पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से धान की रोपाई पर सरकार दे रही है 3 हजार रूपए प्रति एकड़ का अनुदान

पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से रोपाई पर अनुदान

देश में धान एक महत्वपूर्ण फसल है, कई राज्यों के किसानों की आजीविका धान की खेती पर ही निर्भर करती है | आधुनिक कृषि में उन्नत तकनीक का प्रयोग करना आज के समय जरुरी हो गया है | अब परम्परागत खेती में भी उन्नत कृषि यंत्रो का प्रयोग किसान कर सकते हैं और इस तकनीक को सीखने के बाद थोड़े प्रयासों से धन और समय दोनो की बचत हो जाती है। इसके लिए राज्य सरकारों के द्वारा कृषको को उन्नत तकनीक अपनाने के लिए निरंतर प्रोत्साहित किया जा रहा है | इस क्रम में पैड़ी ट्रांसप्लांटर बुआई हेतु कृषि यंत्र बेहद उपयोगी साबित हो रहा है | छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने नवीन फसल प्रदर्शन योजना के तहत किसानों को प्रति एकड़ 3 हजार रूपए अनुदान भी दिया जा रहा है |

पैडी ट्रांसप्लांटर से धान की रोपाई से लाभ

जहाँ पैडी ट्रांसप्लांटर से धान रोपाई बहुत ही आसान है वही मशीन द्वारा 1 एकड़ की धान की रोपाई मात्र 2 से 3 घंटे में पूरा होता है एवं अपेक्षाकृत लागत भी कम आती है | पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से मैट टाइप नर्सरी तैयार करने से उत्पादन में भी 10 से 12 प्रतिशत बढ़ोतरी भी होती है। पैडी ट्रांस्प्लान्टर से रोपाई करने में जहाँ कम श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है वही इससे बीज की बचत एवं निंदाई, गुड़ाई एवं कटाई आदि कार्य भी आसानी से किये जा सकते हैं |

पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से रोपाई विधि

नर्सरी तैयार करने की विधि बहुत ही सरल है सबसे पहले मेट टाईप नर्सरी तैयार करना होता है। पोलीथिन के ऊपर फ्रेम की सहायता से गीली मिट्टी डालकर बराबर मात्रा में अंकुरित धान को छिड़का जाता है इसके लिए प्रति एकड़ लगभग 7 से 8 किलो ग्राम धान के बीज की आवश्यकता होती है। नर्सरी 15 से 18 दिन में मशीन से रोपाई हेतु तैयार हो जाती है। मशीन रोपाई हेतु खेत की उथली मताई रोपा के 4 से 5 दिन पहले करनी होती है, 1 एकड़ धान की मशीन से रोपाई हेतु मात्र 2 से 3 घंटे का समय लगता है एवं मजदुर मात्र 3 से 4 की आवष्यकता होती है। जबकि परंपरागत विधि से धान रोपाई में 15 से 20 मजदूर लगते हैं एवं लागत भी ज्यादा होती है।

पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से रोपाई पर दिया जाने वाला अनुदान

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार की नवीन फसल प्रदर्शन योजना के तहत पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से किसानों के खेतों में नर्सरी तैयार व रोपाई कर प्रदर्शन किया जा रहा है। इसके लिए सरकार द्वारा किसानों को प्रति एकड़ 3 हजार रूपए अनुदान का प्रावधान है। किसान अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र से पैडी ट्रांस्प्लान्टर से बुआई के विषय में प्रशिक्षण प्राप्त कर सकते हैं | कृषि अभियांत्रिकी एवं कृषि विज्ञान केन्द्र के माध्यम से किसानों को उपयुक्त मार्गदर्शन भी प्राप्त हो सकेगा | 

पैडी ट्रांसप्लांटर मशीन से रोपाई पर दिए जाने वाले अनुदान की योजना कि पूरी जानकारी के लिए क्लिक करें

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किसान 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

किसानों को अनुदान पर कृषि यन्त्र देने के लिए सम्पूर्ण देश में सब मिशन ओन एग्रीकल्चर मैकेनाइजेशन योजना का क्रियान्वन किया जा रहा है | वित्तीय वर्ष 2020-21 में किसानों को दिये जाने वाले कृषि यंत्रों के लिए कृषि यंत्र हेतु आवेदन कई राज्यों के द्वारा प्रारंभ कर दिए गए हैं | कोविड–19 के दौरान लॉक डाउन ख़त्म होते ही राज्य सरकारों द्वारा किसानों से आवेदन मांगे जा रहे हैं | इस बार कुछ ऐसे कृषि यंत्रों को भी शामिल किया गए है जिससे किसानों को रोजगार प्राप्त हो सके | उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों को सब मिशन ओन एग्रीकल्चरल मैकेमाइजेशन योजनांतर्गत कृषि यंत्रों पर अनुदान दे रही है | उत्तर प्रदेश में इस वित्तीय वर्ष में पहली बार कृषि यंत्रों पर अनुदान देने हेतु आवेदन मांगे गए हैं |

किसान यह कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने हेतु कर सकते हैं आवेदन

यंत्रों के प्रकार:- किसानों कृषि यंत्र देने के लिए विभिन्न कृषि यंत्रों को जारी कर दिया गया है , जिसे किसान आसानी से सब्सिडी पर प्राप्त कर सकता है | यह कृषि यंत्र इस प्रकार है :-

  • हस्त चालित स्प्रैयर
  • शक्ति चालित स्प्रैयर
  • एम.बी.पलाऊ
  • लेजर लैंड लेवलर
  • हैरो कल्टीवेटर
  • रिजर
  • मल्टीक्राप थ्रेसर
  • पावर आपरेटेड चैफ कटर
  • स्ट्रा रीपर
  • मिनी राईस मिल
  • मिलेट मिल
  • मिनी दाल मिल
  • आँयल मिल विद फिल्टर प्रेस
  • पैकिंग मशीन
  • रोटावेटर
  • रेज्ड बेड प्लान्टर
  • पावर टिलर
  • कम्बाइन हार्वेस्टर सुपर
  • एम.एम.एस
  • राइस ट्रान्सप्लान्टर एवं योजनान्तर्गत निर्धारित अन्य यंत्र |

