भारतीय कपास निगम ने 5,543 किसानों को निःशुल्क वितरित की कपास प्लकर मशीन

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कपास प्लकर मशीन वितरण

भारतीय कपास निगम लिमिटेड (सीसीआई) ने कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के तहत सभी कपास उत्पादक राज्यों (आकांक्षी जिलों सहित) में 5,543 सीमांत और छोटे किसानों के बीच करीब चार करोड़ रूपये की कीमत की कपास प्लकर मशीने वितरित की है | कपास प्लकर मशीने कपास उत्पादक सभी राज्यों के किसानों को दी गई है |

भारत में हाथों के द्वारा अधिकांश कपास पौधों से अलग किया जाता है, जिसके लिए ज्यादा श्रमबल की आवश्यकता पड़ती है | अमेरिका, आस्ट्रेलिया आदि जैसे दुसरे प्रमुख कपास उत्पादक देशों के विपरीत, भारत में कपास किसानों की छोटी भूमि जोत, बुवाई/कपास को पौधे से निकलने के पैटर्न (3 से 4 तुड़ाई) और अलग–अलग राज्यों में अलग–अलग जलवायु परिस्थितियों के कारण बड़ी मशीनों द्वारा पूरी तरह से मशीनीकृत कटाई भारत में सफल नहीं हुई है |

इसलिए किसानों के लिए लागत को कम करने के लिए हाथ से नियंत्रित कपास प्लकर मशीन (कपास को पौधे से अलग करने की मशीन) एक विकल्प है और मानव श्रम के साथ कपास को पौधे से अलग करने (मैनुअल पिंकिंग) के कारण खेतों के स्तर पर संदूषण को रोकने का एक हल है |

क्या है कपास प्लकर मशीन (Cotton Plucking Machine)

भारत में कपास की खेती करने वाले किसानों के लिए बहुत काम की मशीन है | हाथ से नियंत्रित कपास प्लकर मशीन एक हल्के वजन (लगभग 600 ग्राम) की है, जिसके अंदर रोलर्स की एक जोड़ी होती है जिसके बाहरी परिधि पर छोटे किनारों वाले दांत होते हैं और यह हल्के वजन 12 वाल्ट द्वारा संचालित होता है | कपास रोलर्स में उलझ जाता है और सीधे उससे जुड़े कलेक्शन बैग में इकट्ठा हो जाता है | मशीन का डिज़ाइन उसे क्षेत्र में काम करने के लिहाज से आसान बनाता है और यह 8,000 रूपये (लगभग) प्रति मशीनों की कम कीमत के साथ किफायती भी है |

कपास प्लकर मशीन से क्या लाभ है ?

  • कपास किसानों के लिए मैनुअल पिकिंग में स्वास्थ खतरों के जोखिम को कम करना (यानी कीड़े के काटने का जोखिम, लंबे समय तक खड़े रहने के कारण पीठ दर्द, पैरों और हाथों में चोट लगना/काटना आदि) |
  • कपास की कटाई के कौशल में सुधार, दुर्लभ और महंगे श्रम पर निर्भरता कम करना तथा कपास किसानों को आत्मनिर्भर बनाना |
  • खेतों के स्तर पर संदूषण को कम करके कपास की गुणवत्ता में सुधार करना |
  • कटाई की लागत में कमी (श्रम की कम आवश्यकता), कम कचरा एवं संदूषण और बेहतर गुणवत्ता वाले कपास की बिक्री पर प्रीमियम के साथ कपास किसानों का वित्तीय लाभ बढ़ सकता है |
  • अच्छी गुणवत्ता वाले स्वदेशी कपास की उपलब्धता के कारण सूती धागे, वस्त्र और मूल्य वर्धित उत्पादनों की गुणवत्ता में भी वृद्धि होगी जिससे विदेशी मुद्रा आय में वृद्धि हो सकती है |

किस राज्य में कितनी मशीनें वितरित की गई

भारतीय कपास निगम द्वारा देश के किसानों को 5,543 कपास प्लकर मशीन दी गई हैं | यह मशीन अलग–अलग कपास उत्पादक राज्यों को दी गई है | इसमें पंजाब (100), हरियाणा (135), राजस्थान (120), गुजरात (600), महाराष्ट्र (839), मध्यप्रदेश (626), तेलंगाना (547), कर्नाटक (1228), उड़ीसा (700) राज्य में कपास प्लकर मशीने दी गई हैं |

1 अक्टूबर से शुरू होगी मंडियों में धान की समर्थन मूल्य पर खरीद

धान की समर्थन मूल्य पर खरीद

देश के विभिन्न राज्यों में खरीफ फसल की कटाई शुरू होने वाली है तो कुछ राज्यों में खरीफ फसल की कटाई शुरू हो चुकी है | इसके साथ ही सरकार ने किसानों से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी की तैयारी भी पूरी कर ली है | उत्तरप्रदेश एवं हरियाणा सरकार किसानों से धान की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू करने जा रही है | जिस राज्य में फसल की कटाई देर से शुरू होने वाली है उन राज्यों में खरीफ फसल की सरकारी खरीदी भी देर से शुरू की जाएगी |

हरियाणा सरकार राज्य के किसानों से धान की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू करने जा रही है, पहले खरीदी 25 सितम्बर से शुरू होने वाली थी | इसके लिए सभी तैयारी पूरी कर ली गई है | इस बार किसान राज्य में पंजीकृत फसल को बेचने के लिए समय का निर्धारण खुद से तय कर सकते हैं | इसके लिए किसान को ई-खरीफ सॉफ्टवेर के लिंक पर जाकर अपनी डेट चुनना होगा |

किसान स्वयं से कैसे शेड्यूल तय करें ?

