गन्ने के मूल्य में की गई 5 रुपये की वृद्धि, जानें अब किन दामों पर किसान बेच सकेंगे गन्ना

गन्ने का लाभाकरी मूल्य FRP 2021-22

केंद्र सरकार प्रत्येक वर्ष गन्ने का मूल्य तय करती है, जिसको उचित एवं लाभकारी मूल्य (एफआरपी) कहते हैं | 1966 से ही देश में गन्ने का मूल्य केंद्र सरकार के द्वारा घोषित किया जाता है | प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी केंद्र सरकार ने देश के किसानों के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य तय कर दिया है | सरकार ने गन्ने के मूल्य में वृद्धि करने के बाद बताया है कि किसानों को लागत का 87.1 प्रतिशत अधिक दिया जा रहा है | सरकार के अनुसार देश में गन्ने के औसतन उत्पादन लागत 155 रूपये प्रति क्विंटल है |

गन्ने के लाभकारी मूल्य FRP में की गई वृद्धि

वर्ष 2021–22 के लिए केंद्र सरकार ने गन्ने के मूल्य में 5 रूपये प्रति क्विंटल की वृद्धि की है | जिसके चलते वर्ष 2021–22 के लिए गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य 290 रूपये प्रति क्विंटल हो गया है | पिछले वर्ष गन्ने के मूल्य में 10 रूपये प्रति क्विंटल वृद्धि की गई थी |

केंद्र द्वारा घोषित उचित एवं लाभकारी मूल्य देश के सभी राज्यों में लागू नहीं होता है | बल्कि अलग–अलग राज्य सरकारें अपने राज्य के किसानों की स्थिति के अनुसार अलग से गन्ने का मूल्य तय करती है | इसे स्टेट एडवायजरी प्राइस (एसपी) कहा जाता है | राज्यों के द्वारा जो एसपी तय किया जाता है वह केंद्र के द्वारा घोषित उचित एवं लाभकारी मूल्य से ज्यादा होता है |

जैसे पिछले वर्ष गन्ने का उचित एवं लाभकारी मूल्य 285 रूपये प्रति क्विंटल था जबकि उतर प्रदेश सरकार ने गन्ने का एसपी 315 रूपये प्रति क्विंटल घोषित किया था |

देश में अभी तक किसानों को नहीं हो पाया है बकाया राशि का भुगतान

एक तरफ गन्ने के मूल्य में मामूली वृद्धि की जा रही है तो दूसरी तरफ किसानों को बकाया का भुगतान नहीं हो पा रहा है | जिसके चलते किसान लगातार कर्ज में जा रहे हैं | वर्तमान चीनी सीजन 2020–21 में 91,000 करोड़ रूपये मूल्य के करीब 2,976 लाख टन गन्ने का भुगतान करना है | इसमें से 86,238 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया गया है |

पिछले चीनी सीजन 2019–20 में लगभग 75,845 करोड़ रूप[ये का गन्ना बकाया देय था, जिसमें से 75,703 करोड़ रूपये का भुगतान कर दिया गया है लेकिन अभी भी 142 करोड़ रूपये का बकाया है |

भारत चीनी का कितना निर्यात करता है ?

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बताया कि भारत वर्ष 2017–18, 2018–19 तथा 2019–20 में लगभग 6.2 लाख मीट्रिक टन, 38 लाख मीट्रिक टन तथा 59.60 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया है | चालु वित्त वर्ष में भारत का लक्ष्य 60 लाख मीट्रिक टन चीनी निर्यात का लक्ष्य है |

देश में कितना गन्ना का उत्पादन होता है ?

भारत ब्राजील के बाद सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक देश है | देश में प्रत्येक वर्ष लगभग 400 मिलियन टन गन्ने का उत्पादन होता है | ज्यादातर गन्ने को किसान चीनी मीलों को देते हैं जिससे चीनी तथा एथानाल बनाया जाता है | वर्ष 2019 के अनुसार देश भर में 746 चीनी मिलें हैं | जिनमें सहकारी में 324, सार्वजनिक क्षेत्र में 44 तथा निजी क्षेत्र में 378 है | जिनमें से 529 चीनी मिलें अभी भी चल रही हैं |

सब्सिडी पर कृषि यन्त्र लेने के लिए बुकिंग प्रक्रिया शुरू, जाने कैसे करें आवेदन

अनुदान पर कृषि यन्त्र लेने हेतु आवेदन

देश में अधिक से अधिक किसानों को कृषि यन्त्र उपलब्ध करवाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा कई योजनायें चलाई जा रही है | योजना के तहत अलग-अलग राज्य सरकारों के द्वारा अलग-अलग समय पर किसानों से कृषि यंत्र अनुदान पर उपलब्ध करवाने के लिए किसानों से आवेदन आमंत्रित करती है | मध्यप्रदेश, हरियाणा, बिहार के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध करने के लिए कृषि यंत्रों एवं कस्टम हायरिंग केंद्र खोलने के लिए किसानों से ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किये हैं |

उत्तर प्रदेश सरकार 50 हजार से ज्यादा किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र देने जा रही है | यंत्र पहले आओ, पहले पाओ की तर्ज पर वितरित किए जाएंगे | बुकिंग की प्रक्रिया 23 अगस्त से शुरू होनी थी लेकिन प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के आकस्मिक निधन और राजकीय अवकाश के बाद इसकी तारीखों में बदलाव किया गया, बुकिंग अब 24 और 26 अगस्त को दोपहर तीन बजे से शुरू होगी |

कृषि यंत्रों पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी ?

योजना के तहत चयनित लाभार्थी को योजना के तहत लागत की 40 से 50 प्रतिशत तक की सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | सब्सिडी के लिए विभाग ने नियम तय कर दिए गए हैं | अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति तथा सभी वर्ग की महिला किसानों को योजना के तहत लागत का 50 प्रतिशत सब्सिडी दिए जाने का प्रावधान है | कस्टम हायरिंग के लिए अधिकतम 12.50 लाख रूपये की सब्सिडी दी जाएगी |

इसी प्रकार सामान्य वर्ग के पुरुष किसानों को योजना के तहत 40 प्रतिशत की सब्सिडी दिया जायेगा | कस्टम हायरिंग योजना के तहत अधिकतम 10 लाख रूपये की सब्सिडी दिया जायेगा |सभी योजनाओं के लिए 30 प्रतिशत लक्ष्य महिलाओं के लिए आरक्षित रहेगी |

