किसानों को सभी योजनाओं का लाभ मिल सके इसके लिए बनाया जायेगा यूनिक आईडी कार्ड

बिरसा किसान यूनिक आईडी कार्ड

देश में किसानों के हित के लिए केंद्र एवं राज्य सरकार के द्वारा बहुत सी योजनायें चलाई जा रही हैं परन्तु यह देखा गया है कि योजना का लाभ सही व्यक्ति तक नहीं पहुँच पाता है | आज भी अधिकांश किसान ऐसे हैं जिन्हें सरकार की सभी योजना का लाभ नहीं मिला है | सरकार द्वारा किसानों के लिए जो योजनाएं चलाई जाती है इसका लाभ बिचौलिये उठा ले जाते हैं और किसान इन योजनाओं से वंचित रह जाते हैं | इसको लेकर झारखण्ड सरकार ने किसानों के लिए एक यूनिक आईडी बनाने का फैसला लिया है |

झारखंड सरकार ने राज्य के किसानों के लिए “बिरसा किसान योजना” की शुरुआत की है | राज्य सरकार के अनुसार झारखंड में कुल 58 लाख किसान है जो खेती से जुड़े हुए है | इन सभी किसानों को एक यूनिक बिरसा किसान आईडी जारी किया जायेगा | जिसके अंदर उनकी सारी जानकारी रहेगी | योजना का उद्देश्य किसानों तक सरकारी लाभ पहुंचाने में बिचौलियों के रोल को खत्म करना और एक किसान वो विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाना है | यूनिक आईडी कार्ड का एक और फायदा यह भी होगा कि फर्जी तरीके से लाभ उठा रहे लोगों की पहचान भी की जाएगी |

क्या है बिरसा किसान योजना ?

झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने आदिवासी दिवस के मौके पर राज्य में किसानों के लिए बिरसा किसान योजना की शुरुआत की है | इसके तहत किसानों के लिए एक विशष्ट कार्ड बनाया जायेगा जिसका एक यूनिक आईडी रहेगा | जिसमें आधार कार्ड, मोबाईल और बचत खाता संख्या (डीबीटी के लिए) आदि अनिवार्य होंगे | किसानों का प्रज्ञा केन्द्रों में ई–केवाईसी किया जाएगा, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि केवल आधार संख्या वाले प्रमाणिक किसान ही पंजीकृत हैं | उसके बाद भूमि विवरण इंटरफेस के माध्यम से राजस्व विभाग के डेटाबेस से प्राप्त किया जाएगा |

यूनिक आईडी कार्ड किस तरह काम करेगा ?

बिरसा किसान के तरफ से किसानों को एक विशिष्ट आईडी कार्ड दिया जायेगा | जिसमें यूनिक बार कोड रहेगा | विशष्ट आईडी का उपयोग किसानों की पहचान के रूप में किया जाएगा | इस संख्या का उपयोग जिला कृषि पदाधिकारीयों एवं अन्य द्वारा विभिन्न योजनाओं जैसे बीज, कृषि उपकरण इत्यादि के तहत किसानों को लाभन्वित करने के लिए होगा | इस आईडी कार्ड में विभिन्न योजनाओं के तहत दिए जाने वाले लाभों की जानकारी संग्रहित रहेगी | यह जानकारी भी अलग से एक सर्वर में अपलोड और स्टोर की जाएगी |

खत्म होंगे बिचौलिये

बिरसा किसान की प्रकल्पना एक ही किसान को विभिन्न योजनाओं का लाभ देना है | साथ ही इस प्रक्रिया में बिचौलियों की भूमिका और फर्जी तरीके से लाभ उठा रहे लोगों की पहचान भी की जाएगी | अंतत: वास्तविक, गरीब किसानों को योजनाओं का लाभ प्रदान किया जाएगा | किसानों को योजना का लाभ देने से पूर्व डीएओ द्वारा जाँच की जाएगी कि किसान को वर्तमान या पिछले वर्षों में समान लाभ प्राप्त हुआ है या नहीं | इस प्रकार डेटा बेस बनाया जायेगा तथा डाटा बेस का उपयोग हर वर्ष नए लाभार्थियों की पहचान करने और उन्हें शामिल करने के लिए किया जाएगा |

तीन चरणों में किया जायेगा उपयोग

बिरसा किसान के तहत बनाए जा रहे डेटा बेस से किसानों को तीन चरणों में जोड़ा जायेगा | प्रथम चरण में डेटाबेस का उपयोग विभाग के भीतर दोहराव आदि की जाँच के लिए किया जाएगा | दिव्तीय चरण में डेटा बेस का उपयोग विभिन्न विभागों और कृषि विभाग के बीच लाभुकों के दोहराव की जाँच के लिए किया जाएगा | तीसरे चरण में इसका उपयोग सरकारी और गैर-सरकारी एजेंसियों के बीच लाभुक के दोहराव आदि की जाँच के लिए किया जाएगा | किसानों की भूमि के विवरण का डिजिटलीकरण, किसान द्वारा उत्पादित फसल का प्रकार, कुल उत्पादन आदि का आकंलन कर यूनिक आईडी में संग्रहित किया जाएगा | इसके अतिरिक्त फसल से संबंधित सलाह, बाजार, उत्पादन और नुकसान का आकलन भी होगा |

खुशखबरी:अब इन 10 लाख से ज्यादा लोगों को दिया जायेगा 6000 रुपये का अनुदान

राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना के तहत अनुदान

ग्रामीण क्षेत्रों में घटते रोजगार एवं महंगाई की तुलना में घटती आमदनी से राहत देने के लिए सरकार द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही है | किसानों की आय में वृद्धि के लिए केंद्र सरकार प्रधानमंत्री “किसान सम्मान निधि योजना” चला रही है जिसके तहत ऐसे किसानों को जिनके पास स्वयं की भूमि है उन्हें 6,000 रुपये की सहायता राशि दी जाती है वहीँ इसी तर्ज पर कई राज्य सरकारों ने भी भूमि वाले किसानों को सीधे सहायता राशि देने की योजना शुरू की है |

इन राज्यों में छत्तीसगढ़ राज्य भी शामिल है जहाँ “राजीव गाँधी किसान न्याय योजना” के तहत किसानों को अलग-अलग फसल उत्पादन करने पर 9 हजार रुपये प्रति एकड़ का अनुदान सीधे किसानों के बैंक खाते में दिया जा रहा है | परन्तु इन सभी योजनाओं में अभी तक ऐसे लोग शामिल नहीं हैं जिनके पास स्वयं की भूमि नहीं है | मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने प्रदेशवासियों को एक ऐतिहासिक सौगातें दी है । जिसका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र मे भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों की पहचान करना तथा भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों को वार्षिक आधार पर आर्थिक अनुदान उपलब्ध कराना है।

क्या है राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना ?

“राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना” को वित्त वर्ष 2021-22 से प्रारंभ किया जा रहा है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्र मे भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों की पहचान करना तथा भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों को वार्षिक आधार पर आर्थिक अनुदान उपलब्ध कराना है। जिससे की आर्थिक अनुदान के माध्यम से भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के शुद्ध आय मे वृद्धि हो सके। योजनांतर्गत अनुदान सहायता राशि मे अंतिम रुप से चिन्हांकित हितग्राही परिवार के मुखिया को राशि 6000 रु. अनुदान सहायता राशि प्रतिवर्ष दी जायेगी।

राज्य मे ग्रामीण आबादी का एक बड़ा हिस्सा कृषि मजदूरी पर निर्भर है। छत्तीसगढ़ राज्य मे खरीफ सत्र मे ही कृषि मजदूरी के लिए पर्याप्त अवसर रहता है, किन्तु इनमे कई भूमिहीन कृषि मजदूर है जिनके पास अपनी स्वयं की भूमि नही है। रबी सत्र मे फसल क्षेत्राच्छादन कम होने के कारण कृषि मजदूरी के लिए अवसर भी कम हो जाता है। ऐसे मजदूरों के लिए यह योजना लाई गई है। इस योजना का लाभ लेने के लिए निम्न पात्रताएं रखी गई है | जिसमें -हितग्राही परिवार की पात्रता-योजनांतर्गत कट ऑफ डेट (पात्रता दिनांक) 01 अप्रैल 2021 होगी। 01 अप्रैल 2021 की स्थिति में योजनांतर्गत निर्धारित पात्रता होनी चाहिए।

6000 रुपये की अनुदान सहायता राशि का लाभ किसे मिलेगा ?

योजना अंतर्गत पात्रता केवल छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों को होगी। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे सभी मूल निवासी भूमिहीन कृषि मजदूर परिवार इस योजना का लाभ प्राप्त करने हेतु पात्र होंगे, जिस परिवार के पास कृषि भूमि नहीं है। पट्टे पर प्राप्त शासकीय भूमि यथा वन अधिकार प्रमाण पत्र को कृषि भूमि माना जाएगा।

राज्य के ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के अंतर्गत चरवाहा, बढ़ई, लोहार, मोची, नाई, घोबी, पुरोहित जैसे-पौनी-पसारी व्यवस्था से जुड़े परिवार, वनोपज संग्राहक तथा शासन द्वारा समय-समय पर नियत अन्य वर्ग भी पात्र होंगे, यदि उस परिवार के पास कृषि भूमि नहीं है।

  • यहाँ भूमिहीन कृषि मजदूर से अभिप्रेत है- “ऐसा व्यक्ति जो कोई कृषि भूमि धारण नहीं करता और जिसकी जीविका का मुख्य साधन शारीरिक श्रम करना है और उसके परिवार का जिसका की वह सदस्य है, कोई सदस्य किसी कृषि भूमि को धारण नहीं करता है।
  • परिवार से आशय किसी व्यक्ति का कुटुम्ब अर्थात् उसकी पत्नी या पति, संतान तथा उन पर आश्रित माता-पिता से है।
  • कृषि भूमि धारण नहीं करना से आशय है उस परिवार के पास अंश मात्र भी कृषि भूमि नहीं होना है।

कृषि भूमिहीन परिवारों की सूची में से परिवार के मुखिया के माता या पिता के नाम से यदि कृषि भूमि धारित है अर्थात् उस परिवार को उत्तराधिकार हक में भूमि प्राप्त करने की स्थिति होगी, तब वह परिवार भूमिहीन परिवार की सूची से पृथक् हो जाएगा। आवासीय प्रयोजन हेतु धारित भूमि, कृषि भूमि नहीं मानी जाएगी।

6000 रुपये की अनुदान सहायता राशि लेने के लिए आवश्यक दस्तावेज

पंजीयन हेतु आवश्यक दस्तावेज-आधार कार्ड, बैंक पासबूक की छाया प्रति के साथ आवेदन सचिव, ग्राम पंचायत के समक्ष प्रस्तुत करना होगा। आवेदन मे यथा संभव मोबाईल नम्बर का भी उल्लेख किया जाना होगा। हितग्राही परिवार आवेदन की पावती ग्राम पंचायत सचिव से प्राप्त कर सकेगा। प्रत्येक ग्राम पंचायत मे भुईया रिकार्ड के आधार पर ग्रामवार बी-1 तथा खसरा की प्रतिलिपि चस्पा की जायेगी। जिससे भू-धारी परिवारों की पहचान स्पष्ट को सके तथा भूमिहीन परिवारों को आवेदन भरने मे सुविधा प्राप्त हो सके |

योजना के तहत अनुदान लेने के लिए कहाँ आवेदन करें ?

ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के मुखिया को अनुदान सहायता राशि प्राप्त करने हेतु आवेदन पत्र के साथ ‘‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’’ पोर्टल पर पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। अपंजीकृत परिवारों को योजनांतर्गत अनुदान की पात्रता नहीं होगी। पंजीकृत हितग्राही परिवार के मुखिया की मृत्यु हो जाने पर उक्त परिवार के द्वारा पात्रता अनुसार नवीन आवेदन योजनांतर्गत प्रस्तुत किया जाना होगा। यदि पंजीकृत हितग्राही परिवार के मुखिया के द्वारा असत्य जानकारी के आधार पर अनुदान सहायता राशि प्राप्त की गई हो, तब विधिक कार्यवाही करते हुए उक्त राशि उससे भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल की जाएगी।

योजनांतर्गत लाभ प्राप्त करने हेतु इच्छुक ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर परिवारों के मुखिया को निर्धारित समयवधि मे “राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना” के पोर्टल rggbkmny.cg.nic.in मे पंजीयन कराना अनिवार्य होगा। पोर्टल मे पंजीयन का कार्य 01 सितम्बर से 30 नवम्बर 2021 तक किया जायेगा।

इन 11 जिलों के किसानों को दिया जायेगा रबी मौसम में हुई ओलावृष्टि से फसल नुकसान का मुआवजा

रबी मौसम में हुई बारिश एवं ओलावृष्टि से फसल नुकसान का मुआवजा

रबी सीजन वर्ष 2020–21 में देश कई राज्यों में बेमौसम बारिश एवं ओलावृष्टि से किसानों की फसलों को काफी नुकसान हुआ था | ओलावृष्टि से प्रभावित राज्यों में राजस्थान भी शामिल था | राजस्थान में हुए इस फसल नुकसान की भरपाई करने के लिए राज्य सरकार द्वारा सर्वे करवाया गया था | जिसके अनुसार नुकसान का आंकलन कर किसानों को मुआवजा दिया जाना है | मुख्यमंत्री ने ओलावृष्टि प्रभावित किसानों को कृषि आदान-अनुदान देने के लिए अधिसूचना को मंजूरी दे दी है |

