बीज कंपनियों द्व्रारा दिए जा रहे ख़राब बीज
देश में बीज का कारोबार बड़े पैमाने पर किया जाता है जिसमें देश की बड़ी-बड़ी निजी कंपनियां शामिल है | यह सभी किसानों को खरीफ , रबी तथा अन्य फसलों के बीज बाजार के माध्यम से उपलब्ध कराती हैं | यह सभी कंपनी एक से अधिक राज्य या किसी एक राज्य में बीज उपलब्ध करवाती हैं | देश में किसानों की संख्या के मुकाबले प्रयाप्त बीज नहीं उपलब्ध होने पर खराब या लोकल बीज को ही नये पैकेट में पुराने नाम से ही बेचा जाता है | इसको रोकने के लिए राज्य तथा केंद्र सरकार पर कानून भी है तथा समय – समय पर इसकी जाँच होते रहती है | नकली बीज होने पर करवाई भी होती है | इसके बाबजूद भी किसानों की कम जागरूकता होने पर नकली बीज के व्यापर करने वाली कंपनी आसानी से बीज बेचकर निकल जाती है |
ताजा मामला बिहार राज्य से आया है | जहाँ पर खरीफ फसल में बीज उत्पादक वाली 8 कंपनियों से स्पष्टीकरण पुछा गया है | इन बीज कम्पनियों द्वारा एक ही मोल्युकुलर डाटा का उपयोग कर अलग – अलग नामकरण कर धान एवं मक्का फसल प्रभेदों के बीज किसानों को बेचा जा रहा है, जो किसानों के साथ धोखाधड़ी है |
कौन – कौन सी कम्पनी है ?
मेसर्स एश्वर्या सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स सवाना सीड्स प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स इनविक्टा एग्रिटेक प्राईवेट लिमिटेड, मेसर्स पान सीड्स, मेसर्स एन.आर.एल. सीड्स, मेसर्स महिंद्रा एग्री साल्यूशन लिमिटेड, मेसर्स यू.पी.एल. लिमिटेड एवं मेसर्स आदित्य बिरला सीड्स प्राईवेट लिमिटेड (ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड) शामिल है इन सभी पर आरोप है की एक ही बीज को अलग – अलग नाम से बेचा जा रहा है | जो किसानों के साथ धोखा है | सरकार ने इन सभी कंपनियों से 30 जून तक जवाब माँगा है | इसके बाद इन सभी कंपनियों पर यह निर्णय लिया जायेगा की इनका लाइसेंस निरस्त किया जाये या जारी रखा जाये |
नोट :- किसान समाधान आप सभी से अपील करता है की बिहार राज्य सरकार के अगले आदेश से पहले इन सभी कंपनियों की बीज नहीं खरीदे |