धान की फसल में अभी लग रहे हैं यह कीट एवं रोग, इस तरह करें नियंत्रण

धान की फसल में कीट एवं रोग

इस समय धान की फसल गभ्भा अवस्था में हैं एवं अगेती किस्मों में बालियाँ निकलने लगी हैं | जो धान अभी गभ्भा पर है उस धान की कटाई में 20 से 30 दिन की देरी है | इस अवस्था में धान की फसल पर विभिन्न प्रकार की रोग तथा कीट का प्रकोप बना रहता है | कुछ रोग तो इस तेजी से धान की फसल में फैलते हैं कि पूरी धान की फसल को ही ख़राब कर देते हैं |

अभी धान की फसल में शीथ ब्लाईट एवं पत्र अंगमारी रोग अधिकांश क्षेत्रों में देखा जा रहा है इसके अलावा तनाछेदक एवं गंधीबग कीट का प्रभाव भी खेतों में देखा गया है | किसान प्रारम्भिक अवस्था में इन कीट रोगों की पहचान कर इन कीट रोगों पर नियंत्रण कर धान की फसल को होने वाले नुकसान से बचा सकते हैं | तेजी से फैलते इन कीट रोगों पर नियंत्रण के लिए कृषि विभाग द्वारा सलाह जारी की गई है |

शीथ ब्लाईट रोग

धान की फसल में शीथ ब्लाईट फफूंद से होने वाला रोग है, जिसमें पत्रवरण पर हरे–भूरे रंग के अनियमित आकार के धब्बे बनते हैं, जो देखने में सर्प के केंचुल जैसा लगता है | इस रोग पर प्रबंधन/नियंत्रण के लिए खेत में जल निकासी का उत्तम प्रबंधन करना चाहिए | यूरिया की टॉप ड्रेसिंग सुधार होने तक बंद कर दें | कार्बेन्डाजिम 50 प्रतिशत घुलनशील चूर्ण का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करें या भैलिडामाइसीन 3 एल.अथवा हेक्साकोनाजोन 5 प्रतिशत ई.सी. का 2 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करने से बीमारी की रोकथाम हो जाती है |

पत्र अंगमारी रोग

धान में पत्र अंगमारी रोग जीवाणु से होने वाले रोग हैं, जिसमें पत्तियां शीर्ष से दोनों किनारे या एक किनारे से सूखती है | देखते–देखते पूरी पत्तियां सुख जाती है, जिससे फसल को नुकसान पहुँचता है | धान के पौधे में इस रोग के रोकथाम के लिए खेत से यथासंभव पानी को निकलने की सलाह दी जाती है | उर्वरक का संतुलित व्यवहार, नत्रजनीय उर्वरक का कम उपयोग एवं साथ ही, स्ट्रेप्टोसाईक्लिन 1 ग्राम प्रति 10 लीटर पानी में घोल बनाकर फसल पर छिड़काव करना चाहिए | पुन: एक सप्ताह पर दुबारा छिडकाव किया जाना चाहिए |

तना छेदक कीट

धान की फसल में तना छेदक कीट की पहचान बड़ी आसानी से की जा सकती है | इसके मादा कीट का आगे का पंख पीलापन लिये हुए होते हैं, जिसके मध्य भाग में एक कला धब्बा होता है | कीट के पिल्लू तना के अंदर घुसकर मुलायम भाग को खाता है, जिसके कारण गभ्भा सुख जाता है | बाद की अवस्था में आक्रांत होने पर बालियाँ सफेद हो जाती हैं, जिसे आसानी से खींचकर बाहर निकाला जा सकता है |

तना छेदक कीट पर नियन्त्रण करने के लिए खेत में 8 से 10 फेरोमोन ट्रैप प्रति हैक्टेयर एवं बर्ड पर्चर लगाने की सलाह दी जाती है | खेत में शाम के समय प्रकाश फंदा साथ ही, कार्बफ्युरान 3 जी दानेदार 25 किलोग्राम या फिप्रोनिल 0.3 जी 20 से 25 किलो अथवा कार्टाप हाइड्रोक्लोराईड 4 जी दानेदार 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से, खेत में नमी की स्थिति में व्यवहार किये जाने की सलाह दी जाती है तथा बिलम्ब की स्थिति में एसिफेट 75 प्रतिशत एस.पी. का 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर फसल पर छिड़काव किया जान चाहिए |

गंधी कीट

धान की फसल में लगने वाले गंधी कीट भूरे रंग का लम्बी टांग वाला दुर्गन्धयुक्त कीट है | शिशु एवं व्यस्क कीट दुग्धावस्था में धान के दानों में छेदकर उसका दूध चूस लेते हैं | जिससे धान खखडी में बदल जाता है | इस कीट पर नियंत्रण के लिए केकड़ा को सूती कपड़े की पोटली में बांधकर प्रति हेक्टेयर 10–20 जगह खेत के चारों तरफ फटती डंडा के सहारे लटका दें, जो फसल की ऊँचाई से लगभग एक फीट ऊपर हो | किसी रासायनिक उपचार की आवश्यकता नहीं होगी | साथ ही, क्लोरपाईरिफास 1.5 प्रतिशत धूल या मलाथियान 5 प्रतिशत धूल का 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करने से इस कीट पर नियंत्रण पाया जा सकता है |

अब पंचायतों में की जाएगी फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना

फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना

किसानों को कृषि कार्यों एवं फसल अवशेष प्रबंधन के लिए आसानी से कम दरों पर कृषि यंत्र उपलब्ध हो सके इसके लिए सरकार द्वारा फार्म मशीनरी बैंक एवं कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए योजना चलाई जा रही है | इस वर्ष उत्तरप्रदेश में सब्सिडी पर फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना के लिए कृषक सहकारी समितियों, गन्ना समितियों एवं उद्यानिक समितियों हेतु लक्ष्य जारी किए गए थे | इन समितियों द्वारा लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थ होने पर यह लक्ष्य अब ग्राम पंचायतों को दिए जाएंगे |