किसान ई-खरीफ सॉफ्टवेर के माध्य से मंडियों में अपनी धान की फसल लाने के लिए शेड्यूलिंग स्वयं कर सकते हैं | किसानों को मंडियों में धान लाने से पूर्व ई-खरीफ सॉफ्टवेर के लिंक http://ekharid.haryana.gov.in/setschedule पर धान लाने के दिन व समय के बारे सूचित करना होगा |

कब से शुरू होगी अन्य फसलों की खरीद ?

हरियाणा सरकार के द्वारा धान की खरीदी 1 अक्टूबर 2021 से शुरू की जाएगी जो पहले 25 सितम्बर से शुरू होने वाली थी | यह खरीदी 15 नवम्बर 2021 तक की जानी है | इसके अलावा भी अन्य खरीफ फसलों की खरीदी भी सरकार द्वारा की जाएगी | मक्का, बाजरा और मूंग की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू होगी और 15 नवम्बर 2021 तक की जाएगी | इसके अलावा मूंगफली की खरीदी 1 नवम्बर 2021 से की जाएगी यह खरीदी 31 दिसम्बर 2021 तक किया जाना है |

7.5 लाख किसानों ने किया है पंजीयन

किसानों से खरीफ फसलों की खरीदी केवल “मेरी फसल,  मेरा ब्योरा” पोर्टल में पंजीकृत किसानों से ही की जाएगी | 31 अगस्त 2021 को खरीफ फसलों के पंजीयन के लिए पोर्टल बंद कर दिया गया था | इस बार हरियाणा के 22 जिलों के 7 लाख 50 हजार 949 किसानों ने 46 लाख 98 हजार 781 एकड़ भूमि के लिए पंजीयन कराया है | जबकि 88 लाख 92 हजार 329 एकड़ को कृषि योग्य संचयी क्षेत्र के रूप में पंजीकृत किया गया है | इस बार का पंजीयन 22 जिलों में लगभग 52.82 प्रतिशत है |

किस रेट पर होगी खरीफ फसलों की खरीद ?

केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 2021–22 के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पहले से ही घोषित कर दिए गए हैं | सरकार द्वारा वर्ष 2021–22 के लिए घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है :-

  • धान – 1940 रूपये प्रति क्विंटल
  • ज्वार – 2738 रूपये प्रति क्विंटल
  • बाजरा – 2250 रूपये प्रति क्विंटल
  • मूंगफली – 5550 रूपये प्रति क्विंटल
  • मूंग – 7275 रूपये प्रति क्विंटल
  • मक्का – 1870 रूपये प्रति क्विंटल

प्रधानमंत्री मोदी ने विशेष गुणों वाली विभिन्न फसलों की 35 किस्में राष्ट्र को की समर्पित

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विशेष गुणों वाली किस्मों का विमोचन

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से विशेष गुणों वाली फसलों की 35 किस्में राष्ट्र को समर्पित कीं। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय जैविक तनाव प्रबंधन संस्थान, रायपुर का नवनिर्मित परिसर भी राष्ट्र को समर्पित किया। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने कृषि विश्वविद्यालयों को ग्रीन कैंपस अवार्ड भी वितरित किये। उन्होंने उन किसानों के साथ बातचीत की, जो नवोन्मेषी तरीकों का उपयोग करते हैं तथा सभा को भी संबोधित किया।

प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि पिछले छह-सात वर्षों में कृषि से संबंधित चुनौतियों के समाधान के लिए विज्ञान और प्रौद्योगिकी का प्राथमिकता के आधार पर उपयोग किया जा रहा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “हमारा सबसे ज्यादा ध्यान अधिक पौष्टिक बीजों पर है, जो खासकर बदलते मौसम में, नई परिस्थितियों के अनुकूल हैं।” उन्होंने कहा कि फसलों को बीमारियों से बचाने के लिए किसानों को नई किस्मों के बीज उपलब्ध कराना और इस प्रकार अधिक उपज प्राप्त करना है ।

इन विशेष गुणों वाली किस्मों का किया गया विमोचन

  • धान की 3 बैक्टीरियल ब्लाइट प्रतिरोधी किस्में – पूसा बासमती 1886, पूसा बासमती 1847 और पूसा बासमती 1885 विमोचित की गई |
  • गेहूं 6 किस्में जैसे डीबीडब्ल्यू 332, डीबीडब्ल्यू 327, HI 1636,  HUW 838,  MP (JW) 1358 और HI 8123 प्रोटीन, आयरन और जिंक से भरपूर सहित मक्का की सी.एफ.एम.वी-1, सी.एफ.एम.वी-2, 4 फसलों की 11 बायोफोर्टिफाइड किस्में विकसित की गईं हैं।
  • 2 कम अवधि की रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले मटर और अरहर की दो किस्में आईपीएच 15-3 और आईपीएच 09-5 और कम अवधि की सोयाबीन किस्म एनआरसी 138 यांत्रिक कटाई के लिए उपयुक्त भी जारी की गई |
  • सूखा सहिष्णु उच्च उपज रोग प्रतिरोध पूसा चना 4005, बाजरा संकर एचएचबी 67 किस्में ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ की अवधारणा पर विकसित की गई है।

