सोयाबीन की फसल में इस समय लगने वाले इन कीट-रोगों का नियंत्रण इस तरह करें

सोयाबीन की फसल में कीट-रोग

इस समय सोयाबीन की फसल में फूल आने की शुरूआत हो चुकी है | कुछ राज्यों में अगेती बुवाई वाली सोयाबीन में फल लगना भी शुरू हो गए है | इसके साथ ही फसलों पर इल्लियों के साथ–साथ चूहों एवं अन्य कीट-रोगों का प्रकोप भी बढ़ने लगा है | सोयाबीन की फसल को नुकसान से बचाने के लिए जरुरी है कि किसान समय पर कीट-रोगों की पहचान कर उनका नियंत्रण करें | किसानों को सोयाबीन की फसल में इस समय पर लगने वाले कीट-रोगों से बचाव के लिए यह कार्य करना चाहिए:-

सोयाबीन की फसल में लगने वाले फफूंदजनित रोग का नियंत्रण

एथ्राक्नोज तथा रायजोक्टोनिया एरियल ब्लाइट जैसे फफुन्द्जनित रोगों के नियंत्रण हेतु किसानों को टेबूकोनाजोल (625 मिली/हे.) या टेबूकोनाजोल+सल्फर (1 किलोग्राम/हे.) या पायराक्लोस्ट्रोबीन 20 डब्लू.जी. (500 ग्राम/हे.) या पायराक्लोस्ट्रोबीन + इपोक्सीकोनाजोल (750 मिली/हे.) या फ्लुक्सापायरोक्साड + पायराक्लोस्ट्रोबिन 350 ग्राम प्रति हेक्टेयर का छिडकाव करना चाहिए |

पीला मोजेक रोग का नियंत्रण कैसे करें ?

पीला मोजेक वायरस व सोयाबीन मोजेक वायरस जैसे विषाणु जनित रोगों के नियंत्रण हेतु किसानों को प्रारंभिक अवस्था में ही ग्रसित पौधों को उखाड़कर तुरंत खेत से निष्काषित कर देना चाहिए तथा सफेद मक्खी व एफिड जैसे रस चूसने वाले रोग वाहक कीटों के नियंत्रण हेतु अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पिला स्टिकी ट्रैप लगाएं | यह भी सलाह हैं कि रोग – वाहकों की रोकथाम हेतु अनुशंसित पुर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिड़काव करें | (इन दवाओं के छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है)

चक्र भृंग का नियंत्रण कैसे करें ?

चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. 750 मिली./हे. या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1250 मि.ली./हे.) या इमामेक्टीन बेन्जोयेट (425 मिली./हे.) का 500 लीटर पानी के साथ 1 हेक्टेयर में छिड़काव करें | इसके साथ ही ग्रसित पौधे को तोड़कर फेक दें |

पत्ती खाने वाली इल्लियों को नियंत्रण कैसे करें ?

चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक नोवाल्युरौन + इंडोक्साकार्ब (850 मिली./हे.) या बीटासायफ्लूथ्रिन (125 मिली./हे) का छिड़काव करें | इनके छिडकाव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है |

चने की इल्ली का नियंत्रण कैसे करें ?

जहाँ पर केवल चने के इल्ली (हेलिकोवेर्पा अर्मिजेरा) का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण के लिए फेरोमेन ट्रैप (हेलिल्युर) लगाये तथा अनुसंशित कीटनाशक लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली./हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मिली./हे.) या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी. (150 मिली/हे.) या इमामेकटीन बेंजोएट (425 मिली.हे.) का छिड़काव करें |

चना मक्खी का नियंत्रण कैसे करें ?

जिन क्षेत्रों में तना मक्खी का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण हेतु पुर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + एमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या थायमिथोकसम + लैम्बाडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली/हे.) का छिडकाव करें |

चूहे का नियंत्रण कैसे करें ?

सोयाबीन की शीघ्र पकने वाली किस्में (जे.एस. 95 – 60, जे.एस. 20 – 34 आदि) अभी फलियों में दाने भरने की स्थिति में हैं | इसमें कई जगहों पर सोयाबीन की फलियां टूटकर / कटकर गिर रही हैं | अगर ऐसा हैं तो यह चूहे के काटने से हो सकता है | इसके लिए सोयाबीन की खेत में चूहे की रोकथाम करें | चूहे की रोकथाम के लिए बिस्किट या रोटी में जिंक फास्फाइड मिले आटे की गोलियों को खेत के मेड / चूहों के बील के पास रखें |

सोयाबीन के फूल-फल खाने वाली इल्ली का नियंत्रण कैसे करें ?

फूल लगने की अवस्था में इल्लियों द्वारा फूलों के खाने से अफलन की स्थिति से बचाने हेतु सलाह है की लैम्बडा सायहलोथ्रिन 4.90 सी.एस. (300 मिली./हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मिली./हे.) या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी. (150 मिली/हे.) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी. 450 मि.ली. या कलोरएन्ट्राईनिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली./हे.) क छिडकाव करें |

सफेद सूंडी का नियंत्रण कैसे करें ?

कुछ क्षेत्रों में सोयाबीन की फसल में सफेद सुंडी (वाइट ग्रब) का प्रकोप देखा गया है | उसके नियंत्रण हेतु सलाह है कि कलोरपायरिफाँस (2.5% दानेदार) दवा को 16 किलोग्राम/हैक्टेयर की दर से सोयाबीन की कतारों के बीच बिखेरें |

तूफान एवं अधिक बारिश के चलते हुए फसल नुकसान की भरपाई हेतु अनुदान लेने के लिए अभी आवेदन करें

फसल नुकसान की भरपाई हेतु अनुदान के लिए आवेदन

इस वर्ष देश में कई चक्रवाती तूफान के आने के चलते किसानों की फसलों को काफी नुकसान का सामना करना पड़ा है | ऐसे ही एक तूफान “यास” जो इस वर्ष मई माह के अंतिम सप्ताह में आया था जिसके चलते कुछ राज्यों जैसे उड़ीसा, पश्चिम बंगाल एवं बिहार में किसानों की फसलों को अधिक नुकसान हुआ था | अब बिहार सरकार ने राज्य में यास तूफान से फसलों को हुए नुकसान की भरपाई करने जा रही है | इसके लिए राज्य के किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये हैं |

