूज फ्लावर- (गेंदा, देशी, गुलाब)
      • लघु एवं सीमान्त कृषक- इकाई लागत रु0 40000.00 प्रति है0 का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 16000.00 अनुदान बीज आई.पी.एम. एवं वर्मी कम्पोस्ट पर देय है।
      • अन्य कृषक- इकाई लागत रु0 40000.00 प्रति है0 का 25 प्रतिशत धनराशि रु0 10000.00 अनुदान बीज एवं वर्मी कम्पोस्ट पर देय।
  3. मसाला विकास कार्यक्रम-
    • हल्दी, लहसुन, प्याज- इकाई लागत रु0 30000.00 प्रति है0 का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 12000.00 अनुदान रोपण सामग्री पर देय है।
  4. पुराने बागो का जीर्णोद्वार/कैनोपी मैनेजमेन्ट- आम, अमरूद-इकाई लागत रु0 40000.00 प्रति है0 का 50 प्रतिशत धनराशि रु0 20000.00 अनुदान उर्वरक पौध रक्षा रसायन एवं मल्चिंग शीट पर देय है।
  5. आई.पी.एम./आई.एन.एम0 प्रोत्साहन कार्यक्रम- इकाई लागत रु0 4000.00 प्रति है0 का 30 प्रतिशत धनराशि रु0 1200.00 अनुदान जैविक कीट व्याधि नाशकों पर देय है।
  6. मौनपालन कार्यक्रम-
    • मौनवंश (हनी बी-कालोनी)- इकाई लागत रु0 2000.00 प्रति कालोनी का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 800.00 अनुदान इटैलियन बी (एपिस मैलीफेरा) की आठ फ्रेम की कालोनी पर देय है।
    • मौन गृह (बी-हाइव)- इकाई लागत रु0 2000.00 प्रति हाइव का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 800.00 अनुदान मौनगृह लैग स्ट्राथ 20 फ्रेम कम्पलीट पर देय है।
    • मौनपालन उपकरण- इकाई लागत रु0 20000.00 प्रति सेट का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 8000.00 अनुदान मौनपालन उपकरण के सेट जिसमें 30 किलोग्राम क्षमता का फूड ग्रेड कन्टेनर, चार फ्रेम हनी एक्सट्रेक्टर तथा मौनपालन में उपयोग होने वाले सभी उपकरण सम्मिलित हों पर देय है।
  7. मानव संसाधन विकास कार्यक्रम (प्रशिक्षण)-
    • दो द्विवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम- (जनपद स्तरीय) इकाई लागत रु0 1000.00 प्रति कृषक के सापेक्ष शत्- प्रतिशत अनुदान देय है।
    • प्रदेश के बाहर एक्सपोज़र विजिट कार्यक्रम- यह कार्यक्रम परियोजना आधारित है।
  8. एच.डी.पी.ई. वर्मी बेड की स्थापना- इकाई लागत रू0 16000.00 का 50 प्रतिशत रू0 8000.00 प्रति इकाई अनुदान 12’x4’x2′ (96 घन फिट) की प्री फैब्रीकेटेड स्ट्रक्चर पर देय है।

–    परियोजना आधारित:-

    1. निजी क्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम- इकाई लागत रु0 35000.00 प्रति है0 का 35 प्रतिशत अधिकतम