विशेष गुणों वाली फसलों की किस्मों के बारे में

जलवायु परिवर्तन और कुपोषण की दोहरी चुनौतियों को हल करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्मों को विकसित किया गया है। जलवायु को लेकर लचीलापन और ऊंची पोषक तत्व सामग्री जैसे विशेष गुणों वाली 35 ऐसी फसलों की किस्मों को साल 2021 में विकसित किया गया है। इनमें सूखे को बर्दाश्त करने वाली चने की किस्म, विल्ट और स्टरिलिटी मौज़ेक प्रतिरोधी अरहर, सोयाबीन की जल्दी पकने वाली किस्म, चावल की रोग प्रतिरोधी किस्में और गेहूं, बाजरा, मक्का, चना, किनोवा, कुटु, विन्गड बीन और फाबा बीन की बायोफोर्डिफाइड किस्में शामिल हैं।

इन विशेष लक्षणों वाली फसल की किस्मों में वे भी शामिल हैं जो कुछ फसलों में पाए जाने वाले ऐसे पोषण-विरोधी कारकों को हल करती हैं जो मानव और पशु स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालते हैं। ऐसी किस्मों के उदाहरणों में पूसा डबल जीरो मस्टर्ड 33, पहला कैनोला क्वालिटी हाइब्रिड आरसीएच 1 जिसमें <2% इरुसिक एसिड और <30 पीपीएम ग्लूकोसाइनोलेट्स और एक सोयाबीन की किस्म शामिल है जो दो पोषण-विरोधी कारकों से मुक्त है जिन्हें कुनिट्ज़ ट्रिप्सिन इनहिबिटर और लिपोक्सीजनेस कहते हैं। सोयाबीन, ज्वार, और बेबी कॉर्न सहित अन्य में विशेष गुणों वाली किस्में विकसित की गई हैं।

पशुपालन एवं डेयरी शुरू करने के लिए सरकार दे रही है 50 से 90 प्रतिशत तक सब्सिडी

सब्सिडी पर डेयरी की स्थापना

युवाओं को स्थानीय स्तर पर रोजगार उपलब्ध कराने तथा प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता बढ़ाने के लिए सरकार द्वारा पशुपालन क्षेत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है | पशुपालन किसानों के लिए निश्चित आय का स्रोत हैं जिससे प्रतिदिन कुछ आमदनी हो जाती है | इसको ध्यान में रखते हुए केंद्र तथा राज्य सरकारें पशुपालकों के लिए विभिन्न प्रकार की योजनायें चला रही है | पशुपालन एवं डेयरी व्यवसाय से बेरोजगार नवयुवकों को स्वरोजगार उपलब्ध कराने के लिए पशुपालन एवं डेयरी की स्थापना के लिए सरकार सब्सिडी देती है |

इसी क्रम में हरियाणा सरकार द्वारा राज्य में पशुपालन एवं डेयरी व्यवसाय को बढ़ावा देने के हाईटेक मिनी डेयरी योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है | इस योजना के तहत राज्य में छोटे तथा बड़े डेयरी फार्म आधुनिक तरीके से डाले जा सकते हैं | 

डेयरी की स्थापना पर सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी

एक सरकारी प्रवक्ता ने जानकारी देते हुए बताया कि विभाग द्वारा हाईटेक मिनी डेयरी योजना के तहत सामान्य वर्ग के पशुपालक 4, 10, 20 तथा 50 दुधारू पशुओं की डेयरी स्थापित कर सकते हैं। विभाग द्वारा 4 व 10 दुधारू पशुओं (भैंस/गाय) की डेयरी स्थापित करने वाले व्यक्तियों को 25 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी। इसी प्रकार 20 व 50 दुधारू पशुओं की डेयरी पर ब्याज की सब्सिडी देने का प्रावधान दिया गया है।

इस योजना के तहत अनुसूचित जाति से जुड़े व्यक्तियों के लिए 2/3 दुधारू पशुओं की डेयरी स्थापित करने तथा सूअर पालन के लिए 50 प्रतिशत सब्सिडी दी जाएगी।  इसी प्रकार भेड़ तथा बकरियों की डेयरी करने वाले किसानों को भी योजना का लाभ दिया जाएगा | इस योजन के तहत भेड़ तथा बकरियों की डेयरी करने वाले पशुपालकों को 90 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाएगी |

योजना के लिए आवेदन कहाँ से करें ?