उत्तरप्रदेश सरकार ने समस्त जिलाधिकारियों को निर्देश जारी करते हुए कहा है कि जनपदों में कृषक सहकारी, गन्ना समितियों एवं उद्यानिक समितियों द्वारा 5 लाख तक के फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना लक्ष्य को प्राप्त करने में असमर्थता व्यक्त करने पर समितियों के लक्ष्यों को उसी जनपद के पंचायतों के लक्ष्यों में परिवर्तित करते हुए कार्यवाही करने को कहा है |  

स्थापित किए जाएंगे 5 लाख रुपये तक के फार्म मशीनरी बैंक

विशेष सचिव कृषि, श्री शत्रुंजय कुमार सिंह की और से जारी शासनादेश में कहा गया है की माननीय उच्चत्तम न्यायालय तथा माननीय राष्ट्रीय हरित अधिकरण के आदेशों के क्रम में कृषक सहकारी समितियों, गन्ना समितियों, औद्यानिक समितियों एवं पंचायतों को फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हेतु फसल प्रबंधन के यंत्र उपलब्ध कराये जाने हेतु निर्देश जारी किए गए हैं | जारी आदेश के अनुसार 5 लाख रुपये तक के फार्म मशीनरी बैंक की स्थापना हेतु जनपदवार कृषक सहकारी समितियों, गन्ना समितियों, औद्यानिक समितियों एवं पंचायतों के लिए निर्धारित किए गए हैं |

इस वर्ष खरीफ सीजन में धान सहित इन फसलों का होगा बम्पर उत्पादन

0

खरीफ फसलों के उत्‍पादन के प्रथम अग्रिम अनुमान

कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय द्वारा 2021-22 के लिए मुख्‍य खरीफ फसलों के उत्‍पादन का प्रथम अग्रिम अनुमान जारी कर दिया गया है | केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि खरीफ सीजन में 150.50 मिलियन टन रिकॉर्ड खाद्यान्न उत्पादन का अनुमान है | किसानों की अथक मेहनत, कृषि वैज्ञानिकों की कुशलता व केंद्र सरकार की किसान हितैषी नीतियों से बंपर पैदावार हो रही है |

मंत्रालय के मुताबिक 2021-22 के लिए प्रथम अग्रिम अनुमान (केवल खरीफ) के अनुसार, देश में कुल खाद्यान्‍न उत्‍पादन रिकॉर्ड 150.50 मिलियन टन अनुमानित है, जो विगत पांच वर्षों (2015-16 से 2019-20 के औसत खाद्यान्‍न उत्‍पादन की तुलना में 12.71 मिलियन टन अधिक है | इस वर्ष खरीफ सीजन में खाद्यान्‍न फसलों का उत्पादन 150.50 मिलियन टन, तिलहन फसलों का उत्पादन 23.39 मिलियन टन, गन्ने का उत्पदान 419.25 मिलियन टन होने का अनुमान है |

मुख्‍य खरीफ फसलों के अनुमानित उत्‍पादन इस प्रकार है-

चावल – 107.04 मिलियन टन (रिकार्ड)

वर्ष 2021–22 के दौरान चावल का कुल उत्पादन 107.04 मिलियन टन अनुमानित है | यह विगत पांच वर्षों (2015–16 से 2019-20) के औसत उत्पादन 97.83 मिलियन टन की तुलना में 9.21 मिलियन टन अधिक है |

पोषक/मोटे अनाज – 34 मिलयन टन

इस वर्ष पोषक / मोटे अनाजों का उत्पादन 34 मिलियन टन अनुमानित है, जो कि 31.89 मिलियन टन औसत उत्पादन की तुलना में 2.11 मिलियन टन अधिक है |

मक्का – 21.24 मिलियन टन

इस वर्ष मक्का का उत्पादन में इस खरीफ सीजन में कमी आने का अनुमान है | वर्ष 2020–21 में खरीफ मक्का का उत्पादन 21.44 मिलियन टन था जो इस वर्ष के अग्रिम अनुमान के अनुसार 21.24 मिलियन टन रहने का अनुमान है |

दलहन – 9.45 मिलियन टन

वर्ष 2021–22 के दौरान कुल दलहन उत्पादन 9.45 मिलियन टन अनुमानित है | यह 8.06 मिलियन टन औसत खरीफ दलहन उत्पादन की तुलना में 1.39 मिलियन टन अधिक है |

तूर – 4.43 मिलियन टन

इस वर्ष तुअर का उत्पादन वर्ष 2020-21 में 4.28 मिलयन टन था जो वर्ष 2021–22 में बढ़कर 4.43 मिलियन टन होने का अनुमान है | वर्ष 2021–22 के दौरान कुल दलहन उत्पादन 9.45 मिलियन टन अनुमानित है | यह 8.06 मिलियन टन औसत खरीफ दलहन उत्पादन की तुलना में 1.39 मिलियन टन अधिक है |

तिलहन 23.39 मिलियन टन

तिलहन फसलों में मूंगफली का उत्पदान 8.25 मिलियन टन एवं सोयाबीन का उत्पादन 12.72 मिलियन टन होने का अनुमान है | वर्ष 2021–22 के दौरान कुल तिलहन उत्पादन 23.39 मिलियन टन अनुमानित है, जो कि 20.42 मिलियन टन औरसत तिलहन उत्पादन की तुलना में 2.96 मिलियन टन अधिक है |

कपास–36.22 मिलियन गांठें (प्रति 170 किलोग्राम)

इस वर्ष कपास का उत्पादन 36.22 मिलियन गांठें (प्रति 170 किलोग्राम की गांठे) एवं पटसन एवं मेस्ता का उत्पादन 9.61 मिलियन गांठे (प्रति 180 किलोग्राम की गांठे) उत्पादित होने का अनुमान है |

गन्ना – 419.25 मिलियन टन

वर्ष 2021–22 के दौरान देश में गन्ने का उत्पादन 419.25 मिलियन टन अनुमानित है | वर्ष 2021–22 के दौरान गन्ने का उत्पादन 362.07 मिलियन टन औसत गन्ना उत्पादन का तुलना में 57.18 मिलयन टन अधिक है |