कृषि इनपुट योजना के तहत कितना अनुदान दिया जायेगा  

योजना का लाभ दो हेक्टेयर तक के किसानों को दिया जायेगा | अगर 2 हेक्टेयर से अधिक में फसलों की नुकसानी हुई है तो भी किसान को 2 हेक्टेयर भूमि पर ही कृषि इनपुट अनुदान दिया जायेगा | फ़ार्म भरते समय किसान को भूमि की जानकारी डिसमिल में देना होता है | 1 हेक्टेयर बराबर 247 डिसमिल होता है | इसलिए कृषि इनपुट अनुदान अधिकतम 494 डिसमिल के लिए दिया जायेगा |

बिहार के 16 जिलों के किसानों को कृषि इनपुट अनुदान योजना के तहत सिंचित तथा असिंचित भूमि के लिए अलग–अलग अनुदान दिया जाएगा | सिंचित क्षेत्र के लिए 13,500 रुपये प्रति हेक्टेयर है तो वहीँ असिंचित क्षेत्र के लिए 6800 प्रति हेक्टेयर दिया जा रहा है | इसके साथ ही गन्ना किसानों को 18,000 रुपए प्रति हेक्टेयर दिया जायेगा |

इन जिलों के किसान कर सकते हैं कृषि इनपुट अनुदान हेतु आवेदन

यास तूफान से राज्य में हुए फसल नुकसानी की भरपाई के लिए बिहार सरकार ने 16 जिलों का चयन किया है | इन 16 जिलों के किसानों के द्वारा योजना के लाभ के लिए आवेदन करना होगा | राज्य के 16 जिलों के 95 प्रखंडों के 1365 पंचायतों के किसान योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं |

योजना के तहत जिला इस प्रकार है :- पटना, भोजपुर, बक्सर, अरवल, प. चंपारण, वैशाली. दरभंगा, मधुबनी, शेखपुरा, लखीसराय, खगड़िया, सहरसा, मधेपुरा, पूर्णिया, अररिया एवं कटिहार

पंचायतों की जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें :- http://164.100.130.206/FDSNew/Images/Panchayat_YT.pdf

कौन से किसान पात्र हैं ?

कृषि इनपुट अनुदान के लिए बिहार के 16 जिलों के किसान ही इस योजना के लिए पात्र हैं | इसके साथ ही किसान के पास स्वयं की भूमि होना चाहिए या फिर पट्टाधारी भी इस योजना का लाभ उठा सकता है |

स्वयं भू – धारी होने की स्थिति में भूमि के दस्तावेज के लिए (एलपीसी/जमीन रसीद/वंशावली/जमाबंदी/विक्रय – पत्र), “वास्तविक खेतिहर” के स्थिति में स्व – घोषणा प्रमाण पत्र तथा “वास्तविक खेतिहर + स्वयं भू – धारी” के स्थिति में भूमि के दस्तावेज के साथ – साथ स्व – घोषित पत्र संलग्न करना अनिवार्य है |

स्व- प्रमाणपत्र के लिए यहाँ से डाऊनलोड करें :- http://164.100.130.206/FDSNew/Images/SelfDeclaration_Yas.pdf

कृषि इनपुट सब्सिडी हेतु प्राप्त करने के लिए कहाँ करें आवेदन

यास तूफान से हुए फसलों की नुकसानी के तहत कृषि इनपुट के लिए आवेदन शुरू हो चुके हैं | राज्य के 16 जिलों के 95 प्रखंडों के 1365 पंचायतों के किसान 27 अगस्त से 12 सितम्बर तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं | इसके लिए किसान को पहले DBT में पंजीयन करना जरुरी है | अगर किसान पहले से पंजीयन करा चुके हैं तो उस पंजीयन संख्या से आवेदन कर सकते हैं | आवेदन करने के बाद गलती होने पर आवेदन से 48 घंटे के अंदर सुधार कर सकते हैं |

कृषि इनपुट सब्सिडी प्राप्त करने के लिए ऑनलाइन आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

25 सितम्बर से होगी धान एवं अन्य फसलों की समर्थन मूल्य पर खरीद, जल्द ही करें पंजीयन

धान एवं अन्य खरीफ फसलों की खरीद हेतु पंजीयन

खरीफ फसलों की बुवाई हुए लगभग 60 से 90 दिन हो गये हैं, किसान सतम्बर माह के मध्य से खरीफ फसलों की कटाई शुरू करेंगे | खरीफ फसलों में मुख्य: धान, बाजरा, मूंग, सोयाबीन, मक्का, तिल इत्यादि है | किसानों को इन फसलों का उचित मूल्य मिल सके इसके लिए राज्य सरकारें ज्यादा से ज्यादा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ फसलों की खरीदती है | सभी सरकारें राज्य के किसानों से फसल बीज खरीदने के लिए पंजीयन शुरू करने जा रही है |

हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों से धान सहित अन्य फसलों की खरीदी समर्थन मूल्य शुरू करने की घोषणा कर दी है | धान की फसल अगले माह से तो अन्य फसलों की खरीदी अक्टूबर माह से प्रारम्भ होगी | जो भी इच्छुक किसान इन फसलों को समर्थन मूल्य पर बेचना चाहते हैं वे किसान जल्द ही अपना पंजीकरण करवा लें |

धान तथा अन्य फसलों की खरीदी कब किया जायेगा ?