इच्छुक किसान सब्सिडी पर कृषि यंत्र बुक करने के लिए कब कर सकेगें आवेदन

उत्तरप्रदेश में कई प्रकार के कृषि यंत्र के अलावा कस्टम हायरिंग केंद्र के लिए किसानों से आवेदन ऑनलाइन  मांगे गये हैं | इसके तहत किसान 24 अगस्त 2021 के 3 बजे से आवेदन कर सकते हैं | यह आवेदन सोमवार से होना था लेकिन राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के मृत्यु के कारण आवेदन एक दिन देर से शुरू हो रहा है | जबकि कस्टम हायरिंग के लिए आवेदन 26 अगस्त 2021 से शुरू हो रहे हैं | राज्य के इच्छुक किसान इन कृषि यंत्रों के लिए आवेदन कर सकते हैं |

कृषि यंत्र देने के लिए लक्ष्य कितना है

यूपी सरकार ने कृषि यंत्रों के लिए लक्ष्य अलग–अलग निकाला है | इस वर्ष राज्य सरकार ने 50 हजार से अधिक किसानों को अनुदान पर कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने का लक्ष्य रखा है | हायरिंग सेंटर की स्थापना के लिए राज्य के सभी जिलों के लिए 1400 का लक्ष्य रखा गया है | जबकि स्माल, गोदाम, थ्रेसिंग फ्लोर के लिए लक्ष्य 29,332 रखे गए हैं | इसके अलावा अन्य प्रकार के कृषि यंत्रों के लिए राज्य के सभी जिलों के लिए लक्ष्य 19,969 का रखा गया है |

किसानों को जमा करना होगा टोकन मनी

कई बार देखा गया है की किसान पंजीयन करने के बाद भी कृषि यंत्रों का क्रय नहीं कर पाते हैं | इसके कारण दुसरे किसान योजना से वंचित रह जाते हैं |  इस बार राज्य सरकार ने सभी कृषि यंत्रों के लिए टोकन मनी अनिवार्य कर दिया है | योजना के लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को 2.5 लाख तक के कृषि यंत्रों के लिए 2500 रुपये तथा 2.5 लाख से ज्यादा के कृषि यंत्र / कस्टम हायरिंग के लिए 5,000 रुपया का टोकन मनी ड्राफ्ट के रूप में जमा करना होगा |

योजना के तहत आवेदन हेतु पात्रता

कृषि यंत्रीकरण योजना के अनुसार प्रदेश के सभी पंजीकृत किसान ही अनुदान के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे | जो किसान एफपीओ, NRLM या अन्य कृषक समितियों से जुड़े हैं, वे पंजीकरण संख्या भरकर टोकन प्राप्त कर सकते हैं | प्रदेश में पंजीकृत किसानों की संख्या लगभग तीन करोड़ है | पंजीकारण के साथ ही किसानों को यंत्र के लिए टोकन मनी भी जमा करना पड़ेगा |

अनुदान पर कृषि यन्त्र लेने हेतु कैसे करें आवेदन

उत्तर प्रदेश के इच्छुक किसान सबसे पहले किसानों को पारदर्शी किसान सेवा योजना की आधिकारिक वेबसाईट http://upagriculture.com/default.aspx पर जाना होगा | इसके बाद वेबसाईट का होम पेज खुल जाएगा, जिस पर यंत्र पर अनुदान हेतु टोकन निकालने के विकल्प में क्लिक करना है |

अगले पेज में आवेदक को यंत्र टोकन की व्यवस्था के कई विकल्प दिखाई देंगे | इनका किसान भाई को अपने अनुसार चुनाव करना है | इसके बाद आवेदक किसान को अपने जनपद का चुनाव करके पंजीकरण संख्या का विकल्प का चुनाव कर रजिस्ट्रेशन नंबर दर्ज करना है | जब सारी जानकारी भर दी जाए, तब सर्च के बटन में क्लिक करें | इसके अंतर्गत आवेदक किसान को अपने उपकरण का चुनाव करना होगा | फिर आगे बढ़े के विकल्प पर क्लिक करना है | इसके आगे के पेज में आवेदक से पूछी गई सारी जानकारी दर्ज करना है |

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें

सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने के लिए आवेदन करें

कृषि यंत्र अनुदान हेतु आवेदन

कम समय तथा कम भूमि में अधिक उत्पादन के लिए कृषि यंत्रों का प्रयोग करना जरुरी है | कृषि यंत्रों के प्रयोग से न सिर्फ खेती करना आसान हो जाता है बल्कि कृषि यंत्र आमदनी का एक जरिया भी है | लेकिन कृषि यंत्रों की अधिक कीमत के कारण सभी किसानों के लिए कृषि यंत्र खरीद पाना मुश्किल है | इसलिए केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र में कृषि यंत्रों को बढ़ते जरूरत को ध्यान में रखते हुए देश भर के किसानों के लिए इन सीटू क्रोप रेजिड्यू मैनेजमेंट CRM स्कीम चलाई जा रही है | इस स्कीम के तहत देश के अलग–अलग राज्यों के किसानों को कृषि यंत्र सब्सिडी पर उपलब्ध करवाए जा रही है | इसी क्रम में हरियाणा सरकार ने राज्य के किसानों को सब्सिडी पर कृषि यंत्र एवं कस्टम हायरिंग केंद्र उपलब्ध करने के लिए ऑनलाइन आवेदन आमंत्रित किए हैं | 

कृषि यंत्रों पर कितनी सब्सिडी दी जाएगी

प्रत्येक कृषि यंत्र पर उपलब्ध अनुदान भारत सरकार द्वारा निर्धारित किए गए अधिकतम मूल्य का 50 प्रतिशत अथवा भारत सरकार द्वारा निर्धारित अधिकतम अनुदान राशि (जो भी कम हो) दिया जायेगा | इन उपकरणों की खरीद कृषि तथा किसान कल्याण विभाग हरियाणा द्वारा अधिकतम तथा सूचीबद्ध कृषि यंत्र निर्माताओं से करनी अनिवार्य है | इसके अतिरिक्त कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापना हेतु 80 प्रतिशत अनुदान पर कृषि यंत्र दिये जा रहे हैं |

किसान अनुदान प्राप्त करने के लिए कब तक कर सकेंगे आवेदन ?