किसान अधिक पैदावार के लिए लगाएं मटर की यह उन्नत किस्में

मटर की नई उन्नत किस्में

देश में सरकार द्वारा दलहन एवं तिलहन फसलों के उत्पदान पर जोर दिया जा रहा है, इतना ही नहीं दलहन फसलों के बाजार भाव अधिक होने से किसानों को इनसे आमदनी भी अच्छी होती है | मटर विश्व में उगाई जाने वाली तीसरी प्रमुख दलहनी फसल है | भारत में चना एवं मसूर के बाद यह रबी सीजन में उगाई जाने वाली प्रमुख तीसरी दलहनी फसल है | जो किसान रबी सीजन में मटर की खेती करना चाहते हैं उन्हें अधिक पैदावार के लिए अभी से बीजों का चयन कर बीज की व्यवस्था करना होगा |

मटर की अधिक पैदावार के लिए आवश्यक है कि किसान अपने क्षेत्र के अनुसार उन्नत किस्मों का चयन करें ताकि कम लागत में अधिक पैदावार प्राप्त की जा सके | प्रजातियों एवं क्षेत्र के अनुसार बीज उत्पदान के लिए बुआई का समय 15 अक्टूबर से 15 नवम्बर तक सर्वोत्तम रहता है | नीचे अलग-अलग राज्यों के लिए मटर की किस्में उनकी उत्पादन क्षमता एवं उनकी विशेषताएं दी गई हैं |

मटर की उन्नत किस्में, उनकी उत्पदान क्षमता एवं विशेषताएं

किस्म का नाम
 
उपयुक्त राज्य
उत्पादन क्विंटल / हेक्टेयर
किस्म की विशेषताएं

केशवानन्द मटर–1, (आरपीएफ-4)

 

राजस्थान

–     

मटर की यह किस्म 110 से 115 दिन में उत्पादन देती है तथा यह पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है |

आईपीएफ 6–3

उत्तर प्रदेश

15 से 18

मटर की यह किस्म 110 से 115 दिन में तैयार हो जाती है | यह बौनी किस्म की प्रजाति है, पाउडरी मिल्ड्यू के प्रतिरोधी है तथा रतुआ रोग के प्रति सहनशील है |

इन्दिरा मटर–4

छत्तीसगढ़

15–18

मटर की यह किस्म 100 से 110 दिन में पककर तैयार हो जाती है तथा माध्यम बौनी प्रजाति है |

पूसा मुक्ता (डीडीआर -55)

एनसीआर, दिल्ली

25

मटर की यह प्रजाति 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म पाउडरी रोग प्रतिरोधक है | इसके दाने बड़े होते हैं |

आईपीएफजे –10-12

उत्तर प्रदेश

18–20

मटर की यह प्रजाति 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह किस्म पाउडरी रोग के प्रति प्रतिरोधक है तथा यह बौनी प्रजाति का मटर है |

एचएफपी – 529

उत्तर प्रदेश मैदानी क्षेत्र

22–25

यह प्रजाति 120 से 125 दिनों में तैयार हो जाता है | यह किस्म बौनी प्रजाति का है तथा यह पाउडरी मिल्ड्यू रोग प्रतिरोधक है |

टीआरसीपी – 8, (गोमती)

उत्तर–पूर्वी राज्य

22–25

मटर की यह किस्म 139 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह किस्म सिंचित क्षेत्रों के लिए फलीछेदक के प्रति सहनशील है |

वीएल मटर–47

उत्तराखंड

14

मटर की यह प्रजाति 142 से 162 दिनों में पककर तैयार होती है | यह रोग उकठा, रतुआ तथा पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है

आईपीएफ 4–9

सिंचित क्षेत्र

17

मटर की यह प्रजाति 129 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह पाउडरी रोग प्रतिरोधक है तथा फली छेदक कीट के प्रति मध्य प्रतिरोधक है |

आईपीएफ 5–19 (अमन)

उत्तर – पश्चिमी मैदानी क्षेत्र

22

मटर की यह प्रजाति 124 से 137 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधक है तथा रतुआ रोग के प्रति सहनशील है | इसके साथ ही फली छेदक के प्रति मध्यम प्रतिरोधक है |

पंत पी–42

उत्तरपश्चिमी मैदानी क्षेत्र

22

मटर की यह किस्म 113 से 149 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधक, फली छेदक तथा स्टेन फ्लाई की मध्यम प्रतिरोधी है |

एचएफपी – 9426

हरियाणा के सिंचित क्षेत्र

20

मटर की यह प्रजाति 135 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी, जडगलन तथा निमेटोड की माध्यम प्रतिरोधी है |

पंत पी–25

उत्तराखंड

18–22

मटर की यह किस्म 125 से 128 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी तथा रतुआ रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधक है |

वीएल मटर–42

उत्तर-पश्चिम मैदानी क्षेत्र

20

मटर की यह किस्म 108 से 155 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी तथा रतुआ रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है |

एचएफपी–9007बी

उत्तर-पश्चिम मैदानी क्षेत्र

17–20

मटर की यह किस्म 128 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू के प्रतिरोधी है तथा रतुआ रोग के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है |

आईपीएफडी  (1- 10) (प्रकाश)

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़, गुजरात, बुन्देलखण्ड

21

मटर की यह किस्म 94 से 121 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति रोग प्रतिरोधक है तथा रतुआ के प्रति सहनशील है |

पारस

छत्तीसगढ़

18–24

मटर की यह किस्म 94 से 119 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं | यह किस्म में पाउडरी रोग के प्रति रोगप्रतिरोधक है |

पंत पी–14

उत्तराखंड

15–22

यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू तथा रतुआ रोग के प्रति रोगप्रतिरोधक है |

 

आईपीएफडी – 99–13 (विकास)

मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र , छत्तीसगढ़, गुजरात, बुन्देलखण्ड

23

यह किस्म 102 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू प्रतिरोधी तथा रतुआ रोग के प्रति सहनशील है |

आईपीएफडी – 99–25 (आदर्श)

मध्य क्षेत्र

23

मटर की यह किस्म 110 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

केपीएमआर – 400 (इंदिरा)

मध्य क्षेत्र

20

मटर की यह किस्म 105 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म बौनी प्रजाति की है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

केपीएमआर – 522 (जय)

उत्तर – पश्चिम मैदानी  क्षेत्र

23

मटर की यह किस्म 120 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

डीडीआर – 27 (पूसा पन्ना)