रु0 12250.00 प्रति है0 अनुदान देय है।

    1. छोटी पौधशालाओं की स्थापना- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 15 लाख का 40 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 6 लाख का अनुदान देय ।
    2. स्थापित पौधशालाओं का उच्चीकरण- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 2. लाख प्रति हे. का 50 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 1.25 लाख प्रति हे. का अनुदान देय ।
    3. नई टिश्यू कल्चर इकाई की स्थापना- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 250 लाख का 40 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 100 लाख का अनुदान देय ।
    4. निजी क्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 35 हजार का 35 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 12,250 का अनुदान देय । है।
    5. बीज विधायन इकाई की स्थापना- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 200 लाख का 50 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 100 लाख का अनुदान देय ।
    6. मशरूम उत्पादन- मशरूम उत्पादन इकाई व कम्पोस्ट मेकिंग यूनिट हेतु कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 20-20 लाख का 50 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 10-10 लाख का अनुदान देय । स्पान मेकिंग यूनिट एवं की स्थापना कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 15 लाख का 40 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 6 लाख का अनुदान देय ।
    7. संरक्षित खेती
    8. ग्रीन हाउस
निर्मित एरिया फैन एण्ड पैड सिस्टम नेचुरली वेन्टीलेटेड सिस्टम देय अनुदान
500 वर्ग मी0 एरिया तक रू0 1650 प्रति वर्ग मी0 रू0 1650 प्रति वर्ग मी0 लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 4000 वर्ग मी0 प्रति लाभार्थी
500 वर्ग मी0 से अधिक 1008 वर्ग मी0 तक रू0 1465 प्रति वर्ग मी0 रू0 1465 प्रति वर्ग मी0
1008 वर्ग मी0 से अधिक 2080 वर्ग मी0 तक रू0 1420 प्रति वर्ग मी0 रू0 1420 प्रति वर्ग मी0
2080 वर्ग मी0 से अधिक 4000 वर्ग मी0 तक रू0 1400 प्रति वर्ग मी0 रू0 1400 प्रति वर्ग मी0

शेडनेट हाउस – अनुमन्य इकाई लागत रू0 710 प्रति वर्गमी का 50 प्रतिशत अधिकतम 4000 वर्ग मी0 प्रति लाभार्थी।

पाली हाउस में हाई वैल्यू सब्जी उत्पादन हेतु रोपण सामग्री- हाई वैल्यू सब्जियों को पाली हाउस में उगाने के लिए बीजों का मूल्य अधिक होने के कारण लाभार्थी कृषकों को लागत मूल्य पर, रू0 140 प्रति वर्ग मीटर की लागत पर 50 प्रतिशत अनुदान, प्रति लाभार्थी अधिकतम 4000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के लिए अनुमन्य है।

पाली हाउस/शेडनेड हाउस में हाई वैल्यू पुष्प कारनेशन एवं जरवेरा उत्पादन हेतु रोपण सामग्री- हाई वैल्यू पुष्पों कारनेशन एवं जरवेरा को पाली हाउस/शेडनेट हाउस में उगाने के लिए रोपण सामग्री का मूल्य अधिक होने के कारण लाभार्थी कृषकों को लागत मूल्य पर, रू0 610 प्रति वर्ग मीटर की लागत पर 50 प्रतिशत अनुदान, प्रति ल&#2िकतम 4000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के लिए अनुमन्य है।

पाली हाउस/शेडनेड हाउस में हाई वैल्यू पुष्प गुलाब एवं लिलीयम उत्पादन हेतु रोपण सामग्री- हाई वैल्यू पुष्पों गुलाब एवं लिलीयम को पाली हाउस/शेडनेट हाउस में उगाने के लिए रोपण सामग्री का मूल्य अधिक होने के कारण लाभार्थी कृषकों को लागत मूल्य पर, रू0 426 प्रति वर्ग मीटर की लागत पर 50 प्रतिशत अनुदान, प्रति लाभार्थी अधिकतम 4000 वर्ग मीटर क्षेत्रफल के लिए अनुमन्य है।