कस्टम हायरिंग केंद्र की स्थापना के लिए इन सीटू क्रोप रेजिड्यू मैनेजमेंट स्कीम के तहत आवेदन शुरू हो चुका है | कृषि उपकरणों पर सब्सिडी के लिए (CRM स्कीम 2021-2022) के तहत आवेदन 07/09/2021 तक कर सकते हैं | व्यक्तिगत किसान द्वारा अधिक से अधिक 3 कृषि यंत्रों को अनुदान पर प्राप्त करने के लिए आवेदन किया जा सकता है | अनुदान का लाभ लेने हेतु मेरी फसल मेरा ब्यौरा योजना के तहत किसानों का पंजीकरण होना अनिवार्य है |

5 हजार रूपये तक का ई-चलान जमा करना होगा 

योजना के तहत आवेदन करने के लिए लाभार्थी को ई-चलान जमा करना होगा | 2.50 लाख रूपये तक अनुदान वाले कृषि यंत्र के लिए 2500 रूपये का तथा 2.50 से अधिक अनुदान वाले कृषि यंत्र के लिए 5 हजार का ई-चलान जमा करना होगा |

आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज

किसान आँनलाइन आवेदन के लिए विभिन्न प्रकार के दस्तावेज अपने पास रखें, जिससे आवेदन करने में आसानी होगी | यह सभी दस्तावेज इस प्रकार है:-

  • आधार कार्ड,
  • मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर पंजीकरण की प्रति,
  • पैनकार्ड,
  • बैंक पास बुक की प्रथम पेज कि कॉपी,
  • ट्रैक्टर की आर.सी,
  • भूमि कि जानकारी हेतु आवश्यक दस्तावेज पटवारी की रिपोर्ट,

यह सभी दस्तावेज तैयार करके अपने पास रखने होंगे, जबकि खरीदी गई मशीन का विभाग भौतिक सत्यापन किया जाएगा तब  दस्तावेज की जांच की जाएगी | उपयुक्त दस्तावेज अपने जिला के सहायक कृषि अभियन्ता कार्यालय में जमा करवाने होंगे, ताकि उनकी पात्रता सुनिश्चित की जा सके। अगर दस्तावेज में किसी प्रकार की कोई कमी अथवा गलत जानकारी पाई गई तो किसान अनुदान पात्र नहीं होगा |

किसान अनुदान पर  कृषि यंत्रों  के लिए यहाँ करें आवेदन  

 योजना से जुड़े किसी भी प्रकार कि जानकारी के लिए कृषि उप निदेशक / कृषि सहायक अभियन्ता के कार्यालय अथवा राज्य टोल फ्री नंबर 1800-180-1551 पर या अपने ब्लाक या जिले के कृषि विभाग कार्यालय में सम्पर्क कर सकते हैं | इसके लिए अधिक जानकारी विभाग की वेबसाईट www.agriharyana.gov.in या https://www.agriharyanacrm.com/ पर उपलब्ध है |

CRM सब्सिडी पर कृषि यंत्र लेने हेतु आवेदन करने के लिए क्लिक करें 

जानिए क्यों होती है भेड़ एवं बकरियों के वजन में कमी, कैसे बढ़ा सकते हैं भेड़-बकरियों का वजन

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भेड़ एवं बकरियों का वजन

किसानों के लिए खेती के अलावा दूसरा आय का साधन पशुपालन है, इसमें दो प्रकार के पशुपालन किए जाते हैं एक तो दूध प्राप्त करने के लिए और दूसरा मांस के लिए | मांस के लिए अक्सर भेड़ पालन या बकरी का पालन किया जाता है | देश भर में बड़े पैमाने पर भेड़ बकरी का पालन किया जाता, ग्रामीण क्षेत्रों में यह रोजगार एवं आय का मुख्य साधन है | भेड़ तथा बकरी की कमाई इस बात पर निर्भर करता है कि उसका वजन कितना है | भेड़ बकरियों में कई प्रकार की ऐसी बीमारियाँ उत्पन्न हो जाती है जीससे भेड़ बकरी का वजन कम हो जाता है |

पशुओं के समूह इस तरह बनायें

रेवड़ के पशुओं में दाना और चारे के लिए आपसी प्रतिस्पर्धा भी शरीर के वजन को कम कर सकती है | आमतौर पर पशुओं के समूह में समान प्रबंधन त्रुटियों के परिणामस्वरूप कमजोर और दब्बू पशुओं में शरीर का वजन प्राय: कम होता जाता है | ताकतवर और बड़े पशु, कमजोर पशुओं के आहार व स्थान पर भी अपना अधिकार जताते हैं | इससे आहार तक पहुँच से वंचित होने के कारण, कमजोर पशु और अधिक कमजोर होते जाते हैं | इसलिए पशुओं उम्र, नस्ल, लिंग, शरीरिक स्थिति आदि के अनुसार समूह बनाना हमेशा उचित होता है |

दांतों की समस्या से भी कम हो सकती है वजन में कमी

दांतों में समस्या के कारण भी चारा चबाने या निगलने की सामान्य प्रक्रिया प्रभावित होती है | भेड़ों में इंसिजर दांत आहार निगलने में प्रयोग किये जाते हैं | निकले हुए दांत, मसूड़े, की सुजन, पीरियडोंटल रोग जैसे मुँह के रोग, निगलने एवं चबाने की प्रक्रिया में परेशानी का कारण हो जाते हैं | इससे सामान्य चारे का सेवन प्रभावित होता है और पशु पर्याप्त आहार से वंचित रह जाता है | वजन कम होने की जाँच में दांत परीक्षण भी एक महत्वपूर्ण हिस्सा होना चाहिए | बढ़े हुए या घिसे हुए दांत, खनिज की कमी या फ्लोरोसिस की अधिकतम से भी हो सकते हैं | चिकित्सकीय रूप से वजन में कमी, इंसिजर दांतों के असामान्य आकार, कड–स्टेनिंग कड – ड्राफ्टिंग, जबड़े की सुजन के रूप में प्रकट होते हैं और ये वजन घटने के कारण हो सकते हैं | इस समस्या के निदान के लिए समय–समय पर पशु मुँह का परीक्षण करवाना चाहिए | कैल्शियम का उपयोग तथा आस्मां दांतों की सतह को खुरचना भी लाभप्रद होता है |

खनिज लवण की कमी से भी हो सकते हैं रोग

कोबाल्ट, काँपर व सेलिनियम अतिआवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व हैं | इनकी कमी अथवा असंतुलन के कारण पशुओं में विभिन्न प्रकार से वजन कम होता है | कोबाल्ट की कमी से शरीरिक वजन में वृद्धि रुक जाती है | उच्च वर्षा, लिंचिंग, उच्च पी–एच, मैंगनीज की अधिकता, शुष्क मिट्टी, रेतीले तटीय मिट्टी आदि में कोबाल्ट स्वाभाविक रूप से कम पाया जाता है | इसी प्रकार काँपर की कमी से मेमने का विकास कम हो जाता है या मृत्यु भी हो जाती है, जिससे पशुपालकों को बहुत नुकसान होता है |