उत्तर-पश्चिम  मैदानी क्षेत्र

18

मटर की यह किस्म 100 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह प्रजाति अगेती है | इसके साथ पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

डीडीआर – 23 (पूसा प्रभाव)

उत्तर – पश्चिम मैदानी क्षेत्र

15

मटर की यह किस्म 95 से 115 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह प्रजाति अगेती है | इसके साथ पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

अंबिका

मध्य क्षेत्र

18 – 19

मटर की यह प्रजाति 105 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | इसके दाने गोले तथा चिकने होते हैं | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

केएफपीडी–24 (स्वाति)

उत्तर प्रदेश

25.30

मटर की यह किस्म 110 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है तथा रतुआ रोग के प्रति सहनशील है |

मालवीय मटर–15 (एचयूडीपी – 15)

उत्तर – पूर्वी मैदानी क्षेत्र

25–30

मटर की यह प्रजाति 110 से 130 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह किस्म रतुआ तथा पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

एच एफ पी – 8712 (जयंती)

हरियाणा

20–25

मटर की यह किस्म 120 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | इस किस्म की मटर दाने बड़े होते हैं | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

सपना

उत्तर प्रदेश

20–25

मटर की यह किस्म 115 से 120 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म बौनी प्रजाति की है तथा यह पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति रोग प्रति रोधक है |

एचएफपी–8909

उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्र

20–25

मटर की यह किस्म 120 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाता है | यह किस्म बौनी प्रजाति की है तथा यह पाउडरी मिल्ड्यू के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

डीएमआर–7 (अलंकार)

उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्र

20–25 

मटर की यह किस्म 115 से 135 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

केएफपी–103 (शिखा)

उत्तर पश्चिम मैदानी क्षेत्र

15–20

मटर की यह किस्म 130 से 140 दिनों में पककर तैयार हो जाती है | यह किस्म पाउडरी मिल्ड्यू रोग के प्रति रोग प्रतिरोधक है |

बीज की मात्रा

दाने के आकार तथा प्रजातियों की बढ़वार के आधार पर सामन्यतः 60-75 किलोग्राम बीज प्रति हैक्टर, जिसकी अंकुरण क्षमता 85 प्रतिशत हो पर्याप्त रहता है | किसानों को बुआई से पूर्व बीजोपचार जरुर करना चाहिए जिससे फसल में कीट एवं रोगों का प्रकोप कम होता है एवं बीज के अंकुरण में भी सहायता मिलती है | इससे बीज की गुणवत्ता तथा उत्पदकता में वृद्धि होती है |

बीजों का उपचार

बीजोपचार के लिए कवकनाशी जैसे थीरम,कैप्टान या बाविस्टीन 2.5 किलोग्राम बीज की दर से उपचार करने के 6 घंटे बाद दीमक नियंत्रण के लिए क्लोरोपायरीफास 2 मि.ली. प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करके 12 घंटे छाया में सुखाना चाहिए|

जैविक बीजोपचार के लिए 200 ग्राम गुड़ एक लीटर पानी में उबालकर ठंडा होने के बाद 200 ग्राम राइजोबियम कल्चर के दो पैकेट को इस गुड़ के घोल में अच्छी प्रकार मिलाएं तथा इसके बाद इस कल्चर के घोल को 60-75 किलोग्राम मटर में अच्छी तरह मिलकर छाया में सुखाने के बाद बुआई करनी चाहिए |

आने वाले दिनों में राजस्थान, मध्यप्रदेश सहित इन जगहों पर हो सकती है भारी बारिश

20 से 24 सितम्बर तक बारिश का पूर्वानुमान

पिछले कई दिनों से लगातार बारिश का सिलसिला जारी है, जो आने वाले दिनों में भी जारी रहने का अनुमान मौसम विभाग ने जारी किया है | मौसम विभाग के ताजा पूर्वानुमान के अनुसार अगले तीन दिन तक कई राज्यों में बारिश होने की संभावना है। मौसम विभाग ने राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार, उत्तराखंड गुजरात समेत कई राज्यों में 23 सितंबर तक भारी बारिश की चेतावनी जारी की है।

मध्यप्रदेश, राजस्थान, विदर्भ और छत्तीसगढ़ राज्यों में आने वाले 4 दिनों तक बारिश की गतिविधियाँ जारी रहेंगी |  कोंकण एवं गोवा, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाडा आदि क्षेत्रों में आने वाले 3 दिनों तक मध्यम से भारी बारिश की सम्भावना है | इसके अलावा गुजरात राज्य के जिलों में आने वाले 2 दिनों में भारी बारिश होने की सम्भावना है | उत्तराखंड राज्य में 20 से 24 सितम्बर तक अधिकांश जिलों में भारी बारिश होने की संभवना है | उड़ीसा, पश्चिम बंगाल राज्यों में 20 एवं 21 सितम्बर के दौरान भारी बारिश होने की सम्भावना है |

राजस्थान के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विज्ञान विभाग जयपुर केंद्र के अनुसार राजस्थान के अजमेर, बांसवाडा, बारान, भीलवाडा, बूंदी, चित्तोडगढ, डूंगरपुर, झालावार, प्रतापगढ़, राजसमन्द, सिरोही, उदयपुर, जालोर, जोधपुर, नागौर, पाली आदि जिलों में आने वाले 5 दिनों तक भारी बारिश होने की संभवना है |

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश

भारतीय मौसम विभाग के भोपाल केंद्र की चेतावनी के अनुसार भोपाल, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, सीहोर, धार, इंदौर, अलीराजपुर, बडवानी, बुरहानपुर, खंडवा,खरगोन, झाबुआ, देवास, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, अशोक नगर, उमरिया, अनूपपुर, शाडोल, डिंडोरी, छिंदवाडा, बालाघाट, सिवनी, मंडला, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, सागर, बैतूल, हरदा एवं होशंगाबाद जिलों में आने वाले 2-3 दिनों में मध्यम से लेकर भारी बारिश होने की संभवना है |