किसानों को दिया जायेगा अनुदान राशि

राज्य में रबी सीजन 2020–21 में ओलावृष्टि से खराब हुई फसलों  की सर्वे  रिपोर्ट को मंजूरी दे दी गई है | जिसके तहत राज्य के 11 जिलों के 85 गाँव में फसलों का नुकसान हुआ था | इन गांवों में ओलावृष्टि से 33 प्रतिशत फसल नुकसान हुआ था | गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर 11 जिलों के 85 गावों को अभावग्रस्त घोषित किया गया है | जिसको देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने प्रभावित गावों को अधिसूचित कर किसानों को कृषि आदान–अनुदान देने के लिए जारी की जाने वाली अधिसूचना के प्रारूप का अनुमोदन कर दिया है |

इन 11 जिलों के गाँव में हुआ था ओलावृष्टि से फसलों को नुकसान

रबी फसल वर्ष 2020–21 में ओलावृष्टि से फसलों में खराबे की गिरदावरी के निर्देश दिए गए थे | जिला कलेक्टर से प्राप्त नियमित एवं विशेष गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर झुंझुन जिले के 28, हनुमानगढ़ के 19, भरतपुर के 9, कोटा के 8, सवईमाधोपुर के 6, टोंक एवं बीकानेर के 4 – 4, चुरू, चित्तौडगढ़ एवं बाड़मेर के 2–2 तथा अलवर जिले के एक गाँव को अभावग्रस्त घोषित किया गया है |

सब्सिडी पर ड्रिप, मिनी माइक्रो स्प्रिंकलर, पोर्टेबल स्प्रिंकलर लेने के लिए आवेदन करें

ड्रिप, मिनी माइक्रो और पोर्टेबल स्प्रिंकलर पर अनुदान हेतु आवेदन

कृषि के क्षेत्र में सिंचाई के साधन उपलब्ध कराने तथा पानी की बचत करने के उद्देश से देश में “प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना” चलाई जा रही है | इस योजना के तहत किसानों को सूक्ष्म सिंचाई पद्धति को अपनाने पर जोर दिया जा रहा है | किसान ज्यादा से ज्यादा माईक्रो इरिगेशन को अपनाये इसके लिए सरकार के किसानों को प्रोत्साहन के रूप में सिंचाई यंत्रों पर सब्सिडी प्रदान करती है | जिससे किसान कम मूल्य पर सिंचाई यंत्र को खरीद सके | मध्य प्रदेश सरकार राज्य के किसानों को वर्ष 2021 में माईक्रो इरिगेशन के तहत सब्सिडी दे रही है, जिसके तहत किसानों से आवेदन आमंत्रित किए जा रहे हैं |

इन सिंचाई यंत्रों पर दी जा रही है सब्सिडी

मध्यप्रदेश उद्यानिकी विभाग द्वारा विशेष आदर्श विकासखंड हेतु राज्य के 4 जिलों के लिए जिलेवार लक्ष्य जारी कर दिए गए हैं | इन लक्ष्यों के विरूद्ध राज्य के सभी वर्ग के किसान आवंटित लक्ष्यों के अनुसार आवेदन कर सकते हैं | किसान नीचे दिए गए सिंचाई यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं :-

  • ड्रिप सिस्टम
  • मिनी/माइक्रो स्प्रिंकलर सेट
  • पोर्टेबल स्प्रिंकलर सेट

किन जिलों के लिए जारी किए गए हैं लक्ष्य

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत इस बार आवेदन मध्य प्रदेश के चार जिलों से माँगा गया है |  17 अगस्त 2021 से मध्य पदेश के सागर, टीकमगढ़, निवाड़ी जिलों के किसान आवेदन कर सकते हैं | इसमें सागर जिले के सागर विकासखण्ड, टीकमगढ़ के बल्देवगढ़ तथा पलेरा विकासखण्ड और निवाड़ी के निवाड़ी विकासखण्ड के किसान योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं |

योजना के तहत जारी जिलेवार लक्ष्य

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत उद्धानिकी विभाग ने लक्ष्य जारी किया है | इसके तहत अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा सामान्य वर्ग के लिए अलग–अलग लक्ष्य जारी किया गया है | सभी सिंचाई यंत्रों का लक्ष्य 795.18 है जिस पर 300.09 लाख रूपये का सब्सिडी दी जाएगी |

सिंचाई यंत्रों तथा वर्गों के अनुसार लक्ष्य इस प्रकार है :-
  • ड्रिप के लिए कुल लक्ष्य 285 है जिसमें से सामान्य वर्ग के लिए 75, अनुसूचित जाति के लिए 60 तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 150 का लक्ष्य जारी किया गया है |
  • मिनी स्प्रिंकलर के लिए कुल 260.18 का लक्ष्य है , जिसमें से सामान्य वर्ग के लिए 73.58, अनुसूचित जाति के लिए 36.60 तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 150 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है |
  • पोर्टेबल स्प्रिंकलर के लिए कुल 250 का लक्ष्य है | जिसमें से सामान्य वर्ग के लिए 75, अनुसूचित जाति के लिए 85 तथा अनुसूचित जनजाति के लिए 90 का लक्ष्य जारी किया गया है |

योजना के तहत ड्रिप एवं स्प्रिंकलर पर दी जाने वाली सब्सिडी

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (PMKSY)  के घटक “पर ड्राप मोर क्राप” (माइक्रोइरीगेशन) के तहत स्प्रिंकलर सेट पर लघु एवं सीमांत के सभी वर्गों के किसानों को इकाई लागत का 55 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है |इसके अलावा अन्य सभी वर्ग के किसानों को इकाई लागत का 45 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है | वहीँ ड्रिप सिस्टम पर भी लघु एवं सीमांत के सभी वर्गों के किसानों को इकाई लागत का 55 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है |इसके अलावा अन्य सभी वर्ग के किसानों को इकाई लागत का 45 प्रतिशत अनुदान दिया जाता है |

ड्रिप, स्प्रिंकलर सेट अनुदान योजना की विस्तृत जानकारी pdf डाउनलोड करें

अनुदान हेतु किसान कब कर सकते हैं आवेदन ?