इच्छुक व्यक्तियों को सब्सिडी पर पशुपालन एवं डेयरी का व्यवसाय करने के लिए सरल हरियाणा पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। पशुपालन एवं डेयरी विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए किसी भी कार्य दिवस में विभाग के निकटतम कार्यालय से संपर्क कर योजना के विषय में जानकारी ले सकते हैं |

योजना के तहत आवेदन करने के लिए आवश्यक दस्तावेज

डेयरी पालन का व्यवसाय करने के इच्छुक व्यक्तियों को सरल पोर्टल पर पंजीकरण करना होगा। पंजीकरण करते समय आवेदक के पास विभिन्न प्रकार के दस्तावेज होना जरुरी है:-

  • परिवार पहचान पत्र,
  • आधार कार्ड,
  • पैन कार्ड,
  • बैंक पासबुक,
  • कैंसल चैक तथा बैंक की एनओसी अपलोड करनी होगी |

17 दिसम्बर तक बकाया बिजली बिल जमा करने पर किसानों को नहीं देना होगा कोई पैनल्टी

बिजली बिल पैनाल्टी पर छूट

कृषि में सिंचाई एवं अन्य कार्यों के लिए किसानों को बिजली की आवश्यकता होती है परन्तु कई बार किन्ही कारणों के चलते किसान बिजली बिल जमा नहीं कर पाते हैं | किसानों के द्वारा समय पर बिजली बिल जमा नहीं करने के कारण उस पर पैनाल्टी लगा दी जाती है और यह लगातार बढ़ती रहती है | किसान कई बार यह बिल भरने में असमर्थ हो जाते हैं एवं उनका बिजली कनेक्शन काट दिया जाता है | कृषि कनेक्शन पर लगाई गई पैनाल्टी कभी–कभी मूल बिजली बिल की राशि से भी ज्यादा हो जाती है |

इन सब से छुटकारा दिलाने के लिए राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक बड़ा तोहफा लेकर आई है | राजस्थान सरकार ने राज्य के किसानों पर कृषि बिल बकाया पर लगने वाली पैनाल्टी को माफ़ करने का फैसला लिया है | घरेलू एवं कृषि उपभोक्ताओं को राहत देने के लिए विद्युत वितरण निगमों द्वारा एमनेस्टी योजना लागू की है। योजना के तहत 31 मार्च 2021 को बकाया मूल राशि का एकमुश्त भुगतान करने पर कृषि उपभोक्ताओं को शत-प्रतिशत एवं घरेलू उपभोक्ताओं को 50 प्रतिशत पैनल्टी में छूट दी जाएगी।

कब तक के बिजली बिल पर मिलेगी छूट

डिस्कॉम के अध्यक्ष श्री भास्कर ए. सावंत ने बताया है कि 31 मार्च 2021 को मूल बकाया राशि का एकमुश्त भुगतान करने पर कृषि उपभोक्ताओं को 100 प्रतिशत एवं घरेलू उपभोक्ताओं को 50 प्रतिशत ब्याज व पैनाल्टी में छुट दी जाएगी | 31 मार्च 2021 के बाद की बकाया राशि पर नियमानुसार विलम्ब शुल्क देय होगा | पिछले 3 वर्षो में इस तरह की योजनाओं का लाभ ले चुके उपभोक्ताओं एवं विद्युत चोरी व दुरूपयोग के प्रकरणों में इस एमनेस्टी योजना का लाभ देय नही होगा।

कृषि एवं घरेलू श्रेणी के नियमित/विद्युत सम्बन्ध विच्छेद उपभोक्ताओं को बकाया राशि जमा कराने के लिए प्रेरित करने हेतु प्रशासन गांव व शहरों के संग अभियान के दौरान इस योजना को 17 दिसम्बर 2021 तक लागू करने का निर्णय लिया गया है । उल्लेखनीय है कि यह योजना उन उपभोक्ताओं के लिए है जिनके बिजली बिल लम्बित होने के कारण पैनल्टी की राशि काफी अधिक बढ़ चुकी है।

लम्बित प्रकरणों का किया जाएगा निस्तारण

प्रशासन गांवों एवं शहरों के संग अभियान के दौरान उपभोक्ताओं व गैर उपभोक्ताओं के विद्युत् चोरी एवं विद्युत् दुरपयोग से संबंधित लम्बित सर्तकता जांच प्रकरणों का निस्तारण भी किया जाएगा | कोविड–19 के समय असुविधा को देखते हुए जिन उपभोक्ताओं द्वारा राजस्व निर्धारण पुनरीक्षण समिति के समक्ष नोटिस जारी होने की दिनांक से अपील दायर करने की 30 दिवस की अवधि निकल चुकी है ऐसे उपभोक्ताओं को अब 17 दिसम्बर 2021 तक वैधानिक दायित्व राशि का 10 प्रतिशत अथवा 5 लाख रूपये जो भी कम हो व संपूर्ण प्रशमन राशि जमा करवाकर राजस्व निर्धारण पुनरीक्षण समिति के समक्ष अपील दायर करने की अवधि में शिथिलता प्रदान की गई है |

न्यायालय में दायर मामलों पर नहीं होगा लागू 

इस अभियान के दौरान पूर्व में निस्तारित किए जा चुके प्रकरणों पर विचार नहीं किया जाएगा | इसके साथ ही ऐसे प्रकरण जो किसी भी न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है एवं उपभोक्ताओं व गैर उपभोक्ता द्वारा प्रकरण को न्यायलय से वापस लेने के सन्दर्भ में शपथ–पत्र प्रस्तुत किया जाता है तो ऐसे प्रकरणों के निस्तारण की कार्यवाही भी इसी अभियान के दौरान की जाएगी |