हरियाणा के उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने बताया की राज्य में खरीफ फसलों की खरीदी की तैयारी जोरों पर चल रही है | उन्होंने ने बताया की राज्य में 25 सितम्बर से धान की खरीदी शुरू कर दी जाएगी तथा 15 नवम्बर तक धान की खरीदी किया होगी | वहीँ बाजरा, मक्का और मूंग जैसी फसलों की खरीदी एक अक्टूबर से 15 नवम्बर तक चलेगा |

धान एवं अन्य खरीफ फसलों के लिए केंद्र

खरीफ फसल की खरीदी सुचारू रूप से चले इसके लिए राज्य सरकारें खरीदी केन्द्रों को बाधा रही है | खरीदी केंद्र के बारे में बताया गया है कि धान के लिए 200, बाजरा के लिए 86, मूंग के लिए 38, मक्का के लिए 19 केंद्र बनाए जा रहे हैं |

इस भाव पर खरीदी जाएगी धान एवं अन्य खरीफ फसलें

राज्य में खरीफ फसलों की खरीदी केंद्र सरकार के द्वारा वर्ष 2021 में घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर किया जायेगा | केंद्र सरकार ने धान के लिए 1940 रूपये प्रति क्विंटल, मक्का के लिए 1870 रूपये प्रति क्विंटल, बाजरा के लिए 2250 रूपये प्रति क्विंटल , मूंग के लिए 7275 रूपये प्रति क्विंटल और मूंगफली के लिए 5550 रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया है | इसी मूल्य पर राज्य सरकारें किसानों से खरीफ फसल की खरीदी किया जायेगा |

किसान पंजीयन कहाँ से करायें ?

राज्य के उप मुख्यमंत्री ने कहा है कि मेरी फसल मेरा व्योरा पोर्टल पर पंजीयन चल रहा है | अभी तक इस पोर्टल पर धान के लिए 2.9 लाख किसानों ने पंजीयन कराया है तो वहीँ बाजरा के लिए 2.45 लाख और मूंग के लिए 66,000 किसानों ने पंजीयन कराया है |

हरियाणा राज्य के किसानों के लिए तथा अन्य राज्यों के किसानों से फसल खरीदी के लिए पंजीयन चल रहा है | किसानों को न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीफ फसल बेचने के लिएमेरी फसल मेरा ब्यौरा पोर्टलपर पंजीयन करना जरुरी है | यह पंजीयन 31 अगस्त तक चलेगा | पंजीयन नहीं कराने पर किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकार को अपना फसल नहीं बेच पायेंगे | किसान पंजीयन के लिए यहाँ https://fasal.haryana.gov.in/farmer/farmerhome क्लिक करें |

गन्ने के मूल्य में की गई 5 रुपये की वृद्धि, जानें अब किन दामों पर किसान बेच सकेंगे गन्ना

गन्ने का लाभाकरी मूल्य FRP 2021-22

केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष गन्ने का मूल्य तय करती है, जिसको उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) कहते हैं | 1966 से ही देश में गन्ने का मूल्य केंद्र सरकार के द्वारा घोषित किया जाता है | प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी केंद्र सरकार ने देश के किसानों के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य तय कर दिया है | सरकार ने गन्ने के मूल्य में वृद्धि करने के बाद बताया है कि किसानों को लागत का 87.1 प्रतिशत अधिक दिया जा रहा है | सरकार के अनुसार देश में गन्ने के औसतन उत्पादन लागत 155 रूपये प्रति क्विंटल है |

गन्ने के लाभकारी मूल्य FRP में की गई वृद्धि

वर्ष 2021–22 के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने के मूल्य में 5 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है | जिसके चलते वर्ष 2021–22 के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य 290 रूपये प्रति क्विंटल हो गया है | पिछले वर्ष गन्ने के मूल्य में 10 रूपये प्रति क्विंटल वृद्धि की गई थी |

केंद्र द्वारा घोषित उचित एवं लाभकारी मूल्य देश के सभी राज्यों में लागू नहीं होता है | बल्कि अलग–अलग राज्य सरकारें अपने राज्य के किसानों की स्थिति के अनुसार अलग से गन्ने का मूल्य तय करती है | इसे स्टेट एडवायजरी प्राइस (एसपी) कहा जाता है | राज्यों के द्वारा जो एसपी तय किया जाता है वह केंद्र के द्वारा घोषित उचित एवं लाभकारी मूल्य से ज्यादा होता है |

जैसे पिछले वर्ष गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य 285 रूपये प्रति क्विंटल था जबकि उतर प्रदेश सरकार ने गन्ने का एसपी 315 रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया था |

देश में अभी तक किसानों को नहीं हो पाया है बकाया राशि का भुगतान

एक तरफ गन्ने के मूल्य में मामूली वृद्धि की जा रही है तो दूसरी तरफ किसानों को बकाया का भुगतान नहीं हो पा रहा है | जिसके चलते किसान लगातार कर्ज में जा रहे हैं | वर्तमान चीनी सीजन 2020–21 में 91,000 करोड़ रूपये मूल्य के करीब 2,976 लाख टन गन्ने का भुगतान करना है | इसमें से 86,238 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया गया है |

पिछले चीनी सीजन 2019–20 में लगभग 75,845 करोड़ रूप[ये का गन्ना बकाया देय था, जिसमें से 75,703 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया गया है लेकिन अभी भी 142 करोड़ रूपये का बकाया है |

भारत चीनी का कितना निर्यात करता है ?

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि भारत वर्ष 2017–18, 2018–19 तथा 2019–20 में लगभग 6.2 लाख मीट्रिक टन, 38 लाख मीट्रिक टन तथा 59.60 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया है | चालु वित्त वर्ष में भारत का लक्ष्य 60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात का लक्ष्य है |

देश में कितना गन्ना का उत्पादन होता है ?