राज्य के सभी वर्गों के किसान जिलेवार जारी लक्ष्य के अनुसार 17 अगस्त 2021 को सुबह 11:00 AM बजे से आवेदन कर सकते हैं | दिए गये लक्ष्यों के संबंध में जिलो को आवंटित लक्ष्य से 10 प्रतिशत अधिक तक आवेदन ही किये जा सकेंगे |

ड्रिप, मिनी/ माइक्रो स्प्रिंकलर एवं पोर्टेबल स्प्रिंकलर सब्सिडी हेतु आवेदन कहाँ करें

दिए गए सिंचाई यंत्रों हेतु आवेदन उधानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग मध्य प्रदेश के द्वारा आमंत्रित किये गए हैं | सभी आवेदन ऑनलाइन ही किये जा सकेंगे | किसान भाई यदि योजनाओं के विषय में अधिक जानकारी चाहते हैं तो उधानिकी एवं मध्य प्रदेश पर देखे सकते हैं अथवा विकासखंड/जिला उद्यानिकी विभाग में संपर्क करें| मध्य प्रदेश में किसानों को आवेदन करने के लिए आनलाईन पंजीयन उधानिकी विभाग मध्यप्रदेश फार्मर्स सब्सिडी ट्रैकिंग सिस्टम https://mpfsts.mp.gov.in/mphd/#/ पर जाकर कृषक पंजीयन कर आवेदन कर सकते हैं |

ड्रिप, मिनी/ माइक्रो स्प्रिंकलर/पोर्टेबल स्प्रिंकलर सेट सब्सिडी हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

आखिर क्यों प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से अलग हो रहे राज्य और बीमा कंपनियां,संसदीय समिति रिपोर्ट ने दिए सुझाव

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को लेकर संसदीय समिति की रिपोर्ट

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना को शुरू हुए 5 साल हो गये हैं | इस बीच योजना से कई बीमा कंपनियां तथा राज्य सरकारें बाहर होना शुरू हो चुके हैं | केंद्र सरकार के दावे के अनुसार देश भर में कुल कृषि भूमि का 30 प्रतिशत क्षेत्र का फसल बीमा किया गया है | इसके बावजूद भी इस योजना से राज्य और कंपनियों का मोह भंग हो रहा है | वर्ष 2018 से बिहार तथा पश्चिम बंगाल बहार हो गए तो वर्ष 2019 से झारखंड और गुजरात सरकार ने योजना से अलग होने का फैसला किया | वर्तमान समय में बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पंजाब, गुजरात, तेलंगाना, आंध्रप्रदेश राज्यों ने अपने आप को योजना से बहार कर लिया है | ज्यादातर राज्य सरकार ने इस योजना के समांतर राज्य प्रायोजित योजना की शुरुआत की है |

 क्या कहती है फसल बीमा योजना की समीक्षा रिपोर्ट 

कृषि विभाग की स्थाई समिति की रिपोर्ट 10 अगस्त 2021 को आई है जिसमें प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का वर्ष 2015–16 से 2020–21 तक की समीक्षा की गई है | स्थाई समिति की रिपोर्ट के अनुसार देश में फसल बीमा क्षेत्र की सरकारी कंपनियों को घाटा हो रहा है तो वहीँ निजी कंपनियां माला-माल हो रही है |

पांच वर्षों में इन कंपनियों को प्रीमियम (किसान, राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार) के तौर पर 1,26,521 करोड़ रुपये जमा किया गया है | जबकि फसल नुकसानी होने पर बीमा राशि के रूप में 87,320 करोड़ रुपये का क्लेम दिया गया | यह बीमा राशि कुल प्रीमियम का 69 प्रतिशत है जो किसानों को फसल नुकसानी के रूप में दी गई है | योजना के तहत किसानों की तरफ से 92,954 करोड़ रूपये का दावा किया गया था | इसका मतलब फसल बीमा कंपनियों को 31 प्रतिशत का मुनाफा हुआ है | यहाँ पर यह ध्यान रखना होगा कि इस दौरान किसानों के द्वारा 19,913 करोड़ रूपये का प्रीमियम जमा किया गया है  |

पांच वर्षों में कुल 26.9980 करोड़ किसानों ने फसल बीमा कराया था | यह बीमा 23.5460 करोड़ हेक्टेयर भूमि का किया गया | इन पांच वर्षों में 7.253 करोड़ किसानों को बीमा राशि दी गई है |

सरकारी कंपनियों को फसल बीमा योजना में हो रहा है घाटा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में पांच सरकारी कंपनियां शामिल है जो फसल बीमा के क्षेत्र में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती थी | यह पांच कंपनियां इस प्रकार है :-

  • एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी आँफ इंडिया (एआईसी) लिमिटेड | यह फसल बीमा के क्षेत्र में सबसे बड़ी कंपनी है |
  • नेशनल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
  • ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
  • यूनाईटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड
  • न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड

इन कंपनियों को इन पांच वर्षों में मात्र 10.86 प्रतिशत का मुनाफा हुआ है, जबकि फसल बीमा के क्षेत्र में 50 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है | फसल बीमा क्षेत्र की सबसे बड़ी कंपनी एआईसी ने चार साल में 32,429.24 करोड़ रूपये का प्रीमियम हासिल किया जबकि 26,874.6 करोड़ रूपये का क्लेम का भुगतान किया है | इसका मतलब एआईसी को लगभग 17.12 प्रतिशत का फायदा हुआ है |

न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी को चार साल के दौरान 4660.31 करोड़ रूपये का प्रीमियम मिला जबकि उसने 5145.22 करोड़ रूपये का भुगतान किया | इसी प्रकार ओरियंटल इंश्योरेंस को 3893.16 करोड़ रूपये का प्रीमियम मिला जबकि कंपनी ने क्लेम के रूप में 4305.66 करोड़ रूपये का भुगतान किया | नेशनल इंश्योरेंस ने 2574.34 करोड़ रुपए के प्रीमियम के बदले 2514.77 करोड़ रूपये का भुगतान किया |

निजी कंपनियों को हो रहा है मुनाफा

10 अगस्त 2021 को संसदिय समिति के द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार फसल बीमा क्षेत्र के निजी कंपनियों को काफी मुनाफा हो रहा है | चार सालों में औसतन 30 प्रतिशत का मुनाफा हुआ है तो वहीँ कुछ कंपनियों को 60 से 70 प्रतिशत तक का मुनाफा हुआ है |

रिलायंस जीआईसी लिमिटेड ने चार साल में 6150.22 करोड़ रूपये का प्रीमियम प्राप्त किया | जबकि फसल नुकसानी होने पर किसानों को 2580.56 करोड़ रूपये का भुगतान किया | इस तरह रिलायंस जीआईसी को 59 प्रतिशत का मुनाफा हुआ है | इसी तरह फ्यूचर जनरल इंडिया इंश्योरेंस को 60.91 प्रतिशत, इफ्को को 52 प्रतिशत, एचडीएफसी एर्गो को 31 प्रतिशत का मुनाफा हुआ |

ये कंपनिया फसल बीमा में हुए घाटे के बाद योजना से हुई अलग

ऐसा नहीं है कि सभी कंपनियों को फसल बीमा क्षेत्र से मुनाफा हुआ है | श्रीराम जीआईसी लिमिटेड ने वर्ष 2016–19 के बीच 170.95 करोड़ रूपये का प्रीमियम वसूला जबकि फसल नुकसानी होने पर क्लेम के रूप में 256.95 करोड़ रूपये का भुगतान करना पड़ा | इसके बाद कंपनी फसल बीमा क्षेत्र से बाहर कर लिया |