किसान अधिक उत्पादन के लिए लगाएं गेहूं की यह उन्नत किस्में

गेहूं की उन्नत किस्में

अक्टूबर महीने में किसान रबी फसलों की बुआई के लिए तैयारी शुरू कर देंगे | रबी में सबसे महत्वपूर्ण फसल गेहूं है जो देश के अधिकांश क्षेत्रों में लगाई जाती है | बुआई के लिए किसानों को गेहूं की किस्मों चयन पहले करना होगा ताकि किस्म के अनुसार गेहूं की खेती की तैयारी कर सकें | अच्छी आमदनी के लिए जरुरी है की किसान गेहूं की ऐसी किस्में लगाएं जिसकी रोगों के प्रति रोधक क्षमता अच्छी हो और साथ ही पैदावार अधिक प्राप्त की जा सके | गेहूं में एक ऐसी ही प्रजाति कठिया गेहूं की है | कठिया गेहूं भारत की दूसरी सबसे महत्वपूर्ण प्रजाति है |

देश में कठिया गेहूं की भी कई किस्में विकसित की जा चुकी हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों के लिए उपयुक्त है | खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों में कठिया गेहूं का प्रयोग होने के चलते इसकी मांग काफी बढ़ी है | कठिया गेहूं से सूजी, दलिया, डबल रोटी, फ्लेक्स, सेवइंया, पास्ता, केक, नूडल्स एवं अन्य बेकरी उत्पाद बनाये जाते हैं | उद्योगों में उपयोग होने के चलते किसानों को इस प्रजाति के अच्छे दाम मिल सकते हैं | किसानों की सुविधा के लिए किसान समाधान कठिया गेहूं की किस्मों के बारे में जानकारी लेकर आया है | किसान अपने क्षेत्र के अनुसार इन किस्मों का चयन कर अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं |

गेहूं की उन्नत किस्में

भारत के मध्य क्षेत्र के लिए कठिया गेहूं कि प्रजातियाँ

मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, राजस्थान के कोटा एवं उदयपुर संभाग तथा उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र झाँसी एवं चित्रकूट संभाग के लिए उपयुक्त किस्में

गेहूं की किस्में
बिजाई की दशा
उपज (क्विंटल /हैक्टेयर)

 

 

औसत

क्षमता

एचआई 8713

सिंचित एवं समय पर बिजाई

52.30

68.20

एमपीओ 1215

सिंचित एवं समय पर बिजाई

48.60

65.30

एचआई 8759 (पूसा तेजस)

सिंचित एवं समय पर बिजाई

56.00

75.00

एचआई 8498 (मालव शक्ति)

सिंचित एवं समय पर बिजाई

44.00

73.00

डीडीडब्ल्यू 47

सीमित सिंचित एवं समय पर बिजाई

37.00

74.10

यूएएस 446

सीमित सिंचित एवं समय पर बिजाई

38.80

73.80

एचआई 8627

सीमित सिंचित एवं वर्षा आधारित, समय से बिजाई

29.8 / 20.1

46.8 / 38.8

एचडी 4672 (मालवा रत्ना)

वर्षा आधारित, समय से बिजाई

18.50

30

प्रायदिव्पीय क्षेत्र के लिए कठिया गेहूं की उन्नत किस्में:-

महाराष्ट्र, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, गोवा एवं तमिलनाडु के मैदानी भाग, तमिलनाडू के निलगिरी एवं पलनी पर्वतीय क्षेत्र तथा केरल के वायनाड एवं इडुक्की जिलों को शामिल किया गया है |

प्रजातियां
 
बिजाई की दशा
उपज (क्विंटल/हैक्टेयर)
औसत
क्षमता

डीडीडब्ल्यू 48

सिंचित, समय से बिजाई

47.40

72.00

डब्ल्यूएचडी 948

सिंचित, समय से बिजाई

46.50

69.50

यूएएस 428

सिंचित, समय से बिजाई

48.00

58.80

एचआई 8663

सिंचित, समय से बिजाई

45.40

71.50

एनआईडीडब्ल्यू 1149

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

29.73

36.80

एमएसीएस 4058

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

29.60

37.10

जीडब्ल्यू 1346

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

28.50

40.40

एचआई 8805

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

30.40

35.40

एचआई 8802

सीमित सिंचित, समय से बिजाई

29.10

36.00

एमएसीएस 4028

सीमित सिंचित/वर्षा आधारित समय से बिजाई

19.30

28.70

यूएएस 466

सीमित सिंचित / वर्षा आधारित समय से बिजाई

18.30

24.40

         

गेहूं की इन किस्मों के लिए बुआई का सही समय

भारत में गेहूं की बुवाई का समय क्षेत्र के अनुसार एवं सिंचाई सुविधा के अनुसार अलग-अलग है | जिन क्षेत्रों में वर्षा आधारित बिजाई की जाती है वहां किसान दी गई किस्मों की बिजाई अक्टूबर के अंतिम सप्ताह से कर सकते हैं | इसके अतिरिक्त सिंचित क्षेत्र एवं समय पर बिजाई करने वाली किस्मों के लिए उपयुक्त समय नवम्बर के प्रथम पखवाडा है |

सब्सिडी पर प्याज भंडार गृह निर्माण हेतु आवेदन करें

प्याज भंडार गृह निर्माण हेतु आवेदन

कृषि क्षेत्र में अच्छी आमदनी के लिए अच्छे उत्पादन के साथ–साथ बाजार में फसल का सही मूल्य मिलना जरुरी रहता है | अक्सर ऐसा देखा जाता है कि फसल उत्पादन के समय भाव कम हो जाते हैं जबकि उत्पादन के कुछ समय बाद उसी फसल के अच्छे दाम मिलते हैं | ऐसे में फसल का भंडारण बहुत जरुरी हो जाता है | अनाज के लिए घर पर ही भंडारण हो जाता है लेकिन प्याज के भंडारण के लिए यह जरुरी रहता है की भंडारण गृह तय मापदंड में ही रहे |

अधिक से अधिक किसानों को आलू प्याज जैसे नश्वर उत्पाद के भंडारण की सुविधा मिल सके इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को भंडार गृह बनवाने पर सब्सिडी देती है | अभी मध्यप्रदेश के उद्यानिकी विभाग द्वारा 50 मीट्रिक तन क्षमता वाले भंडार गृह निर्माण पर सब्सिडी हेतु किसानों से आवेदन आमंत्रित किए हैं | राज्य के सभी जिलों के किसानों के लिए नश्वर उत्पादों की भंडारण क्षमता में वृद्धि के लिए योजना के तहत आवेदन कर सकते हैं|