धान की फसल में अभी क्या करें किसान

धान में अभी लगने वाले कीट-रोग

देश में अभी कई स्थानों पर बारिश का सिलसिला जारी है और कई जगहों पर तेज धूप भी पड़ रही है | बारिश के बाद मौसम में आर्द्रता बढ़ने के कारण खरीफ फसलों खासकर धान के पौधों में कीट-रोगों के प्रकोप की संभावना बढ़ जाती है | ऐसे में धान की खेती करने वाले किसानों को फसल की लगातार निगरानी करनी चाहिए | यदि धान में किसी तरह का कीट या रोग दिखाई दे तो उस पर समय पर नियंत्रण किया जा सके | धान की फसल में अभी पीला तना छेदक कीट, माहू, पेनिकल माईट, ब्लास्ट रोग, शीथ ब्लाईट जैसे कीट एवं रोग लग सकते हैं |

धान में यूरिया एवं पोटाश का छिडकाव

फसल के प्रारंभिक गभोट अवस्था में मध्यम एवं देर अवधि वाले धान फसल के 60-75 दिन के होने पर नत्रजन की तीसरी मात्रा का छिड़काव किसान कर सकते हैं | जहाँ किसानों ने जल्दी पकने वाली धान लगाई है वहां यदि 50 प्रतिशत पुष्पन हो चुका है, तो नत्रजन की तीसरी मात्रा का छिड़काव करें, पोटाश की सिफारिश मात्रा का 25 प्रतिशत भाग फूल निकलने की अवस्था पर टॉप ड्रेसिंग करने से धान के दानों की संख्या एवं वजन में वृद्धि होगी।

पीला तना छेदक कीट का नियंत्रण

अभी के समय में धान की फसल पर पीला तना छेदक कीट के वयस्क दिखाई देने पर तना छेदक के अंडा समूह को एकत्र कर नष्ट कर दे। साथ ही सूखी पत्ती को खींचकर निकाल दे। तनाछेदक की तितली 1 मोथ प्रति वर्ग मीटर में होने पर फिपरोनिल 5 एससी 1 लीटर प्रति दर से छिड़काव करें।

माहू कीट का नियंत्रण

धान की फसल पर कहीं-कहीं माहूं कीट का प्रकोप शुरू हो गया है, धान फसल की सतत निगरानी करें एवं कीटों की संख्या 10-15 प्रति पौधा हो जाने पर शुरूआत में ब्युपरोफेजिन 800 मिली प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। 15 दिवस पश्चात् अगर कीट का प्रकोप बढ़ता दिखाई दे तो डाइनेटोफ्युरान 200 ग्राम या ट्राईफ्लामिजोपारम 500 मिमी प्रति हेक्टेयर की दर से आधोरीय भागों पर छिड़काव करें। सिंथेटिक पाईराथ्राईन वर्ग के कीटनाशक जैसे साइपरमेथिन व डेल्टामेथिरिन दवाओं का उपयोग माहू के प्रकोप को बढ़ा सकता है। अत: इनका उपयोग माहू नियंत्रण में ना करें।

पेनिकल माईट का नियंत्रण

कहीं-कहीं पेनिकल माईट का प्रकोप भी देखने में आया है। जिसकी पहचान पोंचे व बदरंग दाने व तने पर भूरापन देखकर किया जा सकता है। इसके निदान हेतु एबेमेक्टिन 0.5 मिमी प्रति लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें।

ब्राउन प्लांट हॉपर

इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट होपर का आक्रमण आरंभ हो सकता है अतः किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें। यदि कीट का प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड़ 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें।

झुलसा रोग

धान की फसल पर झुलसा (ब्लास्ट) रोग के प्रारंभिक अवस्था में निचली पत्ती पर हल्के बैगनी रंग के धब्बे पड़ते है, जो धीरे-धीरे बढ़कर आंख-नॉव के सामान बीच में चौड़े एवं किनारों में सकरे हो जाते है। इन धब्बों के बीच कर रंग हल्के भूरे रंग का होता है। इसके नियंत्रण के टेबूकानालोल 750 मिली प्रति हेक्टेयर 500 लीटर पानी घोल बना कर छिड़काव करें।

जीवाणुजनित झुलसा पत्ती का किनारे वाला ऊपरी भाग हल्का पीला सा हो जाता है तथा पूरी पती मटमैले पीले रंग की होकर पत्रक (शीथ) तक सूख जाती है। रोग के लक्षण दिखने पर यदि पानी उपलब्ध हो तो खेत से पानी निकाल कर 3-4 दिन तक खुला रखें तथा 25 किलो पोटाश की प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करे। स्ट्रेप्टोमाइसिन सल्फेट टेट्रा साइक्लिन संयोजक 300 ग्राम कॉपर आक्सीक्लोराइड 1.25 किग्रा प्रति हेक्टेयर 500 पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