भारत ब्राजील के बाद सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक देश है | देश में प्रत्येक वर्ष लगभग 400 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन होता है | ज्यादातर गन्ने को किसान चीनी मीलों को देते हैं जिससे चीनी तथा एथानाल बनाया जाता है | वर्ष 2019 के अनुसार देश भर में 746 चीनी मिलें हैं | जिनमें सहकारी में 324, सार्वजनिक क्षेत्र में 44 तथा निजी क्षेत्र में 378 है | जिनमें से 529 चीनी मिलें अभी भी चल रही हैं |

सब्सिडी पर कृषि यन्त्र लेने के लिए बुकिंग प्रक्रिया शुरू, जाने कैसे करें आवेदन

अनुदान पर कृषि यन्त्र लेने हेतु आवेदन

देश में अधिक से अधिक किसानों को कृषि यन्त्र उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही है | योजना के तहत अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा अलग-अलग समय पर किसानों से कृषि यंत्र अनुदान पर उपलब्ध करवाने के लिए किसानों से आवेदन आमंत्रित करती है | मध्यप्रदेश, हरियाणा, बिहार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध करने के लिए कृषि यंत्रों एवं कस्टम हायरिंग केंद्र खोलने के लिए किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये हैं |

उत्तर प्रदेश सरकार 50 हजार से ज्यादा किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र देने जा रही है | यंत्र पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर वितरित किए जाएंगे | बुकिंग की प्रक्रिया 23 अगस्त से शुरू होनी थी लेकिन प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के आकस्मिक निधन और राजकीय अवकाश के बाद इसकी तारीखों में बदलाव किया गया, बुकिंग अब 24 और 26 अगस्त को दोपहर तीन बजे से शुरू होगी |

कृषि यंत्रों पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?

योजना के तहत चयनित लाभार्थी को योजना के तहत लागत की 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | सब्सिडी के लिए विभाग ने नियम तय कर दिए गए हैं | अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा सभी वर्ग की महिला किसानों को योजना के तहत लागत का 50 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | कस्टम हायरिंग के लिए अधिकतम 12.50 लाख रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

इसी प्रकार सामान्य वर्ग के पुरुष किसानों को योजना के तहत 40 प्रतिशत की सब्सिडी दिया जायेगा | कस्टम हायरिंग योजना के तहत अधिकतम 10 लाख रूपये की सब्सिडी दिया जायेगा |सभी योजनाओं के लिए 30 प्रतिशत लक्ष्य महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगी |

इच्छुक किसान सब्सिडी पर कृषि यंत्र बुक करने के लिए कब कर सकेगें आवेदन

उत्तरप्रदेश में कई प्रकार के कृषि यंत्र के अलावा कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए किसानों से आवेदन ऑनलाइन  मांगे गये हैं | इसके तहत किसान 24 अगस्त 2021 के 3 बजे से आवेदन कर सकते हैं | यह आवेदन सोमवार से होना था लेकिन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के मृत्यु के कारण आवेदन एक दिन देर से शुरू हो रहा है | जबकि कस्टम हायरिंग के लिए आवेदन 26 अगस्त 2021 से शुरू हो रहे हैं | राज्य के इच्छुक किसान इन कृषि यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं |

कृषि यंत्र देने के लिए लक्ष्य कितना है

यूपी सरकार ने कृषि यंत्रों के लिए लक्ष्य अलग–अलग निकाला है | इस वर्ष राज्य सरकार ने 50 हजार से अधिक किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा है | हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए राज्य के सभी जिलों के लिए 1400 का लक्ष्य रखा गया है | जबकि स्माल, गोदाम, थ्रेसिंग फ्लोर के लिए लक्ष्य 29,332 रखे गए हैं | इसके अलावा अन्य प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए राज्य के सभी जिलों के लिए लक्ष्य 19,969 का रखा गया है |

किसानों को जमा करना होगा टोकन मनी

कई बार देखा गया है की किसान पंजीयन करने के बाद भी कृषि यंत्रों का क्रय नहीं कर पाते हैं | इसके कारण दुसरे किसान योजना से वंचित रह जाते हैं |  इस बार राज्य सरकार ने सभी कृषि यंत्रों के लिए टोकन मनी अनिवार्य कर दिया है | योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को 2.5 लाख तक के कृषि यंत्रों के लिए 2500 रुपये तथा 2.5 लाख से ज्यादा के कृषि यंत्र / कस्टम हायरिंग के लिए 5,000 रुपया का टोकन मनी ड्राफ्ट के रूप में जमा करना होगा |

योजना के तहत आवेदन हेतु पात्रता

कृषि यंत्रीकरण योजना के अनुसार प्रदेश के सभी पंजीकृत किसान ही अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे | जो किसान एफपीओ, NRLM या अन्य कृषक समितियों से जुड़े हैं, वे पंजीकरण संख्या भरकर टोकन प्राप्त कर सकते हैं | प्रदेश में पंजीकृत किसानों की संख्या लगभग तीन करोड़ है | पंजीकारण के साथ ही किसानों को यंत्र के लिए टोकन मनी भी जमा करना पड़ेगा |

अनुदान पर कृषि यन्त्र लेने हेतु कैसे करें आवेदन

उत्तर प्रदेश के इच्छुक किसान सबसे पहले किसानों को पारदर्शी किसान सेवा योजना की आधिकारिक वेबसाईट http://upagriculture.com/default.aspx पर जाना होगा | इसके बाद वेबसाईट का होम पेज खुल जाएगा, जिस पर यंत्र पर अनुदान हेतु टोकन निकालने के विकल्प में क्लिक करना है |

अगले पेज में आवेदक को यंत्र टोकन की व्यवस्था के कई विकल्प दिखाई देंगे | इनका किसान भाई को अपने अनुसार चुनाव करना है | इसके बाद आवेदक किसान को अपने जनपद का चुनाव करके पंजीकरण संख्या का विकल्प का चुनाव कर रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज करना है | जब सारी जानकारी भर दी जाए, तब सर्च के बटन में क्लिक करें | इसके अंतर्गत आवेदक किसान को अपने उपकरण का चुनाव करना होगा | फिर आगे बढ़े के विकल्प पर क्लिक करना है | इसके आगे के पेज में आवेदक से पूछी गई सारी जानकारी दर्ज करना है |