भेड़पालन एवं बकरीपालन में सेलिनियम भी एक महत्वपूर्ण तत्व है | इसकी कमी से मादा पशुओं में गर्भपात और प्रजनन सम्बन्धी समस्या बहुत अधिक हो जाती है इससे पैसा होने वाले मेमने कमजोर अथवा मृत पैदा होते हैं | उनका विकास भी बाधित होता है, जो मेमने जीवित होते हैं, उनमें अचानक म्रत्यु की समस्या अधिक देखि जाती है | इसको वाइट मसल रोग कहा जाता है | इन समस्याओं के निदान के लिए पशुओं को खनिज मिशन पाउडर उचित मात्र में खिलाना चाहिए |

परायक्ष्मा (जोन्स रोग)

यह भेड़ और बकरियों में होने वाला पुराना रोग है | यह वजन घटने की समस्या के लिए सीधे तौर से जिम्मेदार होता हैं | संक्रमित पशु का सही मात्रा में चारा खाते हुए भी वजन कम होना, मांसपेशियों का कम होना, जबड़ों के नीची पानी इकट्ठा होना, खून की कमी, ऊन का झड़ना, गंदी पूंछ और पेरिनियम, बार–बार दस्त लगना आदि इसके लक्षण हो सकते हैं | इस रोग में संक्रमित पशु चरागाह को भी मल त्याग से दूषित करते हैं | नियंत्रण के लिए पशुओं की समय – समय पर जांच, स्वस्थ पशुओं को पालना, खेत में प्रवेश करने से पहले प्रतिस्थापन पशुओं की जांच करना इत्यादि प्रभावी होते हैं |

लंगड़ी रोग (फीटरॉट) / लंगड़ापन / खुरगलन

भेड़ एवं बकरियों के पैरों में सडन या गलन (लंगड़ापन) एक बहुत ही गंभीर समस्या है | यह रोग एक पशु से दुसरे पशु में फैलता है और वजन कम होने का कारण बनता है | खुरों का नरम होना या अधिक गीलापन होना भी इस रोग के मुख्य कारण हो सकते हैं | लंगड़ेपन की वजह से विकास दर कम रह जाती है और पशु अन्य पशुओं से कमजोर होता चला जाता है | इस रोग के निवारण के लिए पशुपालकों को जागरूकता के साथ–साथ फूट्बाथ का इस्तेमाल करना चाहिए तथा गीली जगह से हटाकर समय पर उपचार करवाना चाहिए |

परजीवी संक्रमण

आंतरिक व बाहरी परजीवी संक्रमण शरीर के वजन के नुकसान का कारण बन सकता है | प्रत्येक परजीवी का भेड़ और बकरी को बीमार करने का अपना अलग–अलग तरीका होता है | फीताकृमि, भेड़ और बकरियों की आंत में पोषक तत्वों को अवशोषित करने में सक्षम होती है | इससे शारीरिक वजन बढना बंद हो जाता है | कोक्सीडियन परजीवी आंतों की दीवार को नुकसान पहुंचाते हैं और आंतों से पोषक तत्वों के अवशोषण में बाधा डालते हैं | परजीवी ग्रसित आंत्रशोथ, एक अन्य गोलकृमि, हैमोनक्स के कंटोर्ट्स कारण होता है | यह दुनियाभर के चरागाहों पर चरने वाले मेमनों में सबसे महत्वपूर्ण और गंभीर समस्या है | ज्यादा संख्या में हैमोनकस कंटोर्ट्स कृमियों से गंभीर संक्रमण होता है और खून व प्रोटीन की कमी हो जाती है |

कृषि मंत्री ने किसानों को जल्द ही बीमा क्लेम देने के लिए बीमा कंपनियों को दिए निर्देश

किसानों के बीमा क्लेम के लिए 61 करोड़ रुपए जारी

इस वर्ष देश के कई जिलों में असामान्य मानसून रहने के चलते खरीफ फसलों को काफी नुकसान हुआ है | कहीं बुआई के बाद लम्बे समय तक बारिश का न होना एवं कई जगह अधिक बारिश से बाढ़ की स्थिति पैदा होने से किसानों की बोई गई फसलों को काफी नुकसान हुआ है | कहीं कहीं तो किसानों को दोबारा से बुआई करनी पड़ी है | किसानों को इसके चलते काफी नुकसान हुआ है | ऐसे में राजस्थान सरकार ने निष्फल बुवाई से प्रभावित किसानों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के राज्यांश प्रीमियम के 61 करोड़ 45 लाख रुपए जारी किए हैं।

कृषि मंत्री श्री लालचन्द कटारिया ने बीमा कंपनियों को किसानों को अतिशीघ्र बीमा क्लेम देने के निर्देश दिए हैं। श्री कटारिया ने बताया कि कोटा, बूंदी, धौलपुर एवं करौली जिले के विभिन्न हिस्सों में अतिवृष्टि एवं गंगानगर जिले के कुछ इलाकों में कम बारिश के कारण अधिसूचित फसल की बुवाई प्रभावित हुई है। कहीं बुवाई हो नहीं पाई तो कहीं निष्फल हो गई। ऐसी स्थिति में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के प्रावधान 21.3 के तहत जिला कलक्टरों से निष्फल बुवाई के प्रस्ताव प्राप्त हुए।

इन जिलों के किसानों को दिया जायेगा बीमा क्लेम

अभी तक राज्य सरकार के पास आये फसल नुकसान के सर्वे के अनुसार गंगानगर जिले के 29, करौली के 12, बूंदी के 223, धौलपुर के 19 एवं कोटा जिले के 204 पटवार सर्किल में 75 फीसदी से अधिक क्षेत्र में बुवाई प्रभावित होना सामने आया है, जिनकी राज्य सरकार की ओर से क्षति अधिसूचना जारी की गई है। करौली एवं धौलपुर जिले के लिए 1 करोड़ 24 लाख, बूंदी के लिए 31 करोड़ 20 लाख, कोटा के लिए 7 करोड़ 71 लाख एवं श्री गंगानगर जिले के लिए 21 करोड़ 28 लाख रुपए का राज्यांश प्रीमियम सम्बन्धित बीमा कम्पनियों को हस्तांतरित किया गया है।

बारां एवं झालावाड़ जिले में ज्यादा बरसात से किसानों के व्यक्तिगत फसल खराबे के आवेदन प्राप्त हुए हैं, जिनका सर्वे कराया जा रहा है। सर्वे के पश्चात तत्काल ही राज्यांश प्रीमियम जमा करा दिया जाएगा।