शीथ ब्लाईट रोग

धान के खेत में पानी की सतह पर ऊपर पौधों के तनों पर यदि मटमैले रंग के बड़े-बड़े धब्बे दिख रहे हो तथा यह धब्बे बैंगनी रंग के किनारे से घिरे हो, जिसे शीथ ब्लाईट नामक रोग कहते है। यह रोग आने पर हेक्साकोनालोल फफूंदनाशक दवा (1 मिली/ली पानी)का छिड़काव रोगग्रस्त भागों पर करें। आवश्यकता पडऩे पर यह छिड़काव 12-15 दिन बाद दोहराया जा सकता है।

किसानों के लिए खुशखबरी: राज्य सरकार ने गन्ने के मूल्य में की 25 रुपये की वृद्धि

गन्ने के मूल्य में वृद्धि

पंजाब, हरियाणा के बाद अब उत्तरप्रदेश सरकार ने भी गन्ने के एसएपी (स्टेट एडवायसड़ प्राइस) मूल्य में वृद्धि कर दी है | हरियाणा सरकार ने जहाँ इस वर्ष गन्ने के मूल्य में 12 से 15 रुपये तक की वृद्धि की थी वहीँ उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने गन्ने के मूल्य में 25 रुपये की वृद्धि की है | केंद्र और राज्य सरकारें गन्ने की फसल का न्यूनतम मूल्य तय करती हैं | इस मूल्य या इससे ऊपर ही चीनी मिलें गन्ने की खरीद करती हैं | एफआरपी वह न्यूनतम मूल्य है, जिस पर चीनी मिलों को किसानों से गन्ना खरीदना होता है |

इस वर्ष केंद्र सरकार ने गन्ने के उचित एवं लाभकारी मूल्य (FRP) में 5 रूपये की वृद्धि की है | केंद्र सरकार गन्ने की कीमत का भुगतान अब 290 रुपए प्रति क्विंटल का हिसाब से करेगी | केंद्र के अलावा राज्य सरकारें अपने राज्य के किसानों के लिए गन्ने का मूल्य एसएपी (स्टेट एडवायसड़ प्राइस) अलग से तय करती हैं |

अब किसानों को क्या मिलेगा गन्ने का भाव

राज्य सरकार ने गन्ना किसानों के हित में गन्ना मूल्य में वृद्धि का निर्णय लिया है । अब 325 रुपये प्रति क्विंटल के गन्ने का गन्ना मूल्य बढ़ाकर 350 रुपये प्रति क्विंटल, 315 रुपये प्रति क्विंटल के सामान्य गन्ने का गन्ना मूल्य 340 रुपये प्रति क्विंटल तथा अनुपयुक्त गन्ने के गन्ना मूल्य में 25 रुपये प्रति क्विंटल वृद्धि की है। गन्ना मूल्य में इस वृद्धि से प्रदेश के 45 लाख गन्ना किसानों की आय में 08 प्रतिशत की अतिरिक्त बढ़ोत्तरी होगी।

चालू की गई बंद चीनी मिलें

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किसान सम्मलेन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने गन्ना किसानों के हित में बन्द चीनी मिलों का संचालन प्रारम्भ कराया। पिपराइच, मुण्डेरवा, रमाला में पूर्ववर्ती सरकारों द्वारा बेची गयी चीनी मिलों के स्थान पर नये संयंत्र स्थापित कराए। साथ ही, बकाया गन्ना मूल्य का भुगतान सुनिश्चित कराया। विगत साढ़े चार वर्षों में किसानों को 01 लाख 44 हजार करोड़ रुपये के गन्ना मूल्य का भुगतान कराया गया। 30 नवम्बर, 2021 तक गन्ना मूल्य के भुगतान एवं चीनी मिलों के संचालन के निर्देश दिए गए हैं।

क्या है अन्य राज्यों में गन्ने का भाव

गन्ने के मूल्य में केंद्र सरकार ने 5 रूपये की वृद्धि कर के देश भर के किसानों के लिए 290 रूपये प्रति क्विंटल कर दिया है | जबकि अन्य राज्य ने सामान्य गन्ने के लिए एसपी के मूल्य में जो वृद्धि की है जो इस प्रकार है:-

  • उत्तर प्रदेश – 340 रूपये प्रति क्विंटल
  • पंजाब – 360 रूपये प्रति क्विंटल
  • हरियाणा – 362 रूपये प्रति क्विंटल

जानिए क्या है टर्बो हैप्पी सीडर कृषि यंत्र, किसान कैसे इसके उपयोग से कर सकते कम लागत में गेहूं की बुआई

टर्बो हैप्पी सीडर कृषि यंत्र

आधुनिक खेती में कृषि यंत्रों के बढ़ते महत्व को देखते हुए नए-नए तरह के कृषि यंत्र विकसित किए जा रहे हैं | किसान इन कृषि यंत्रों को अपनाकर कम समय एवं कम लागत से अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं | बढ़ते वायु प्रदुषण के चलते सरकार द्वारा फसल अवशेष को जलाने पर पाबन्दी लगा दी गई है | ऐसे में सरकार द्वारा किसानों को ऐसे कृषि यंत्रो के उपयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है जिससे किसानों को पराली एवं फसल अवशेष जलाने की आवश्यकता न पड़े और फसल अवशेष का उपयोग खाद के रूप में किया जा सके | आज हम आपको ऐसे ही कृषि यंत्र के बारे में जानकारी देंगे जिससे न केवल फसल अवशेष जलाने से बचा जा सकता है बल्कि इससे फसलों की पैदावार भी बढ़ती है |