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

कम समय तथा कम भूमि में अधिक उत्पादन के लिए कृषि यंत्रों का प्रयोग करना जरुरी है | कृषि यंत्रों के प्रयोग से न सिर्फ खेती करना आसान हो जाता है बल्कि कृषि यंत्र आमदनी का एक जरिया भी है | लेकिन कृषि यंत्रों की अधिक कीमत के कारण सभी किसानों के लिए कृषि यंत्र खरीद पाना मुश्किल है | इसलिए केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में कृषि यंत्रों को बढ़ते जरूरत को ध्यान में रखते हुए देश भर के किसानों के लिए इन सीटू क्रोप रेजिड्यू मैनेजमेंट CRM स्कीम चलाई जा रही है | इस स्कीम के तहत देश के अलग–अलग राज्यों के किसानों को कृषि यंत्र सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए जा रही है | इसी क्रम में हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र एवं कस्टम हायरिंग केंद्र उपलब्ध करने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं | 

कृषि यंत्रों पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी

प्रत्येक कृषि यंत्र पर उपलब्ध अनुदान भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए अधिकतम मूल्य का 50 प्रतिशत अथवा भारत सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम अनुदान राशि (जो भी कम हो) दिया जायेगा | इन उपकरणों की खरीद कृषि तथा किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा अधिकतम तथा सूचीबद्ध कृषि यंत्र निर्माताओं से करनी अनिवार्य है | इसके अतिरिक्त कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापना हेतु 80 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र दिये जा रहे हैं |

किसान अनुदान प्राप्त करने के लिए कब तक कर सकेंगे आवेदन ?

कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए इन सीटू क्रोप रेजिड्यू मैनेजमेंट स्कीम के तहत आवेदन शुरू हो चुका है | कृषि उपकरणों पर सब्सिडी के लिए (CRM स्कीम 2021-2022) के तहत आवेदन 07/09/2021 तक कर सकते हैं | व्यक्तिगत किसान द्वारा अधिक से अधिक 3 कृषि यंत्रों को अनुदान पर प्राप्त करने के लिए आवेदन किया जा सकता है | अनुदान का लाभ लेने हेतु मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना के तहत किसानों का पंजीकरण होना अनिवार्य है |

5 हजार रूपये तक का ई-चलान जमा करना होगा 

योजना के तहत आवेदन करने के लिए लाभार्थी को ई-चलान जमा करना होगा | 2.50 लाख रूपये तक अनुदान वाले कृषि यंत्र के लिए 2500 रूपये का तथा 2.50 से अधिक अनुदान वाले कृषि यंत्र के लिए 5 हजार का ई-चलान जमा करना होगा |

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसान आँनलाइन आवेदन के लिए विभिन्न प्रकार के दस्तावेज अपने पास रखें, जिससे आवेदन करने में आसानी होगी | यह सभी दस्तावेज इस प्रकार है:-

  • आधार कार्ड,
  • मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण की प्रति,
  • पैनकार्ड,
  • बैंक पास बुक की प्रथम पेज कि कॉपी,
  • ट्रैक्टर की आर.सी,
  • भूमि कि जानकारी हेतु आवश्यक दस्तावेज पटवारी की रिपोर्ट,

यह सभी दस्तावेज तैयार करके अपने पास रखने होंगे, जबकि खरीदी गई मशीन का विभाग भौतिक सत्यापन किया जाएगा तब  दस्तावेज की जांच की जाएगी | उपयुक्त दस्तावेज अपने जिला के सहायक कृषि अभियन्ता कार्यालय में जमा करवाने होंगे, ताकि उनकी पात्रता सुनिश्चित की जा सके। अगर दस्तावेज में किसी प्रकार की कोई कमी अथवा गलत जानकारी पाई गई तो किसान अनुदान पात्र नहीं होगा |

किसान अनुदान पर  कृषि यंत्रों  के लिए यहाँ करें आवेदन  

 योजना से जुड़े किसी भी प्रकार कि जानकारी के लिए कृषि उप निदेशक / कृषि सहायक अभियन्ता के कार्यालय अथवा राज्य टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 पर या अपने ब्लाक या जिले के कृषि विभाग कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं | इसके लिए अधिक जानकारी विभाग की वेबसाईट www.agriharyana.gov.in या https://www.agriharyanacrm.com/ पर उपलब्ध है |

CRM सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

जानिए क्यों होती है भेड़ एवं बकरियों के वजन में कमी, कैसे बढ़ा सकते हैं भेड़-बकरियों का वजन

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भेड़ एवं बकरियों का वजन

किसानों के लिए खेती के अलावा दूसरा आय का साधन पशुपालन है, इसमें दो प्रकार के पशुपालन किए जाते हैं एक तो दूध प्राप्त करने के लिए और दूसरा मांस के लिए | मांस के लिए अक्सर भेड़ पालन या बकरी का पालन किया जाता है | देश भर में बड़े पैमाने पर भेड़ बकरी का पालन किया जाता, ग्रामीण क्षेत्रों में यह रोजगार एवं आय का मुख्य साधन है | भेड़ तथा बकरी की कमाई इस बात पर निर्भर करता है कि उसका वजन कितना है | भेड़ बकरियों में कई प्रकार की ऐसी बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती है जीससे भेड़ बकरी का वजन कम हो जाता है |

पशुओं के समूह इस तरह बनायें

रेवड़ के पशुओं में दाना और चारे के लिए आपसी प्रतिस्पर्धा भी शरीर के वजन को कम कर सकती है | आमतौर पर पशुओं के समूह में समान प्रबंधन त्रुटियों के परिणामस्वरूप कमजोर और दब्बू पशुओं में शरीर का वजन प्राय: कम होता जाता है | ताकतवर और बड़े पशु, कमजोर पशुओं के आहार व स्थान पर भी अपना अधिकार जताते हैं | इससे आहार तक पहुँच से वंचित होने के कारण, कमजोर पशु और अधिक कमजोर होते जाते हैं | इसलिए पशुओं उम्र, नस्ल, लिंग, शरीरिक स्थिति आदि के अनुसार समूह बनाना हमेशा उचित होता है |