प्यज भंडार गृह (warehouse) निर्माण पर दिया जाने वाला अनुदान

मध्यप्रदेश राज्य में उद्यानिकी विभाग द्वारा नश्वर उत्पादों की भण्डारण क्षमता में वृद्धि की विशेष योजना चलाई जा रही है | योजना के तहत लाभार्थी किसानों को प्याज भंडार गृह पर 50 प्रतिशत तक का अनुदान दिए जाने का प्रावधान है | मध्यप्रदेश उधानिकी विभाग के तरफ से 50 मीट्रिक टन क्षमता वाले भंडारण के लिए अधिकतम 3,50,000 /- रूपये की लागत निश्चित की गई है | इसमें किसानों को लागत का अधिकतम 1,75,000 रूपये तक का अनुदान दिया जाता है |

किन जिलों के किसान कर सकते हैं अनुदान हेतु आवेदन

राज्य में अभी सभी जिलों के अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के किसानों के लिए लक्ष्य जारी किए गए हैं | एक पोर्टल पर जारी किया गया है तो दूसरा लक्ष्य अतरिक्त प्रदाय किए गए है | दोनों ही लक्ष्यों में अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के किसान आवेदन कर सकते हैं | योजना के तहत अनुसूचित जाति के लिए कुल 351 का लक्ष्य जारी किया गया है तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 267 का लक्ष्य जारी किया गया है |

पोर्टल पर अपलोड किये गये लक्ष्य :- अनुसूचित जाति के लिए 188 तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 266 | अतरिक्त प्रदाय लक्ष्य :- अनुसूचित जाति के लिए 163 तथा अनुसूचित जनजाति के लिए |

इच्छुक किसान अनुदान हेतु कब कर सकते हैं आवेदन

राज्य के किसान से सभी आवेदन ऑनलाइन ही आमंत्रित किये जाते हैं ऐसे में जो भी इच्छुक किसान प्याज भंडारण गृह निर्माण के लिए आवेदन करना चाहते हैं वह 23 सितम्बर 2021 के दिन सुबह 11:00 बजे से आवेदन कर सकते है | यह आवेदन जिले के दिये हुए लक्ष्य के अनुसार किया जायेगा | आवेदन लक्ष्य से 10% अधिक तक आवेदन किया जा सकता है |

योजना का लाभ लेने के लिए दिशा-निर्देश

  • हितग्राही किसान को कम से कम 2 हेक्टेयर क्षेत्रफल में प्याज का उत्पादन करना आवश्यक है | इसके साथ ही प्याज भंडारण का उपयोग किसी अन्य कामों के लिए नहीं किया जा सकता |
  • प्याज भंडारण गृह का निर्माण NHRDF द्वारा जारी डिजाईन/ड्राइंग एवं निर्धारित मापदण्ड अनुसार होना चाहिए एवं आशय पत्र जारी होने के बाद अधिकतम 06 माह के भीतर प्याज भण्डार गृह का निर्माण पूर्ण करना आवश्यक होगा |
  • कृषकों द्वारा निर्मित प्याज भंडारण गृह का शत प्रतिशत भौतिक सत्यापन हेतु जिले के उप / सहायक संचालक उद्यान की अध्यक्षता में 03 सदस्यीय समिति गठित की जाएगी |
  • समिति के मूल्यांकन एवं भौतिक सत्यापन तथा अनुसंशा के आधार पर संबंधित कृषक को अनुदान की राशि का भुगतान नियमानुसार एम.पी.एगो द्वारा डी.बी.टी. के माध्यम से कृषकों के बैंक खातों में किया जायेगा |

प्याज भंडार गृह हेतु अनुदान हेतु आवेदन कहाँ करें

अनुदान हेतु आवेदन राज्य के उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं अत; किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्यप्रदेश पर देख सकते हैं, या विकासखंड स्तर पर कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं | मध्यप्रदेश में उद्यानिकी विभाग से संचालित सभी योजनाओं हेतु आवेदन ऑनलाइन किये जाते हैं अतः इच्छुक किसान जो योजना का लाभ लेना चाहते अपना पंजीयन उद्यानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर कर सकते हैं |

सब्सिडी पर प्याज भंडार गृह निर्माण हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

देश के 50.2 प्रतिशत किसानों पर कर्ज का बोझ, प्रत्येक किसान परिवार पर है 74121 रुपये का कर्ज: NSO रिपोर्ट

देश के कृषक परिवारों की स्थिति और भूमि: NSO रिपोर्ट

देश में अभी कई किसान संगठन तीन कृषि कानूनों के विरोध में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं वही मोदी सरकार वर्ष 2022 तक किसानों कि आमदनी दुगना करने की बात कह रही है | इस बीच NSO के रिपोर्ट सामने आई है जिसमें देश में किसानों की स्थिति को बताया गया है | रिपोर्ट के अनुसार कृषक परिवारों की आमदनी 2012-13 के 6426 के मुकाबले 2018-19 में बढ़कर 10,218 रुपये हो गई है वहीँ किसानों पर कर्ज भी लगातार बढ़ता चला जा रहा है | इतना ही नहीं प्रति परिवार किसानों की भूमि में भी कमी आई है | जिससे किसानों की निर्भरता कृषि पर कम हो रही है |

भारत सरकार के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के द्वारा जारी रिपर्ट में चौकाने वाली खबर आई है | दरअसल NSO ने “ग्रामीण भारत के कृषक परिवारों की स्थिति और परिवारों की भूमि एवं पशुधन धृतियों पर मुल्यांकन 2019” रिपोर्ट जारी की है | यह रिपोर्ट जनवरी 2019 से दिसम्बर 2019 के बीच सर्वे सेंपल के आधार पर जारी की गई है |