इसी प्रकार आईसीआईसीआई लुम्बार्ड ने पहले वर्ष में कंपनी को कम मुनाफा होने पर योजना से बाहर हो गई | वर्ष 2016–17 में कंपनी को प्रीमियम के रूप में 2177.93 करोड़ रूपये का प्रीमियम लिया जबकि फसल नुकसानी होने पर क्लेम के रूप में 1927.65 करोड़ रूपये का भुगतान किया | इसी प्रकार टाटा टीआईजी और चोला मंडलम ने भी कम मुनाफा होने पर योजना से वर्ष 2018 –19 में बाहर हो गई |

राज्य में नहीं है कंपनियों के कार्यालय

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल कंपनियों का कार्यायल तक राज्यों में नहीं है | कुछ का दिल्ली तो कुछ का मुम्बई और पुणे में हैं | इस स्थति में किसानों के बीच फसल बीमा को लेकर भ्रम बना रहता है | संसदीय स्थाई समिति ने कहा है की सभी बीमा कंपनियों को राज्य में कार्यालय खोलने को बोला जाये तथा इसकी जानकारी पोर्टल पर भी देना होगा |

कुछ कंपनियों पर लगाया गया है जुर्माना

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ 2018–19 से कंपनी, राज्य तथा केंद्र सरकार पर जुर्माने का प्रावधान किया गया था | दावों के भुगतान के संबंध में निर्धारित अंतिम तारीख से 10 दिन गुजर जाने अर्थात दावों के भुगतान में विलंब होने की स्थिति में बीमा कंपनी द्वारा किसानों को अदा किए जाने के प्रयोजनार्थ, राज्यों बीमा कंपनियों और बैंकों पर प्रति वर्ष 12 प्रतिशत ब्याज दिये जाने का दण्ड / प्रोत्साहन का प्रवधान किया गया है |

इसी प्रकार राज्य सरकारों द्वारा बीमा कंपनियों की ओर से निर्धारित अंतिम तारीख / मांग प्रस्तुत करने की तारीख से 3 माह के बाद जमा नहीं होने पर 12 प्रतिशत की दर से ब्याज का, संसदीय स्थाई समिति के रिपोर्ट में बताया गया है कि रबी सीजन 2017–18 के लिए चोला एमएस जनरल इंश्योरेंस कंपनी, आईसीआईसीआई लुम्बार्ड जनरल इंश्योरेंस, न्यू इंडियन एंश्योरेंस कंपनी और स्टेट बैंक आँफ इंडिया जनरल इंश्योरेंस पर 12 प्रतिशत की ब्याज दर से लगभग 22 करोड़ 17 लाख रूपये का जुर्माना लगाया गया है  |

इन राज्यों में सोयाबीन की फसल में लग सकते हैं यह कीट एवं रोग, इस तरह करें नियंत्रण

राज्यवार सोयाबीन कीट-रोग नियंत्रण

सोयाबीन की बुवाई किये हुए 45 से 60 दिन हो गए हैं | इस बीच कहीं अधिक बारिश एवं कहीं कम बारिश के अलावा लम्बे समय तक सूरज की रोशनी न मिलने से सोयाबीन की फसल पर कीट रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है | मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र के कुछ जिलों में बारिश नहीं होने के कारण 15 से 20 दिनों तक सूखे की स्थिति बनी हुई थी | जिससे कई जगह फसल का विकास अच्छे से नहीं हो पाया है | सूखे के बाद बारिश से सोयाबीन की फसल पर कई प्रकार के कीट-रोगों की संभावना बढ़ जाती है |

राज्यों के अलग-अलग जिलों में वर्षा की स्थिति के अनुसार सोयाबीन की फसल पर कीटों तथा इल्लियों का प्रकोप अलग-अलग देखने को मिल रहा है | देश भर में सोयाबीन की फसल पर इल्ली तथा कीट का प्रकोप बढने की संभावना को देखते हुए वैज्ञानिकों ने सोयाबीन किसानों के लिए सलाह जारी की है | किसान समाधान राज्यों एवं जिलों के अनुसार कीट तथा इल्ली के प्रकोप की जानकारी लेकर आया है |

तम्बाकू इल्ली (एकल) :-

तम्बाकू इल्ली का प्रकोप कुछ राज्यों में सोयाबीन की फसल पर होने की संभावना है | मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र तथा राजस्थान तम्बाकू इल्ली से सबसे ज्यादा प्रभावित होने वाले राज्य हैं |

  • मध्य प्रदेश के छिंदवाडा, धार, मंडला और खरगोन जिला है |
  • महाराष्ट्र के अकोला, अमरावली, जलगाँव, नागपुर, नांदेड, नाशिक, रायगढ़, रत्नागिरी, सांगली, सोलापुर और वर्धा है |
  • राजस्थान के भीलवाडा, चित्तौडगढ़ और उदयपुर है |

अर्ध कुंडलक हरी इल्ली :-

इस कीट का प्रकोप देश के कई राज्यों के सोयाबीन की फसल पर होने की संभावना है | कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान राज्य के कई जिलों में अर्ध कुंडलक हरी इल्ली का प्रकोप हो सकता है |

  • कर्नाटक राज्य के चित्रदुर्गा, दक्षिण कन्नड़, धारवाड़ और उत्तर कन्नड़ जिले शामिल है |
  • मध्य प्रदेश के छतरपुर, धार, गुना, इंदौर, जबलपुर, मंडला, रायगढ़, रतलाम, रीवा, सतना, सीधी, सिवनी, टीकमगढ़, उज्जैन और उमरिया जिले शामिल है |
  • महाराष्ट्र राज्य के अकोला, अमरावती, गोंदिया, कोलाह्पुर, नागपुर, नाशिक, परभानी, पुणे, रायगढ़, रत्नागिरी, सांगली, सतारा और वर्धा शामिल है |
  • राजस्थान राज्य के भरतपुर, भीलवाडा, चितौडगढ़ और उदयपुर शामिल है |

चने के इल्ली :-

इस इल्ली का प्रकोप इस समय कई राज्यों के सोयाबीन की फसल पर देखा जा रहा है | इसके प्रकोप बढने की संभावना है | इस कीट से महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक तथा मध्य प्रदेश राज्य प्रभावित हो सकते हैं |

  • महाराष्ट्र के नाशिक, रायगढ़, रत्नागिरी, सांगली और सतारा जिलों में चन्ने के इल्ली का प्रकोप हो सकता है |
  • राजस्थान के उदयपुर जिले में रोग का प्रकोप हो सकता है |