 कृषि यंत्रों पर दी जाएगी 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी

उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए कृषि यंत्र सब्सिडी पर दिए जा रहा है | इसके लिए राज्य सरकार ने दो प्रकार का सब्सिडी व्यवस्था की है | अनुसूचित जाती, अनुसूचित जनजाति, लघु, सीमान्त एवं महिला कृषकों के लिए राज्य सरकार के तरफ से 50 प्रतिशत कि सब्सिडी पर कृषि यंत्र ले सकेगें वहीँ अन्य श्रेणी के किसानों को 40 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाएगी |

कृषि यंत्र अनुदान के लिए जमानत राशि

किसानों को कृषि यंत्र प्राप्त करने के लिए जमानत राशि जमा करना होगा | इसके लिए राज्य सरकार ने जमानत राशि कि सीमा जारी की है | यह जमानत राशी इस प्रकार है :-

  1. 10 हजार या उससे कम राशि के सब्सिडी या अनुदान वाले कृषि यंत्रों के लिए शून्य रुपये कीजमानत राशि जमा करना होगा अर्थात ऐसे यंत्रों के लिए किसानों को किसी प्रकार की जमानत राशि नहीं देनी होगी |
  2. 10 हजार रुपये से अधिक तथा 1 लाख रुपये तक के अनुदान वाले कृषि यंत्रों हेतु किसान को 2500 रूपये तक की जमानत राशि जमा करना होगा |
  3. 1 लाख रूपये से अधिक अनुदान वाले कृषि यंत्रों हेतु किसान को 5,000 रूपये तक की जमानत राशी जमा करना होगा |

कृषि यंत्र अनुदान हेतु कैसे करें आवेदन

  1. अनुदान प्राप्त करने हेतु किसान भाईयों / बहनों का विभाग पोर्टल पर पंजीकरण आवश्यक है |
  2. जिन किसानों का पूर्व से पंजीकरण नहीं है, वह अपने आधार कार्ड, बैंक पासबुक की छायाप्रति, मोबाईल नं. और खतौनी के साथ अपने विकासखण्ड के राजकीय कृषि बीज भण्डार प्रभारी अथवा जनपद के उप कृषि निदेशक कार्यालय से सम्पर्क करें |
  3. पंजीकृत किसान द्वारा कृषि यंत्र पर अनुदान के लिए विभागीय पोर्टल upagriculture.com पर दिये गये लिंक यंत्र पर अनुदान हेतु पर क्लिक करने के पश्चात अपना आधार नंबर और मोबाईल नंबर डालने पर ओ.टी.पी. मोबाईल नम्बर प्राप्त होगा |
  4. ओ.टी.पी. सत्यापन के उपरान्त टोकन जनरेट होगा तथा बैंक में जमा की जाने वाली धनराशी का चालान फ़ार्म प्राप्त होगा |
  5. चालान फ़ार्म में दी गई अवधि के अन्दर जमानत धनराशी अपने नजदीकी यूनियन बैंक के किसी भी शाखा में जमा करनी होगी |
  6. जनपदवार – यंत्रवार निर्धारित लक्ष्यों तक ही टोकन जनरेट होंगे |
  7. निर्धारित लक्ष्यों तक टोकन जनरेट होने के बाद एक प्रतीक्षा सूचि भी बनाई जायेगी, जो स्वीकृत किसानों के यंत्र नहीं लेने की स्थिति में उपयोग में लाई जाएगी |

जमानत धानराशि का चलान जमा करना होगा

जमानत धनराशि का चालान जमा करने के 45 दिन के अंदर कृषि यंत्र क्रय करके बिल एवं आवश्यक अभिलेख विभागीय पोर्टल पर अपलोड करने होंगे अथवा जनपदीय उपकृषि निदेशक कार्यालय में अपलोड कराने हेतु उपलब्ध कराना होगा | तदुपरान्त लाभार्थी द्वारा क्रय किये कृषि यंत्रों के सत्यापन आदि के उपरांत डी.बी.टी. के माध्यम से नियमानुसार अनुदान का भुगतान किया जायेगा |

कृषि यंत्र अनुदान हेतु टोकन जनरेट करने के लिए क्लिक करें

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किसान बीज उत्पादक बनने के लिए करें ऑनलाइन आवेदन

बीज उत्पादन हेतु ऑनलाइन आवेदन

खेती के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीजों में बीज एवं उर्वरक है | रासायनिक उर्वरक किसान बनाने में सक्षम नहीं हैं लेकिन बीज का उत्पादन वह खुद कर सकते हैं | इसके बाबजूद भी सभी फसलों के लिए किसान बाजार आधारित बीज पर निर्भर रहते हैं | जिससे किसान कृषि खर्च का एक बड़ा हिस्सा बीज खरीदने पर खर्च करते हैं उसमें भी कई बार उन्हें सही बीज नहीं मिल पाते हैं | अब सरकार द्वारा किसानों को बीज उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है |

कोविड–19 के समय में प्रधानमंत्री के द्वारा सभी को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश से किया गया आह्वान अब कृषि क्षेत्र में भी किया जा रहा है | बिहार सरकार राज्य को बीज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए किसानों को बीज उत्पादन के लिए लाइसेंस दे रही है | बिहार राज्य बीज उत्पादन के क्षेत्र में बहुत ही पीछे है | बिहार में कुल बीज उपयोग का मात्र 25 प्रतिशत ही उत्पादित करता है बाकी के बीज बहार से खरीदता हैं | इसलिए बीज के क्षेत्र में बिहार को आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य सरकार ने राज्य के पटना तथा मगध प्रमंडल के 11 जिलों का चयन किया है | इन जिलों के किसानों को बीज उत्पादन के लिए प्रमाणित किया जा रहा है |

यह किसान बीज उत्पादन के लिए कर सकते हैं आवेदन

बीज में आत्मनिर्भर बनाने के लिए राज्य के किसनों को बीज उत्पादक के दिशा में उठाया गया बड़ा कदम है | इसके लिए राज्य के 11 जिलों को चयन किया गया है | यह सभी जिले पटना तथा मगध प्रमंडल के जिलें हैं , जो इस प्रकार है :- पटना, नालंदा, बक्सर, कैमूर, रोहतास, गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, नवादा एवं अरवल जिला के किसान आवेदन कर सकते हैं |