बीमित राशि का 25 प्रतिशत दिया जायेगा मुआवजा

फसल बीमा योजना के इस प्रावधान के तहत कृषक को बीमित राशि का 25 प्रतिशत मुआवजा दिया जाता है। उसके पश्चात बीमा पॉलिसी समाप्त हो जाती है।

21 लाख किसानों को दी गई किसान न्याय योजना के तहत 1522 करोड़ रूपए की दूसरी किश्त

किसान न्याय योजना की दूसरी किश्त

खेती से होने वाली आय की अनिश्चितता एवं खेती की बढती लागत के चलते किसान फसल उत्पादन के लिये आवश्यक आदान जैसे उन्नत बीज, उर्वरक, कीटनाशक, यांत्रिकीकरण एवं नवीन कृषि तकनिकी में पर्याप्त निवेश नहीं कर पाते है | कृषि में पर्याप्त निवेश एवं कास्त लागत में राहत देने के लिये छत्तीसगढ़ सरकार कृषि आदान सहायता हेतु “राजीव गांधी किसान न्याय योजना” चला रही है | योजना के तहत 20 अगस्त को 1522 करोड़ रूपए आदान सहायता के दूसरी किश्त की राशि का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में दी गई ।

21 लाख किसानों को दी गई 1522 करोड़ रुपये की आदान सहायता

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने पूर्व प्रधानमंत्री भारतरत्न स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी की जयंती ’सद्भावना दिवस’ के मौके पर राज्य के धान एवं गन्ना उत्पादक करीब 21 लाख किसानों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत 1522 करोड़ रूपए आदान सहायता के दूसरी किश्त की राशि का भुगतान सीधे उनके बैंक खातों में दी गई। इस राशि में से धान उत्पादक किसानों के खाते में 1500 करोड़ रूपए और गन्ना उत्पादक किसानों के खाते में 22 करोड़ तीन लाख रूपए की राशि अंतरित की गई।

इस वर्ष 21 मई को राजीव जी के शहादत दिवस पर राजीव गांधी किसान न्याय योजना की प्रथम किस्त 1525 करोड़ रूपए की राशि किसानों के खाते में अंतरित की गई थी। 20 अगस्त को इस योजना की दूसरी किस्त की राशि अंतरित की गई है।

कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिए राज्य सरकार द्वारा राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत पिछले वर्ष किसानों को 5702 करोड़ रूपए की आदान सहायता चार किस्तों में दी गई थी। इस वर्ष किसानों को दो किस्तों में 3047 करोड़ रूपए का भुगतान किया जा चुका है। तीसरी किस्त का भुगतान राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर एक नवम्बर को और वित्तीय वर्ष के अंत में चौथी किस्त का भुगतान किया जाएगा।

किसानों को फसल उत्पादन पर दी जाएगी 10,000 रुपये तक की इनपुट सब्सिडी

खरीफ वर्ष 2021-22 में धान के साथ ही खरीफ की सभी प्रमुख फसलों मक्का, सोयाबीन, गन्ना, कोदो कुटकी तथा अरहर के उत्पादकों को भी प्रतिवर्ष 9000 रू. प्रति एकड़ आदान सहायता दी जायेगी। कोदो-कुटकी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 3000 रू. प्रति क्विंटल करने का निर्णय लिया गया है। वर्ष 2020-21 में जिन किसानों ने धान विक्रय एमएसपी पर किया था, वह यदि धान के बदले कोदो कुटकी, गन्ना अरहर, मक्का, सोयाबीन, दलहन, तिलहन, सुगंधित धान अन्य फोर्टिफाइड धान की फसल लेते हैं, अथवा वृक्षारोपण करते हैं तो उसे प्रति एकड़ 9000 रू. के स्थान पर 10,000 रू. प्रति एकड़ इन्पुट सबसिडी दी जायेगी। वृक्षारोपण करने वालों को 3 वर्षों तक अनुदान दिये जाने का निर्णय लिया गया है।

सब्सिडी पर अपने घरों पर सोलर पैनल लगवाना है तो 23 एवं 24 अगस्त को यहाँ जाएँ

अनुदान पर सोलर रूफटॉप संयंत्र

सोलर रूफटॉप के लगाने से एक ओर जहाँ ग्रीन एनर्जी को बढ़ावा मिलाता है वहीं दूसरी ओर जो उपभोक्ता अपने परिसर में सोलर रूफटॉप लगवाते हैं उनको बिजली बिलों में भी राहत मिलती है | सौर उर्जा के अनेकों फायदे होने के चलते केंद्र सरकार द्वारा देश में “सोलर रूफटॉप योजना” चलाई जा रही है | योजना के तहत लाभार्थी को सोलर सयंत्र की स्थापना पर सब्सिडी दी जाती है | योजना का क्रियान्वयन राज्यों के विद्युत् वितरण कंपनियों के द्वारा किया जा रहा है |

देश में अधिक से अधिक लोगों को योजना से जोड़ने के लिए इन बिजली कंपनियों के द्वारा कई प्रयास किये जा रहे हैं | ऐसा ही प्रयास मध्यप्रदेश के उर्जा विभाग द्वारा किया जा रहा है, मध्यप्रदेश में लोगों को योजना के विषय में जानकारी देने के लिए 23 एवं 24 अगस्त को सोलर रूफटॉप की जन-जागृति के लिए अमृत महोत्सव बनाने का फैसला लिया है |

23 एवं 24 अगस्त को मनाया जायेगा सोलर रूफटॉप अमृत महोत्सव

योजना के तहत देश के अधिक से अधिक लोगों को जोड़ने के लिए भारत सरकार के नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा मंत्रालय एवं मध्यप्रदेश ऊर्जा विभाग के अंतर्गत म.प्र. मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भोपाल, पूर्व क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी जबलपुर एवं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी इंदौर द्वारा 23 एवं 24 अगस्त को सोलर रूफटॉप की जन-जागृति के लिए अमृत महोत्सव मनाया जाएगा। महोत्सव में राज्य की तीनों वितरण कंपनियों द्वारा सोलर रूफटॉफ के लिए उपभोक्ताओं में जन-जागृति के लिए कार्यक्रम, सेमिनार और शिविर आयोजित किये जाएंगे।