दांतों की समस्या से भी कम हो सकती है वजन में कमी

दांतों में समस्या के कारण भी चारा चबाने या निगलने की सामान्य प्रक्रिया प्रभावित होती है | भेड़ों में इंसिजर दांत आहार निगलने में प्रयोग किये जाते हैं | निकले हुए दांत, मसूड़े, की सुजन, पीरियडोंटल रोग जैसे मुँह के रोग, निगलने एवं चबाने की प्रक्रिया में परेशानी का कारण हो जाते हैं | इससे सामान्य चारे का सेवन प्रभावित होता है और पशु पर्याप्त आहार से वंचित रह जाता है | वजन कम होने की जाँच में दांत परीक्षण भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए | बढ़े हुए या घिसे हुए दांत, खनिज की कमी या फ्लोरोसिस की अधिकतम से भी हो सकते हैं | चिकित्सकीय रूप से वजन में कमी, इंसिजर दांतों के असामान्य आकार, कड–स्टेनिंग कड – ड्राफ्टिंग, जबड़े की सुजन के रूप में प्रकट होते हैं और ये वजन घटने के कारण हो सकते हैं | इस समस्या के निदान के लिए समय–समय पर पशु मुँह का परीक्षण करवाना चाहिए | कैल्शियम का उपयोग तथा आस्मां दांतों की सतह को खुरचना भी लाभप्रद होता है |

खनिज लवण की कमी से भी हो सकते हैं रोग

कोबाल्ट, काँपर व सेलिनियम अतिआवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व हैं | इनकी कमी अथवा असंतुलन के कारण पशुओं में विभिन्न प्रकार से वजन कम होता है | कोबाल्ट की कमी से शरीरिक वजन में वृद्धि रुक जाती है | उच्च वर्षा, लिंचिंग, उच्च पी–एच, मैंगनीज की अधिकता, शुष्क मिट्टी, रेतीले तटीय मिट्टी आदि में कोबाल्ट स्वाभाविक रूप से कम पाया जाता है | इसी प्रकार काँपर की कमी से मेमने का विकास कम हो जाता है या मृत्यु भी हो जाती है, जिससे पशुपालकों को बहुत नुकसान होता है |

भेड़पालन एवं बकरीपालन में सेलिनियम भी एक महत्वपूर्ण तत्व है | इसकी कमी से मादा पशुओं में गर्भपात और प्रजनन सम्बन्धी समस्या बहुत अधिक हो जाती है इससे पैसा होने वाले मेमने कमजोर अथवा मृत पैदा होते हैं | उनका विकास भी बाधित होता है, जो मेमने जीवित होते हैं, उनमें अचानक म्रत्यु की समस्या अधिक देखि जाती है | इसको वाइट मसल रोग कहा जाता है | इन समस्याओं के निदान के लिए पशुओं को खनिज मिशन पाउडर उचित मात्र में खिलाना चाहिए |

परायक्ष्मा (जोन्स रोग)

यह भेड़ और बकरियों में होने वाला पुराना रोग है | यह वजन घटने की समस्या के लिए सीधे तौर से जिम्मेदार होता हैं | संक्रमित पशु का सही मात्रा में चारा खाते हुए भी वजन कम होना, मांसपेशियों का कम होना, जबड़ों के नीची पानी इकट्ठा होना, खून की कमी, ऊन का झड़ना, गंदी पूंछ और पेरिनियम, बार–बार दस्त लगना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं | इस रोग में संक्रमित पशु चरागाह को भी मल त्याग से दूषित करते हैं | नियंत्रण के लिए पशुओं की समय – समय पर जांच, स्वस्थ पशुओं को पालना, खेत में प्रवेश करने से पहले प्रतिस्थापन पशुओं की जांच करना इत्यादि प्रभावी होते हैं |

लंगड़ी रोग (फीटरॉट) / लंगड़ापन / खुरगलन

भेड़ एवं बकरियों के पैरों में सडन या गलन (लंगड़ापन) एक बहुत ही गंभीर समस्या है | यह रोग एक पशु से दुसरे पशु में फैलता है और वजन कम होने का कारण बनता है | खुरों का नरम होना या अधिक गीलापन होना भी इस रोग के मुख्य कारण हो सकते हैं | लंगड़ेपन की वजह से विकास दर कम रह जाती है और पशु अन्य पशुओं से कमजोर होता चला जाता है | इस रोग के निवारण के लिए पशुपालकों को जागरूकता के साथ–साथ फूट्बाथ का इस्तेमाल करना चाहिए तथा गीली जगह से हटाकर समय पर उपचार करवाना चाहिए |

परजीवी संक्रमण

आंतरिक व बाहरी परजीवी संक्रमण शरीर के वजन के नुकसान का कारण बन सकता है | प्रत्येक परजीवी का भेड़ और बकरी को बीमार करने का अपना अलग–अलग तरीका होता है | फीताकृमि, भेड़ और बकरियों की आंत में पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सक्षम होती है | इससे शारीरिक वजन बढना बंद हो जाता है | कोक्सीडियन परजीवी आंतों की दीवार को नुकसान पहुंचाते हैं और आंतों से पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालते हैं | परजीवी ग्रसित आंत्रशोथ, एक अन्य गोलकृमि, हैमोनक्स के कंटोर्ट्स कारण होता है | यह दुनियाभर के चरागाहों पर चरने वाले मेमनों में सबसे महत्वपूर्ण और गंभीर समस्या है | ज्यादा संख्या में हैमोनकस कंटोर्ट्स कृमियों से गंभीर संक्रमण होता है और खून व प्रोटीन की कमी हो जाती है |

कृषि मंत्री ने किसानों को जल्द ही बीमा क्लेम देने के लिए बीमा कंपनियों को दिए निर्देश