योजना हेतु दिशा-निर्देश 

बीज उत्पादक किसानों के लिए राज्य सरकार ने एक गाईडलाइन जारी की गई है | जिसके आधार पर किसानों को बीज उत्पादन का प्रमाणपत्र दिया जायेगा | यह सभी इस प्रकार है :-

  1. यह योजना राज्य के 11 जिलों के लिए हैं , ऊपर जिलों का नाम दिया गया है |
  2. प्रति किसान के स्वयं की या बटाई / पटेदारी की जमीन कम से कम रकबा 1 (एक) एकड़ होनी चाहिए |
  3. नये बीज उत्पादक किसानों को बीज उत्पादन हेतु क्षेत्रीय प्रबंधन व केन्द्रीय प्रभारी के द्वारा आधार बीज मूल्य का भुगतान लेकर उपलब्ध कराया जायेगा |
  4. उसी वक्त बिहार स्टेट एवं आर्गेनिक सर्टिफिकेशन एजेंसी (बसोका) से निबंधन व प्रमाणन हेतु किसानों को प्रति किसान निबंधन शुल्क 50 रु./- + प्रमाणन शुल्क 100 रु./- (स्व परागित) एवं 150 रु./- (पर परागित) फसल पर देय होगा |
  5. प्रमाणन शुल्क के रूप में 250 रु./- प्रति हेक्टेयर की राशि निगम द्वारा किसानों को रबी 2020 – 21 के लिए प्रोत्साहन राशि के रूप में व्यय की जाएगी |

बीज उत्पदाक किसानों से इस मूल्य पर ख़रीदे जाएंगे बीज

राज्य सरकार ने बीज खरीदी के लिए बाजार उपलब्ध करवाएगी तथा बीज खरीदी का मूल्य भी पहले से तय किया जाएगा | फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर 20 प्रतिशत राशि जोड़कर प्रसंस्करण बीज के आधार पर क्रय मूल्य का निर्धारण बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड द्वारा किया जाएगा | इसके साथ ही रबी 2020–21 में उत्पादित रबी बीजों का संग्रहण नये बीज उत्पादक किसानों के खलिहानों से बिहार राज्य बीज निगम लिमिटेड द्वारा किया जायेगा |

बीज संग्रहण के बाद बीज जांच प्रयोगशाला से बीज के अंकुरण जाँच प्रतिवेदन संतोषप्रद प्राप्त होने के पश्चात निगम द्वारा फसल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के बराबर की राशि प्रथम भुगतान के रूप में किसानों के बैंक खाते में RTGS द्वारा भुगतान किया जाएगा | शेष राशि का अंतिम भुगतान सफल प्रसंस्कृत बीज के आधार पर किसानों को RTGS के माध्यम से किया जाएगा |

बीज उत्पदक किसान बनने के लिए आवेदन कहाँ करें ?

कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि नये बीज उत्पादक बनाने के लिए किसान स्वयं की या बटाई / पट्टेदार की जमीन कम से कम 1 (एक) एक रकबा वाले इच्छुक किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं पटना तथा मगध प्रमंडल के 11 जिलों के किसानों के लिए आवेदन 20 जुलाई 2020 से शुरू कर दिए गए हैं | यह आवेदन अगले माह के 20 अगस्त 2020 तक चलेगा | योजना के लिए इच्छुक किसान ऑनलाइन  आवेदन कर सकते हैं | इसके लिए डी. बी.टी. पोर्टल https://dbtagriculture.bihar.gov.in पर जाकर बने बीज उत्पादक लिंक को क्लिक कर ऑनलाइन आवेदन किया जा सकता है |

बीज उत्पदक किसान बनने हेतु ऑनलाइन आवेदन के लिए क्लिक करें 

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किसान स्वचलित रीपर एवं रीपर कम बाइंडर कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने के लिए आवेदन करें

स्वचलित रीपर एवं रीपर कम बाइंडर हेतु अनुदान

 कृषि यंत्र सब्सिडी पर लेने के लिए इस तरह आवेदन करें

आज के समय में कृषि कार्यों के लिए कृषि यंत्रों का महत्त्व लगातार बढ़ता जा रहा है | आधुनिक युग में किसानों के लिए फसल की बुआई से लेकर कटाई तक के लिए विभिन्न प्रकार के कृषि यंत्र उपलब्ध है | इन कृषि यंत्रों की मदद से जहाँ किसान न केवल कम समय में कृषि कार्यों को पूर्ण कर सकते हैं वहीँ किये गए कार्य में लागत भी कम ही आती है | किसानों के लिए बस कृषि यंत्र खरीदने में सबसे बड़ी समस्या यह है की उनकी कीमत अधिक होती है | ऐसे में सरकार ने इस समस्या को दूर करने के लिए किसानों को कृषि यंत्रों पर सब्सिडी देने की योजना चलाती है जिसके तहत किसान कम कीमतों पर कृषि यंत्र सब्सिडी पर ले सकते हैं | किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र देने के लिए समय-समय पर आवेदन मांगे जाते हैं जिसके तहत किसान ऐच्छिक कृषि यंत्र ले सकते हैं |

मध्यप्रदेश राज्य में कृषि विभाग के द्वारा अभी स्वचलित रीपर एवं रीपर कम बाइंडर के जिलेवार लक्ष्य जारी किये गए हैं | अतः मध्यप्रदेश राज्य के सभी वर्ग के इच्छुक किसान जो यह कृषि यन्त्र अनुदान पर लेना चाहते हैं आवेदन कर सकते हैं |

स्वचलित रीपर एवं रीपर कम बाइंडर हेतु आवेदन

वर्ष 2020 -21 हेतु ई-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर स्वचलित रीपर एवं रीपर काम बाइंडर के जिलेवार लक्ष्य जारी कर दिए गए हैं | इन लक्ष्यों के अनुसार किसान दिनांक 20 जुलाई 2020 से 30 जुलाई 2020 तक पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | प्राप्त आवेदनों में से लक्ष्यों के विरुद्ध लॉटरी दिनांक 31 जुलाई 2020 को सम्पादित की जायेगी | लॉटरी में चयन होने पर किसान अनुदान पर स्वचलित रीपर एवं रीपर कम बाइंडर ले सकते हैं |

