मशरूम उत्पादन
पौष्टिक गुणों से भरपूर मशरूम एक प्राकृतिक प्रदत्त फसल है , जो बिना भूमि (उपजाऊ भूमि) , कम रासायनिक खाद का उपयोग कर कम समय में कृषि अवशेषों पर उत्पादन किया जा सकता है | इसका उत्पदान किसान भाई एक कमरे / झोपडी में भी कर सकते हैं | इसके अतिरिक्त मशरूम उत्पादन रोजगारोन्मुखी एवं प्रदूषण रहित है | यह बात बिहार के कृषि मंत्रीं डॉ प्रेम कुमार ने बामेती पटना के सभागार में मशरूम उत्पादन तकनीक विषय पर आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम के समय कही |
कृषि मंत्रीं डॉ प्रेम कुमार ने बताया की मशरूम का अवशेष भी उत्तम खाद, वर्मी क्म्पोष्ट अथवा पशु आहार के लिए काफी उपयोगी होता है | बिहार की जलवायु भी मशरूम उत्पादन के लिए अनुकूल है | मशरूम में सभी प्रकार के पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, कर्बोहईड्रेड, आवश्यक लवण एवं विभिन्न बिटामिन प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं | इससे शरीर को आवश्यक सभी पोषक तत्वों की प्राप्ति होती है | इसके अलावा इसे खाने से विभिन्न बिमारियों में लाभ मिलता है | बिहार में मशरूम उत्पादन को लेकर कृषि मंत्री ने यह जानकारी साझा की |
बिहार में मशरूम की खेती के लिए अनुकूल जलवायु
बिहार में तापक्रम के अनुसार मुख्यत: 03 प्रकार के मशरूम की खेती विभिन्न तापक्रमों पर उगाकर सैलून भर मशरूम की खेती की जा सकती है | उदहारण स्वरूप ओयस्टर मशरूम (न्यूनतम 20 डिग्री एवं अधिकतम 30 डिग्री) | बटन मशरूम (न्यूनतम 15 डिग्री एवं अधिकतम 20 डिग्री फसल उत्पादन हेतु एवं बुआई के समय न्यूनतम 20 डिग्री एवं अधिकतम 25 डिग्री) तथा दुधिया मशरूम (न्यूनतम 30 डिग्री एवं अधिकतम 38 डिग्री) पर उगाया जाता है |
मशरूम उत्पादन से आमदनी
यदि 2000 वर्ग फीट में तीनों मशरूम की खेती सालों भर करके 50 – 60 क्विंटल मशरूम प्राप्त करके 30 – 35 हजार रूपये प्रति माह आमदनी प्राप्त की जा सकती है | इसके अलावा एक तरफ मशरूम खाने से कुपोषण दूर होता है तथा दूसरी तरफ आय का प्रमुख स्त्रोत है | इसके अलावा शिटाके मशरूम एवं हेरेशियम मशरूम की प्रजातियों में विभिन्न औषधीय गुण भी पाये जाते हैं | बिहार में मशरूम का कुल उत्पादन 5,600 टन होता है | जबकि इस कार्य में 50,000 से अधिक परिवार इस कार्य में लगे हुए हैं |