50 प्रतिशत की सब्सिडी पर प्लास्टिक मल्चिंग विधि से खेती करने के लिए आवेदन करें

प्लास्टिक मल्चिंग खेती हेतु अनुदान

कृषि में बदलते हुए परिवेश में किसानों को अच्छे उत्पादन के लिए नई तकनीक को अपनाना जरुरी है | इससे फसलों को सुरक्षा के साथ ही किसानों की आमदनी में भी बढ़ोतरी होती है | खरपतवार तथा उर्वरक का समुचित उपयोग के लिए किसान आजकल प्लास्टिक मल्चिंग का उपयोग कर रहें है | जिससे भूमि में होने वाली खरपतवार से निजात मिल सके| प्लास्टीक मल्चिंग का उपयोग सब्जी की खेती के लिए किया जाता है | इसी को ध्यान में रखते हुए छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने किसानों से प्लास्तिंग मल्चिंग के लिए आवेदन आमंत्रित किये हैं| किसान समाधान इस योजना की पूरी जानकारी लेकर आया है |

प्लास्टिक मल्चिंग से खेती करने पर सब्सिडी

सहायक संचालक कृषि श्री पतराम सिंह ने बताया कि खेत में प्लास्टिक मल्चिंग विधि से खेती करने के लिए कृषकों को 50 प्रतिशत अनुदान देने का प्रावधान है| योजना के तहत कृषक सब्जी / फल के खेती में 50 माईक्रोन का प्लास्टिक मल्चिंग उपयोग करते हैं|

छत्तीसगढ़ राज्य बीज व कृषक विकास निगम लिमिटेड में प्लास्टिक मल्चिंग की डॉ 192.05 रूपये प्रति मीटर इकाई लागत अनुमोदित है| योजना के क्रियान्वयन के लिए प्रति हेक्टेयर 32 हजार रूपये निर्धारित है |

प्लास्टिक मल्चिंग विधि से खेती करने पर कितनी सब्सिडी मिलेगी ?

 योजना के तहत अधिकतम 2 हेक्टेयर भूमि के लिए अनुदान दिया जा रहा है | 2 हेक्टेयर से ज्यादा भूमि वाले किसान भी आवेदन कर सकते हैं | लेकिन 2 हेक्टेयर के लिए ही सब्सिडी मिल सकता है| एक हेक्टेयर भूमि के लिए भी दिया जा रहा है जो सब्सिडी के तहत 16 हजार रुपया दिया जायेगा |

प्लास्टिक मल्चिंग योजना का लाभ कैसे मिलेगा ?

योजना का लाभ लेने के लिए किसान जिला उद्यानिकी विभागमें सम्पर्क कर सकते हैं | योजना का लाभ किसानों को पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दिया जायेगा |

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पाकिस्तान से आ रहे इस कीट से हो रहा है भारी नुकसान, नियंत्रण के लिए किये जा रहे हैं यह उपाय

फसलों पर टिड्डी कीट का नियंत्रण

देश अभी दुसरे देशों से आये लोगों को लेकर घमासान मचा हुआ है परन्तु किसान अभी एक ऐसी वजह से परेशान है जो प्राकृतिक कारणों से पाकिस्तान के रास्ते देश में प्रवेश कर रही है | रबी फसल की बुआई हो चुकी है तथा कुछ फसल में फुल भी आना शुरू हो गए है परन्तु साथ ही फसल में लगने वाले रोग तथा कीट लगने के कारण किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान की ख़बरें भी आने लगी हैं | जिससे किसानों की हजारों हेक्टेयर की फसल की नुकसान होने हो रही है | इसमें एक कीट ऐसा भी है जो पस्किस्तान से आया है और खेतों में लगी फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है |

ताजा मामला राजस्थान एवं गुजरात के कुछ जिलों का है | जहाँ पर पाकिस्तान से आये हुए टिड्डी के प्रकोप से किसानों की हजारो हेक्टेयर की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है | टिड्डी का प्रकोप इतना ज्यादा है की राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार से मदद की मांग की है | राज्य सरकार की लाख कोशिशों के बाबजूद भी टिड्डी का प्रकोप कम नहीं हुआ है | इतना ही नहीं राजस्थान में खरीफ फसलों को भी इस कीट ने बहुत अधिक नुकसान पहुँचाया था जिसके लिए राज्य सरकार ने किसानों को टिड्डी कीट नियंत्रण हेतु कीटनाशक पर सब्सिडी देने का भी फैसला लिया था |

राजस्थान के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुए बैठक में टिड्डी नियंत्रण पर अब तक किये गये उपाय तथा इसका प्रकोप कितना है इस पर चर्चा की गई | राज्य सरकार ने टिड्डी नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार से मदद मांगी है |

टिड्डी कीट कहाँ से आ रहे हैं ?