स्वचलित रीपर एवं रीपर कम बाइंडर कृषि यंत्र

रीपर मशीन का प्रयोग फसलों की कटाई के लिए किया जाता है | इस मशीन की मदद से अनाज एवं तिलहन फसलों को काटकर उन्हें एक कतार में रख दिया जाता है जिससे आसानी से गठरी बनाई जा सकती है | आज के समय में बाजार में कई तरह की रीपर मशीन उपलब्ध हैं | जैसे स्ट्रॉ रीपर, स्वचालित रीपर एवं रीपर कम बाइंडर | किसान इनमें से अपनी आवश्यकता के अनुसार चयन कर सकते हैं | रीपर मशीन से जहाँ किसान कम समय एवं कम लागत में फसल की कटाई कर सकते हैं |

आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक सत्यापन की जगह ओ.टी.पी (OTP) से होगा पंजीकरण

इस वर्ष Covid -19 महामारी जनित परिस्थितियों के कारण पोर्टल पर अनुदान हेतु प्रक्रिया में परिवर्तन किया जा रहा है जिसके अंतर्गत आधार प्रमाणित बायोमेट्रिक प्रक्रिया के स्थान पर कृषकों के मोबाइल पर OTP (वन टाइम पासवर्ड) के माध्यम से ऑनलाइन आवेदन स्वीकार किये जायेगें । कृषक कही से भी अपने मोबाइल अथवा कंप्यूटर के माध्यम से आवेदन भर सकेंगे। आवेदन अंतर्गत भरे गए मोबाइल नंबर पर कृषको को एक ओ.टी.पी  (OTP) प्राप्त होगा।  इस OTP के  माध्यम से ऑनलाइन आवेदन पंजीकृत हो सकेंगे।  पोर्टल अंतर्गत आगे सम्पादित होने वाली सभी प्रक्रियाओं में भी बायोमेट्रिक के स्थान पर OTP व्यवस्था लागू होगी।

कृषि यंत्र सब्सिडी के लिए आवेदन कैसे करें ?

मध्यप्रदेश में सभी प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए आवेदन किसान भाई ऑनलाइन e-कृषि यंत्र अनुदान पोर्टल पर कर सकते हैं | इस वर्ष उँगलियों के निशान देने के नियम में परिवर्तन किया गया है अतः किसान पोर्टल पर कहीं से भी आवेदन कर सकतें हैं | किसान https://dbt.mpdage.org/ पर जाकर आवेदन करें | किसान सिंचाई यंत्र आवेदन करने के बाद चयन होने पर ही क्रय करें | अधिक जानकारी के लिए किसान जिला कृषि विभाग में भी संपर्क कर जानकारी ले सकते हैं |

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आज से शुरू हुई गोधन न्याय योजना,योजना के तहत पशुपालकों से ख़रीदा जायेगा गोबर

गोधन न्याय योजना की आज से शुरुआत

किसानों और पशुपालकों की आय में वृद्धि करने के लिए केंद्र सरकार एवं राज्य सरकारों के द्वारा कई नई योजनाओं की शुरुआत की गई है | इस योजना में देश की अपनी तरह की पहली गोधन न्याय योजना की शुरुआत आज से छत्तीसगढ़ में हुई। लोक महापर्व हरेली के अवसर पर मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सांकेतिक रूप से गोबर खरीद कर इसे शुरु किया । इस योजना के तहत सरकार पशुपालकों से 2 रुपए किलो की दर से गोबर खरीदेगी और फिर उससे जैविक खाद तैयार किया जाएगा।

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा की गोधन न्याय योजना एक बहुआयामी योजना है, जिससे हमें बहुत सारे लक्ष्य एक साथ हासिल करेंगे। श्री बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना से पशुपालकों की आय में वृद्धि तो होगी ही, पशुधन की खुली चराई पर भी रोक लगेगी। जैविक खाद के उपयोग को बढ़ावा मिलने से रासायनिक खाद के उपयोग में कमी आएगी। खरीफ तथा रबी फसल की सुरक्षा सुनिश्चित होने से द्विफसलीय क्षेत्र में होगा। भूमि की उर्वरता में सुधार होगा तथा विष रहित खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ेगी, इससे पोषण का स्तर और सुधरेगा।

योजना का उद्देश्य पशुपालन को बढ़ावा देने के साथ-साथ कृषि लागत में कमी और भूमि की उर्वरा शक्ति में बढ़ोतरी है। इस योजना से पर्यावरण में सुधार के साथ-साथ ग्रामीण अर्थव्यवस्था में भी बड़े बदलाव की उम्मीद है। गोधन न्याय योजना से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा।

2 रुपये किलों में ख़रीदा जायेगा गोबर

किसानों और पशुपालकों से गोठान समितियों द्वारा 2 रुपए प्रति किलो की दर से गोबर की खरीदी की जाएगी, जिससे महिला स्व सहायता समूहों द्वारा वर्मी कंपोस्ट तैयार किया जाएगा। तैयार वर्मी कंपोस्ट को 8 रुपए प्रति किलो की दर से सरकार द्वारा खरीदा जाएगा। खरीदे गए गोबर से अन्य सामग्री भी तैयार की जाएंगी |

गोठानों में बेच सकेगें गोबर

प्रदेश के गांवों में सुराजी गांव योजना पहले ही लागू की जा चुकी है, जिसके तहत पांच हजार से ज्यादा गोठानों की स्वीकृति दी जा चुकी है। इनमें से 2785 गोठान बनकर तैयार हो चुके हैं, शेष का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। गोधन न्याय योजना इन्हीं गोठानों के माध्यम से संचालित होगी। गौठानों को पशुओं के डे केयर सेंटर के रूप में विकसित किया जा रहा है। महिला स्व सहायता समूह द्वारा यहां वर्मी कंपोस्ट के निर्माण के साथ अन्य आय मूलक गतिविधियां संचालित की जा रही हैं । राज्य सरकार चरणबद्ध रूप से गौठानों का विस्तार करते हुए प्रदेश की सभी 11630 ग्राम पंचायतों और सभी 20 हजार गांवों में गौठान निर्माण का लक्ष्य रखा है। निर्माण पूरा होने के बाद वहां भी गोबर की खरीदी की जाएगी।

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31 जुलाई तक राज्य में एक लाख किसानों को दिए जाएंगे पशु किसान क्रेडिट कार्ड