किसानों के बीमा क्लेम के लिए 61 करोड़ रुपए जारी

इस वर्ष देश के कई जिलों में असामान्य मानसून रहने के चलते खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है | कहीं बुआई के बाद लम्बे समय तक बारिश का न होना एवं कई जगह अधिक बारिश से बाढ़ की स्थिति पैदा होने से किसानों की बोई गई फसलों को काफी नुकसान हुआ है | कहीं कहीं तो किसानों को दोबारा से बुआई करनी पड़ी है | किसानों को इसके चलते काफी नुकसान हुआ है | ऐसे में राजस्थान सरकार ने निष्फल बुवाई से प्रभावित किसानों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के राज्यांश प्रीमियम के 61 करोड़ 45 लाख रुपए जारी किए हैं।

कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने बीमा कंपनियों को किसानों को अतिशीघ्र बीमा क्लेम देने के निर्देश दिए हैं। श्री कटारिया ने बताया कि कोटा, बूंदी, धौलपुर एवं करौली जिले के विभिन्न हिस्सों में अतिवृष्टि एवं गंगानगर जिले के कुछ इलाकों में कम बारिश के कारण अधिसूचित फसल की बुवाई प्रभावित हुई है। कहीं बुवाई हो नहीं पाई तो कहीं निष्फल हो गई। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधान 21.3 के तहत जिला कलक्टरों से निष्फल बुवाई के प्रस्ताव प्राप्त हुए।

इन जिलों के किसानों को दिया जायेगा बीमा क्लेम

अभी तक राज्य सरकार के पास आये फसल नुकसान के सर्वे के अनुसार गंगानगर जिले के 29, करौली के 12, बूंदी के 223, धौलपुर के 19 एवं कोटा जिले के 204 पटवार सर्किल में 75 फीसदी से अधिक क्षेत्र में बुवाई प्रभावित होना सामने आया है, जिनकी राज्य सरकार की ओर से क्षति अधिसूचना जारी की गई है। करौली एवं धौलपुर जिले के लिए 1 करोड़ 24 लाख, बूंदी के लिए 31 करोड़ 20 लाख, कोटा के लिए 7 करोड़ 71 लाख एवं श्री गंगानगर जिले के लिए 21 करोड़ 28 लाख रुपए का राज्यांश प्रीमियम सम्बन्धित बीमा कम्पनियों को हस्तांतरित किया गया है।

बारां एवं झालावाड़ जिले में ज्यादा बरसात से किसानों के व्यक्तिगत फसल खराबे के आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनका सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे के पश्चात तत्काल ही राज्यांश प्रीमियम जमा करा दिया जाएगा।

बीमित राशि का 25 प्रतिशत दिया जायेगा मुआवजा

फसल बीमा योजना के इस प्रावधान के तहत कृषक को बीमित राशि का 25 प्रतिशत मुआवजा दिया जाता है। उसके पश्चात बीमा पॉलिसी समाप्त हो जाती है।

21 लाख किसानों को दी गई किसान न्याय योजना के तहत 1522 करोड़ रूपए की दूसरी किश्त

किसान न्याय योजना की दूसरी किश्त

खेती से होने वाली आय की अनिश्चितता एवं खेती की बढती लागत के चलते किसान फसल उत्पादन के लिये आवश्यक आदान जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनिकी में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते है | कृषि में पर्याप्त निवेश एवं कास्त लागत में राहत देने के लिये छत्तीसगढ़ सरकार कृषि आदान सहायता हेतु “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” चला रही है | योजना के तहत 20 अगस्त को 1522 करोड़ रूपए आदान सहायता के दूसरी किश्त की राशि का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में दी गई ।

21 लाख किसानों को दी गई 1522 करोड़ रुपये की आदान सहायता

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी की जयंती ’सद्भावना दिवस’ के मौके पर राज्य के धान एवं गन्ना उत्पादक करीब 21 लाख किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 1522 करोड़ रूपए आदान सहायता के दूसरी किश्त की राशि का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में दी गई। इस राशि में से धान उत्पादक किसानों के खाते में 1500 करोड़ रूपए और गन्ना उत्पादक किसानों के खाते में 22 करोड़ तीन लाख रूपए की राशि अंतरित की गई।

इस वर्ष 21 मई को राजीव जी के शहादत दिवस पर राजीव गांधी किसान न्याय योजना की प्रथम किस्त 1525 करोड़ रूपए की राशि किसानों के खाते में अंतरित की गई थी। 20 अगस्त को इस योजना की दूसरी किस्त की राशि अंतरित की गई है।

कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिए राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत पिछले वर्ष किसानों को 5702 करोड़ रूपए की आदान सहायता चार किस्तों में दी गई थी। इस वर्ष किसानों को दो किस्तों में 3047 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। तीसरी किस्त का भुगतान राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर एक नवम्बर को और वित्तीय वर्ष के अंत में चौथी किस्त का भुगतान किया जाएगा।

किसानों को फसल उत्पादन पर दी जाएगी 10,000 रुपये तक की इनपुट सब्सिडी

खरीफ वर्ष 2021-22 में धान के साथ ही खरीफ की सभी प्रमुख फसलों मक्का, सोयाबीन, गन्ना, कोदो कुटकी तथा अरहर के उत्पादकों को भी प्रतिवर्ष 9000 रू. प्रति एकड़ आदान सहायता दी जायेगी। कोदो-कुटकी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3000 रू. प्रति क्विंटल करने का निर्णय लिया गया है। वर्ष 2020-21 में जिन किसानों ने धान विक्रय एमएसपी पर किया था, वह यदि धान के बदले कोदो कुटकी, गन्ना अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान अन्य फोर्टिफाइड धान की फसल लेते हैं, अथवा वृक्षारोपण करते हैं तो उसे प्रति एकड़ 9000 रू. के स्थान पर 10,000 रू. प्रति एकड़ इन्पुट सबसिडी दी जायेगी। वृक्षारोपण करने वालों को 3 वर्षों तक अनुदान दिये जाने का निर्णय लिया गया है।