इसके बारे में बताया जा रहा है की टिड्डियाँ हवा के साथ पाकिस्तान के रास्ते प्रदेश की पश्चिमी सीमा में प्रवेश करते हैं | इस बार 9 से 10 बड़े टिड्डियों का समूह राज्य में प्रवेश किया है | पहले भी टिड्डियों का प्रकोप रहता था | लेकिन यह ओक्टुबर माह तक ही राजस्थान के जिलों में तक रहता था जैसे – जैसे सर्दी बढती थी वैसे – वैसे टिड्डी कीट खत्म हो जाती थी | इस बार अधिक ठंड रहने के बाद भी इसका प्रकोप बना हुआ है |

किन जिलों में इसका प्रभाव ज्यादा है

मुख्य मंत्री के अध्यक्षता में सम्पन्न हुए बैठक में बताया गया है कि जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर, बीकानेर, चुरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं नागौर जिलों में टिड्डी का प्रकोप हुआ है तथा मई माह से अबतक लभग 9–10 टिड्डियों के बड़े समूहों ने राज्य में प्रवेश किया है |वर्तमान में जैसलमेर एवं बाड़मेर में टिड्डी का प्रकोप तुलनात्मक रूप से ज्यादा है |

राज्य सरकार ने टिड्डी कीट नियंत्रण के लिए उठाए कदम

मई माह से अब तक कृषि विभाग ने टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर की मदद से 3 लाख 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी का नियंत्रण कर फसल एवं अन्य वनस्पति को बचाया है | इस कार्य में 2 लाख 21 हजार लीटर से अधिक मेलाथियान रसायन का प्रकोप किया गया है | फसलों को टिड्डी के प्रकोप से बचाने के लिए राज्य सरकार ने अब तक 3 करोड़ 7 लाख रूपये की राशि स्वीकृति जारी की है |

टिड्डी कीट का नियंत्रण ऐसे करें ?

अगर किसान के खेत में टिड्डी का प्रकोप हो जाता है तो इन सभी रसायनों का उपयोग कर सकते हैं | यह सभी कीटनाशक वैध हैं तथा टिड्डी की रोकथाम के लिए कारगर हैं |

  1. बैन्डियोकार्ब 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी 125 ग्राम
  2. क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ईसी 1200 एमएल
  3. क्लोरोपायरीफास 50 प्रतिशत ईसी 480 एमएल
  4. डेल्टामेंथ्रीन 8 प्रतिशत ईसी625 एमएल
  5. डेल्टामेथ्रिन25 प्रतिशत युएलवी 1400 एमएल
  6. डाईफ्ल्यूबेन्ज्युरों 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 120 एमएल
  7. लेम्बडासायलोथ्रिन 5 प्रतिशत एमएल लम्बडासायलोथ्रीन 10 प्रतिशत डब्ल्यूपी 200 ग्राम
  8. मेलाथियान 50 प्रतिशत ईसी 1850 एमएल एवं
  9. मेलाथ्रीन 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 3700 ग्राम प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें

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दूध से अलग-अलग प्रकार के उत्पाद तैयार करने के लिए इन जिलों में लगाये जा रहे हैं सयंत्र

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दूध से उत्पाद बनाने के लिए की जा रही है इन सयंत्रों की स्थापना

देश में दूध का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है | भारत दूध उत्पादन में विश्व में पहला स्थान रखता है | यह पर 187 मिलियन तन दूध का उत्पादन किया जाता है | इसके बाबजूद भी सभी व्यक्तियों को पर्याप्त मात्रा में दूध नहीं मिल पाता है | इसका सबसे बड़ा कारण  यह है की भारत में दूध देने वाली गायों तथा भैंसों की दूध उत्पादन क्षमता अन्य देशों के मुकाबले बहुत कम है | इसका सीधा असर किसानों की आय पर पड़ता है |

इसके अलवा देश में दूध का सीधे तौर पर उपयोग ज्यादा होता है तथा किसान केवल दूध को दूध के रूप में बेचते हैं | जिससे आमदनी कम होती है | अगर किसान दूध को घी, पनीर, पेडा तथा अन्य दूध से बनने वाले उत्पादों के रूप में बेचें तो अत्यधिक मुनाफा होगा |