पशु किसान क्रेडिट कार्ड आवेदन

किसानों के लिए 1998 से चलाई जा रही किसान क्रेडिट कार्ड योजना को और अधिक सुविधा के साथ नये रूप में आया है | जहाँ इस योजना के तहत कृषि के लिए किसानों को कृषि लोन दिया जाता था जिसका दायरा बढाकर पशुपालन, मत्स्यपालन तथा कृषि से जुड़े अन्य कार्यों से जोड़ दिया गया है | जिससे किसान कम ब्याज दर पर लोन ले सकते हैं | देश भर में अधिक से अधिक किसानों एवं पशुपालकों को किसान क्रेडिट कार्ड योजना से जोड़ने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है | केंद्र सरकार ने 31 जुलाई तक 1.5 करोड़ डेयरी किसानों को KCC किसान क्रेडिट कार्ड योजना से जोड़ने का लक्ष्य रखा है | वहीँ हरियाणा राज्य सरकार द्वारा पशुपालकों को पशु किसान क्रेडिट कार्ड दे रही है जिसके तहत राज्य सरकार ने 31 जुलाई तक 1 लाख पशुपालकों को पशु किसान क्रेडिट कार्ड देने का लक्ष्य रखा है  |

हरियाणा के पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री जे.पी. दलाल ने कहा कि प्रदेश में अगले एक सप्ताह में सभी आवेदकों को पशु किसान क्रेडिट कार्ड मुहैया करवा दिये जायेंगे। इसके अलावा, 31 जुलाई तक एक लाख और आवेदक क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन कर सकते हैं। आवेदन फार्म के सत्यापन के बाद एक माह के अंदर उन्हें क्रेडिट कार्ड उपलब्ध करवा दिये जायेंगे। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि एक लाख में से जिन आवेदकों को क्रेडिट कार्ड अभी तक नहीं दिए गए हैं, उन्हें अगले एक सप्ताह में कार्ड दिलवाना सुनिश्चित किया जाए। इसके अलावा, राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक एक सप्ताह के अंदर बुलाई जाए ताकि पशु किसान क्रेडिट कार्ड वितरण की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलाई जा सके।

क्या है पशु किसान क्रेडिट कार्ड

योजना ऐसे किसानों के लिए शुरू की गई है जो खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते हैं। कई बार पैसों की कमी के कारण किसानों को अपने पशु बेचने पड़ते है। इसी तरह कई बार पशु के बीमार हो जाने पर पैसा न होने की वजह से वे उनका इलाज भी नहीं करवा पाते। पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न योजनाओं को लागू किया गया है, जिनमें पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना (पीकेसीसी) एक महत्वकांक्षी योजना है, जिससे किसान अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत बनाकर आत्मनिर्भर बन सकते हैं। राज्य सरकार द्वारा शुरू की गई पशु किसान क्रेडिट योजना पशुपालकों को आत्म निर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। उन्होंने पशुपालकों का आहवान करते हुए कहा कि वे इस योजना का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। योजना के तहत गाय-भैंस के अलावा भेड़-बकरी, सुअर व पोल्ट्री फार्म के लिए बगैर गारंटी के 1 लाख 60 हजार रुपए तक के ऋण का प्रावधान किया गया है तथा गांरटी के साथ 3 लाख रूपये तक ऋण मुहैया किया जायेगा |

किसानों को पशुओं की संख्या के अनुसार दिया जायेगा लोन

श्री दलाल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पशु किसान क्रेडिट कार्ड योजना 2020 शुरू की गई है | इस योजना के जरिए किसान लोन लेकर अपने पशुओं की देखभाल अच्छे से कर सकेंगे | इस योजना के अंतर्गत पशु किसान क्रेडिट कार्ड पशुओं की संख्या के अनुसार जारी किया जाएगा | जो इस प्रकार है :-

  • एक गाय के लिए 40,783 रूपये
  • 1 भैंस के लिए 60,249 रूपये एवं 1 भेड़ – बकरी के लिए 4063 रूपये
  • मुर्गी (अंडा देने वाली के लिए) 720 रूपये का दिन दिया जायेगा
  • एक सुअर के लिए 16,337 रूपये

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18 से 22 जुलाई तक किसान सीधे ऑनलाइन ले सकेगें फलों की किस्मों और उनकी खेती की तकनीकी जानकारी

ऑनलाइन फलों की खेती की तकनीकी जानकारी

किसानों को परम्परागत खेती से हटाकर अन्य फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं ताकि किसानों की आय में वृद्धि की जा सके | किसानों की आय बढ़ाने के लिए सरकार के द्वारा पशुपालन एवं उद्यानिकी फसलों की खेती को लगातार बढ़ावा दिया जा रहा है | वहीँ हरियाणा सरकार ने गिरते भू-जल स्तर को रोकने के लिए किसानों को धान की खेती को छोड़ अन्य फसलों के उत्पादन पर जोर देने के लिए मेरा पानी-मेरी विरासत योजना की शुरुआत की है | जिसके तहत किसानों को धान की फसल को छोड़ अन्य फसल की खेती शुरू करने पर प्रोत्सहन के रूप में अनुदान दिया जा रहा है |

हरियाणा राज्य सरकार ‘मेरा पानी-मेरी विरासत’ फसल विविधिकरण योजना के तहत बागवानी को बढ़ावा देने हेतु किसानों को विशेष रूप से खेती करने की नवीनतम तकनीकों की जानकारी देने के लिए ऑनलाइन मंच तैयार किया है ।

क्या है किसानों को फलों की खेती की तकनीकी जानकारी देने का कार्यक्रम

हरियाणा के बागवानी विभाग द्वारा सेंटर फॉर सब-ट्रॉपिकल फ्रूट (इंडो इजराइल प्रोजेक्ट) कुरुक्षेत्र में 18 से 22 जुलाई 2020 तक आयोजित किए जा रहे पांच दिवसीय सब-ट्रॉपिकल फ्रूट एक्सपो में अब लोग कहीं से भी सब-ट्रॉपिकल फलों की विभिन्न किस्मों और उनकी खेती की तकनीक के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकेगें | इस समस्त कार्यक्रम को रोजाना प्रात: 10 से दोपहर 1 बजे तक यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर सहित सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम किया जाएगा।

कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री श्री जय प्रकाश दलाल 18 जुलाई को प्रात: 11 बजे इस कार्यक्रम का शुभारंभ करेंगे। इज़राइल दूतावास के वरिष्ठ अधिकारी भी इस आयोजन में भाग लेंगे। इस कार्यक्रम में वेबिनार की रोजाना लाइव स्ट्रीमिंग, खेतों में तकनीकों का प्रदर्शन, आम और नाशपाती जैसे विभिन्न प्रकार के फलों का प्रदर्शन, प्रश्नोत्तर सत्र और रंगोली प्रतियोगिता शामिल होगी।

18 जुलाई को आम दिवस (मैंगो डे)

कार्यक्रम के दौरान रोजाना एक अलग फल को प्रदर्शित किया जाएगा और इसकी शुरूआत 18 जुलाई, 2020 को ‘आम दिवस’(मैंगो डे) के साथ होगी। आम की उन्नत खेती तकनीक पर प्रात: 11.30 बजे से दोपहर एक बजे तक वेबिनार लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। प्रात: 11 बजे से दोपहर एक बजे तक आम की उत्पादन तकनीक तथा इस फल पर आधारित प्रश्नोत्तर सत्र और रंगोली प्रतियोगिता का लाइव प्रदर्शन किया जाएगा।

19 जुलाई को नाशपाती दिवस

दुसरे दिन 19 जुलाई को ‘नाशपाती दिवस’ के दौरान नाशपाती, आड़ू और आलूबुखारा जैसे फलों पर ध्यान केन्द्रित किया जाएगा। दिन की शुरुआत प्रात: 10 बजे नाशपाती और आड़ू पर उन्नत खेती तकनीक पर वेबिनार के साथ होगी जो 11.30 बजे तक जारी रहेगा। प्रात: 10.30 बजे से 11.30 बजे तक नाशपाती और आड़ू की उन्नत उत्पादन तकनीक पर लाइव प्रदर्शन किया जाएगा। प्रात:11.30 बजे से दोपहर एक बजे तक नाशपाती, आड़ू और आलूबुखारा पर प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया जाएगा |

20 जुलाई को लीची दिवस

तीसरे दिन 20 जुलाई को ‘लीची दिवस’ के दौरान लीची एवं चीकू मुख्य फल होंगे। दिन की शुरुआत प्रात: 10 बजे लीची एवं चीकू पर उन्नत खेती तकनीक पर वेबिनार के साथ होगी जो 11.30 बजे तक जारी रहेगा। लीची और चीकू उत्पादन तकनीकों का प्रदर्शन प्रात: 10.30 बजे से 11.30 बजे तक लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। प्रात: 11.30 बजे से दोपहर एक बजे तक लीची और चीकू पर आधारित प्रश्नोत्तर सत्र आयोजित किया जाएगा

21 जुलाई को अमरूद दिवस

चौथे दिन 21 जुलाई को ‘अमरूद दिवस’ के दौरान अमरूद के फल पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा और इस दिन की शुरूआत प्रात:10 बजे से 11.30 बजे तक अमरूद की उन्नत खेती तकनीक पर वेबिनार के साथ होगी। अमरूद उत्पादन तकनीकों का प्रदर्शन प्रात: 10.30 बजे से 11.30 बजे तक लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। इस फल पर आधारित प्रश्नोत्तर सत्र प्रात: 11.30 बजे से दोपहर एक बजे तक आयोजित किया जाएगा |

22 जुलाई को अनार दिवस

कार्यक्रम के अंतिम दिन ‘अनार दिवस’ के दौरान अनार मुख्य आकर्षण का केन्द्र रहेगा। अनार पर उन्नत खेती तकनीक पर वेबिनार को प्रात: 10 बजे से 11.30 बजे तक लाइव स्ट्रीम किया जाएगा। अनार उत्पादन तकनीकों का लाइव प्रदर्शन प्रात: 10.30 बजे से 11.30 बजे तक स्ट्रीम किया जाएगा। अनार पर आधारित प्रश्नोत्तर सत्र प्रात: 11.30 बजे से दोपहर एक बजे तक आयोजित किया जाएगा |

किसान कहाँ देख सकेगें सीधा प्रसारण

हरियाणा सहित देश भर के सभी किसान यह कार्यक्रम इस रोजाना प्रात: 10 से दोपहर एक बजे तक यूट्यूब, फेसबुक और ट्विटर सहित सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम पर देख सकते हैं |

  • सीधे प्रसारण के लिए दर्शक  https://www.youtube.com/channel/UCZyo2nzZhfzyy5OdpxBMUAg के माध्यम से बागवानी निदेशालय, हरियाणा के YouTube चेनल पर देख सकते हैं |
  • चैनल, http://facebook.com/horticultureharyana के माध्यम से फेसबुक और  http://twitter.com /horticulture_hry (@horticulture_hry) के माध्यम से  ट्विटर पर सबस्क्राइब कर सकते हैं। 
  • प्रतिभागी बागवानी विभाग की आधिकारिक वेबसाइट www.hortharyana.gov.in  के माध्यम से एक्सपो लिंक पर क्लिक करके खुद को पंजीकृत कर सकते हैं। वेबिनार के लिए पंजीकरण, shorturl.at/GKLQ7 के माध्यम से किया जा सकता है, जिसे माइक्रोसॉफ्ट टीम एप्लिकेशन के माध्यम से एक्सेस किया जा सकता है और विजिटर पास shorturl.at/aTX36 के माध्यम से लिए जा सकते है । पंजीकरण के लिए कोई प्रवेश शुल्क नहीं लिया जाएगा। 

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बुआई से लेकर कटाई तक फसल नुकसान की भरपाई के लिए किसान करवाएं फसलों का बीमा: केंद्रीय कृषि मंत्री

फसल नुकसान की भरपाई के लिए फसलों का बीमा

Crops Insurance

देश में खरीफ फसलों की बुआई का कार्य तेजी से चल रहा है, इस वर्ष पिछले वर्ष के मुकाबले  बुवाई क्षेत्र में 21.20 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में यह जरुरी है की किसान अपनी फसलों को प्राकृतिक आपदाओं से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए फसल बीमा अवश्य करवाएं | प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना फसल की बुआई से लेकर कटाई के बाद तक की पूरे फसल चक्र से जुड़ी गतिविधियों के दौरान फसल के नुकसान के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करती है।