कम्बाइन द्वारा कटाई के बाद धान के फसल अवशेषों को किसान जला देते है जो मिट्टी और वायु दोनों के लिए हानिकारक है | मिट्टी और वायु प्रदुषण रोकने के लिए अब ऐसे कृषि यंत्र विकसित किए जा रहे हैं जिसमें किसान फसल अवशेषों में ही आने वाली दूसरी फसल की बुआई कर सकते हैं एवं फसल अवशेष का उपयोग खाद के रूप में हो जाता है | ऐसे ही कृषि यंत्र हैं जीरो ट्रिल ड्रिल, हैप्पी सीडर आदि |

क्या है टर्बो हैप्पी सीडर

टर्बो हैप्पी सीडर यंत्र में दो इकाइयाँ होती है – एक फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए तथा दूसरी बुआई के लिए | फसल अवशेष प्रबन्धन के लिए ही टर्बो हैप्पी सीडर का विकास किया गया है | हैप्पी सीडर में ही संशोधन करके टर्बो हैप्पी सीडर विकसित किया गया है | इसके उपयोग से सम्पूर्ण धान अवशेष (6-8 टन/हैक्टर) में आसानी से बुआई की जा सकती है | इस मशीन द्वारा कम्बाइन हार्वेस्टर से कटे खेत में फसल अवशेष में गेहूं की बुआई की जाती है | इससे किसानों द्वारा फसल अवशेष का उपयोग मल्चिंग के रूप में किया जाता है |

इस मशीन द्वारा 22 से.मी. पंक्ति से पंक्ति की दुरी पर 9 पंक्ति व 11 पंक्तियों में बुआई एक साथ बिना जूते खेत में की जाती है | इसके साथ में धान के फसल अवशेषों को पंक्तियों के बीच में पीटीओ द्वारा चलित रोटरी ब्लेड समान रूप से फैला देता है | इसके साथ-साथ बुआई की जाने वाली पंक्तियों को फसल अवशेष रहित (पुआल) करते हुए बीज एवं खाद को उचित गहराई में स्थापित करने में सहायता करता है | इससे फसल का जमाव समान रूप से होता है |

गेहूं की हैप्पी सीडर से बुआई

शून्य जुताई की श्रेणी में हैप्पी सीडर तकनीक हाल में अधिक प्रचलित हो गई है | हार्वेस्टर द्वारा धान की कटाई के बाद पारंपरिक तरीके से गेहूं की बुआई करने पर क्षेत्र क्षमता लगभग 45 प्रतिशत जबकि हैप्पी सीडर की 65 प्रतिशत तक पाई गई है | हैप्पी सीडर द्वारा बुआई किए जाने से दो बार की जुताई एवं प्रथम सिंचाई की बचत होती है और फसल अवशेषों को जलाने से रोका जा सकता है | इस विधी को अपनाने से समय की बचत, इंधन की खपत को कम करके कार्बन उत्सर्जन में कमी की जा सकती है |

टर्बो हैप्पी सीडर की विशेषताएं

  • इस मशीन का उपयोग करने के लिए 10 से 12 लीटर/हैक्टर डीजल की खपत तथा 5 से 6 घंटे समय की आवश्यकता होती है | इसके साथ ही किसानों को जुताई पर आने वाले खर्च में कमी होती है |
  • इस मशीन से बुआई करने से मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनाये रखने में मदद मिलती है साथ-साथ फसल अवशेष न जलने से वातावरण के लिए अच्छी है | हैप्पी सीडर से बोई फसल की पंक्तियों के बीच में अवशेषों को फैला देता है, इससे मृदा की नमी सरंक्षित रहती है तथा अवशेषों को न जलाने से वायु में प्रदुषण कम हो जाता है | अवशेष सड़कर खाद बनकर फसल की उत्पादकता में वृद्धि करते हैं |
  • मशीन के प्रयोग से सही बीज दर, उचित पंक्ति एवं बीज व पौधे की दुरी, उचित गहराई में बीज एवं खाद पड़ने से फसल की पैदावार अच्छी होती है |

टर्बो हैप्पी सीडर की कीमत क्या है ?

इस मशीन के उपयोग के लिए 45 से 50 हार्स पॉवर ट्रेक्टर की आवश्यकता होती है | इस प्रकार से लगभग 6 टन/हैक्टर फसल अवशेष का प्रबंधन करके 5 से 10 प्रतिशत अधिक उत्पादन, 50-60 प्रतिशत कम लागत पर प्राप्त की जा सकती है | टर्बो हैप्पी सीडर मशीन 9 टाईन की कीमत लगभग 1.5 लाख रुपये के आसपास है |

ज्यादा बारिश वाले क्षेत्रों का सर्वे कर किसानों को दिया जायेगा मुआवजा

बारिश से फसल नुकसान का सर्वे

देश के अधिकांश क्षेत्रों में अभी दलहन एवं तिलहन की फसल कटाई के लिए तैयार है परन्तु लगातार हो रही बारिश से इन फसलों को काफी नुकसान हुआ है | ऐसे में हरियाणा के उपमुख्यमंत्री श्री दुष्यंत चौटाला ने उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे प्रदेश में 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश वाले क्षेत्रों की अगले 48 घंटे में रिपोर्ट दें ताकि प्रभावित क्षेत्र की स्पेशल गिरदावरी करवा कर किसानों को उनके नुकसान की भरपाई की जा सके। जो फसलें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत कवर नही होती हैं उन फसलों के नुकसान का भी मुआवजा दिया जाएगा।