इसी को ध्यान में रखते हुए मध्य प्रदेश सरकार ने राज्य के पशुपालकों को दूध उत्पादनों के लिए प्रशिक्षण दिया जायेगा | राज्य के पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री श्री लखन सिंह यादव ने कहा है कि राज्य शासन द्वारा राष्ट्रीय डेयरी विकास योजना में 13 करोड़ 20 लाख रूपये लागत की परियोजनाओं की स्वीकृति प्राप्त की गई है | इसके अलवा, दूध एवं दूध उत्पादों के प्रशिक्षण के लिए 8 करोड़ की लागत से राज्य स्तरीय अत्याधुनिक प्रयोगशाला की स्थापना की जाएगी | यह बात स्टेट को-आपरेटिव डेयरी फेडरेशन के एक वर्ष की उपलब्धियों की समीक्षा पर बोल रहे थे |

प्रदेश में क्षेत्रीय एवं ग्रामीण स्तरीय सहकारी डेयरी कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है | इसके प्रथम चरण में 7 हजार ग्रामीण दूध सहकारी समितियां कार्यरत हैं | इसके अलावा संभाग स्तर पर भोपाल, इंदौर, उज्जैन, ग्वालियर, जबलपुर एवं सागर में सहकारी दूध संघ के मुख्यालय कार्यरत हैं | इन समितियों के द्वारा प्रतिदिन संकलित 8.50 लाख किलोग्राम दूध में से 7.50 लाख लिटर दूध का विक्रय किया जा रहा है | साँची ब्रांड के अन्तर्गत 7,940 वितरकों के माध्यम से घी, पेडा, पनीर, दूध आदि उत्पादों का विक्रय किया जा रहा है |

दूध से उत्पाद बनाने के लिए की जा रही है इन सयंत्रों की स्थापना

मंत्री श्री लाखन सिंह यादव ने बताया कि राज्य शासन द्वारा विभिन्न जिलों में दूध से बनने वाले उत्पाद की स्थापना किया जायेगा |

  1. ग्वालियर में एक करोड़ 90 लाख रूपये लगत के घी निर्माण संयंत्र की स्थापना |
  2. इंदौर में 4 करोड़ की लागत से आईस्क्रीम संयंत्र की स्थापना की जाएगी |
  3. जबलपुर में लगभग 10 करोड़ की लागत से स्वचालित पनीर निर्माण संयंत्र की स्थापना की जा रही है |
  4. इंदौर , उज्जैन, ग्वालियर, मंदसौर एवं रतलाम के प्रत्येक दूध संयंत्र में 85 लाख की लागत से मिल्क एनालाईजर उपकरण स्थापित की जा रहे है |
  5. 30 हजार लीटर प्रतिदिन क्षमता वाले खरगोन, शिवपुरी, झाबुआ, बडवानी, खंडवा, बुरहानपुर तथा सेंधवा के साथ 7.19 लाख लागत से बैतूल, छिंदवाडा, सिंगरौली, रीवा में 11.19 लाख प्रत्येक संयंत्र की लगत से कम्पलीट पैक उपकरण स्थापित किये जायेंगे |

यह सभी संयंत्र 2020 तक प्रारंभ हो जायेंगे |इसके साथ ही 2 नये उत्पाद शुगर–फ्री पैदा तथा साँची वीटा प्रो हेल्थ ड्रिंक बाजार में लाँच किया जायेगा |

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मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी: इन जगहों पर हो सकती है बेमौसम बारिश

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आने वाले दिनों के लिए मौसम का पुर्वानुमान

देश के उत्तरी राज्यों में जहाँ एक तरफ कड़ाके की ठण्ड पड़ रही है वहीँ कई जगह हवा आंधी के साथ बारिश भी हो रही है | उत्तरी भारत के राज्यों में शीतलहर से कड़ाके की सर्दी पड़ रही है तो यह पिछले कई रिकॉर्ड भी तोड़ चुकी है | इसके वावजूद मौसम विभाग ने कई जगहों पर पाला पढने एवं बारिश होने की सम्भावना भी व्यक्त की है | मौसम विभाग ने बारिश एवं पाले को लेकर चेतावनी जारी की है | मौसम विभाग के अनुसार पूर्वी मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड राज्यों में गरज चमक एवं आंधी के साथ बारिश की संभावना है |