किसानों को किसी भी अप्रत्याशित आपदा के कारण बुवाई मे आने वाली परेशानी से बचाव के लिए जल्द से जल्द योजना में नामांकन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इस योजना के तहत, सूखा, बाढ़, भूस्खलन, बेमौसम बारिश, ओलावृष्टि, प्राकृतिक आग और खड़ी फसल के लिए चक्रवात के साथ-साथ ओलावृष्टि से बचाव के लिए व्‍यापक जोखिम कवर की व्‍यवस्‍था है।

फसल बीमा योजना में किसानों का नामांकन बड़े पैमाने पर हो रहा है

देश के विभिन्न राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में खरीफ-2020 सीजन के लिए प्रधानमंत्री फासल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत किसानों का नामांकन बड़े पैमाने पर हो रहा है। किसानों को प्रेात्‍साहित करने के लिए, केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री, श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उनसे वीडियो संदेश के माध्यम से पीएमएफबीवाई के तहत नामांकन कराने की अपील की है और प्राकृतिक आपदाओं के परिणामस्वरूप फसल की क्षति से होने वाले वित्तीय नुकसान से खुद को बचाने का अनुरोध किया है। केन्‍द्रीय मंत्री का यह संदेश संदेश पीआईबी के यूट्यूब चैनल https://youtu.be/b9LooMrHdEk) पर देखा जा सकता है।

फसल बीमा योजना के तहत किसानों कितना प्रीमियम देना होगा ?

सरकार ने योजना को सभी किसानों के लिए खरीफ सीजन-2020 से स्वैच्छिक कर दिया है। इससे पहले, सभी ऋणदाता किसानों के लिए यह योजना अनिवार्य थी। अब, ऋण बकाया वाले किसान नामांकन की कट-ऑफ तारीख से सात दिन पहले अपनी बैंक शाखा को एक साधारण घोषणा पत्र देकर योजना से खुद को अलग कर सकते हैं।

भारत सरकार ने उन सभी किसानों के लिए नामांकन निःशुल्क कर दिया है जिन्हें केवल प्रीमियम राशि का भुगतान करने की आवश्यकता है। किसान खरीफ-2020 सीजन के लिए अपनी खाद्य फसलों (अनाज और तिलहन) का महज 2 प्रतिशत की बीमित राशि पर तथा वाणिज्यिक और बागवानी फसलों का न्यूनतम 5 प्रतिशत की बीमित राशि पर बीमा करा सकते हैं। बाकी की प्रीमियम राशि पर केंद्र सरकार और राज्यों द्वारा सब्सिडी दी जाएगी। कुछ राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों में खरीफ 2020 मौसम में फसल बीमा कराने की अंतिम 31 जुलाई 2020 तक समाप्त हो सकती है।

किसान कहाँ से करवाएं फसल बीमा योजना में पंजीकरण

जो भी किसान जो पीएमएफबीवाई के तहत नामांकान करना चाहता है, उसे अपने नजदीकी बैंक, प्राथमिक कृषि ऋण सोसायटी, कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) / ग्राम स्तरीय उद्यमियों (वीएलई), कृषि विभाग के कार्यालय, बीमा कंपनी के प्रतिनिधि या सीधे राष्ट्रीय फसल योजना एनसीआईपी के पोर्टल www.pmfby.gov.in और फसला बीमा ऐप (https://play.google.com/store/apps/details?id=in.farmguide.farmerapp.central के माध्यम से ऑनलाइन  कर सकता है ।

पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज

नामांकन प्रक्रिया को पूरा करने के लिए किसानों को आधार संख्या, बैंक पासबुक, भूमि रिकॉर्ड / किरायेदारी समझौते, और स्व-घोषणा प्रमाण पत्र ले जाना होगा। इस सीजन में, योजना के तहत नामांकित सभी किसानों को उनके पंजीकृत मोबाइल नंबरों पर नियमित एसएमएस के माध्यम से उनके आवेदन की स्थिति के बारे में सूचित किया जाएगा।

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उन्नत किसानों को दिया जाएगा 50 हजार रुपये का पुरस्कार

किसान पुरस्कार 2020-21

कृषि एवं समबन्धित क्षेत्र में किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार द्वारा कई प्रकार की योजनायें चलाई जाती हैं | जिससे किसान परमपरागत खेती को छोड़ कर नवाचार की ओर अग्रसर हो सके | नेशनल मिशन आंन एग्रीकल्चर एक्स्टेंशन एंड रिफार्म्स (आत्मा) योजना का क्रियान्वन देश भर में किया जा रहा है | योजना के तहत ऐसे किसान जो फसल उत्पदान, उद्यानिकी, पशुपालन, मछलीपालन, दलहन-तिलहन क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाले किसानों को पुरस्कार दिया जाता है | इसका मुख्य उद्देश्य यह रहता है की अधिक से अधिक किसानों को नई तकनीक को बढ़ावा दिया जाए और किसान नवाचार करने के लिए प्रेरित हो |

छत्तीसगढ़ राज्य सरकार ने एक्सटेंशन रिफार्म्स (आत्मा) योजना के तहत राज्य, जिला और विकासखण्ड तीनों स्तर के उन्नत कृषक पुरस्कार वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए आवेदन आमंत्रित किये गए है। इसके लिए आवेदन प्रस्तुत करने की तिथि 1 अगस्त से 31 अगस्त 2020 तक निर्धारित की गई है। इच्छुक किसान दी गई अवधि में आवेदन जमा कर योजना में भाग ले सकते हैं |

योजना के तहत दिए जाने वाले पुरस्कार

एक्सटेंशन रिफार्म्स (आत्मा) योजनांतर्गत राज्य, जिला और विकासखण्ड तीनों स्तर पर उन्नत किसानों को वित्तीय वर्ष 2020-21 के लिए पुरस्कृत किया जायेगा | यह पुरस्कार कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन और मत्स्य पालन के क्षेत्र में चयनित कृषकों को राज्य स्तर पर 50 हजार, जिलों में 25 हजार और विकासखण्ड में 10 हजार रूपए पुरस्कार एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

