धान खरीफ सीजन की मुख्य फसलों में से एक है, देश में अधिकतर किसान इसकी खेती प्रमुखता से करते हैं। ऐसे में किसान नई तकनीकों को अपनाकर इसकी लागत कम करके उत्पादन बढ़ा सकते हैं। जिससे किसानों को मुनाफा भी अच्छा होगा। जबलपुर के कृषि उपसंचालक ने बताया कि अगर किसान डायरेक्ट सीडेड राईस (डीएसआर) विधि को अपनाकर धान, गेहूं एवं मूंग, उड़द की बोनी करते हैं, तो सभी फसलों का बोनी एवं कटाई के समय में 10-15 दिन की बचत की जा सकती है, जिससे तीनों मौसम की फसलों का उत्पादन बढ़ाया जा सकता है।
किसानों को जायद मूंग-उड़द पकने की अवस्था में वर्षा के कारण फसल सुखाने के लिये खरपतवार नाशक दवा डालने की आवश्यकता नहीं होगी तथा मूंग-उड़द का दाना बोल्ड एवं उत्पादन अधिक प्राप्त होगा। उन्होंने किसानों को धान की खेती से अधिक मुनाफा कमाने के लिए डीएसआर विधि से खेती करने की सलाह दी है।
धान की डीएसआर विधि से खेती करने पर मिलेंगे यह फायदे
कृषि उपसंचालक ने किसानों को धान में रोपा के बजाय डी.एस.आर पद्धति से सीधे बुवाई करने की सलाह दी है। इस पद्धति में धान की बुवाई करने से लागत में कमी आती है जैसे- रोपाई से अपेक्षाकृत कम मजदूरों की आवश्यकता होती है, धान में पानी की कम आवश्यकता होती है अत: जल संरक्षण भी होता है, लाईन से बोनी होने के कारण खरपतवार, कीड़े, बीमारियों के नियंत्रण के लिये की जाने वाली गतिविधियां एवं दवाओं के उपयोग में सुविधा होती है तथा खड़ी फसल में कृषि यंत्रों का उपयोग भी आसानी से किया जा सकता है। लाईन में बोनी होने के कारण पौधों को सूर्य का प्रकाश स्थान पानी एवं पोषक तत्वों के लिये आपस में प्रतिस्पर्धा नहीं होती है। फलस्वरूप फसल में अधिक कल्ले निकलते हैं और उत्पादन में वृद्घि होती है।
इस तरह करें धान की बुआई
धान की बुआई डी.एस.आर सीडड्रिल या जीरोटिलेज सीडड्रिल से की जा सकती है। यह सीडड्रिल उपलब्ध न होने पर सामान्य सीडड्रिल में ही फ्लूटेड-रोलर पर्याप्त स्थिति में खोलकर उपयोग किया जा सकता है। इससे धान के बीज टूटने से बच जाते हैं, साथ ही बीज के साथ डी.ए.पी. का मिश्रण भी किया जा सकता है। कृषि अभियांत्रिकी द्वारा इस वर्ष सभी विकास खण्डों में खरीफ मौसम में धान की बोनी डायरेक्ट सीडेड राईस (डीएसआर) विधि के प्रदर्शन भी आयोजित किये जाएंगे।