सब्सिडी पर अपने घरों पर सोलर पैनल लगवाना है तो 23 एवं 24 अगस्त को यहाँ जाएँ

अनुदान पर सोलर रूफटॉप संयंत्र

सोलर रूफटॉप के लगाने से एक ओर जहाँ ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलाता है वहीं दूसरी ओर जो उपभोक्ता अपने परिसर में सोलर रूफटॉप लगवाते हैं उनको बिजली बिलों में भी राहत मिलती है | सौर उर्जा के अनेकों फायदे होने के चलते केंद्र सरकार द्वारा देश में “सोलर रूफटॉप योजना” चलाई जा रही है | योजना के तहत लाभार्थी को सोलर सयंत्र की स्थापना पर सब्सिडी दी जाती है | योजना का क्रियान्वयन राज्यों के विद्युत् वितरण कंपनियों के द्वारा किया जा रहा है |

देश में अधिक से अधिक लोगों को योजना से जोड़ने के लिए इन बिजली कंपनियों के द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं | ऐसा ही प्रयास मध्यप्रदेश के उर्जा विभाग द्वारा किया जा रहा है, मध्यप्रदेश में लोगों को योजना के विषय में जानकारी देने के लिए 23 एवं 24 अगस्त को सोलर रूफटॉप की जन-जागृति के लिए अमृत महोत्सव बनाने का फैसला लिया है |

23 एवं 24 अगस्त को मनाया जायेगा सोलर रूफटॉप अमृत महोत्सव

योजना के तहत देश के अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए भारत सरकार के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय एवं मध्यप्रदेश ऊर्जा विभाग के अंतर्गत म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर द्वारा 23 एवं 24 अगस्त को सोलर रूफटॉप की जन-जागृति के लिए अमृत महोत्सव मनाया जाएगा। महोत्सव में राज्य की तीनों वितरण कंपनियों द्वारा सोलर रूफटॉफ के लिए उपभोक्ताओं में जन-जागृति के लिए कार्यक्रम, सेमिनार और शिविर आयोजित किये जाएंगे।

150 से अधिक कैंप लगाये जाएंगे

महोत्सव में भोपाल सहित मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी/रेसिडेन्सीयल वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से 150 से अधिक कैम्प आयोजित किये जाना है। भोपाल शहर में लगभग 32 परिसरों में सोलर रूफटॉफ को बढ़ावा देने के लिए कैम्प आयोजित किये जा रहे हैं। इस मौके पर 24 अगस्त को आईएएस गेस्ट हाउस, चार इमली में भी जन-जागृति शिविर लगाया जाएगा।

सोलर रूफटाप पैनल से होने वाले लाभ

अपने घर/ग्रुप हाउसिंग सोसायटी की छत/लगी हुई खुली जगह पर सोलर पैनल लगायें और बिजली पर होने वाले खर्च को बचायें। सोलर पैनल से बिजली 25 साल तक मिलेगी और इसके लगाने के खर्च का भुगतान 4-5 वर्षों में बराबर हो जाएगा। इसके बाद अगले 20 वर्षों तक सोलर से बिजली का लाभ सतत् मिलता रहेगा। इससे कार्बन फुटप्रिंट कम होगा और पर्यावरण को लाभ मिलेगा। 1 कि.वा. सौर ऊर्जा के लिए लगभग 10 वर्ग मीटर की जरूरत होती है ।

सोलर पैनल (Rooftop Solar Scheme ) योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी

भारत-सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा प्रदेश के घरेलू उपभेक्ताओं द्वारा स्थापित 3 किलोवाट क्षमता तक के संयंत्रों पर 40 प्रतिशत अनुदान तथा 3 किलोवॉट से 10 किलोवाट क्षमता तक 20 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में उपलब्ध करवायी जा रही है। इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से प्रति किलोवॉट प्रति दिवस लगभग 4 यूनिट विद्युत का उत्पादन होता है तथा उपभोक्ता द्वारा व्यय की गई समस्त राशि लगभग 4 वर्ष में वसूल हो जाती है तथा संयंत्र की आयु लगभग 25 वर्ष होती है । इन संयंत्रों की स्थापना के उपरांत 5 वर्ष तक रख-रखाव की जिम्मेदारी भी निगम के अनुमोदित वेंडर्स की होती है।

सोलर रूफटॉप पर कीमत कितनी आएगी

  • 1 कि.वा. से ऊपर – 3 कि.वा. तक –  रू. 37000/- प्रति कि.वा.
  • 3 कि.वा. से ऊपर -10 कि.वा. तक –  रू. 39800/- प्रति कि.वा.
  • 10 कि.वा. से ऊपर -100 कि.वा. तक –  रू. 36500/- प्रति कि.वा.
  • 100 कि.वा. से ऊपर -500 कि.वा. तक – रू. 34900/- प्रति किवा.

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कहा है कि उक्त राशि में सब्सिडी शामिल है, सब्सिडी घटाकर एजेन्सी को भुगतान की जाने वाली राशि 3 कि.वा. हेतु  66,600 रुपये और 5 कि.वा. 1,35,320 रुपये है। ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को कॉमन सुविधा वाले संयोजन पर 500 कि.वा. तक (10 कि.वा. प्रति घर) 20 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी।

अनुदान पर पर सोलर सयंत्र हेतु आवेदन कहाँ करें

इच्छुक व्यक्तियों को अपने क्षेत्र से संबंधित डिस्कॉम या बिजली कार्यालय में जाकर सम्पर्क कर आवेदन कर सकते हैं | अधिक जानकारी के लिए, संबंधित डिस्कॉमसे संपर्क करें या एमएनआरई के टोल फ्री नंबर 1800-180-3333 पर डायल करें। मध्यप्रदेश में इच्छुक व्यक्ति कंपनी द्वारा अधिकृत एजेंसी, तकनीकी विवरण, सब्सिडी एवं भुगतान की जाने वाली राशि की जानकारी हेतु मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के निकटतम कार्यालय, कंपनी की वेबसाईट portal.mpcz.in के मुख्य पृष्ठ पर देखें या टोल फ्री नंबर 1912 पर संपर्क करें।