    1. हार्टीकल्चर मैकेनाइजेशन-
क्र.सं. शक्तिचालित मशीन / उपकरण अनुमन्य लागत प्रति यूनिट  अनुमन्य अनुदान
सामान्य वर्ग के लिए लघु एवं सीमान्त कृषक / अनु.जाति /
अनु.जनजाति / महिलाओं के लिए
1- टैक्टर 20 बीएचपी तक रू0 3.00 लाख लागत का 25% अधिकतम रू0 0.75 लाख लागत का 35% अधिकतम रू0 1.00 लाख
2- पावर टिलर 8 बीएचपी से कम रू0 1.00 लाख/यूनिट अधिकतम अधिकतम 0.40 लाख/यूनिट रू0 0.50 लाख/यूनिट
3- पावर टिलर 8 बीएचपी एवं उससे अधिक रू0 1.50 लाख/यूनिट अधिकतम अधिकतम 0.60 लाख/यूनिट रू0 0.75 लाख/यूनिट
4- सोइंग,प्लाण्टिंग, रीपिंग, डिगिंग उपकरण रू0 0.30 लाख/यूनिट अधिकतम अधिकतम 0.15 लाख/यूनिट रू0 0.12 लाख/यूनिट
    1. पौध रक्षा उपकरण-
क्र.सं. शक्तिचालित मशीन/उपकरण अनुमन्य लागत प्रति यूनिट अनुमन्य अनुदान
सामान्य वर्ग के लिए लघु एवं सीमान्त कृषक/अनु.जाति/
अनु.जनजाति/महिलाआंे के लिए
1- पावर स्प्रेयर 8-12 ली रू0 6200 लागत का 40% लागत का 50%
2- पावर स्प्रेयर 12-16 ली रू0 7600 लागत का 40% लागत का 50%
3- पावर स्प्रेयर 16 ली से अधिक रू0 20000 लागत का 40% लागत का 50%
4- ट्रैक्टर माउण्टेड पावर स्प्रेयर 35 बीएचपी से अधिक रू0 126000 लागत का 40% लागत का 50%
  1. पैक हाउस की स्थापना- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 4 लाख का 50 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 2 लाख का अनुदान देय हेतु।
  2. कोल्ड स्टोरेज की स्थापना, विस्तार, आधुनिकीकरण- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 8000 प्रति मीटन का 35 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 140 लाख का अनुदान देय।
  3. तकनीकी उन्नयन- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 250 लाख का 35 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 87.50 लाख का अनुदान देय हेतु।
  4. राइपेनिंग चैम्बर की स्थापना- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 1 लाख प्रति मीटन का 35 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 35 लाख का अनुदान देय। है ।
  5. प्रिजर्वेशन यूनिट की स्थापना- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 1 लाख का 50 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 1 लाख का अनुदान देय ।
  6. लो कास्ट प्याज भण्डारगृहों की स्थापना (25 मी टन)- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 175000 का 50 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 87500 का अनुदान देय।
  7. रेफ्रिजरेटेड वैन- कुल अनुमन्य इकाई लागत रू0 26 लाख का 35 प्रतिशत अधिकतम धनराशि रू0 9.10 लाख का अनुदान देय।

आवेदक की पात्रता शर्तें:-

  • लाभार्थी चयन में द्विरावृत्ति (डुप्लीकेसी) नहीं हो अर्थात राज्य सेक्टर या राष्ट्रीययोजना या किसी अन्य समान योजना में एक ही लाभार्थी चयनित नहीं किये जायेंगे।
  • कृषक को योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु वेबसाइट पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना होगा।
  • लाभार्थी के पास उपयुक्त भूमि स्वयं के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज होनी चाहिए। कृषकों को अपने आवश्यक दस्तावेज जैसे- भूमि की पहचान हेतु खतौनी/किसान बही, किसान की पहचान हेतु वोटर आई.कार्ड./राशन कार्ड/आधार कार्ड/पासपोर्ट में से कोई एक तथा बैंक खाते की पासबुक का पहला पन्ना जिसपर खाताधारक का विवरण अंकित हो, उपलब्ध कराना होगा।
  • लाभार्थी को सम्बन्धित कार्यक्रम की प्रारम्भिक तकनीकी जानकारी हो। लाभार्थी नई तकनीकों को अपनाने हेतु जागरूक हो एवं उसकी अभिरूचि औद्यानिक कार्यक्रमों के प्रति होनी चाहिए।
  • लाभार्थी योजना के अन्तर्गत अनुदान धनराशि के अतिरिक्त सम्बन्धित कार्यक्रम पर व्यय होने वाली धनराशि तथा आवश्यक संसाधनों को वहन करने में सक्षम हो।