150 से अधिक कैंप लगाये जाएंगे

महोत्सव में भोपाल सहित मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरों में ग्रुप हाउसिंग सोसायटी/रेसिडेन्सीयल वेलफेयर एसोसिएशन के माध्यम से 150 से अधिक कैम्प आयोजित किये जाना है। भोपाल शहर में लगभग 32 परिसरों में सोलर रूफटॉफ को बढ़ावा देने के लिए कैम्प आयोजित किये जा रहे हैं। इस मौके पर 24 अगस्त को आईएएस गेस्ट हाउस, चार इमली में भी जन-जागृति शिविर लगाया जाएगा।

सोलर रूफटाप पैनल से होने वाले लाभ

अपने घर/ग्रुप हाउसिंग सोसायटी की छत/लगी हुई खुली जगह पर सोलर पैनल लगायें और बिजली पर होने वाले खर्च को बचायें। सोलर पैनल से बिजली 25 साल तक मिलेगी और इसके लगाने के खर्च का भुगतान 4-5 वर्षों में बराबर हो जाएगा। इसके बाद अगले 20 वर्षों तक सोलर से बिजली का लाभ सतत् मिलता रहेगा। इससे कार्बन फुटप्रिंट कम होगा और पर्यावरण को लाभ मिलेगा। 1 कि.वा. सौर ऊर्जा के लिए लगभग 10 वर्ग मीटर की जरूरत होती है ।

सोलर पैनल (Rooftop Solar Scheme ) योजना के तहत दी जाने वाली सब्सिडी

भारत-सरकार के नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय द्वारा प्रदेश के घरेलू उपभेक्ताओं द्वारा स्थापित 3 किलोवाट क्षमता तक के संयंत्रों पर 40 प्रतिशत अनुदान तथा 3 किलोवॉट से 10 किलोवाट क्षमता तक 20 प्रतिशत राशि अनुदान के रूप में उपलब्ध करवायी जा रही है। इन सौर ऊर्जा संयंत्रों की स्थापना से प्रति किलोवॉट प्रति दिवस लगभग 4 यूनिट विद्युत का उत्पादन होता है तथा उपभोक्ता द्वारा व्यय की गई समस्त राशि लगभग 4 वर्ष में वसूल हो जाती है तथा संयंत्र की आयु लगभग 25 वर्ष होती है । इन संयंत्रों की स्थापना के उपरांत 5 वर्ष तक रख-रखाव की जिम्मेदारी भी निगम के अनुमोदित वेंडर्स की होती है।

सोलर रूफटॉप पर कीमत कितनी आएगी

  • 1 कि.वा. से ऊपर – 3 कि.वा. तक –  रू. 37000/- प्रति कि.वा.
  • 3 कि.वा. से ऊपर -10 कि.वा. तक –  रू. 39800/- प्रति कि.वा.
  • 10 कि.वा. से ऊपर -100 कि.वा. तक –  रू. 36500/- प्रति कि.वा.
  • 100 कि.वा. से ऊपर -500 कि.वा. तक – रू. 34900/- प्रति किवा.

मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी ने कहा है कि उक्त राशि में सब्सिडी शामिल है, सब्सिडी घटाकर एजेन्सी को भुगतान की जाने वाली राशि 3 कि.वा. हेतु  66,600 रुपये और 5 कि.वा. 1,35,320 रुपये है। ग्रुप हाउसिंग सोसायटी को कॉमन सुविधा वाले संयोजन पर 500 कि.वा. तक (10 कि.वा. प्रति घर) 20 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी।

अनुदान पर पर सोलर सयंत्र हेतु आवेदन कहाँ करें

इच्छुक व्यक्तियों को अपने क्षेत्र से संबंधित डिस्कॉम या बिजली कार्यालय में जाकर सम्पर्क कर आवेदन कर सकते हैं | अधिक जानकारी के लिए, संबंधित डिस्कॉमसे संपर्क करें या एमएनआरई के टोल फ्री नंबर 1800-180-3333 पर डायल करें। मध्यप्रदेश में इच्छुक व्यक्ति कंपनी द्वारा अधिकृत एजेंसी, तकनीकी विवरण, सब्सिडी एवं भुगतान की जाने वाली राशि की जानकारी हेतु मध्य क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के निकटतम कार्यालय, कंपनी की वेबसाईट portal.mpcz.in के मुख्य पृष्ठ पर देखें या टोल फ्री नंबर 1912 पर संपर्क करें। 

1 सितम्बर से यहाँ दी जाएगी मशरूम उत्पादन के लिए ट्रेनिंग, अभी करें आवेदन

मशरूम उत्पादन के लिए प्रशिक्षण

कृषि के क्षेत्र में ऐसे कम ही उत्पाद हैं जो छोटी सी जगह या घर में अधिक उत्पादन और मुनाफा देते हैं | मशरूम इन उत्पादों में से एक है | पिछले कुछ वर्षों से मशरूम की खेती को सरकार द्वारा काफी बढ़ावा दिया जा रहा है क्योंकि यह किसानों की आमदनी बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है | किसानों को मशरूम उत्पादन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार मशरूम की खेती पर सब्सिडी एवं प्रशिक्षण भी देती है |

नई तरह की फसल होने के कारण एवं अलग-अलग तरह के मशरूम के उत्पादन के लिए किसानों के लिए प्रशिक्षण लेना जरुरी हो जाता है ताकि किसान इसका उत्पादन बिना किसी नुकसान के कर सकें | साथ ही कृषि विश्वविद्यालयों एवं कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों मशरूम की खेती के लिए ट्रेनिंग के आलवा उसके विभिन्न उत्पाद तैयार करने के लिए भी प्रशिक्षण देती है ताकि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन के साथ ही उद्यम स्थापित किये जा सकें | प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी बिहार के समस्तीपुर में डॉ.राजेन्द्र प्रसाद विश्वविध्यालय की तरफ से किसानों को मशरूम के विभन्न विषयों पर प्रशिक्षण दिया जा रहा है |

मेडिसिनल मशरूम खेती तकनीक पर दिया जायेगा प्रशिक्षण

पूसा के द्वारा किसानों को मशरूम पर कई प्रकार की ट्रेनिंग दिया जाता है | इस बार पूसा के द्वारा “एंटरप्रेन्योरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम” तथा “मेडिसिनल मशरूम खेती तकनीक” पर दिया जायेगा |

आवेदन के लिए कितने सीटें तथा कब शुरू हो रहा है ?