किसान परिवार पर औसतन 74,121 रुपये का कर्ज

रिपोर्ट के अनुसार देश भर में किसान परिवारों के ऊपर 74,121 रूपये का औसतन कर्ज है | देश के कुल किसानों में से 50.2 प्रतिशत किसानों ने यह कर्ज लिया है | किसानों ने यह ऋण बैंक, सरकारी समिति, सरकार तथा अन्य स्रोतों से लिया है | किसान ने बैंक, सहकारी समिति एवं सरकार के द्वारा 69.6 प्रतिशत का कर्ज लिया है, जबकि 20.5 प्रतिशत कर्ज कृषि/वृत्तिक कर्ज देने वाले से था | किसानों के द्वारा लिए गये कर्ज में से 57.5 प्रतिशत कर्ज कृषि कार्यों के लिए लिया गया है |

avg amount of loan on farmer

कितनी है एक किसान परिवार की प्रतिमाह आमदनी

average monthly income of farmer

एक किसान परिवार की (कृषि, पशुपालन, मजदुर, भूमि पट्टे से आमदनी, गैर कृषि कार्य से आमदनी) औसतन आमदनी 10,218 रुपये मासिक है | देश में फसल उत्पादक किसानों की संख्या सबसे जायदा है | इनकी औसतन आमदनी 3,798 रुपये प्रति महिना है | यह आय किसानों की कुल आय के 37.2 प्रतिशत है | जबकि पशुपालन से किसानों कि आमदनी 1,582 रुपये प्रति माह है | किसानों की पशुपालन से होने वाली आमदनी किसानों की कुल आमदनी का 15.5 प्रतिशत है |

agriculture income

दूसरी तरफ किसान मजदुर गैर कृषि कार्यों से 641 रुपये प्रति माह कमाते हैं | यह आमदनी किसानों की कुल आमदनी का 6.3 प्रतिशत है | जबकि मजदूरी से होने वाली आय 4,063 रुपये है | किसानों की मजदूरी से होने वाली आय कृषि कार्यों से होने वाली आय से कहीं ज्यादा है | मजदूरी से 39.8 प्रतिशत की आमदनी होती है | किसान अपने भूमि को पट्टे पर देकर 134 रुपये मासिक आय प्राप्त करता है, जो किसानों की कुल आमदनी का 1.3 प्रतिशत है |

कितने किसान परिवारों पर किया गया यह सर्वे

दरअसल सांख्यिकी विभाग के द्वारा 1 लाख 14 हजार 929 ग्रामीण परिवारों पर दो चरणों में सर्वेक्षण किया गया | दोनों चरणों को मिलाकर कुल 11,834 ईकाइयां सर्वेक्षित की गई है | सर्वेक्षण के अनुसार देश भर में कुल 93.0 मिलियन कृषक परिवार है, जो कुल ग्रामीण परिवारों का 54.0 प्रतिशत है | जबकि गैर कृषक परिवारों कि संख्या 79.3 मिलयन है, जो कुल ग्रामीण परिवारों कि संख्या का 46.0 प्रतिशत है |

समय के साथ किसानों की भूमि भी प्रति परिवार कम हो रही है | वर्ष 2015–16 के एग्रीकल्चर सेंसस की रिपोर्ट के अनुसार देश भर में किसान परिवार की औसतन भूमि 1.1 हेक्टेयर थी जो घट कर अब 0.876 हेक्टेयर रह गयी है | यह संख्या ग्रामीण क्षेत्र के कुल परिवारों की संख्या का 70.4 प्रतिशत है | जबकि केवल ग्रामीण परिवार का प्रति परिवार के औसतन क्षेत्र पर स्वामित्व 0.512 हेक्टेयर रह गया है | दूसरी तरफ बड़े जोत वाले किसानों की संख्या में भी भारी कमी हो रही है | देश में 10 हेक्टेयर से अधिक भूमि वाले किसानों कि संख्या मात्र 0.4 प्रतिशत है |

किसानों परिवारों की कम होती भूमि तथा कृषि में हो रहे घाटे से बढ़ते हुए कर्ज के बीच वर्ष 2022 तक किसानों की आमदनी दुगनी कैसे होगी | एक तरफ किसान बढ़े हुए कर्ज से आत्महत्या कर रहे हैं तो दूसरी तरफ सरकार का दावा है कि वर्ष 2022 तक किसानों कि आमदनी दुगना कर देंगे |

जानिए कब से शुरू होगी धान एवं अन्य खरीफ फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद

धान एवं अन्य खरीफ फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद

खरीफ फसल की कटाई का कार्य कई राज्यों में शुरू किया जा चूका है | इसके साथ ही अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा फसल खरीदी के लिए किसानों से पंजीकरण की व्यवस्था शुरू की जा चुकी है| धान तथा अन्य खरीफ फसलों की न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी सितम्बर माह के अंतिम सप्ताह या अक्टूबर माह के प्रथम सप्ताह से शुरू कर दी जाएगी | हरियाणा सरकार ने खरीदी की संभावित तारीख एवं खरीदी केन्द्रों के विषय में जानकारी दी है |

हरियाणा में न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ या सरकारी खरीदी में वही किसान लाभ ले पाएंगे जिन किसानों “मेरी फसल, मेरा ब्योरा” पोर्टल पर पंजीयन किया है | इस वर्ष भी हरियाणा एवं अन्य राज्यों के किसान हरियाणा में अपनी फसल समर्थन मूल्य पर बेच सकेंगे |

कब शुरू होगी धान एवं अन्य खरीफ फसलों की खरीद

खरीफ सीजन 2021–22 के लिए खरीदी शुरू होने वाली है | अलग–अलग फसलों कि खरीदी शुरू करने के लिए अलग-अलग तारीखों का चयन किया गया है | धान की खरीदी 25 सितम्बर 2021 से शुरू होगी तथा यह खरीदी 15 नवम्बर 2021 तक की जाएगी | मक्का, बाजरा और मूंग की खरीदी 1 अक्टूबर से शुरू होगी और यह 15 नवंबर 2021 तक जारी रहेगी। इसी प्रकार मूंगफली की खरीद 1 नवंबर से की जाएगी और 31 दिसंबर 2021 तक जारी रहेगी।

कितने खरीदी केंद्र बनाये गए हैं ?

