फसलों पर टिड्डी कीट का नियंत्रण
देश अभी दुसरे देशों से आये लोगों को लेकर घमासान मचा हुआ है परन्तु किसान अभी एक ऐसी वजह से परेशान है जो प्राकृतिक कारणों से पाकिस्तान के रास्ते देश में प्रवेश कर रही है | रबी फसल की बुआई हो चुकी है तथा कुछ फसल में फुल भी आना शुरू हो गए है परन्तु साथ ही फसल में लगने वाले रोग तथा कीट लगने के कारण किसानों को बड़े पैमाने पर नुकसान की ख़बरें भी आने लगी हैं | जिससे किसानों की हजारों हेक्टेयर की फसल की नुकसान होने हो रही है | इसमें एक कीट ऐसा भी है जो पस्किस्तान से आया है और खेतों में लगी फसलों को नुकसान पहुंचा रहा है |
ताजा मामला राजस्थान एवं गुजरात के कुछ जिलों का है | जहाँ पर पाकिस्तान से आये हुए टिड्डी के प्रकोप से किसानों की हजारो हेक्टेयर की फसल पूरी तरह से नष्ट हो गई है | टिड्डी का प्रकोप इतना ज्यादा है की राज्य सरकार ने इसके लिए केंद्र सरकार से मदद की मांग की है | राज्य सरकार की लाख कोशिशों के बाबजूद भी टिड्डी का प्रकोप कम नहीं हुआ है | इतना ही नहीं राजस्थान में खरीफ फसलों को भी इस कीट ने बहुत अधिक नुकसान पहुँचाया था जिसके लिए राज्य सरकार ने किसानों को टिड्डी कीट नियंत्रण हेतु कीटनाशक पर सब्सिडी देने का भी फैसला लिया था |
राजस्थान के मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुए बैठक में टिड्डी नियंत्रण पर अब तक किये गये उपाय तथा इसका प्रकोप कितना है इस पर चर्चा की गई | राज्य सरकार ने टिड्डी नियंत्रण के लिए केंद्र सरकार से मदद मांगी है |
टिड्डी कीट कहाँ से आ रहे हैं ?
इसके बारे में बताया जा रहा है की टिड्डियाँ हवा के साथ पाकिस्तान के रास्ते प्रदेश की पश्चिमी सीमा में प्रवेश करते हैं | इस बार 9 से 10 बड़े टिड्डियों का समूह राज्य में प्रवेश किया है | पहले भी टिड्डियों का प्रकोप रहता था | लेकिन यह ओक्टुबर माह तक ही राजस्थान के जिलों में तक रहता था जैसे – जैसे सर्दी बढती थी वैसे – वैसे टिड्डी कीट खत्म हो जाती थी | इस बार अधिक ठंड रहने के बाद भी इसका प्रकोप बना हुआ है |
किन जिलों में इसका प्रभाव ज्यादा है
मुख्य मंत्री के अध्यक्षता में सम्पन्न हुए बैठक में बताया गया है कि जैसलमेर, बाड़मेर, जालोर, बीकानेर, चुरू, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ एवं नागौर जिलों में टिड्डी का प्रकोप हुआ है तथा मई माह से अबतक लभग 9–10 टिड्डियों के बड़े समूहों ने राज्य में प्रवेश किया है |वर्तमान में जैसलमेर एवं बाड़मेर में टिड्डी का प्रकोप तुलनात्मक रूप से ज्यादा है |
राज्य सरकार ने टिड्डी कीट नियंत्रण के लिए उठाए कदम
मई माह से अब तक कृषि विभाग ने टिड्डी चेतावनी संगठन जोधपुर की मदद से 3 लाख 10 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी का नियंत्रण कर फसल एवं अन्य वनस्पति को बचाया है | इस कार्य में 2 लाख 21 हजार लीटर से अधिक मेलाथियान रसायन का प्रकोप किया गया है | फसलों को टिड्डी के प्रकोप से बचाने के लिए राज्य सरकार ने अब तक 3 करोड़ 7 लाख रूपये की राशि स्वीकृति जारी की है |
टिड्डी कीट का नियंत्रण ऐसे करें ?
अगर किसान के खेत में टिड्डी का प्रकोप हो जाता है तो इन सभी रसायनों का उपयोग कर सकते हैं | यह सभी कीटनाशक वैध हैं तथा टिड्डी की रोकथाम के लिए कारगर हैं |
- बैन्डियोकार्ब 80 प्रतिशत डब्ल्यूपी 125 ग्राम
- क्लोरोपायरीफास 20 प्रतिशत ईसी 1200 एमएल
- क्लोरोपायरीफास 50 प्रतिशत ईसी 480 एमएल
- डेल्टामेंथ्रीन 8 प्रतिशत ईसी625 एमएल
- डेल्टामेथ्रिन25 प्रतिशत युएलवी 1400 एमएल
- डाईफ्ल्यूबेन्ज्युरों 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी 120 एमएल
- लेम्बडासायलोथ्रिन 5 प्रतिशत एमएल लम्बडासायलोथ्रीन 10 प्रतिशत डब्ल्यूपी 200 ग्राम
- मेलाथियान 50 प्रतिशत ईसी 1850 एमएल एवं
- मेलाथ्रीन 25 प्रतिशत डब्ल्यूपी का 3700 ग्राम प्रति हैक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करें
टिड्डियां हवा के साथ पाकिस्तान के रास्ते प्रदेश की पश्चिमी सीमा में प्रवेश करती हैं। इस समस्या पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अन्तरराष्ट्रीय सहयोग और समन्वय जरूरी है। भारत सरकार इसके लिए पहल करे और राज्य सरकार को आवश्यक अतिरिक्त तकनीकी विशेषज्ञता, सहयोग एवं संसाधन भी उपलब्ध कराए।
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) December 24, 2019