राज्य स्तर पर दिया जाने वाला पुरस्कार

एक्सटेंशन रिफार्म (आत्मा) के तहत यह पुरस्कार राज्य स्तर पर धान के लिए 2, दलहन, तिलहन हेतु 2, उद्यानिकी के क्षेत्र में 2, पशुपालन और मत्स्य पालन  के लिए 2-2 कृषकों का चयन किया जाएगा। चयनित कृषकों को प्रति कृषक 50 हजार रूपए एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाता है।

जिला स्तर पर दिया जाने वाला पुरस्कार

राज्य में जिला स्तर पर धान हेतु 2 दलहन-तिलहन के क्षेत्र में 2, उद्यानिकी के लिए 2 पशुपालन और मत्स्य पालन हेतु 2-2 चयनित कृषकों को प्रति कृषक 25 हजार रूपए एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

विकासखंड स्तर पर दिया जाने वाला पुरस्कार

राज्य में विकासखण्ड स्तर पर धान के लिए 1 दलहन-तिलहन 1, उद्यानिकी 1, पशुपालन और मत्स्य पालन के क्षेत्र में 1-1 चयनित कृषकों को प्रति कृषक 10 हजार रूपए एवं प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

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राज्य के 1 लाख 12 हजार से अधिक किसानों को किया गया रबी फसल बीमा दावों का भुगतान

रबी फसल बीमा दावों का भुगतान

वर्ष 2019-20 में न केवल खरीफ फसलों का नुकसान हुआ था बल्कि असमय बारिश एवं ओलावृष्टि से रबी फसलों को भी काफी नुकसान पहुंचा था | फसल नुकसानी के चलते किसानों को काफी आर्थिक हानि हुई थी | ऐसे में जिन किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी फसलों का बीमा करवाया था वह अभी भी बीमा दावों के भुगतान की राह देख रहे हैं | अभी तक जहाँ कई राज्यों में खरीफ फसल के नुकसान की बीमा राशि भी किसानों को नहीं दी गई है वहीँ छतीसगढ़ राज्य में किसानों को रबी फसलों के फसल बीमा दावों का भुगतान किया जा चूका हैं |

राज्य के 1 लाख 12 हजार 805 किसानों को दिया गया फसल बीमा

छत्तीसगढ़ राज्य के 1 लाख 12 हजार 805 किसानों को प्रधानमंत्री बीमा योजनांतर्गत रबी फसलों की क्षतिपूर्ति के लिए 495 करोड़ 98 लाख रूपए की दावा राशि का भुगतान बीमा कम्पनियों द्वारा किया गया है। रबी फसलों के लिए राज्य के 25 जिलों के 1 लाख 12 हजार 805 किसानों को निर्धारित उपज से वास्तविक उपज कम प्राप्त होने तथा प्राकृतिक आपदा के कारण फसलों को हुए नुकसान के लिए यह दावा राशि भुगतान की गई है। रबी फसलों के बीमा के लिए बीमा कम्पनियों को 57 करोड़ 94 लाख रूपए का कुल प्रीमियम भुगतान किया गया था।

जिलेवार किसानों को किया गया कुल भुगतान

कृषि विभाग के संयुक्त संचालक श्री चंद्रवंशी ने बताया कि रबी फसलों की क्षतिपूर्ति एवज में बलरामपुर जिले के 279 कृषकों को 5.77 लाख रूपए, जांजगीर-चांपा जिले के 60 कृषकों को 1.67 लाख रूपए, जशपुर जिले के 22 कृषकों को 27 हजार रूपए, कबीरधाम जिले के 17,638 कृषकों को 59 करोड़ 27 हजार रूपए, मुंगेली के 1890 कृषकों को 303 करोड़ 9 लाख 57 हजार रूपए, बालोद के 2095 कृषकों को 5 करोड़ 13 लाख 20 हजार रूपए, बलौदाबाजार के 137 कृषकों को 22 लाख 69 हजार रूपए, बस्तर के 73 कृषकों को 3 लाख 59 हजार रूपए, बेमेतरा के 39740 कृषकों को 215 करोड़ 19 लाख 36 हजार रूपए, बिलासपुर के 849 कृषकों को 34 लाख 72 हजार रूपए की दावा राशि का भुगतान किया गया है।

वहीँ दंतेवाड़ा जिले के 32 कृषकों को 83 हजार रूपए, धमतरी के 202 कृषकों को 52 लाख 24 हजार रूपए, दुर्ग जिले के 11,105 कृषकों को 49 करोड़ 4 लाख 61 हजार रूपए, गरियाबंद के 15 कृषकों को एक लाख 53 हजार रूपए, कोण्डागांव के 12 कृषकों को एक लाख 62 हजार रूपए, कोरबा के 30 कृषकों को 8 हजार रूपए, कोरिया के 224 कृषकों को 16 लाख 4 हजार रूपए, रायगढ़ के 4 कृषकों को 43 हजार रूपए, रायपुर के 101 कृषकों को 17 लाख 9 हजार रूपए, राजनांदगांव के 37,293 कृषकों को 162 करोड़ 56 लाख 61 हजार रूपए, सुकमा के 10 कृषकों को 16 हजार रूपए, सूरजपुर के 178 कृषकों को 7 लाख 4 हजार रूपए, सरगुजा के 799 कृषकों को 29 लाख 32 हजार रूपए तथा कांकेर के 7 कृषकों को 15 हजार रूपए की दावा राशि का भुगतान किया गया है।

राज्य के किसान 15 जुलाई तक करवा सकते हैं खरीफ फसलों का बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत खरीफ वर्ष 2020 का लाभ लेने की अंतिम तिथि 15 जुलाई 2020 निर्धारित की गई है। इस योजना केे अंतर्गत धान सिंचित, धान असिंचित, मक्का, सोयाबीन, मूंगफली, मूंग एवं उड़द को बीमा के लिए बीमा ईकाई ग्राम पर अधिसूचित किया गया है। इसमें ऋणी और अऋणी किसान भू-धारक एवं बटाईदार सम्मिलित हो सकते है। इस संबंध में संचालक कृषि संचालनालय छत्तीसगढ़ रायपुर द्वारा आदेश जारी किया गया है। अधिसूचित फसल को बीमित कराने के लिए इच्छुक किसान फसल बीमा हेतु अंतिम तिथि 15 जुलाई तक नजदीकी बैंक, वित्तीय संस्था, लोकसेवा केन्द्रों में संपर्क कर अपनी फसल को बीमित करा सकते है।

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