सरकारी खरीदी को सुचारू रूप से चलाने के लिए सरकार ज्यादा से ज्यादा खरीदी कन्द्रों की स्थापना कर रही है | हरियाणा सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी के लिए खरीदी केन्द्रों की जानकारी दी है | धान के लिए 199 केंद्र, बाजरा खरीदी के लिए 86 केंद्र, मक्का की खरीदी के लिए 19 केंद्र, मूंगफली की खरीदी के लिए 7 केंद्र और मूंग की खरीदी के लिए 38 खरीदी केन्द्रों की स्थापना की गई है | इसके अलावा जरूरत पड़ने पर और ज्यादा खरीदी केंद्र बनाए जायेंगे |

7.5 लाख किसानों ने किया फसल बेचने के लिए पंजीकरण

किसानों से खरीफ फसलों की खरीदी केवल “मेरी फसल, मेरा ब्योरा” पोर्टल में पंजीकृत किसानों से ही खरीदा जाएगा | 31 अगस्त 2021 को खरीफ फसलों के पंजीयन के लिए पोर्टल बंद कर दिया गया था | इस बार हरियाणा के 22 जिलों के 7 लाख 50 हजार 949 किसानों ने 46 लाख 98 हजार 781 एकड़ भूमि के लिए पंजीयन कराया है | जबकि 88 लाख 92 हजार 329 एकड़ को कृषि योग्य संचयी क्षेत्र के रूप में पंजीकृत किया गया है | इस बार का पंजीयन 22 जिलों में लगभग 52.82 प्रतिशत है |

इस बार का पंजीयन पिछले वर्ष के मुकाबले सभी फसलों में ज्यादा हुआ है | धान में 114 प्रतिशत, मक्का में 115 प्रतिशत, मूंग, अरहर, उड़द सहित अन्य खरीफ दलहन में 214 प्रतिशत, मूंगफली, तिल, अरंडी सही खरीफ तिलहनों में 222 प्रतिशत की वृद्धि हुई है | जबकि बागवानी में 319 प्रतिशत और चारा में 84 प्रतिशत की वृद्धि हुई है |

किस भाव पर होगी मंडियों में सरकारी खरीद ?

प्रत्येक वर्ष केंद्र सरकार रबी एवं खरीफ की 23 फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है | इस वर्ष केंद्र सरकार के द्वारा घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य इस प्रकार है:-

  • धान – 1940 रूपये प्रति क्विंटल
  • ज्वार – 2738 रूपये प्रति क्विंटल
  • बाजरा – 2250 रूपये प्रति क्विंटल
  • मूंगफली- 5550 रूपये प्रति क्विंटल
  • मूंग- 7275 रूपये प्रति क्विंटल
  • मक्का- 1870 रूपये प्रति क्विंटल

सीएनजी से चलने वाले वाले ट्रैक्टर से किसानों को मिलेगी राहत: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी

CNG से चलने वाले वाले ट्रैक्टर

बढ़ती महंगाई एवं कृषि के आधुनिकीकरण से फसल उत्पादन की लागत में ऐसे ही बहुत अधिक वृद्धि हो चुकी है | ऐसे में पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों की मार किसानों पर पड़ रही है | ऐसे में जरुरी है की कृषि क्षेत्र में भी उर्जा के दुसरे विकल्प देखें जाएँ | देश में वैसे भी स्वच्छ उर्जा को बढ़ावा देने के लिए सरकार के द्वारा इलेक्ट्रिक व्हीकल पर जोर दिया जा रहा है | लोगों के बीच भी इनकी मांग बढ़ी है | वहीँ इस वर्ष देश में बैटरी एवं सीएनजी से चलने वाले ट्रेक्टर लांच किए गए हैं ताकि किसानों की फसलों की लागत भी कम की जा सके | यह तकनीक जलवायु संरक्षण के लिए भी बहुत काम की है |

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री श्री नितिन गडकरी ने कहा कि मालवा का क्षेत्र यहाँ के किसानों के लिए जाना जाता है। यदि यहाँ ट्रैक्टर सीएनजी से संचालित होने लगे तो न केवल किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी बल्कि प्रदेश के विकास की गति भी दोगुनी हो जाएगी। उन्होंने यह बात इंदौर के ब्रिलिएंट कन्वेंशन में सड़क परियोजनाओं के लोकार्पण-शिलान्यास कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कही |

सीएनजी से चलने वाले ट्रैक्टर का करें इंतजाम

उन्होंने मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान से कहा कि आप सीएनजी से चलने वाले ट्रैक्टर का इंतजाम करें। सीएनजी पंप केंद्र सरकार आपको उपलब्ध कराएगी। यह मध्यप्रदेश में जलवायु संरक्षण के क्षेत्र में एक बहुत ही उम्दा पहल होगी। जिस तरह इंदौर में वेस्ट टू वेल्थ का रूपांतरण हो रहा है। उसी तरह से मैं इंदौर नगर निगम आयुक्त को सुझाव दूंगा कि वे टॉयलेट के गंदे पानी से ग्रीन हाइड्रोजन के निर्माण के क्षेत्र में भी कार्य करें। भविष्य में पेट्रोल और डीजल की जगह ग्रीन हाइड्रोजन से गाड़ियों को चला सकेंगे। आज भारत ऑयल के इंपोर्ट के लिए जाना जाता है, यदि हमने इस दिशा में कार्य किया तो हम भविष्य में ग्रीन हाइड्रोजन के एक्सपोर्ट के लिए जाने जाएँगे।

CNG गैस से चलने वाले ट्रेक्टर से इस प्रकार लाभ होगा

  • डीजल से सीएनजी कम मूल्य पर देश में उपलब्ध है,जिसके कारण ट्रेक्टर को चलाने का खर्च कम आएगा,
  • यह डीजल के मुकाबले अधिक सुरक्षित है, इसमें विस्फोट होने की संभावना कम रहती है,
  • इससे वायु प्रदुषण को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी,
  • इंजन को कम नुकसान करता है जिससे ट्रेक्टर पर रख रखाव पर खर्च कम आएगा,
  • CNG से चलने वाले ट्रेक्टर की संख्या बढने पर पराली का उपयोग बायो गैस बनाने में किया जा सकता है |