चक्रभ्रंग :-

इस कीट का प्रकोप इस समय महाराष्ट्र, राजस्थान, कर्नाटक, मध्य प्रदेश तथा आंध्रप्रदेश के जिलों में देखा जा सकता है | इस कीट का प्रकोप बढने की संभावना है |

  • कर्नाटक के सिक्मंग्लुर और गुलबर्गा जिले में इल्ली का प्रकोप हो सकता है |
  • मध्य प्रदेश के दतिया, धार, इंदौर, सिवनी, उज्जैन और खरगौन जिले में चने के इल्ली का प्रकोप हो सकता है |
  • महाराष्ट्र के अकोला, अमरावती, नांदेड, नाशिक, रायगढ़, सांगली, वर्धा और वाशिम में कीट का प्रकोप हो सकता है |
  • राजस्थान के अजमेर, भीलवाडा, चुरू, जयपुर और टोंक में कीट का प्रकोप हो सकता है |
  • आंध्र प्रदेश के पूर्व गोदावरी और गुंटूर जिलों में इस कीट का प्रकोप हो सकता है |

सोयाबीन में इन कीट-रोगों का नियंत्रण इस तरह करें

इल्लियों तथा कीटों को रोकने के लिए परम्परिक उपाय करें | सोयाबीन की फसल में पक्षियों के बैठने हेतु “T” आकार के बड़े–पर्चेस लगाये, इससे कीट–भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है |

रासायनिक उपचार
  • चक्र भृंग तथा पत्ती खाने वाली इल्लियों के एक साथ नियंत्रण हेतु पूर्वमिश्रित कीटनाशक नोवाल्युरौन + इंडोक्साकार्ब (850 मिली/हे.) या बीटासायफ्लूथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या पुर्वमिश्रित थायमिथोकसम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) का छिडकाव करें | इनके छिडकाव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता है |
  • चक्र भृंग नियंत्रण हेतु थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. 750 मिली/हे. या प्रोफेनोफाँस 50 ई.सी. (1250 मिली./हे.) या पुर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./है.) या पूर्वमिश्रित थायमिथोकसम + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./हे.) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली.हे.) का 500 लीटर पानी के साथ 1 हेक्टेयर में छिडकाव करें | यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें |
  • जहाँ पर केवल चने की इल्ली (हेलिकोवेर्पा अर्मिजेरा) का प्रकोप हो, इसके नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप (हेलिल्पुर) लगाए तथा अनुसंशित कीटनाशक इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मि.ली./हे.) या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी. (150 मि.ली./हे.) या क्लोरएंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मि.ली./ हे.) का छिडकाव करें |

पशुओं की आकस्मिक मृत्यु होने पर दिया जायेगा 30 हजार रुपये तक का अनुदान

पशुओं की मृत्यु होने पर दिया जाने वाला अनुदान/मुआवजा

किसानों के लिए खेती के बाद पशुपालन आय का बहुत बड़ा जरिया है | किसानों के लिए पशुपालन एक एटीएम की तरह होता है जहाँ से प्रतिदिन कुछ पैसों की आमदनी होती है लेकिन कभी–कभी बीमारी, बाढ़, बिजली गिरने तथा अन्य कारणों से पशुओं की मृत्यु हो जाती है | इस अवस्था में किसानों की काफी आर्थिक नुकसानी उठानी पड़ती है | इससे कई बार किसान दोबारा पशु भी नहीं खरीद पाते हैं | पशुपालकों को पशु हानि से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए सरकार द्वारा सहयता के रूप में अनुदान दिया जाता है |

बिहार पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग द्वारा राज्य के पशुपालकों को पशु क्षतिपूर्ति के लिए एक योजना चलाई जा रही है | जिसके  तहत किसानों एवं पशुपालकों को संक्रामक रोगों अथवा अप्राकृतिक कारणों से पशुओं की मृत्यु होने पर अनुदान दिया जाता है | यह योजना बिहार के लिए और भी जरुरी हो जाती है क्योंकि बिहार में हर वर्ष बाढ़ के प्रकोप एवं संक्रामक रोगों के चलते कई पशुओं की मृत्यु हो जाती है |

कौन से पशु पर कितना अनुदान/ मुआवजा दिया जायेगा  

बिहार सरकार के द्वारा चलाई जा रही सहाय अनुदान योजना के तहत पशुपालकों को अलग–अलग पशुओं की मृत्यु पर अलग–अलग राशि दी जाएगी | इसके लिए बिहार पशुपालन विभाग ने पशुओं के आधार पर अनुदान राशि तय कर दी है जो इस प्रकार है :-

दुधारू पशु की मृत्यु पर दिया जाने वाला अनुदान/मुआवजा :-

इसके तहत गाय तथा भैंस की मृत्यु पर पशुपालक को प्रति पशु 30,000 रुपये दिए जाएंगे | अधिकतम तीन पशुओं पर ही यह सहायता राशि दी जाएगी  |

भारवाही (Draught)पशु की मृत्यु पर दिया जाने वाला अनुदान/मुआवजा:-
  • इसके तहत बोझ ढोने वाले पशुओं को शामिल किया गया है | जैसे ऊँट/ घोड़ा/ बैल हेतु प्रति पशु 25,000 रुपये दिए जाएंगे | यह राशि अधिकतम तीन पशुओं के लिए ही दी जाएगी |
  • इसके अलावा बछड़ा/ गधा/ खच्चर / टट्टू हेतु प्रति पशु 16,000 रुपये दिए जाएंगे | यह राशि अधिकतम 6 पशुओं के लिए दी जाएगी |
मांस उत्पादक पशु की मृत्यु पर दिया जाने वाला अनुदान/मुआवजा :-

इसके तहत दो प्रकार के मांस उत्पादक पशुओं में बांटा गया है तथा सभी के लिए अलग-अलग राशि दिए जाने का प्रावधान है |

  • व्यस्क भेड़/ सूकर/ बकरी हेतु प्रति पशु रूपये 3,000 दिए जायेंगे |
  • (अवयस्क भेड़ / सूकर / बकरी (9 माह से कम उम्र की) हेतु प्रति पशु 1,000 रुपये दिया जायेगा | (तीन छोटे पशु = 01 बड़ा पशु मन गया है) एक परिवार को अधिकतम 30 बड़े पशुओं के लिए दिया जायेगा |

कब दिया जायेगा अनुदान/मुआवजा

पशुपालक के घर पर कोई भी मवेशी जो प्राकृतिक कारणों से मर जाता है उस अवस्था में पशुपालक सहाय्य अनुदान योजना का लाभ प्राप्त कर सकता है | प्राकृतिक आपदा के अलावे अन्य कारणों (जैसे कुत्ता काटने, जंगली जानवरों के काटने, सांप काटने, एवं दुर्घटना) से अधिक संख्या में मृत्यु होने पर मुआवजा राशि दी जाएगी | इसके अतिरिक्त यथास्थिति असामयिक मृत्यु के अन्य कारणों को भी समय–समय पर विभाग की सहमति से जोड़ा जा सकेगा |

योजना का लाभ कैसे मिलेगा ?