मध्यप्रदेश के इन जिलों में हो सकती है बारिश

मौसम विभाग भोपाल द्वारा आगामी दिनों के मौसम के लिए जो पूर्वानुमान जारी किया गया है उसके अनुसार भोपाल, रायसेन, राजगढ़, विदिशा, सिहोर, धार, इंदौर, बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, आगर-मालवा, मंदसौर, नीमच, रतलाम, शाजापुर, उज्जैन, अशोकनगर, गुना, ग्वालियर, शिवपुरी, दतिया, भिंड, मुरैना, श्योंपुर कला, उमरिया, अनुपपुर, शहडोल, डिंडोरी, कटनी, छिंदवाड़ा, जबलपुर, बालाघाट, नरसिंगपुर, सिवनी, मंडला, रीवा, सतना, सीधी, सिंगरौली, छतरपुर, सागर, टीकमगढ़, पन्ना, दमोह, बैतूल. होशंगाबाद, हरदा आदि जिलों में आगामी 2-3 दिनों में हल्की वर्षा या गरज चमक के साथ बौछारें कहीं कहीं होने की सम्भावना है | मध्य प्रदेश बारिश के साथ के कुछ हिस्सों में ओलावृष्टि की गतिविधियाँ होने की भी आशंका है। शुरुआत में, राज्य के उत्तरी और पश्चिमी जिलों में बारिश देखी जाएगी, और इसके अलावा, राज्य के कई हिस्सों में हल्की बारिश देखने को मिलेगी।

छत्तीसगढ़ में इन जगहों पर हो सकती है बारिश 

मौसम विभाग रायपुर द्वारा जो जिलेवार वर्षा का पूर्वानुमान जारी लिया गया है उसके अनुसार आगामी 2-3 दिनों में सरगुजा, जशपुर, कोरिया, सूरजपुर, बलरामपुर, बिलासपुर, रायगढ़, मुंगेली, कोरवा, जांजगीर, रायपुर, बलोदाबजार, गरियाबंद, धमतरी, महासमुंद, दुर्ग, बालोद, बेमतारा, कबीरधाम, राजनांदगांव, बस्तर, कोंडागांव, दंतेवाडा, सुकुमा, कांकेर, बीजापुर, नारायणपुर जिलों में आने वाले दिनों में कहीं-कहीं कुछ स्थानों पर हल्की से मधयम वर्षा की सम्भावना है |

मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ के आलावा उत्तरी महाराष्ट्र एवं झारखंड के कुछ स्थानों में कहें कहीं बारिश हो सकती है |वहीँ उत्तरप्रदेश में मध्यम कोहरा /घना कोहरा पड़ने की संभाबना है तत्प्श्तात आसमान मुख्यतः साफ़ रहेगा |शीत लहर बने रहने की संभाबना है |अधिकतम और न्यूनतम तापमान क्रमशः 16 और 08 डिग्री सेल्सियस रहने की संभावना है |

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फसल बीमा कंपनियां तहसील स्तर पर जारी करें टोल फ्री नम्बर: कृषि मंत्री

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना टोल फ्री नम्बर

देश में किसानों को सबसे अधिक किसी योजना का लाभ लेने के लिए यदि समस्या का सामना करना पढता है तो वह है प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में | किसानों की शिकायत हमेशा यही रहती है की उन्हें फसल बीमा की राशि नहीं मिलती, कंपनियों ने जो टोल फ्री नम्बर जारी किया है वह नम्बर पर कॉल करने पर कोई उठाता ही नहीं हैं | इसमें भी कई किसान अभी भी ऐसे हैं जिनका बीमा तो हो जाता है पर उन्हें फसल बीमा कम्पनी का नाम तक पता नहीं होता है | इन परिस्थिति में किसान कल्याण तथा कृषि विकास, उद्यानिकी एवं खाद्य प्र-संस्करण मंत्री श्री सचिन यादव ने मंत्रालय में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना की समीक्षा की।

उन्होंने कहा कि बीमा क्लॉज के अनुसार किसान को 72 घण्टे के भीतर फसल हानि की सूचना संबंधित बीमा कम्पनी को देना चाहिए। कम्पनियों द्वारा जारी टोल फ्री नंबर पर अक्सर फोन नहीं लगता। श्री यादव ने इस समस्या को दूर करने के लिये फसल बीमा कम्पनियों को तहसील स्तर पर टोल फ्री नंबर जारी करने के निर्देश दिये।   

कंपनियां 2 दिनों में किसानों की जानकारी उपलब्ध करवाए

मंत्री श्री यादव ने कहा कि सभी फसल बीमा कम्पनियां तहसील स्तर नियुक्त कर्मचारियों तथा फसल हानि की सूचना देने वाले किसानों की जानकारी दो दिन में प्रस्तुत करें। उन्होंने कहा कि किसान को फसल बीमा राशि की अंशदान की रसीद देना भी सुनिश्चित किया जाए। श्री यादव ने निर्देशित किया कि फसल हानि पर यथाशीघ्र नियमानुसार क्लेम राशि का भुगतान किया जाना शुरू करें।