सितम्बर माह में मशरूम पर दो प्रकार के प्रशिक्षण दिये जाएंगे | दोनों की प्रशिक्षण अवधि अलग–अलग है | जो इस प्रकार है:-

  • मेडिसिनल मशरूम खेती तकनीक पर 1 सितम्बर से 03 सितम्बर 2021 तक चलने वाली ट्रेनिग प्रोगाम के लिए 40 अभियार्थी का चयन किया जाएगा |
  • एंटरप्रेन्योरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम 1 सितम्बर से 30 सितम्बर तक चलने वाले ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए 10 अभियार्थी का चयन किया जायेगा |

इस ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए “पहले आओ पहले पाओ” के सिद्धांत पर किया जायेगा |

प्रशिक्षण (Training) कब तककराये पंजीयन ?

इंटरप्रेनुअरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम तथा मशरूम स्पान प्रोडक्शन टेक्नोलॉजी पर प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए पंजीयन शुरू हो चुके है | यह पंजीयन 25 अगस्त 2021 तक किये जाएंगे | आवश्यक अभ्यर्थियों की संख्या पूर्ण होने तक ही आवेदन किये जा सकेंगे |

ट्रेनिंग के लिए कितना शुल्क देना होगा ?

सितम्बर माह में मशरूम पर दो प्रकार की ट्रेनिंग दी जा रही है | दोनों के लिए फीस अलग–अलग है जो इस प्रकार है | जहाँ एंटरप्रेन्योरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए फीस 10,000 रुपये रखी गई है वहीँ मेडिसिनल मशरूम खेती तकनीक के लिए फीस 600 रुपये है | इसके अलवा प्रशिक्षण के लिए रहने तथा खाने के लिए अलग से शुल्क देना होगा या फिर आप खुद से व्यवस्था कर सकते हैं |

प्रशिक्षण हेतु पंजीयन कहाँ करवाएं

पंजीयन के लिए आवेदक डॉ. राजेन्द्र प्रसाद पूसा केन्द्रीय कृषि विश्वविध्यालय समस्तीपुर से सम्पर्क कर सकते हैं | कोई भी प्रतिभागी आवेदन करना चाहते हैं तो वह ऑनलाइन भी आवेदन कर सकते हैं | इसके लिए आवेदक को एक फार्म भरकर तथा ट्रेनिंग प्रोग्राम के अनुसार ऑनलाइन जमा करके फार्म को आनलाइन भेज दें |

इसके अतिरिक्त इच्छुक किसान भाई-बहन अपने जिले के कृषि विज्ञान केंद्र अथवा अपने राज्य के कृषि विश्वविद्यालय से भी मशरूम की ट्रेनिंग ले सकते हैं |

मशरूम ट्रेनिंग हेतु आवेदन फार्म डाउनलोड करने के लिए क्लिक करें

प्रशिक्षण हेतु Fees कहाँ जमा करवाएं ?

आवेदक इस पते पर डी.डी. बनवाकर राशि जमा कर सकते हैं किसान जो डीडी जमा किया जाते उसकी एक छायाप्रति अपने पास रखें |

  • खाता धारक का नाम – mushroom revolving fund
  • खाता संख्या – 4512002100001682
  • आई.एफ.एस.कोड. – PUNB0451200
  • बैंक का नाम – PUNJAB NATIONAL BANK, RAU PUSA BRANCH

यह फार्म डाउनलोड करके प्रिंट निकाल लें तथा हाथ से भरकर इस पर ई-मेल कर दें | दी गई मेल आईडी पर मेल कर सकते हैं [email protected]

पाम की खेती के लिए सरकार किसानों देगी 29 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर का अनुदान

अनुदान पर पाम की खेती

देश को खाद्य तेल में आत्म निर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार लगतार प्रयास कर रही है | खरीफ मौसम में दलहन तथा तिलहन की पैदावार बढ़ाने के लिए वर्ष 2021–22 में 13.51 लाख के उच्च उत्पादन वाले बीज किट का वितरण किया गया है | यह सभी किट देश के अलग–अलग राज्यों के चयनित जिलों के किसानों को नि:शुल्क दिए गए हैं | देश में मौजूदा समय में सभी खाद्य तेलों का उत्पादन 36.56 मिलियन टन का है | तिलहन के दुसरे क्षेत्रों में भी भारत सरकार प्रयास कर रही है | विदेशों से आने वाले खाद्य तेलों में सबसे बड़ा हिस्सा पाम आयल का है |

देश में प्रति वर्ष लगभग 10 बिलियन डालर का तेल का आयात होता है, इसमें सबसे बड़ा हिस्सा पाम ऑयल का है | इसको देखते हुए केंद्र सरकार ने पाम ऑयल का उत्पादन बढ़ाने जा रही है | इसके लिए केंद्र सरकार ने एक नई योजना “राष्ट्रीय खाद्य तेल–पाम ऑयल मिशन” (एनएमईओ-ओपी) की शुरुआत की है | इस योजना के तहत 11,040 करोड़ रूपये खर्च करने का निर्णय लिया है | इस योजना से जहाँ पाम आयल के क्षेत्र में भारत आत्म निर्भर बनेगा वहीँ इस क्षेत्र में पूंजी निवेश के साथ ही रोजगार बढ़ेगा |

पाम ऑयल योजना पर खर्च किये जायंगे 11,040 करोड़ रूपये

राष्ट्रीय खाद्य तेल पाम ऑयल मिशन (एनएमईओ-ओपी) योजना के तहत अगले 4 वर्षों में 11,040 रुपया खर्च किये जाने का लक्ष्य रखा गया है | इसके तहत केंद्र सरकार 8,844 करोड़ रुपये का वहन करेगी , वहीँ 2,196 करोड़ रुपया राज्यों को वहन करना होगा |

पाम ऑयल का रकबा कितना बढ़ेगा ?