किसी संक्रमण रोग अथवा अप्राकृतिक कारणों से पशुओं की मृत्यु की पुष्टि होने के उपरांत पशुपालक को मुआवजा / सहायता अनुदान दिये जाने हेतु संबंधित प्रखंड पशुपालक पदाधिकारी / भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी द्वारा प्रभावित पशुपालकों से एक फार्म भरकर लिया जायेगा | जिसे संबंधित प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी / भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी एवं जिला पशुपालन पदाधिकारी के द्वारा सत्यापित किया जायेगा | जाँच के उपरांत संबंधित पशुपालक को उनके बैंक खाता में DBT/RTGS/NEFT के माध्यम से अनुमान्य मुआवजा / सहायय अनुदान की राशि का भुगतान किया जायेगा |

अधिक जानकारी के लिए यहाँ संपर्क कर सकते हैं 

पशुओं की मृत्यु पर सहायय अनुदान योजना का लाभ प्राप्त करने के लिए अधिक जानकारी के लिए पशुपालक संबंधित पशु चिकित्सालय / जिला पशुपालन कार्यालय / पशु स्वास्थ्य एवं उत्पादन संस्था, बिहार, पटना से संपर्क किया जा सकता है | दूरभाष संख्या :- 0612–2226049

जानिए इस वर्ष आपके जिलें में कौन सी कंपनी ने किया है फसल बीमा और क्या हैं उनके टोल फ्री नम्बर

फसल बीमा कंपनी और टोल फ्री नम्बर

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ फसलों का बीमा करवाने की अंतिम तिथि खत्म हो चुकी है | सभी राज्यों में अलग-अलग जिलों में क्लस्टर के अनुसार फसल बीमा कंपनियों के द्वारा बीमा किया गया है | ऐसे में किसानों के लिए यह जानना आवशयक है कि किस कंपनी द्वारा उसकी फसल का बीमा किया गया है एवं उस कंपनी का टोल फ्री नम्बर क्या है ? क्योकि किसी भी प्राकृतिक आपदा या कीट-व्याधि से फसल के नुकसान होने पर किसान फसल बीमा का क्लेम कर सकें |

मध्यप्रदेश राज्य में सरकार द्वारा वित्त वर्ष 2021-22 में फसल बीमा हेतु 3 कंपनियों का चयन किया गया है | ये कंपनिया एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी, एच.डी.एफ.सी. एर्गो एवं रिलायंस जनरल हैं | सरकार ने इन कंपनियों के लिए अलग-अलग क्लस्टर बनाएं हैं जिसके अनुसार जिलेवार किसानों की फसलों का बीमा किया गया है | किसान समाधान जिलेवार किस कम्पनी ने फसलों का बीमा किया है एवं उनका टोल फ्री नम्बर क्या है इसकी जानकारी लेकर आया है |

प्रदेश में इन तीन कंपनियों ने किया है फसलों का बीमा

मध्यप्रदेश राज्य सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ फसल 2021–22 के लिए तीन कंपनियों से करार किया है | यह तीन कंपनियां इस प्रकार है :-

  1. एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी
  2. एच.डी.एफ.सी. एर्गो
  3. रिलायंस जनरल

किस जिले में कौन सी कंपनी ने किया है फसल बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत 3 कंपनियों के द्वारा खरीफ फसल 2021–22 का बीमा किया गया है | फसल बीमा के लिए राज्य में जिलेवार 11 क्लस्टर बनाये गए हैं, इसमें से 9 क्लस्टर के लिए एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी तथा एक–एक क्लस्टर के लिए एच.डी.एफ.सी. एग्रो तथा रिलायंस जनरल को काम दिया गया है |

क्लस्टर का बटवारा इस प्रकार किया गया है :-

क्लस्टर में शामिल जिले
बीमा कंपनी

उज्जैन

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

मंदसौर, नीमच, रतलाम

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

देवास, इंदौर

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

शाजापुर, आगर, मालवा

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

सीहोर, भोपाल

रिलायंस जनरल

रायसेन, विदिशा

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

धार, झाबुआ, अलीराजपुर, खण्डवा, खरगौन, बड़वानी, बुरहानपुर

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

 

ग्वालिर, शिवपुर, गुना, दतिया, अशोकनगर, मुरैना, श्योपुरकला, भिण्ड, राजगढ़,

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

 

जबलपुर, कटनी, मंडला, बालाघाट, छिंदवाडा, नरसिंहपुर, डिंडोरी, सिवनी, शहडोल, अनुपपुर, उमरिया

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

 

होशंगाबाद, हरदा, बैतूल

एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी

रीवा, सीधी, सतना, सिंगरौली, सागर, दमोह, छतरपुर, टीकमगढ़, पन्ना, निवाड़ी

एच.डी.एफ.सी. एर्गो

 

फसल बीमा कंपनियों के टोल फ्री नम्बर

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल की बुआई से लेकर कटाई तक यदि फसलों को नुकसान होता है तो किसानों को फसल बीमा क्लेम करने के लिए कम्पनी को 72 घंटे के अंदर कंपनी के टोल फ्री नंबर पर फोन करके सूचना देनी होती है जिसके बाद फसल का सर्वे किया जाता है  | सर्वे के अनुसार फसल नुकसानी का आंकलन कर किसानों को फसल बीमा राशि दी जाती है इसलिए किसानों के पास फसल बीमा कंपनियों के टोल फ्री नम्बर होना आवश्यक है  जो इस प्रकार है :-

  • एग्रीकल्चर इंश्योरेंस कंपनी – 180002337115 , 1800116515
  • एच.डी.एफ.सी. एग्रो – 18002660700
  • रिलायंस जनरल – 180030024088, 18001024088

एग्री ड्रोन से किसान 400 रुपये में 20 मिनट में 1 एकड़ क्षेत्र में कर सकते हैं खाद, कीटनाशक एवं अन्य दवाओं का छिड़काव

खेतों में एग्री ड्रोन तकनीक से खाद, कीटनाशक एवं अन्य दवाओं का छिड़काव

आपने कई बार अपने क्षेत्र में ड्रोन को उड़ते हुए देखा होगा | ड्रोन का उपयोग फोटो खींचने, जमीन मापने या किसी क्षेत्र की ऊपर से निगरानी के लिए किया जाता है | अब इसी तरह के ड्रोन का प्रयोग कृषि कार्य करने के लिए भी किया जाने लगा है | भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के वैज्ञानिक किसानों की आय बढ़ाने के लिए नई-नई तकनीक विकसित कर रहे हैं जिससे किसान कम लागत में प्रति हेक्टेयर अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके | ऐसी ही एक नई तकनीक “एग्री-ड्रोन” का प्रयोग छत्तीसगढ़ के कृषि विज्ञान केंद्र सुरगी राजनांदगांव में एग्री ड्रोन के माध्यम से नैनो यूरिया के छिड़काव तकनीक का प्रदर्शन किया गया।