अनुमन्य क्षेत्रफल/मात्रा/संख्या:-

  1. निजी क्षेत्र में बीज उत्पादन कार्यक्रम – प्रति लाभार्थी अधिकतम् 5 है0 तक।
  2. नवीन उद्यान रोपण
    • आम- प्रति लाभार्थी अधिकतम् 4 है0। प्रथम वर्ष में कुल देय अनुदान रू0 7650.00 प्रति है0 के सापेक्ष लाभार्थियों को 110 आम के पौधे तथा आई.पी.एम./ आई.एन.एम. सामग्री एवं वर्मी कम्पोस्ट, द्वितीय वर्ष में कुल अनुदान रू0 2550.00 प्रति है0 के सापेक्ष पौध सामग्री एवं आई.पी.एम./ आई.एन.एम. सामग्री एवं वर्मी कम्पोस्ट तथा तृतीय वर्ष में कुल अनुदान रू0 2550.00 प्रति है0 के सापेक्ष पौध सामग्री एवं आई.पी.एम./ आई.एन.एम. सामग्री एवं वर्मी कम्पोस्ट दिया जाता है।
    • अमरुद- प्रति लाभार्थी अधिकतम् 4 है0। प्रथम वर्ष में कुल देय अनुदान रू0 11502.00 प्रति है0 के सापेक्ष 306 अमरूद के पौधे, आई.पी.एम./ आई.एन.एम. सामग्री एवं वर्मी कम्पोस्ट, द्वितीय वर्ष में कुल अनुदान रू0 3834.00 प्रति है0 के सापेक्ष पौध सामग्री एवं आई.पी.एम./आई.एन.एम. सामग्री एवं वर्मी कम्पोस्ट तथा तृतीय वर्ष में कुल अनुदान रू0 3834.00 प्रति है0 के सापेक्ष पौध सामग्री एवं आई.पी.एम./आई.एन.एम. सामग्री एवं वर्मी कम्पोस्ट दिया जाता है।
    • लीची- प्रति लाभार्थी अधिकतम् 4 है0। प्रथम वर्ष में कुल देय अनुदान रू0 8400.00 प्रति है0 के सापेक्ष 110 लीची के पौधे, आई.पी.एम./आई.एन.एम. सामग्री वर्मी कम्पोस्ट एवं माइकोराइजा, द्वितीय वर्ष में कुल अनुदान रू0 2800.00 प्रति है0 के सापेक्ष पौध सामग्री एवं आई.पी.एम./ आई.एन.एम. सामग्री एवं वर्मी कम्पोस्ट तथा तृतीय वर्ष में कुल अनुदान रू0 2800.00 प्रति है0 के सापेक्ष पौध सामग्री एवं आई.पी.एम./आई.एन.एम. सामग्री एवं वर्मी कम्पोस्ट दिया जाता है।
    • केला टिशूकल्चर-(बिना ड्रिप सुविधा के)- प्रति लाभार्थी अधिकतम् 4 है0। प्रथम वर्ष में कुल देय अनुदान रू0 30738.00 प्रति है0 के सापेक्ष 3086 टिश्यू कल्चर केले के पौधे तथा द्वितीय वर्ष में कुल अनुदान रू0 10247.00 प्रति है0 के सापेक्ष आई.पी.एम./आई.एन.एम. सामग्री एवं उर्वरक दिया जाता है।
  3. पुष्प क्षेत्र विस्तार-
    • कट फ्लावर – (रजनीगन्धा, गुलाब)
      • लघु एवं सीमान्त कृषक –कुल अनुदान रु0 40000.00 प्रति है0 के सापेक्ष रोपण सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
      • अन्य कृषक- कुल अनुदान रु0 25000.00 प्रति है0 के सापेक्ष रोपण सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
    • बल्बस फ्लावर – (ग्लैडियोलस)
      • लघु एवं सीमान्त कृषक- कुल अनुदान रु0 60000.00 प्रति है0 के सापेक्ष रोपण सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
      • अन्य कृषक- कुल अनुदान रु0 37500.00 प्रति है0 के सापेक्ष रोपण सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