जल्द दिया जायेगा फसल बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में प्रदेश के 27 लाख 64 हजार किसानों की फसलों का खरीफ-2019 के लिये 15 हजार 221 करोड़ 52 लाख रूपये का बीमा किया गया। किसानों की कुल 54 लाख 58 हजार 8 सौ 66 हेक्टेयर कृषि भूमि इसमें शामिल थी। बीमा प्रीमियम के लिये किसानों का अंशदान 352 करोड़ 62 लाख रूपये तथा राज्यांश 509 करोड़ 60 लाख रूपये का है। किसानों को नियमानुसार फसल नुकसानी का क्लेम यथाशीघ्र दिलाया जाएगा।

प्रधानमंत्री फसल बीमा कंपनियों के टोल फ्री नम्बर हेतु क्लिक करें 

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इस राज्य में 50 हजार किसान परिवार कर रहे हैं मशरूम उत्पादन, जानिए मशरूम खेती के फायदे

मशरूम उत्पादन

पौष्टिक गुणों से भरपूर मशरूम एक प्राकृतिक प्रदत्त फसल है , जो बिना भूमि (उपजाऊ भूमि) , कम रासायनिक खाद का उपयोग कर कम समय में कृषि अवशेषों पर उत्पादन किया जा सकता है | इसका उत्पदान किसान भाई एक कमरे / झोपडी में भी कर सकते हैं | इसके अतिरिक्त मशरूम उत्पादन रोजगारोन्मुखी एवं प्रदूषण रहित है | यह बात बिहार के कृषि मंत्रीं डॉ प्रेम कुमार ने बामेती पटना के सभागार में मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के समय कही |

कृषि मंत्रीं डॉ प्रेम कुमार ने बताया की मशरूम का अवशेष भी उत्तम खाद, वर्मी क्म्पोष्ट अथवा पशु आहार के लिए काफी उपयोगी होता है | बिहार की जलवायु भी मशरूम उत्पादन के लिए अनुकूल है | मशरूम में सभी प्रकार के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कर्बोहईड्रेड, आवश्यक लवण एवं विभिन्न बिटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं | इससे शरीर को आवश्यक सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है | इसके अलावा इसे खाने से विभिन्न बिमारियों में लाभ मिलता है | बिहार में मशरूम उत्पादन को लेकर कृषि मंत्री ने यह जानकारी साझा की |

बिहार में मशरूम की खेती के लिए अनुकूल जलवायु

बिहार में तापक्रम के अनुसार मुख्यत: 03 प्रकार के मशरूम की खेती विभिन्न तापक्रमों पर उगाकर सैलून भर मशरूम की खेती की जा सकती है | उदहारण स्वरूप ओयस्टर मशरूम (न्यूनतम 20 डिग्री एवं अधिकतम 30 डिग्री) | बटन मशरूम (न्यूनतम 15 डिग्री एवं अधिकतम 20 डिग्री फसल उत्पादन हेतु एवं बुआई के समय न्यूनतम 20 डिग्री एवं अधिकतम 25 डिग्री) तथा दुधिया मशरूम (न्यूनतम 30 डिग्री एवं अधिकतम 38 डिग्री) पर उगाया जाता है |

मशरूम उत्पादन से आमदनी

यदि 2000 वर्ग फीट में तीनों मशरूम की खेती सालों भर करके 50 – 60 क्विंटल मशरूम प्राप्त करके 30 – 35 हजार रूपये प्रति माह आमदनी प्राप्त की जा सकती है | इसके अलावा एक तरफ मशरूम खाने से कुपोषण दूर होता है तथा दूसरी तरफ आय का प्रमुख स्त्रोत है | इसके अलावा शिटाके मशरूम एवं हेरेशियम मशरूम की प्रजातियों में विभिन्न औषधीय गुण भी पाये जाते हैं | बिहार में मशरूम का कुल उत्पादन 5,600 टन होता है | जबकि इस कार्य में 50,000 से अधिक परिवार इस कार्य में लगे हुए हैं |

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इस योजना के तहत बेरोजगार युवक/युवतियों प्रशिक्षण लेकर शुरू करें स्वरोजगार