मौसम विभाग की भविष्यवाणी के अनुसार 30 सितंबर 2021 तक गैर-मौसमी बारिश होने की संभावना है। उपायुक्तों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने-अपने जिला की रिपोर्ट बनाकर भेजें जिसमें 100 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश तथा बारिश के कारण जलभराव की रिपोर्ट भेजना सुनिचित करें।

इन फसलों के नुकसान पर भी दिया जायेगा मुआवजा

राज्य सरकार द्वारा बागवानी व दलहनी जैसी उन फसलों के नुकसान की भी क्षतिपूर्ति की जाएगी जो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर नहीं होती हैं। वर्तमान में दलहन व कपास की फसल में ज्यादा नुकसान होने की संभावना है जिसकी रिपोर्ट मिलने के बाद स्पेशल गिरदावरी करवाई जाएगी । केएमपी के आस-पास के क्षेत्र में करीब साढ़े सात हजार एकड़ में जलभराव की समस्या भी सामने आई है, इसमें जिन-जिन किसानों को नुकसान हुआ है, रिपोर्ट आने के बाद गिरदावरी करवाकर प्रभावित किसानों को फसल क्षतिपूर्ति के लिए मुआवजा दिया जाएगा।

किसानों को जल्द दिया जायेगा पहले हुई फसल क्षति का मुआवजा

इस वर्ष फसलों के नुकसान की जो नियमित गिरदावरी हुई थी उसकी भी रिपोर्ट आ गई है, सरकार ने बीमा कंपनियों को निर्देश दे दिए गए हैं कि वे किसानों के मुआवजे का भुगतान जल्द से जल्द करें, इसके अलावा जो फसलें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत कवर नहीं होती हैं उनके नुकसान का भुगतान करने के लिए भी उपायुक्तों को निर्देश दे दिए गए हैं।

किसानों को समर्थन मूल्य पर धान बेचने से पहले यहाँ करवाना होगा पंजीयन

समर्थन मूल्य पर धान की खरीद हेतु पंजीकरण

खरीफ फसलों की कटाई के साथ ही कई राज्यों में धान एवं अन्य फसलों की खरीद का कार्य शुरू होने वाला है | ऐसे में राज्य सरकारों के द्वारा समर्थन मूल्य पर खरीफ फसलों की खरीद के लिए पंजीकरण प्रक्रिया शुरू कर दिए गए है | उत्तर प्रदेश में एक अक्टूबर से MSP पर धान की खरीद शुरू होने जा रही है | इसकी तैयारियां भी पूरी हो चुकी हैं | खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में किसानों को अपना धान बेचने से पूर्व पंजीकरण अनिवार्य रूप से करवाना होगा, ताकि उनकी भूमि, उसमें बोये गये धान व बैंक अकाउंट का सत्यापन समय किया जा सके एवं उनको क्रय केंद्रों पर धान विक्रय में असुविधा न हो।

किसान कहाँ करवाएं धान बेचने के लिए पंजीकरण

धान क्रय केंद्रों पर धान की बिक्री हेतु किसानों को खाद्य विभाग के पोर्टल fcs.up.gov.in पर पंजीकरण कराना होगा। खाद्य एवं रसद विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार यह पंजीकरण किसान द्वारा स्वयं अथवा जन सूचना केंद्र के माध्यम से अथवा साइबर कैफे के माध्यम से कराया जा सकेगा।

किसानों का पंजीकरण, उनके आधार संख्या एवं पंजीकरण के समय किसान के आधार लिंक मोबाइल नंबर पर प्रेषित OTP (ओ.टी.पी.) के आधार पर किया जाएगा। धान बिक्री के समय क्रय केन्द्रों पर किसान के स्वयं उपस्थित न होने की दशा में किसान द्वारा पंजीकरण के समय अपने परिवार के सदस्य का विवरण एवं आधार नम्बर फीड कराना अनिवार्य होगा।

72 घंटे के अंदर किया जायेगा किसानों को भुगतान

राज्य में धान खरीदी के बाद किसानों को धान के मूल्य का भुगतान भारत सरकार के पी.एफ.एम.एस. पोर्टल के माध्यम से धान क्रय के 72 घंटे के अंदर किया जाएगा | अगर खरीद एजेंसियां किसानों का पैसा रोकती हैं या भुगतान में देरी करेंगे तो उन पर कार्रवाई हो सकती है | उन्हें खरीद प्रक्रिया से बाहर किया जा सकता है |

क्या है इस वर्ष के लिए धान का न्यूनतम समर्थन का मूल्य

केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष खरीफ तथा रबी फसल को मिलाकर 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है | यह मूल्य देश के सभी राज्यों के लिए एक सामान लागू होते हैं | इस वर्ष सामन्य धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1940 रूपये प्रति क्विंटल है, जबकि ग्रेड-ए धान का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1960 रूपये प्रति क्विंटल है |

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