    • लूज फ्लावर- (गेंदा, देशी, गुलाब)
      • लघु एवं सीमान्त कृषक- कुल अनुदान रु0 16000.00 प्रति है0 के सापेक्ष गेंदा बीज 1 से 1.25 किग्रा0, आई.पी.एम. सामग्री एवं वर्मी कम्पोस्ट उपलब्ध कराई जाती है।
      • अन्य कृषक- कुल अनुदान रु0 10000.00 प्रति है। के सापेक्ष गेंदा बीज 1 से 1.25 किग्रा0 एवं वर्मी कम्पोस्ट उपलब्ध कराई जाती है।
  4. मसाला विकास कार्यक्रम-प्रति लाभार्थी अधिकतम 04 है।
    • लहसुन- कुल अनुदान रु0 12000.00 प्रति है। के सापेक्ष रोपण सामग्री उपलब्ध कराई जाती है।
    • मिर्च- कुल अनुदान रु0 12000.00 प्रति है। के सापेक्ष मिर्च बीज एवं बायोपेस्टीसाइड नीम बेस्ड उपलब्ध कराई जाती है।
  5. पुराने बागो का जीर्णोद्वार/कैनोपी मैनेजमेन्ट- (आम, अमरूद)-प्रति लाभार्थी अधिकतम् 02 है0। कुल अनुदान रु0 20000.00 प्रति है0 के सापेक्ष उर्वरक, पौध रक्षा रसायन एवं मल्चिंग शीट उपलब्ध कराई जाती है।
  6. आई.पी.एम./आई.एन.एम0 प्रोत्साहन कार्यक्रम- प्रति लाभार्थी अधिकतम् 04 है0। कुल अनुदान रू0 1200 प्रति है। जैविक कीट व्याधि नाशकों पर देय है।
  7. मौनपालन कार्यक्रम-
    • मौनवंश (हनी बी-कालोनी)- प्रति लाभार्थी अधिकतम् 50 मौनवंश। इकाई लागत रु0 2000.00 प्रति कालोनी का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 800.00 अनुदान इटैलियन बी (एपिस मैलीफेरा) की आठ फ्रेम की कालोनी पर देय है।
    • मौन गृह (बी-हाइव)- प्रति लाभार्थी अधिकतम् 50 मौन गृह। इकाई लागत रु0 2000.00 प्रति हाइव का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 800.00 अनुदान मौनगृह लैग स्ट्राथ 20 फ्रेम कम्पलीट पर देय है।
    • मौनपालन उपकरण- प्रति लाभार्थी अधिकतम् 01 सेट। इकाई लागत रु0 20000.00 प्रति सेट का 40 प्रतिशत धनराशि रु0 8000.00 अनुदान मौनपालन उपकरण के सेट जिसमें 30 किलोग्राम क्षमता का फूड ग्रेड कन्टेनर, चार फ्रेम हनी एक्सट्रेक्टर तथा मौनपालन में उपयोग होने वाले सभी उपकरण सम्मिलित हों पर देय है।
  8. मानव संसाधन विकास कार्यक्रम (प्रशिक्षण)-
    • दो द्विवसीय कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम- इकाई लागत रु0 1000.00 प्रति कृषक के सापेक्ष शत- प्रतिशत अनुदान देय है।
    • प्रदेश के बाहर एक्सपोज़र विजिट कार्यक्रम- यह कार्यक्रम परियोजना आधारित है। लागत के सापेक्ष शत् प्रतिशत् अनुदान देय है।
  9. आवेदन कैसे करें- योजना का लाभ पाने के लिए इच्छुक कृषकों को वेबसाइट नचंहतपबनसजनतमण्बवउ पर ऑनलाइन पंजीकरण कराना अनिवार्य है। कृषक साइबर कैफे/जन सुविधा केन्द्र/कृषक लोकवाणी से ऑनलाइन पंजीकरण करा सकते हैं। कार्यक्रम के अन्तर्गत लाभार्थियों का चयन पहले आओ पहले पाओ के आधार पर किया जायेगा। अधिक जानकारी के लिए अपने जनपद के उद्यान अधिकारी से संपर्क करें।

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