कौशल विकास मिशन प्रशिक्षण कार्यक्रम

देश में बढती बेरोजगारी को ध्यान में रखते हुए सरकार अब छोटे तथा कृषि क्षेत्र में स्थानीय स्तर पर रोजगार बनाने की कोशिश में लगी है | इसके लिए युवक तथा युवतियों को अलग–अलग क्षेत्रों प्रशिक्षण देकर उसी क्षेत्र में रोजगार उत्पन्न किया जा रहा है | वेरोजगार युवक / युवतियों तथा किसानों को उनके कौशल ज्ञान की गुणवत्ता बढ़ाने तथा पेशेवर ज्ञान प्रदान करने के लिए विकास आयुक्त, बिहार की अध्यक्षता में बिहार कौशल विकास मिशन का गठन किया गया है | इस योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के वेरोजगार युवक / युवतियों तथा किसानों को कौशल प्रशिक्षण के माध्यम से पेशेवर ज्ञान प्रदान कर उन्हें स्वरोजगार / रोजगार प्राप्त करने के लिए दक्षता प्रदान करना है |

कौशल विकास मिशन कार्यक्रम

इस कार्यक्रम से राज्य के बेरोजगार युवकों / युवतियों तथा प्रगतिशील किसानों को कृषि क्षेत्र में कौशल प्रशिक्षण मिलने से कुशल तकनीक एवं व्यवसायिक योग्यता / क्षमता का विकास होगा | उन्हें कौशल प्रशिक्षणोंप्रान्त रोजगार / स्वरोजगार उपलब्ध होगा | इससे राज्य में कुशल कामगारों का एक सतत पुल विकसित किया जा सकेगा | ताकि आने वाले समय में औधोगिक एवं व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को उनकी मांग के अनुरूप कुशल कारीगर उपलब्ध हो पायेगा तथा प्रतिष्ठानों को भी प्रोत्साहन मिलेगा | औधोगिक प्रशिक्षण संस्थानों को अत्याधुनिक मशीनों से सुसज्जित किया जायेगा तथा विशेषज्ञों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण प्रशिक्षण तथा अधतन तकनीकी ज्ञान दिया जायेगा | इससे किसानों के फसलों के उत्पादन एवं उत्पादकता में वृद्धि होगी | जिससे उनकी आर्थिक मजबूती मिलेगी तथा उनका रहन – सहन का स्तर ऊँचा होगा |

कितने विषय में प्रशिक्षण दिया जायेगा ?

कृषि विभाग द्वारा बिहार राज्य के बेरोजगार युवक – युवतियों को कौशल विकास मिशन के अंतर्गत कुल 23 पाठ्यक्रमों में प्रशिक्षण दिया जायेगा |

यह पाठ्यक्रम इस प्रकार है :-

मशरूम उत्पादक, वर्मी कम्पोस्ट उत्पादक , मधुमक्खी पालन, बीज उत्पादन, गार्डेनर, रूफ टाप, गार्डेनर फ्लोरिक्ल्चरिस्ट, बीज विश्लेषण, कृषि यंत्र संचालन, मरम्मती एवं रख रखाव, माईक्रो इरिगेशन आदि में कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है |

कितने युवक तथा युवतियों को प्रशिक्षण (Training) दिया जायेगा ?

कृषि मंत्री श्री डॉ. प्रेम कुमार ने बताया की इस वित्तीय वर्ष 2019–20 में कुल 7,230 युवकों / युवतियों को कौशल विकास प्रशिक्षण प्रदान किये जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है | अब तक कुल 90 युवकों / युवतियों को कौशल विकास का प्रशिक्षण दिया जा रहा है | गत वर्ष 2018 – 19 में कुल 3612 युवकों / युवतियों को कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण दिया गया है |

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70 प्रतिशत तक के अनुदान पर करवाएं पशुओं का बीमा

पशुधन बीमा योजना के तहत अनुदान

देश में किसान कम से कम एक या दो पशु रखते ही हैं | सरकार की योजना के तहत पशुपालन सम्बंधित योजना का लाभ लेने के लिए पशुधन बीमा होना भी आवश्यक है | साथ ही यदि किसान पशुओं का बीमा करवाएंगे तो पशु हानि होने पर किसानों को सहायता मिल सकती है | केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए राष्ट्रिय पशुधन बीमा योजना चलाई जा रही है जो पुरे देश में लागू है | मध्यप्रदेश राज्य सरकार इस योजना में अलग से अनुदान भी दे रही है | अभी राज्य सरकार के पशुपालन मंत्री श्री लाखन सिंह यादव ने प्रदेश की सायर (नंदी) डायरेक्ट्री और पशुधन बीमा योजना के पोस्टर का विमोचन किया। विमोचन के समय उन्होंने यह जानकारी दी |