केंद्र सरकार ने अगले 4 वर्षों में आज के तुलना में लगभग 40 प्रतिशत खेती का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य रखा है | मौजूदा समय में पाम ऑयल का रकबा 6.5 लाख हेक्टेयर हैं जिसे वर्ष 2025– 26 तक बढ़कर 10 लाख हेक्टेयर करने का है | उत्पादन के क्षेत्र में कच्चे पाम ऑयल (सीपीओ) की पैदावार 2025–26 तक 11.20 लाख टन तथा अगले 4 चार वर्ष 2029–30 तक 28 लाख टन तक पहुँच जाएगी |

पाम ऑयल की खेती करने वाले किसानों को दिया जायेगा 29 हजार रुपये का अनुदान

मिशन पाम ऑयल के लिए ताड़ के पेड़ों की बुवाई करने के लिए सरकार ने इस योजना के तहत सहायता राशि को बढ़ा दिया है | जहाँ पहले किसानों को प्रति हेक्टेयर 12 हजार रूपये दिये जाते थे अब उसे बढाकर 29 हजार रुपये कर दिया गया है | इसके साथ ही पुराने पेड़ों की देखभाल तथा जीणोद्धार करने के लिए 250 रुपये प्रति पेड़ दिया जाएगा |

इसके अलावा जो किसान या नर्सरी पाम ऑयल के पेड़ों के लिए बीज से नर्सरी तैयार करेगा उसे भी सहायता राशि दी जाएगी | यह सहायता राशि 15 हेक्टेयर के लिए 80 लाख रुपये है | जबकि पूर्वोत्तर तथा अंडमान क्षेत्रों में लिए 15 हेक्टेयर में नर्सरी तैयार करने के लिए 1 करोड़ रुपये दिए जाएंगे | इसके अलावा बीजों के बाग़ के लिए शेष भारत के लिए 40 लाख रुपये एवं अंडमान और पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 50 लाख रूपये की राशि निर्धारित किया गया है |

पाम बीज के मूल्य में की जाएगी बढ़ोतरी

ऑयल के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सरकार ने उत्पादित पाम बीज पर खरीदी मूल्य को बढ़ाने का फैसला लिया है | उद्योग सीपीओ कीमत का 14.3 प्रतिशत का भुगतान करेंगे, जो 15.3 प्रतिशत तक बढ़ सकता है | पूर्वोत्तर और अंडमान में इस संबंध में तेजी लाने के लिए केंद्र सरकार सीपीओ की 2 प्रतिशत लागत अतिरिक्त रूप से वहन करेगी |

किसानों को बीज उत्पदान के लिए धान और गेहूं के बीज पर मिलेगा 2000 रुपये प्रति क्विंटल का अनुदान

धान और गेहूं के बीज खरीद पर अनुदान

किसानों की आय में वृद्धि करने तथा बीज के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2014–15 में “बीज ग्राम योजना” को आरम्भ किया था | इस योजना के अन्तर्गत प्रमाणित बीज उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किसानों को प्रोत्साहन दिया जा रहा है | जिससे किसान अपने खेत में बीज उत्पादन करके बेच सके और देश में अधिक से अधिक किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध कराये जा सकें | सरकार बीज के मूल्य के साथ ही साथ किसानों को सब्सिडी पर बीज भी उपलब्ध कराती है | इस योजना के तहत किसानों के बनाए गये समूह को शामिल किया जाता है | इस समूह में 50 से 100 किसान अधिकतम हो सकते हैं | इसके लिए किसान समूहों को कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा प्रशिक्षण भी दिया जाता है |

क्या है अनुदान पर बीज खरीदने के लिए बीज ग्राम योजना

बीज ग्राम योजना के तहत 50 से 100 किसानों का एक या एक से अधिक समूह बनाया जाता है | इन समूहों को कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा बीज दिए जाते है | जिससे किसान अपने खेत में उत्पादन करके अधिक बीज का उत्पादन कर सकता है | किसानों को दिया जाने वाला बीज को फाउंडेशन बीज कहा जाता है | यह बीज किसानों को 0.1 हैक्टेयर क्षेत्र के लिए दिए जाते हैं | एक वर्ष बाद किसानों के खेतों में जो बीज तैयार होता है उसे प्रमाणिक बीज कहा जाता है | इस बीज को दुबारा बुवाई के लिए काम में लिया जाता है |

इस पर कितना सब्सिडी दी जाती है ?

बीज ग्राम योजना के अंतर्गत किसान समूहों को कृषि विज्ञान केंद्र के तरफ से फाउंडेशन बीज उपलब्ध कराया जाता है | यह बीज किसानों को कृषि विज्ञान केंद्र के तरफ से निर्धारित मूल्य पर दिए जाते हैं | योजना के तहत किसानों के द्वारा खरीदे गये बीज पर सब्सिडी उपलब्ध कराई जाती है | जो अधिकतम 50 प्रतिशत रहती है |

उत्तर प्रदेश सरकार राज्य में किसानों को वर्ष 2021–22 में फाउंडेशन बीज उपलब्ध कराने के लिए सब्सिडी उपलब्ध करा रही है | इसके लिए अलग–अलग फसलों के फाउंडेशन बीज पर सब्सिडी घोषित कर दी है | जो इस प्रकार है :-

धान एवं गेहूं के बीज खरीद पर दी जाएगी 50 प्रतिशत की सब्सिडी

गेहूं:- बीज ग्राम योजना अंतर्गत गेहूँ फाउंडेशन बीज पर किसान समूह को 50 प्रतिशत की सब्सिडी अथवा 2,000 रूपये प्रति क्विंटल जो भी कम हो सब्सिडी के तौर पर दिया जायेगा | पहले ग्राम बीज के अंतर्गत अधिकतम 1750 रूपये प्रति क्विंटल का अनुदान दिया जाता था | जो राष्ट्रीय खाद्ध सुरक्षा मिशन और पूर्वी भारत हरित क्रांति योजना से के द्वारा दिये जा रहे 2,000 रूपये प्रति क्विंटल से कम था | उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने गेहूं के फाउंडेशन बीज पर 250 रूपये प्रति क्विंटल की दर से अतिरिक्त सब्सिडी देने का फैसला लिया है |

धान :- बीज ग्राम योजना अंतर्गत धान फाउंडेशन बीज पर किसान समूह को 50 प्रतिशत की सब्सिडी अथवा 2,000 रूपये प्रति क्विंटल जो भी कम हो सब्सिडी के तौर पर दिया जायेगा | पहले बीज ग्राम योजना के अंतर्गत अधिकतम 1600 रूपये प्रति क्विंटल दिया जाता था | जो राष्ट्रीय खाद्ध सुरक्षा मिशन और पूर्वी भारत हरित क्रांति योजना से के द्वारा दिये जा रहे 2,000 रूपये प्रति क्विंटल से कम था | उत्तर प्रदेश राज्य सरकार ने गेहूं के फाउंडेशन बीज पर अतिरिक्त 400 रूपये प्रति क्विंटल की दर से सब्सिडी देने का फैसला लिया है |

बीज ग्राम योजना से कैसे जुड़ें ?

यदि कोई किसान इस योजना का लाभ प्राप्त करना चाहता है तो उसे जिला कृषि पदाधिकारी से संपर्क करना होगा | इसके बाद आसान सी रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया से आप इस योजना से जुड़ सकते हैं | जिसके बाद किसान बीज ग्राम योजना के तहत बीज का उत्पादन करके लाभ प्राप्त कर सकते हैं |