किसानों की आजीविका को बेहतर बनाने के लिये इस योजना के तहत किसानों को उन्नत तकनीकों की जानकारी समय-समय पर दी जाती है। डीबीटी बायोटेक किसान हब के तहत इन किसानों को हाई टेक खेती के तर्ज पर ड्रोन तकनीक का प्रदर्शन अम्बागढ़ चौकी विकासखंड के पांच ग्राम सोनसायटोला, मांगाटोला, कौडूटोला, भड्सेना एवं सेम्हरबन्धा के किसानों के लिये किया गया।

क्या है खाद, कीटनाशक एवं अन्य दवाओं के छिडकाव की एग्री ड्रोन तकनीक

एग्री ड्रोन तकनीकी के माध्यम से 1 एकड़ क्षेत्र में 20 लीटर पानी का उपयोग कर 20 मिनट में 1 एकड़ क्षेत्र में छिड़काव किया गया | जबकि हस्त चलित स्प्रे पंप से छिड़काव करने पर 1 एकड़ हेतु 400 से 500 लीटर पानी का उपयोग किया जाता है | जिसमें 2 श्रमिक 1 एकड़ क्षेत्र को 1 दिन में छिड़काव करते हैं। एग्री ड्रोन तकनीक द्वारा कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रक्षेत्र में लगे धान फसल में नैनो यूरिया के छिड़काव का प्रदर्शन किया गया। यह एग्री ड्रोन बैट्री चलित है इसकी बैटरी बिजली से चार्ज होती है। बैटरी को चार्ज करने में 20 मिनट का समय लगता है। इस ड्रोन की कीमत 6 लाख 50 हजार रूपए है। इस एग्री ड्रोन के द्वारा सभी प्रकार के उर्वरक, कीटनाशक, फफूंद नाशक एवं रसायनों का छिड़काव किया जा सकता है।

400 रुपये प्रति एकड़ की दर से किराये पर ले सकते हैं एग्री ड्रोन

तमिलनाडु की कंपनी गरूड़ा ऐरो स्पेस द्वारा विकसित एग्री ड्रोन तकनीक विकसित की है | एग्री ड्रोन का कंपनी द्वारा प्रति एकड़ 400 रूपए किराया निर्धारित किया है। इस एग्री ड्रोन तकनीकी की जिले के कृषकों द्वारा प्रशंसा की गई तथा भविष्य में इस तकनीक को अपनाने की इच्छा भी जाहिर की |

17 लाख से अधिक गौ-भैंस वंशीय पशुओं का किया जायेगा निशुल्क कृत्रिम गर्भाधान

गौ-भैंस वंशीय पशुओं का निशुल्क कृत्रिम गर्भाधान

वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने किसानों एवं पशुपालकों की आय बढ़ाने एवं देश में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने के लिए कृत्रिम गर्भाधान कर्यक्रम की शुरूआत की थी | योजना के तहत देश के सभी गौ-भैंस वंशीय पशुओं कृत्रिम गर्भाधान किया जाना है | कार्यक्रम के दो चरण पूर्ण हो चुके हैं अब इस वर्ष मध्यप्रदेश में 1 अगस्त 2021 से तृतीय चरण की शुरुआत हो चुकी है |

भारत सरकार द्वारा राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के क्रियान्वयन के लिये मध्यप्रदेश को देश में सर्वाधिक 63 करोड़ 43 लाख रूपये से अधिक की राशि स्वीकृत की गयी है। इसमें से 26 करोड़ 77 लाख 66 हजार की राशि जारी कर दी गई है। पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री श्री प्रेमसिंह पटेल ने बताया कि देश के 14 राज्यों के लिये स्वीकृत राशि में से सर्वाधिक राशि मध्यप्रदेश को राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम के द्वितीय चरण में 50 हजार गौ-भैंस वंशीय मादा पशुओं में लक्ष्य के विरूद्ध 17 लाख 55 हजार कृत्रिम गर्भाधान के कारण मिली है।

कार्यक्रम के तहत अभी तक किया गया  पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान

मध्यप्रदेश राज्य में योजना का प्रथम चरण 15 सितंबर 2019 से 31 मई 2020 तक और द्वितीय चरण एक अगस्त 2020 से 31 जुलाई 2021 तक क्रियान्वित किया गया। कार्यक्रम के प्रथम चरण में 8 लाख 10 हजार और द्वितीय चरण में 17 लाख 55 हजार कृत्रिम गर्भाधान 31 जुलाई 2021 तक सम्पन्न हुए। कार्यक्रम का द्वितीय चरण 1 अगस्त 2020 से 31 जुलाई 2021 तक प्रदेश के सभी जिलों में सम्पन्न किया गया। इसमें 500 गाँवों में 50 हजार गौ-भैंस वंशीय पशुओं में कृत्रिम गर्भाधान का लक्ष्य था।

31 मई 2022 तक चलेगा कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम का तीसरा चरण

मध्यप्रदेश के अपर मुख्य सचिव श्री जे.एन. कंसोटिया ने बताया कि कार्यक्रम में राष्ट्रव्यापी कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (NAIP-|||) का तृतीय चरण प्रदेश के सभी जिलों में 1 अगस्त 2021 से प्रारंभ होकर 31 मई 2022 तक चलेगा। जो गाँव कार्यक्रम के प्रथम एवं द्वितीय चरण में वंचित रहे गये थे, उन्हें तृतीय चरण में प्राथमिकता दी जायेगी। तृतीय चरण में प्रदेश के सभी जिलों में 17 लाख 24 हजार पशुओं में (51.70 लाख) कृत्रिम गर्भाधान का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

कृत्रिम गर्भाधान कार्यकर्ता को 150 रूपये प्रति सफल कृत्रिम गर्भाधान पर और 100 रूपये द्वितीय पर और 100 रूपये प्रति वत्स उत्पादन पर प्रोत्साहन राशि भी दी जायेगी। प्रदेश के गौ-भैंस वंशीय पशुओं का नि:शुल्क कृत्रिम गर्भाधान किया जायेगा यूआईडी टेड लगाकर पशु का पंजीयन कर जानकारी इनॉफ सॉफ्टवेयर पर अपलोड की जायेगी। कृत्रिम गर्भाधान से गर्भधारण सुनिश्चित करने के लिये मार्गदर्शिका तथा सायबर डायरेक्टरी केन्द्रीय वीर्य संस्थान तथा वेबसाइट पर उपलब्ध है।