वीर्य संस्थान भोपाल की लिए डायरेक्ट्री

केन्द्रीय वीर्य संस्थान, भोपाल द्वारा प्रकाशित इस डायरेक्ट्री से पशुपालकों को विभिन्न उन्नत किस्म के नंदी की विस्तृत जानकारी मिलेगी और उन्हें अपने पशुओं के कृत्रिम गर्भाधान के लिये उन्नत किस्म के वीर्य का चयन करने में सुविधा होगी। वर्तमान में मध्यप्रदेश में एक मात्र वीर्य संस्थान भोपाल में स्थित है। इसमें लगभग 205 नंदी रखे जाने की सुविधा है। वर्तमान में 198 नंदी इस संस्थान में वीर्य संकलन के लिये उपलब्ध हैं।

 संस्थान में दूध देने वाले पशुओं की कुल 16 नस्लों के नंदी रखे गये हैं। इसमें प्रमुख रूप से गिर, थारपरकर, मुर्रा जैसे दुधारु नस्ल के नंदी हैं। उन्होने बताया कि जर्सी एवं एचएफ जैसी अधिक मात्रा में दूध देने वाली नस्लों के नंदी भी इस संस्थान में रखे गये हैं। पशुपालन मंत्री ने कहा कि डायरेक्ट्री में 198 नंदी का विस्तृत विवरण प्रत्येक पृष्ठ पर उपलब्ध है। इसमें कुछ भैंसीय एवं शेष गौवंशीय सायर हैं।

पशुधन बीमा योजना के तहत अनुदान

पशुपालन मंत्री श्री लखन यादव ने कहा कि पशुधन बीमा योजना प्रदेश के प्रत्येक जिले में लागू की गई है। इसमें पशुपालक अपने दुधारु पशुओं के साथ सभी प्रकार के पशुओं का बीमा करा सकेंगे। एक हितग्राही अपने 5 पशुओं का बीमा करा सकेगा। भेड़, बकरी, शूकर आदि श्रेणी में 10 पशुओं की एक पशु इकाई मानी जाएगी।

मंत्री श्री यादव ने कहा कि बीमा प्रीमियम पर एपीएल श्रेणी के पशुपालकों को 50 प्रतिशत अनुदान तथा बीपीएल और अजा-अजजा श्रेणी के पशुपालकों को 70 प्रतिशत अनुदान राज्य सरकार द्वारा दिया जाएगा। शेष राशि पशुपालक द्वारा भुगतान की जाएगी। बीमा प्रीमियम की अधिकतम दर एक वर्ष के लिये 3 प्रतिशत तथा 3 वर्ष के लिये 7.50 प्रतिशत देय होगी। बीमा न्यूनतम एक वर्ष तथा अधिकतम 3 वर्ष के लिये किया जा सकेगा।

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बड़ी खबर: अब इस राज्य के किसानों का 2 लाख रुपये तक का लोन किया जायेगा माफ

किसान कर्ज माफी योजना

आज के समय में सरकार सभी राज्यों में सरकार किसी को भी हो किसानों का मुद्दा केंद्र में ही है | सरकार के द्वारा लिया जाने वाला पहला बड़ा फैसला किसानों के लिए रहता है | मध्यप्रदेश, राजस्थान तथा छत्तीसगढ़ के बाद महाराष्ट्र में बनी नई सरकार ने किसानों की लोन माफ़ी की घोषणा कर दी है | जिससे लम्बे समय से किसान तथा सरकार के बीच के गतिरोध पर बिराम लग गया है | महाराष्ट्र में किसानों की लोन माफ़ी इस लिए और ज्यादा महत्वपूर्ण हो जाती है क्योंकि देश में किसानों की आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र पहला स्थान रखता है |

राज्य में चल रहे विधानसभा सत्र में राज्य के मुख्य मंत्री उद्धव ठाकरे ने विधान सभा में किसानों की लोन माफ़ी की घोषणा किया है | इसकी पूरी जानकारी किसान समाधान लेकर आया है |

किसानों की कितने रूपये का लोन माफ़ होगा ?

राज्य के मुख्यमंत्री ने विधान सभा में जानकारी देते हुए बताया है की किसानों की लोन माफ़ी महात्मा फुले शेतकरी कर्ज मुक्ति योजना के तहत की जाएगी| इस योजना के तहत राज्य के किसानों के 2 लाख रूपये तक तक का लोन माफ किया जायेगा |

कर्ज माफ़ी कब से शुरू होगी ?

मुख्यमंत्री ने बताया है कि किसानों की लोन माफ़ी में इस वर्ष 30 सितम्बर 2019 तक लिए गये लोन की माफ़ी किया जायेगा | इसका मतलब यह हुआ की खरीफ 2019 के लिए लिए गये लोन का भी माफ़ किया जायेगा |

किन किसानों का होगा कर्ज माफ

राज्य सरकार के तरफ से वित्त मंत्री जयंत पाटिल ने बताया है कि कृषि लोन माफ़ी बिना किसी शर्त  के किया जायेगा | इसको आसन भाषा में इस तरह समझ सकते हैं कि किसनों पर किसी भी तरह की भूमि का प्रतिबन्ध नहीं रखा गया है | छोटे – बड़े सभी किसानों का लोन माफ़ी किया जायेगा | डिफाल्टर तथा नानडिफाल्टर किसानों का भी लोन माफ़ किया जायेगा |

जिस किसान ने लोन जमा कर दिया है उसका क्या होगा ?

जिस किसान ने समय से कृषि लोन जमा कर दिया है उस किसना के लिए भी एक योजना चलाया जायेगा | वित्त मंत्री जयंत पाटिल ने बताया है कि समय पर कृषि लोन जमा कर देने वाले किसनों को स्पेशल स्कीम जरी किया जायेगा | इसकी विशेष जानकारी अभी नहीं दी गई है |

कृषि लोन माफ़ी की प्रक्रिया कब से शुरू होगा

लोन माफ़ी के लिए प्रक्रिया अगले वित्त वर्ष से शुरू की जाएगी | इसके बारे में जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा है कि मार्च 2020 से कृषि लोन माफ़ी की शुरुआत की जाएगी |

किसानों को लोन माफ़ी के लिए क्या करना होगा 

महाराष्ट्र सरकार ने एक बहुत ही अच्छा काम यह किया है की किसानों से किसी भी तरह का कोई फार्म नहीं भरवा रही है या फिर किसी भी तरह का कोई आवेदन करने को नहीं कह रही है | राज्य के सभी बैंकों में किसान के बैंक खातों में कृषि लोन माफ़ी का पैसा दिया जायेगा | यह अधिकतम 2 लाख रूपये तक है |

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फसलों को हुए नुकसान का आकलन कर किसानों को दिया जायेगा अनुदान

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वर्षा से प्रभावित फसल क्षति का अनुदान

इस वर्ष उत्तर भारतीय राज्यों में बारिश एवं सूखे से किसान प्रभावित रहे हैं | इससे किसानों को बहुत अधिक नुकसान हुआ है | सरकारों द्वारा पहले ही मानसून में आई बाढ़ एवं कम बारिश से हिइ फसल नुकसान का अनुदान किसानों को दिया जा रहा है | वह अभी तक किसानो के बैंक खातों में पहुंचा भी नहीं था के दोबारा से बेमौसम बारिश एवं ओले से फसलों को नुकसान हो गया है | ऐसे में राज्य सरकार अभी हुए फसल के नुकसान का सर्वे करवा रही है | यह नुकसान अभी मध्यप्रदेश, राजस्थान एवं बिहार राज्य में सर्वधिक हुआ है | मध्यप्रदेश एवं राजस्थान के मुख्यमंत्री ने पहले ही बारिश से किसानों को हुए नुकसान के आकलन के लिए सर्वे के निर्देश दे दिए हैं अब बिहार राज्य में भी यह आकलन जल्द किया जायेगा |

किसानों को फसल क्षति का दिया जायेगा अनुदान

 बिहार कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा है की विगत दिनों असामयिक वर्षा होने से राज्य के कई जिलों में धान के फसल को नुकसान पहुँचने की सुचना प्राप्त हुई है | राज्य के अधिकांश क्षेत्रों में धान की कटनी प्रायः समाप्त हो चुकी है, परन्तु दक्षिण बिहार के जिलों के कुछ क्षेत्रों में धान की कटनी शेष राह गई थी तथा की जगहों में धान की दौनी नहीं हो पाई थी, धान का बोझा खलिहान में ही जमा था | इन क्षेत्रों में असमयिक वर्षा होने से ढहन की फसल को नुकसान पहुंचा है |

कृषि मंत्री ने कहा की ऐसे क्षेत्रों, जहाँ हाल के दिनों में हुई वर्षा से धान के फसल को हानि हुई है, वहां किसान भाई-बहनों को उनके धान के फसल के नुकसान का नियमाकुल भरपाई की जाएगी | ऐसे क्षेत्रों के कृषि विभाग के पदाधिकारियों एवं कर्मचारियों को फसल की क्षति का आकलन करें के लिए विभाग द्वारा निदेशित किया जा चूका है |विभागीय अधिकारीयों एवं कर्मचारियों द्वारा धान की फसल के क्षति का आकलन करने का कार्य किया जा रहा है | क्षति का आकलन से सम्बंधित किसान भाइयों एवं बहनों को धान की क्षति का निय्माकुल भरपाई की कार्यवाही की जाएगी |

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